Incest बदलते रिश्ते – Family Sex

सुगंधा पेट के बल लेट चुकी थी… बंद कमरे में बेहद रोमांचकारी और बदन में गर्माहट भरा नजारा देखने को मिल रहा था बेला और सुगंधा दोनों इस बात से अनजान थी कि रोहन के कि पर खड़ा होकर सब कुछ देख रहा है वह दोनों तो अपनी ही मस्ती में थे सुगंधा दोनों हाथ को तकिए पर टिका कर अपना सर उस पर आराम से टिका कर लेटी हुई थी बेला एकटक अपनी मालकिन की नंगी खूबसूरत जवानी को सर से पांव तक घूर रही थी बेला मन ही मन में मस्ती भरी आह भर रही थी बेला की नजर सर से पांव तक घूम रही थी लेकिन उसकी निगाह बार-बार सुगंधा की नितंबों पर टिक जा रही थी पेट के बल लेटे होने की वजह से नितंबों का उभार कुछ ज्यादा ही आकर्षण लिए हुए दिख रहा था…. बाहर खड़ा रोहन अपनी मां के नंगे बदन को देखकर मस्त हुए जा रहा था रोहन का मन तो कर रहा था कि इसी समय कमरे में घुस जाए और खुद नंगा होकर अपनी मां के ऊपर लेट जाए क्योंकि अपनी मां की नंगी गोरी गोरी भराव दार गांड देख कर उसका लंड उबाल मार रहा था वह अपने लंड को अपनी मां की गोरी गोरी नरम नरम गांड पर रगड़ना चाहता था… अपनी मां की कमसिन जवानी को महसूस करना चाहता था लेकिन इतनी हिम्मत दिखाने की हिम्मत उसके अंदर बिल्कुल भी नहीं थी बस वह अपनी मां के प्रति आकर्षित होकर अपनी कल्पनाओं का घोड़ा ही दौड़ा सकता था लेकिन इस समय अपनी मां को नंगी देखकर वापस आने के ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था रोहन की सांसे गहरी चल रही थी….

Dosto kahani kaise lagi commets me jarur batana !

दूसरी तरफ बेला सरसों की तेल की शीशी उठाकर .. उसका ढक्कन खोलने लगी और साथ ही तिरछी नजरों से सुगंधा के भराव दार नितंबों को घूरती भी जा रही थी सुगंधा आराम से लेटी हुई थी परंतु पहली बार किसी औरत के सामने लगना अवस्था में होने के कारण शर्म के मारे संकोचा भी रही थी….
सुगंधा पूरी तरह से तैयार थी मालिश करवाने के लिए….
देखते ही देखते बेला अपनी हथेली में सरसों के तेल को गिराने लगी और उसके बाद शीशी को बगल में रखकर सुगंधा की मखमली चिकनी गोरी पीठ पर लगाना शुरू कर दी नरम नरम चिकनी पीठ पर मालिश करते हुए बेला को उत्तेजना का अनुभव हो रहा था वह कंधों से लेकर कमर तक मालिश करना शुरू कर दी यह देखकर खिड़की पर खड़ा रोहन उत्तेजना के सागर में बहता चला जा रहा था एक पल के लिए तो उसे बेला से जलन होने लगी क्योंकि अपने से ज्यादा खुश किस्मत व बेला को समझने लगा जो कि इस समय उसकी नंगी मां के बिल्कुल करीब बैठ कर .उसके नंगे बदन को स्पर्श और मालिश करने का सुख भोग रही थी…..
बेला के द्वारा की जा रही मालिश से सुगंधा राहत महसूस करने लगी कुछ ही देर में उसे ऐसा महसूस होने लगा कि उसके बदन का दर्द कम होने लगा है और दूसरी तरफ बेला के मन में सुगंधा के गोल गोल नितंबों को स्पर्श करने की लालसा जन्म ले रही थी एक औरत होने के बावजूद भी एक औरत की गांड को छूना चाहती थी दबाना चाहती थी उसे बदलना चाहती थी एक अजीब सी कशमकश उसके तन बदन को उतेजना से भर रहा था इसलिए वह अपनी हथेलियों को बेला की नंगी पीठ पर ऊपर से नीचे की तरफ लाते हुए बोली…..

अब कैसा लग रहा है मालकिन….

