एक और घरेलू चुदाई -antarvasna stories

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जवान बेटी साथ मे थी तो उसके सामने क्या इज़्ज़त रहती ये सोच कर वो चुपचाप खड़ी रही कुछ देर मे बस दो चार जगहो पर और रुकी और भीड़ और बढ़ गयी तो उस लड़के को भी मोका मिल गया वो तो जैसे सुधा की गान्ड मे घुसने को बेताब हो रहा था उसको भी किस्मत ने आज मस्त मोका दिया था ऐसी मस्त औरत के चुतड़ों का मज़ा लेने का अब सुधा भी औरत थी ये अलग बात थी कि प्रेम के बापू के मरने के बाद उसने कभी लंड नही लिया था पर अब उस लड़के के लंड ने उसके अंदर हलचल सी मचानी शुरू कर दी

पता नही क्यो सुधा ने भी अपनी गान्ड को थोड़ा सा पीछे को कर दिया और लुफ्त लेने लगी उसकी चूत कामरस से फूलने लगी और उसकी कच्छी को गीला करने लगी उस गीलेपन को वो अपनी टाँगो के जोड़ पर महसूस करने लगी थी अब बार बार वो अपनी गान्ड को पीछे को करके उस लड़के के लोड्‍े को महस्सूस कर रही थी पर ये सब ज़्यादा देर नही चला उस लड़के का स्टॉप आ गया था तो वो उतर गया खैर माँ बेटी का सफ़र भी ख़तम हुआ और वो भी अपने गाँव पहुच ही गयी

जब सुधा को विनीता के बारे मे पता चला तो वो उस से मिलने चली गयी जबकि उषा रसोई मे चाइ बना ने लगी, प्रेम भी रसोई मे चला गया और उषा के पीछे जा कर खड़ा हो गया दोनो के बीच मे दूरी बहुत ही कम थी तभी उसने उपर वाली स्लेप से बिस्कट उतारने का बहाना लिया और थोड़ा सा आगे होते हुए उषा की गान्ड पर अपने आगे वाले हिस्से को घिस दिया तो उषा आगे को होकर स्लेप से सट गयी प्रेम के दवाब से उसको बहुत ही अच्छा लगा उसका मन किया कि प्रेम अभी उसको चोद दे

चूँकि सुधा और विनीता पक्की सहेलिया थी तो सुधा ने कहा कि जब तक विनीता ठीक नही हो जाती वो उसके घर ही सोएगी ताकि उसकी मदद कर सके, ये बात सुनकर सौरभ तो जैसे मर ही गया जबकि उषा की आँखो मे चमक आ गयी उसने फ़ौरन फ़ैसला ले लिया कि इन्ही दिनो मे वो अपनी चूत अपने भाई को देकर ही रहेगी जबकि प्रेम भी उषा को चोदने का सोच रहा था

सब अपनी अपनी सेट्टिंग मे थे पर सौरभ बेचारे को अभी अपना लंड हिलाना था सुधा विनीता के घर जा चुकी थी कुछ देर पहले ही बरसात सुरू हो गयी थी तो बिजली चली गयी थी आज शायद तकदीर भी उषा को सिग्नल दे रही थी तो उषा ने कहा कि भाई आंधरे मे मुझे डर लगेगा तो तू मेरे कमरे मे ही सोजा अब प्रेम तो कुछ ऐसा ही चाहता था तो अब दोनो भाई बहन एक ही बिस्तर पर लेट गये

उषा ने लालटेन बुझा दी और प्रेम से बाते करने लगी बाते करते करते उसने जान बुझ कर प्रेम के लंड को टच कर दिया जिस से प्रेम के तन बदन मे मे आग लग गयी पर दोनो शुरुआत करने मे डर रहे थे पर आज उनके बीच का रिश्ता भाई बहन से होकर एक औरत और मर्द का होने वाला था बाहर दूर कहीं बिजली कडकी और उषा थोड़ा सा और प्रेम की तरफ सरक गयी बरसात के उस आलम मे बिस्तर के अंदर गर्मी कुछ बढ़ सी गयी थी

