छोटी सी चोली के तले से निचे सुनीता की नंगी कमर के सारे उतार चढ़ाव और घुमाव इतने लुभावने एवं कामुक थे की कर्नल साहब की नजरें वहाँ से हटने का नाम नहीं ले रही थीं। स्कर्ट का छोर घुटनों से काफी ऊपर होने के कारण सुनीता की मुलायम, सपाट, सुआकार और चिकनी जाँघें देखते ही बनती थी। किसी भी मर्द की नजरें जब उनपर पड़ेंगी तो जाहिर है, फिर वही समंदर के किनारे तक पहुंचकर पानी में डूब जाने वाली निराशा दिमाग पर हावी हो जाएगी।
जब सुनीता ने कर्नल साहब को देखा तो अपने चमकते दाँत खोल कर सुन्दर मुस्कान दी और दोनों हाथ जोड़ कर नमस्ते करते हुए बोली, “आपको इंतजार कराने के लिए माफ़ करें जस्सूजी।”
फिर जस्सूजी की पत्नी ज्योति की और मुड़कर उनके हाथ थाम कर बोली, “ज्योति जी आप बड़ी खूबसूरत लग रही हो।”
ज्योति ने पट से पलटवार किया और बोली, “कहर तो आप ढा रही हो सुनीता। आज तो तुम्हें देख कर कई मर्द लोग घायल हो जाएंगे।” फिर अपने पति की सुनीता के बदन पर गड़ी हुई निगाहें देख कर बोली, “तुम्हारे निचे उतरते ही घायलों की गिनती शुरू हो चुकी है।”
शायद बाकी तीनों ने ज्योति के उस कटाक्ष को सूना नहीं या फिर उसपर ध्यान नहीं दिया।
पर सुनील का पूरा ध्यान ज्योति के बदन पर केंद्रित था। कर्नल साहब की पत्नी ज्योति ने टाइट स्लैक्स और ऊपर टाइट टॉप पहन रखी थी। इससे उनके स्तनों का उभार भी अच्छे खासे मर्दों का लण्ड खड़ा करने के काबिल था। सबसे खूबसूरत ज्योति के सुआकार कूल्हे (जो की बिलकुल ही ज्यादा बड़े नहीं थे ) टाइट स्लैक्स में बड़े उन्नत बाहर निकले हुए लग रहे थे। दोनों जाँघों के बिच की दरार सुनील की आँखों को बेचैन करने में सक्षम थीं।
दोनों जनाब एक दूसरे की बीबी को पूरी कामुकता से नजरें चुराकर देख रहे थे। पर भला बीबियों से यह कहाँ छुपता? जब कर्नल साहब की बीबी ज्योति के बार बार गला खुंखारने पर भी कर्नल साहब सुनील की बीबी सुनीता के बदन पर से अपनी नजरें हटा नहीं पाए तो उस ने धीरे से अपने शौहर को अपनी कोहनी मारकर अवगत कराया की वह बाहर काफी लोग आसपास खड़े हैं और बेहतर है वह सज्जनता के दायरे में ही रहें।
सुनीता तो बेचारी ज्योति के पति जस्सूजी की लोलुप नजरें जो उसके बदन का पूरा मुआइना कर रहीं थी, उसे देखकर सकुचा और सहमा कर शर्म के मारे इधर उधर नजरें घुमा कर यह जताने की कोशिश कर रही थी की जैसे उसने कर्नल साहब की नजरों को देखा ही नहीं। उसे समझ नहीं आ रहा था की ऐसे कपडे पहनने के बाद वह अपना बदन कैसे छुपाए?