तेरे हाथों में तो जादू लग रहा है मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि मेरे बदन से दर्द दूर हो रहा है…

मालकिन हाथों के साथ साथ आपका कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर मालिश करवाने का भी असर आपके बदन में हो रहा है मैं कहती थी ना बिना सारे कपड़े उतारे मालीस का मजा नहीं आता…
( ऐसा कहते हुए बेला सुगंधा की मालिश करते हुए अपनी हथेलियों को एकाएक सुगंधा के नरम नरम गोल गोल नितंबों पर रख दी गांड की दोनों बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी फा़के बेला की हथेलियों में समा नहीं पा रही थे… जिसे बेला जोर-जोर से दबाना शुरू कर दी…. यु एकाएक अपने नितंबों पर बेला की हथेलियों का स्पर्श पाते ही सुगंधा के मुंह से गर्म सिसकारी निकल गई…..

ससससससहहहह…आहहहहहहह.. क्या कर रही है बेला….

कुछ नहीं मालकिन सोच रही हूं कि जब मालिश कर रही हूं तो ठीक से कर दूं आज तुम्हारे बदन से सारा दर्द खींच कर बाहर निकाल दूं….

लेकिन मालिश जहां करनी चाहिए वहां कर…मेरी गांड पर क्यो कर रही है..?
( अपने मां के मुंह से इस तरह के शब्द सुनकर रोहन एकदम उत्तेजना से भर गया उसे अपनी मां के मुंह से गांड शब्द सुनकर बहुत ही आनंददायक लगा था साथ ही वह अपनी मां के मुंह से इस तरह के शब्द सुनकर पजामे के ऊपर से वह अपने लंड को जोर से दबा दिया था.. सुगंधा के मुंह से इस तरह की बात सुनकर बेला हंसने लगी और हंसते हुए बोली…)

क्या मालकिन आप भी इतनी बड़ी जमीदारीन होकर बच्चों वाली बातें कह रही हैं… यह बात तुम भी तो अच्छी तरह से जानती हो कि कमर की नसे गांड से होकर ही नीचे की तरफ जाती है तो दर्द भी यहां होता ही है इसलिए तो मैं यहाँ मालिश कर रही हूं…..
( बेला की बात सुनकर सुगंधा कुछ बोल पाती इससे पहले ही बेला जानबूझकर सुगंधा की जांघों के अंदरूनी भाग पर अपनी हथेली धीरे धीरे सरकाते हुए ..अपनी ऊंगली का स्पर्श सुगंधा की बुर से करा दी बेला खुद अपने इस हरकत की वजह से उत्तेजना के मारे गन गना गई साथ ही सुगंधा अपने बुर पर बेला की उंगलियों का स्पर्श पाते पूरी तरह से गन गनाहट का अनुभव करने लगी. )

ससससहहहहह बेला ………….( बेला की हरकत की वजह से सुगंधा गरम सिसकारी लेते हुए बोली)

कुछ नहीं मालकिन मैं आपको अपनी उंगलियों का जादू दिखा रही हूं देखना अब कैसे तुम्हारे बदन का सारा दर्द जाता रहेगा….

