हाय रे ज़ालिम……- Part 3 – Indian MILF

अपडेट 37 – Indian MILF

देवा शालू के घर के सामने पहुँचता ही है की उसे रत्ना और ममता उसी की तरफ आते हुए दिखाई देते है।

रत्ना;देवा कहाँ जा रहा है बेटा।

देवा;माँ अच्छा हुआ तुम मुझे यहीं मिल गई चलो मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है।

ममता ; क्या बात है भइया।

देवा; तू घर जा ममता मै और माँ अभी आते है।

रत्ना;तो घर चल के बात करते है ना ।

देवा;नहीं मुझे तुमसे अकेले में कुछ बात करनी है चलो मेरे साथ।

रत्ना;पर कहाँ देवा।

देवा; खेत में।

ममता और रत्ना दोनों देवा के इस तरह के बरताव पे हैरान रह जाते है। ममता तो देवा की सगी बहन थी देवा उसके सामने भी बात नहीं करना चाहता था। इसका मतलब कोई ज़रूरी बात होंगी।

यही सोच के रत्ना ममता को घर भेज देती है और खुद देवा के साथ खेतों की तरफ चल पडती है।

रत्ना;देवा तू भी ना ममता क्या सोचेगी।
अखीर ऐसी कौन सी बात थी जो तो ममता के सामने नहीं कर सकता था।

देवा; चुपचाप चल रहा था वो शायद अंदर ही अंदर ये सोच रहा था की अपनी माँ से कैसे बात करे।
क्यूंकि जब भी वो रत्ना से अपने बापू के बारे में पूछता था रत्ना बहुत भावुक हो जाते थी।।

दोनो खेत में पहुँच जाते है।

खेत में बने छोटे से झोंपडे में जब दोनों पहुँचते है तो रत्ना उसका हाथ पकड़ के अपनी तरफ घुमा देती है।
पुरे रास्ते खामोश रहा आखिर क्या बात है बोल तो सही।

देवा;अपनी माँ रत्ना की ऑखों में देखते हुए धीमी आवाज़ में पूछता है।
माँ बापू की मौत कैसे हुई थी।

रत्ना;तू ये पुछने मुझे यहाँ लाया है।
कितनी बार तुझे बता चुकी हूँ दिल के दौरे से (हार्ट अटैक)।

देवा;माँ तुम झूठ क्यों बोल रही हो मुझसे।

रातना; मैं क्यों झूठ बोलूँगी भला तुझसे देवा।

देवा;अगर बापू की मौत दिल के दौरे से हुई थी तो उनकी चिता को भी अग्नि मुझे देनी चाहिए थी
पर मुझे पक्का यक़ीन है मैंने बापू का अन्तिम संस्कार नहीं किया उनकी चिता को आग नहीं दिया।।

बालो न माँ क्या हुआ था बापू के साथ।

रत्ना;के माथे पे पसीना आ जाता है वो अपना सर दूसरी तरफ घुमा लेती है।
तू उस वक़्त बहुत छोटा था देवा तुझे कैसे याद रहेंगे ये सब बातें।

देवा;मुझसे नज़रें चुरा लेने से तुम्हारा झूठ सच नहीं बन जायेगा।
अगर तुम ही मुझसे सब कुछ छुपाऊँगी तो भला मै किसके पास जाऊंगा।

रत्ना की ऑखें आंसुओं से भर जाती है।
बैठ यहाँ बैठ।
वो उसे चारपाई पे अपने पास बैठा देती है।

तू जानना चाहता है ना तेरे बापू के साथ क्या हुआ था कैसे उनकी मौत हुई।

देवा;हाँ मुझे जानना है।

रत्ना;तू उस वक़्त बहुत छोटा था
उस साल गांव में अकाल पड़ा था।
हमारे पास एक दाना भी नहीं था खाने के लिये।

तेरे बापू और हिम्मत राव बहुत अच्छे दोस्त थे।
हिम्मत राव ने उस मुश्किल के दौर में हमारी मदद किया था पैसा और अनाज देखे।।

जिसका एहसान तेरे बापू हमेशा मानते थे।
पर वो नहीं जानते थे की हिम्मत राव की नज़र कितनी गंदी है।
उस बड़े से हवेली में रहने वाला हिम्मत राव एक घटिया इंसान है।

वो तेरी माँ पे गंदी निग़ाह रखे हुए था।
मुझे भाभी भाभी कहते कहते एक दिन उसने अपनी मर्यादा पार करने की कोशिश की।

मुझे धोखे से हवेली बुलाके अपनी गंदी हवस का मुझे शिकार बनाना चाहा मगर ठीक वक़्त पे हिम्मत राव की पत्नी वहां आ गई और उसनी मेरी इज़्ज़त बचा ली।

