मैंने शिल्पा को देखते हुए अपने लण्ड पर हाथ फेरा। शिल्पा ने मेरी इस हरकत को देख लिया और फिर उसने अपनी निगाहों को नीचे कर लिया। मैं अपनी नजरों से उसका एक्सरे कर रहा था। क्या माल था चिकना नाजुक जिश्म, बड़ी-बड़ी आँखें, पतली कमर बड़ी प्यारी सी लग रही थी। उसने ब्लू कलर की सलवार कमीज पहना हुआ था। उसकी चूचियां अभी छोटी-छोटी थीं। पर उभार साफ दिख रहा था। रंग गोरा, होंठ गुलाबी। कुल मिलाकर मस्त माल थी।
मैंने अपने लण्ड पर फिर से हाथ फेरते हए उससे कहा- “इधर आओ…”
वो मेरे पास आ गई।
मैंने उसको कहा- “तुम्हारा नाम क्या है?”
उसने कहा- “जी शिल्पा…”
मैंने उसको कहा- “शिल्पा जाओ जरा किचेन में एक ग्लास और ठंडा पानी लेकर आओ…”
वो बोली- “जी.” और जाने लगी।
मैंने उसको पीछे से देखा तो उसकी चाल बड़ी सेक्सी थी। उसकी गाण्ड ऊपर-नीचे हो रही थी। उसकी गाण्ड को मटकता हुआ देखना मुझे अच्छा लग रहा था।
मैंने शोभा को कहा- “तुम्हारी छोटी लड़की भी बड़ी सुंदर है…”
शोभा मेरी बात का मतलब समझ गई, पर माकुरा के बोली- “हाँ जी…”
इतने में शिल्पा ग्लास और पानी लेकर आ गई। उसने टेबल पर रख दिया और जाने लगी।
मैंने उसको कहा- “रुको… जरा एक काम और कर दो। कोई नमकीन लेकर आओ…”
वो फिर से गईं। मैं उसके चूतड़ों को उठते गिरते देखता रहा। सच में उसकी गाण्ड बड़ी मस्त थी। मन कर रहा था की इसको अपनी गोद में बैठाकर इसके हाथों से जाम पियं। पर अभी उसका नम्बर नहीं था। इसलिये मैं मन को मार कर रह गया।
शोभा सब देख रही थी। मैं भी यही चाहता था की इसको सब पता चल जाए।
फिर शिल्पा नमकीन लेकर आई। मैंने तब तक पेंग बना लिया था। मैंने उसको जाने को कहा। फिर मैंने पंग को खतम किया और दूसरा पेंग बना लिया।
मैंने शोभा से कहा- “शिल्पा को भी कहीं जाब पर क्यों नहीं लगा देती। काम करेंगी तो कछ पैसा घर में आएगा…”
शोभा ने कहा- अभी वो पद रही है पढ़ाई खतम होने के बाद जाब करेंगी।
मैंने कहा- “तुम चिता मत करो। मैं इसकी जाच कहीं अच्छी जगहा लगवा दूंगा… फिर मैंने दूसरा पेग खतम किया और शोभा से कहा- “जरा ऋतु को जाकर देखा तैयार है ना?”
शोभा उठकर दूसरे रूम में गई। दो मिनट में वापिस आकर बोली- “वो बिल्कुल तैयार है.”
में मन ही मन में मश्कुरा उठा की ये अपनी लड़की को आज अपने सामने ही चुदवाते हुए देखेंगी। मैं ऋतु के रूम में गया। वहां जाते ही मुझे गुलाब के फूलों की महक महसूस होने लगी। मुझे देखते ही ऋतु पलंग पर । सिमट के बैठ गई। मैं ऋतु के पास जाकर बैठ गया और उसको बोला रिलैक्स हो जाओ, स्माइल लाओं अपने चेहरे पर मैंने उसका चेहरा अपने हाथ से ऊपर उठाया जैसे कोई चाँद हो ऐसे लग रही थी। मत वैसे भी सुंदर श्री पर दुल्हन के लिबास में उसकी खबसूरती गजब की लग रही थी। फिर मैंने उसके हाथों को अपने हाथों में लिया मेहन्दी वाले कामल मुलायम हाथों का स्पर्श पातं ही लण्ड में हलचल सी मचने लगी।
मैंने अत को कहा- “तुम आज बड़ी प्यारी लग रही हो…”
उसने शर्माकर अपना जवाब दिया।
मैंने ऋतु से कहा- “तुमने पेटीकोट किस कलर का पहना है?”
उसने कहा- “जी सफेद ही पहना है…
मैंने कहा- “हम्म्म्म …” फिर मैंने ऋतु के होंठों पर अपने होंठों रख दिए होंठ चसते हुए मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर में डाल दिया। उसकी कमर पर हाथ फेरा तो उसके पूरे जिश्म में कंपन होने लगी।
मैंने उसको कहा- “ऋतु मैं तुमको आज तुम्हारे ही घर में दुल्हन बनाकर चोदूंगा। कैसा लग रहा है?”
उसने कोई जवाब नहीं दिया।
सच में ये सब सोचने में कितना अजीब लग रहा है। पर नियति ने ऐसा करके दिखा दिया। मैंने ऋतु को कहा “मुझे अब अपना पति समझ कर मेरे से प्यार किया करो। मुझे में महसूस होना चाहिए की तुम मुझे अपने पति जैसा प्यार कर रही हो..’
