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बॉलीवुड आक्ट्रेस साक्षी तवँर की चुदाई

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aise hi maa ki sex kahani ke liye padho चक्रवूह family sex

मेरी मासी टीवी आक्ट्रेस हैं और जिसका नाम साक्षी तवँर है.मैं उसे मासी ना कह कर साक्षी ही कहूँगा.वो मेरी माँ की छोटी बेहन हैं.बोहोत लोग ऐसे भी होंगे जो साक्षी के नाम की मूठ मारते हैं और मैं भी उनमे से एक हूँ.मैं जब छोटा था तभी से छुट्टियों मे साक्षी के घर जाता तो वो मुझे बचपन से ही बहुत चाहती थी लेकिन मैं जब छोटा था तो मैं भी उसे बहुत प्यार करता जब मैं बड़ा हुआ तो मुझे पता चला कि सेक्स भी लाइफ मे ज़रूरी है!

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साक्षी मुझे बहुत चाहती थी लेकिन उसका मकसद था कि मैं उसकी बहन का बेटा था तो वो मुझे मासी की तरह प्यार करती जब मैं बड़ा हुआ और साक्षी के घर जाता तो वो मुझे चूमती हग करती तो मेरा लंड खड़ा हो जाता तो मैं भी उससे लिपट कर उसकी पीठ पर हाथ फेरता अब जब वो मुझे अपने गले लगाती तो उसके जो बड़े बड़े बूब्स थे मेरी छाती पर चिपक जाते तो मैं अपने आपको बहुत कंट्रोल कर लेता फिर बाथरूम जाकर साक्षी को याद करके उसकी नाम की मूठ मारता ! मैं सोते समय हमेशा साक्षी मासी के बारे मे सोचता कि उसके कितने बड़े बूब्स होंगे उसकी चूत कैसी होगी वो उसकी गुलाबी चूत को मैं कैसे चोदु इसके बारे मे सोचते रहता कभी कभी मेरी पॅंट मैं मेरा पानी निकल जाता

एक दिन मैं अपने कमरे मे बैठा था तभी साक्षी मासी वहाँ आई मैने उन्हे एक प्यारी सी स्माइल दी तो उन्होने मुझे चूमना शुरू किया मेरे गालो पर किस करने लगी मैने भी उनको अपनी बाहों मे ले लिया मगर मासी होने के नाते उन्होने भी मुझे बाहों मे भर लिया और मेरी पीठ थप थपाने लगी लेकिन मेरा अब लवडा पूरी तरह खड़ा हो गया …..!उस वक़्त वो सीरियल की शूटिंग करके वापिस आई थी उन्होने उस वक़्त यानी साक्षी ने ट्रॅन्स्परेंट साड़ी और स्लीवलेशस ब्लाउस पहना था.ब्लाउस थोड़ा लो कट था

साक्षी- कैसे हो राहुल पढ़ाई कैसी चल रही है!
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मैने ;सब ठीक है मासी आप टेन्षन मत लो

साक्षी-:और कॉलेज मे कोई गर्लफ्रेंड बनाई है या नही ?

मैं :आइ वाज़ शॉक्ड टू हियर दट) नही मासी मैं थोड़ा घबरा गया नही मासी

साक्षी :इस उमर मे तो सभी लड़के लड़कियों के पीछे भागते है!

मुझे समझ नही आरहा था कि क्या कहूँ तो मैने अपनी गर्दन नीचे झुका दीतभी उसके हाथ से मोबाइल नीचे गिरा और वो मोबाइल उठाने के लिए झुकी तो उसके बॉल सॉफ सॉफ नज़र आरहे थे क्या नज़ारा था उसने मुझे देखा तो अपना पल्लू ठीक करके वहाँ से चली गयी
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दुरे दिन जब साक्षी मेरे लिए नाश्ता लेकर आई तो उन्होने जानबूझकर अपना पल्लू गिरा दिया फिर मैं उसी की तरफ देख रहा था तो मासी ने कहा पसंद है!तो बोलो मैं ने सोचा कि यह ही सही मौका है साली की अभी तक शादी नही हुई है इस लिए लंड के लिए तड़प रही होगी कुतिया और हिम्मत कर के बोला “अगर चूसने को मिल जाता तो मज़ा आ जाता”.

