फूफी और उसकी बेटी से शादी – indian incest sex story

मुझे यकीन नहीं हो रहा था की फूफी इतनी जल्दी माफी माँग लेंगी। मैंने कहा- “ठीक है। मैंने आपको माफ किया, और आज से मैं आपको अकेले में रुखसाना ही कहकर बुलाऊँगा। क्योंकी आज से आप मेरी फूफी नहीं गर्लफ्रेंड हैं…” कहकर मैंने उनके आँसू पोंछे और उन्हें गले लगा लिया।

मैंने पूछा- “तुमको इतनी जल्दी एहसास कैसे हो गया की तुम मुझसे प्यार करती हो?”

तब रुखसाना बोली- “जब तुम और शाजिया एक साथ बाहों में बाहें डालकर आए थे तब मुझे तुम्हें किसी और के साथ देखकर बुरा लग रहा था। मैं रात भर तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी। तब मुझे एहसास हुआ की मेरे मन में भी तुम्हारे लिए कुछ कुछ है….”

मैं सोचने लगा- “ये तो साला लफड़ा हो गया। इधर फूफी को और उधर शाजिया को भी मैंने लगभग पटा लिया है। अब दोनों को एक साथ कैसे मैनेज करूं? मुझे फूफी को सब कुछ बता देना चाहिए.”

मैंने कहा- “फूफी मुझे लगा की तुम्हें मुझसे प्यार नहीं है, इसलिए मैं बहुत दुखी था। कल जब मैं शाजिया को घुमाने ले गया तब मुझे एहसास हुआ की शाजिया मुझसे बहुत प्यार करती है और मैं भी उसकी जवानी की तरफ आकर्षित हो गया, और वो भी मुझे अच्छी लगने लगी है…”

तभी फूफी बोली- “इसका मतलब तुम्हारा प्यार मेरे लिए खत्म हो गया?”

मैं- “नहीं फूफी, ऐसा नहीं है। मेरा प्यार तो आपके लिए और बढ़ गया है। पर अब मेरे दिल में शाजिया के लिए भी फीलिंग आ गई है, और मैं तुम दोनों को खोना नहीं चाहता हूँ। मुझे आप दोनों से प्यार हो गया है। मैं अब क्या करूं?”

फूफी बोली- “पर सबसे ज्यादा प्यार तुम किससे करते हो?”

मैं- “आपसे करता हूँ…

फूफी- “तो फैसला हो गया। तुम शाजिया से प्यार करते रहो, पर सबसे ज्यादा प्यार तो मुझसे ही करते हो । लेकिन याद रखना तुम शाजिया के साथ वो सब मत करना जो पति-पत्नी करते हैं। आगे चल के ये सब पे सिर्फ मेरा हक होगा….”

मैंने हँसते हुए कहा- “जी फूफी मुझ पर सबसे ज्यादा हक आपका ही होगा….”

फूफी ने मुझे अपनी बाहों में पकड़ लिया, और कहा- “भूल गये? फूफी नहीं रुखसाना कहना है…”

मैं उन्हें कसकर पकड़कर उनके होठों पे किस करने लगा। मैंने अपना एक हाथ उनकी गाण्ड पे रखा था और दूसरा हाथ उनकी कमर पे हमारी किस दो मिनट तक चली थी, क्योंकी वो शर्माकर रुक गई थी। उन्हें किस करना नहीं आता था।

मैं- “चिंता मत कीजिए, अब आपको किस करने की आदत पड़ जाएंगी…”

फूफी शर्माकर हँसने लगी और मुझसे लिपट के अपना मुँह छुपाने लगी। मैं बहुत खुश था की शाजिया के साथ अब फूफी भी मिल गई। मैंने खुशी के मारे अपने दोनों हाथों को रुखसाना की कमर में डालकर उसे उठा लिया और किस करने लगा।

शाजिया बाथरूम में थी।

हम दोनों एक दूसरे को बाहों में लेकर एक दूसरे की आँखों में खोए थे।

फूफी बोली- “तुम मुझे कभी छोड़कर तो नहीं जाओगे ना?”

