एक और घरेलू चुदाई -antarvasna stories

सुधा बोली- बेटा, मेरे बालो मे ज़रा तेल मालिश करदेना बहुत दिन हुए मालिश नही करवाई है ,
प्रेम- जी माँ अभी कर देता हूँ उसमे क्या है

सुधा वही पर बैठ गयी और प्रेम उसके पीछे आकर खड़ा हो गया सुधा ने चाल खेलते हुए अपने आँचल को पूरा सरका दिया जिस से प्रेम को उसके बोबो का पूरा नज़ारा दिख सके सुधा की सुडोल भारी भरकम छातियाँ जो कि उस टाइट ब्लाउज मे से आधे से ज़्यादा बाहर को निकल ही रही थी, माँ की छातियो की गहराई को देख कर प्रेम का लंड फिर से हरकत करने लगा
प्रेम ललचाई नज़रो से माँ के बोबो को निहारते हुए बालो मे तेल मालिश करने लगा सुधा ने अपनी आँखे मूंद ली पर उसके दिल मे भी हलचल मची हुई थी अपने बेटे से चुदने ख्याल से उसका रोम रोम मचल रहा था , काफ़ी देर तक प्रेम बालों मे मालिश करता रहा तभी उस के हाथो से तेल की शीशी छूट गयी और सुधा के ब्लाउज पर गिर गयी पूरा ब्लाउज तेल से सन गया दोनो बोबे तेल से भीग गये सुधा बोली- नलायक ये तूने क्या कर दिया

प्रेम माफी माँगते हुए बोला- माँ वो शीशी हाथ से छूट गयी ,
सुधा- हाँ पर अभी इधर दूसरा ब्लाउज है भी नही तो मैं क्या पहनुँगी
प्रेम- माँ इसको जल्दी से मुझे दे दो अभी धोकर सूखा देता हूँ थोड़ी देर मे सूख जाएगा फिर पहन लेना
सुधा- पर, तबतक मैं कैसे रहूंगी , आधी नंगी तेरे सामने

प्रेम मन ही मन सुधा को गाली बकते हुए, साली रंडी थोड़ी देर पहले तो गान्ड मटका कर अपनी जवानी मुझे दिखा रही थी अब चूतिया बना रही है

प्रेम- माँ, देखो तेल के दाग पड़ जाएँगे फिर ना कहना और फिर कोई चारा भी तो नही है

सुधा ने सोचा मुझे पागल बना रहा है साले को चूचिया देखन की कुछ ज़्यादा ही जल्दी है लो, आज इसको दिखा ही देती हूँ कि इसकी माँ चीज़ क्या है और सुधा ने अपना ब्लाउज बेटे के सामने ही उतार दिया ब्रा उसने पहनी नही थी ऐसा गजब नज़ारा देख कर प्रेम हक्का बक्का रह गया , दो दो किलो की चूचिया बिल्कुल नंगी उसकी आँखो के सामने पड़ी थी , उसने काँपते हुए हाथो से माँ का ब्लाउज लिया और उसको धोकर जल्दी से सूखा दिया और वापिस कमरे मे आ गया सुधा ने अपनी नंगी छातियो को छुपाने की कोई ज़रूरत नही समझी

सुधा प्रेम की तरफ देखते हुए- क्या देख रहा है बेटे इतनी गोर से

प्रेम- वो माँ , वो माँ

सुधा-बताना बेटे कहा सुधा ने

प्रेम- कुछ नही माँ

सुधा- मुझे मालूम है तू मेरे बोबे देख रहा हैं, बचपन मे इनका ही दूध पीकर आज तू इतना मुस्टंडा हुआ हैं

प्रेम- पर अब मैं बड़ा हो गया हूँ माँ

सुधा- उसके पयज़ामे मे बने तंबू की ओर देखते हुए, हाँ बेटा वाकई तू अब बड़ा हो गया है
बचपन मे तो बहुत ज़िद करता था दूध पीने की , काट काट कर मेरे बोबो का बुरा हाल कर दिया था तूने

प्रेम- माँ वो बचपन की बाते थी

सुधा- हाँ पर दूध आज भी है बेटे

ये सुधा का प्रेम की तरफ खुला निमंत्रण था सुधा प्रेम के पास आई और अपने बोबो को सहलाते हुए बोली- बेटा मेरी पीठ मे आजकल बहुत खुजली खारिश सी रहती है अब जब थोड़ा टाइम हैं तो लगे हाथ थोड़ा तेल उधर भी लगा दे प्रेम की तो जैस निकल पड़ी उसने हाथो पर थोड़ा सा तेल लगाया और सुधा की पीठ को मसल्ने लगा अपने बदन पर बेटे के हाथो का स्पर्श पाकर सुधा बहकने लगी

