Fantasy अधूरी हसरतों की बेलगाम ख्वाहिशें – fantasy sex

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे एक मौका मिलने पर हम राशिद के कमरे तक गये और वहां ब्लू फिल्म दिखा कर राशिद हम दोनों के साथ उसी अंदाज में सेक्स किया।
अब आगे पढ़ें:

उस रात तीन बजे जब वापसी की तो एक चीज अजीब हुई कि अपनी साइड के जीने के दरवाजे में हमने जो अद्धा फंसाया था, वह अपनी जगह से हटा मिला, हालाँकि दरवाजा उसी तरह बंद था।

इसका कोई मतलब तब हम नहीं समझ पाये थे, लेकिन करीब चार दिन बाद शाम को जब मैं छत पर टहल रही थी तब समर आ गया और उसकी बातों से पता चला कि उस रात क्या हुआ था।
उम्र में वह मुझसे एक साल बड़ा था, घर में सबसे ज्यादा लंबा चौड़ा था और शक्ल में भी ठीक ही था। सना उससे बड़ी थी और यह इस बार इंटर में गया था।
छत पे उस घड़ी कोई और नहीं था.. यह कोई खास बात नहीं थी। घर के बाकी लोग ऊपर कम ही आते थे, बस कभी मैं या सना ही ऊपर टहलते थे।

“एक फिल्म दिखाऊं तुझे?” उसने गौर से मेरी आँखों में झांकते हुए कहा।
“कैसी फिल्म?” मैं उलझन से उसे देखने लगी।

उसने हाथ में पकड़े मोबाइल जो कि एन सेवेंटी था, पर कोई फिल्म लगा कर मुझे पकड़ा दी।
अंधेरे में कोई फिल्म थी शायद.. लेकिन जब कंप्यूटर की मद्धम रोशनी में चमकते चेहरों में अपना चेहरा पहचाना तो आंखें फैल गयीं, मेरे दिल की धड़कनें रुकते-रुकते बचीं। xkkZMq.gif

वह अजीब अंदाज में हंसने लगा- जब इंसान मजे लेने के लिये पगलाया हो तो जनरल बातों पर भी ध्यान नहीं देता। उस रात तुम लोगों ने यह इंतजाम तो कर दिया कि कोई नीचे से न आ सके लेकिन यह ध्यान न दिया कि कोई पहले से ऊपर हो सकता था।
मतलब? मैं भौंचक्की सी उसे देखने लगी।

“मैं ऊपर कमरे में ही था और तुम्हारे आगे ही आया था, लेकिन इससे पहले कि पंखा बत्ती जलाता, तुम दोनों खुसुर फुसुर करती पहुँच गयी तो दिलचस्पी से बस यह देखने में लग गया कि तुम लोग कर क्या रही थी। तुम लोगों ने दरवाजे में अद्धा फंसाया और ठंडे पड़े कमरे देख कर अंदाजा लगाया कि यहाँ कोई नहीं था और उधर उतर गयी, तब पीछे से मैं उतरा।
मुझे पता था कि चूँकि उधर राशिद के सिवा कोई था नहीं तो तुम लोग उधर ही हो सकती थी और वही सच साबित हुआ।
पहले मेरा जी चाहा कि मैं भी भंडा फोड़ देने की धमकी दे कर शामिल हो जाऊँ लेकिन राशिद बहुत सुअर है, वह बाद में कैसे भी बदला निकालता ही निकालता, इसलिये बस किसी तरह बाहर की सांकों-दरारों से यह फिल्म बनाई और मुट्ठी मार कर रह गया.. लेकिन सोच लिया था कि जब राशिद पेल सकता है तो मेरे में कौन से कांटे हैं।”

“दिमाग खराब है तुम्हारा?” एकदम से मेरी जान सुलग गयी।
समर- अच्छा.. राशिद चोदे तो ठीक और हम कहें तो दिमाग खराब है। वह रंडियों वाले आसन हैं सब इसमें.. पूरे परिवार को दिखाऊँगा।
मैं- वह चूँकि हम हैं इसलिये हम समझ सकते हैं लेकिन इतनी कम रोशनी में यह कौन हैं क्या है, कोई नहीं समझ पायेगा।
समर- ढक्कन.. जो बातें कर रहे थे ब्लू फिल्म देखने के बाद और चुदने के टाईम, वह सब भी फिल्म में है।
मैं बेबसी से होंठ कुचलती उसे देखने लगी।

