अन्- “ओहह… त कैसे करवाती है? मैंने तो सुना है उसमें गाण्ड फट जाती है, बड़ा दर्द होता है। मैंने तो कभी ट्राई किया ही नहीं, बस सुना है…”
ऋतु- “दीदी, मैंने भी सुना था और मैंने जब पहली बार उनसे गाण्ड मरवाई तो मुझे भी डर लग रहा था। पर वो सच में जो भी करते हैं, उसमें मजा आता है।
अनु- अच्छा ये बता वो गाण्ड मारने से पहले क्या करता है? कीम तो लगाता ही होगा?
ऋतु- “वो तो लगानी ही पड़ती है। पर जब वो अपनी उंगली से लगाते हैं तब बड़ा मजा आता है। गाण्ड में सुरसुरी हो जाती है…
अनु- हाय रे कितना अजीब लगता होगा गाण्ड में उंगली इलवाना? और उसको कुछ गंदा नहीं लगता उंगली करने में
ऋतु- नहीं वो बड़े ही प्यार से उंगली डाल-डाल के गाण्ड को बिल्कुल मुलायम कर देते हैं।
अनु- पर गाण्ड तो बो निरोध लगाकर ही मारत होगा?
ऋतु- नहीं दीदी, बो कभी निराध इस्तेमाल नहीं करते। आज तक कभी नहीं किया।
अनु- पर जब गाण्ड मारने में उसके लौड़े पे शिट लग जाती होगी तो उसको घिन नहीं आती क्या?
ऋतु. “दीदी आप भी ना पता नहीं क्या-क्या बोलती हो? अरे बाबा कहा ना वो इन सब बातों से नहीं घबराते। मैंने उनको कहा था एक बार तो वो बोलें- “मैं अपने नंगे लण्ड से ही चोदूँगा’ जब उनको अच्छा लगता है तो मैं क्यों मना करंग?”
अनु- चल यार, आज तेरे से सुना है मैंने की लोग बिना निराध के भी कर लेते हैं। पर एक बात बता बायफ्रेंड में जो गाण्ड मारते हैं, उनका लण्ड कभी नहीं गंदा होता। वो क्या करते होंगे?”
ऋत्- “मैंने भी इनसे पूछा था, तो उन्होंने बताया था की वो औरतें पहले एनीमा करवाती हैं। इसलिए उनकी गाण्ड साफ रहती है। पर उसमें आदमी को मजा नहीं आता। अगर गाण्ड का असली मजा लेना है तो ऐसे ही गाण्ड मारनी चाहिए, उसी में मजा आता है.”
अनु- बड़ा ही तजुर्बे वाला लगता है।
ऋतु- हाँ दीदी मुझे उन्होंने खुद ही बताया था की वो सैकड़ों चूत मार चुके हैं। अब इतनी चूत मारने वाले का तजुर्बा तो होगा ही।
अनु- हाँ ये भी है। पर अगर वो सच बोल रहा है तो वाकई जो भी उससे चुदी होंगी, सब उसको याद करती होंगी।
ऋतु. “जैसे मैं याद कर रही हूँ हेहेहेहे..”
अनु- “हेहेहेहे..
ऋतु- दीदी, मैं तो उनको अब किसी काम के लिए मना नहीं करती। मझे पता है ये जो भी नया करेंगे बा मस्त ही होगा।
अनु- काश हम भी मजा ले सकते ऐसे लण्ड से? हमें तो एक जैसा खाना खाने की सजा मिली है।
ऋतु- दीदी एक बात बताओ, अगर आपको मौका मिले तो आप क्या करोगी?
अनु- “अरे यार मुझे अगर ऐसा मोके मिला तो मैं उसके लण्ड को अपनी चूत में डालकर पूरा दिन निकालने ही नहीं दूंगी हेहेहेहे..”
ऋतु- “हेहेहेहे… दीदी अगर आपको सूम आ गया तो कैसे करोगी? हेहेहेहे..”
अनु- “उसके लण्ड पा कर दूँगी हेहेहेहे..”
फिर ऋतु की आवाज़ आती है- “दीदी आप कब से कर रही हो?”
अनु- हाईई इतनी मस्त बातें सुन-सुनकर रुका जाता है क्या?
ऋतु- आप भी बड़ी चंट हो, चुपचाप अपना काम कर लिया।
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अनु- अरे यार क्या काम कर लिया? इससे तो और आग लग रही देख जरा।एक मिनट के बाद।
ऋतु- हाय रे दीदी.. आपनें कितना पानी छोड़ा हुआ है?
अनु- ऋतु प्लीज… आज जरा मुझं वैसे ही मजा दें, जैसे संजय तुझे देता है। उसके जैसे चाटकर दिखा तो सही।
ऋतु- मुझे क्या पता वो कैसे करते हैं?
अनु- तू जब चटवाती है तो पता नहीं चलता होगा?
ऋतु- मुझे होश कहा होता है?