थोड़ी देर बाद प्रेम ने सोचा कि दीदी शायद सो गयी है जबकि हक़ीकत ये थी कि उषा अपनी सांसो को दबाए जागी पड़ी थी प्रेम ने अब उषा के पेट पर से उसके सूट को थोड़ा सा सरकाया और उसके गुदाज गोरे मखमली पेट पर अपना हाथ फिराने लगा उषा के जिस्म को आज से पहले कभी इस तरह से पुरुष के छूने का अनुभव नही हुआ था और अपने भाई के स्पर्श से तो उसके बदन मे दुगना रोमांच हो गया प्रेम थोड़ा सा और आगे को सरका

और उषा के कुल्हो से बिल्कुल सट गया उसका पाजामे मे तना हुआ लंड उषा के कुल्हो से छूने लगा बेशक अभी उनके बीच मे कपड़ो की दीवार थी पर फिर भी तन-मन मे तरंग चल गयी थी प्रेम ने उसके पेट पे हाथ डालके उसको थोड़ा सा अपनी ओर खीचा तो उषा के मुँह से एक आह निकल गयी प्रेम डरते डरते दीदी के पेट को सहलाते जा रहा था उसी बीच उषा ने अपने कुल्हो को थोड़ा सा अड्जस्ट किया और प्रेम का लंड उसकी गान्ड की दरार मे बिल्कुल फिट हो गया रोमांच से उषा का बदन कांप रहा था

प्रेम धीरे धीरे उसके पेट को सहलाता रहा फिर उसकी गहरी नाभि मे अपनी उंगली फिराने लगा उषा अपने उपर से कंट्रोल खोने लगी वो किसी बेजान की बुत की तरह पड़ी थी प्रेम अब अपना हाथ थोड़ा सा उपर को ले गया और सूट के अंदर ब्रा के उपर से ही उसके 34 इंच के अनटच बोबो को सहलाने लगा पर पुरुष के उस मधुर स्पर्श से उषा बुरी तरह से पिघलने लगी थी पर वो अभी शर्मो हया की दीवार को नही तोड़ना चाहती थी वो देखना चाहती थी कि भाई अभी और क्या करता है कितना आगे बढ़ता है

बोबो को धीरे धीरे दबाते हुए प्रेम ने जब दीदी के कान के पिछले हिस्से पर किस किया तो उषा अपने आप पर कंट्रोल नही कर पाई वो पलटी और अपनी बाहें भाई के गले मे लपेट दी और उस से चिपक गयी उसका अपनी सांसो पर कंट्रोल ख़तम हो गया था उषा ने दो कदम आगे बढ़ते हुए अपने होठ प्रेम के होंठो से मिला दिए और दीवानो की तरह उसको चूसने लगी दोनो भाई बहन एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे प्रेम दीदी की मस्त गान्ड को दबाने लगा था

प्रेम ने पलटी खाई और उषा के उपर आ गया और मज़े से उसको चूमने लगा उषा ने उसके पाजामे मे हाथ डाल दिया और उसके लंड को अपनी मुट्ठी मे भर लिया कड़क गरम लंड को हाथ मे भर कर उषा को बहुत अच्छा लग रहा था वो लंड की खाल को अपने नाखूनो से रगड़ने लगी तो प्रेम ने उसके निचले होठ पर दाँतों से काट लिया शरम की दीवार अब ध्वस्त हो चुकी थी दोनो भाई बहन अब खुल कर एक दूजे के सामने आ गये थे दोनो एक दूजे मे सामने को बेताब थे बस कुछ पलों की बात थी और फिर उनका नाता हमेशा के लिए बदल जाने वाला था पर तभी…….

बाहर किसी ने ज़ोर ज़ोर से दरवाजा पीटना शुरू किया तो दोनो झट से अलग हो गये उषा ने लालटेन जलाई प्रेम बाहर आ गया तो देखा कि गेट पर सौरभ था प्रेम को गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर उसने कंट्रोल किया और बोला तू इस टाइम तो सौरभ ने कहा कि यार खेतो पर चलना होगा वो ताइजी ने कहा है कि खेत की मेड कच्ची है और सूखा चारा भी बाहर ही पड़ा है तो भाई जल्दी चल प्रेम को गुस्सा तो इतना आ रहा था कि इस की गान्ड तोड़ दे पर क्या करे मजबूरी थी तो उसने छतरी ली और दोनो जने खेतो की ओर भरी बरसात मे दौड़ लिए


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