प्रेम उसके कंधो की मालिश करते करते उसकी बगल तक हाथ ले जा रहा था उसका मन चूचियो पर था, धीरे धीरे बगलो को सहलाते सहलाते वो चूचियो तक पहुच ही गया और अपने मजबूत हाथो मे सुधा के बोबो को थाम लिया और कस कर दबा दिया

सुधा अयाया बेटे ये क्या कर रहा है

प्रेम- माँ मालिश कर रहा हूँ

सुदाह – पर बेटे ,

प्रेम- माँ इनको भी मालिश की ज़रूरत है देख कैसे मुरझा सी गयी है अब मालिश करने लगा हूँ तो पूरी ही करूँगा रोक ना मुझे और अपनी माँ के बोबो को मसल्ने लगा

इधर………
दोनो भाई बहन स्कूटर पर सहर की तरफ चल पड़े थे सौरभ आज बहुत खुश था उषा दीदी जैसी हॉट लड़की उसके साथ सवारी कर रही थी , खटारा स्कूटर उबड़-खाबड़ रास्तों पर हौले हौले से सहर की तरफ बढ़ रहा था सौरभ बार बार स्कूटर के शीशे से उषा की तरफ चोर नज़रो से देखे जा रहा था टूटे-फूटे रास्ते पर जब भी स्कूटर डाँवाडोल होता उषा थोड़ा सा उसकी तरफ हो जाती उषा ने अपने हाथ को सौरभ के कंधे पर रखा हुआ था पर जब कभी वो ब्रेक लगाता तो उषा का पूरा बोझ सौरभ की पीठ पर आ जाता तो उसकी चूचियो को फील करके पूरे रास्ते वो मज़ा लेता रहा उषा और सौरभ दोनो सहर आ गये थे , सौरभ ने उषा को कॉलेज के गेट पे ड्रॉप किया तो उषा बोली, मेरी क्लास तीन बजे तक ख़तम हो जाएगी फिर मुझे पिक कर लेना बाजार मे थोड़ा समान खरीदना है फिर साथ घर चलेंगे

उसने हाँ मे सर हिलाया और अपनी पेमेंट लेने चल दिया आज कई देनदारों से वसूली करनी थी तो उन सब मे ही करीब करीब दो बज गये थे फिर उसने थोड़ा बहुत कुछ खाया पिया और उषा के कॉलेज की तरफ चल पड़ा पर रास्ते मे उसे एक किताबो की फेरी दिखी , अब सौरभ की ये आदत थी कि वो अक्सर सहर से सेक्सी कहानियो की बुक्स खरीदता रहता था तो उस दिन भी उसने दो चार किताबें खरीद ली और रख लिया , वो फिर सीधा कॉलेज कॅंटीन मे गया जहाँ उषा उसे मिल गयी
वो अपनी सहेलियो के साथ बैठी थी सौरभ को देख कर उसकी एक सहेली चुटकी लेते हुए बोली- उषा , कभी तूने बताया नही तेरा बाय्फ्रेंड भी है

ये बात सुनकर सौरभ और उषा दोनो ही बुरी तरह से झेंप गये

उषा बोली- नही, ये मेरा भाई है, सुबह मेरे साथ ही आया था और अब साथ ही घर जाएँगे उषा ने सौरभ का परिचय करवाया अपनी दोस्तो से और फिर करीब साढ़े तीन बजे वो कॉलेज से निकल लिए