तेरे को अपनी उंगलियों का जादू वही दिखाना है…. किसी और भी जगह तो दिखा सकती है…( सुगंधा बेला को थोड़ा नाराज होते हुए बोली लेकिन सुगंधा के बोलने का तरीका कुछ इस तरह का था कि लगता ही नहीं था कि वह नाराज होकर बोल रही है बस एक औपचारिकता ही पूरी कर रही थी और दूसरी तरफ खिड़की पर खड़ा है रोहन अंदर के सारे दृश्य को अपने मन मस्तिष्क में कैद कर रहा था दोनों की बातें सुनकर और बेला के हाथों की हरकत को देख कर रोहन इतना तो समझ गया था कि दोनों किस बारे में बात कर रहे थे और बेला उसकी मां के कौन से अंग को छू ली थी इस बात का ज्ञात होते ही रोहन पूरी तरह से उत्तेजित हो गया… उसे यह समझते देर नहीं लगी कि बेला उसकी मां की बुर को छू रही थी_ इस बात से रोहन के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ने लगी वह बेला की किस्मत से जलने लगा वह मन में सोचने लगा कि उसे से अच्छी किस्मत तो एक नौकरानी की है जो उसकी मां की खूबसूरत बुर को अपनी उंगलियों से छू ले रही है….. अजीब सी हलचल रोहन के तन बदन में होने लगी वह अपनी कल्पनाओं का घोड़ा तेज दौड़ आने लगा और मन में कल्पना करने लगा कि उसकी मां की बुर कैसी होगी जिस पर बेला की उंगलियां छुआ जा रही हैं…… उत्तेजना का असर उसके चेहरे और उसके पजामे पर साफ तौर पर दिखाई देने लगा… रोहन से अपनी मां की गर्म सिसकारी और बेला की हरकत बर्दाश्त नहीं हुई और वह अपना हाथ पजामे के अंदर डाल दिया और अपने नंगे लंड को अपने हाथ से मसल ना शुरू कर दिया आज यह उसके लिए पहला मौका था जब वह अपने हाथ से अपने नंगे लंड को सहला भी रहा था और मसल रहा था और उसे इस कार्य में कुछ ज्यादा ही आनंद का अनुभव हो रहा था….
दूसरी तरफ बेला सुगंधा की बात को अनसुना करते हुए अपनी मस्ती में सुगंधा की बड़ी-बड़ी गोरी गांड खून दोनों हाथों से मसलते हुए मालिश का मजा लेने लगी सुगंधा भी कुछ कह ना सके क्योंकि उसे भी एक अजीब सी हलचल का असर अपने बदन में महसूस हो रहा था….. वह चाहकर भी बेला को रोक नहीं पा रही थी आज बरसों बाद ना जाने कैसे उसे अपने बदन में इस हलचल को महसूस करने का सुरूर चढ रहा था….
रोहन को भी अपनी मां के बदन में चढ़ रही मस्ती को देखने का दुर्लभ मौका मिल रहा था और रोहन इस मौके का भरपूर फायदा उठा रहा था…

बेला के हाथों के जादू में सुगंधा पूरी तरह से खोने लगी थी….. उसे इस बात का एहसास तक नहीं हुआ कि उसकी बुर में से तरल द्रव्य नमकीन पानी बहकर हल्के हल्के बहने लगा था…
सुगंधाको धीरे-धीरे इस बात का एहसास होने लगा कि अब तक जो वह अपने आप पर काबू करके अपने आप को संभाले हुए थे बेला की उंगलियां उस आग को भड़का रही थी और इसलिए वह इससे ज्यादा आगे बढ़ना नहीं चाहती थी लेकिन बेला यह चाहती थी कि सुगंधा पीठ के बल लेट जाए और उसे सुगंधा की रसीली चिकनी बुर देखने का मौका मिल जाए और खिड़की से बाहर खड़ा रोहन भी इसी पल का इंतजार कर रहा था कि कब उसे अपनी ही मां की रसीली बुर को देखने का मौका मिल जाए क्योंकि ना जाने कबसे वह खिड़की से अंदर का नजारा देखते हुए इसी आस में वहां खड़े होकर अपने लंड को मसल रहा था कि उसे आज अपनी मां की नंगी बुर देखने का मौका मिलेगा और जैसे उसी की इच्छा को बेला सुगंधा के सामने प्रस्तुत करते हुए बोली…

मालकिन अब आप पीठ के बल लेट जाइए था कि मैं आपकी आगे भी मालिश कर दो…

( बेला की इतनी सी बात सुनते ही रोहन के दिल की धड़कन तेज होने लगी क्योंकि उसे लगने लगा कि अब वह मौका वहां पर उसकी आंखों के सामने आने वाला है जिस पल के लिए वह न जाने कितने दिनों से तड़प रहा था लेकिन दोनों की इच्छाओं पर पानी फेरते हुए बेला चटाई पर से उठते हुए बोली…

नहीं नहीं मुझे अब बिल्कुल ठीक लग रहा है इससे ज्यादा अब मैं अपनी मालिश नहीं करवा सकती (इतना कहते हो पास में पड़ी अपनी पेंटी को उठाकर अपनी दोनों टांगों में डालकर पहनने लगी लेकिन पेंटी पहनते समय भी वह इस बात का पूरी तरह से एहतियात बरत रही थी कि .. उसकी बुर दिखाई ना दे और देखते ही देखते सुगंधा अपने कपड़े पहने ली बेला और रोहन दोनों अपना हाथ में चलते रह गए सुगंधा अपने कपड़े पहन कर तैयार हो चुकी थी रोहन जानता था कि अब वह बाहर आने वाली है इसलिए उसका खिड़की पर यूं खड़े रहना ठीक नहीं था इसलिए वह वहां से चलता बना….

