कुछ मज़दूर पास के खेत में काम कर रहे थे।।
वो उनके पास चला जाता है।
उसके खेत से लगके दीनानाथ का खेत था जिससे देवा काका कहता था ।
दीना नाथ देवा के बाप का अच्छा दोस्त था।
जब भी देवा को उसके बाप की याद आती वो दीनानाथ से मिलके अपने बाप के किस्से सुना करता ।
उसे दीनानाथ में अपना मरा हुआ बाप नज़र आता था।
दीनानाथ देवा को देख खुश हो जाता है और उसे अपने पास चारपाई पे बैठा देता है।
दीनानाथ; का रे बेटवा आज कल देख रहा हूँ तू बड़ा गुमसुम सा रहने लगा है।
पहले तो काका काका करके यहाँ घण्टो बैठा करता था अब सुरत भी नहीं दिखती तोहार।
देवा;नहीं काका बस थोड़े घर के काम में उलझा रहता हूँ।
गन्ने की फसल तो बेच दी है बस ये सूर्य फूल कट जाये तो थोड़ा आराम मिल जाए।
दीनानाथ;हाँ बेटवा तोहरा बाप जबतक ज़िंदा था तुम तो खेत में आते भी नहीं थे। जब से वो बेचारा भगवन को प्यारा हुआ है सारे घर की जिम्मेदारी तोहरे कन्धो पे ही तो आ गई है।
कुछ और बता कही बात चली की ना ही ममता बिटिया की शादी के।
देवा;हाँ काका एक दो जगह बात चल तो रही है देखते है क्या होता है।
दीनानाथ;अरे अच्छा याद आया।
मेरा बेटा बता रहा था की तू आज कल हवेली के बहुत चक्कर काट रहा है।
देवा;वो काका जागिरदार की बिटिया को कार सीखाना थी तो जागिरदार ने मुझे वो काम दिया था। छोटी मालकिन को कार सिखाने का।
दीनानाथ; धीरे से देवा के कान के पास आके बोलने लगता है।
बेटा वहां मत जाया कर तु।
देवा; क्यों काका।
दीनानाथ; तुझे तेरी माँ ने बताया नहीं क्या।
तेरा बाप भी तो वहीँ से ग़ायब हुआ था।
देवा; खड़ा हो जाता है।
क्या हवेली से बापु ग़ायब हुआ था पर कैसे।
दीनानाथ; अरे बैठ इतने ज़ोर से क्यों बोल रहा है मुझे लगा तुझे पता होंगा।
बड़ा अच्छा था तेरा बाप।
यही रोज़ बैठ के बातें किया करते थे हम।
तेरे बाप के ग़ायब होने से एक महीना पहले पता नहीं उसे हवेली में क्या काम मिल गया था। दिन रात वही रहने लगा था मैंने कितनी बार पूछा मगर कभी नहीं बताया।
और फिर एक दिन अचानक से वो ग़ायब हो गये।
देवा;का तो जैसे सर चकरा जाता है।
रत्ना ने उसे कहा था की उसके बापु की मौत दिल के रुक जाने से हुई थी।
पर आज जो बात दिनानाथ काका ने उसे सुनाई थी उसे उसका दिल बेचैन सा हो गया था।
वो बहुत छोटा था जब ये हादसा हुआ था।
देवा को तो अपने बाप की शक्ल भी ठीक से याद नहीं तकरीबन 5 साल का रहा होगा देवा उस समय।।
देवा;सीधा अपने घर की तरफ चल देता है वो बड़े बड़े कदम भरता हुआ घर पहुँच जाता है।
वो सीधा घर के अंदर माँ माँ चिल्लाता हुआ दाखिल होता है।पर उसे रत्ना और न ममता कही नज़र नहीं आती है।
वो जैसे ही अपने कमरे में दाखिल होता है हैरान रह जाता है।
उसके बिस्तर पर नूतन बैठी हुई थी और उसने देवा के कपडे पहने हुए थे।
देवा;उसे देखता ही रह जाता है। पहली बार किसी लड़की को लड़के के कपडो में देख रहा था देवा।
वो उसके पास जाके बैठ जाता है
नुतन तो देवा को अचानक कमरे में देख पहले ही घबरा गई थी न वो कुछ बोल रही थी और ना ही देवा से नज़रें मिला पा रही थी।
देवा उसे निचे से ऊपर तक देखने लगता है।
देवा; क्या है ये नूतन । तूने मेरे कपडे क्यों पहन रखे है और माँ और ममता कहाँ है।
नुतन; वो देवा भैया वो मै वो….. तो बस ऐसे ही देख रही थी।
मेरा मतलब है मेरे कपडे मैंने धोने के लिए डाले है इस लिये
देवा;माँ कहाँ है।
नुतन ; वो और ममता शालु काकी के यहाँ गए है।
देवा; अच्छा तो तूने कपडे धोने के लिए डाले तो तू ममता के भी तो कपडे पहन सकती थी ना।
नुतन: खामोश बैठी रहती है।
देवा;सच बता.. क्यों पहने मेरे कपडे।
नूतन फिर भी कुछ नहीं बोलती।
देवा; अच्छा तो तू ऐसे नहीं बतायेगी। ठीक है
उतार । जल्दी उतार मेरे कपडे।
नुतन ; बिस्तर से उतर के बाहर जाने लगती है पर देवा उसका हाथ पकड़ लेता है और दरवाज़ा बंद कर देता है
देवा; यही उतार।
नुतन ; भैया यहाँ कैसे उतारूँ।
देवा;जैसे पहने थी वैसे उतार भी। वरना माँ से और मामी से बोल दूंगा की तू लड़को के कपडे पहनती है।
नुतन ; नहीं नहीं भैया माँ से मत कहना वरना वो मुझे जान से मार देगी।
देवा;तो फिर उतार वरना माँ और ममता आ जाएगी।
नुतन देवा का पहना हुआ शर्ट उतार देती है।
और पेंट भी निकाल के देवा को दे देती है।
देवा; इसे भी उतार।
नुतन ; अपने ब्रा पे हाथ रखते हुए
पर ये तो मेरा है।
देवा;जितना बोल रहा हूँ उतना कर उतर इसे भी।
पता नहीं अंदर मेरी कोई चीज़ छुपा रखी होगी तुने।
नुतन ; मैं क्या आपको चोर लगती हूँ।
देवा; हाँ चोरो की तरह मेरे कपडे पहनती है। चल जल्दी कर।
नुतन ; डरते ड़रते अपने ब्रा भी खोल देती है वो सिर्फ पतली सी ममता की पेंटी पहने खड़ी थी।
देवा; ये किसकी है।
नुतन ; ममता दीदी की।
उसे इतनी शर्म आ रही थी की वो अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा छुपा लेती है।
और उसी वक़्त देवा उसके मोटे मोटे ब्रैस्ट को अपने मज़बूत हाथों में थाम लेता है।
एक बिजली का करंट नूतन के शरीर में दौड जाता है।
नुतन ; आहह भैया क्या कर रहे हो मै आपकी बहन हूँ ना।
देवा; हाँ पता है तू कौन है।
और देवा नूतन की बंद ऑखों का फायदा उठाते हुए उसकी दोनों ब्रैस्ट को मसलते हुए चूम लेता है।
नुतन से बर्दाश्त नहीं होता और वो वहां से किसी तरह भागने में कामयाब हो जाती है और सीधा ममता के कमरे में जा के अंदर से दरवाज़ा बंद कर देती है।
देवा;ममता के कमरे के पास जा के दरवाज़ा खटखटाता है मगर नूतन दरवाज़ा नहीं खोलती।
देवा;नूतन मै माँ और ममता को लेने शालु काकी के यहाँ जा रहा हूँ कपडे पहन लेना और अगर ये बात माँ या ममता के कानो तक गई तो तेरी खैर नही।
नुतन कोई जवाब नहीं देती बस चुपचाप बिस्तर पे पड़ी पड़ी अभी अभी हुई घटना को सोच सोच ठन्डी आहें भरने लगती है।
देवा शालू के घर रत्ना और ममता को लेने चला जाता है।