उसने किवाड़ हल्के से खोला तो देखा कि कुछ बकरिया घुस आई थी उस साइड मे उसने फिर से किवाड़ बंद किया और सुधा की पकड़ लिया तो सुधा बोली- नही बेटे अभी इधर कुछ भी करना ठीक नही है अगर कोई आ निकला तो शामत आ जाएगी तो फिर वो दोनो उस बाथरूम से बाहर आ गये हाथ आई चूत फिसल गयी थी तो सौरभ का मूड उखड़ सा गया था पर सुधा कोई रिस्क नही लेना चाहती थी तो फिर उसने अपने कपड़े समेटे और घर की तरफ चल दी सौरभ वही पर रुक गया
उधर घर पर विनीता को अकेली देख कर प्रेम उसके पास पहुच गया और उस पर चुंबनो की बोछार कर दी विनीता तो खुद वासना की आग मे जल रही थी उसने मज़े ले लेकर अपने होतो का रस प्रेम को पिलाया प्रेम ने उसकी चूचियो को नंगा कर दिया और बोला चाची कितना इंतज़ार करना पड़ेगा मुझे तुम्हारे बिना जीना बड़ा मुस्किल हो रहा हैं विनीता बोली- मेरी जान मेरा हाल भी ऐसा ही हैं पर ये निगोडी चोट ना जाने कब सही होगी प्रेम ने विनीता की 36” की चूचियो को दबाना शुरू किया तो वो मचलने लगी उसने हाथ आगे कर के प्रेम की चैन खोली और उसके लंड को बाहर निकाल कर हिलाना शुरू कर दिया
विनीता- आह प्रेम थोड़ा आहिस्ता से एक काम कर थोड़ा सा मेरे उपर झुक जा और मेरी चूत मे अपनी उंगली डाल कर रगड़ बड़ी बेकाबू हो रही हैं ये इसकी खुजली को मिटा बेटे पर थोड़ा ध्यान से कही मेरे पैर को ना हिला देना
प्रेम उसके उपर आया और उसने विनीता की साड़ी को कमर तक उठा दिया अंदर उसने पैंटी नही डाली थी तो कोई रुकावट की बात ही नही थी बस उसने अपनी चाची की चूत को मुट्ठी मे भर लिया और उसको मसल्ते हुए चूचियो को पीने लगा विनीता की नस नस मे हवस की आग शोलो के रूप मे भड़कने लगी वो बेकाबू हो ने लगी और ज़ोर ज़ोर से प्रेम के लंड को हिलाने लगी दोनो चाची बेटे जैसे तैसे जुगाड़ से लगे हुए थे दो उंगलिया चूत मे जाने से विनीता को थोड़ा सा आराम तो मिला था पर जिसे लंड की आदत हो उसका काम कैसे चले उंगलियो से
पर मजबूरी भी कोई चीज़ होती हैं तो काम ही चलना था प्रेम तेज़ी से चूत मे उंगलिया चला रहा था विनीता बस झड़ने ही वाली थी कि तभी उसे नीचे घर मे किसी के आने की आवाज़ सुनाई दी वो समझ गयी कि उसका बेटा ही होगा तो उसने प्रेम को भगाया वहाँ से इधर प्रेम अपनी दीवार पर उतरा उधर सीढ़िया चढ़ कर सौरभ मम्मी के कमरे मे आया अपना काम बीच मे लटक जाने से विनीता को गुस्सा तो बहुत आया पर वो बेटे के सामने कुछ भी शो नही करना चाहती थी तो उसने अपने कपड़ो को सही किया और बेटे से बात करने लगी
विनीता- कहाँ गया था बेटा कितना टाइम हुआ तुझे गये हुए
सौरभ- मम्मी वो घर पर पानी नही आया तो मैं नहाने और कपड़े धोने खेत पर चला गया था और फिर वहाँ पर कई और काम भी करने थे तो देर हो गयी
विनीता – खाना खाया तूने
सौरभ- जी हाँ खा लिया था
सौरभ- मम्मी क्या बापू आज आएँगे
विनीता- बेटे, उसका हाल तो तुझे पता ही है जब तक उसको मुफ़्त की दारू मिलती रहेगी वो घर का मूह नही देखेगे पर मैं हूँ ना बता क्या बात हैं
