बार बार सुधा की नज़रे सौरभ के खड़े लंड पर जा रही थी उसकी चूत भी मचलने लगी थी पर सुधा बहुत शातिर औरत थी गर्मी बहुत हैं ऐसा कहकर उसने अपने आँचल को पूरी तरह से साइड मे कर दिया गोरे गोरे बोबे वैसे ही ब्लाउज से आधे से ज़्यादा बाहर आ रहे थे उपर से ताइजी मेहरबान हो रही थी सौरभ पर तो अब वो बेचारा बस रोके था खुद को किसी तरह से सौरभ का लंड उसको जीने नही दे रहा था उसे लग रहा था कि अगर उसने अभी के अभी अगर नही हिलाया तो फिर उसका पानी कच्छे मे ही निकल जाएगा सुधा का गदराया जिस्म और उसकी कामुक हरकत सौरभ के जिस्म मे गर्मी भर रही थी
सुधा अपने धोए कपड़ो को सुखाने के लिए उठी कि उसका पाँव साबुन के झाग की वजह से फिसल गया और वो सीधा पानी मे जा गिरी और उपर से नीचे तक भीग गयी ओफफफफफफफफफफफ्फ़ ये क्या हो गया उसने कहा और पानी से बाहर आने लगी गीले होने की वजह से उसके कपड़े बुरी तरह से उसके बदन पर चिपक गये थे उसकी साड़ी मे उभरी उसकी मोटी गान्ड और भी मस्त लग रही थी गीली होने की वजह से सुधा ने अब अपनी साड़ी भी उतार कर साइड मे रख दी और बस वो अब ब्लाउज और पेटिकोट मे ही थी , पेटिकोट पीछे से उसकी गान्ड की दरार मे घुसा पड़ा था सुधा फिर से अपने कपड़े धोने लगी सौरभ अपने कपड़े धो चुका था पर वो सुधा की वजह से वही पर रुक गया था
सौरभ- ताई जी आप तो पूरे गीले हो गये हो एक काम करो यही पर नहा लेना
सुधा- बेटा सोच तो मैं भी रही हूँ ऐसा ही पर क्या करूँ घर से दूसरे कपड़े भी तो नही लाई और बाकी सब के तो साबुन लगा दिया हैं तू नहाने की कह रहा हैं मैं सोच रही हूँ कि घर कैसे जाउन्गी
सौरभ- ताई जी इस साड़ी को धूप मे सूखा दो जल्दी ही सूख जाएगी और फिर जब तक आप बाकी के कपड़े धोकर नहाओगे ये तैयार सुधा को भी उसकी बात जॅंच गयी उसने कहा बेटा बात तो ठीक है तेरी पर फिर तू भी इधर ही है तेरे सामने कैसे नहाउन्गी मैं लाज आएगी मुझे
सौरभ मन ही मन मे –भोसड़ी की उस दिन चूत मे तीन तीन उंगलिया डाले हुए थी तब तो लाज नही आ रही थी तुझे आज सती-सावित्री बन रही हैं
सौरभ- ताई जी वो क्या हैं ना कि मुझे भी नहा कर ही जाना था तो रुकना ही पड़ेगा और फिर मेरे कपड़े भी तो सूझ रहे हैं
सुधा ने सोचा कि ये भी पक्का ढीठ हैं ऐसे नही मान ने वाला और वैसे भी जब सुधा जैसा सेक्स बॉम्ब इस हालत मे आँखो के सामने हो तो फिर कॉन कम्बख़्त जाए उधर से उसने कहा – तो फिर एक काम कर बेटा तू भी आजा इधर ही साथ ही नहा लेते हैं फिर इकट्ठा ही घर साथ चलेंगे
ये सुनते ही सौरभ की जैसे मूह माँगी मुराद पूरी हो गयी और थोड़े दूर दूर होकर दोनो जाने नहाने लगे ठंडा पानी सुधा के बदन को और गरम कर रहा था उधर सौरभ भी पानी मे भीग चुका था उसका खड़ा लंड का साइज़ गीले कच्छे से पूरी तरह दिख रहा था जवान लंड को देख कर सुधा की चूत भी कुलबुलाने लगी उसने सोचा कि थोड़े मज़े लेने मे क्या बुराई है और फिर सौरभ हैं तो घर का ही जब तू अपने बेटे का लंड देख सकती है तो फिर सोरभ कॉन सा पराया है उसने ट्रिक लगाते हुए कहा कि बेटा मेरा हाथ नही पहुँच पा रहा हैं तू ज़रा मेरी पीठ पर साबुन लगा दे
सौरभ तो जैसे आज मज़े के दरिया मे ही पहुच गया था सुधा खुद उसे बुला रही थी उसने कहा – ताइजी पर साबुन लगाने के लिए ब्लाउज तो उतारना पड़ेगा ना
सुधा- पर बेटे ऐसे खुले मे मैं कपड़े उतार भी तो नही सकती ना कोई भी आ निकलेगा
सौरभ- तो फिर कैसे लगाऊ ताई जी
सुधा तो खुद कामवासना मे बुरी तरह से तप रही थी उसने कहा –बेटा एक काम कर कुँए पर जो पिछली तरफ बिना छत का बाथरूम सा बना हैं उधर चल कर नहाते हैं कम से कम चारदीवारी को ओट तो रहेगी कोई देखेगा भी नही और फिर मैं भी थोड़ा आराम से नहा सकूँगी
ताई जी की ये बात सुनकर सौरभ को नज़ाने क्यो यकीन सा होने लगा था कि आज किस्मत उस पर कुछ ज़्यादा ही मेहरबानी दिखा रही है उसने उसी पल सोच लिया कि ताइजी के थोड़ा सा और आगे सरकते ही आज वो चूत मारने मे कोई कसर नही छोड़ेगा फिर चाहे जो कुछ भी हो जाए आज ताई जी को अपना बना कर ही रहेगा वो
उसने कहा ताइजी वो तो काफ़ी दिनो से ऐसे ही पड़ा हैं आप अपने कपड़े धो लो तब तक मैं मोटर जोड़के उधर के नलके को चालू करता हू और थोड़ा साफ भी कर देता हूँ दो जिस्मो मे एक ऐसी आग लग चुकी थी जिसे अब ये ठंडा पानी भी नही बुझा सकता था अगर कुछ था तो बस एक दूसरे को अपनी बाहो मे भरना, एक दूसरे को पा लेने की हसरते……….
दोनो के दिल बड़ी तेज़ी से धड़क रहे थे दोनो ने इस रास्ते पर आगे बढ़ने का सोच लिया था दोनो घबराए से थे, पर आग दोनो के जिस्मो को पिघला रही थी बस इस आग को एक बोछार की सख़्त ज़रूरत थी, सौरभ दौड़ कर गया और जल्दी ही उस कच्चे बाथरूम को सॉफ कर दिया और पानी की मोटर चला दी थोड़ी देर बाद सुधा भी सावधानी से इधर उधर देख कर बाथरूम मे घुस गयी टूटे से किवाड़ को बंद कर लिया
सुधा- बेटे ये सही किया तूने अब आराम से नहा सकती हूँ
सौरभ अपने हाथ मे साबुन लेते हुए, ताई जी अब मैं भी अच्छे से साबुन लगा देता हूँ सुधा ने अपना मूह दीवार की तरफ किया और अपने ब्लाउज को उतार दिया ब्रा अंदर पहनी नही थी उसके उड़ते कबूतर बाहर आकर झूल गये पर चूँकि उसकी पीठ सौरभ की ओर थी तो वो उन कयामत चूचियो के दर्शन नही कर पाया था सुधा की नंगी, मखमली पीठ देख कर ही उसका लंड बुरी तरह से झूलने लगा था उसने ताई जीकी पे पीठ पर पानी का डिब्बा डाला और साबुन रगड़ने लगा सुधा को अपने जिस्म पर जवान लड़के का स्पर्श बड़ा ही मस्त लग रहा था
सौरभ का हाथ बार बार सुधा की बगल से होते हुए चूचिओ से भी रगड़ खा रहा था सुधा की चूत बुरी तरह से रस छोड़ रही थी उसने अपनी गान्ड को और पीछे कर लिया और सौरभ के लंड पर रगड़ते हुए बोली बेटा- ये क्या है जो डंडे जैसा मेरे पीछे चुभ रहा हैं
