Hindi Sex Story – कीमत वसूल

मैंने कहा- “आप मुझे थोड़ा सोचने का टाइम दीजिए। मैं देखता है की मैं आपकी क्या हेल्प कर सकता है?” फिर मैंने कहा- “आप ये बताइए की आपको अगर मैं कहीं से इंतजाम करवा भी दूं तो आप वो पैसा कब तक लौटा सकते हैं?”

वो बोली- “ऋतु के पापा की तो कोई ज्यादा इनकम नहीं है। अत को जो आप सेलरी देते हैं, उससे ही घर चलता है। ऋतु की एक छोटी बहन और है जोकि अभी बी.ए. में हैं…

मैंने ये सुनकर कहा- “आप खुद सोचिए की आप किस तरह से इन हालात में पैसा लौटा पाएंगी?”

ऋतु की मम्मी ने मेरे आगे हाथ जोड़ दिए और कहा- “अब आप ही हमारी मदद कर सकते हैं, वरना हम कहीं के नहीं रहेंगे…”

मैंने कहा- “आप मुझे शर्मिदा नहीं करिए। लेकिन मैं आपकी मदद कैसे करण? ये सोचने की बात है। आप अभी घर जाइए मैं आपको कल तक बता दूँगा.. और ये कहकर मैंने अपनी बात खतम कर दी।

ऋतु की मम्मी चली गई। मैं अपनी चेंगर पर झला झलने लगा। थोड़ी देर में ऋतु मेरे कैबिन में आई।

मैंने उसको बोला- “तुम जानती हो तुम्हारी मम्मी यहां क्यों आई थी?”

ऋतु से कोई जवाब नहीं दिया गया। वो बोली “सर, प्लीज हमारी हेल्प कर दीजिए। नहीं तो हम सबकी लाइफ बर्बाद हो जायेगी और मेरे पापा को हार्ट की प्रोबलम है। उनका कुछ हो गया तो हम सबका क्या होगा?”

मैंने ऋतु को कहा- “मुझे अभी सोचने दो की मैं क्या कर सकता हूँ? और तुम जाने से पहले मुझे मिलकर जाना…”

जानें से करीब 30 मिनट पहले ऋतु मरे केबिन में आईं।

मैंने उसको बड़े प्यार से कहा- “देखो ऋतु, मैं अभी तुमको कोई वादा नहीं कर सकता। पर तुम मुझे ये बताओ की इतना बड़ा अमाउंट वापिस कैसे करोगे तुम लोग? ऋतु मैं जानता हैं की तुम्हारी सेलरी से ही तुम्हारा घर चलता है। उससे अगर कटवावगी तो ये भी सोचकर देखो की घर का खर्चा कैसे चलेगा?”

ऋतु ये सुनकर रूबांसी सी हो गई और मेरे से चिपक कर रोने लगी। कुछ बोली नहीं।

मैंने उसको कहा- “रोना बंद करो। मैं कुछ ना कुछ करता है। पहले तुम जरा मुझं रिलॅक्स तो कर दो..”
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ऋतु समझ गई मैं क्या चाहता है। उसने मेरी जीन्स की जिप खोली और मेरा लण्ड बाहर निकालकर चूसने लगी। मुझे आज चुप्पे में मजा नहीं आ रहा था। वो लण्ड चूस जर रही है, पर मजा नहीं आ रहा था।

मैंने उसको कहा- “तुम दिल से नहीं चूस रही हो..”

उसने कहा- “ऐसा तो नहीं है सर.”

फिर मैंने उसको कहा- “मुझे मजा नहीं आया तो में फ्री दिमाग कैसे हो पाऊँगा?”

सुनकर वो एकदम से मेरे लौड़े का पूरा मुँह में लेकर जोर-जार से चूसने लगी। अब मुझे मजा आने लगा। मैं उसकी चूची पर हाथ फेरता रहा। फिर मैंने उसके मुह में ही अपना सारा माल झाड़ दिया। वो सारा माल पी गईं।

अब मैंने उसको अपनी गोद में बैठा लिया और उसके गाल चूमने लगा। फिर मैंने उसकी कुरती में हाथ डाल दिया, तो वो कुछ नहीं बोली। फिर मैंने हल्के-हल्के उसकी सलवार के ऊपर से उसकी चूत को सहलाया। आज पता नहीं क्यों उसने कोई ना-नकुर नहीं की। मैं थोड़ी देर उसके जिश्म से खेलता रहा।

फिर मैंने उसको कहा- “अब घर जाओ, देर हो जाएगी..”

उसने कहा- “सर प्लीज… आप हमको इस परेशानी से बचा लीजिए। आप जो कहोगे में करोगी। आपकी हर बात माऊँगी। आपको कोई भी शिकायत नहीं मिलेंगी…”

मैं जानता था की अब उसके पास और कोई रास्ता नहीं है। वो जानती है की मैं हेल्प की कीमत उसकी कुंवारी चूत को फाड़कर वसूल करगा। मैंने कहा- “चिंता मत करो। मैं हैं ना…”

वो चली गई। ऋतु के जाने के बाद मैं कुछ देर सोचता रहा। अब मेरे दिमाग में कुछ और ही नया प्लान चलने लगा था। मैं अब ये तो जान ही चुका था की ऋतु मेरे आगे पूरी तरह से समर्पण कर चुकी है। जब मर्जी उसको चोद सकता है। पर अब मैं उसको ऐसे नहीं चोदना चाहता था।

मैंने तिवारी को फोन लगाया। तिवारी वो बंदा था जिसने ऋतु की मम्मी को लोन दिया था। मैंने उसको कहा की मुझे आज रात को विक्टर बार में मिलो। वो बार मेरे दोस्त का ही है जिसमें मैं कभी-कभी चला जाता हैं। मैं ठीक 9:00 बजे बार में पहुँचा, तो तिवारी वहां पहले से बैठा था। मुझे देखकर तिवारी ने कहा- “आज अचानक से मुझे कैसे याद करा आपने?”

मैंने तिवारी से कहा- “पहले एक-एक पेंग पीते हैं। फिर बात करते हैं…”

तिवारी ने मेरे पेग में आइस डालते हुए कहा- “सरजी, आप मुझे जल्दी से बताओं की क्या बात है। जब में
आपका फोन आया है मैं सोच में पड़ा है.”

मैंने मुश्कुराते हुए कहा “तिवारी तुमने किसी रमेश नाम के आदमी को कोई लोन दिया है?”

सुनते ही तिवारी बोला- “हाँ सरजी दिया है। पर आप में क्यों पूछ रहे हो?”

मैंने तिवारी से कहा- “तुमको इंटरस्ट मिल रहा है या नहीं?

तिवारी ने गली देते हुए कहा- “उसकी तो मैं अब माँ चोदकर ही पैसा वसूल करेंगा..”

मैंने कहा- “शांत बैठकर बात करो, गुस्सा मत दिखाओ। मैं तेरा फैसला करवा सकता है.”

सुनकर तिवारी उल्लू की तरह मुझे देखने लगा।

मैंने मुश्कुराकर कहा- “पहले मुझे सब बात सच-सच बता। तूने उसको पैसा क्या देखकर दिया था?”


तिवारी बोला “सर, मैं उस छिनाल की बातों में आ गया था…”

मैं समझा गया की वो ऋतु की माँ की बात कर रहा है। मैंने उससे अंजान बनते हए कहा- “कॉन छिनाल?”

तिवारी बोला. “उसकी रमेश की बीबी। शोभा साली अपनी चूचियां दिखाकर मेरे से पैसा ले गई और कहा की हर
महीने टाइम पर इंटरेस्ट देती रहेगी…”

मैंने भी सोचा- “इसकी दो जवान लड़कियां हैं, साली मुझसे क्या धोखा करेंगी? मैं उसकी लड़कियों को चोदकर पैमा ले लँगा..”

मेरी समझ में अब पूरा माजरा आ गया था। मैंने तिवारी को अपनी जेब से एक लाख का पैकेट निकालकर दिया
और कहा- “मैं अब जैसा बोलता है वैसा ही करता जा.”

1 Comment

  1. Minu

    Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…

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