सौरभ- कुछ किताबें ख़रीदनी हैं तो पैसे चाहिए
विनीता- कल जब तू सहर जाएगा तो ले जाना
सौरभ- ठीक हैं अभी आपके पैर का दर्द कैसा है हाई रे, पूरे दिन मे आपके घुटने की मालिश करना तो मैं भूल ही गया मैं अभी बाम लेकर आता हूँ
सौरभ बाम लेने चला गया और विनीता को अपनी गीली चूत का ख्याल आया जो रस से भरी पड़ी थी उसको ये पता था कि जब बेटा उसके घुटने की मालिश करेगा तो अंदर का नंगा नज़ारा उसकी निगाहो से छिपा नही रह सकेगा पर उसके पास ना तो इतना टाइम था और ना ही वो इस हालत मे थी कि फटाफट से पैंटी पहन सके तो हाई रे ये मजबूरी जो जवान बेटे की आँखे अपनी गदराई हुई माँ की जवानी से सेंकने का इंतज़ाम कर रही थी उसने एक गहरी सांस ली और अपने आप को हालत के हवाले कर दिया
इधर सुधा जब घर पर पहुचि तो उसने देखा कि प्रेम अपने कमरे मे किताबो मे डूबा हुआ है उसकी नज़र आँगन मे तार पर लटकी उषा की ब्रा-पैंटी पर पड़ी तो वो उसको डाँट लगाते हुए बोली- बेशरम, थोड़ी बहुत तो शरम कर लिया कर घर मे जवान भाई है तेरे इन अन्द्रूनि कपड़ो को ऐसे खुले मे लटके देखे हुए देखेगा तो क्या सोचेगा सुधा अपने मन ही मन मे बोली और वैसे भी आजकल उसकी निगाहें कुछ और ही बयान करने लगी हैं
उषा- जी, माँ वो जब मैं नहा कर आई थी तो भाई घर पर था नही और फिर मुझे इन्हे उतारना ध्यान नही रहा , आगे से ध्यान रखूँगी ऐसा कह कर वो उनको लेकर अपने कमरे मे चली गयी
उषा कपड़ो को अलमारी मे रखते हुए- मेरी भोली माँ, अब तुम्हे क्या पता तुम इन कपड़ो की बात कर रही हो तुम्हारा भोला बेटा पूरी रात मुझे अपनी गोदी मे बिठाए रखता हैं प्रेम के साथ की चुदाई का ख्याल आते ही उषा के तन बदन मे मस्ती सी भरने लगी तो उसने देखा सुधा रसोई मे व्यस्त हैं तो वो उपर प्रेम के कमरे मे पहुच गयी
अपनी दीदी को कमरे के दरवाजे पर खड़े देख कर प्रेम मुस्कुराया और खड़ा हो गया उषा आगे आई और बिना देर किए प्रेम के जिस्म से चिपक गयी और अपने नाज़ुक नाज़ुक होंठो को अपने भाई के लिए खोल दिया प्रेम ने अपने होंटो पर जीभ फेर कर उनको गीला किया और फिर दीदी के निचले होंठ को अपने दाँतों के बीच मे फसा लिया उषा के शहद से भी मीठे लबों के रस को चूमते हुए प्रेम सलवार के उपर से ही उसकी गान्ड को सहलाने लगा अपने दोनो हाथो से उसको भीच रहा था उषा की मुनिया फिर से गीली होने लगी
करीब 5 मिनिट तक दोनो भाई बहन जम कर एक दूसरे को किस करते रहे प्रेम के लंड का बुरा हाल हो रहा था इस से पहले दोनो कुछ आगे बढ़ते नीचे से माँ की आवाज़ आई तो उषा ने खुद को प्रेम की बाहों से आज़ाद किया और अपनी चुनरिया को संभालते हुए नीचे को भाग गयी प्रेम भी उसके पीछे पीछे नीचे आ गया और फिर से दोनो की आँख मिचोली शुरू हो गयी
सुधा- प्रेम, पता नही आजकल तेरा ध्यान कहाँ पर रहता है खेतो का कुछ भी काम तू करता ही नही
प्रेम- माँ, बताओ क्या करना हैं