साक्षी ने फिर अपनी साड़ी खोल दी.अब वो सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लाउस मे थी.उसके मुलायम होंठ और,बूब्स को देख कर मे पागल हो गया और जाके उससे चिपक गया.अब मैने एक हाथ साक्षी के बूब्स पे रखा और एक हाथ से पेटिकोट के उपर से उसके चूतड़ सहला ने लगा.वो मुझे देख कर मुस्कुराइ.तो मैं उसके होंठो को पागलों की तरह चूमने लगा.थोड़ी देर बाद मैने उसका ब्लाउस उतारा और पेटिकोट का नाडा खोल दिया.अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी पेर थी.मैने अपनी पॅंट उतार दी.मैने उसके कान मे कहा कि मैं कब से तुम्हे चाहता हूँ और तेरी चूत मारना चाहता था.ये कहानी राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे है.
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साक्षी बोली:”मैं जानती हूँ मेरे राजा,जब तुम मेरी पैंटी की खुश्बू सूंघरहे थे और अपना लॉडा हिला रहे थे तब तुम बाथरूम का डोर लॉक करना भूल गये थे और मैने वो सब देख लिया.उस दिन तेरा लॉडा देखा तो मेरी चूत मे खुजली सी होने लगी.तब मुझे लगा कि तू अब बड़ा हो गया है और तुम्हे भी चूत की ज़रूरत है.मैने वो भी सुन लिया था जो तुम मेरे बारे मे बोल रहे थे ”

मैं:”तुम्हे बुरा तो नही लगा”

साक्षी:”उसमे बुरा लगने वाली क्या बात है.मैं तो खुश हूँ कि तू तेरी मासी को चोदना चाहता है.और चुदाई करते समय अगर गंदी गंदी बातें करे तो चुदाई का मज़ा और आता है.अब तू बता तू मेरे बारे मैं क्या सोचता है

साक्षी की चूची एकदम दूध के जैसी गोरे रंग की थी. चूची का आकार ऐसा था जैसे किसी मध्यम आकार के कटोरे को उलट कर साक्षी की छाती से चिपका दिया गया हो और फिर उसके ऊपर किशमिश के एक बड़े से दाने को डाल दिया गया हो. मध्यम आकार के कटोरे से मेरा मतलब है की अगर साक्षी की चूची को मुट्ठी में पकड़ा जाये तो उसका आधा भाग मुट्ठी से बाहर ही रहेगा. चूची का रंग चूँकि हद से ज्यादा गोरा था इसलिए हरी हरी नसे उस पर साफ़ दिखाई पर रही थी, जो की चूची की सुन्दरता को और बढा रही थी. सामने से देखने पर थ्री-डायेमेन्शन में नज़र आ रहे थे. . निप्पलों का रंग गुलाबी था, पर हल्का भूरापन लिए हुए था. बहुत ज्यादा बड़ा तो नहीं था मगर एक दम छोटा भी नहीं था किशमिश से बड़ा और चॉकलेट से थोड़ा सा छोटा. मतलब मुंह में जाने के बाद चॉकलेट और किशमिश दोनों का मजा देने वाला. दोनों होंठो के बीच दबा कर हलके-हलके दबा-दबा कर दांत से काटते हुए अगर चूसा जाये तो बिना चोदे झर जाने की पूरी सम्भावना थी

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साक्षी एक पल को चुप रही फिर मेरी ठोड़ी पकड़ कर मेरे चेहरे को ऊपर उठाती हुई हल्का सा मुस्कुराते हुई बोली “मैं तुझे अच्छी लगती हूँ क्या….”