इतनी गर्मी और उमस होते हुए भी, सुनील की बीबी ज्योति ने अपने पास रखी हुई एक शाल शर्म के मारे अपने कंधे पर डाल दी और अपनी छाती को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी।
उनके घर के पास ही मेट्रो स्टेशन था। जब चारों चलने लगे तो कर्नल साहब की पत्नी ज्योति ने सुनीता के पास आकर धीरे से उसकी शाल अपने हाथ में ले ली और हँस कर बोली, “इतनी गर्मीमें इसकी कोई जरुरत नहीं। तुम जैसी हो ठीक हो। तुम बला की खूबसूरत लग रही हो। आज तो मेरा भी मन कर रहा है की मैं तुमसे लिपट जाऊं और खूब प्यार करूँ। मैं भी मेरे पति की जगह होती तो तुम्हें मेरी आँखों से नोंच खाती।”
सुनील की पत्नी सुनीता ने शर्माते हुए कहा, “ज्योति जी मेरी टांगें मत खींचिए। यह वेश मेरे पति ने मुझे जबरदस्ती पहनने के लिए बोला है। मैं तो आपके सामने कुछ भी नहीं। आप गझब की खूबसूरत लग रही हो।”
जब चारों साथ में चलने लगे तो कर्नल साहब की पत्नी ज्योति सुनील के साथ हो गयी और उनसे बातें करने लगीं। सुनील की पत्नी सुनीता की चप्पल में कुछ कंकर जैसा उसे चुभने लगा तो वह रुक गयी और अपनी चप्पल निकाल कर उसने कंकर को निकाला। यह देख कर कर्नल साहब भी रुक गए। सुनील और ज्योति बात करते हुए आगे निकल गए। उन्होंने ध्यान नहीं दिया की सुनीता और कर्नल साहब रुक गए थे।
कर्नल साहब ने देखा की सुनील की पत्नी सुनीता अपनी टाँगे उठा कर अपनी चप्पल साफ़ करने में लगी थीं तो उनसे रहा नहीं गया। वह सुनीता को मदद करने के बहाने या फिर साथ देने के लिए रुक गए और जब सब कुछ ठीक हो गया तो कर्नल साहब और सुनीता भी एक साथ धीरे धीरे साथमें चलने लगे। रास्ते में कर्नल साहब सुनीता से इधर उधर की बातें करने लगे।
मेट्रो स्टेशन पर काफी भीड़ थी। सुनीता ने अपने पति और कर्नल साहब की पत्नी ज्योति को खोजने के लिए इधर उधर देखा पर वह कहीं नजर नहीं आये। जब तक कर्नल साहब टिकट ले आये तब तक एक ट्रैन जा चुकी थी। स्टेशन पर फिर भी काफी यात्री थे। शायद सुनील और कर्नल साहब की पत्नी ज्योति पिछली मेट्रो ट्रैन में निकल चुके थे।
कर्नल साहब ने सुनील को फ़ोन किया तो सुनील ने उन्हें अगली ट्रैन मैं आने को कहा। उतनी देर में स्टेशन पर फिर भीड़ हो गयी। दूसरी मेट्रो तीन मिनट में ही आ गयी और सुनीता और कर्नल साहब ट्रैन में चढ़ने लगे। थोड़ी सी अफरातफरी के कारण किसी के धक्के से एक बार सुनीता लड़खड़ाई तो कर्नल साहब ने उसे पकड़ कर अपनी बाँहों में घेर लिया और खड़ा किया।
डिब्बा खचाखच भरा हुआ था। राहत की बात यह थी की दोनों को एक साथ बैठने की जगह मिली थी। काफी भीड़ के कारण वह एक दूसरे से भींच के बैठे हुए थे। कर्नल साहब की जांघें सुनीता की जाँघों से कस कर जकड़ी हुई थीं। कर्नल साहब की कोहनी बार बार सुनीता के स्तनों को दबा रही थी। सुनीता ने भी यह महसूस किया। सुनीता कर्नल साहब को गौर से देखने लगी। कर्नल साहब शर्ट और जीन्स पहने हुए बड़े ही आकर्षक लग रहे थे। उनके शर्ट की आस्तीन मुड़ी हुई उनकी कोहनी के ऊपर तक लपेटी हुई थी। उसके ऊपर उन्होंने आधी आस्तीन वाला जैकेट पहना हुआ था। कर्नल साहब के शशक्त मसल्स बाहु के स्नायु उभरे हुए मरदाना दिख रहे थे।सुनीता का मन किया की वह उन बाजुओं के स्नायुओँ को सहलाकर महसूस करे। नियमित व्यायाम करने के कारण सुनीता फिटनेस की हिमायती थी। उसे कड़े बदन वाले कर्नल साहब के मरदाना बाजु आकर्षक लगे। उसने अपना हाथ कर्नल साहब के डोले पर फिराते हुए पूछ ही लिया, “जस्सूजी, आपके डोले तो वाकई बॉलीवुड हीरो की तरह हैं। क्या आप वजन उठाने की कसरत भी करते हैं?”
कर्नल साहब सुनीता की नजर देख कर थोड़े से खिसिया गए पर फिर अपने आपको सम्हालते हुए बोले, “मैं जिम में रोज एक घंटा वेट ट्रेनिंग करता हूँ।”
करीब आधे घंटे के सफर के दौरान कर्नल साहब की बाजुएँ बार बार सुनीता की छाती और स्तनों से टकराती रहीं। सुनीता को नहीं समझ आ रहा था की वह सहज रूप से ही था या फिर जान बूझकर। सुनीता को भी अपने अंदर एक अजीब सी उत्तेजना महसूस हो रही थी। उसे जस्सूजी की यह हरकत अगर जानी समझी हुई भी थी तो भी अच्छा लग रहा था। वह चुपचाप जैसे उसे पता ही नहीं था ऐसे उस हरकतों को महसूस करती हुई बैठी रही।
ना चाहते हुए भी सुनीता की नजर कर्नल साहब की टांगों के बिच बरबस ही जा पहुंची। उसके बदन में कंपकंपी फ़ैल गयी जब उसने देखा की कर्नल साहब के इतने मोटे जीन्स में से भी उनके लण्ड के खड़े हो जाने से उनके पॉंवों के बिच जैसे एक तम्बू सा फुला हुआ दिखाई पड़ रहा था। इससे सुनीता के लिए यह अंदाज करना कठिन नहीं था की कर्नल साहब का लण्ड काफी मोटा, लंबा और कड़क होगा।
कर्नल साहब की जाँघों से जाँघें टकराते हुए कहीं ना कहीं सुनील की पत्नी सुनीता मन ही मन में यह सोचने लगी की जिनकी बाँहें इतनी करारी और और जांघें इतनी सख्त हैं, जिनका बदन इतना लम्बा, पतला और चुस्त है तो उनका लण्ड कैसा मोटा और कितना बड़ा होगा! जब वह अपनी बीबी को चोदते होंगे तब वह उनके लण्ड को अपनी चूत में डलवा कर कैसा महसूस करती होगी! यह सोच कर सुनीता के बदन में एक रोमांचक सिहरन फ़ैल गयी, फिर अपने आप पर तिरस्कार करती हुई सोचने लगी, “मेरे मन में ऐसे घटिया विचार क्यों आते हैं?”
स्टेशन पर भी जब अपने पति सुनील को नहीं देखा तो सुनीता के मन में अजीब से विचार आने लगे। इधर वह कर्नल साहब के बारे में उलटा पुल्टा सोच रही थी तो कहीं ऐसा तो नहीं की सुनील कर्नल साहब की बीबी ज्योति के साथ कुछ हरकत ना कर रहें हों?
कर्नल साहब ने सुनीता का हाथ थामा और स्टेशन से जब बाहर निकले तो पाया की बारिश की बूँदाबाँदी शुरू हो गयी थी और मौसम भी कुछ ठंडा हो गया था।
सुनीता बारिश से अपने आप को बचाने की कोशिश करने लगी। यह देख कर कर्नल साहब ने अपना आधी आस्तीन वाला जैकेट खोल दिया और सुनीता के सर पर रख उसके कन्धों पर डाल दिया। दोनों ही हाथ में हाथ थामे स्टेशन से बाहर निकल कर रास्ते पर आये तब सुनीता ने अपने पति सुनील को ज्योति के साथ स्टेशन के सामने ही एक छोटी सी चाय की दूकान पर चाय पीते हुए बातें करते देखा। वह दोनों कर्नल साहब और सुनीता का इंतजार कर रहे थे।
जैसे ही सुनीता ने अपने पति सुनील और कर्नल साहब की पत्नी ज्योति को देखा की तुरंत कर्नल साहब का हाथ छुड़ा कर सुनीता फ़ौरन अपने पति सुनील के पास पहुँच कर उनसे थोड़ा सा चिपक कर खड़ी हुई।
सुनील ने अपनी पत्नी की और देखा और पूछा, “क्या बात है, जानू तुम थोड़ी परेशान सी लग रही हो?”
उसकी बात सुनकर फ़ौरन कर्नल साहब की पत्नी ज्योति ने शरारती ढंग से पूछा, “सुनीता, तुम्हें कहीं मेरे पति ने रास्ते में परेशान तो नहीं किया?”
सेहमी हुई सुनीता थोड़ा सा शर्म के मारे बोली, “नहीं दीदी ऐसी कोई बात नहीं। पर ट्रैन में बड़ी भीड़ थी।”
ज्योति और सुनील कोई बात पर कुछ बहस कर रहे थे। ज्योति ने सुनील को बिच में ही रोक कर अपने पति कर्नल साहब को पूछा, “आप दोनों चाय पिएंगे क्या?”