उषा- मैन चौक वाली मार्केट चलना मुझे कुछ कपड़े खरीदने है तो उसने स्कूटर उधर मोड़ दिया
वो लॅडीस समान की एक बहुत बड़ी दुकान थी जिसमे औरतो की ज़रूरत का हर समान उपलब्ध था सौरभ काउंटर के पास रखे सोफे पर बैठ गया उषा खरीदारी करने लगी सौरभ ने देखा कि दुकान मे कई जगह डिसप्ले मे ब्रा-पैंटी के सेक्सी सेक्सी कलेक्षन रखे थे उसने देखा कई औरते उन्हे देख रही थी तो वो सेक्सी सा फील करने लगा तभी उसकी निगाह उषा पर पड़ी , वो भी अपने लिए कुछ सेट्स देख रही थी तो उसने मन ही मन सोचा उषा दीदी ऐसे सेक्सी ब्रा-पैंटी पहनती है तभी तो खुद भी एक नंबर माल है
करीब आधे घंटे बाद दोनो गाँव के लिए चल पड़े, सौरभ ने उषा का समान और अपनी बुक्स आगे जाली मे रख दी थी ताकि उषा आराम से सफ़र कर सके उसके मन मे प्रबल इच्छा हो रही थी कि उषा दीदी को अभी चोद दे पर उसका बस भी तो नही चलता था रोड के खद्डो के कारण उषा की चूचिया बार बार उसकी पीठ पर दवाब डाल रही थी तो उषा भी थोड़ी हॉर्नी सी होने लगी थी अब जवान जिस्म गरम भी कुछ जल्दी ही हो जाया करते है तो उसने भी सोचा थोड़ा टाइम पास कर लेती हूँ वो अपनी चूचियो का और दवाब सौरभ की पीठ पर डालते हुए बोली- तेरी कोई गर्लफ्रेंड हैं क्या

सौरभ- क्या दीदी, मेरी गर्लफ्रेंड कॉन बनेगी

उषा- ओह बॅड्लेक तेरा, हॅंडसम है ट्राइ कर

सौरभ-इतना टाइम नही है मेरे पास

उषा- हुम्म
ऐसे ही बाते कर रहे थे गाँव करीब 20किमी दूर रह गया था कि सौरभ ने कहा दीदी मेरे पास ना करीब 30 हज़ार रुपये है आगे का रास्ता थोड़ा ठीक नही है पिछले दिनो भी एक आदमी को लूट लिया था किसी ने तो इधर पास से एक शॉर्टकट जाता है आप कहो तो उधर से ले लूँ टाइम भी बच जाएगा और पैसो की सेफ्टी भी हो जाएगी उषा ने सोचा कि बात तो सही है और फिर क्या फरक पड़ता है कच्चे रास्ते से नहर किनारे किनारे चले जाएँगे तो घर भी थोड़ा जल्दी पहुच जाएँगे तो उसने कहा ठीक है भाई

जल्दी ही कच्चा रास्ता शुरू हो गया बार बार वो ब्रेक लगाता उषा बार बार अपनी ठोस छातियो को संभालती वो स्कूटर भी एक नंबर का खटारा था उषा भी समझ रही थी सौरभ को फुल अड्वॅंटेज मिल रहा है पर वो भी करे तो क्या उसका खुद का बॅलेन्स भी बिगड़ रहा था उस स्कूटर मे पीछे स्टॅंड सा भी नही था जिसे वो पकड़ सके तो फिर कुछ सोच कर उसने सौरभ की कमर मे हाथ डाल दिया और पकड़ लिया सौरभ थोड़ा सा और पीछे को सरक गया उषा का हाथ अंजाने मे सौरभ की जाँघो तक फिसल आया

तो सौरभ का हथियार जाग गया और पॅंट मे ही उछल कूद मचाने लगा उषा अपने ख़यालो मे थी तो उसका हाथ एक दम से सौरभ के लंड पर टच हो गया दोनो भाई बहन के बदन मे करेंट डॉड गया उसने तुरंत अपना हाथ हटा लिया और सही से बैठ गयी पर अभी मुसीबत आनी तो बाकी थी गाँव अभी भी करीब 10-12 किमी दूर था की तभी स्कूटर का टाइयर पंक्चर हो गया अब हुई परेशानी

उषा- क्या हुआ भाई

सौरभ- दीदी टाइयर पंक्चर हो गया

उषा- क्य्ाआआआअ अब कैसे जाएँगे घर

सौरभ- दीदी इस रास्ते पर तो कोई पंक्चर की दुकान भी नही है अब तो गाँव तक पैदल ही जाना होगा

उषा ने अपना माथा पीट लिया और गुस्से से बोली- तुम जाहिल हो , कुछ बस का नही है तुम्हारे, इस से अच्छा होता कि मैं बस मे ही धक्के खा लेती इस खटारे के चक्कर मे आ गयी किराया बचाने चली थी लग गयी मेरी तो अब कब पहुँचुँगी घर पर

सौरभ- दीदी शांत हो जाओ अब मुझे क्या पता था कि ऐसा कुछ हो जाएगा अब गुस्सा मत करो और फिर घर तो चलना ही है ना और आपको कॉन सा इसे घसीटना है

उषा बोली चुप रह और फिर दोनो जने पैदल पैदल चलने लगे

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
खेत से आने के बाद सुधा घर के कामो मे व्यस्त हो गयी थी प्रेम मोका पाकर विनीता के पास पहुच गया वो बिस्तर पर लेटी थी वो भी उसके बगल मे लेट गया और उसकी चूची को दबाने लगा