सुधा- बेटा वो जो नदी की तरफ वाले खेतो मे जो सब्ज़िया उगाई हुई थी उसकी एक साइड की बाढ़ कमजोर हो गयी है आवारा पशु घुस आते है बहुत नुकसान हो रहा हैं तू एक काम करना कल मेरे साथ चलना उधर
प्रेम- जी माँ
सुधा- उषा, कई दिन हो गये हैं तू कॉलेज भी नही जा रही कुछ दिक्कत है क्या
उषा- नही माँ, वो कॉलेज मे स्टूडेंट्स की हड़ताल चल रही हैं इसलिए
सुधा- दोनो कान खुलकर सुन लो अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दो दो चार काम और पड़े है पर वो तुम्हारे मामा के बेटे की शादी के बाद ही करेंगे अभी तुम लोग खाना खा लो फिर मुझे विनीता के घर भी जाना है खाना लेकर
अगले आधे घंटे का समय बस खामोशी मे ही कटा सभी लोग खाना खाने मे व्यस्त थे
उधर सौरभ बाम लेकर आ चुका था उसने विनीता के पाँव को अपनी गोदी मे रखा और उसकी साड़ी को घुटने तक उठा दिया उसने ये सब एक नॉर्मल वे मे ही किया था पर उसे क्या पता था कि कयामत का नज़ारा उसका ही इंतज़ार कर रहा था जैसे ही विनीता के पैर थोड़े से चौड़े हुए उसकी चूत की फांके अलग अलग दिशाओ मे खुल गयी और सौरभ को अंदर का गुलाबी हिस्सा दिखने लगा उसका सोया हुआ लंड एक झटके मे ही तन गया शरम के मारे विनीता के गाल और भी गुलाबी हो गये पर वो भी तो मजबूर थी कमरे मे एक अजीब सी खामोशी छाई हुई थी दोनो माँ बेटे को साँसे बड़ी तेज़ी से दौड़ रही थी मालिश करते हुए सौरभ कभी कभी अपनी मम्मी की सुडोल चिकनी जाँघो पर भी हाथ फेर देता था बेटे की इन हरकतों की वजह से मम्मी की अधूरी कामवासना अपना रंग दिखाने लगी थी
उसकी चूत मे गीला पन कुछ ज़्यादा ही बढ़ गया था उसकी नज़र बराबर अपने बेटे का तने हुए लंड पर जमी थी जिसे वो बिल्कुल भी छुपाने की कोशिश नही कर रहा था मन ही मन उसने सोचा कि सौरभ का हथियार भी तगड़ा है उफ़फ्फ़ ये तो कितना मोटा लग रहा हैं उसे पता ही नही चला की कब वो अपने इन हवस से भरे ख़यालो मे डूब गयी उधर सौरभ अपने दोनो हाथो को घुटनो से हटा कर अपनी मम्मी की चिकनी जाँघो पर चला रहा था अपनी मम्मी की नमकीन चूत को चाटने की हसरत मन मे लिया वो बस उन टाँगो को ही मसल रहा था विनीता को बड़ा मस्ती भरा सुकून मिल रहा था पर तभी उसकी आँख एक आवाज़ सुनकर खुल गयी
बाहर दरवाजे पर सुधा चिल्ला रही थी दोनो माँ बेटे हड़बड़ा गये सौरभ ने मम्मी की साड़ी को सही किया और फिर तेज़ी से दरवाजे की तरफ चल दिया विनीता अपनी उखड़ी सांसो को संभालते हुए चुपचाप बिस्तर पर लेट गयी सौरभ ने ताई की ओर देखते हुए मुस्कुराते हुए दरवाजा खोला और वही दरवाजे के पास ही सुधा को दीवार से सटा दिया और उसके होंठो को खुद से चिपका लिया उसका पहले से ही तना हुआ लंड ताई के पेट के निचले तरफ रगड़ खाने लगा सुधा उसको अपने से दूर करते हुए बोली क्या करता है ऐसे कोई शरारत करता है क्या तो सौरभ अपने लंड को सहलाते हुए बोला- तो आप ही बता दो ना कि कैसे शांत रहूं, अभी आपने ही किया है जो अब इलाज भी आप ही करोगी मुझे कुछ नही पता
सुधा- जब सही समय आएगा तो इलाज भी हो जाएगा अभी तुम फटा फट से खाना खा लो मैं विनीता को खाना देने जाती हूँ
सौरभ ने बुरा सा मूह बनाया और खाने की थाली लेकर बैठ गया सुधा विनीता के पास चली गयी दूसरी तरफ माँ के जाते ही उन दोनो भाई बहन को पूरा मोका मिल गया उषा ने अपने कपड़े उतारे और मात्र ब्रा- पैंटी मे ही भाई के कमरे की तरफ चल पड़ी आज की रात फिर से गुलाबी होने वाली थी
उषा को इस तरह सेक्सी ब्रा- पैंटी मे देख कर प्रेम के होश ही उड़ गये दीदी के गोरे बदन पर सजे उस काले लिंगेरी सेट ने उषा की खूबसूरती मे चार चाँद लगा दिए थे प्रेम कुर्सी से उठ खड़ा हुआ और फॉरन ही अपने कच्छे और बनियान को उतार दिया और नंगा हो गया सुधा ने भी अपनी ब्रा के हुको को खोल दिया आज़ाद होते ही उसकी चूचिया मस्ती से फड़फड़ाने लगी प्रेम अपने लौडे को हिलाने लगा उषा अपने बोबो को अपने हाथो से मसल्ने लगी दोनो भाई बहन एक दूसरे को ऐसी हरकते कर कर के रिझा रहे थे प्रेम के लौडे को देखते ही उषा की मुनिया मे जैसे आग लग गयी थी
अब उस से रहा नही जा रहा था कुछ ऐसा ही हाल प्रेम का भी था उषा ने उसको और तडपाते हुए अपनी पैंटी को खीच कर उतार दिया और उस से अपनी चूत को सॉफ करते हुए प्रेम की तरह उछाल दिया प्रेम ने दीदी की कामरस से सनी हुई कच्छी को सूँघा मस्त कर देने वाली खुश्बू उसकी नाक मे उतरती चली गयी उसने चूत के उस रस को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया उषा भी अब और मस्तानी हुई उसने दरवाजे पर खड़े खड़े ही अपनी टाँगों को चौड़ा किया और अपनी दो उंगलियो को एक साथ चूत मे उतार लिया और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगी
दोनो भाई बहन बुरी तरह से उत्तेजित हो चुके थे अब प्रेम खड़ा हुआ और बढ़ चला दरवाजे की तरफ उसने उषा को अपनी बाहो ने भर लिया और बिना कुछ बोले अपने होटो को बहन के होटो से जोड़ दिया दोनो की दहक्ति साँसे एक होने लगी उषा के मूह मे बहते लार को प्रेम अपनी जीभ से चाटने लगा उषा ने हाथ को नीचे की तरफ किया और प्रेम के टट्टो को अपनी मुट्ठी मे भर लिया एक मर्द के जोशीले टट्टो को अपने हाथ मे पकड़ उषा मदमस्त हो गयी वो धीरे धीरे से उनको मसल्ने लगी जिस से प्रेम और उत्तेजित होने लगा दोनो की जीभ एक दूसरे से जैसे जंग लड़ रही थी दोनो मे एक होड़ सी मच गयी
सुधा वही पर बैठ गयी और प्रेम उसके पीछे आकर खड़ा हो गया सुधा ने चाल खेलते हुए अपने आँचल को पूरा सरका दिया जिस से प्रेम को उसके बोबो का पूरा नज़ारा दिख सके सुधा की सुडोल भारी भरकम छातियाँ जो कि उस टाइट ब्लाउज मे से आधे से ज़्यादा बाहर को निकल ही रही थी, माँ की छातियो की गहराई को देख कर प्रेम का लंड फिर से हरकत करने लगा
