Chudai मेरा परिवार और मेरी वासना – Part 2

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लेकिन जो भी हो शुरुआत तो हो चुकी थी और बहुत

जल्द मंजू वापस अपनी नॉर्मल लाइफ मे आ जाने वाली थी

यही सब सोचते हुए मैं खाने के लिए नीचे

आ गया……………

अब आगे……

मेरे पहुचने तक सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठ चुके थे मम्मी पापा आमने सामने बैठे थे और डॉली साइड वाली चेयर पर बैठी थी लेकिन मंजू अभी वहाँ नही थी तो मैं डॉली के सामने वाली चेयर पर बैठ गया क्योंकि डॉली के साइड वाली चेयर पर तो मंजू ने ही बैठना था लेकिन मुझे उम्मीद नही थी की मेरे होते वो खाना खाने आएगी क्योंकि वो मुझे अवाय्ड करती ही थी और शायद मेरे रूम मे भी वो सिर्फ़ इसलिए आई थी ताकि पापा मम्मी दुखी ना हो

मैं यही सब सोचते रहा था की मम्मी खाना परोस चुकी

“चलो खाना स्टार्ट करो, लेकिन ये मंजू कहाँ रह गई, मंजूऊुुुुउउ….चल बेटा खाना लग गया है” मम्मी खाना परोसते ही बोली

“आई बुआ जी…….” मंजू ने जवाब दिया और कुछ पल बाद ही वो भी वहाँ आ गई और डॉली के साइड वाली कुर्सी की तरफ बढ़ी लेकिन पता नही क्या हुआ की उसने पलट कर मेरी तरफ देखा और फिर मुस्कुराते हुए मेरे साइड मे आकर बैठ गई उसे मेरे साइड मे बैठते और मुस्कुराते हुए देख डॉली की आँखे हैरत से खुली रह गई उसे समझ नही आया की ये क्या हुआ शायद उसे पता नही था की अभी मुझे बुलाने मंजू मेरे रूम मे भी गई थी और हैरत मे तो मैं भी था क्योंकि जो मैं सोच रहा था हुआ बिल्कुल उससे उल्टा था पहले तो मंजू मेरी मौजूदगी मे खाना खाने भी आई और उपर से मेरे साइड मे भी बैठ गई थी

खैर खाना शुरू हुआ और फिर इधर उधर की बाते भी शुरू हो गई आज मंजू भी बातों मे बढ़ चढ़ के हिस्सा ले रही थी जबकि पहले वो सिर्फ़ हूँ हाँ मे ही जवाब देती थी मुझे समझ नही आरहा था की कुछ घंटो मे ही कोई इतना कैसे बदल सकता है तभी बात आकर पढ़ाई पर ठहर गई तो पापा ने मुझसे पूछा की मैं किस कॉलेज मे अड्मिशन लेना चाहता हूँ तो मैने बोल दिया की दीदी का कॉलेज ही ठीक रहेगा तो पापा ने हाँ मे सिर हिला दिया

“लेकिन अब तो कॉलेज शुरू होने मे कुछ ही दिन रह गये है और अब निशा भी वहाँ नही होगी तो अड्मिशन जल्दी ही करवा लो” पापा बोले

“पापा आजकल अड्मिशन ऑनलाइन हो रहे है इसलिए जैसे ही डेट पता चलेगी मैं अड्मिशन करवा लूँगा” मैं बोला और सोचने लगा की निशा दीदी भले ही ना होगी लेकिन निशा और टीना तो होगी ही ना जो मेरे लंबे और मोटे लंड को दीवानी बन चुकी थी

“वैसे फिर भी कितने दिन लग जाएँगे अड्मिशन स्टार्ट होने मे” पापा ने पूछा

“ये ही कोई 15 दिन” मैने जवाब दिया

“और डॉली का तो सवाल ही नही उठता क्योंकि अभी तो इसका लास्ट एअर है स्कूल का तो ये तो उसी स्कूल मे रहेगी, वैसे डॉली कब से शुरू हो रहा है स्कूल” पापा बोले