अन्- चल फिर भी जितना पता है उतना तो कर।
इसके बाद अनु की मस्त सिसकियां चलती रहती हैं।
अनु- हायइंडई… आह्ह… बस्स ऐसे ही कर आईई… जुल्मी उईईई… आआआ..”
मैंने स्टाप कर दिया। मैंने जितना सोचा था उससे कहीं ज्यादा था उस रेकार्डिंग में मेरे लिए। मैं रेकॉडिंग सुनकर अपने लौड़े को कंट्रोल में नहीं रख पाया।
मैंने ऋतु को बुलाया और कहा- “अब्ब कोई काम नहीं करना, बस मेरे लण्ड को ठंडा कर दो.”
ऋतु ने कहा- “मुझे पहले ही पता था.”
मैंने कहा- “कैसे पता था?”
ऋतु बोली- “मैंने सुबह रेकार्डिंग चेक करने के लिए सुनी थी..”
मैंने ऋतु को अपनी ओर खींच लिया और कहा- “चलो जल्दी से अपनी सलवार खोलो। मुझे तम्हारी चत का रस पीना है.
ऋत् ने कहा- इतने जोश में आज आपको देखकर कुछ-कुछ हो रहा है।
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मैंने कहा- जल्दी करो, नहीं तो सलवार फाड़ दूँगा।
ऋतु में जल्दी से अपनी सलवार उतारी। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को अपने मुँह में दबा लिया। ऋतु की मस्ती में सिसकी निकल गई- उईई… इस्स्स्स … आहह..” मैंने उसकी चूत को अपने दांतों से कसकर दबा रखा था, जैसे कोई लेंग-पीस हो, और फिर मुझ ऋतु की चूत के पानी का टेस्ट मिलने लगा। उसकी चूत में पानी छोड़ दिया था। मैंने बिना रुके उसकी पैंटी उतार दी और उसको सोफे पर लिटा दिया। उसके मैंह पर अपना लण्ड रखते हुए उसकी चूत पर झुक गया।
जैसे ही मैंने उसकी चूत में अपना मुंह लगाया उसकी फिर से सिसकी जिकली. आहहह। मैंने उसकी चूत की फांकों में अपनी जीभ सा दी। ऋतु भी कहां होश में थी, उसने मेरा लौड़ा झट से अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। अब हम दोनों 69 पाज में थे। मैंने अपनी जीभ का और घुसा दिया। अब तो ऋतु को जैसे कुछ होने लगा हो। वो मेरे लण्ड को अपने मुह में ऐसे चूसने लगी जैसे बकरी का बच्चा बकरी का धन चूसता है।
च-बीच में उसकी चूत का दाना भी अपने हाथ से रगड़ देता था, जिससे उसका मजा दोगुना हो जाता था। फिर मैंने उसकी चूत के ऊपर अपनी जीभ ऐसे फिरानी शुरू की जैसे कोई बिल्ली मलाई चाट रही हो। मेरा पूरा चेहरा ऋतु के पानी से चिपचिपा हो गया था। ऋतु की सिसकियां मुझे अब और तंज सुनाई देने लगी।
ऋतु- “उहह … आह्ह… ओहह … हाईईई… आआआ..”
मैं समझ गया इसको अब पूरा मजा मिल गया है। मेरे लण्ड का भी कुछ यही हाल था। मैंने उसके मुँह में अपना लण्ड काफी अंदर तक घुसेड़ दिया। इस पोज में उसका मुँह मेरे लण्ड की सीध में था। मुझे अपना लण्ड उसके गले में जाता महसूस हो रहा था। पर ऋतु बिना किसी पर शनी के गले तक लण्ड ले रही थी, और जब मेरा झड़ा तो सीधा उसके गले में जाकर झड़ा। फिर में ऋतु के मुँह में ही डालकर पड़ा रहा। वा उसको चूमती चाटती रही।
जब उसने मेरे लण्ड को चाट चाटकर परा साफ कर लिया तो बोली- “अब तो उठ जाइए.”
मैंने कहा- अब बताओं चुसाई में मजा आया?
ऋतु ने मुझे चिढ़ते हुए कहा- “नहीं..”
मैंने कहा- “चलो फिर से चाट देता हैं.”
ऋतु बोली- “नहीं जी अब हिम्मत नहीं है मुझमें। आपको क्या पता मेरी टाँगें काँप रही हैं। मुझे अभी तक अपनी चूत फा आपकी जीभ महसूस रही है..”
मैंने हँसते हुए कहा- “तुमने अनु को कल जब चाटा तब उसका क्या हाल था?”
ऋतु बोली- “वो तो मस्ती में पता नहीं क्या-क्या बोल रही थी?”
मैंने कहा- “तुम अगर बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ?”
ऋतु ने कहा- “मैं आपकी किसी बात का बुरा नहीं मानेंगी, आप कहो…”
मैंने कहा- “मैं तुम्हारी बहन की चूत भी एक बार चाटकर देखना चाहता हैं…”
सुनते ही ऋतु बोली- “उधर वो आपकी बातें करती है, और इधर आप उनकी। लगता है आप दोनों को एक बार मिलवाना पड़ेगा…”
मैं इस बात को सुनते ही खुशी से ऋतु का अपनी बाहों में लेकर उसकी चची मसलते हए बोला- “सच तुम ऐसा कर सकती हो क्या?”