सौरब अपना हाथ आगे को ले गया और उसके दोनो बोबो को कस कर भीचते हुए बोला ताई जी आप ही देख लो ना क्या हैं , सुधा के बोबो पर सालो बाद किसी ने छुआ था वो मस्त हो गयी उसके मूह से सिसकारिया निकालने लगी सुध बुध भूलने लगी वो सौरभ भी पूरी मस्ती से सुधा के बोबो को मसल रहा था सुधा अपना हाथ पीछे ले गयी और सौरभ के कच्छे मे हाथ डालकर उसके लंड को मसल्ने लगी, अपने लंड पर पहली बार किसी औरत के हाथ को देख कर सौरभ तो जैसे झड़ने को ही हो गया
सुधा धीरे धीरे उसके लंड को अपनी मुट्ठी मे लेकर आगे पीछे करने लगी सौरभ और कस कस कर सुधा के बोबो को दबाने लगा दोनो के जिस्मो पर पड़ता ठंडा पानी जिस्मो की आग को और भड़काए जा रहा था जब सुधा ने सौरभ की दोनो गोटियो को अपने हाथ मे भर कर दबाया तो सौरभ जैसे मस्ती से झड़ने को ही हो गया उसको पता था कि आज वो कुछ भी करे ताई जी उसको रोकने वाली नही हैं उसने अपना हाथ चूचियो से हटाया और सुधा के पेटिकोट के नाडे को खोल दिया सुधा अब पूरी तरह से नंगी हो गयी थी उसकी मदमस्त गान्ड सौरभ की आँखो के सामने थी उसने सुधा का मूह अपनी ओर किया और उसके मोटे मोटे रसीले होटो पर अपने होंठ रख दिए और ताई जी के होटो का रस चूसने लगा
बरसो बाद सुधा के प्यासे होटो पर गरम लबो का अहसास हुआ था उसने अपना मूह खोला और अपनी जीभ सौरभ के मूह मे डाल कर चुसवाने लगी सौरभ का लंड उसकी चूत पर रगड़ खा रहा था सुधा बस उसकी बाहों मे पिसना चाहती थी एक बेहद लंबे चुंबन के बाद सुधा उस से अलग हुई उसकी फूली सांस अपनी कहानी बया कर रही थी वो सौरभ की आँखो मे देख कर मुस्कुराइ और फिर अपने घुटनो के बल बैठ गयी लंड अब बिल्कुल उसके चेहरे के सामने झूल रहा था बिना देर किए सुधा ने अपना मूह खोला और लंड के सुपाडे को अपने मूह मे भर लिया
सुधा के मूह मे लंड जाते ही सौरभ की सिट्टी पिटी गुम हो गयी मस्ती के मारे उसकी एक एक नस नाच उठी ओह ताइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई जीिइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई उसके मूह से निकला, गोटियो को अपने हाथो से सहलाते हुए सुधा लंड को चूसने लगी थी खुद सुधा की हालत ऐसी हो रही थी कि जैसे किसी मुन्ने को उसका मनपसंद खिलोना मिल गया हो थोड़ा थोड़ा करके उसने पूरा लंड अपने मूह मे ले लिया और दबा के चूसने लगी सौरभ ताई जी की इस अदा का दीवाना हो गया उसका खुद से काबू खोता जा रहा था सुधा के कामुक होटो लंड पर अपना जादू चलाए जा रहे थे अब सौरभ ने ताई जी के सर को अपने हाथो से दबा लिया और उसके मूह को चोदने लगा
सुधा जहाँ पूरी तरह से खेली खाई औरत थी वही सौरभ एकदम नोसखिया था वो ज़्यादा देर नही ठहर पाया और झड़ने को हो आया, उसकी आँखे मज़े से फैलती चली गयी पूरा जिस्म अकड़ गया और उसका गरमा गरम पानी सुधा के मूह मे गिरने लगा अरसे बाद सुधा आज वीर्यपान कर रही थी उसके मूह मे वो गाढ़ा नमकीन सफेद रस अच्छे से घुल गया जिसे वो चतखारे लेते हुए घूँट घूँट करके पी गयी
