मेरे अंदर की आग भड़क चुकी थी। जिसकी वजह से मुझे शोभा भी अपने लण्ड की खराक नजर आ रही थी। मैंने शाभा के पास जाकर उसकी चूचियों पर हाथ रख दिया। शोभा को शायद इस बात की उम्मीद नहीं थी।
शोभा ठिठक कर पीछे हट गई और बोली- “आप ये क्या कर रहे हो?”
मैंने उसकी चूचयों को कसकर मसलते हुए कहा- “आज तू मेरी प्यास बुझा दे… और मैंने शाभा को अपनी बाहाँ में भर लिया।
शोभा ने खुद को छुड़ाते हुए कहा- “नहीं नहीं ये गलत है… मैं आपको ऐसा नहीं करने दूंगी..”
मैंने उसको अपनी बाहों में फिर से जकड़ते हुए कहा- “शोभा में इस बढ़त तुम्हारी कोई बात नहीं सुनँगा। मेरे लण्ड को इस वक़्त चूत की भूख है। तुम मेरी भावनाओं को समझा और मेरी भूख को शांत कर दो…”
शोभा बोली- “प्लीज… आप मुझे इस काम के लिए मजबूर मत करिए। मैं कैसे भी करके कल तक ऋतु को बुलवा लँगी…”
मैंने कहा- “मैं कल तक रुक नहीं सकता…”
शोभा सोच में पड़ गई फिर बोली- “मैं शायद आपकी बात मान भी जाती, पर मैं मजबूर हैं…”
मैंने उसको घूरते हुए कहा- “क्या मजबूरी है?”
शोभा बोली- “मेरा आज तीसरा दिन है। मेरा मासिक चल रहा है। अगर आप मुझे चोदना ही चाहते हैं तो आप कल मेरे साथ जो मर्जी कर लेना..”
मुझे उसकी बात का यकीन नहीं हो रहा था। मैंने उसकी चूत पर हाथ लगाकर देखा तो मेरे हाथ को एहसास हआ की उसकी चत पैड से टकी हैं। मैं समझ गया की वो सच बोल रही है। मैंने उसको कहा- “चलो मैं तुमको कल चोदूँगा। पर अभी मेरी प्यास कैसे बुझेगी?”
शोभा बोली- “मैं आपका लण्ड चूसकर आपको शांत कर देती हैं..”
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मैंने मन ही मन सोचा- “चलो खाना नहीं मिला, नाश्ता ही सही…”
में पलंग पर लेट गया और अपनी दोनों टांगों के बीच में शाभा को बैठने को कहा। शोभा मेरी दोनों टांगों के बीच में बैठ गई। उसने मेरे लौड़े को अपने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया।
मैंने शोभा को कहा- “तुम अपनी मॅक्सी उत्तार दो, मुझे तुम्हारी बड़ी-बड़ी चूचियां देखनी हैं.”
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शोभा ने अपनी मैक्सी उतार दी। अब वो मेरे सामने सिर्फ पैंटी में थी। उसने मेरे लण्ड को अपने मैंड में भर लिया और चूसना शुरू कार दिया। शोभा खेली खाई औरत थी। उसको सब पता था की कैसे एक मर्द को खुश किया जाता है। उसने बड़े ही मस्त तरीके से मेरे लौड़े की चुसाई करनी शुरू कर दी। फिर थोड़ी देर बाद उसने मेरे लण्ड को अपनी बड़ी-बड़ी चूचियों में रखकर दबा लिया, और अपनी चूचियों से मेरे लण्ड की मालिश करने लगी।
मैंने ऋतु के साथ ऐसा कभी नहीं किया था। मुझे मजा आने लगा। कुछ देर बाद मुझे लगने लगा की मैं अब झड़ने वाला हूँ। मैंने शोभा से कहा- “अब रुका नहीं जा रहा है…”
शोभा ने ये सुनकर मेरा लौड़ा अपने मह में फिर से भर लिया, और अपना होंठों में कसकर दबा लिया। मैंने एक जोर का झटका उसके मुँह लगाते हुए उसके मुँह को अपने माल से भर दिया। शोभा ने मेरे माल को पूँट भरते हए सारा माल अपने गले से नीचे उतार लिया।
मैं अब बिल्कुल शांत हो गया था। मैंने शोभा से कहा- “तुमने मुझे खुश कर दिया..”
शोभा ने ये सुनकर बड़ी जालिम अदा से मैंह बनाकर कहा- “आपका काम तो निकल गया। हम तो प्यासे ही रह गये…”
मैंने उसके निप्पल को कस के मसलते हुए कहा- “मैं क्या कर सकता हूँ? तेरी रेड लाइन हो रही है..”
