Chudai मेरा परिवार और मेरी वासना – Part 2

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उसकी बात सुनकर मेरे होंठो पर मुस्कान आ गई और मैं समझ गया की आज तो मुझे इसकी गान्ड मिल ही सकती है क्योंकि इसे अब पीछे से भी मज़ा आरहा है और मेरी दोनो उंगलिया उसके छेदों मे तेज़ी से चलने लगी और कुछ ही देर मे दीदी भरभरा कर मेरे उपर ढेर हो गई उसका काम हो चुका था वो फर्श पर ही लेट कर गहरी गहरी साँसे लेते हुए झड़ने लगी थी…………

अब आगे…

कोई 5 मिनिट तक वो ऐसे ही आँखे बंद किए हुए पड़ी रही

“दी, तेरा काम तो हो गया अब कुछ मेरा भी ख़याल कर ना” आख़िर मैं बोला

मेरी आवाज़ सुनकर उसने आँखे खोली और एक स्माइल देते हुए उठ कर खड़ी हो गई मैं भी उसके साथ ही खड़ा हो गया वो मेरे पास आई और मेरे खड़े लंड जो पकड़ लिया

“तो अब इसका इलाज भी करना ही पड़ेगा” वो मेरे लंड की चमडी आगे पीछे करते हुए बोली

“और नही तो क्या अकेले ही मज़े करने का इरादा था” मैं बोला और मैने खिच कर उसे अपने से चिपका लिया और उसके होंठो को चूस्ते हुए उसके बूब्स दबाने लगा और अब वो भी मेरे लंड को जोरो से मुठियाने लगी

तभी अचानक मुझे आइडिया आया और मैने उसके हाथ से लंड निकाल कर अपने हाथ मे पकड़ कर उसकी चूत की लाइन पर फिराने लगा

“आईईईई…..ष्ह…..प्लीज़ सोनू ऐसे मत कर अभी मैं वहाँ से करने को तैयार नही हूँ” दीदी सिसकारी भरते हुए बोली और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया

“अरे मैं अंदर थोड़े ही ना कर रहा हूँ मैं तो बस बाहर से ही मज़े लेना चाहता हूँ” मैं बोला

“नही नही बाहर से भी नही देखा नही उस दिन पिक्निक मे कैसे तेरा लंड मेरी गान्ड मे घुस गया था” वो बोली

“लेकिन यार तू अंदर जाने से डर क्यों रही है जब मज़े लेना चाहती है तो खुल कर ले ऐसे मे पूरा मज़ा थोड़े ही ना आता है” मैं बोला

“मैं डर नही रही हूँ बल्कि मैं सिर्फ़ ये चाहती हूँ की मेरी पहली चुदाई एकदम शानदार होनी चाहिए जब मैं पहली बार चुदु तो उस वक्त मुझे किसी भी प्रकार का डर ना रहे यानी सिर्फ़ मैं और मुझे चोदने वाला बस हम दो ही हो उस वक्त तीसरा कोई नही मैं पहली बार पूरी शांति के साथ सारी रात चुदना चाहती हूँ समझे, अब चल बेड पर मैं तेरे इस मूसल को ठंडा कर देती हूँ” वो बोली

“लेकिन दी ऐसा मौका कब आएगा जब हम दोनो ही घर पर अकेले हो, ये तो मुश्किल है” मैं बोला

“मैने कब कहा की मैं तुझसे ही चुदवा उंगी पहली बार” वो शरारती मुस्कान से बोली

“तो क्या सच मे कभी मेरे साथ चुदाई नही करोगी” मैं मुँह उतार कर बोला

“अरे…अरे…मेरा सोनू तो उदास हो गया, चल पहले ये मौका मैने तुझे ही दिया लेकिन उसके लिए अभी थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा क्योंकि मुझे पता है की बहुत जल्दी ही मम्मी पापा और डॉली दो दिन के लिए एक शादी मे जाने वाले है वो हमे भी कहेंगे वहाँ चलने के लिए लेकिन हम दोनो मना कर के यहीं रुक जाएँगे और उनके आने तक खुल कर चुदाई करेंगे, अब तो खुश है ना तू” दीदी मेरे गाल गुलेचती हुई बोली

और उसकी बात सुनकर मैने उसे चूम लिया और बोला ” वैसे दी आज तूने वहाँ किसकी चुदाई देख ली थी जो तू इतनी गरम हो गई थी”