मैं एकदम से शर्मा गया मेरे गाल लाल हो गए और झेंप कर गर्दन फिर से नीचे झुका ली. मैं साक्षी के सामने बैठा हुआ था साक्षी ने हाफ पैंट के बाहर झांकती मेरी जांघो पर अपना हाथ रखा और उसे सहलाती हुई धीरे से अपने हाथ को आगे बढा कर मेरे पैंट के उभरे हुए भाग पर रख दिया. मैं शर्मा कर अपने आप में सिमटते हुए साक्षी के हाथ को हटाने की कोशिश करते हुए अपने दोनों जांघो को आपस में सटाने की कोशिश की ताकि साक्षी मेरे उभार को नहीं देख पाए. साक्षी ने मेरे जांघ पर दबाब डालते हुए उनका सीधा कर दिया और मेरे पैंट के उभार को पैंट के ऊपर से पकड़ लिया और बोली “रुक…आराम से बैठा रह…देखने दे….साले अभी शर्मा रहा है,… मैं सहम कर चुप चाप बैठ गया.
साक्षी मेरे लण्ड को छोर कर मेरे हाफ पैंट का बटन खोलने लगी. मेरे पैंट के बटन खोल कर कड़कती आवाज़ में बोली “चुत्तर…उठा तो…तेरा पैंट निकालू…”

मैंने हल्का विरोध किया “ओह साक्षी छोड़ दो…”

“ मार खायेगा क्या…जैसा कहती हु वैसा कर…” कहती हुई थोड़ा आगे खिसक कर मेरे पास आई और अपने पेटिकोट को खींच कर घुटनों से ऊपर करते हुए पहले के जैसे बैठ गई.

मैंने चुपचाप अपने चुत्तरों को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया. साक्षी ने सटाक से मेरे पैंट को खींच कर मेरी कमर और चुत्तरों के नीचे कर दिया, फिर मेरे पैरों से होकर मेरे पैंट को पूरा निकाल कर नीचे कारपेट पर फेंक दिया.
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मैंने नीचे से पूरा नंगा हो गया था और मेरा ढीला लण्ड साक्षी की आँखों के सामने था. मैंने हाल ही में अपने लण्ड के ऊपर उगे के बालो को ट्रिम किया था इसलिए झांट बहुत कम थे. मेरे ढीले लण्ड को अपनी मुठ्ठी में भरते हुए साक्षी ने सुपाड़े की चमड़ी को थोड़ा सा नीचे खींचते हुए मेरे मरे हुए लण्ड पर जब हाथ चलाया तो मैं सनसनी से भर आह किया.

साक्षी ने मेरी इस आह पर कोई ध्यान नहीं दिया और अपने अंगूठे को सुपाड़े पर चलाती हुई सक-सक मेरे लण्ड की चमड़ी को ऊपर नीचे किया.

साक्षी के कोमल हाथो का स्पर्श पा कर मेरे लण्ड में जान वापस आ गई. मैं डरा हुआ था पर साक्षी जैसी खूबसूरत औरत की हथेली ने लौड़े को अपनी मुठ्ठी में दबोच कर मसलते हुए, चमड़ी को ऊपर नीचे करते हुए सुपाड़े को गुदगुदाया तो अपने आप मेरे लण्ड की तरफ खून की रफ्तार तेज हो गई. लौड़ा फुफकार उठा और अपनी पूरी औकात पर आ गया.

मेरे खड़े होते लण्ड को देख साक्षी का जोश दुगुना हो गया और दो-चार बार हाथ चला कर मेरे लण्ड को अपने बित्ते से नापती हुई बोली “बाप रे बाप….कैसा हल्लबी लण्ड है…ओह… हाय… तेरा तो सच में बहुत बड़ा है….मेरी इतनी उम्र हो गई….आज तक ऐसा नहीं देखा था…ओह…ये पूरा नौ इंच का लग रहा है…इतना बड़ा तो तेरे मौसा का भी नहीं….हाय….ये तो उनसे बहुत बड़ा लग रहा है…..और काफी शानदार है….उफ़….मैं तो….मैं तो……हाय…..ये तो गधे के लण्ड जितना बड़ा है…..उफ्फ्फ्फ़…..” बोलते हुए मेरे लण्ड को जोर से मरोड़ दिया और सुपाड़े को अपनी ऊँगली और अंगूठे के बीच कस कर दबा दिया.
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दर्द के मारे छटपटा कर जांघ सिकोडते हुए साक्षी का हाथ हटाने की कोशिश करते हुए पीछे खिसका तो तो मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी तरफ खींचती हुई बोली “हरामी….साले….मैं जब सो रही होती हु तो मेरी चूची दबाता है मेरी चुत में ऊँगली करता है….आग लगाता है….इतना मोटा लौड़ा ले कर….घूमता है…और बाएं गाल पर तड़ाक से एक झापड़ जड़ दिया.