“अभी 15 दिन तो और लगेंगे ही” डॉली ने बताया

“चलो ठीक है वैसे मैं ये कहना चाहता था की अगर तुम लोग कहीं घुमने जाना चाहते हो तो अभी घूम आओ वरना स्टडी टाइम मे मैं कहीं भी जाने की इजाज़त नही दूँगा” पापा बोले”वाउ……थॅंक्स पापा, मैं भी सोच रही थी की किसी नयी जगह घुमाने जाउ क्योंकि इस बार छुट्टियों मे कहीं भी जाने नही मिला” डॉली बोली

“तुम क्या कहते ही सोनू” पापा ने पूछा

अब मेरी समझ मे नही आया की मैं क्या कहूँ घुमने तो मैं भी जाना चाहता था लेकिन अब जब मंजू लाइन पर आ रही थी तो उसे ऐसे छोड़ कर जाना भी ठीक नही था इसलिए मैं बोला “पापा मेरी अभी कोई खास इच्छा नही है कहीं जाने की”

“अरे……..कैसी बात कर रहा है भाई ऐसा गोलडन चान्स मिल रहा है और तू मना कर रहा है और सोच ले पापा कह चुके है की बाद मे इजाज़त नही मिलेगी” डॉली झट से बोली शायद वो ये मौका नही खोना चाहती थी

“हाँ बेटा चले ही जाओ तुम लोग कहीं घुमाने इसी बहाने मंजू भी तुम लोगो के साथ घूम लेगी तो अच्छा फील करेगी, क्यों मंजू जाओगी ना घुमाने” मम्मी बोली तो सबने मंजू की तरफ देखा और डॉली ने तो उसे इशारा भी किया की प्लीज़ हाँ कह दे

“मुझे कोई ऐतराज नही है बुआ जी” मंजू बोली

“तो फिर बताओ की तुम लोग कहाँ जाना चाहते हो मैं जल्द ही इंतज़ाम कर देता हूँ” पापा मुझसे बोले

“अब मैं क्या बोलू आप डॉली से ही पूछ लीजिए क्योंकि यही उछल रही है घुमाने जाने के लिए” मैं बोला और अंदर ही अंदर बहुत खुश भी हो रहा था की अब ज़्यादा टाइम मेला मंजू के साथ रहने को

“बताओ डॉली कहाँ जाना चाहोगी” पापा बोले

पापा की बात सुनकर डॉली कुछ देर सोचती रही फिर चुटकी बजाते हुए झट से बोली “गोआ”

“क्या……..बेटा गोआ कुछ ज़्यादा ही दूर नही हो रहा है” पापा बोले

“लेकिन पापा मेरी वहीं जाने की इच्छा है मेरी कुछ फ्रेंड्स गई थी वहाँ और बहुत तारीफ कर रही थी गोआ की” डॉली मुँह बनाते हुए बोली

“लेकिन बेटा……” पापा ने कहना चाहा

“अरे छोड़ो जी लेकिन वेकीन और दूर को जब इनकी यही इच्छा है तो जाने दो और वैसे भी अब ये लोग कोई बच्चे तो है नही और ना ही अकेले जा रहे है तीन लोग है कोई परेशानी नही होगी और आप तो बस इनके जाने का इंतज़ाम कर दो बस” तभी मम्मी बोली

और मम्मी के कहने के बाद अब पापा का कुछ कहना तो बनता ही नही था उन्होने कंधे उचकाये और हाथ धोकर टेबल से उठ गये क्योंकि उनका खाना ख़तम हो चुका था लेकिन हम लोग खा ही रहे थे

“ओके बॉस जैसी आपकी मर्ज़ी” पापा बोले और बाहर निकल गये

“क्यों डॉली अब तो खुश है ना, और सोनू तू ये क्या चिड़िया की तरह खाना खा रहा है अभी तक तेरी 2 चपाती भी ख़तम नही हुई” मम्मी बोली

“नही मम्मी मैं 3 खा चुका हूँ…….” मैं और

कुछ कहता इसके पहले ही मंजू ने एक चपाती मेरी थाली मे रख दी

“लेकिन……..” मैने कहना चाहा तो मंजू ने एक चपाती और डाल दी

“शाबास बेटा ये हुई ना बात, चल सोनू अब जल्दी से खा ले”ये सब देख कर मम्मी बोली

“हाँ……..नही तो गोआ का टूर कॅन्सल, क्यों बुआ जी”