“पता नही यार वो उस घर के मेहमान थे और न्यूली मॅरीड थे इसलिए साले दिन मे ही शुरू हो गये थे और खिड़की भी बंद करना भूल गये थे जहाँ से मैने उनकी चुदाई देखी थी” दीदी ने बताया और मुझे बेड पर धकेल दिया

बेड पर गिरते ही मैं लेट गया और दीदी मेरी जाँघो पर दोनो तरफ पैर डाल कर बैठ गयी और मेरे लंड को पकड़ लिया

“मुझे नही लगता ऐसा करने से इसे कुछ फरक पड़ेगा इसे अब चूत और गान्ड की आदत हो गयी है अब हाथ से इसका कुछ नही होने वाला” मैं बोला”देखते है, लेकिन अभी तूने टीना और निशा दो को ही तो चोदा है और वो भी एक ही बार फिर इसे कहाँ से आदत पड़ गयी” दीदी मेरी मूठ मारते हुए बोली

“दो नही दी मैं चार लड़कियो को चोद चुका हूँ यहाँ आने के बाद” मैं बोला, मैं अब उसे मोना और रूपा के बारे मे सब बता देना चाहता था

“क्या कहा चार….और दोनो लड़किया कौन है” वो हैरत से बोली उसका मूठ मरता हाथ रुक गया और आँखे बड़ी हो गयी थी

“एक तो तेरी हमारी प्यारी मोना और दूसरी उसकी मुंहबोली भाभी रूपा” मैने उसका एक बूब दबाते हुए बोला

“क्या…..मोना और रूपा….” वो और भी हैरत से बोली

लेकिन मेरे उसकी चुचि दबाने से उसकी आँख बंद हो गयी थी

“हाँ दी, रूपा और मोना दोनो को ही चोद चुका हूँ मैं” मैं बोला

“कब और कहाँ….” उसने पूछा और अपनी चुचि को मेरे लंड पे लगा कर उसकी मूठ मारने लगी

“तुम्हे याद है तुम्हारे लास्ट पेपर वाली रात जब तुम पढ़ाई कर रही थी तब मोना मेरे रूम मे आई थी” मैने पूछा

“हाँ…” दीदी अपना हाथ चलते हुए बोली लेकिन मुझे कोई मज़ा नही आरहा था

“उसी रात मैने उसकी सील थोड़ी थी और फिर तुम्हारे पेपर के बाद दूसरे दिन दोपहर मे मोना के घर गया था जहाँ मैने मोना के साथ रूपा को भी चोदा था और आज दोपहर मे भी मैं उन दोनो को चोद चुका हूँ जब मैं उन्हे पास वाले गाओं लेगया था” मैने बताया

“ओह्ह्ह्ह तभी तू इतना लेट हो गया था, और ये साली मोना तो बहुत बड़ी चुदक्कड निकली खुद भी चुद रही है और अपनी सहेली को भी तुझसे चुदवा लिया” दीदी बोली

“वो बहुत समझदार है जो उसने चुदाई के मज़े लेलीए तेरे जैसी नही है जो उपर उपर से ही घिसे जा रही है” मैने आग मे गीयी डाला

“खाक समझदार है, साली मुझे ज्ञान दे रही थी की मैं तुझसे चुदवा लू और खुद ही तुझसे मज़ा लेने लगी” दीदी अब जलन से बोल रही थी

“अब इसमे उस बेचारी की क्या ग़लती है उसने तो तुझे सही रास्ता बताया था लेकिन तू इतनी समझदार नही है जो उसकी बात समझ सकती” मैं आग को और भड़काते हुए बोला

“बहुत फीवर कर रहा है उसका” दीदी मेरे लंड को ज़ोर से मुठियाते हुए बोली जिससे मेरे लंड की चमडी बहुत नीचे तक चली जाती और मुझे दर्द होता

“आह…..क्यों नही करू उसका फीवर, एक बेचारी वो है जो मुझे अपनी चूत से चुदाई का मज़ा दे रही है और एक तू है जो बुरी तरह मेरे लंड को खींच खांच और तोड़ मरोड़ कर मुझे दर्द दे रही है, और हाँ अब बंद कर ये तमाशा इस तरह हिलने से मेरा लंड ठंडा नही होने वाला अब ये आदमख़ोर शेर जैसा हो गया है बगैर चूत या गान्ड के ये नही झड़ने वाला” मैं बोला और मैने उसे पीछे धकेल दिया और उठ कर बैठ गया