मैं हतप्रभ सा हो गया. मेरी समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या करू. साक्षी मुझ से क्या चाहती है, ये भी समझ में नहीं आ रहा था. एक तरफ तो वो मेरे लण्ड को सहलाते हुए मुठ मार रही थी और दूसरी तरफ गाली देते हुए बात कर रही थी और मार रही थी. मैं उदास और डरी हुई नज़रों से साक्षी को देख रहा था. साक्षी मेरे लण्ड की मुठ मारने में मशगूल थी. एक हाथ में लण्ड को पकड़े हुए दुसरे हाथ से मेरे अन्डकोषो को अपनी हथेली में लेकर सहलाती हुई बोली “….हाथ से करता है…. राजू….अपना शरीर बर्बाद मत कर…..तेरा शरीर बर्बाद हो जायेगा तो मैं तेरी माँ को क्या मुंह दिखाउंगी….” कहते हुए जब अपनी नजरों को ऊपर उठाया तो मेरे उदास चेहरे पर साक्षी की नज़र पड़ी. मुझे उदास देख लण्ड पर हाथ चलाती हुई दुसरे हाथ से मेरे गाल को चुटकी में पकड़ मसलते हुए बोली “उदास क्यों है….क्या तुझे अच्छा नहीं लग रहा है…..हाय राजू तेरा लण्ड बहुत बड़ा और मजेदार है…. तेरा हाथ से करने लायक नहीं है….ये किसी छेद घुसा कर किया कर…..”
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मैं साक्षी की ऐसी खुल्लम खुल्ला बातों को सुन कर एक दम से भोच्चक रह गया और उनका मुंह ताकता रहा.
साक्षी मेरे लण्ड की चमड़ी को पूरा नीचे उतार कर सुपाड़े की गोलाई के चारो तरफ ऊँगली फेरती हुई बोली “ऐसे क्या देख रहा है….तू अपना शरीर बर्बाद कर लेगा तो मैं तेरी माँ को क्या मुंह दिखाउंगी……मैंने सोच लिया है मुझे तेरी मदद करनी पड़ेगी……..तू घबरा मत….”
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साक्षी की बाते सुन कर मुझे ख़ुशी हुई मैं हकलाते हुए बोला “हाय साक्षी मुझे डर लगता है….आपसे….” इस पर साक्षी बोली “राजू मेरे बेटे…डर मत….मैंने तुझे….गाली दी इसकी चिंता मत कर…. मैं तेरा मजा ख़राब नहीं करना चाहती…ले……मेरा मुंह मत देख तू भी मजे कर……..” और मेरा एक हाथ पकड़ कर अपनी ब्लाउज में कसी चुचियों पर रखती हुई बोली “….तू इनको दबाना चाहता था ना….ले…दबा…तू….भी मजा कर….मैं जरा तेरे लण्ड…. की……कितना पानी भरा है इसके अंदर….”

मैंने डरते हुए साक्षी की चुचियों को अपनी हथेली में थाम लिया और हलके हलके दबाने लगा. अभी दो तीन बार ही दबाया था की साक्षी मेरे लण्ड को मरोड़ती हुई बोली “साले…कब मर्द बनेगा….ऐसे औरतो की तरह चूची दबाएगा तो…इतना तगड़ा लण्ड हाथ से ही हिलाता रह जायेगा….अरे मर्द की तरह दबा ना…डर मत….ब्लाउज खोल के दबाना चाहता है तो खोल दे….हाय कितना मजेदार हथियार है तेरा….देख….इतनी देर से मुठ मार रही हूँ मगर पानी नहीं फेंक रहा…..” मैंने मन ही मन सोचा की आराम से मुठ मारेगी तभी तो पानी फेंकेगा, यहाँ तो जैसे ही लौड़ा अपनी औकात पर आया था वैसे ही एक थप्पर मार कर उसको ढीला कर दिया. इतनी देर में ये समझ में आ गया की अगर मुझे साक्षी के साथ मजा करना है तो बर्दाश्त करना ही पड़ेगा, चूँकि साक्षी ने अब खुली छूट दे दी थी इसलिए अपने मजे के अनुसार दोनों चुचियों को दबाने लगा, ब्लाउज के बटन भी साथ ही साथ खोल दिए और नीले रंग की छोटी से ब्रा में कसी साक्षी की दोनों रसभरी चुचियों को दोनों हाथो में भर का दबाते हुए मजा लूटने लगा.
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मजा बढ़ने के साथ लण्ड की औकात में भी बढोतरी होने लगी. सुपाड़ा गुलाबी से लाल हो गया था और नसों की रेखाएं लण्ड के ऊपर उभर आई थी. साक्षी पूरी कोशिश करके अपनी हथेली की मुट्ठी बना कर पुरे लण्ड को कसते हुए अपना हाथ चला रही थी.