उषा की धड़कने बढ़ने लगी थी उसकी रगों मे बहता खून बहुत तेज़ी से दौड़ रहा था उत्तेजना की हद तक वो गरम हो चुकी थी भाई के लंड को अपने हाथ मे थामे वो किसी जंगली शेरनी की तरह हो चुकी थी बड़ी तेज़ी से वो अपने हाथ को प्रेम के लंड पर उपर नीचे कर रही थी प्रेम भी बेसबरा हो रहा था उसने अपने मूह को उषा के चेहरे से हटाया और उसको पलट कर खड़ी कर दिया उषा की पीठ अब प्रेम की तरफ थी बहन के मचलते, बल खाए चूतड़ देख कर प्रेम के खड़े लंड ने लहरा कर सलामी दी और उसने उषा के दोनो हाथो को दरवाजे की चोखट पर रखा और उसकी पतली कमर को पकड़ कर उसको वही दरवाजे के बीचो बीच झुका दिया
प्रेम ने अपने लंड के सुपाडे पर अच्छी तरह से थूक लगाया और उसको उषा की जाँघो के बीच दे दिया चूत के मुहाने पर लंड को महसूस करते ही उषा मंद मंद मुस्कुरा पड़ी उसने अपने आप को थोड़ा सा और झुकाया उसके कूल्हे अपने आप खुलते चले गये प्रेम ने बहन की कमर को कस कर पकड़ा और अपने कुल्हो को आगे को किया चूत के मुलायम होंटो को अलग अलग करते हुए लंड उस मक्खन सी चिकनी चूत मे धंसता चला गया उषा की चूत का दरवाजा बिना किसी आवाज़ के खुलता चला गया उषा को हल्का सा दर्द हुआ पर उसे पता भी था कि बस थोड़ी देर मे मज़ा ही मज़ा हैं
उफफफफफफफफफफ्फ़ उफफफफफफफफफफ्फ़ उषा के मूह से निकला अपनी बहन की कामुक आवाज़ सुनकर प्रेम को जोश आया उसने खीच कर एक धक्का और लगाया और पूरा का पूरा लंड दीदी की मस्तानी चूत मे उतार दिया उषा के मखमली कुल्हो से जगह बनाते हुए प्रेम का चिकना लंड लपा लॅप दीदी की चुदाई करने लगा उषा भी जल्दी ही अपनी गान्ड को बार बार आगे पीछे करके भाई का भरपूर साथ देने लगी बाहर चलती ठंडी हवा उनके जिस्मो से टकरा कर राहत दे रही थी उषा ने अब अपने दोनो हाथो को अपने घुटनो पर रख लिया और अपनी गान्ड को और भी प्रेम की तरफ उभार लिया चूत का छेद थोड़ा सा और खुल गया और दोनो पूरे मज़े से एक दूसरे के जिस्मो का मज़ा लूटने लगे
उषा की चूत के होंठ बारी बारी से खुल और बंद हो रहे थे उनकी मजबूत पकड़ प्रेम के लंड पर पूरा दवाब डाले हुए थी और फिर वैसे भी उषा की चूत थी भी कितनी पुरानी जुम्मा झुम्मा चार पाँच दिन सारे हुए थे उसको अपनी सील तुडवाए हुए पर प्रेम के मूसल जैस लंड से चुदने के कारण अब साइज़ थोड़ा तो खुलना ही था प्रेम ने दीदी के मजबूत उभारों को अपनी क़ैद मे कर लिया था और पूरी ताक़त से उनको मसल्ते हुए दीदी को चोदे जा रहा था करीब दस मिनिट तक उसने दीदी को अपने घुटनो पर झुकाए रखा पर अब उषा की कमर और पैरो मे दर्द होने लगा था तो वो सीधी खड़ी हो गयी लंड चूत से बाहर निकल कर हवा मे गुस्से से झूलने लगा
प्रेम ने उषा को अपनी तरफ खीचा और उसको अपनी मजबूत बाहों मे उठा लिया उषा अब उसकी गोदी मे थी उसने प्रेम के लंड को अपने हाथ से चूत पर स्ट्रीट किया और उस पर बैठ गयी लंड सीधा उसकी गर्भाशय से जा टकराया कई बार तो उसे यकीन ही नही होता था कि वो इतने लंबे लंड को इतनी आसानी से अपनी चूत मे उतार लेती है पर चुदाई का नशा ही कुछ ऐसा होता हैं जितनी चुदाई हो उतनी ही कम लगती हैं और फिर चुदाई अगर अपने भाई से ही हो तो कहने ही क्या अपने भाई की गोदी मे चढ़ि हुई दीदी अपनी पूरी गान्ड तक का ज़ोर लगाते हुए भाई के खड़े लंड पर कूदे जा रही थी दोनो के बदन पसीने से भर गये थे जबकि बाहर ठंडी हवा चल रही थी
चुदाई के आलम मे बेख़बर दोनो भाई बहन अपनी अपनी सीमाओ को तोड़ते हुए अपने अंत की तरफ बढ़ रहे थे उषा का बदन बुरी तरह से थर थरा रहा था पल पल वो झड़ने के करीब हो रही थी प्रेम के लंड को उषा की चूत ने बुरी तरह से जाकड़ रखा था पर लंड कहाँ कभी चूत के रोकने से रुका करता है प्रेम के टट्टो मे भरा वीर्य भहर निकलने को बेताब हो रहा था तभी उषा ने कस कर प्रेम को थाम लिया और अपनी जाँघो को उसकी कमर पर गोल लपेट ते हुए झड़ने लगी उसकी चूत से रिस्ता पानी प्रेम के लंड को भिगोते हुए उसके टट्टो को गीला करने लगा और उसी समय प्रेम के घुटने भी काँप गये और उसके लंड से वीर्य की पिचकारियाँ निकल कर बहन की चूत को भिगोने लगी …………
जिस्मो की आग जो जल रही थी बेसबरो मे वो कुछ पॅलो के लिए ठंडी हो गयी थी उषा प्रेम की बाहो से अलग हुई और अपने कपड़ो को समेट कर बाथरूम मे चली गयी आज प्रेम ने कस कर उसकी चूत मारी थी उषा का बदन बुरी तरह से थक गया था बाथरूम मे जाकर उसने अपने शरीर को सॉफ करना शुरू किया ठंडा पानी जैसे ही उसके बदन पर पड़ा उसे बहुत सुकून मिला उसको कल सुबह सुबह ही कॉलेज के लिए निकलना था उपर से चुदाई की थकान तो उसने सोचा कि नहा धोकर ही सो जाती हूँ और नहाने लगी जबकि प्रेम सोच रहा था कि दीदी को एक बार और चोद कर आराम से सोउंगा
उसने सोचा कि दीदी पेशाब वग़ैरा करके आती ही होगी पर करीब 15 मिनिट बीत गये उषा आई नही तो प्रेम भी नंगे बदन ही बाथरूम की तरफ हो लिया दरवाजा खुला पड़ा था अंदर जलते बल्ब की रोशनी मे उषा का सुडोल बदन पानी की बारिश की चादर मे लिपटा हुआ किसी कयामत से कम नही लग रहा था प्रेम भी बाथरूम मे घुस गया और उषा को अपनी बाहों मे भर लिया पर उषा का अब बिल्कुल मूड नही था उसने प्रेम को मना कर दिया अब प्रेम भी दीदी से ज़बरदस्ती तो कर नही सकता था तो थोड़ी देर बाद भाई बहन अपने अपने कमरे मे सो गये
इधर सौरभ के घर पर रोज की ही तरह सुधा और सौरभ बेड पर सो रहे थे विनीता का बिस्तर दरवाजे के पास वाले पलंग पर लगा हुआ था कमरा गहरे अंधेरे मे डूबा हुआ था विनीता गहरी नींद मे मगन सपनो की दुनिया मे खोई पड़ी थी दूसरी तरफ एक ही बिस्तर पर लेटे हुए सुधा और सौरभ दोनो ही जागे हुए थे नींद दोनो की आँखो से कोसो दूर थी पिछले दो दिनो मे ही उनके रिश्ते ने ना जाने कैसे कैसे मोड़ ले लिए थे जिस ताई जी को वो इतना शरीफ समझता था वो ताई जी ही उसके लंड को अपनी चूत मे लेने के लिए मचल रही थी इधर सुधा की चूत भी सौरभ का ख़याल कर कर के गीली हो रही थी
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Incest विधवा माँ के अनौखे लाल – maa bete ki chudai