मैं- “नहीं, कभी नहीं जाऊँगा रुखसाना…

फूफी- “मुझे तुमसे एक और बात करनी है?”

मैं- कौन सी बात?

फूफी- “मुझे तुमसे प्यार करने में शर्म आती है। क्योंकी तुम मेरे बेटे जैसे हो। मैं ये चाहती हूँ की हम दोनों अपने आप पे थोड़ा कंट्रोल रखें और पति पत्नी वाला रिलेशन धीरे-धीरे बनाएं। मैं एकदम से वो रिलेशन नहीं बना पाऊँगी। मेरे लिए ये सब बहुत मुश्किल होगा.”

मैंने कहा- “ठीक है रुखसाना, तुम जैसा चाहती हो वैसा ही होगा। तुम मुझे मिल गई हो मेरे लिए बस इतना ही काफी है…

मैं मन में सोचने लगा- “शायद मैंने कुछ ज्यादा ही जल्दी रुखसाना को अपना प्यार दिखा दिया। मुझे उसको और सिड्यूस करना चाहिए था। तब वो खुद मुझे अपने आपको चोदने के लिए कहती। मुझसे गलती हो गई लेकिन अब मैं उस गलती को सुधारूंगा…”

शाजिया बाथरूम से निकलने लगी। ये देखकर मैं किचेन से निकल गया। मैं नहीं चाहता था की शाजिया ये सब देखे । नहीं तो उसे लगेगा की मैं उसके साथ फूफी पर भी लाइन मार रहा हूँ। वो स्कूल जाने के लिए तैयार होने लगी।

एक ही रूम होने की वजह से शाजिया बाथरूम में जाने लगी कपड़े पहनने के लिए।

मैंने कहा- “बाथरूम में क्यों जा रही हो यही चेंज कर लो ना ? मुझसे कैसी शर्म ? मैं तुम्हें पहले भी चेंज करते हुए देख चुका हूँ…”

शाजिया हँसने लगी और कहा- “अब मुझे शर्म आ रही है….”

मैं- “अरी शर्म कैसी? मैं तो तुम्हारा अपना ही हूँ..”

शाजिया ये सुनकर चेंज करने लगी। उसका चेहरा शर्म के मारे लाल हो चुका था। उसने सबसे पहले अपना तौलिया नीचे गिरा दिया। शाजिया ने ब्लैक कलर की ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी।

उसकी गाण्ड देखकर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। मैंने अपने हाथ से बरमूडा पे बने तंबू को छुपा लिया। वो मुँह घुमा के अपने स्कूल के कपड़े पहन रही थी। क्योंकी शाजिया को बहुत शर्म आ रही थी। गाँव की लड़की चाहे जितनी मोर्डर्न बनने की कोशिश करे वो होती बहुत शर्मीली है, छोटे कपड़े के मामले में।

शाजिया कपड़े पहनने के बाद मेरी तरफ घूमी और बोली- “ठीक लग रही हूँ ना ?”

मैंने कहा- “हाँ बहुत सुंदर लग रही हो। जब मैं शादी करूँगा तब तुम्हारे जैसी ही किसी हाट लड़की से करूँगा.. “

शाजिया हँसने लगी ।

अचानक मेरी नजर किचेन के दरवाजे पे खड़ी रुखसाना पे पड़ी। वो शाजिया और मुझे गुस्से से देख रही थी। मुझे लगा अब यहां से खिसकने में ही भलाई है। मैं गार्डेन में चला गया।

रुखसाना पौधों को पानी देने आई और शाजिया को चिल्लाकर बोली- “तुम इतनी देर से यहां कपड़े पहन रही हो तुम्हें स्कूल नहीं जाना क्या?” फूफी को मेरी बातें सुनकर जलन हुई थी इसलिए वो गुस्से में थी।