मालकिन हाथों के साथ साथ आपका कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर मालिश करवाने का भी असर आपके बदन में हो रहा है मैं कहती थी ना बिना सारे कपड़े उतारे मालीस का मजा नहीं आता…
( ऐसा कहते हुए बेला सुगंधा की मालिश करते हुए अपनी हथेलियों को एकाएक सुगंधा के नरम नरम गोल गोल नितंबों पर रख दी गांड की दोनों बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी फा़के बेला की हथेलियों में समा नहीं पा रही थे… जिसे बेला जोर-जोर से दबाना शुरू कर दी…. यु एकाएक अपने नितंबों पर बेला की हथेलियों का स्पर्श पाते ही सुगंधा के मुंह से गर्म सिसकारी निकल गई…..

ससससससहहहह…आहहहहहहह.. क्या कर रही है बेला….

कुछ नहीं मालकिन सोच रही हूं कि जब मालिश कर रही हूं तो ठीक से कर दूं आज तुम्हारे बदन से सारा दर्द खींच कर बाहर निकाल दूं….

लेकिन मालिश जहां करनी चाहिए वहां कर…मेरी गांड पर क्यो कर रही है..?
( अपने मां के मुंह से इस तरह के शब्द सुनकर रोहन एकदम उत्तेजना से भर गया उसे अपनी मां के मुंह से गांड शब्द सुनकर बहुत ही आनंददायक लगा था साथ ही वह अपनी मां के मुंह से इस तरह के शब्द सुनकर पजामे के ऊपर से वह अपने लंड को जोर से दबा दिया था.. सुगंधा के मुंह से इस तरह की बात सुनकर बेला हंसने लगी और हंसते हुए बोली…)

क्या मालकिन आप भी इतनी बड़ी जमीदारीन होकर बच्चों वाली बातें कह रही हैं… यह बात तुम भी तो अच्छी तरह से जानती हो कि कमर की नसे गांड से होकर ही नीचे की तरफ जाती है तो दर्द भी यहां होता ही है इसलिए तो मैं यहाँ मालिश कर रही हूं…..
( बेला की बात सुनकर सुगंधा कुछ बोल पाती इससे पहले ही बेला जानबूझकर सुगंधा की जांघों के अंदरूनी भाग पर अपनी हथेली धीरे धीरे सरकाते हुए ..अपनी ऊंगली का स्पर्श सुगंधा की बुर से करा दी बेला खुद अपने इस हरकत की वजह से उत्तेजना के मारे गन गना गई साथ ही सुगंधा अपने बुर पर बेला की उंगलियों का स्पर्श पाते पूरी तरह से गन गनाहट का अनुभव करने लगी. )

ससससहहहहह बेला ………….( बेला की हरकत की वजह से सुगंधा गरम सिसकारी लेते हुए बोली)