विनता ने उसके लंड को बाहर निकाला और उसको अपनी मुट्ठी मे लेकर मसल्ने लगी
प्रेम बोबो को दबाते हुए- ओह चाची कितने दिन हुए कब ठीक होगा तुम्हारा पाँव देखो तुम्हारे बिना मेरा बुरा हाल हुए जा रहा हैं

विनीता आह भरते हुए- मेरे राजा मेरा हाल भी कुछ हैं जब से तेरे लंड को चूत मे लिया है बस ये निगोडी दिन रात तेरे लंड को ही पुकारती रहती है ज़रा देख तो सही इस बेचारी की हालत क्या हुई है

प्रेम ने चाची की साड़ी को उपर तक उठाया और अपना हाथ अंदर घुसा दिया विनीता की टाँगो को थोड़ा सा चौड़ा किया और उस प्यारी सी छोटी सी चूत को अपनी मुट्ठी मे भर के मसल्ने लगा विनीता एक सेकेंड मे ही काम वासना से भर गयी उसने अपनी बीच वाली उंगली चाची की चूत मे सरका दी और अपने होंटो को विनीता के होटो से जोड़ दिया उफ़फ्फ़ ये जिस्मो के मचलते अरमान दोनो चाची बेटा बड़े गरम हो रहे थे प्रेम ने चाची के ब्लाउज के हुको को खोला और बोबो को बाहर खीच लिया बारी बारी से उन पर किस करने लगा वो विनीता आहे भरने लगी आज उसको कुछ भी करके ये तगड़ा लंड अपनी चूत मे चाहिए ही था

वो बोली- मेरे राजा , आज चोद मुझे खूब कस कस के देखी जाएगी जो हो गा पर इस चूत की आग को आज बुझा मेरे बेटे
प्रेम- पर चाची कही पैर को कोई दिक्कत ना हो जाए

चाची- माँ चुदाये पैर, जो होगा देखा जाएगा मुझ से ये आग अब नही सही जाती और वैसे भी पैर काफ़ी हद तक ठीक हो गया हैं तू बस चोद मुझे

प्रेम को और क्या चाहिए था उसने अपना सिर विनीता की जाँघो मे घुसा दिया और उस रस से भरी कटोरी को चाटने लगा , विनीता की बदन मे जैसे सैकड़ो सुईया चुभने लगी उसे लगा कि जैसे चींटिया काट रही हो उसके बदन को प्रेम की लपलपाति जीभ चाची की वासना को भड़काने लगी थी अपनी चाची की लंबी स्प्नीली चूत का रस चाट कर प्रेम को बहुत ही मज़ा आ रहा था अब उसने अपनी दो उंगलिया चूत मे सरका दी और अपने मूह मे चूत के भग्नासे को जाकड़ दिया और उंगलियो को तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा विनीता की आँखे मज़े से बोझिल होने लगी मस्ती के सागर मे डूबने लगी पूरे कमरे मे बस उसकी तेज सांसो की ही आवाज़ गूँज रही थी

विनीता- अया अया आहा बस मेरे राआाआआआअज़ाआाआआआआआ मारीईईईईईईई मैं तूऊऊऊऊऊऊ

प्रेम- डालु चाची ,

विनीता- मैं तो कब से इंतज़ार कर रही हूँ बेटे जल्दी कर ना

प्रेम ने चाची के पैरो सा सावधानी से फैलाया जिस पाँव मे तकलीफ़ थी उसके नीचे तकिया लगाया और फिर अपने मस्ताने लंड को विनीता की चूत पर सटा दिया कई दिनो बाद चूत पर गरम लंड के अहसास से विनीता के बदन मे चीसे चलनी शुरू होगयि प्रेम ने अपनी पकड़ बनाई और उसके धक्का लगाते हुए लंड चाची की चूत मे जाने लगा

अया, निकाला विनीता के मूह से और प्रेम उस पर झुकता चला गया एक और धक्का और उसके अंडकोष विनीता की चूत से जा टकराया विनीता ने अपने होतो को खोला और प्रेम ने उनको अपने मूह मे क़ैद कर लिया चाची की गरम चूत की चुदाई शुरू हो गयी प्रेम थोड़ी आहिस्ता से धक्के लगा रहा था विनीता पागलो की तरह प्रेम के पूरे चेहरे को चूमे जा रही थी

Adultery बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत – Family Sex

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply