देवा; मामी तुम अचानक।
देवकी घर के अंदर आके अपना सामान रख के देवा की ऑंखों में देखने लगती है।
तेरी याद आ गई तो चली आई।
देवा;भाभी भी आई है।
देवकी;नहीं वो नहीं आई।
वो आ जाती तो तेरी मामा का ख्याल कौन रखता।
चलो माँ अंदर है देवा सामान उठाके देवकी के साथ घर के अंदर चला आता है।
नुतन ; भाग के देवकी के गले लग जाती है।
माँ।
देवकी;कैसी है नूतन।
नुतन ;ठीक हूँ माँ।
रत्ना और ममता भी देवकी को देख खुश हो जाते है सब एक दूसरे से मिलने लगते है कुछ देर देवकी के साथ बाते करने के बाद देवा खेत में चला जाता है।
उधर रुक्मणी अपने कमरे में बैठी हुई देवा के बारे में सोच रही थी
उसका दिल बहुत बेचैनी महसूस कर रहा था।
बार बार उसे एक बात सता रही थी की कही मैंने कुछ ज़्यादा तो नहीं बोल दी देवा को कही वो सच में यहाँ आना न बंद कर दे।
वही रानी भी देवा के इस तरह चुपचाप बिना नाश्ता किये हवेली से चले जाने से परेशान सी हो गई थी।
देवा अपने खेत में काम कर रहा था और शालु अपने घर में बैठी बर्तन साफ़ कर रही थी।
शालु ने देवा को बुरा भला कहके उसे मार भी दी थी। मगर वो खुद भी जानती थी की इस सब से क्या होंगा।
रत्ना के घर में रत्ना और देवकी बातें करते हुए बैठी थी
रत्ना;अरे ममता ज़रा तेरी मामी के लिए शरबत तो बना ला।
ममता ;अभी लाई माँ।
देवकी और सुना कैसा चल रहा है ममता की कही बात चली की नही।
रत्ना;हाँ एक दो जगह बात शुरू तो की थी मगर बात कुछ बनी नही।
देवकी;अब मै आ गई हूँ न कुछ न कुछ तो करके ही जाऊँगी।
तभी ममता शरबत का गिलास लेके आती है।
ममता; ये लो मामी।
ममता जब शरबत देने झुकती है तो उसके आधे से ज़्यादा सन्तरे बाहर की तरफ झाँकने लगते है रत्ना तो कुछ ध्यान नहीं देती मगर देवकी की ऑखें चमक जाती है। वो दिल में सोचने लगती है ज़रूर कोई आम मीस रहा है।
शाम ढले तक देवा भी घर वापस आ जाता है।
देवकी उसे अपने पास ऑंगन में ही बैठा देती है।
दोनो उस वक़्त बिलकुल अकेले थे।
नुतन रत्ना और ममता रात का खाना तैयार कर रही थी।
देवकी;तू तो अपने मामी को भूल गया लगता है देवा। मेरी तरफ देखता भी नहीं।
देवा;मामी मैंने सोचा रात में अकेले में तुझे नंगी करके चाट चाट के देखुंगा।
देवकी;धत बेशरम कही का तेरी भाभी तुझे बड़ा याद कर रही थी।
देवा;काशी भाभी की बात ही कुछ और है।
कैसी हैं वो।
देवकी;बात तो तुझ में है मेरे भांजे। बहुत उम्मीद ले के आई हूँ तेरे पास जीतने दिन यहाँ हूँ कस के लुंगी तुझे। सारा बदन सख्त हो गया है निचोड निचोड के ढीला कर दे ज़रा।
देवा;कहो तो अभी कर दुं।
देवकी;रात में आजा मेरे पास।
देवा;मगर तुम तो माँ के कमरे में सोओगी ना।
देवकी;नहीं मै नूतन के साथ पीछे वाले कमरे में सोऊंगी तू रात में आ जा और थकान उतार दे मेरी सारी।
देवा; खुश हो जाता है।
उसे देवकी का शरीर बहूत अच्छा लगता था बडी बडी चूचियां मोटी सी कमर और गदराया हुआ बदन लंड पच पच करता था। जब देवा देवकी की चूत में लंड डालके उसे चोदता था।।।
अपनी चूत की आग में जलती देवकी यहाँ आई थी या उसके आने के पीछे कोई और मक़सद था ये तो देवकी ही जानती थी मगर उसके आने से नूतन और ममता की प्रेम लीला में बाधा सी आ गई थी।
खाना खाके सब अपने अपने कमरो में सोने चले जाते है।
ममता और रत्ना एक कमरे में सोई हुई थी।
जबकी पीछे वाले कमरे में देवकी नूतन के साथ लेटी हुई थी।
नुतन नीचे ज़मीन पे और देवकी चारपाई पे लेती हुई थी।
देवा ने सोच लिया था की वो हवेली नहीं जायेगा।चाहे कुछ भी हो जाए।
नींद जब सारे गांव वालो को अपने आग़ोश में ले लेती है।
देवकी;अपने कमरे में सोई हुई थी उसे अभी अभी नींद लगी थी।
नुतन;चारपाई के पास नीचे ज़मीन पे गहरी नींद में सो चुकी थी।
अचानक देवकी को महसूस होता है की कोई उसकी ब्लाउज के बटन खोल रहा है।