समर- वैसे मेरी आदत है लोगों के वीडियो शूट करने की.. एक बार जमीर चच्चा और तेरी अम्मी की भी शूट की थी।
समर- छी काहे की बे.. करने वालों को शर्म नहीं, हम शूट करने वालों को क्यों शर्म हो, पर वह इतनी ओपन नहीं थी, हां फिर भी कभी जरूरत पड़ी तो चच्ची का मुंह बंद रखने के काम जरूर आ सकती है।
“कितने गंदे जहन के हो।” मुझे उससे एकदम नफरत सी होने लगी।

समर- बहुत ज्यादा। पूरा खानदान यह समझता है कि पकड़े जाने के बाद से शाहिद भाई और शाजिया अप्पी का रिश्ता खत्म हो गया था लेकिन आज भी कहीं मौका मिल जाये तो शाहिद भाई चोदने से बाज नहीं आते। ऐसे ही एक मौके की उनकी भी पोर्न क्लिप बना रखी है। th

मेरा जी चाहा कि उसका फोन ही तोड़ दूं.. मैंने हाथ उठाया लेकिन उसने झपट कर फोन छीन लिया।
“इससे कुछ नहीं होगा.. सारी क्लिप्स मेमोरी कार्ड में हैं।”
“तुम आखिर चाहते क्या हो?” मैंने बेबसी से उसे देखते हुए कहा।“तुम दोनों को चोदना और वह भी फुल इत्मीनान से। कुछ इंतजाम बनाता हूँ कि सुहैल को दिन भर के लिये बालागंज, लखनऊ या बाराबंकी भेज दूं.. फिर शाजिया अप्पी को ब्लैकमेल करूँगा कि वह चच्ची को ले के कहीं बाहर टहल आयें रिश्तेदारी में। या सुहैल समेत तुम्हारे ननिहाल ही हो आयें.. तब बताता हूँ।” इतना कह कर वह चला गया।

उसके जाने के बाद मेरे लिये भी वहां रुकना मुश्किल था तो मैं सनसनाता दिमाग लिये वहां से चली आई।

नीचे मैं अपनी उलझन में पड़ी घर के किसी भी काम से दूर रही और रात में जब अहाना ने इसका कारण पूछा तो मैंने बता दिया और सुन कर वह भी सन्न रह गयी।

लेकिन रात तक सोचते-सोचते हमारा दिमाग बदल गया- वैसे एक तरह से सोच तो इसमें बुराई क्या है। तन हम दोनों के पास है, भूख हमें रोज लगती है और राशिद महीने दो महीने में कहीं हमारे हाथ लग पाता है।
“तो इसे चढ़ा लें खुद पे?” मैंने फिर भी प्रतिरोध किया।

“बुराई क्या इसमें.. हमारे लिये जैसे राशिद है वैसे ही यह है। राशिद को समझ हमने चुना था, इसने हमें चुन लिया। फिर राशिद इक्कीस-बाईस साल का है, यह अट्ठरह साल का.. उससे ज्यादा ही कड़क साबित होगा।”

मैं अपने तौर पर विरोध करती तो रही लेकिन खुद से जानती थी कि विरोध का कोई मतलब ही नहीं था। दोनों से हमारा समान रिश्ता था और उससे ज्यादा कोई बात ही नहीं थी.. न ही राशिद से इश्क था।

बहरहाल, मन ही मन मैं भी आखिर इस नये और एक और तजुर्बे के लिये तैयार हो ही गयी और सुबह उठी तो कल रात वाला कोई बोझ बाकी नहीं था।

अब इस बात का इंतजार था कि वह मौका कब आयेगा। इस बीच चूँकि एक ही घर में रहते थे तो समर से मेरा और अहाना का सामना कई बार हुआ लेकिन उसने किसी भी तरह रियेक्ट ही नहीं किया।
हफ्ता गुजर गया.. इस बीच रात में हम दोनों बहनों का खेल भी जारी रहा।

