हाय रे ज़ालिम……- Part 3 – Indian MILF

रुक्मणी कोई हरकत नहीं करती मगर उसके तेज़ साँसे देवा को बता देती है की चिडीया जग चुकी है।

देवा;कमर के थोड़े निचे पेंट को कर देता है। अंदर रुक्मणी ने पेंटी पहनी हुई थी।

देवा;अपना हाथ उसके पेट पे रख के धीरे धीरे उसे अंदर सरकाने लगता है।

जैसे जैसे देवा का हाथ रुक्मणी के पेट पे घुमता हुआ पेंटी की तरफ बढ़ने लगता है वैसे वैसे रुक्मणी की साँसे ऊपर नीचे होने लगती है।

रुक्मणी अपने नीचले होंठ को अपने मुँह के अंदर लेके किसी तरह अपनी सिसकारियां रोकने की कोशिश कर रही थी

एक पतिवरता पत्नी अपने पति को धोखा नहीं देना चाहती थी मगर वो इस वक़्त देवा को भी कुछ कहने कुछ करने से रोकने के स्तिथि में नहीं थी।

देवा का हाथ रुक्मणी की पेंटी में चला जाता है और वो उसे नीचे सरका देता है।

रुक्मणी अभी भी अपनी ऑंखें बंद किये हुई थी। शायद डर भी था और वो देखना भी चाहती थी की देवा क्या करता है।

रुक्मणी का शरीर उस वक़्त हिलने डूलना बंद कर देता है जब उसे अपनी चूत पे देवा का लंड महसूस होता है।

वो झट से अपने ऑंखें खोल के बंद कर देती है।

देवा;अपने लंड को पेंट से बाहर निकाल के उसे रुक्मणी के चूत पे घीसने लगता है।

रुक्मणी का सारा बदन उसे टाँगें खोल के देवा का स्वागत करने पे मजबूर कर रहा था । मगर अब भी थोड़ा हिम्मत राव का मान रुक्मणी के दिल में बाकी था।

रुक्मणी अपने जिस्म की बात सुनते हुए अपने पैर खोलने ही वाली थी की देवा अपने लंड को रुक्मणी की चूत से हटा के वापस उसकी पेंटी और नाईट पेंट ऊपर चढा के अपनी जगह सोने चला जाता है।

उस वक़्त रुक्मणी को जीतनी गलियां आ सकती थी वो सारी की सारी गालियां देवा को मन ही मन में देने लगती है और अपने जिस्म पे चादर डालके अपने हाथ की दो उँगलियाँ चूत में डालके उसे ज़ोर से रगडने लगती है।

चूत इतनी ज़्यादा मस्त हो चुकी थी की कुछ ही पलों में वो ढेर सारा पानी रुक्मणी के हाथों पे छोड़ देती है।

और रुक्मणी देवा को गलियां देते हुए और कल उसे बाहर सुलाने का सोच के सोने की कोशिश करती है। उसे समझ नहीं आ रहा था की देवा उसके साथ ऐसा क्यों कर रहा है। दो दिन से चूत के पास माचिस ला के उसे बुझा देता था।

आखीर देवा चाहता क्या है इस सवाल का जवाब देवा के पास था जो अपनी जीत पे मुस्कुरा रहा था उसे यक़ीन हो चला था की वो दिन बहूत क़रीब है जब रुक्मणी ख़ुद नंगी होके देवा के पास आयेंगी।

अपडेट 40 – Indian MILF

देवा तो रात में रुक्मणी को तड़पा के सो जाता है मगर रुक्मणी अपने जिस्म की आग में पूरी तरह झुलस जाती है ।

सुबह वो देवा को जगाती है और देवा के जागते ही उसे अपने साथ कमरे में चलने को कहती है।

देवा;ऑखें मलता हुआ जब रुक्मणी के कमरे में पहुँचता है तो रुक्मणी कमरे का दरवाज़ा बंद कर देती है।

देवा;बड़े मालकिन आप क्या कर रही है।

रुक्मणी;आगे बढ़ती है और एक करारा थप्पड देवा के मुँह पे जड़ देती है।
तू मेरे साथ क्या कर रहा है पिछले दो दिन से ।

देवा का मुँह दूसरी तरफ घुम जाता है उस थप्पड से उसके कान में सन्न से आवाज़ गूँजने लगती है।