फिर अचानक उन्होंने लण्ड को पकड़े हुए ही मुझे पीछे की तरफ धकेला, मेरी पीठ पलंग की पुश्त से जाकर टकराई मैं अभी संभल भी नहीं पाया था की साक्षी ने थोड़ा पीछे की तरफ खिसकते हुए जगह बनाते हुए अपने सर को नीचे झुका दिया और मेरे लाल आलू जैसे चमचमाते सुपाड़े को अपने होंठो के बीच कसते हुए जोर से चूसा.
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मुझे लगा जैसे मेरी जान सुपाड़े से निकल कर साक्षी के मुंह के अन्दर समा गई हो. गुदगुदी और मजे ने बेहाल कर दिया था. अपने नौजवान सुपाड़े को चमड़ी हटा कर पहले कभी पंखे के नीचे हवा लगाता था तो इतनी जबरदस्त सनसनी होती थी की मैं जल्दी से चमड़ी ऊपर कर लेता था. यहाँ साक्षी की गरम मुंह के अन्दर उनके कोमल होंठ और जीभ ने जब अपना कमाल सुपाड़े पर दिखाना शुरू किया तो मैं सनसनी से भर उठा. लगा की लण्ड पानी छोड़ देगा. घबरा कर साक्षी के मुंह को अपने लण्ड पर से हटाने के लिए चूची छोड़ कर उनके सर को पकड़ ऊपर उठाने की कोशिश की तो साक्षी मेरे हाथ को झटक लौड़े पर से मुंह हटाती हुई बोली “हाय राजू….तेरा लण्ड तो बहुत स्वादिष्ट है….खाने लायक है….तुझे मजा आएगा…….चूसने दे….देख हाथ से करने से ज्यादा मजा मिलेगा….”
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मैं घबराता हुआ बोला “पर…पर…साक्षी मेरा निकल जायेगा,,,,बहुत गुदगुदी होती है…..जब चूसती हो…..हाय. इस पर साक्षी खुश होती हुई बोली “कोई बात नहीं ….ऐसा होता है…..आज से पहले कभी तुने चुसवाया है…”

“हाय…नहीं साक्षी…कभी…नहीं….”
“ओह… हो…..मतलब किसी के साथ भी किसी तरह का मजा नहीं लिया है…..”

“हाय…नहीं साक्षी ….कभी किसी के साथ…..नहीं”

“कभी किसी औरत या लड़की को नंगा नहीं देखा है…..”

मैं साक्षी की इस बात पर शर्मा गया और हकलाते हुए बोला ” जी कभी नहीं…”

“हाय तभी तू इतना तरस रहा है….और छुप कर देखने की कोशिश कर रहा था….कोई बात नहीं राजू….मुझे भी तेरी माँ को मुंह दिखाना है….चिंता मत कर….पहले मैं ये तेरा चूस कर इसकी मलाई एक बार निकाल देती हूँ…फिर तुझे दिखा दूंगी…..”

मैं ज्यादा कुछ समझ नहीं पाया की क्या दिखा दूंगी. मेरा ध्यान तो मेरे तन्नाये हुए लौड़े पर ही अटका पड़ा था. मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुंका था और अब किसी भी तरह से लण्ड का पानी निकलना चाहता था.