फिर एक दिन अम्मी ने कहा कि वह आज दुबग्गे जा रही हैं तो मुझे अहसास हुआ कि शायद समर का अप्पी पर दबाव काम कर गया है।

दुबग्गे में ननिहाल था हमारा और जब भी अम्मी जातीं तो सुबह की गयी शाम को ही वापस लौटती थीं।

उस दिन भी यही हुआ.. वह सुबह तैयार हो कर शाजिया अप्पी और सुहैल को ले कर चली गयीं और पीछे रह गयीं तो हम दोनों योनियां।

और अगले घंटे में ही शैतान की तरह समर मुसल्लत हो गया था। हालाँकि उसने पूछने पर बताया कि उसे शाजिया अप्पी से बात करने की हिम्मत ही नहीं पड़ी थी और न ही मौका मिल पाया था.. जो हुआ था वह सहज रूप से हुआ था।

चलो जैसे भी हुआ पर कमीने की तो बन आई।

“तो उतार दें कपड़े?” अहाना ने उसे देखते आंख मारते कहा।
“पहले घर ठीक से लॉक कर दो कि कहीं कोई आ न सके और देख लो कि उस दिन की तरह पहले से ही कोई हो न..”

पहले से वहां खैर कौन होता, यह हमारा हिस्सा था, छत की तरह कोई साझी संपत्ति तो थी नहीं। बहरहाल, हमने घर अच्छी तरह लॉक कर दिया।

“तुम लोगों को याद है कि बचपन में हम कैसे गलियारे में पानी में रपट लगाते फिसलते थे।”

हमारे हिस्से में ही एक लंबा गलियारा था जिसके इधर उधर कमरे और किचन थे। सालों पहले जब हम छोटे बच्चे थे तो गैलरी के फर्श को पानी से गीला कर लेते थे और स्लिप हो कर एक सिरे से दूसरे सिरे तक रेस लगाते थे।

लेकिन आज उसे यह क्या सूझी।

“चलो एक बार फिर बच्चे बन जायें.. तब हम निक्कर पहने होते थे, आज बिना निक्कर के ही।”

और इस बेशर्मी की शुरुआत उसी ने की.. एकदम से कपड़े उतार के नंगा हो गया। बाकी उसका जिस्म तो देखा भाला था लेकिन मुनिया ही देखी भाली नहीं थी। वह सुहैल के ही साइज की थी.. मतलब राशिद से थोड़ी कम ही थी और इस बात से जहां मुझे थोड़ी मायूसी हुई, वहीं अहाना को शायद ज्यादा खराब लगा था।

लेकिन उसने हमारी मायूसी पर कोई ध्यान दिये बगैर दो बाल्टी पानी गैलरी में उड़ेल दिया और उसमें फिसल गया।
फिर अहाना ने पहल की.. उसने सारे कपड़े उतारे और वह भी फिसल गयी। मुझे नहीं लगा कि अहाना के नंगे बदन ने समर पर कोई बहुत बड़ा असर डाला हो। हां बच्चे की तरह खुश जरूर हो गया था।

फिर मुझे भी खिलवाड़ करने का दिल करने लगा और मैंने भी सारे कपड़े उतार दिये और एकदम नंगी हो कर फर्श पर फिसल गयी।

“चलो रेस लगाते हैं।” समर ने अहाना के चूतड़ पर चपत लगाते हुए कहा।

अब उसकी मर्जी थी तो लगानी ही थी। हम एक सिरे पर, जिधर गैलरी की कगर थी, एक लाईन से रुकते फिर जोर लगा कर आगे की तरफ मछली की तरह फिसल जाते।

पानी कम पड़ता तो और डाल लेते.. और यूँ ही कभी दो-दो तो कभी तीनों रेस करते।

लेकिन कभी बच्चे होंगे.. अब बच्चे नहीं थे। अब हमारे अंग यूँ फर्श से रगड़ने पर उत्तेजना पैदा कर रहे थे। खुद उसका लिंग भी खड़ा हो गया था।

“अब दो-दो हो के स्लिप होते हैं।” अंततः उसने अहाना को दबोचते हुए कहा।
“वह कैसे महाराज?”
“बताता हूँ।”

हम औंधे पड़े नंगे-नंगे फिसल रहे थे तो उस कंडीशन में मैंने हम लोगों के शरीर में जो वाज़ेह फर्क नोट किये वह यह थे कि हम दोनों बहनों के दूध और घुंडियां अब समान हो चुके थे, जबकि मेरे चूतड़ अहाना के मुकाबले ज्यादा बाहर निकले हुए थे और समर के चूतड़ हम दोनों के मुकाबले एकदम फ्लैट थे।

उसने अहाना के ऊपर हो कर अपनी लार से अपने लिंग को गीला किया और पीछे से ही उसकी योनि में ठूंस दिया।अब दो औंधे बदन एकदूसरे पे लदे पेट के बल फिसल रहे थे। मुझे सिंगल बदन उनके साथ रेस लगानी पड़ रही थी तो मैं ही जीत जाती थी।

फिर इसी अंदाज में वह पीठ के बल हो गये। पहले अहाना नीचे थी और उसकी योनि में लिंग ठूंसे समर ऊपर था। फिर समर पीठ के बल नीचे हो गया और अहाना उसके लिंग को योनि में लिये-लिये ऊपर हो गयी।

इस फार्मेट में मुझे भी पीठ के बल फिसलना पड़ा, लेकिन सिंगल बदन होने की वजह से जीत तब भी मेरे ही हाथ लगी।

“अब तू आ मेरे नीचे।” उसने अहाना को अलग करते हुए कहा।

फिर अहाना की जगह मैं हो गयी। हम फिर पेट के बल हो गये। उसने पीछे की तरफ से मेरी योनि में अपना लिंग ठूंस दिया। मेरी योनि इन सब तमाशों से पहले ही बुरी तरह गीली हो रही थी और दूसरे उसका राशिद जितना था भी नहीं जो मैं पहले ले चुकी थी.. तो कोई खास परेशानी हुई भी नहीं।

हम फिर फिसलने लगे लेकिन अब अहाना जीत जाती थी सिंगल शरीर के कारण।

फिर पीठ के बल हो कर उल्टी फिसलन हुई।

इसके बाद उसने एक अजीब खेल किया कि गैलरी के अंतिम सिरे पर मुझे और अहाना को बारी-बारी इस तरह टिका दे कि हमारी दोनों टांगे आखिरी हद तक फैल जायें और उसे हमारी एकदम खुली पुसी दिखती रहे..

और वह पीछे से इस तरह फिसलता आये कि उसका जिस्म हमारे चूतड़ से टकरा कर ऊपर चढ़ता चला जाये और उसका लिंग अंत में हमारी योनि में आ धंसे।

शुरुआत में यही चीज खतरनाक भी हो सकती थी लेकिन तब तक हम तीनों ही काफी गरम हो चुके थे और लसलसा पानी छोड़ रहे थे जिससे उसके पूरे लिंग पर और हमारी योनि के आसपास इतनी चिकनाहट हो गयी थी कि निशाना गलत भी लगता तो भी वह फिसल कर गड्ढा ढूंढ ही लेता।

जब टेम्प्रेचर काफी बढ़ गया तो खेल रुक गया.. उसने वहीं बारी-बारी हमारा योनिभेदन करना शुरू कर दिया। पोजीशन वहां क्या बनती.. हमें औंधा लिटाये वह पीछे से जैसे लिंग डाल के फिसल रहा था, वैसे ही फिर लिंग डाल के धक्के लगाने लगता।

लेकिन फिर भी हमें मजा तो आ ही रहा था और हम दोनों ही सिसकार-सिसकार कर मजे ले रहे थे। और इसी तरह धक्के लगाते-लगाते उसका लिंग फूल कर मेरे चूतड़ों की दरार में बह गया और वह साइड में लुढ़क कर हांफने लगा।

हालाँकि हम मंजिल तक नहीं पंहुचे थे.. आर्गेज्म तो क्या उसके आसपास भी नहीं पंहुचे थे लेकिन कर भी क्या सकते थे जब पहलवान ही धराशायी हो गया था।

वैसे भी औरत को यह सिफत हासिल है कि जैसा मजा मर्द को स्खलन पर आता है उसके आसपास का मजा औरत हर धक्के पर ले सकती है, इसलिये ही मर्द का औरत को आर्गेज्म तक पंहुचाये बिना स्खलित हो जाना उतना मैटर नहीं करता।

मैंने चूतड़ों से उसका वीर्य धो दिया और तीनों करीब दस मिनट तो उसी हाल में पड़े रहे। भाई बहन की चुदाई की कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे मौका मिलते ही मेरा भाई समर हम दो बहनों सर मुसल्लत हो जाता है और पहले पानी से भीगे गलियारे और फिर बाथरूम में खेल करता है और हम बुरी तरह गर्म हो जाते हैं।
अब आगे पढ़िये..