कर्नल साहब ने दो टिकट सुनील के हाथ में थमाते हुए कहा, “हम चाय पी कर आते हैं। आप दोनों चलिए, अपनी बातें करते रहिये पर जल्दी हॉल पहुँच कर सीट ब्लॉक कर दीजिये। हम चाय पी कर आपको जल्दी ही हॉल में मिलते हैं।”
सुनील और कर्नल साहब की पत्नी ज्योति बातें करते हुए चल दिए। हॉल में पहुँचते ही, आखिरी लाइन में कोने की चार सीट देख कर सुनील आखिरी कोने वाली सीट पर बैठ गए। उनके पास कर्नल साहब की पत्नी ज्योति बैठ गयी। उनके पीछे आने जाने की लिए पैसेज था। हॉल काफी भर चुका था। एक दो इधर उधर सीटों को छोड़ कार कहीं खाली सीटें नहीं दिख रही थीं। थोड़ी ही देर में कर्नल साहब और सुनील की पत्नी सुनीता भी पहुंच गए। सुनीता ने देखा की उसे कर्नल साहब के साथ बैठना पडेगा। तो वह अपने पति की और देखने लगी। सुनील कर्नल साहब की पत्नी ज्योति से बातें करने में मशगूल थे। सुनील ने देखा की उनकी पत्नी सुनीता उनसे कुछ इशारे कर रही थी। सुनील ने सुनीता को पीछे के पैसेज से उसको अपने पास आने को कहा। सुनीता उठ कर सुनील की सीट के पीछे आयी।
सुनीता ने अपने पति सुनील से कान में फुसफुसाते हुए कहा (जिससे ज्योति उनकी बातें ना सुन सके), “अरे मेरे साथ तो कर्नल साहब बैठेंगे। आप कहा इतनी दूर बैठ गए? आपको मेरे साथ बैठना चाहिए था ना? आप तो कह रहे थे पिक्चर सेक्सी है तो फिर मैं कर्नल साहब के पास कैसे बैठ सकती हूँ?”
सुनील ने अपनी पत्नी से बड़ी धीरज के साथ कहा, जाने मन, तुम कह रही थी ना, तुम्हें अंग्रेजी भाषा समझ ने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है। तो कर्नल साहब और उनकी पत्नी ज्योति तुम्हारी दोनों तरफ बैठे हैं। तुम जब चाहे उनसे जो समझ ना आये वह पूछ सकती हो। जहां कर्नल साहब से पूछने में झिझक होती हो तो ज्योति जी दुसरी और बैठे हैं, उनसे पूछ लेना। वह तुम्हें सब समझा देंगे। देखो मैं भी इतनी जीभ तोड़ मरोड़ कर बोलने वाली अंग्रेजी, जैसे यह लोग पिक्चर में बोलते हैं, नहीं समझ पाता हूँ। इसी लिए मैं भी ज्योतिजी के पास बैठा हूँ।”
सुनीता को मन में शक हुआ की कहीं ऐसा तो नहीं की अपने पति सुनील ही ज्योति जी के साथ बैठने के लिए यह तिकड़म कर रहें हों? पर उस समय ज्यादा सोचने का समय नहीं था सुनीता ने फिर अपने पति के कानों में कहा, “अँधेरे में कहीं कुछ गड़बड़ हो गयी तो? तुम भी जानते हो की कर्नल साहब ज़रा ज्यादा ही रोमांटिक हैं। वह कहीं उत्तेजित हो गए तो मैं क्या करुँगी?”