कुछ नहीं मालकिन मैं आपको अपनी उंगलियों का जादू दिखा रही

रोहन की आंखों ने आज बेहद अद्भुत और बहुत ही खूबसूरत नजारे का दर्शन किया था… कभी उसने यह सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे इस तरह के नजारे देखने का कभी मौका मिलेगा वास्तव में एक मर्द के लिए यह किसी अद्भुत नजारे से कम नहीं होता जब वह अपनी खुली आंखों से एक खूबसूरत औरत को अपने कपड़े उतारते हुए और अपने कपड़े उतार कर एकदम नंगी होता हुआ देखता है …. रुपया पैसा धन दौलत यह सब होने के बावजूद भी इंसान अधूरा रहता है जब तक उसे औरत सुख नहीं मिलता और ऐसे में मर्द की इच्छा यही होती है कि वह अपनी आंखों के सामने किसी औरत को अपने कपड़े उतारते हुए देखें और वह औरत अगर किसी अप्सरा जैसी खूबसूरत हो तो ऐसे में वह अपने आप को धन्य समझता है और ऐसा ही कुछ रोहन भी अपने आप को खुशकिस्मत समझ रहा था क्योंकि जिस औरत के बारे में सोच कर वह मस्त हो जाया करता था और यही सोचा करता था कि बिना कपड़ों की उसकी मां कैसी लगती होगी कैसी दिखती होगी उसके अंग कैसे होंगे और वही नजारा वह वास्तविकता में अपनी नंगी आंखों से देख चुका था यह पल उसके लिए बेहद खास और अतुल्य था…..
लेकिन एक कसक अभी भी उसके मन में रह गई थी जिसके लिए वह अपने आप को बदनसीब समझता था क्योंकि उसने अपनी मां को पूरी तरह से एकदम नग्न अवस्था में देख चुका था अपनी मां के गोल गोल पके हुए नारंगीयो के जैसे चुचियों को देख कर… अपने बदन मे हुई हलचल को अच्छी तरह से महसूस कर रहा था…. जहां पर वह अपनी मां की गोल गोल नंगी चूचियों को देखकर मस्त हुए जा रहा था वहीं अपनी मां की मदमस्त उन्नत भराव दार गांड को देख कर उत्तेजना का अनुभव कर रहा था एक पल के लिए तो अपनी मां की मस्त गोरी गोरी गांड को देखकर एकदम से चुद वासा हो चुका था अपनी मां की गोरी गांड को देखकर एक पल के लिए तो उसे लगा कि वह कमरे में घुस जाए और पीछे से अपनी मां को पकड़कर उस की रसीली बुर में अपना लंड पेल दे…..
अपनी मां के नंगे बदन और चूचियों और नितंबों को देख कर जहां रोहन पूरी तरह से बदहवास और अत्यधिक कामोत्तेजना का अनुभव कर रहा था वहीं दूसरी तरफ इस बात का अफसोस उसे अंदर ही अंदर तड़पाय जा रहा था कि उसने अपनी मां की टांगों के पीछे छिपी उसकी बेहद खूबसूरत खजाने सामान बुर को नहीं देख पाया था हालांकि उसने जिंदगी में पहली बार ही बेला की कमसिन बुर को देखकर मस्त होने का अनुभव ले चुका था लेकिन वह तुलनात्मक तरीके से अपनी मां की बुर देखना चाहता था वह देखना चाहता था की बेला बेला की बुर और उसकी मां की बुर में क्या अंतर है लेकिन वह यह बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि बेला की बुर को जब देख कर उसे इतनी उत्तेजना का अनुभव हुआ था तो उसकी मां तो बेला से कई गुना ज्यादा अत्यधिक खूबसूरत और एकदम गोरी चिट्टी थी तो जाहिर सी बात थी की उसकी मां की बुर बेहद खूबसूरत होगी और वह यही देखना भी चाहता था लेकिन उसकी मां एक औरत के सामने भी अपने अंग दिखाने में जिस तरह से शर्मा रही थी और शर्म की वजह से ही वह आगे मालिश कराने से इंकार कर दी और रोहन को ऐसा लगा की एक बेहद खूबसूरत अतुल्य नजारे पर पर्दा सा पड़ गया लेकिन फिर भी रोहन ने जो कुछ भी देखा जितना भी देखा उसके लिए उम्र के मुताबिक बहुत था…. क्योंकि ऊस नजारे के बारें मे सोच कर अभी भी उसके लंड का तनाव बिल्कुल भी कम नहीं हुआ था वह ज्यों का त्यों अकड़ कर पजामे में खड़ा था…….

दूसरी तरफ देना अपनी मालकिन की खूबसूरती और उसकी सुंदरता देखकर मंत्रमुग्ध सी हो गई थी अभी तक कपड़ों में देख कर जिस तरह का आकर्षण था उससे कहीं ज्यादा आकर्षण सुगंधा को नग्न अवस्था में देखकर बेला के मन में सुगंधा के प्रति हो गया था वह तो कुछ समझ ही नहीं पा रही थी कि क्या करें क्योंकि उसके मन मस्तिष्क में केवल सुगंधा और सुगंधा का खूबसूरत बदन ही समाया हुआ था वह सुगंधा के बदन बारे कभी सुगंधा के बदन के बारे में सोचती तो कभी अपने बदन के ऊपर से नीचे की तरफ देखती…. वह इस बात से बेहद आश्चर्यचकित थी कि उम्र के इस पड़ाव में भी सुगंधा की खूबसूरती किसी न व युवती के बराबर थी…..
आज पहली बार सुगंधाको मालिश करवा कर बेहद राहत का अनुभव हो रहा था और एक अजीब सी हलचल अभी भी उसके तन बदन हो झकझोर रही थी क्योंकि जिस तरह से बेला ने उसके नितंबों को अपनी दोनों हथेलियों में भर भर कर मालिश की थी उससे ज्यादा कुछ तो नहीं लेकिन फिर भी सुगंधा की तन बदन में उत्तेजना का अनुभव होने लगा था इसका जीता जागता सबूत था कि उसकी बुर से नमकीन रस का स्राव हो रहा था जिसे वह चाहकर भी नहीं रोक पाई थी और इसीलिए अपने मन पर काबू करके वह बिना मालिश करवाएं वहां से उठ खड़ी हुई थी…….. शाम ढल चुकी थी अपने कमरे में बैठे-बैठे वह अपने पति के बारे में सोच रही थी जब वह शादी करके इस घर में आई थी शुरू शुरू में सब कुछ ठीक था… अपने पति की तरफ से उसे बेशुमार प्यार मिल रहा था उसे अपनी किस्मत पर गर्म होने लगा था क्योंकि उसे ससुराल में किसी भी चीज की कमी नहीं थी मान सम्मान और शारीरिक सुख पाकर वह एकदम से धन्य हो चुकी थी उसे वह पल याद आने लगा जब बेला की तरह ही उसके पति ने उसकी मालिश की थी…..
एक दिन ऐसे ही उसकी कमर में दर्द हो रहा था और यह बात अपने पति से कहते ही उसके पति ने एक पल की भी देर किए बिना ही कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और अपने ही हाथों से देखते ही देखते सुगंधा के बदन पर से वस्त्रों को दूर करने लगा सुगंधा तो कुछ समझ ही नहीं पाए कि यह क्या कर रहा है देखते ही देखते वह कमरे में अपने पति के सामने संपूर्ण रूप से एक दम नंगी हो गई थी…. सुगंधाको तो एक पल के लिए अपने पति पर गुस्सा और चिढ आने लगा…. क्योंकि जिस तरह से वह सुगंधा के बदन पर से वस्त्र उतार रहा था उसे ऐसा ही लग रहा था कि अब वह उस से संभोग करेगा सुगंधा को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी ऐसी हालत होने के बावजूद भी उसका पति उसकी हालत पर बिल्कुल भी गोर किए बिना ही अपनी प्यास बुझाने को आतुर है….. कमरे में सुगंधा संपूर्ण नग्ना अवस्था में खड़ी थी उसके बदन पर कपड़े का रेशा भी नहीं था…
और उसका पति सुगंधाको नंगी अवस्था में एकदम प्यासी नजरों से खुल रहा था या देखकर सुगंधा क्रोधित हो गई और गुस्से में बोली…..

आप इंसान है या जानवर आपको बिल्कुल भी शर्म नहीं आती… मेरा सारा बदन दर्द से टूट रहा है और आपको मेरी बिल्कुल भी चिंता नहीं है बस आप मेरे बदन से आनंद लूटना चाहते हैं चाहे मैं जैसे भी हाल में हूं बस तुम्हें मुझ में एक प्यास बुझाने वाली कठपुतली नजर आती है जिसके साथ खेला खाया और हो गया मुझे आपसे यह बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी मुझे लगा था कि आप मेरी मदद करेंगे मुझे इस दर्द से राहत दिलाएंगे..लेकिन आप तो मेरे बदन के साथ साथ मेरे दिल पर भी घाव कर रहे हैं..
( सुगंधा का पति आश्चर्य से सुगंधा की तरफ देखे जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि सुगंधा उसके बारे में यह क्या सोच रही है वह तो जब की उसकी मदद करना चाह रहा था वह सुगंधा के नंगे बदन ऊपर से नीचे तक आश्चर्य से देखते जा रहा था और वह समझ गया कि उसकी हरकत की वजह से सुगंधा को बुरा लगा है इसलिए वह सुगंधा की गलतफहमी को दूर करते हुए बोला….)

यह क्या कह रही हो सुगंधा मेरी जान… मैं तो तुम्हारी मदद करना चाह रहा हूं….

इस तरह से करोगे मेरी मदद मेरे कपड़े उतार कर मुझे नंगी कर कर मेरे ऊपर चढ़कर मेरी मदद करोगे अगर इस तरह से मदद करना चाह रहे हो तो मुझे तुम्हारे मदद की आवश्यकता नहीं है….

कैसी बातें कर रही हो सुगंधा तू मेरे बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकती हो कि मेरी पत्नी दर्द से कराह रही हो और मैं उसके बदन के साथ खेलने की सोचूंगा….. मैं तो तुम्हारे बदन की मालिश करने जा रहा हूं….( इतना कहते हुए वह अलमारी की तरफ घुमा और अलमारी की तरफ कदम बढ़ाते हुए) हां शायद मेरा तरीका तुम्हें गलत लगा होगा इसलिए तुम इस तरह से कह रही हो …( इतना कहते हो गए वह अलमारी के करीब पहुंच गया और अलमारी खोलकर उसमें से सरसों के तेल की शीशी निकालकर वापस सुगंधा की तरफ कदम बढ़ा दिया अपने पति की बातें सुनकर और उसके हाथ में सरसों के तेल की शीशी देखकर सुगंधा को अपनी गलती का एहसास होने लगा वह एकदम से शर्मिंदा हो गई अब उसके पास बोलने लायक कुछ भी नहीं बचा था सुगंधा का पति सुगंधा के करीब आया और उसे बिस्तर पर लेट जाने के लिए कहा सुगंधा बिना कोई जवाब दिए बिना अपने पति की बातें सुनकर शर्मिंदगी का एहसास लिए हुए उसकी बात मानते हुए बिस्तर पर पेट के बल लेट गई…… अपनी गलती का उसे इस हद तक पछतावा था कि वह इस समय इस बात को बिल्कुल भी भूल गई कि वह इस समय संपूर्ण रूप से नंगी है … बिस्तर पर संपूर्ण रूप से नंगे पन का एहसास उसे तब हुआ जब उसने अपने पति के दोनों मजबूत हथेलियों का स्पर्श अपनी नंगी गाड़ पर महसूस कि…. अपने पति के मजबूत हाथों के गरम स्पर्श को अपने नंगे बदन पर महसूस करके वह पूरी तरह से रोमांचित हो गई…. सुगंधा के पति ने अपनी हथेलियों का ऐसा जादू चलाया कि कुछ ही देर में सुगंधा पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव करने लगी…. उसके बदन से दर्द गायब हो गया और एक नए मीठे दर्द ने उसकी जगह ले ली जिसके असर में उसकी बुर से नमकीन पानी झरने लगा संभोग सुख के उन्माद से वाकिफ सुगंधा कुछ ही देर में गरम सिसकारी छोड़ने लगी और अपनी पत्नी की इस हालत को देखकर उसका पति पल भर में ही उत्तेजना का अनुभव करने लगा… बजाने के अंदर उसका लंड तन कर खड़ा हो गया अपनी बीवी की गोरी गोरी उन्नत ऊभारो वाली गांड को देख कर वह पूरी तरह से चुदवासा हो ..गया…. अगले ही पल उसने अपने पजैमे को उतार कर नंगा हो गया और अपने हाथों से उसी स्थिति में सुगंधा की मोटी मोटी चिकनी जांघों को अपने हाथों से फैला कर अपने लिए जगह बना लिया….
और देखते ही देखते सुगंधा का पति सुगंधा की बुर में अपना समूचा लंड उतार दिया कुछ ही देर में पूर

रोहन की आंखों ने आज बेहद अद्भुत और बहुत ही खूबसूरत नजारे का दर्शन किया था… कभी उसने यह सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे इस तरह के नजारे देखने का कभी मौका मिलेगा वास्तव में एक मर्द के लिए यह किसी अद्भुत नजारे से कम नहीं होता जब वह अपनी खुली आंखों से एक खूबसूरत औरत को अपने कपड़े उतारते हुए और अपने कपड़े उतार कर एकदम नंगी होता हुआ देखता है …. रुपया पैसा धन दौलत यह सब होने के बावजूद भी इंसान अधूरा रहता है जब तक उसे औरत सुख नहीं मिलता और ऐसे में मर्द की इच्छा यही होती है कि वह अपनी आंखों के सामने किसी औरत को अपने कपड़े उतारते हुए देखें और वह औरत अगर किसी अप्सरा जैसी खूबसूरत हो तो ऐसे में वह अपने आप को धन्य समझता है और ऐसा ही कुछ रोहन भी अपने आप को खुशकिस्मत समझ रहा था क्योंकि जिस औरत के बारे में सोच कर वह मस्त हो जाया करता था और यही सोचा करता था कि बिना कपड़ों की उसकी मां कैसी लगती होगी कैसी दिखती होगी उसके अंग कैसे होंगे और वही नजारा वह वास्तविकता में अपनी नंगी आंखों से देख चुका था यह पल उसके लिए बेहद खास और अतुल्य था…..
लेकिन एक कसक अभी भी उसके मन में रह गई थी जिसके लिए वह अपने आप को बदनसीब समझता था क्योंकि उसने अपनी मां को पूरी तरह से एकदम नग्न अवस्था में देख चुका था अपनी मां के गोल गोल पके हुए नारंगीयो के जैसे चुचियों को देख कर… अपने बदन मे हुई हलचल को अच्छी तरह से महसूस कर रहा था…. जहां पर वह अपनी मां की गोल गोल नंगी चूचियों को देखकर मस्त हुए जा रहा था वहीं अपनी मां की मदमस्त उन्नत भराव दार गांड को देख कर उत्तेजना का अनुभव कर रहा था एक पल के लिए तो अपनी मां की मस्त गोरी गोरी गांड को देखकर एकदम से चुद वासा हो चुका था अपनी मां की गोरी गांड को देखकर एक पल के लिए तो उसे लगा कि वह कमरे में घुस जाए और पीछे से अपनी मां को पकड़कर उस की रसीली बुर में अपना लंड पेल दे…..
अपनी मां के नंगे बदन और चूचियों और नितंबों को देख कर जहां रोहन पूरी तरह से बदहवास और अत्यधिक कामोत्तेजना का अनुभव कर रहा था वहीं दूसरी तरफ इस बात का अफसोस उसे अंदर ही अंदर तड़पाय जा रहा था कि उसने अपनी मां की टांगों के पीछे छिपी उसकी बेहद खूबसूरत खजाने सामान बुर को नहीं देख पाया था हालांकि उसने जिंदगी में पहली बार ही बेला की कमसिन बुर को देखकर मस्त होने का अनुभव ले चुका था लेकिन वह तुलनात्मक तरीके से अपनी मां की बुर देखना चाहता था वह देखना चाहता था की बेला बेला की बुर और उसकी मां की बुर में क्या अंतर है लेकिन वह यह बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि बेला की बुर को जब देख कर उसे इतनी उत्तेजना का अनुभव हुआ था तो उसकी मां तो बेला से कई गुना ज्यादा अत्यधिक खूबसूरत और एकदम गोरी चिट्टी थी तो जाहिर सी बात थी की उसकी मां की बुर बेहद खूबसूरत होगी और वह यही देखना भी चाहता था लेकिन उसकी मां एक औरत के सामने भी अपने अंग दिखाने में जिस तरह से शर्मा रही थी और शर्म की वजह से ही वह आगे मालिश कराने से इंकार कर दी और रोहन को ऐसा लगा की एक बेहद खूबसूरत अतुल्य नजारे पर पर्दा सा पड़ गया लेकिन फिर भी रोहन ने जो कुछ भी देखा जितना भी देखा उसके लिए उम्र के मुताबिक बहुत था…. क्योंकि ऊस नजारे के बारें मे सोच कर अभी भी उसके लंड का तनाव बिल्कुल भी कम नहीं हुआ था वह ज्यों का त्यों अकड़ कर पजामे में खड़ा था…….

दूसरी तरफ देना अपनी मालकिन की खूबसूरती और उसकी सुंदरता देखकर मंत्रमुग्ध सी हो गई थी अभी तक कपड़ों में देख कर जिस तरह का आकर्षण था उससे कहीं ज्यादा आकर्षण सुगंधा को नग्न अवस्था में देखकर बेला के मन में सुगंधा के प्रति हो गया था वह तो कुछ समझ ही नहीं पा रही थी कि क्या करें क्योंकि उसके मन मस्तिष्क में केवल सुगंधा और सुगंधा का खूबसूरत बदन ही समाया हुआ था वह सुगंधा के बदन बारे कभी सुगंधा के बदन के बारे में सोचती तो कभी अपने बदन के ऊपर से नीचे की तरफ देखती…. वह इस बात से बेहद आश्चर्यचकित थी कि उम्र के इस पड़ाव में भी सुगंधा की खूबसूरती किसी न व युवती के बराबर थी…..

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1 Comment

  1. Gandu Ashok

    भेनचोद कितनी बार झड़ गया कहानी पढ़ते पढ़ते

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