“अब थोड़ा कड़वा तेल ले आओ और बाथरूम में चलो।” आखिरकार वह उठता हुआ बोला।

अब यह कड़वा तेल पता नहीं क्या करेगा.. यह सोचती मैं ही उठी और किचन में घुस गयी। वहां सरसों के तेल की शीशी मौजूद थी और मैं उसे ही ले आई, जब तक वे दोनों भी उठ चुके थे।
हम बाथरूम में आ गये।

बाथरूम में एक सिटकनी वाली थोड़ी दिक्कत छोड़ दो वह काफी बड़ा था और आज तो वैसे भी सिटकनी की जरूरत नहीं थी।
उसने शॉवर चालू किया तो हम तीनों फिर नहा गये।

फिर उसके कहने पर हमने अपने शरीरों पर तेल चुपड़ लिया और इसके बाद जो खेल हुआ वह तीनों की चिंगारियाँ छुड़ाने के लिये काफी था।

तेल पानी के साथ बुरी तरह चिकनाये शरीर लिये हम बुरी तरह एक दूसरे को रगड़ने कभी मैं उसका लिंग चूसने लगती, कभी वह और अहाना मेरे दूध मसलने और चूसने लगते कभी वह नीचे मुंह डाल कर कभी मेरी कभी अहाना की योनि चाटने लगता।

जल्दी ही हम तीनों सुलगने लगे।
फिर दीवार से टेक लगा कर वह नीचे बैठ गया और अपने लिंग को तेल से नहला लिया।

“पता नहीं राशिद ने तुम लोगों की गांड मारी या नहीं, लेकिन आज मैं पहले वही मारूंगा.. ताकि आगे की आग बरकरार रहे और दर्द के बावजूद तुम लोग मरवा लो।” उसने पहले अहाना को खींचते हुए कहा।
“भक.. आगे से कर न। क्यों गंदे छेद के चक्कर में पड़ा है।” अहाना ने कमजोर सा प्रतिरोध किया।
“गंदा छेद? हे हे हे हे.. दो लौंडों की मार चुका हूँ। उसका मजा अलग ही होता है बे… गंदा क्या.. मारने के बाद धो लेंगे न।”

प्रतिरोध मैं भी करना चाहती थी लेकिन यह अहसास था कि चलनी उसकी ही थी तो खामखाह पें-पें करने का कोई मतलब भी नहीं था।
“रज्जो.. तू बैठ के यहीं देख, तेरी देख-देख के गीली हो जायेगी और मुनिया मांगने लगेगी।” उसने बेशर्मी से हंसते हुए मुझे भी पास बिठा लिया।

मैं उसके पास उससे सट कर बैठ गयी। हम दोनों ने पैर सीधे फैला रखे थे और उसने अहाना को औंधा, मतलब पेट के बल हमारी जांघों पे ऐसे लिटाया कि अहाना का कमर के ऊपर का हिस्सा मेरी जांघों पर आया और नीचे का, या यूँ कहो कि उसके चूतड़ समर की गोद में आये।

“देख छेद इसका!” समर ने मुझे कोहनी मारते हुए कहा।
उसने तेल से चिकनाये चूतड़ फैला कर मुझे अहाना का चुन्नटों भरा गहरे रंग का छेद दिखाया, जो अंदर लाल हो रहा था।
पहले उसे यूँ ही एक उंगली से सहलाया फिर उसमें शीशी के ढक्कन में तेल लेकर उड़ेल दिया। थोड़ा तेल कटोरी की तरह ऊपर रुका तो थोड़ा अंदर उतर गया।

फिर उसने मुझसे कहा कि मैं उसके चूतड़ों की दरार फैलाये रखूं कि छेद सामने उभरा रहे और वह खुद एक उंगली से छेद को खोदने लगा।

ऊपर दिखता तेल भी अंदर उतर गया।

फिर धीरे से उसने अपनी बीच वाली उंगली एक पोर अंदर उतार दी। अहाना जोर से ‘सी…’ कर उठी, जबकि वह बेशर्मी से हंसने लगा- अभी देखना कैसा मजा आने लगेगा। उसने एक ही पोर अंदर बाहर करना शुरू किया धीरे-धीरे.. मैं यह देख सकती थी कि हर बार वह उंगली एक सूत ज्यादा धंसा देता था और देखते-देखते अब उसकी पूरी उंगली अंदर बाहर होने लगी थी। और अहाना इस तरह ‘सी… सी…’ कर रही थी जैसे उसे अब मजा आने लगा हो।

“क्यों अन्नू.. अब मजा आ रहा है न?” उसने दूसरे हाथ को नीचे ले जा कर मेरी गोद में मौजूद दूध मसलते हुए पूछा। “हं-हां।”
“बस ऐसे ही लंड से भी आयेगा, थोड़ा छेद ढीला हो जाये बस।”
“करो कैसे भी.. अब अच्छा लग रहा है।” यह सुन कर मेरे छेद की सलवटों में मसमसाहट होने लगी।

उसने ढक्कन से भर कर और तेल छेद में उड़ेला और एक पूरी के साथ दूसरी उंगली भी थोड़ी-थोड़ी घुसाने लगा। अहाना ने भी इसे महसूस कर लिया था इसलिये अब उसकी सीत्कारें ठंडी पड़ गयी थीं।

शायद वह दर्द के साथ एडजस्ट करने की कोशिश कर रही थी.. और उसकी एडजस्टमेंट देख समर ने बाकायदा दोनों उंगलियां पूरी उतार दीं।

फिर पहले कुछ देर तो मुझे भी लगा कि छेद सख्त है और उंगलिया पूरे कसाव में अंदर जा रही हैं लेकिन धीरे-धीरे वह भी आसानी से अंदर बाहर होने लगीं।

अहाना फिर “सी… सी…” करने लगी थी।

जब उसकी दोनों उंगलियां तेजी और सुगमता से चलने लगीं तो उसने अहाना को हटा दिया।
“अब तू आ.. तेरा छेद ढीला करता हूँ।”

मैंने महसूस किया जैसे मैं यह शब्द सुनना चाहती थी… जैसे मैं अपनी बारी आने के लिये मानसिक रूप से खुद ही तैयार थी कि कब वह कहे और कब मैं उसकी गोद में औंधी लेट जाऊं।

मेरी जगह अहाना ने ले ली थी और मैंने अपना चूतड़ वाला हिस्सा समर की गोद में टिका कर दूध वाला हिस्सा अहाना की गोद में रख लिया था।

फिर मेरे साथ भी वही हुआ और जिस घड़ी उसने एक उंगली मेरे छेद में उतारी तो एकदम बेहद हल्के से दर्द का अहसास तो जरूर हुआ लेकिन फौरन ही मजा भी आने लगा। जल्दी ही मैंने उसकी दोनों उंगलियों को आत्मसात कर लिया और मजा लेने लगी।

अहाना की मनःस्थिति क्या थी, पता नहीं लेकिन मैंने दिमाग में यह बिठा लिया था कि मलत्याग में भी जब कभी पैखाना टाईट होता है तो उतनी मोटाई में तो मल निकलता ही है जितनी उसके लिंग की थी.. तो मतलब उतना फैल ही सकता था।

यानि अगर दर्द होता भी तो बर्दाश्त के लायक ही होगा और जब अभी उंगलियों के अंदर बाहर होने पे मजा आ रहा था तो लिंग के अंदर बाहर होने पे क्या न आयेगा। images छेद उसके हिसाब से ढीला हो चुका तो उसने मुझे उठा दिया।

“अब बताओ.. पहले कौन डलवायेगा?”
“मेरी मारो.. मैं अभी एकदम गर्म हूँ। अहाना को फिर से गर्म कर के तब डालना।” मैंने खुद आगे बढ़ कर मौका ले लिया।