“क….क्यों मज़ा नही आरहा क्या” मेरे ऐसा करने से दीदी हकबकते हुए बोली

“और नही तो क्या, मैने कहा था ना मूठ मारने से मेरे लंड का कुछ नही होने वाला इसे तो बस चूत या गान्ड ही चाहिए झड़ने के लिए” मैं नाराज़गी से बोला

“लेकिन यार मैने तुझे अभी बताया ना की मैं जिस तरह से अपनी पहली चुदाई करवाना चाहती हूँ” दीदी परेशान होते हुए बोली

“तो मैं कौन सा तुम्हे चूत देने को कह रहा हूँ आज बस अपनी गान्ड का ही भोग लगा दो मेरे लंड को” मैं बोला

“क्या……” दीदी एक बार फिर आँख फाड़ कर बोली

“हाँ…चूत नही तो अपनी गान्ड ही दे दो और वैसे भी अभी थोड़ी देर पहले ही मेरी उंगली अपनी गान्ड मे ले चुकी हो तो ज़्यादा परेशानी भी नही होगी” मैं बोला

“नही, नही तूने देखा नही था की उस दिन तेरे गान्ड मारने से टीना कैसे लंगड़ा कर चल रही थी” दीदी झुरजुरी लेते हुए बोली

“और शायद तूने ही देखा था की निशा कैसे मटक मटक कर मुझसे गान्ड मरवा रही थी” मैं गुस्से से बोला

“यार लेकिन मुझे दर्द होगा और फिर जब सब घर आजाएँगे तो मुझसे पूछेंगे नही की क्या हुआ जो मैं लंगड़ा रही हूँ” दीदी असमंजस मे थी

“उसके लिए बहुत बहाने है, कह देना की सीढ़ियो से पैर फिसलने के कारण मोच आ गई है” मैने उसे बताया

“लेकिन…..नही नही यार, ये सब मुझसे नही होगा” दीदी ना मे गर्दन हिलाते हुए बोली

“मुझे पता था की ऐसा ही कुछ होगा, जाने दो ये सब तुम्हारे बस का नही है अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा” कहते हुए मैं उठ कर खड़ा हो गया

“क्या करेगा तू” दीदी मुझे कातर निगाहो से देखती हुई बोली”करना क्या है अब, मोना को फोन लगा कर देखता हूँ अगर वो वापस आ गई होगी तो उसी के पास जाकर अपनी प्यास बुझा लूँगा क्योंकि तुमसे तो कुछ होने वाला है नही, और हाँ अब से भूल जाना की कभी हम दोनो ऐसा कुछ हुआ भी था क्योंकि आज के बाद मैं तुम्हारे पास नही आने वाला अपनी कलपड़ (खड़े लंड पर धोका) करवाने को” मैं एक बार फिर गुस्से से बोला और अपने कपड़े पहनने लगा जबकि उस वक्त दीदी के चेहरे पर बहुत गहरी चिंता झलक रही थी Chudai

अभी मैने सिर्फ़ चड्डी ही पहनी थी की दीदी मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़ कर बोली “चल मैं तैयार हूँ गान्ड मरवाने के लिए, अब तुझे कहीं और जाने की कोई ज़रूरत नही है”

“सोच लो बाद मे नखरे मत करना की दर्द हो रहा है बाहर निकालो, क्योंकि एक बार अगर मेरा लंड तेरी गान्ड मे गया तो झड़ने के बाद ही बाहर आएगा, समझी” मैं शेर बनते हुए बोला क्योकि मैं समझ गया था की अब वो इनकार करने की कंडीशन मे नही थी

“ठीक है मैं कोई नखरा नही करूँगी लेकिन तूने भी आराम से करना जानवर मत बन जाना” कहते हुए दीदी ने मेरी चड्डी वापस नीचे खींच दी

“उसकी चिंता तू मत कर मेरी जान, वहाँ टीना को ज़्यादा दर्द इसलिए हुआ था क्योंकि वहाँ सूखा सूखा लंड ही उसकी गान्ड मे घुस गया था लेकिन यहाँ तो ल्यूब्रिकेशन के सारे औज़ार है तुझे बस थोड़ा ही दर्द होगा फिर बाद मे तो मज़े ही मज़े है” मैं बोला और तब तक मेरे मुरझाए लंड मे फिर से जान आ चुकी थी

