इधर दोनो भाई बहन नोक झोंक करते हुए स्कूटर को घसीट ते हुए गाँव की तरफ चल रहे थे गाँव बस थोड़ी सी दूर रहा था पर ऐसा लगता था कि जैसे कि कितनी दूर हो, उषा को मूतने का मन हो रहा था बहुत देर से पर चारो तरफ खुला ही इलाक़ा था तो वो कर नही पा रही थी पर अब उसको लगने लगा था कि अब वो ज़्यादा देर तक रोक नही पाएगी पर छोटा भाई साथ था तो वो थोड़ा सा शरमा भी रही थी उसके लिए एक एक कदम बढ़ाना मुश्किल हो रहा था
उसकी टांगे काँपने लगी थी , अब क्या करूँ मैं यही सोचते सोचते वो रुक गयी उसे लग रहा था कि बस मूत निकलने ही वाला है आज तो तगड़ी मुसीबत हुई
सौरभ- क्या हुआ दीदी क्यो रुक गयी
उषा- भाई मुझे ना वो वो
सौरभ- वो क्या दीदी
उषा= मुझे ना सुसू आई है बहुत तेज
ये सुनते ही सौरभ के कान गरम हो गये वो तो पहले ही उषा पे फिदा था उसने सोचा इसी बहाने से दीदी की गान्ड देखने का तगड़ा मोका मिला है आज तो
सौरभ- दीदी, इधर तो कोई जगह भी नही है सब तरफ खुला ही पड़ा है
उषा- मुझे भी दिख रहा है पर मैं अब और कंट्रोल नही कर सकती कुछ करो
सौरभ- दीदी, आप फिर इधर ही कर लो और क्या
उषा- पर खुले मे कैसे
सौरभ-दीदी इधर हम दोनो के सिवा और कोई है नही मैं इधर मूह करके खड़ा हो जाता हूँ आप जल्दी से कर लो
उषा ने सोचा बात तो ठीक है उसने हाँ कर दी
सौरभ न अपना मूह दूसरी तरफ कर लिया उषा ने जल्दी से अपने सलवार को नीचे सरकया और बैठ गयी , सुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर की तेज आवाज़ से पेशाब चूत की दीवारो को चीरता हुआ धरती पर गिरने लगा सौरभ ने ज़रा सी गर्दन घुमा कर देखा तो उषा के चुतड़ों पर नज़र गयी उफ़फ्फ़ क्या गजब माल थी वो उषा को काफ़ी देर तक प्रेशर आता रहा उसे आज से पहले मूतने मे इतना मज़ा कभी नही आया था
उषा उठने ही वाली थी कि उसे लगा कि सौरभ चोर नज़रो से उसकी गान्ड को देख रहा है पर उसको गुस्सा नही आया उसने सोचा जब प्रेम भाई को दे चुकी हूँ तो इस कम्बख़्त के लिए भी थोड़ा नज़ारा तो बनता ही है उसने सौरभ के मज़े लेने की सोची और बिना अपनी सलवार को सरकाए ही खड़ी हो गयी ताकि सौरभ उसकी मांसल जाँघो और चुतड़ों को अच्छे से निहार सके फिर धीरे से उसने अपनी सलवार उपर की सौरभ के मूह का थूक ही सूख गया उसके दिल मे दीदी को चोदने की ख्वाहिश और भी बलवान हो गयी
इधर प्रेम और विनीता दोनो एक दूसरे की बाहों मे काम सुख को चख रहे थे प्रेम का लंड सरपट सरपट करता हुआ चाची की चूत मे अंदर बाहर हो रहा था दोनो की साँसे एक दूसरे से उलझी पड़ी थी चूत पर थप थप धक्को की बरसात हो रही थी दो जिस्म एक दूसरे मे समाए हुए अपनी मंज़िल की तलाश कर रहे थे पर आज उनकी किस्मत मे मंज़िल को पकड़ना था ही नही दोनो बस कुछ ही कदम की दूरी पर थे कि तभी नीचे से किसी की आवाज़ आई तो दोनो घबरा गये प्रेम फुर्ती से उसके उपर से उतरा और दीवार कूद कर अपने चॉबारे मे पहुच गया विनीता ने भी साड़ी को सही किया और ब्लाउज के हुको को बंद किया और आँखे बंद करके लेट गयी जैसे गहरी नींद मे हो मन ही मन गलियाँ देते हुए कि कॉन निगोडा आ मरा इस वक़्त