“ठीक है.. देख मैं ऐसे ही बैठा हूँ। तू मेरी तरफ पीठ कर के मेरे लंड पर ठीक वैसे ही बैठ, जैसे हगते में बैठती है और अन्नू.. तू सामने से लगी रह और अपने हाथ से इसकी चूत का दाना सहलाती रह ताकि इसकी गर्मी बरकरार रहे।”

उसके बताये मुताबिक मैं अपनी पीठ उसके पेट से सटाते उस पर लगभग शौच की पोजीशन में बैठ गयी। मेरी गुदा का छेद उसके लिंग की टोपी पर टिक अहाना मेरे एकदम सामने मुझसे लगभग चिपकी हुई बैठ गयी एक हाथ से मेरे इस कंधे से उस कंधे तक दबाव बनाती, दूसरे हाथ से मेरी योनि के ऊपरी सिरे को सहलाने लगी, योनि के छेद में उंगली करने लगी।मेरे दिमाग में फुलझड़ियां छूटने लगीं।

समर ने पीछे से मेरी कमर पर दबाव बना लिया था और मुझे नीचे बिठाने लगा था.. मैं खुद भी नीचे बैठने पर जोर लगा रही थी, लेकिन लगता था उसके लिंग की कैप जैसे फंस गयी हो।

फिर लगातार दबाव की वजह से चुन्नटें एकदम फैल गयीं और “गच” से टोपी अंदर धंस गयी। मेरी एकदम चीख निकल गयी और दर्द की एक तेज लहर उठी। मैंने वापस उठना चाहा लेकिन अहाना ने ऊपर से दबा दिया और समर ने नीचे से दबा लिया।
मेरे एकदम से आंसू छलक आये- छछ-छोड़ दो… बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने कसमसाते हुए कहा।

“पहली बार में दर्द तो होता ही है.. क्या आगे में दर्द नहीं हुई थी, लेकिन फिर मजा आया था न? उसी तरह इसमें भी आयेगा.. थोड़ा सब्र तो करो।

बचने की कोई सूरत न देख मैंने खुद को शिथिल छोड़ दिया और पहले जो बस टोपी ही अंदर धंसी थी, वहीं खुद को ढीला छोड़ने से पूरा ही अंदर चला गया।

जब समर ने जान लिया कि मैं निकलने की कोशिश नहीं करूँगी तो उसने अहाना को कहा कि वह मेरा एक दूध मसलते हुए दूसरे हाथ से मेरी योनि में उंगली से चोदन करे, जबकि खुद उल्टे हाथ से मेरा दूसरा दूध मसलते सीधे हाथ से योनि के ऊपरी सिरे को सहलाने लगा।

थोड़ी ही देर में उत्तेजना का पारा वापस चढ़ने लगा और यह ख्याल भी निकल गया कि उसका लिंग मेरी गुदा में ठुंसा हुआ था।
“हम्म.. अब करो।” मैंने समर की जांघ थपथपाते हुए इशारा किया।
“मैं बाद में करूँगा.. अभी तुम करो। ऊपर नीचे हो।”

मैंने ऊपर नीचे होना शुरू किया। पहले थोड़ी जलन महसूस हुई और कुछ-कुछ अहसास इस बात का भी हो रहा था कि जैसे पोट्टी का दबाव हो लेकिन धीरे-धीरे इन पर लज्जत का अहसास भारी पड़ गया और नीचे होने पे जब मेरे चूतड़ उसके बाल भरे पेट के निचले हिस्से से टकराते तो अलग ही मजा आता।

हालाँकि यह पोजीशन मेरे लिये सुविधाजनक नहीं थी और मैं जल्दी ही थक गयी।
थक गयी तो उसने मुझे हटा दिया और अहाना को बिठा लिया। अहाना के साथ भी सेम प्रक्रिया दोहराई और उसे भी सब ठीक वैसा ही महसूस हुआ जैसा मुझे हुआ था।फिर वह भी थक गयी तो हम उठ खड़े हुए।

अब चूँकि बाथरूम के सख्त फर्श पर कोई ऐसा आसन तो आजमाया नहीं जा सकता था, जिसमें घुटने इस्तेमाल होते हों.. इसलिये बेहतर बस यही था कि हम नलके को पकड़ कर झुक गये और उसने खड़े-खड़े पीछे से भोगना चालू कर दिया।

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