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Erotica साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन – Part 1 – Hindi Sex Story
देवा अपने घर चला जाता है।
देवा जब घर पहुँचता है तो उसे घर के ऑगन में ममता और नूतन बातें करती दिखाई देती है वो भी उनके पास बैठ जाता है।
ममता; भाई आप कहाँ थे। माँ कबसे आपके बारे में पूछ रही थी।
देवा;क्यूँ कुछ काम था क्या।
ममता; मुझे क्या पता शायद दुकान से कुछ सामान लाना था।
नुतन ; चुपके चुपके देवा को ही देख रही थी।
देवा की नज़र जब उसपे जाती है तो नूतन घबरा के अपनी नज़रें चुरा लेती है।
नुतन ; देवा भैया तो अपनी धुन में लगे रहते है । न हमे कही घुमाने ले जाते है और न हमसे बातें करते है।
देवा; अच्छा तो ये बात है।
ममता; हाँ देखो न नूतन को यहाँ आये कितने दिन हो गये है ।
बेचारी घर में बैठे बैठे सुख के कांटा हो गई है।
नुतन; ममता को चुमटी काट लेती है।
देवा;सुख के काँटा। मुझे तो हट्टी कट्टी दिखाई दे रही है।
ममता; बड़े गौर से देखा है भाई ने तुझे। लगता है।
दोनो लड़कियाँ खिलखिलाके हंसने लगती है।
देवा;नूतन तू इसके सोहबत में रहेगी ना तो तू भी बहकी बहकी बाते करने लग जाएगी।।ये तो पूरी पागल है।
ममता; क्या मै आपको पागल दिखाई देती हूँ भइया।
देवा; ममता के चोटी (हेयर) खीचता है।
ममता; तिलमिला के रह जाती है और नूतन हंसने लगती है।
आज नूतन के हाव भाव कुछ बदले बदले से दिखाई दे रहे थे।
जबसे देवा ने उसे उस हालत में देखा था तब से नूतन जब भी देवा के सामने आती या उसे देखती उसके जिस्म पे चीटियाँ रेंगने लगती।
पत्थर पे पत्थर घीसने से उस में चिंगारी पैदा हो जाती है
यहाँ तो ममता और नूतन रोज़ चूत पे चूत घिस रहीं थी।
देवा; ममता को पानी लाने के लिए कहता है और ममता घर के अंदर पानी लेने चली जाती है।
नुतन देवा को ही देख रही थी।
देवा;नूतन को अपने तरफ देखते हुए उसे अचानक बोल बैठता है।
वैसे नूतन अब तू भी जवान हो गई है।
मामी से बोल के तेरे लिए लड़का ढूँढ़ना पडेंगा।
नुतन ; आपको कैसे पता मै जवान हो गई हूँ।।
देवा; मैंने देखा है न तुझे।
वो बोल तो बैठा मगर फिर चुप सा हो गया।
नुतन से वहां बैठना मूहाल हो जाता है और वो भाग के घर के अंदर चली जाती है।
ममता पानी का गिलास लेके देवा को देती है।
ये नूतन क्यों भाग गई।
देवा; (धीरे से)उसे शायद सुसु आई थी।
ममत; क्या आई थी।
देवा;कुछ नहीं माँ कहाँ है।
ममता’; वो नहा रही है।
ये बोल के ममता नूतन के पास चली जाती है।
और देवा घर के अंदर चला जाता है वो जैसे ही अपनी माँ रत्ना के कमरे में जाता है उसी वक़्त रत्ना के कमरे में बने बाथरूम का दरवाज़ा खुलता है और रत्ना बाहर आ जाती है।
देवा की नज़र और रत्ना की नज़र एक हो जाती है और देवा अपनी खूबसूरत माँ को देखता ही रह जाता है।
आज से पहले उसने कभी रत्ना को ऐसी हालत में नहीं देखा था।
इतना गदराया हुआ जिस्म उसकी ऑखों में जैसे नूर भर देता है।
रत्ना अपने आप को उस गीली साडी से छूपाने की कोशिश करती है और देवा अपने सर को खुजाता हुआ जल्दी से रत्ना के कमरे से बाहर निकल जाता है।
रत्ना;देवा के कमरे से जाने के बाद आइने के सामने खड़ी होके अपने जिस्म को पोंछने लगती है।
