अपडेट 11 – Indian MILF
देवा;घर पहुँच चूका था । घर में रत्ना और ममता उसी का इंतज़ार कर रही थी उनके चेरे पे परेशानी साफ़ देखी जा सकती थी।
जब वो देवा को दरवाज़ा खोल के अंदर आता देखतीं हैं तो खुश हो जाते है।
रत्ना;बडी देर लग गई बेटा।
देवा;हाथ मुंह धोते हुए हाँ माँ वो कपडे लेने में देर हो गई।
ममता; भाई शहर से मेरे लिए क्या लाये।
रत्ना;बस कर लड़की। भाई अभी घर आया नहीं खाने का पूछा नहीं की मेरे लिए क्या लाये।
जा जाके खाना ला दे।
ममता ; फुले हुए मुंह के साथ किचन में चली जाती है।उसने देवा के हाथ में बैग तो देख ही ली थी बस दिल जल्द से जल्द उन्हें खोल के देखने को कर रहा था।
देवा;खाना खाने लगता है।
रत्ना उसके पास बैठ के हाथ के पंखे से हवा करने लगती है।
रत्ना;बहुत थका थका सा लग रहा है देवा । तू क्यों इतना काम करता है।
देवा;उफ़ माँ कहाँ थका हुआ हूँ बिलकुल ठीक तो हूँ।तुम भी ना।
वो खाना खाने के बाद बैग खोलता है और उस में से पहले एक साडी निकालता है जो वो रत्ना के लिए लाया था।
साड़ी बहुत अच्छी थी रतना उसे खोल के देखती है उसके चेहरे के हाव भाव देवा को बता देतें है की साडी रत्ना को बेहद पसंद आई है।
ममता; भाई ये दूसरे बैग में क्या है।
देवा; हाँ हाँ मै समझ गया । ये ले तेरे लिए एक शलवार कुर्ता और ये रात में पहनने के लिए कुछ कपडे लाया हूँ।।
ममता; झट से कपडे हाथ में ले के बाथरूम में घुस जाती है।
वो इतनी उतावली हो रही थी कपडे पहन के देखने के लिए की बस जल्दी जल्दी वो अपना कुर्ता निकाल के फ़ेंक देती है।
देवा;माँ तुम भी साडी पहन के देख लो अगर अच्छी नहीं लगी तो वापस कर देंगे।
रत्ना;कल पहन लुंगी बेटा।
देवा;नहीं माँ मुझे अभी देखना है।
रत्ना;रोज़ तो देखता है तु।
देवा;आज अच्छे से देखना है पहन लो न माँ।
रत्ना; अच्छा बाबा तू देखे बिना मानने वाला तो है नही।
रत्ना उठके अपने रूम चली जाती है
ममता ; नाईट ड्रेस पहनके जब देवा के सामने इतराते हुए आती है तो देवा देखता रह जाता है।
कैसी लग रही हूँ भैया।वो इधर उधर घुम घुम के देवा को अपने अलग अलग भाग के एक तरह से दर्शन करवाने लगती है।
देवा;उठके उसके पास जाता है।
ज़रा बता मुझे हम्म एकदम मस्त बिलकुल फिट आएँ है ना कपडे तुझ पे।
एक मिनट यहाँ से थोड़ा ढिला है क्या ।
वो ममता को पीछे घुमा के उसके कमर की फिटिंग देखने लगता है।
और अनजाने में उसका हाथ ममता के कमर पे चला जाता है।
ममता के मुंह से आहह निकल जाता है।
देवा समझ के भी अन्जान बन जाता है।
क्या हुआ ममता।
ममता ; कुछ नहीं भाई ।
तभी वहां रत्ना साडी पहनके आती है वो साडी रत्ना पे बहुत जंच रही थी देवा तो उसे देखता ही रह जाता है।
मोते मोटे रस से भरे हुए सुडौल ब्रैस्ट आज देवा को साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे। उसकी नज़र आज रत्ना की ब्रैस्ट से हटने का नाम नहीं ले रही थी।
ममता ; खंखारती है और दुसरा ड्रेस पहनने वापस बाथरूम में घुस जाती है।
रत्ना;अभी भी चुप चाप देवा के मुंह से तारीफ सुनने के लिए खड़ी थी।
देवा;आगे बढ़के रत्ना के पास आता है।
बहुत सुन्दर लग रही हो माँ तुम।
रत्ना;धत बदमाश अब इस उम्र में मै क्या अच्छी लगूँगी बेटा।