रुक्मणी;इधर देख क्या समझता है तू खुद को
मेरे साथ कुछ भी करेगा और मै चुपचाप बर्दाश्त करती रहुँगी।

देवा के होश उड़ चुके थे। रात में अपनी जीत पे हंसने वाले उसके होंठ जैसे किसी ने सूई धागे से सिल दिए थे।

रुक्मणी; आईन्दा मेरे साथ ऐसी वैसी कोई भी हरकत करने के कोशिश की न तूने देवा । बोल देती हूँ तेरे मालिक तो बाद में कुछ करेंगे तुझे उनसे पहले मै तुझे गोली मार दूंगी।
चल निकल जा यहाँ से।

देवा जल्दी से हवेली से निकल जाता है ।
उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता है साँस अब ठीक तरह से चल रही थी वरना रुक्मणी के सामने तो जैसे उसका दम घुटने लगा था।

रुक्मणी का ये रूप उसने पहले कभी नहीं देखा था।

वो बड़े बड़े कदमों के साथ अपने घर की तरफ बढ़ जाता है।
रास्ते में उसे शालु दिखाई देती है वो शायद दूध ले के कही से आ रही थी।

देवा;उससे नज़रें चुराता हुआ अपने रास्ते पे चुपचाप चलने लगता है।

शालु;उसके सामने आके खडी हो जाती है।
कहाँ से आ रहा है।

देवा;वो काकी हवेली गया था।

शालु;चल मेरे साथ।

देवा;कहाँ काकी।

शालु;चल बताती हूँ।

देवा;शालू के साथ चल देता है शालु उसे अपने घर के पीछे बने एक कमरे में ले जाती है । ये कमरा खेती बाड़ी की चीज़ें रखने के लिए था ।

शालु;देवा को उस कमरे में ले जाके दरवाज़ा बंद करती है और देवा की तरफ घूमती है।

देवा;क्या बात है काकी मुझे खेत में भी जाना है।

शालु;तूने रश्मि के साथ क्या किया ।

देवा का मुँह खुला का खुला रह जाता है।

शालु;अपने हाथ में की दूध की बाल्टी निचे रखती है और देवा की तरफ देखने लगती है।

देवा की ऑंखें शर्म से झुक जाती है वो क्या कहता। तुम्हारे बेटी को कली से फूल बनाया है मैंने उसकी चूत के साथ साथ उसकी गाण्ड भी मारी है।

देवा;जैसे ही नज़रें उठाके देखता है ।
शालु का पंजा उसके दूसरे गाल पे छप सा जाता है।

शालु;कुत्ते कमिने इतना घटिया है रे तु।
मै तेरे साथ अपनी बेटी नीलम की शादी का सोच रही थी और तूने रश्मि के साथ छी घिन आती है मुझे अब तुझसे।

देवा;मुझे माफ़ कर दो काकी।

शालु;माफ़ी अरे मै तो सोच रही हूँ अभी तेरी माँ को सारी बात बता दुं।

देवा शालू को पकड़ लेता है और उसके मुँह पे अपना हाथ रख देता है।
काकी माँ के पास मत जाओ मैंने कहाँ ना मुझसे भूल हो गई।

शालु देवा की पकड़ से आज़ाद हो जाती है और देवा की तरफ ऊँगली उठाके उससे ठेठ भाषा में बोलती है तेरी शक्ल भी नहीं देखनी आज के बाद मुझे देवा।

देवा की ऑखों में पहली मर्तबा ऑंसू आ जाते है और वो वहां से अपने घर की तरफ चल देता है।

पप्पू;उसके घर के सामने बैठा हुआ था।

देवा;तू यहाँ क्या कर रहा है।

पप्पू;तू पहले मेरे साथ चल।

देवा;तेरे माँ को चोदूँ साले। जो देखो साथ में ले जाता है और फिर मुँह सुजा देता है मुझे नहीं जाना जा मुझे खेत में काम है।

पप्पू;देवा भाई एक बार बात तो सुन लो मेरी।

देवा;उसका हाथ पकड़ के उसे एक तरफ ले जाता है
हाँ बोल।

पप्पू;अरे रश्मि ने अपना मुँह खोल दी माँ के सामने
ज़र सँभाल के रहना कही मेरी माँ तेरी माँ के सामने कुछ बक ना दे।

