Incest बदलते रिश्ते – Family Sex

बेला ने रोहन को एक अद्भुत सुख का अनुभव करा गई थी… रोहन को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी हथेली में बेला की रसीली बुर थी जिसे वह जोर जोर से दबा रहा था…. बेला कमरे से बाहर जा चुकी थी लेकिन जाते-जाते रोहन के तन बदन में वासना की चिंगारी को भड़का गई थी रोहन की सांसे अभी भी बहुत गहरी चल रही थी बार-बार वह अपनी हथेली को देख रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी हथेली में कुछ पल पहले ही बेला की बुर थी… रोहन के पजामे में गदर मचा हुआ था उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसके लंड की नसें फट जाएंगी इस समय उसके लंड का कड़क पन किसी लोहे के रोड के बराबर था अगर इस अवस्था में औरत रोहन के लंड को अपनी बुर में ले ले तो वह मस्त हो जाए ऐसा सुख भोग ए की जिंदगी में उसे कभी भी ऐसा सुख भोगने को ना मिला हो और वास्तविकता यही थी अगर रोहन किसी भी औरत की बुर में डालकर उसे चोदना शुरू करें तो उसके बुरका… सारा रस निचोड़ डालें एक तरह से वह बुर की धुलाई कर दे……

Incest चक्रव्यूह – family sex

रोहन बार-बार अपनी हथेली को देख रहा था जिसमें अभी तक बेला की बुर की गर्माहट महसूस हो रही थी उसकी उंगलियों सहित पूरी हथेली पर चिपचिपा द्रव्य लगा हुआ था…. हथेली में लगे चिपचिपी द्रव्य के प्रति असमंजस में था कि आखिरकार वह है क्या… एक पल तो उसे ऐसा लगा कि कहीं बेला ने उसकी हाथ पर पेशाब तो नहीं कर दी है लेकिन वह इतना तो समझता था कि वह पेशाब नहीं है क्योंकि वह बहुत की तरह चिपक रहा था उसे राह नहीं किया और वह अपनी उंगली को अपने नाक के बिल्कुल करीब लाकर उसकी खुशबू को अपने नाखूनों में उतारते हुए अपने सीने में भर दिया और अगले ही पल उसका तन बदन एक अजीब सी मादकता के नशा में खोने लगा उसके शरीर में नशा सा होने लगा उसकी खुशबू…. उसे कुछ अजीब सी लग रही थी लेकिन कुछ अजीब सी खुशबू में भी एक अजीब सा आकर्षण था जो बार-बार रोहन उंगली को अपने नाक के करीब लाकर उसकी खुशबू अपने अंदर उतार रहा था बुर के पानी से आ रही माधव खुशबू रोहन के लंड को एक अजीब सा दर्द देने लगा था रोहन को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसे वह पल याद आने लगा जब वह बेला की बुर को जोर जोर से दबा रहा था और बेला अजीब से सुख की अनुभूति करते हुए.. गरमा गरम सिसकारी ले रही थी बेला के चेहरे के बदलते हुए हवाओं को देखकर रोहन इतना तो समझ गया था कि जिस हरकत को अंजाम दे रहा है उस हरकत की वजह से बेला की तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई है तभी तो वह इस तरह से अजीब अजीब से चेहरे बना रही थी और उसे बेहद आनंद की अनुभूति भी हो रही थी……

जो भी हो रोहन भले ही इससे आगे ज्यादा नहीं बढ़ पाया लेकिन जितना भी हुआ उससे रोहन एकदम मस्त हो चुका था एक तो जिंदगी में पहली बार उसे औरत के अंगों को छूने का स्पर्श करने का मौका मिला था और वह भी बेला ने उसे दूसरी बार यह मौका दी थी पहली बार तो सिर्फ देख कर ही काम चला लिया था लेकिन इस बार बेला उस पर प्रसन्न होते हुए उसे अपने अंगों को छूने का मौका दे जिसका वह पूरी तरह से फायदा उठाते हुए उसकी बुर को अपनी हथेली में लेकर जोर जोर से दबा दिया था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह किसी पके हुए आम को अपनी हथेली में लेकर जोर जोर से दबा कर उसका रस निकाल रहा हो…. एक अजीब और अद्भुत सुख का अहसास रोहन को प्राप्त हुआ था जो कि उसके चेहरे से साफ झलक रहा था…..