मै तो वहां से चली आई मगर जब ये बात तेरे बापू को पता चली तो उन्होंने भरे पंचायत के सामने हिम्मत राव को थप्पड मारा था।

हिम्मत राव; ये अपमान नहीं सह पाया और उसने भरे पंचयत के सामने तेरे बापू से वो पैसे मांगे जो उसने अकाल के वक़्त तेरे बापू को दिए थे।

उस वक़्त हमारे पास उतने पैसे नहीं थे।

तो हिम्मत राव ने शर्त रखी की जब तक तेरे बापू सारा पैसा नहीं दे देते वो हवेली में और हिम्मत राव के खेतो में काम करेंगे।

तेरे बापू;बात मान गये।

ओ रोज़ हिम्मत राव के खेत में काम करने जाते थे।
और उस मनहूस दिन वो घर से निकले मगर फिर दूबारा वापस नहीं आए।
न उनकी लाश हमे कही मिली।

गांव वालो ने हिम्मत राव से पूछा तो उसने कहा की उसे कुछ नहीं पता।
तेरे बापू उसके खेत में गए ही नही।
ऐसा उसने पंचायत के सामने कहा।

मै अकेली जान क्या कर सकती थी । तू भी इतना छोटा था की कुछ नहीं कर पाता और ममता मेरी कोख में थी।।

तेरे बापू के साथ क्या हुआ मुझे सच में नहीं पता । ये राज़ सिर्फ हिम्मत राव जानता है और कोई नही।

देवा; हिम्मत राव के पैसे फिर किसने चुकाए।

रत्ना;तेरे बापू जब नहीं मिले तो हिम्मत राव ने वो पैसे माफ़ कर दिए। ये कहते हुए की जिसने लिए थे वो तो इस दुनिया में नहीं रहा उसका क़र्ज़ा उसके साथ चला गया।।

देवा;नहीं माँ हिम्मत राव को वो राज़ उगलना होगा।

रत्ना;नहीं नहीं तू ऐसा कोई काम नहीं करेगा जिससे मै तुझे खो दूँ । कुछ नहीं करेगा तू सुन रहा है ना तुझे मेरी कसम देवा।

देवा;चिंता मत करो माँ मुझे कुछ नहीं होंगा मगर जब तक मै अपने बापू के मौत का राज़ नहीं जान लेता मुझे चैन नहीं मिलेंगा।।

रत्ना;तू कुछ नहीं करेगा न। इधर देख कुछ नहीं करेगा न किसी को भी।

देवा;रत्ना को अपने बाहों में समेट लेता है जब तूने अपने कसम दे दी मुझे तो भला मै किसी को कुछ कैसे कर सकता हूँ।।
कुछ नहीं करुँगा किसी को भी।
चल अब घर चल और हाँ ममता से ये बात मत कहना।

रत्ना;नहीं चल बहुत देर हो गई है।
दोनो माँ बेटे घर तो पहुँच जाते है।

मगर देवा मन में ये ठान लेता है की चाहे कुछ भी हो जाये उसे कोई भी रास्ता अपनाना पड़े वो हिम्मत राव से राज़ जान के रहेगा।

शाम घिर चुकी थी और देवा खाना खाके आँगन में आराम कर रहा था।
वो सोच रहा था की कैसे हिम्मत से बात निकल सकती है।अचानक उसके दिमाग में एक ख्याल आता है।

रुक्मणी;हिम्मत राव की पत्नी।
कोई भी पति अपने पत्नी से कुछ नहीं छुपाता ज़रूर हिम्मत राव ने रुक्मणी से ये बात कहा होगा। रुक्मणी सब जानती होंगी और अगर नहीं भी जानती होगी तो अगर रुक्मणी को किसी तरह पटा लिया जाए तो शायद वो बातों बातों में हिम्मत राव से बात निकाल ले।

वो उठके बैठ जाता है और पक्का निश्चय कर लेता है की रुक्मणी को अपनी उँगलियों पे नाचने पे मजबूर करके उसके ज़रिये राज़ पता करेगा।

देवा;माँ मै हवेली जा रहा हूँ सोने।

रत्ना;भागते हुए उसके पास आती है जाना ज़रुरी है क्या कोई और नहीं जा सकता बेटा।

देवा;डरो मत माँ मै सुबह जल्दी घर आ जाऊंगा।

रत्ना;पसीने में भिगे हुए बड़े बड़े कठोर ब्रैस्ट को देवा की छाती में धँसा के उससे चिपक जाती है।
मुझे बहुत डर लग रहा है देवा ।

देवा;अपनी माँ के स्पर्श से सिहर उठता है और वो भी रत्ना को अपने सीने में समां लेता है।

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