शाजिया को लगा जैसे अम्मी ने सब देख लिया है उसे भैया के सामने कपड़े पहनते हुए । इसलिए वो बिना कुछ बोले टिफिन लेकर चली गई। अब उसे क्या पता की फूफी को पता है की मैं उसे लाइन मारता हूँ।

रुखसाना घर की साफ सफाई करने लगी। मुझे लगा उसका गुस्सा शांत हो गया होगा। इसलिए मैं जाकर टीवी देखने लगा। वो रूम में आकर साफ सफाई करने लगी। शाजिया की वजह से पहले ही मेरा लण्ड एक बार खड़ा हो चुका था ऊपर से रुखसाना को सफाई करते हुए देखकर मेरे लण्ड में कुछ हलचल होने लगी। मेरा मूड फिर से बनने लगा।

मैंने रुखसाना की कमर को पीछे से पकड़ लिया तो वो थोड़ा सा चौक गई। अब उसकी कमर और पीठ को मैं सहलाने लगा। वो नीचे बैठकर सफाई कर रही थी। उसका गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ था तो रुखसाना मेरे छूते ही उठ गई और मुझसे दूर जाने लगी।

मैंने उसे प्यार से पकड़ लिया और कहा- “सारी जानू, मैंने शाजिया से ऐसे ही कह दिया था उसे खुश करने के लिए…”

रुखसाना- “सच में आपने ऐसे ही कहा था उससे की आपके मन में कुछ है उसके लिए? अगर है तो बता दीजिए मैं अभी आपके रास्ते से हट जाती हूँ..

मैं- “नहीं जानू ऐसा कुछ नहीं है। मैं तुमसे ही सबसे ज्यादा प्यार करता हूँ। अब तो माफ कर दो ना…”

रुखसाना- “ठीक है जाइए माफ किया…”

मैं- “मुझे कैसे पता चलेगा की तुमने मुझे दिल से माफ किया है?”

रुखसाना- “तो क्या चाहिए आपको?”

मैं- एक किस चाहिए और कुछ नहीं ।

वो ये सुनकर हँसने लगी। मैं उसकी तरफ बढ़ने लगा और उसे किस करने लगा। मैंने किस करते-करते उसकी साड़ी खोल दी और अब उसकी गर्दन पे किस करने लगा। रुखसाना ने मुझे कस के पकड़ रखा था। हम लोग दीवार के सहारे खड़े थे। मेरा हाथ उनकी पीठ से होते हुए उनकी गाण्ड पे आ गया। अब मैं अपने एक हाथ से उसकी गाण्ड को धीमे-धीमे दबाने लगा। उसकी सांसें तेज हो रही थी और दूसरे हाथ से उनकी चूचियों को भी मैं धीरे-धीरे दबा रहा था।

अचानक फूफी को पता नहीं क्या हुआ की वो अपने आपको मुझसे छुड़वाने लगी।

मैंने पूछा- “क्या हुआ जानू ?”

फूफी- “मुझे बहुत शर्म आ रही है। हमें इससे आगे अभी नहीं बढ़ना चाहिए। अपने एमोशन को कंट्रोल कीजिए मैं अभी मानसिक तौर पे तैयार नहीं हैं…


मैंने अपने गुस्से को दबा लिया। क्योंकी मैंने ही कहा था की मैं उसके साथ जल्दबाजी में कुछ नहीं करूँगा। मैंने कहा- “अच्छा चलो ठीक है….”

रुखसाना साड़ी ठीक करने बाद सफाई करने लगी और मैं टीवी देखने लगा। उस दिन केवल थोड़ी-थोड़ी मस्ती की रुखसाना और शाजिया के साथ

dosto indian incest sex story kaise lagi apko comments me jarur batana so hume aur bhi likhneka protsahan mile

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