अब मैने ज़्यादा देर करना ठीक नही समझे और दीदी का हाथ पकड़ कर उसे बेड पर घोड़ी बना दिया और पास ही पड़ी पॉंड’स की क्रीम लेकर अपने लंड और दीदी की गान्ड मे जहाँ तक मेरी उंगली गयी थी वहाँ तक अच्छे से लगा दिया

” आर यू रेडी” मैं दीदी की गान्ड के छेद पर लंड सेट करके बोला

“हूंम्म….लेकिन प्लीज़ आराम से करना” दीदी डरते हुए बोली

और मैने धीरे धीरे अपने लंड का दबाव उसकी गान्ड पर बनाना शुरू किया और जैसे तैसे मेरे लंड का सुपाडा उसकी गान्ड के अंदर घुस गया

दीदी को इतने मे दर्द तो हुआ होगा लेकिन उसने दर्द को अपने अंदर ही जब्त कर लिया था शायद मेरे धीरे करने से उसे ज़्यादा दर्द नही हुआ था लेकिन अब आगे बगैर ज़ोर लगाए काम बनने वाला नही था क्योंकि इस वक्त मेरा लंड उसकी गान्ड के छल्ले मे फँसा पड़ा था इस लिए मैने थोड़ा ज़ोर से धक्का लगाया और मेरा 1/4 लंड उसकी गान्ड मे घुस गया और दीदी के मुँह से एक हल्की चीख निकल गई

“आ…..ऊओ….मा……..धीरे कर कुत्ते…..दर्द होता है” दीदी के मुँह से निकला

“अरे यार सील पॅक गान्ड है कुछ तो दर्द होगा ही ना फिर भी मैं बहुत आराम से कर रहा हूँ वरना अभी टीना से पूछ ले की उस दिन वो कैसे चिल्ला चिल्ला कर रोती थी मेरा लंड उसकी गान्ड मे घुसने पर” मैं बोला

“ठीक है लेकिन अभी थोड़ा रुक ज़रा दर्द कम हो जाए फिर आगे बढ़ना” दीदी आहे भरते हुए बोली

और मैं उसकी बात सुन कर वैसे ही लंड फँसाए रुक गया और उधर दीदी गहरी गहरी सांस लेते हुए अपने दर्द को सहने की कोशिश करने लगी

अब तक कोई दो मिनिट बीट चुके थे मैने हिम्मत करके थोड़ा और दबाव बढ़ाया जिससे मेरा आधा लंड उसकी गान्ड के अंदर था लेकिन इस बार उसके मुँह से चीख नही निकली लेकिन दर्द तो उसे बराबर हुआ था आख़िर पहली बार उसकी गान्ड का छेद चौड़ा हो रहा था

अब मैने धीरे धीरे कर के पूरा लंड उसकी गान्ड मे पेल दिया था और धीरे धीरे आगे पीछे भी करने लगा था

थोड़ी ही देर बाद शायद उसका भी दर्द कम हो गया था और अब वो भी गान्ड पीछे की तरफ धकेलने लगी थी जिससे जैसे मुझे लाइसेन्स मिल गया था की अब मैं खुल कर कुछ कर सकता हूँ और मैने पूरा लंड बाहर खींच कर एक ही धकके मे पूरा अंदर कर दिया Chudai

दर्द के मारे उसके मुँह से चीख निकल गई

“साले हरामी, कुत्ते….आराम से नही कर सकता क्या मैं तेरी बहन हूँ कोई रंडी नही जो ऐसे ज़ोर ज़ोर से मेरी कुवारि गान्ड मे लंड घुसेड रहा है” वो चीखते हुए बोली

“बस मेरी जान जितना दर्द होना था हो गया अब मज़े ले” मैं बोला और अब आराम से सारा लंड उसकी गान्ड मे अंदर बाहर करने लगा

और थोड़ी देर बाद ही वो भी मज़े लेने लगी थी

और धीरे धीरे मेरी स्पीड बढ़ने लगी और साथ ही साथ दीदी की आहे..और सिसकारिया भी बढ़ रही थी मेरे हर धक्के पर वो आ..भर कर वो अपनी गान्ड पीछे कर के मेरा साथ देने लगी

और कुछ ही धक्को के बाद मेरे लंड ने दम तोड़ दिया और भल भल करके अपना माल दीदी की गान्ड के गोदाम मे भरने लगा

और कोई 5 मिनिट बाद हम दोनो ही अपनी साँसे संभालने मे लगे हुए थे मैं झड़ने की वजह से और दीदी गान्ड मरवाने मे हुए दर्द की वजह से…………

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