मंजू शरारती मुस्कान के साथ बोली

“एकदम सही कहा” मम्मी ने उसकी हाँ मे हाँ मिलाई

“अब तो खाना ही पड़ेगा” मैने मंजू को मुस्कुरा कर देखते हुए कहा और खाना खाने लगा तभी मेरी नज़र डॉली पर पड़ी जो बड़ी हैरत के साथ ये सब देख रही थी और उसके चेहरे पर कुछ जलन के भाव भी थे मैं समझ गया की ये सब मंजू के मेरे साथ खुलने की वजह से हो रहा है लेकिन मेरे लिए ये अच्छा ही था कम से कम इसी बहाने ही सही डॉली मेरे नीचे तो आजाए और यही सब सोचते हुए मैं खाने मे बिज़ी हो गया. Chudai

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अब आगे..

खाना खा कर मैं हॉल मे बैठ कर टीवी देखने लगा लेकिन अभी तक मेरे दिमाग़ मे मंजू ही घूम रही थी और मैं सोच रहा था की एकाएक ही उसमे इतना बदलाव कैसे आ गया खैर जो भी हुआ था वो मेरे लिए ही अच्छा था क्योंकि अब मंजू के चेहरे से गुम हटने लगा था और मुस्कुराहट वापस लौटने लगी थी वहीं मंजू के मेरे साथ खुलने से डॉली भी अब थोड़ी जलन महसूस करने लगी थी और मुझे लग रहा था की इसी जलन के कारण जल्द ही वो मेरे नीचे होगी

टीवी देखते और यही सब सोचते हुए अभी मुझे लगभग आधा घंटा हुआ था की डॉली भी वहाँ आकर बैठ गई और बड़े ध्यान से मुझे देखने लगी उसके ऐसे घूर्ने की वजह से मैने उसकी तरफ देखा तब भी उसने मुझे घूर्ना नही छोड़ा Chudai

“ऐसे क्यों देख रही है, क्या आँखो से ही भसम करने का इरादा है क्या” मैं उसके घूर्ने से परेशान होकर बोला लेकिन डॉली चुप ही रही और वैसे ही घुरती रही

“अरे बता ना बात क्या है क्यों ऐसे घूर रही है” मैं झल्लाते हुए बोला

“ज़्यादा बड़ी बात नही है मैं तो बस इतना ही समझ नही पा रही हूँ की सूरज आज पश्चिम से कैसे निकल गया” आख़िर डॉली मुझे टोन्ट मारते हुए तल्ख़ लहजे मे बोली

“क्या मतलब? मैं कुछ समझा नही” मैं बोला जबकि मैं समझ चुका था की वो ये सब मंजू के बदले हुए व्यवहार की वजह से कह रही है

“अब इतना भी नासमझ मत बन के दिखा तू जानता है मैं क्या कहना चाहती हूँ” वो फिर तीखे लहजे मे बोली

“यार जो कहना है सीधे सीधे बोल यू घुमा फिरा कर बात करने से क्या होगा” मैं बोला

“अच्छा…….तो फिर बता की एक रात मे ही मंजू इतना कैसे बदल गई जो लड़की कल तक तेरा चेहरा भी देखना नही चाहती थी वो आज तेरे साइड मे बैठ कर जबरन तुझे खाना परोस रही थी एकदम से ऐसा कौन सा जादू हो गया बता मुझे” डॉली बोली

“देख यार बात तो तू सही कह रही है मैं भी अभी यही सब सोच रहा था और कसम से मैं भी अभी तक नही समझ पाया की वो एकाएक ही इतना कैसे बदल गई, हाँ लेकिन आज नाश्ते के बाद एक ऐसी बात हुई थी जिस पर मुझे भी यकीन करना मुश्किल हो गया था” मैं बोला