जल्दी ही उसे पता चल गया कि उसका पति आज घर आ गया था , जो कि एक नंबर का शराबी इंसान था पर अब था तो उसका पति ही , उसने विनीता को जगाया तो वो आँखे मलते हुए बोली- आप कब आए
पति- बस अभी भी, तबीयत कैसी है तुम्हारी
विनीता- जी बस ठीक हो रही हूँ डॉक्टर ने बताया कि कुछ दिनो मे चलने फिरने लगूंगी पहले की तरह
पति- बस तुम जल्दी से ठीक हो जाओ तो घर फिर से महकने लगेगा
विनीता को लगा कि आज उसका पति कैसी बाते कर रहा हैं
विनीता- काफ़ी दिनो बाद छुट्टी मिली
पति- हां वो क्या हैं ना कि काम बहुत रहता है आजकल मैने पीनी भी छोड़ दी हैं और मन लगाकर काम करता हूँ तो मेरा सेठ बहुत खुश हैं मेरे से और मेरी तनख़्वाह भी बढ़ा दी है
विनीता को यकीन ही नही होता कि उसके पति ने दारू छोड़ दी है उसकी आँखो मे खुशी के आँसू आ जाते है , उसका पति उसे गले से लगा लेता है और कहता है
मेरे सेठ ने देहरादून मे नया धंधा खोला है ट्रांसपोर्ट का और मुझे मुनीम बना दिया है तनख़्वाह भी पूरे 20000 रुपये देगा
विनीता- सच कह रहे है आप
पति- हाँ , मैं कल ही वहाँ के लिए निकल जाउन्गा , फिर कम से कम महीने डेढ़ महीने मे ही आउन्गा , देखो आज तक तुमने ही घर संभाला है तो अब तुमसे क्या छिपाना पर अब मैं भी ज़िम्मेदारी लूँगा ये लो मेरी पिछले कई दिनो की कमाई उसने नोटो की गद्दी विनीता के हाथो मे रख दी विनीता की आँखो से खुशी के आँसू झरने लगे पति पत्नी एक दूसरे के गले लगे हुए अपने आप को समेट रहे थे जहाँ कुछ देर पहले विनीता हवस की आग मे डूबी हुई पराए लड़के से चुद रही थी अब वो अपने पति की बाहों मे कुछ बेहद खास पलों को जी रही थी
VERY NICE STORYupdateshuqriya bhaiyo
सांझ ढले सौरभ और उषा पैरो को पटकते हुए घर पहुचे उषा ने कहा कान पकड़े अगर आगे से तेरे साथ जाउ तो मैं और घर मे दाखिल हुई
सुधा- आज आने मे बहुत देर हुई
उषा ने सारा किस्सा बताया तो सुधा बोली- हो जाता है कभी कभी उषा अपने रूम मे चली गयी कपड़े चेंज करने के लिए सुधा चाइ बनाने लगी
थोड़ी देर बाद पूरा परिवार चाइ की चुस्किया लेते हुए बाते कर रहा था
सुधा- तो फिर अब खरीदारी भी हो गयी अब शादी मे थोड़े ही दिन बचे है मुझे कई रस्मे करनी होंगी तो मैं थोड़े दिन पहले जाउन्गी उषा तू अपने कॉलेज मे बोल देना करीब 10 दिन की छुट्टिया ले लेना , तू मेरे साथ ही चलेगी
उषा- पर माँ
सुधा- पर वर कुछ नही
सुधा- बेटे तुम भी अपना प्रोग्राम सेट कर लो जो काम निपटाने है वो ख़तम करो तुम्हारे मामा को ये नही लगना चाहिए कि हम शादी मे रूचि नही ले रहे है
प्रेम- जी माँ ,आप फिकर ना करे
सुधा- सौरभ को भी कह देना अपने कपड़े वग़ैरा तैयार करे
प्रेम- माँ पर वो जाएगा तो चाची के पास कॉन रहेगा
सुधा- तब तक तो तुम्हारी चाची चलने लगेगी बस कुछ ही दिनो की तो बात है अगर सब ठीक रहा तो वो भी हमारे साथ ही चलेगी , अब काम की बात आज से रात की लाइट का नंबर हैं तो तुम आज खेतो मे पानी देना
प्रेम अब रात को उषा को चोदने के चक्कर मे था तो वो बोला- माँ, मेरी तबीयत कुछ ठीक नही है सुबह से बदन और सर मे दर्द हो रहा हैं औ फिर मैं पानी मे रहा तो कही बीमार ना हो जाउ
सुधा- पर बेटे पानी देना भी तो ज़रूरी है ना खेत कई दिन से सूखे पड़े है नयी सब्ज़िया लगानी है तुम्हे तो पता ही हैं कि अपना गुज़रा तो खेती से ही होता है
प्रेम- माँ मैं सच्ची मे थोड़ा सा परेशान हूँ वरना मैं कभी मना करता हूँ क्या
सुधा- ठीक है बेटे , मैं ही चली जाउन्गी खेत पर अब किसी ना किसी को तो काम करना ही पड़ेगा ना
प्रेम- माँ , सौरभ को ले जाओ वो मदद कर देगा वैसे भी आजकल वो कामचोर हो गया हैं
सुधा ये सुनते ही थोड़ी सी रोमांचित सी हो गयी उसने कहा – ठीक है , मैं उसको बोल देती हूँ हसरते जवान हो रही थी सब अपना अपना जुगाड़ करने मे लगे हुए थे अपनी अपनी ख्वाहिशे सबको चूत की ज़रूरत रात आज फिर से रंगीन होने वाली थी
बापू को घर आया देख कर सौरभ का दिमाग़ बुरी तरह से हिल गया उसने सोचा कि यार अब बापू घर है तो फिर ताईजी सोने आएँगी नही बात कुछ आगे बढ़ नही पाएगी पर उसको क्या पता था कि किस्मत कुछ ज़्यादा ही मेहरबान हो रही है उसपर आजकल, घर का काम समेटने के बाद सुधा ने टॉर्च ली और सौरभ के घर पहुच गयी
सुधा- सौरभ, बेटे क्या कर रहा है
सौरभ- ताईजी कुछ नही
सुधा- बेटे, आज तुझे मेरे साथ खेत पर पानी देने चलना पड़ेगा प्रेम की तबीयत थोड़ी खराब हैं तो तुझे ही मदद करनी पड़ेगी
सौरभ ये सुनकर मन ही मन खुश हो गया और जल्दी से तैयार हो गया दोनो ताई बेटे खेतो के रास्ते से होते हुए कुँए की तरफ चले जा रहे थे दोनो के मन मे अपने अपने विचार घूमड़ रहे थे सौरभ सोच रहा था आज तगड़ा मोका है चूत मारने का क्या फिर इधर किसी का डर भी नही रहेगा और कोई रोक टोक भी नही है उधर सुधा सोच रही थी कि क्या सच मे प्रेम की तबीयत खराब है लग तो बिल्कुल भला चंगा रहा था आजकल इस लड़के की हरकते बड़ी अजीब सी होती जा रही है करना पड़ेगा इसका कुछ
सुधा की बलखाती गान्ड मटक रही थी चारो तरफ अंधेरा था सौरभ बार बार टॉर्च की लाइट सुधा की गान्ड पर मारता सुधा अब कोई नोसिखिया तो थी नही वो सब समझ रही थी उसके होंठो पर मंद मंद मुस्कान आ गयी उसके पाँवो मे खनकती पायल की आवाज़ सॉफ सुनी जा सकती थी सौरभ तो जैसे आज आसमान मे उड़ने को हो रहा था