उसने सिर हिला दिया।
मैंने उसको कहा- “ऋतु मैं तुमको आज तुम्हारे ही घर में दुल्हन बनाकर चोदूंगा। कैसा लग रहा है?”
उसने कोई जवाब नहीं दिया।
सच में ये सब सोचने में कितना अजीब लग रहा है। पर नियति ने ऐसा करके दिखा दिया। मैंने ऋतु को कहा “मुझे अब अपना पति समझ कर मेरे से प्यार किया करो। मुझे में महसूस होना चाहिए की तुम मुझे अपने पति जैसा प्यार कर रही हो..’
उसने सिर हिला दिया।
फिर मैंने ऋतु को अपनी गोद में खींच लिया और उसकी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा। ऋतु में अपनी आँख बंद कर ली। मैंने उसके बलाउज के बटन खोल दिए। उसकी रेड ब्रा को मैंने बिना हक खोले ऊपर कर दिया। अब ऋतु के दोनों कबूतर मेरे सामने नंगे थे। मैंने उसकी एक चूची को मुँह में ले लिया और दूसरी को हाथ से सहलाने लगा।
ऋतु की धड़कन तेज हो गई थी। मैंने अब उसकी दूसरी चूची को मुँह में ले लिया और उसकी पहली चूची को जोर से दबाया। ऋतु ने एक सिसकी सी ली। अबकी बार मैंने थोड़ा सा और जोर से दबाया। अब उसकी सिसकी में दर्द पैदा हो गया। अब मैंने ऋत को पलंग से उतार कर नीचे खड़ा होने को कहा। वो नीचे आकर खड़ी हो गई। मैंने उसके ब्लाउज को उसके जिएम से अलग कर दिया। फिर मैंने उसकी साड़ी को खोल दिया। अब त मेरे सामने सिर्फ सफेद पेटीकोट में खड़ी थी।
मैंने उसको कहा- “अपने दोनों हाथ अपने सिर के पीछे रख लो.”
ऋतु में चुपचाप रख लिए। मैंने अब उसके पेटीकोट को ऊपर उठा दिया और उसके पेटीकोट के नाड़े में उसका पेंटीकोट मोड़कर फैंसा दिया। फिर मैंने ऋतु की पैटी के ऊपर से उसकी चूत को हल्का सा सहलाया। उसकी टांगों की कंपन में साफ देख रहा था। मैंने उसकी दोनों जांघों को अपने हाथ से पकड़कर घुमा दिया। अब अत की गाण्ड मेरे सामने थी। उसकी लाल रंग की कच्छी में उसके गोरे-गोरे चूतड़ बड़े प्यारे लग रहे थे। फिर मैंने उसकी कच्छी के इलास्टिक में उंगली डालकर कच्छी को आधा नीचे किया। उसके चूतड़ों की दरार में मैंने अपनी उंगली फिरानी शुरू कर दी। चिकने चूतड़ों में उंगली फिसली जा रही थी।
मैंने अब उसकी पेंटी को थोड़ा और उत्तार दिया उसके चूतड़ों को कच्छी से बाहर निकाल दिया और उसके चूतड़ों पर किस करा। फिर मैंने पी से ही उसकी चत के मुँह पर उंगली रख दी। उसकी चूत में जैसे आग निकल रही थी। मैंने अपनी उंगली को जरा सा अंदर डाला, तो वो सीईईई… कर उठी, मैंने अब उसकी पूरी पैंटी उतार दी।
मैंने ऋतु से कहा- “ऋतु अब तुम मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसा..”
ऋतु ने अपनी जीभ से मेरे लौड़े को चाटना शुरू कर दिया। मैं पलंग पर लेट गया और मैंने ऋतु का अपने पेट पर बैठा लिया। फिर मैंने ऋतु की चूत अपने मुँह के पास कर ली। अब हम दोनों 69 पोज में थे। ऋतु की चूत आज बिल्कुल चिकनी थी। मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ रख दी। बड़ी मस्त सी महक मेरी सांसों में समा गई। ऋतु मेरा लौड़ा अब अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से रगड़ रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने ऋत को सीधा लिटा दिया और उसकी टांगों के बीच में बैठ गया। मेरा लौड़ा अब पूरी तरह टाइट था और चूत में जाने को बेकरार था।
मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा ऋतु की कुँवारी चूत के छोटे से छेद पर रख दिया। ऋतु अब लंबी-लंबी साँसे लेने लगी थी। मैंने अपने लौड़े को जरा सा जोर से दबाया तो थोड़ा सा लण्ड उसकी चूत में घुसा। ऋतु के चेहरे पर दर्द दिखाई दे रहा था। मैं उसको अभी और तड़पा के चोदना चाहता था। मैंने उसकी चूत में अपना लण्ड थोड़ा
सा और घुसा दिया, तो उसकी हल्की सी चीख निकल गईं।
अब ऋतु की आँखों में आँसू आने लगे। मैंने अबकी बार अपना लौड़ा चूत से सटाकर कसकर शाट मारा, तो मेरा लण्ड उसकी कुँवारी चूत की झिल्ली को चीरता हुआ आधा अंदर चला गया। ऋतु ने जोर से एक चीख मारी। मैंने भी उसको रोका नहीं। क्योंकी में यही चाहता था की ऋतु की चीख उसकी माँ को सुनाई देनी चाहिए। मैं जानता था की वो साथ वाले रूम में होगी।
Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…