सुनील ने अपनी बीबी की बातों को रद्द करते हुए कहा, “तुम क्यों सोचती हो की ऐसा कुछ होगा? और क्या हो सकता है? ज्यादा से ज्यादा वह तुम्हें छू ही लेंगे ना? उन्होंने तुम्हें इधर उधर छुआ तो कई बार है। तो फिर इतना क्यों घभड़ा रही हो? देखो, वह तुम्हारे लिए इतनी महेनत करते हैं। तो तुम क्यों इतनी परेशान होती हो? अगर मान लो उन्होंने तुम्हें कहीं छू लिया तो क्या हो जाएगा? जहां तक मैं जानता हूँ वह पैसे तो लेंगे नहीं। तो फिर और हम उनके लिए क्या कर सकते हैं? तुम निश्चिन्त हो कर बैठो। अगर तुम अब यह सीट बदलोगी तो हो सकता है उनको बुरा लगे। अगर वह नाखुश हो तो वह अच्छी बात नहीं। मेरा ऐसा मानना है की एक अच्छी विद्यार्थीनी की तरह तुम्हें उन्हें खुश रखना चाहिए और उनके साथ प्यार से पेश आना चाहिए। बाकी तुम खुद समझदार हो। जैसा तुम्हे ठीक लगे करो।”
सुनील की बात सुनकर सुनीता ने थोड़ी देर अपने पति की और कुछ संकोच और कुछ हिचकिचाहट से देखा। सुनील ने अपनी पत्नी के हाथ दबा कर उसे विश्वास दिलाया की चिंता की कोई बात नहीं थी। तो सुनील की पत्नी सुनीता को कुछ संतुष्टि हुई और वह वापस कर्नल साहब के बगल में अपनी कुर्सी पर आ कर बैठ गयी।hindi sex story
कर्नल साहब ने देखा की सुनीता के चेहरे पर कुछ उलझन थी तो उन्होंने पूछा, “क्या बात है, सुनीता? आप कुछ परेशान लग रही हो? कहीं आप को मेरे साथ बैठने में कोई आपत्ति तो नहीं? अगर ऐसा है तो मैं अपनी सीट चेंज कर देता हूँ।”
सुनीता ने कर्नल साहब का हाथ पकड़ कर बोला, “नहीं जस्सूजी ऐसी कोई बात नहीं। बल्कि मैं आपके साथ ही बैठना चाहती हूँ।” फिर सुनीता ने सोचा की कहीं कर्नल साहब उसकी बात का गलत मतलब ना निकाले इस लिए वह ज्योति सुन सके ऐसे बोली, “क्यूंकि, मैं पिक्चर की अंग्रेजी की बोली अच्छी तरह से नहीं समझ पाती इस लिए जब भी जरुरत होगी मैं आपसे पूछूँगी। आप दोनों मुझे समझाना।” कर्नल साहब ने सुनीता का हाथ पकड़ कर उसे दिलासा दिलाया की वह जरूर सुनीता को सारे डॉयलोग समझायेंगे।
परदे पर पिक्चर शुरू हो चुकी थी। कहानी कुछ ऐसी थी। एक युवा और युवती समंदर में “सी सर्फिंग” (समंदर की सतह पर समंदर की ऊँची ऊँची मौजों पर सपाट लकड़ी के फट्टे पर खड़े होकर या लेट कर फिसलना) कर रहे थे। उस समय वह दोनों के अलावा वहां और कोई नहीं था। दोनों ही अपनी धुन में मस्त सर्फिंग कर रहे थे की अचानक लड़की लकड़ी के फट्टे से गिर पड़ी और एक पत्थर से उसकी टक्कर होने के कारण बेहोश हो गयी।
वह युवक ने लड़की को पानी से निकाल कर समंदर के किनारे लिटाया और लड़की के भरे हुए उभरे स्तनोँ पर अपने दोनों हाथों की हथेलियां रख कर उन्हें जोर से दबाकर लड़की के पेट में से पानी निकालने के लिए और उसकी साँस फिर से चालु हो इस लिए बार बार धक्के मार कर लड़की को होश में लाने की कोशिश करने लगा।
जब लड़की के मुंह से काफी पानी निकल गया और वह होशमें आयी और उसकी आँख खुली तो उसने लड़के को देखा। वह समझ गयी की लड़के ने उसकी जान बचाई थी। वह बैठ गयी और लड़के को अपनी बाहों में लेकर उससे लिपट गयी और लड़के के मुंह से अपना मुंह चिपका कर उसने लड़के को एक गहरा चुम्बन दे डाला।