मैंने अपने लण्ड को हाथ से पकड़ा तो साक्षी ने मेरा हाथ झटक दिया और अपनी चूची पर रखती हुई बोली “ले इसको पकड़” और मेरे लण्ड को अपनी मुठ्ठी में भर कर ऊपर नीचे करते हुए सुपाड़े को अपने मुंह में भर कर चूसने लगी. मैं सीसीयाते हुए दोनों हाथो में साक्षी की कठोर चुचियों को मसलते हुए अपनी गांड बिस्तर से उछालते हुए चुसाई का मजा लेने लगा.

मेरी समझ में नहीं आ रहा था की मैं क्या क्या करू. सनसनी के मारे मेरा बुरा हाल हो गया था. साक्षी मेरे सुपाड़े के चारो तरफ जीभ फ़िराते हुए मेरे लण्ड को लौलीपौप की तरह से चूस रही थी. कभी वो पुरे लण्ड पर जीभ फ़िराते हुए मेरे अंडकोष को अपनी हथेली में लेकर सहलाते हुए चूसती कभी मेरे लौड़े के सुपाड़े के अपने होंठो के बीच दबा कर इतनी जोर-जोर से चूसती की गोल सुपाड़ा पिचक का चपटा होने लगता था.

चूची छोड़ कर मैं साक्षी के सर को पकड़ गिरगिड़ाते हुए बोला “हाय मौसी मेरा….निकल जाएगा….ओह…सी सी…. मौसी अपना मुंह….हटा लो…ओह मौसी ….बहुत गुदगुदी हो रही है…प्लीज मौसी ….ओह मुंह हटा लो….देखो मेरा….पानी निकल रहा है…..” मेरे इतना कहते ही मेरे लण्ड ने एक तेज पिचकारी छोड़ी. साक्षी ने जल्दी से अपना मुंह हटाया मगर तब भी मेरे लण्ड की तेज धार के साथ निकली हुई वीर्य की पिचकारी का पहला धार तो उनके मुंह में ही गिरा बाकी धीरे-धीरे पुच-पुच करते हुए उनके पेटिकोट एवं हाथ पर गिरने लगा जिस से उन्होंने लण्ड पकड़ रखा था.

मैं डरते हुए साक्षी का मुंह का मुंह देखने लगा की कही वो इस बात के लिए नाराज़ तो नहीं हो गई की मैंने अपना पानी उनके मुंह में गिरा दिया है. मगर मैंने देखा की साक्षी अपने मुंह को चलाती हुई जीभ निकाल कर अपने होंठो के कोने पर लगे मेरे सफ़ेद रंग के गाढे वीर्य को चाट रही थी. मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखते हुई बोली “हाय राजू…बहुत अच्छा पानी निकला…. बहुत मजा आया…तेरा हथियार बहुत अलबेला है…. ….बहुत पानी छोड़ता है….मजा आया की नहीं…बोल…कैसा लगा अपनी मासी के मुंह में पानी छोड़ना….हाय…तेरा लण्ड जिस बूर में पानी छोड़ेगा वो तो…एक दम लबालब भर जायेगी….”. साक्षी मासी एकदम खुल्ल्लम खुल्ला बोल रही थी. साक्षी के ऐसे बोलने पर मैं झड़ने के बाद भी सनसनी से भर शरमाया तो साक्षी मेरे झड़े लण्ड को मुठ्ठी में कसती हुई बोली “अनचुदे लौड़े की सही पहचान यही है…की उसका औजार एक पानी निकालने के बाद कितनी जल्दी खड़ा होता…. ” कहते हुए मेरे लण्ड को अपनी हथेली में भर कर सहलाते हुए सुपाड़े पर ऊँगली चलाने लगी. मेरे बदन में फिर से सनसनाहट होने लगी. झड़ने के कारण मेरे पैर अभी भी काँप रहे थे. साक्षी मेरी ओर मुस्कुराते हुए देख रह थी और बोली “इस बार जब तेरा निकलेगा तो और ज्यादा टाइम लगाएगा….वैसे भी तेरा काफी देर में निकलता है…..साला बहुत दमदार लौड़ा है तेरा….”

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