Chudai मेरा परिवार और मेरी वासना – Part 2

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अब आगे…..

सुबह मेरी नींद जल्दी ही खुल गई थी और मैं तैयार होकर नीचे आ गया लेकिन तभी मुझे मंजू दिखाई दी और रात को हुई सारी बाते मुझे याद आ गई और वो सब सोचते ही मेरे दिल मे एक चुभन सी हुई जिस लड़की को मैं हर हाल मे खुश देखना चाहता था जिसके सारे गम भुला देना चाहता था आज उसी के लिए मेरा चेहरा परेशानी का सबब बना हुआ था क्योंकि मेरे चेहरे की वजह से ही वो अपने साथ हुए उस दर्दनाक हादसे की भूल नही पा रही थी तभी मंजू की नज़र मुझ पर पड़ी और हम दोनो की निगाहे मिली तो मैने झट से दूसरी साइड मुँह फेर लिया और मैं इससे ज़्यादा कर भी क्या सकता था फिर मैने डॉली को आवाज़ लगाई तो वो मेरे लिए चाय नाश्ता ले आई लेकिन इस वक्त डॉली का चेहरा भी उदास था और उसने मुझसे कोई बात नही की फिर मैं वापस अपने रूम मे गया और एक बड़ा सा रुमाल अपने चेहरे पर बाँध कर नीचे आ गया मैं नही चाहता था की बार बार मंजू की नज़रे मेरे चेहरे पर पड़े और वो परेशान हो

“अरे…….ये चेहरा क्यों छुपा रखा है ऐसे”

मम्मी मुझे देख कर बोली

“मम्मी गर्मी का सीज़न है अगर बगैर चेहरा ढँके बाहर जाउन्गा ना तो काला पड़ जाउन्गा इसीलिए मैं आज से अपने चेहरे को छुपा कर ही रखूँगा” मैने जवाब दिया

“लेकिन घर मे ये सब करने की क्या ज़रूरत है जब बाहर जाएगा तब रुमाल बाँध लिया करना, चल उतार अभी इसे” मम्मी बोली

“वो मैं बाहर ही तो जा रहा हूँ मम्मी” मैं बोला और बाहर निकल गया

अब मेरे सामने और कोई चारा नही था या तो मुझे अपने रूम मे बंद रहना था या घर से बाहर रहना था या फिर मंजू के सामने अपना चेहरा लेकर नही जाना था इसलिए मैं ज़्यादा से ज़्यादा कोशिश करने लगा की मैं मंजू के सामने कम ही पडू यहाँ तक की अब तो कई बार मैं अपना खाना भी उपर अपने रूम मे ही खाने लगा था

ऐसा करते हुए कब 15 दिन बीत गये पता ही नही चला अब मुझे डॉली की शर्त याद आई की उसने कहा था की 15 दिनों के बाद वो मुझे बता देगी की वो मेरे साथ चुदाई करने वाली है या नही वैसे मैं डॉली को पूरी नंगी देख चुका था उसके बूब्स भी छुए थे और डॉली की पैंटी के उपर लंड भी रगड़ा था लेकिन आज तक कभी भी मैने उसे किस तक नही किया था और नही उसके बदन के किसी भी हिस्से को अच्छे से महसूस किया था अभी मैं अपने रूम मे था और डॉली की बात याद आते ही मैं उससे मिलने के लिए नीचे आ गया इन 15 दिनों मे कभी भी डॉली मेरे रूम मे नही आई थी और दो चार बार से ज़्यादा हमारी बाते भी नही हुई थी और रही मंजू की बात तो अभी पिच्छले 8-10 दिनों से मैने उसे नही देखा था अभी सुबह का टाइम था और कुछ ही देर मे नाश्ता भी करना था डॉली शायद किचन मे होगी ये सोच कर मैं वहाँ गया तो डॉली वहाँ नही थी लेकिन मम्मी से मालूम पड़ा की वो अपने रूम मे है शायद उसे थोड़ा बुखार था इसलिए वो आराम कर रही थी मैं उसके रूम मे पहुचा तो बेड पर लेटी कोई बुक पढ़ रही थी” हाई डियर क्या हुआ ऐसे बेड पर क्यों पड़ी है” मैं बेड पर उसके पास बैठते हुए बोला Chudai