धीरे धीरे दोनों एक दूसरे की और आकर्षित हुए। उस दिन के बाद दोनों फिर साथ में ही सर्फिंग करने लगे। एक बार वह लड़की जब समंदर से निकल कर अपना ड्रेस बदल रही थी तब उसने थोड़ी दूर खड़े हुए उस लड़के की और टेढ़ी नजर से देखा। निगाहों से निगाहें मिलीं और प्यार का इशारा हुआ। लड़के ने तौलिये में लिपटी हुई लड़की को अपनी बाहों में ले लिया। तौलिया गिर गया और नंगी लड़की निक्कर पहने हुए लड़के से लिपट गयी। लड़की ने अपने हाथ से लड़के की निकर निचे खिसका दी। दो नंगे बदन समंदर के किनारे एक दूसरे से लिपटे हुए प्रगाढ़ चुम्बन में लिप्त एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे।
परदे पर जब यह दृश्य चल रहा था तो सुनीता ने महसूस किया की कर्नल साहब ने सुनीता का हाथ जो की शुरू से ही कर्नल साहब के हाथ में ही था, को उत्तेजना में दबाया। सुनीता भी परदे के दृश्य इतने कामोत्तेजक थे की सुनीता भी उनका हाथ हटा नहीं सकी। सुनीता के मनमें कई उफान उठ रहे थे। कर्नल साहब ने फिल्म को देखते हुए सुनीता का हाथ और दबाया।
हॉल में एक किनारे सिकुड़ कर बैठी हुई बेचारी सुनीता के हालात अजीब से ही थे। वह हॉल में जहां देखती थी सब जगह युगल ही युगल थे जो इन उन्मादपूर्ण दृश्यों को देख कर चोरी छुपी एक दूसरे की गोद में टांगों के बिच हाथ डालकर एक दूसरे के लण्ड या चूत को सेहला रहे थे। शर्म या औचित्य के कारण कुछ युगल अपने कपड़ों से ढके हुए उसके निचे यह सब कर रहे थे और कुछ खुल्लम खुल्ला हॉल के अँधेरे का लाभ लेकर यह सब कर रहे थे। इन दृश्यों का असर सुनीता पर भी तो होना ही था। वैसे भी सुनीता पिछले कुछ दिनों से कुछ ज्यादा ही चंचलता अनुभव कर रही थी। उसके पति ने उसे पिछली कुछ रातों से कर्नल साहब का नाम लेकर उकसाना और छेड़ना शुरू किया था।
सुनीता ने अनुभव किया की उसकी चूत गीली हो चुकी थी और फिर भी उसकी चूत में से पानी रिसना कम नहीं हो रहा था। उसको अपनी चूत में अजीब सी चंचलता और फड़कन महसूस हो रही थी। सुनीता ने अपने पति को मन ही मन कोसना शुरू किया की क्यों नहीं वह इस वक्त उनके पास बैठे? उसका मन कर रहा था की कोई उसकी दो टाँगों के बिच में और युगल की तरह ही हाथ डालकर उसकी चूत को सहलाये।
सुनीता ने एक और बैठे कर्नल साहब की और देखा तो वह बेचारे अपना फुला हुआ लण्ड जो उनके पतलून में फनफना रहा होगा उसको सम्हाल ने की नाकाम कोशिश कर रहे थे। उनकी पत्नी उनसे दूर दूसरे छोर पर सुनीता के पति सुनील के पास बैठी हुई थी। सुनीता सोचने लगी की कर्नल साहब का भी मन कर रहा होगा की उनके लण्ड को कोई सहलाये।
यह साफ़ था की कर्नल साहब परदे के दृश्य से इतने प्रभावित थे की अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे थे। कर्नल साहब के हाथ के हाथ से अपनी कलाई दबाते ही सुनीता के पुरे बदन में सिहरन फ़ैल गयी। उसके रोंगटे खड़े हो गए। वह एक अजीब उधेड़बुन में फँसी थी। क्या वह कर्नल साहब का हाथ वहीँ रहने दे या उसे हटा दे। सुनीता कुछ तय नहीं कर पा रही थी। शायद कर्नल साहब ने उसे सुनीता की रजामंदी समझकर उसका हाथ पकड़ा और धीरे से सरका कर अपनी दो टाँगों के बिच रख दिया और फिर अपना हाथ हटा लिया।
उधर परदे पर लड़की ने लड़के का मोटा और लंबा लण्ड अपने हाथों में लिया और उसे प्यार से सहलाने लगी। लड़का भी लड़की की पीठ, गाँड़ और जाँघों को सहलाने और टटोलने लगा। कैमरा मेन ने समंदर के किनारे छिछरे पानी में प्रेम क्रीड़ा करते हुए दोनों नंगे बदन और इर्दगिर्द के वातावरण को इतनी बखूबी फिल्माया था की हॉल में बैठे हुए सारे पुरुष दर्शकों का लण्ड खड़ा हो गया और महिला दर्शकों की चूत गीली हो गयी ।