_ दूसरी तरफ बेला अपने आप को बड़ी मुश्किल से संभाल ले गई थी वरना दूसरी कोई औरत होती तो रोहन के इतने मोटे तगड़े लंड को अपने हाथों में अपने इतने करीब देखकर बिना उसे अपनी बुर में लिए जाने नहीं देती वैसे भी रोहन के तगड़े लंड को देखकर बेला कि बुर पानी छोड़ रही थी…. और रोहन से पैसे प्राप्त करने का लालच ना होता है तो बेला आज रोहन से चुद गई होती…. बेला की आंखों के सामने अभी भी बार-बार रोहन का छत की तरफ देखता हुआ लंड नजर आ रहा था… बेला की अनुभवी आंखें रोहन के कड़े लंड को देखकर इतना तो समझ गई थी कि अगर रोहन का लंड एक बार बुर में जाए तो बिना दीन मे तारे दिखाएं बाहर नहीं आएगा…

यूं ही धीरे-धीरे दिन गुजर रहा था … अब रोहन का डर थोड़ा थोड़ा कम हो रहा था उसकी कोशिश लगातार जारी थी कि दुबारा वह अपनी मां को नंगी देख पाए लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था और दूसरी तरफ से सुगंधा खेत खलियान और जमीदारी को संभालने मैं पूरी तरह से व्यस्त होती जा रही थी…….

एक तरह से सुगंधा अपनी जमीदारी के हिसाब से पैसे कमाने में लगी थी और दूसरी तरफ रोहन अपना समय औरतों की ताका झांकी में गवा रहा था….. जब से उसने बेला की बुर को अपनी हथेली में लेकर मसला था तब से उसे सोते जागते बस औरतों की बुर ही नजर आती थी और उसके दिल में एक ख्वाहिश खूब जोर मार रही थी कि उसे उसी तरह से ही अपनी मां की बुर को हथेली मे लेकर ंसलना है लेकिन वह जानता था कि उसकी ये ख्वाहिश कभी पूरी होने वाली नहीं है…. इसलिए वह अपनी मां की बुर के बारे में कल्पना करके अपने लंड को अपने हाथ से मचलता रहता था और अपनी सरकर की वजह से उसके तन बदन में मीठी चुभन होने लगती थी जिसका एहसास उसे सातवें आसमान तक ले जाता था रोहन काफी उत्साहित हो जाता था जब कल्पना में वह अपनी मां के बुर के बारे में सोचता था हालांकि अभी तक उसने हस्तमैथुन का अभ्यास बिल्कुल भी नहीं किया था यहां तक कि उसे यह क्रिया कैसे की जाती है इसका ज्ञान ही नहीं था जो कि इस उम्र में सभी लड़के अपने आप खुद से ही मुठ मारना सीख जाते हैं और रोहन था कि अभी तक इस बेहद उपयोगी अभ्यास से विमुक्त था एक यही क्रिया तो होती है जो कुंवारे लड़कों को अपने तन की प्यास बुझाने का सहारा बना रहता है लड़के अक्सर अपनी पसंदीदा लड़कियां औरतों की कल्पना करके _ और उनके बारे में गंदी गंदी कल्पना करते हुए अपना लंड जोर जोर से मुट्ठी में पकड़कर हिलाते हुए अपना पानी निकाल देते हैं जिस क्रिया को देसी भाषा में मुट्ठ मारना और हस्तमैथुन करना कहते हैं रोहन तो अपनी मां और बेटा की कल्पना करके केवल लंड को सहलाया ही करता था इससे आगे बढ़ने की ताकत और ज्ञान उसमें नहीं था…. हां इतना था कि रात को सोते समय सपने में अपनी मां या बेला या किसी भी औरत के साथ एकदम गर्म होकर अपने आप ही उसका पानी निकल जाता था और सुबह जब वह उठता था तो अपनी चड्डी गीली पाकर कुछ समझ नहीं पाता था बस धुंधला सा उसके दिमाग में कुछ कुछ सपने वाली बात याद रहती थी जिसकी वजह से उसकी उत्तेजना और बढ़ जाती थी…….

ऐसे ही एक दिन वह अपनी मां के बारे में कल्पना करके पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था….. पजामे में तंबू फिर से तन चुका था …. उससे अपनी जवानी की गर्मी संभाले नहीं संभल रही थी इसलिए वह नहाने के लिए चला गया… नहाने के लिए गुसलखाना घर के पीछे की तरफ बढ़ा हुआ था वहीं पर नहाना धोना सब कुछ होता था क्योंकि गांव में अफसर घर से दूर ही नहाने का प्रबंध किया जाता था…..

रोहन कपड़े लेकर घर के पीछे की तरफ जाने लगा सुगंधा की भी आप खुल चुकी थी आज उसे अपने अंगूरों के बाग देखने जाना था इसलिए उसे भी नहा कर जल्दी से तैयार होना था और वह भी घर के पीछे की तरफ जाने लगी….