रत्ना को महसूस होता है की कोई उसे खिडकी से देख रहा है वो जैसे ही मुड के खिडकी की तरफ देखती है कोई वहां से भागता हुआ उसे दिखाई देता है।
वो सोच में पड़ जाती है की कौन हो सकता है।
अचानक ही उसके चेहरे पे हलकी सी मुस्कान आ जाती है।
थोड़ी देर बाद जब रत्ना साडी पहन के देवा के पास जाके बैठती है तो उसे आज पहली बार अपने बेटे के पास बैठते हुए शर्म सी आ रही थी।
देवा; माँ ममता बता रही थी तुम मुझे ढूंढ रही थी कुछ सामान लाना था क्या।
रत्ना; कहाँ ग़ायब रहने लगे हो तुम बस अभी आता हूँ बोल के गए तो अब आ रहे हो इतनी देर से । खेत में भी पास के मुन्ना को भीजवाई थी मैंने । उसने कहा देवा भैया तो खेत में है ही नही।
देवा;अरे माँ तुम्हे पता है रश्मि की एक हफ्ते बाद शादी होने वाली है।
रत्ना; हाय दैया इतनी जल्दी तुझे कैसे पता।
देवा;वो रास्ते में शालु काकी मिली थी मुझे। उन्होने ही बताया की रश्मि के होने वाले ससुर की तबियत बहुत ख़राब है इसलिए वो रश्मि को मरने से पहले बहु के रूप में देखना चाहते है।
रत्ना;शुभ शुभ बोल बेटा ऐसा नहीं कहते।
भगवान ना करे रश्मि के ससुर को कुछ हो।
पर तू कहाँ था सुबह से।
देवा;वही तो बता रहा हूँ मै चला गया था काकी के घर पप्पू से मिलने । अरे माँ शादी का घर है काकी का। कितने काम करने है इतने कम वक़्त में।।
तूम इतनी खोज बीन क्यों कर रही हो मेरी।
रत्ना;तेरे पांव ज़मीन पे नहीं टिकते है ना इसलिये।
देवा; खुद के पांव को देखने लगता है।
ज़मीन पे ही तो है।
माँ तुम भी ना।
देवा;अपनी माँ रत्ना के गले में बाहें डालके उसे अपने से चिपका लेता है।
रत्ना के बिना ब्रा वाली चूचियाँ देवा की छाती में धँस सी जाती है।
रत्ना;आहह क्या करता है मुन्ना नहीं है तु।
रात में क्या खायेगा बता दे अभी।
देवा;अरे हाँ माँ। रात से याद आया वो कल से मुझे रात में हवेली जाना पड़ेगा।
मै वही सो जाऊँगा।
रत्ना;क्यूँ ऐसी क्या मुसीबत आ गई की तुझे वहां सोना पडेगा।
देवा;वो मालिक शहर जाने वाले है कल एक हफ्ते के लिए। तो मुझे बोले की हवेली में कोई आदमी चाहिए। आस पड़ोस के गांव में चोरियॉँ हो रही है।
रत्ना;बेटा तू क्यों जाता है उस मुये सुनसान हवेली में मुझे तो वो जागिरदार और उसकी हवेली से बड़ा डर लगता है।
तूने देखा नहीं कितनी वीरान है वो जगह।
देवा;माँ जागिरदार गांव के सरपंच है।
और क्या बुराई है वहां सोने में ।
रत्ना;और यहाँ कौन रहेगा घर में।
देवा; मैं मुन्ना से बोल दूंगा वो आ जाएगा यहाँ सोने।
रत्ना;देख देवा आखिरी बार बोल रही हूँ तो दूर रह उन हवेली वालो से अरे गांव का कोई भी वहां नहीं जाता।
देवा;ठीक है माँ नहीं कह दिया करुँगा आगे से कोई भी काम देंगे तो वो मुझे।
अब जल्दी से खाना खिला दो बहुत भूख लगी है।
रत्ना;तू बैठ मै अभी खाना लगाती हूँ।
देवा;खाना खाके थोडी देर सो जाता है शाम ढले उसकी आँख खुलती है।
पप्पू उसे बुलाने आया था ।
पप्पू को देख देवा की गाण्ड फट जाती है।
उसे लगने लगता है की शालु को रश्मि के बारे में पता चल गया है।
पप्पू;देवा चल तुझे माँ ने बुलाया है।
देवा; घबराके क्यों बे बात क्या है बता तो सही।
पप्पू;मुझे नहीं पता भाई तू चल जल्दी से।
देवा;पप्पू के साथ रश्मि के घर चला जाता है।
शालु उसका पति और नीलम तीनो देवा का ही इंतज़ार कर रहे थे।
देवा;क्या बात है काकी क्यों बुलाया मुझे।
शालु;अरे कुछ नहीं हम लोग गए थे रश्मि की ससुराल उन लोगो को अगले हफ्ते ही शादी करनी है। मैंने कहा उनसे की इतनी जल्दी कैसे तैयारी होंगी पर वो लोग माने ही नही। इसलिए हमने भी हाँ कह दिया।
देवा; अच्छा किया काकी मैंने तो आपको पहले ही कहा की आप तैयारी की कोई चिंता मत करो। सब हो जायेंगा।
शालु;तू और पप्पू है तो मुझे कोई चिंता नही।
कल मै और रश्मि के बापु हमारे रिश्तेदारो के यहाँ जा रहे है उन्हें शादी की दावत देने। सुबह जायेंगे रात हो जाएंगी।
रही बात यहाँ की तो वो तुम दोनों की ज़िम्मेदारी है।
नीलम पानी का गिलास देवा को देती है।
देवा गिलास पकड़ते हुए नीलम का हाथ भी छु लेता है।
नीलम मुस्कुरा देती है।
शालु;समझ आ गया न मैंने क्या कहा ।
पप्पू; हाँ माँ तुम जाओ हम दोनों यहाँ सब सँभाल लेंगे।
रश्मि अपने कमरे में खड़ी सब बातें सुन रही थी
देवा की आवाज़ सुनके उसके हाथ खुद बा खुद अपनी चूत को सहलाने लगते है।
रश्मी की छूट का दर्द तो जा चुका था । अब एक नया दर्द उसे सताने लगा था वो था चूत के जलन का।
उसकी चूत में चिंगारियाँ उठने लगी थी।
और उसे बुझाने वाला बाहर बैठा हुआ था।
एक बार लड़की खुल जाये तो उसे जल्द से जल्द लंड चाहिए। अगर ना मिले तो वो पागल सी हो जाती है।
देवा तो अपने घर जा के चैन की नींद सो जाता है मगर रश्मि रात भर जागती रहती है । उसे रह रह के बस देवा और उसका वो ज़ालिम लंड याद आ रहा था।
दूसरे दिन सुबह देवा अपने खेत में चला जाता है थोड़ा बहुत काम निपटाने के बाद जब वो अपने घर की तरफ जाने लगता है तो उसे पप्पू मिलता है।
देवा;अरे कहाँ जा रहा है ।
पप्पू;देवा भाई तू घर चला जा मेरे।
देवा;क्यूँ सब ठीक तो है न।
पप्पू;नहीं रश्मि को बहुत तेज़ बुखार चढा है।
माँ और बापु भी घर पे नहीं है।
देवा;नीलम कहाँ है।
पप्पू;वो भी माँ के साथ गई है उसे चूडियां और पता नहीं क्या क्या लेना था शादी के लिये।
देवा;तू भी चल न ।
पप्पू;नहीं मुझे खेत में काम है समझ ना भाई ।
देवा;हंस देता है और बड़े बड़े कदम भरता हुआ रश्मि के घर पहुँच जाता है।
रश्मी को उसकी चूत की आग इतना सता रही थी की वो सुबह से दो बार अपने बदन पे ठण्डा ठण्डा पानी डाल चुकी थी मगर आग थी की बढ़ती ही जा रही थी।
देवा;घर में चला जाता है और कुन्डी लगा देता है।
वो जैसे ही रश्मि के कमरे में पहुँचता है उसे रश्मि गीले कपडो में लिपटी हुए बिस्तर पे बैठी हुई दिखाई देती है।
देवा;मैंने सुना है तुझे बहुत तेज़ बुखार आया हुआ है।
रश्मी;आया है तुझे क्या । मै जिऊँ या मरु।
देवा;मेरे पास तेरा इलाज है।
रश्मी;मुझे नहीं करवाना तुझसे इलाज जा यहाँ से।
देवा;रश्मि के कमरे का दरवाज़ा बंद कर देता है और रश्मि के सुलगते हुई ऑखों में देखते हुए पहले अपना शर्ट फिर पेंट उतार देता है।
रश्मी की ऑंखों के सामने वो था जिसे सोच सोच के वो रात भर सो नहीं पाई थी ।
वो दौड के आती है और देवा की छाती से चिपक जाती है।
देवा;उसे अपने बदन से चिपका लेता है।