ऋतु बोली- “मैं क्यों कर? मुझे क्या आप दोनों से कुछ मिलना है, जो में ऐसा कर?”
मैंने कहा- “अभी तो तुमनें कहा था..”
ऋतु बोली- “वो तो मेरे मुँह से निकाल गया…”
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मैंने कहा- प्लीज एक बार मिलवा दो ना?
ऋतु ने कहा- “आपको मिलवा दिया तो आप उनके पीछे पड़ जाओगे। फिर मेरे लिए आपके पास टाइम ही नहीं होगा। ना बाबा ना… मैं नहीं करूंगी…” मैंने कहा- प्लीज एक बार मिलवा दो ना?
ऋतु ने कहा- “आपको मिलवा दिया तो आप उनके पीछे पड़ जाओगे। फिर मेरे लिए आपके पास टाइम ही नहीं होगा। ना बाबा ना… मैं नहीं करूंगी…”
मैंने उसको कहा- “वो तो यहां से 5-7 दिन में चली जायेगी। तुम तो मेरी लाइफ में हमेशा रहोगी। तुम मेरे लिए इतना भी नहीं करोगी?”
अतु ने कहा- “मुझे क्या मिलेगा? मैं क्यों करंग ये काम?”
मैंने उसको कहा. “तुम जो माँगोगी मैं तुमको दूंगा..”
सुनते ही ऋतु ने कहा- “ओके… मैं आपका काम कर दूंगी। पर मैं जो कहूँगी आपको करना पड़ेगा…”
मैंने कहा- “पक्का… तुम जो कहोगी मैं वो करूंगा.”
ऋतु ने कहा- “इसके लिए आपको मेरे घर आना होगा। मैं आपको कहीं बाहर चलने को कहूँगी। दीदी को मना कर साथ ले चलेंगे। इसी बहाने उनसे आपकी बात बन जाएगी.”
मैंने कहा- “ठीक है। मैं कब आऊँ?”
ऋतु ने कहा- आज ही आ जाइए।
मैंने कहा- मैं किस बहाने से आऊँगा?
ऋतु ने कहा- आप उनके बेबी को देखने के बहानें आ जाना।
मैंने कहा- अबें ही यार ये आइडिया सही है।
शाम को करीब 7:00 बजे ऋतु का फोन आया- “आपके काम की शुरुवात मैंने कर दी है। आप मेरे घर आ जाओ। मैं आपकी दीदी से मीटिंग करवाती हैं…”
मैंने कहा- “मैं आता है.” कहकर में जल्दी से तैयार हआ और ऋतु के घर पहुँच गया।
वहां जाते ही ऋतु की स्माइल से मैं समझ गया की उसने कोई चाल चलकर काम बना दिया है। मैं जैसे ही रूम में एंटर हुआ, साफ पर अन् बैठी थी। उसकी गोद में उसका बेबी था।
आनु मुझे देखते ही बोली- “आइए सर, नमस्ते..”
मैंने भी उसको स्माइल देते हुए कहा- “नमस्ते..”
शोभा बोली- “आइए सर बैंठिए…”
मैंने कहा- “मुझं ऋतु ने बताया की आप आई हुई हैं, तो मैंने सोचा मैं आपके बेबी को देख आऊँ..”
इतने में शोभा में अनु की गोद में बैबी को ले लिया और मेरे पास ले आई। मैंने उसको अपनी गोद में लिया
और देखकर कहा- “बड़ा प्यारा बेबी है.” और मैंने अपनी जेब से ₹1000 का नोट निकाला और उसको दे दिया। मैंने इसको पहली बार उठाया है शगुन तो बनता है।
अनु और शोभा दोनों एक दूसरे को देखने लगी। अन् बोल पड़ी. “सर ये क्या? इतने सारे मत दीजिए…”
–
मैंने मुश्कुरा के कहा- “मैंने बेबी को दिया है। आप कुछ ना बोलिए.”
अनु बोली- “पर सर……..”
मैंने उसको रोकते हुए कहा- “प्लीज आप कुछ नहीं कहेंगी…”
इतने में ऋतु बोली- “दीदी कोई बात नहीं रख लीजिए। बार-बार कहने से उनको बुरा लगेगा..”
अनु चुप हो गई। फिर मैंने देखा अनु मुझे अलग ही नजरों से देख रही है। फिर दुनियादारी की बातें होती रही।
मैंने कहा- “अच्छा अनु जी आपसे मिलकर बड़ा अच्छा लगा। आप तो अभी यहां है किसी दिन ऋतु के साथ मेरे घर आइए डिनर पर, मुझे बड़ी खुशी होगी… फिर मैंने कहा- “अच्छा मैं चलता है.”
Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…