रोहन गुसल खाने में पहुंच चुका था गुसलखाना चारों तरफ वृक्षों से घिरा हुआ था जिसकी वजह से दिन में भी अंधेरा जैसा ही लगता था गुसल खाने में पहुंचते ही सबसे पहले वहां हेड पंप चला कर बाल्टी को पानी से छलो छल कर दिया… और जल्दी-जल्दी अपने कपड़े उतार कर पूरी तरह से नंगा हो गया उसका लंड अभी भी पूरी तरह से खड़ा था क्योंकि नल चलाते समय भी उसके दिमाग में उसकी मां का नंगा बदन ही घूम रहा था …

वह बाल्टी में से पानी लेकर खड़े खड़े ही नहाना शुरू कर दिया.. जैसे जैसे वह अपने ऊपर पानी डालते जा रहा था वैसे वैसे उसका दिमाग शांत होते जा रहा था लेकिन लंड ज्यों का त्यों सिर उठाए खड़ा था…. रोहन अपने आप को शांत करने के लिए गाना गुनगुना रहा था सुगंधा इस बात से अनजान की गुसल खाने में उसका बेटा है वह अपने कपड़े लेकर गुसल खाने के करीब पहुंच गई और उसके कानों में रोहन के गाने गुनगुनाने की आवाज सुनाई देने लगी…..

गुसल खाने के करीब का नजारा बेहद मनमोहक था चारों तरफ ऊंचे ऊंचे पेड़ ही पेड़ नजर आ रहे थे और गुसल खाने के इर्द-गिर्द फूलों के पौधे लगे हुए थे जिससे वह जगह और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी सुबह की ठंडी हवा सुगंधा के तन बदन को और तरोताजा कर रही थी … सुगंधा के बाल खुले हुए थे जो कि ठंडी हवा के चलने से लहरा रहे थे जिससे उसकी खूबसूरती में चार चांद लग रहे थे सुगंधा अपने हाथ में साड़ी ब्लाउज लिए गुसल खाने की बिल्कुल करीब पहुंच गई थी पर अंदर से आ रहे गुनगुनाने की आवाज को सुनकर वह मन ही मन मुस्कुरा रही थी क्योंकि उसे मालूम था कि यह आवाज रोहन की ही थी… और आज इतनी जल्दी उठकर उसके नहाने की वजह से वह बेहद खुश नजर आ रही थी…..गुसल खाने का दरवाजा बंद था अंदर पानी गिरने की आवाज आ रही थी और रोहन गुनगुना रहा था..

सुगंधा उत्सुकता बस गुसल खाने के अंदर झांकने के बारे में सोचने लगी लेकिन फिर उसके दिमाग में आया कि नहीं यह गलत है किसी को नहाते हुए देखना अच्छी बात नहीं है लेकिन लगातार आ रही अंदर से गुनगुनाने की आवाज सुनकर सुगंधा उत्सुकता बस गुसल खाने के किवाड़ के एकदम करीब पहुंच गई…. आखिरकार सुगंधा अपनी उत्सुकता के आधीन हो कर अंदर झांकने का फैसला कर ली वह अंदर झांकने के लिए इधर-उधर जगह ढूंढने लगी कि कहीं से अंदर का नजारा दिख जाए…

तभी उसे लकड़ी के बने किवाड़ के बीच की दरार नजर आने लगी और वह उत्सुकता बस उस दरार पर अपनी नजरें टिका कर अंदर देखने की कोशिश करने लगी…. थोड़ी मशक्कत करने के बाद उसे अंदर का नजारा नजर आने लगा सबसे पहले उसे रोहन का चेहरा नजर आया जिस पर साबुन का झाग लगा हुआ था और वह मस्ती में झूमता हुआ गाना गुनगुना रहा था….. यह देख कर सुगंधा के चेहरे पर मुस्कुराहट खेलने लगी क्योंकि बड़ा ही मासूम लग रहा था रोहन….. धीरे-धीरे उसकी नजरें चेहरे से नीचे की तरफ आने लगी जिस पर ढेर सारा साबुन का झाग नजर आ रहा था सुगंधा उत्सुकता बस उसे देख रही थी जवानी की दहलीज पर कदम रखने के साथ ही रोहन का बदन गठीला होता जा रहा था जिसके पूरक उसकी चौड़ी छातीया थी…

सुगंधा को अपने बेटे का गठीला बदन और जवान होते हुए देख कर गर्व महसूस हो रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसका एक ही सहारा था और वह था उसका बेटा क्योंकि पति से वह एकदम से ना उम्मीद हो चुकी थी…..

1 Comment

  1. Gandu Ashok

    भेनचोद कितनी बार झड़ गया कहानी पढ़ते पढ़ते

Leave a Reply