“कौन सी बात, ज़रा खुल कर बता” अब वो ध्यान से सुनते हुए बोली

“वो क्या है ना की जब पापा मम्मी ने नाश्ते के टाइम मुझे कहा था की आजकल मैं बहुत अकेले रहने लगा हूँ जिससे वो दोनो दुखी है तो वो सब सुनकर ही मंजू मे ये सब बदलाव आया और फिर इस सब का ज़िम्मेदार अपने आपको ही मान कर वो खाने के लिए बुलाने के बहाने मेरे रूम मे आई और मुझे ये सब बताया” मैने बताया”क्य्ाआअ.. …..वो तेरे रूम मे भी गई थी” डॉली ने पूछा Chudai

“हाँ…….” मैं बोला

अब मेरी बात सुनकर डॉली कुछ सोचने लगी और फिर बोली “तो……अब क्या इरादा है तेरा”

“किस बारे मे” मैने पूछा

“मंजू के बारे मे ही पूछ रही हूँ मैं” डॉली बोली

“इरादा तो नेक ही है, जैसा मैं चाहता था की वो हँसे, मुस्कुराए और वापस नॉर्मल लाइफ जीने लगे वैसा शायद अब जल्दी हो ही जाएगा” मैं बोला

“और उसके बाद…….” डॉली ने पूछा

“उसके बाद क्या” मैं बोला

“अरे जब सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा तब क्या करेगा तू उसके साथ” डॉली बोली

“जब सब नॉर्मल हो जाएगा तब की तब देखेंगे और वैसे भी तब जो करना है वो ही करेगी मैं भला क्या करूँगा” मैं बोला

“क्या बाते हो रही है भाई बहन मे” तभी मंजू हॉल मे आकर डॉली के साइड मे बैठते हुए बोली और उसकी सुरीली आवाज़ सुनते ही मेरा दिल खुश हो गया

“कुछ नही ऐसे ही बाते कर रहे थे लेकिन मंजू तू ठीक तो है ना ये आज अचानक ही तुझे क्या हो गया है कल तक तू जिसे देखना नही चाहती थी आज उसी को बुलाने उसके रूम तक गई और उसे खाना भी परोसा एकाएक ही ऐसा क्या हुआ जो तू इतना बदल गई” डॉली ने एक ही सांस मे उससे ये सवाल कर डाला

डॉली की बात सुनकर मंजू कुछ देर चुप रही फिर बोली “मुझे पता था डॉली की तू ये सब ज़रूर पूछेगी तो सुन एक रात मे ही ये बदलाव मुझमे नही आया इसकी शुरुआत उस रात से हुई थी जब मैने सोनू को मेरे रूम से जाने के लिए कह दिया था और फिर तुझसे मेरी बहस भी हुई थी उसके बाद जब मैने इस बात पर ठंडे दिमाग़ से सोचा तो मुझे यही लगा की जैसा बिहेवियर मैं सोनू के साथ कब रही हूँ वो ग़लत है क्योंकि इसकी सिर्फ़ शकल ही मिलती है उस दरिंदे से और इसमे सोनू का कोई दोष नही है और फिर मैं अपने बिहेवियर के लिए सोनू से माफी माँगने वाली थी लेकिन तब तक सोनू एकांत मे रहने लगा और मेरी भी हिम्मत नही हुई उसके पास जाने की लेकिन आज जब तुम्हारे पापा मम्मी ने सोनू के इस अकेलेपन से दुखी होने की बात नही तो मुझे बहुत बुरा लगा क्योंकि इस सब की ज़िम्मेदार सिर्फ़ मैं ही थी और फिर मैने सोच लिया की मेरे साथ जो भी हुआ उसमे सिर्फ़ मेरी किस्मत का दोष था और मैं अपनी बदनसीबी मे तुम्हारी फॅमिली को शामिल करू और वैसे भी मैं अपने पास्ट के लिए कब तक रोती रहूंगी इसलिए मैने फ़ैसाला कर लिया की अब मुझे वापस नॉर्मल होना ही पड़ेगा वरना मेरी आगे की लाइफ भी खराब हो जाएगी और ऐसा करने के लिए मुझे सोनू के साथ रहना होगा क्योंकि जिस दिन इसका चेहरा मुझे अच्छा लगने लगेगा उस दिन पक्का मैं नॉर्मल हो जाउन्गी” मंजू ने बताया और मैं और डॉली उसे देखते रहे.. Chudai

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