शोभा बोली- “आज ही तो है, कल तक में माहवारी से निपट जाऊँगी…”
मैंने कहा- इसका मतलब तम कल मेरे से चदबाने की सोच रही हो?
शोभा के चेहरा पर चमक आ आ गई उसने कहा- “हाँ..”
मैंने उसको कहा- “फिर ठीक है। कल सनडे है तुम मेरे घर आ जाना। वहीं तुम्हारी प्यास बुझा दूँगा..”शोभा बोली- “हाँ यही ठीक रहेगा। मैं कल आ जाऊँगी…”
में वहां से आ गया। मुझे रात भर शोभा की चूत के ख्वाब आते रहें। मैं उसकी चूत को देख नहीं पाया था। इसलिए भी मेरे मन में उसकी चत देखने की उत्सुकता थी। अगले दिन सुबह ठीक 11:00 बजे शोभा का फोन आ गया।
मैंने उसको कहा- “तुम 12:00 बजे तक आ जाना…”
फिर मैंने अपने रूम में सीसीटीवी लगाने की जगह देखी। मैं शोभा की चुदाई लीला की वीडियो बनाना चाहता था। मैंने बेड के ठीक ऊपर कैमरा फिट कर दिया और शोभा का इंतजार करने लगा। शोभा ठीक 12:00 बजे आ गई। जब मैंने उसको देखा तो देखता ही रह गया। बया गजब की सुंदर लग रही थी वो।
शोभा ने ब्लैक कलर की साड़ी पहनी थी लो-कट बैंकलेष ब्लाउज उसकी चूचियों को आधा भी टक नहीं पा रहा था। उसने बड़ा मस्त सा हेयर स्टाइल बनाया हुआ था। जैसे ही वो मेरे पास आई बड़ी मादक मी खुशबू मेरी । सांसों में समा गई। मैं समझ गया की आज में साली परे मह में है। वैसे भी पीरियड के बाद औरत की सेक्स की भूख बढ़ जाती है।
मैंने उसको कहा- “बैठो…. फिर मैंने उसको कहा- “थोड़ी सी बिगर चलेंगी?’
शोभा बोली- “हाँ चलेंगी.”
मैं मन में सोचने लगा की इसको समझने में मैंने बड़ी देर करी है। मैं तो बड़ी कमीनी है। मैंने ठंडी बियर दो ग्लास में डाली और एक ग्लास शोभा को पकड़ा दिया। उसने उल्लास को मैंह से लगाया और एक ही सांस में आधा पी गई। मैं उसको देखता ही रहा।
फिर मैंने उससे कहा- “कुछ नमकीन तो ले लो..” और मैंने काज का पैकेट खोलकर प्लेट में डाल दिया।
दो-तीन काजू खाने के बाद शोभा ने बाकी की बियर भी गले में उड़ेल ली। मैंने एक बियर और खोलकर उसका ग्लास भर दिया। फिर मैंने शोभा से उसके पति के बारे में बात छेड़ दी। शोभा को अब तक शरुर आने लगा था। वो बिंदास होकर बोल रही थी।
मैंने उसको कहा- “तुम अपने पति के साथ सेक्स कितने दिन में करती हो?”
शोभा ने ये सुनकर बुरा सा मैंह बनाकर कहा- “सेक्स तो उसने तब भी नहीं किया, जब वो जवान था। अब तो उसका खड़ा ही नहीं होता…”
मैं सुनकर थोड़ा और मजा लेते हुए बोला- “फिर तुम अपनी प्यास कैसे बुझाती हो?”
उसने कहा- “मैं अपनी प्यास को दबा-दबाकर अपने अरमानों का गला घोंट रही हैं। कल तमने जो करा उससे मेरे अंदर की औरत फिर से जाग गई है..
मैंने उसको कहा- “तुमने कितने टाइम से सेक्स नहीं किया?”
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शोभा बोली- “अब तो याद ही नहीं..”
मैंने कहा- “फिर भी लास्ट टाइम की कोई याद हो?”
उसने कहा- “लगभग दो-तीन साल पहले…”
मने हैरान हाते हुए कहा- “फिर तुम कैसी रह लेती हा?”
उसने कहा- “मैं जब ज्यादा ही गरम हो जाती हैं तो अपनी उंगली से अपनी चूत की प्यास बुझा लेती हैं। पावो हमेशा अधूरी ही रहती है…”
मैंने कहा- “तुमने कोई सेक्स दवाय इस्तेमाल नहीं किया?”
उसने कहा- घर में दो-दो जवान बेटियां हैं, और इतना छोटा सा घर है। किसी के हाथ में कुछ आ गया तो?
ना बाबा ना… मैं इतना बड़ा रिस्क नहीं ले सकती.’
Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…