देवा;मैंने कहा न मेरी बात पर विश्वास नहीं है तुम्हें।
रत्ना;अरे नहीं वो बात नहीं अच्छा ये बता तूने साडी तो ले आया पर अंदर पहनने के लिए कुछ नहीं लाया।
देवा;तुम ऐसे ही अच्छी लगती हो।ये शब्द उसके मुंह से निकल तो गए थे पर ये दोनों माँ बेटे के चेहरे को शर्म से लाल भी कर गए थे।
रत्ना;अपने रूम में चली जाती है और देवा खटिया पे बैठ जाता है ।
वो सोचने लगता है कही माँ को बुरा तो नहीं लग गया होगा।
कुछ देर बाद जब रत्ना बाहर आती है तो वो बिलकुल नार्मल लग रही थी । ये देख देवा की जान में जान आती है और वो चैन की नींद सो जाता है।
सुबह के 7 बजे।
देवा;तैयार हो चुका था और वो नाश्ता करके खेत की तरफ चला जाता है।
आज खेत में उसे मज़दूरों से काम लेना था वो जो सुबह से काम में लगता है तो 11 बज जाते है।
गर्मी के कारण मज़दूर अपने अपने घर को चले जाते है देवा वही कुंवे पर हाथ मुंह धोने लगता है तभी उसे शालु अपनी कमर मटकाते हुए आती दिखाई देती है।
शालु;सीधा देवा के खेत में आती है । आज उसके साथ बकरियाँ नहीं थी वो अकेली ही आई थी।
देवा;क्या बात है काकी आज तुम अकेली आई हो मेरा मतलब है बकरियाँ चराने नहीं लाई।
शालु;अरे पप्पू ले गया है नदी पर उन्हें। मै तो यहाँ आम तोड़ने आई थी अच्छा हुआ तू मिल गया ज़रा कुछ कच्ची कैरिया तोड़ दे मुझे।
देवा;शालु को नीचे से ऊपर तक देखने लगता है और सोचता है साली खुद तो पका पकाया आम है जितना निचोड़ो उतना कम ।
शालु;देवा के ऑंखों की गर्मी अपने शरीर पे महसूस कर चुकी थी।
क्या हुआ नहीं तोड़ना हो तो बोल दे।
देवा;अरे नहीं काकी आपको नहीं दूंगा तो फिर किसे दूँगा।
शालु;बडा आया देने वाला चल जल्दी कर कच्ची वाली तोड़ना।
देवा;काकी जो मजा पके चीज़ में है वो कच्ची में कहाँ।
शालु;अच्छा तुझे कैसे पता।
देवा;लो कर लो बात। पके आम को दबा दबा के खाने में कितना मजा आता है।
शालु; बेटा कच्ची चीज़ बहुत मजा देती है चटखारे मारता रह जाता है इंसान।
देवा;मुझे तो पके हुए पसंद है।
शालु;तुझे क्या क्या पसंद है मै अच्छे से जानती हूँ। ज़्यादा बाते न बना चल जल्दी कर।
देवा;काकी जल्दी का नाम शैतान का धीरे धीरे में जो मजा है वो जल्दी में नही।
शालु; देवा को घुरने लगती है देवा की डबल मीनिंग बातें शालु खूब समझती थी।
चल मेरा काम करता है या नही।
देवा; मैं तो कब से तैयार हूँ काम करने के लिए आप ही मुझे बातों में उलझा रही हो चलो इधर आओ ।
शालु;क्या मतलब।
देवा;अरे बाबा मै आपको ऊपर उठाता हूँ आप अपनी मर्जी के कच्ची वाली आम तोड़ लो।
शालु;आगे बढ़ती है और देवा उसे कमर के पास से पकड़ के ऊपर उठा लेता है।
देवा;बहुत भारी हो गई हो तुम काकी।
शालु;बस निकल गया दम बड़ा मरद बनता फिरता है । दो पल तो सँभाल नहीं सकता अपनी जोरु को क्या सँभालेंगा।
देवा;ग़ुस्से में आके शालु को और ऊपर उठा लेता है जिससे शालु की कमर देवा के मुंह के सामने आ जाती है।
शालु;कच्ची कैरिया तोड़ने लगती है और देवा शालु के दोनों मोटे मोटे कमर नहीं बल्कि कमरों को इतने पास से देखने लगता है।
देवा;के मुंह में पानी आने लगता है कल से लंड रह रह के उछाले मार रहा था अचानक उसका मुंह शालु के चूतड़ के बीच के दरार में घुस जाता है।