“कुछ नही यार बस थोड़ा बुखार था इसीलिए लेटी हूँ” उसने मुस्कुरा कर जवाब दिया और मैने उसके माथे पर हाथ लगा कर चेक किया बुखार हल्का ही था

फिर थोड़ी देर मैं उससे इधर उधर की बाते करते रहा और आख़िर मे मैं मुद्दे पर आते हुए बोला “अब बता डॉली आगे क्या करना है”

“आगे क्या करना है मतलब, मैं कुछ समझी नही” वो बोली

“अरे तूने 15 दिन माँगे थे ना मंजू को मानने के लिए तो अब पूरे हो गये है अब क्या तू मेरे साथ वो सब करेगी जो दीदी और मोना करती है” मैं बोला

“ओह्ह्ह्ह.वो वाली बात, लेकिन वो बात तुझे अभी भी याद है मैं तो समझी थी की मंजू से इन्सल्ट करवाने के बाद तू सारी मस्ती भूल गया होगा” डॉली हँसते हुए बोली

लेकिन मुझे उसकी बात सुनकर बुरा लगा क्योंकि कहीं ना कहीं अब मंजू मेरी कमज़ोरी बनते जा रही थी और शायद ज़िद भी डॉली की बात सुनकर मैं चुप ही रहा और शायद वो भी समझ गई की मुझे बुरा लगा है तो वो जल्दी से बोली “सॉरी भाई मैने तो मज़ाक मे कहा था प्लीज़ बुरा मत मानना”

“इट’स ओके, लेकिन तूने मेरी बात का जवाब नही दिया” मैं बोला

“देख सोनू मैने अभी उस बारे मे कुछ नही सोचा है बल्कि सोचने का टाइम ही नही मिला उस रात मंजू के साथ जो भी हुआ उसके बाद मैं बहुत टेन्षन मे रही कभी मुझे वो सही लगती और कभी ग़लत और फिर उस दिन के बाद तू भी सबसे कटा कटा ही रहने लगा है यहाँ तक की दो दो दिन तक तेरा चेहरा भी देखने को नही मिलता है इसलिए मैं कुछ डिसाइड नही कर पाई” डॉली बोली

“अरे इसमे सोचने की क्या बात है हाँ तो हाँ ना तो ना” मैं बोला और शायद मैने फिर ग़लती कर दी थी

“तो फिलहाल तो मेरी ‘ना’ है” डॉली बोली और आगे मैं कुछ कह पाता इसके पहले ही मम्मी नाश्ते के लिए बुलाने आ गई और मैं मन मार कर डॉली के रूम से बाहर आ गया

थोड़ी ही देर बाद पापा मम्मी डॉली मंजू और मैं हम सभी नाश्ता कर रहे थे आज बहुत दिनों से बाद मैं मंजू को देख रहा था लेकिन अभी मजबूरी थी सबके साथ नाश्ता करने की वरना शायद आज भी मैं उसे अपना चेहरा नही दिखाता

“क्या बात है बेटा आज कल तुम दिखाई ही नही पड़ते जब भी तुम्हारी मम्मी से पूछता हूँ की सोनू कहाँ है तो एक ही जवाब मिलता है की अपने रूम मे है और मुझे एक बात और बता चली गई की आजकल तुम खाना भी अपने रूम मे ही खाने लगे हो आख़िर बात क्या है जो तुम सबसे अलग पड़ते जा रहे हो अचानक ही इस एकांत का क्या कारण है” एकाएक पापा बोले

“का…का…कुछ नही पापा बस ऐसे ही” मैं बस इतना ही कह पाया मेरी समझ मे नही आरहा था की पापा को क्या जवाब दूँ

“नही बेटा बहुत दुनिया देखी है मैने अचानक ही किसी मे इतना बड़ा बदलाव आने की कोई बड़ी वजह ही होती है अब तुम नही बताना चाहो तो बात और है” पापा बोले

“देख बेटा सोनू मैं भी यही बात तुझसे कहने वाली थी, बेटा जो भी परेशानी हो तू बे झिझक हमे बता दे हम कोई कसर नही रखेंगे तुझे खुश रखने मे लेकिन ