अनु ने मेरे पास आकर मेरे सीने पर अपना सिर रख दिया। मैं समझ गया उसके दिल की बात। मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया और शावर चला दिया। अनु मेरे सीने के बालों से खेल रही थी।
मैंने उसके चेहरे को अपने हाथ से ऊपर उठाया और कहा- “अन् क्या बात है? इतनी चुप क्यों हो? क्या सोच रही हो?”
अनु ने कहा- “कुछ नहीं…”
हम दोनों शावर का मजा ले रहे थे। मैं अनु के जिस्म को अपने हाथ से रगड़कर साफ कर रहा था जो अन् को
अच्छा लग रहा था।
मैने अन् से कहा- “जरा मेरे लण्ड को पकड़कर मुझे सूस करवा दो…”
अनु के होठों पर मुश्कुन आ गई। मैंने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया।
मैंने अनु से कहा- “तुम मेरे पीछे से आकर अपने दोनों हाथों से मेरे लण्ड को पकड़ लो..”
अनु ने वैसा ही किया। अब अनु की दोनों चूचियां मेरी कमर से चिपकी हुई थी, और मेरा लौड़ा अनु के हाथ में था। अन् के हाथ में आते ही लण्ड ने सलामी दी। मैं सूसू करने लगा। अनु के मुलायम हाथ से पकड़वाकर लण्ड को सूम करने में मजा आ रहा था। पर वो मेरा सम था कोई नियाया फाल तो था नहीं, रुक गया।
मैने अनु से कहा- “अब इसको जरा सा हिलाकर छोड़ दो…”
अन् ने ऐसे ही छोड़ दिया, और बोली- “बाकी काम खुद कर लो…”
मैं हँसने लगा। मैंने अपने लण्ड को हिलाकर काम पूरा किया फिर मैंने अपना चेहरा अन् के चहरा की तरफ कर लिया। अन् ने फिर से मेरे लण्ड को पकड़ लिया और उसको आगे-पीछे करने लगी। मैंने शावर को बंद किया
और लिक्विड सोप अपनी हथेली पर लिया और अनु की बाड़ी पर सोप लगा दिया उसकी चूचियों पर मैं जब सोप लगा रहा था, तब मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। ऐसे लग रहा था जैसे मैं उसकी चूचियों की मालिश कर रहा हैं। फिर मैंने उसकी कमर पर सोप लगाया। अन् को मेरे हाथ से अपने जिश्म पर साप लगवाने में मजा आ रहा
था। मैंने उसकी कमर से नीचे आते हए उसकी गाण्ड पर अपना हाथ रगड़ना शुरू कर दिया, और फिर जब मैं अपने हाथ को आगे लाया और उसकी चूत पर सोप लगाया तो अन् अपनी दोनों जांघों को भींचने लगी।
मैंने कहा- “मैडम, मझें मेरा काम करने दो…”
अनु मेरे साथ चिपट गई मैंने अनु की चूत पर सोप लगा दिया। अब मैंने शावर को फिर से चला दिया और उसके जिस्म पर लगे सोप को शवर की तेज धार धोने लगी। मैं भी अपने हाथ से उसकी बाडी को रगड़ने लगा। धीरे-धीरे सोप उसकी बाड़ी से हट गया।
अब मैंने अनु को कहा- “तुम जाओ, मैं भी नहाकर आता है.”
अनु बोली- “मैं भी आपकी बाड़ी पर सोप लगाऊँगी.”
मैंने हँसते हुए कहा- “अच्छा लगा दो..”अनु ने अपने हाथ में सोप डाला और मेरे सीने पर लगाना शुरू कर दिया। फिर मेरी टांगों पर लगाने लगी। अन् नीचे बैठ गई और मेरे लण्ड पर सोप लगाने लगी। मुझे अच्छा लग रहा था अनु ने उठकर जब मेरी कमर पर सोप लगाया तो मेरे मुँह में हल्की सी आह्ह… निकली। अनु ने मुझे देखा की क्या हुआ?
मैंने उसको कहा- “वहां मत लगाओ…”
अनु ने कहा- वहा क्या हुआ है?
मैंने कहा- “तुम खुद ही देख लो… और उसकी तरफ अपनी कमर कर दी।
देखते ही अनु के मुँह से निकला- “हाय रीई… ये क्या हुआ?”
मैंने अनु को कहा- “ये सब तुम्हारा किया हुआ है..”
–
अनु बोली- मैंने कब किया?
मैंने कहा- जब तुम होश में नहीं थी तब्ब।
सुनकर अनु ने अपने मुह को झुका लिया और बोली. “सारी मैंने जानकर नहीं किया…”
मैंने उसको कहा- “कोई बात नहीं, ये तो प्यार की हद है..” फिर हम दोनों शवर के नौचं खड़े रहे।
अनु ने मेरे लण्ड को सहलाते हुए कहा- “ये तो फिर से खड़ा हो गया..”
में अनु के मन की बात समझ गया मैंने अनु से कहा- “अगर तुम्हारा मन कर रहा है तो इसको चूस लो। अब ये तुम्हारा ही तो है जो मन में आए वो करो…”
अनु के चेहरा पर चमक आ गई। अनु घुटनों के बल नीचे बैठ गई और मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। अनु के लिए लण्ड चूसना एक नया अनुभव था। इसलिए उसके मन में केज था। मैं अनु के मुँह में अपना लण्ड डालकर खड़ा रहा।
फिर मैंने अनु से कहा- “इसको ऐसे ही डालकर नहीं रखते, अपनी जीभ से चाटो..”
अनु ने अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया। अनु अभी लण्ड चूसने में अनाड़ी थी। पर वो जो भी कर रही थी दिल से। मैंने उसको कुछ नहीं कहा। जैसा वो करती रही, मैंने करने दिया।
जब मेरा लण्ड फुल फार्म में आ गया, तो मैंने अनु से कहा- “अब तुम उठकर खड़ी हो जाओ…’ कहकर मैंने अनु को खड़ा करके उसकी चूची को सहलाया। मैंने उसके निपल को हाथ से दबाया तो उसमें से दूध की धार निकली, तो मैं समझ गया माल तैयार है।
मैंने कहा- “मुझे नहाकर भूख लगने लगी है, आओ तुम्हारा स्टाक कुछ कम कर दूं..”
अन् मझे घरकर देखने लगी। मैंने उसका निपल मुँह में ले लिया और चूसने लगा। अन् का दूध फिर से मेरे मुँह में आने लगा। सच में अनु दुधारू औरत थी।
मैंने अनु से कहा- “फेश स्टाक आ गया..”
इसपर अनु ने मुझे जोर की चुटकी काटी। मैं हँसने लगा। अनु ने अपना निपल मेरे मुँह से खींच लिया और बोली- “अब मैं भी आपको तड़पाऊँगी…”
मैंने कहा- “जान प्लीज… पीने दो ना, बड़ी भूख लगी है..”
अनु ने मुझे चिढ़ाते हुए कहा- “अब मुझे परेशान करोगे?’
मैंने कान पकड़ते हुए कहा- “अब नहीं करूंगा…”
अन् ने अपना निप्पल फिर से मेरे मुँह में डाल दिया। फिर अनु ने प्यार से मेरे सिर में अपना हाथ फेरते हए कहा- “पी ला जितना मन करें…” अन् ने अपना निप्पल फिर से मेरे मुँह में डाल दिया। फिर अनु ने प्यार से मेरे सिर में अपना हाथ फेरते हए कहा- “पी ला जितना मन करें…”
मैंने उसकी चूचियों से जी भर के दूध पिया फिर मैंने अन् की दोनों चूचियों के बीच में अपनी जीभ रखकर चाटना शुरू कर दिया अब मैं धीरे-धीरे अनु के पेट पर अपनी जीभ ले आया। अब मेरी जीभ अनु की नाभि के आस-पास घूम रही थी। अन् को इसमें बड़ी गुदगुदी हो रही थी। मैं उसकी जांघों को अपनी जीभ से काटने लगा और मेरे हाथ उसकी गोल-गोल गाण्ड को मसल रहे थे। अनु भी आहे भर रही थी।
मैंने अन् से कहा- “चलो रूम में चलकर चुदाई करता हैं….
अन् चल पड़ी। मैं उसके पीछे पीछे था। अन् जब चल रही थी तब उसकी गाण्ड का उठ जा गिरना देख कर मन कर रहा था की देखता ही रहूँ। अनु ने पलटकर देखा।
तब मैंने कहा- “तुम्हारी चाल कितनी सेक्सी है? जो भी देखें देखता ही रहे…
अनु ने कहा- “आप तो पता नहीं क्या-क्या देखते रहते हो?”
मैंने कहा- “मुझे तुम्हारी गाण्ड पर काटना है..”
अनु ने कहा- नहीं गंदी बात।
मैंने कहा- प्लीज बस एक बार।
अनु ने कहा- अच्छा हल्के से काटना।
मैंने कहा- “ओके..” और मैंने अनु के चूतड़ पर अपने दाँत गड़ा दिए।
अनु बोली- “आअहह… दर्द हो रहा है…”
पर मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे उसकी गाण्ड ना हो कोई तरबूज हो। मैंने उसके दोनों चूतड़ों पर 8-10 बार काट लिए। अनु उईईआईईई करती रही, पर मैं रुका नहीं। अन् के गोरे-गोरे चूतड़ लाल हो गये थे। मैंने अन् के होंठों को किस किया और कहा- “मजा आ गया…”
अनु ने गुस्से में कहा- तुम पागल हो।
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मैंने कहा- ऐसी गाण्ड देखकर हो गया।
अनु मुश्कुरा उठी, और बोली- “आपको मुझमें सबसे अच्छा क्या लगता है?”
मैंने कहा- तुम पूरी की पूरी अच्छी लगती हो। मन करता है खा जाऊँ।
अनु हसने लगी फिर उसकी आँखों में नमी आ गई।
मैंने कहा- क्या हुआ?
उसने कहा- कुछ नहीं।
पर मुझे लग रहा था कुछ तो है उसके मन में। मैंने बात घुमा दी। मैंने कहा”मेरे काटने से दर्द हो गई इसलिए रोने लगी। मैंने तो प्यार से किया था..”
अन् बोली- “आपके प्यार में मेरी जान भी जाए तो भी कम है…”
मैने अनु के मुँह पर अपना हाथ रखते हए कहा- “ऐसा नहीं कहते। तुम तो मेरी जान हो…” फिर मैंने अनु से कहा- “ऋतु को तो देखो जरा, वो बेड पर कैसे सोई है?”
ऋतु बैड पर उल्टी सोई हुई थी। मैंने ऋतु की गाण्ड पर हाथ फेरा, पर वो नहीं उठी। मैंने अनु से कहा- “ये तो पक्की नींद में है, तुमको नींद तो नहीं आ रही?”
अनु ने कहा- नहीं, मुझे नींद नहीं आ रही है।
मैंने अनु से कहा- “आ जाओं बेड पर लेट जाओ…” और मैं भी उसके साथ लेट गया। हम दोनों बड़ी देर तक एक दूसरे को चूमते रहे, और एक दूसरे के जिम को सहलाते रहे। मैंने अन् से कहा- “तुम घोड़ी बनकर दिखाओ…”
अनु ने कहा- “बनकर दिखाओ मतलब?”
मैंने कहा- बनो तो।
अन् घोड़ी बन गई। मैंने उसकी टांगों को फैला दिया।
एक खामोश अफसाना जो तुम्हारी नजरों ने सुनाया है मुझे, काश, वह तुम अपने लबों से मेरे लबों पर लिखतें कभी, इससे तेरी जिन्दगी के कुछ पल मेरे हिस्से तो आ जाते।
मैंने जब अनु का पिछवाड़ा देखा तो मैं अन् के गोल-गोल चूतड़ों को ही देखता रहा। उसकी चूत तो मेरे को नजर ही नहीं आ रही थी। सच में उसके गोरे-गोरे गोल मटोल चूतड़ बड़े ही मस्त थे। मुझसे रहा नहीं गया मैंने अन् के चूतड़ों पर सबसे पहले किस किया और उसकी उभरी हुई चूत पर अपनी उंगली रख दी। मैंने अपनी उंगली को अनु की चूत में घुसा दिया। अनु को मजा आने लगा था वो अपनी गाण्ड को आगे-पीछे कर रही थी। फिर मैंने अपना मुँह अन् की चूत पर रख दिया। मुझे अनु की चूत इस टाइम संतरे की फांकों जैसे लग रही थी। मैंने उसकी फांकों को फैलाया तो उसकी चूत के अंदर तक का साफ नजर आने लगा। मैंने उसकी चूत में पानी जीभ डाल दी अनु का बड़ा मजा आया।
Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…