जब तक लंड से रस की एक एक बूँद ना चूस ली सुधा ने लंड को अपने मूह मे ही दबाए रखा सौरभ तो मस्ती के मारे पागल ही हो गया था बड़ी कातिल निगाहो से सुधा ने सौरभ की तरह देखा और फिर बाथरूम के फरश पर घोड़ी बन गयी सौरभ ने आज से पहले इतनी बड़ी गान्ड नही देखी थी सुधा की 46” की गान्ड का मस्त नज़ारा उसकी आँखो के सामने था सुधा ने अपनी टाँगो को थोड़ा सा फैला दिया जिस से उसकी चूत बाहर मूह निकाल कर लॅप लपाने लगी सुधा ने कहा बेटा बहुत तड़प रही हैं मेरी मुनिया आ तू भी इसका रस चख ले बहुत प्यासी हैं ये आजा इसका सारा रस निकाल दे सौरभ उस मदमस्त गान्ड पर झुका और अपने काँपते होंठो को उस चूत पर रख दिया …
घोड़ी बनी हुई सुधा की कई सालो से अन्छुइ चूत काम रस से गीली होकर लॅप लपा रही थी सौरभ ने अपनी जीभ को गीली किया और ताई जी की गरम चूत की खुश्बू को सूंघने लगा उसकी उत्तेजना और भी बढ़ गयी थी उसने ताई जी के विशाल नितंबो पर अपने हाथ रखे और अपने सप्निली जीभ को टच कर दिया चूत से लिस लीसी जीभ का स्पर्श चूत पर होते ही सुधा के शरीर मे जैसे भूकंप हो गया वो लड़खड़ा गयी और आगे को सरकने लगी पर सौरभ ने बड़ी मजबूती से उसको थाम रखा था तो वो सरक ना पाई
चूत के नमकीन पानी का स्वाद अपने मूह मे आते ही सौरभ को पता चल गया कि आख़िर क्यो दुनिया चूत के पीछे इतनी देवानी हुई पड़ी हैं सुधा की हिलती गांद उसे और भी उत्तेजित कर रही थी उसने अपने हाथो से छूट की मासूम पंखुड़ियो को आहिस्ता से फैलाया और अपनी जीभ को जितना अंदर डाल सकता था डाल दिया सुधा ने अपनी कामुक टाँगो मे सौरभ के चेहरे को दबा लिया और उसको अपनी चूत का पानी पिलाने लगी दोनो ताई-बेटा अपने रिश्तो की मर्यादा को भूल कर एक नया रिश्ता जोड़ने जा रहे थे जिसमे अगर था तो बस चूत और लंड का मिलन
जैसे जैसे चूत की चुसाइ होती जा रही थी सुधा की गान्ड अपने आप थिरकने लगी थी वो बस किसी तरह से अपनी आहों को रोके हुए थी उसकी फूली हुई चूत का आधे से ज़्यादा हिस्सा सौरभ के मूह मे भरा हुआ था शाबाश बेटे शाबाश वो धीमे धीमे बुदबुदते हुए सौरभ के जोश को बढ़ा रही थी सुधा ने अपनी आँखे मस्ती के मारे बंद कर ली थी अब सुधा की चूत मे इतने सालो से रस जमा हुआ था तो वो ज़्यादा देर तक सौरभ की जीभ को सहन नही कर पाई और उसके मूह मे ही झड गयी सौरभ उसके सारे पानी को पी गया शांत होने के बाद सुधा अब खड़ी हुई दोनो की नज़रे मिली सुधा ना जाने क्यो शर्मा गयी
पर सौरभ का लंड फिर से खड़ा हो गया था उसने सुधा को वही फर्श पर लिटा दिया और उसकी गद्देदार जाँघो को खोल दिया सुधा ने मस्ती से आह भरी सौरभ उसकी टाँगो के बीच आया और अपने लंड को चूत के छेद पर टिका दिया दोनो ही जानते थे कि आगे क्या होने वाला हैं बस एक पल की ही बात थी पर ये एक पल ही बहुत लंबा हो गया बाहर किसी तरह की आवाज़ हुई तो दोनो की वासना एक मिनिट मे ही कही गायब हो गयी दोनो एक दूसरे का मूह ताके कॉन आ गया इस टाइम कही वो पकड़े ना जाए सुधा घबराई सौरभ की चेहरे पर हवाइयाँ उड़ी गान्ड फट गयी उसकी की कही प्रेम तो नही आ गया
Incest ये प्यास है कि बुझती ही नही – Pure Taboo Story