देवा;गांडु तेरी माँ मुझे अभी मिली थी।
तेरे घर के पीछे ले गई मुझे और ये देख अभी भी मेरे मुँह पे उसकी उँगलियों के निशान है।

पप्पू का मुँह खुल जाता है।
तो क्या माँ ने तुम्हें मारा।

देवा;हाँ बे और नहीं तो क्या।

पप्पू;देवा भाई तुम चुपचाप मार खा के आ गये।

देवा;क्या करता तेरी माँ की ऑंखें देखा मैंने । लाल रंग के हो चुकी है लगता है रात भर मेरे बारे में सोच सोच के जगी है वो। तभी तो मुझे देखते ही अपने सारी भडास निकाल दी।

पप्पू;भाई मुझे तो बहुत डर लग रहा है कही रश्मि मेरा नाम भी न बता दे।

देवा;नहीं बतायेगी वो अगर उसे बताना होता तो कब का बता चुकी होती।
चल मुझे बहुत भूख लगी है।

देवा;अपने घर में चला जाता है।

ममता अपनी माँ रत्ना के साथ किचन में सुबह का नाश्ता बना रही थी।

रत्ना;देवा जल्दी से हाथ मु धोले मैंने तेरी पसंद के पराठे बनाई हूँ चल आजा।

देवा;अभी आया माँ।
वो अपने कमरे की तरफ जाने लगता है मगर जा नहीं पाता क्यूंकि उसे ममता के कमरे में नूतन दिखाई देती है।
वो अपनी ब्रा का हुक लगा रही थी।

देवा;उसकी चिकनी पीठ देख के अपने गाल पे पड़े थप्पड भूल जाता है और चुपके से उसके पीछे जाके उसकी पीठ को चूम लेता है।

नुतन ;उईईईईई माँ।
बुरी तरह डर जाती है।
सामने देवा को खड़ा देख वो थोड़ा शांत हो जाती है।

देवा: मैं लगा देता हूँ।

नुतन ;कोई ज़रूरत नहीं है देवा भइया।

देवा;मगर जबरदस्ती करते हुए अपना एक हाथ उसकी चूचि पे रख देता है।

और अगले ही पल उसे एहसास होता है की उसने थोडी जल्दबाज़ी कर दिया क्यूंकि नूतन इस तरह के अचानक हमले के लिए तैयार नहीं थी और अपनी ब्रा वापस लेने के चक्कर में नूतन के हाथ देवा की नाक(नोज)के ठीक ऊपर लग जाता है और नाक में से खून निकलने लगता है।

नुतन ; खून देख वहां से भाग जाती है।
और जाते जाते देवा को बोल जाती है की आइन्दा मुझे परेशान करोगे तो इससे भी ज़्यादा खून निकाल दूंगी।

देवा का नाक दर्द करने लगता है और वो उसे पकड़ के अपने रूम में चला जाता है।

अपनी नाक साफ़ करते हुए वो अपने साथ हुए आज के हादसों के बारे में सोचने लगता है।

पता नहीं साला कैसा दिन निकला है जबसे आँख खुली है तब से कोई न कोई मार रहा है।

उसे शालु की वो बात याद आ जाती है।

अरे मै तो तेरे साथ अपनी बेटी नीलम की शादी का सोच रही थी।

देवा की ऑंखें फिर से गीली हो जाती है।
नही मै नीलम को खोना नहीं चाहता मै उसे किसी भी कीमत पे अपनी पत्नी बनाऊंगा। ये मज़बूत इरादा देवा अपने मन में कर लेता है और फ्रेश होके किचन में आ जाता है।

किचन में नूतन और ममता नाश्ता कर रही थी।

रत्ना;देवा को भी वही बैठने के लिए कहती है।

देवा चुप चाप बैठ जाता है।

रत्ना;अरे ये तेरे नाक और गाल को क्या हुआ कितनी लाल दिख रही है।

देवा;वो माँ हवेली में शायद कोई कीडे ने काट लिया होंगा उसी की वजा से शायद लाल हो गया है।

नुतन को हंसी आ जाती है।

और तीनो माँ बेटे उसकी तरफ देखने लगते है

रत्ना;चुप चाप नाश्ता करो तुम दोनो।

देवा;नाश्ता करके खेत में जाने लगता है तभी दरवाज़े में से कोई अंदर आता है और उसे देख के देवा अपने सारे दुःख दर्द भूल जाता है।

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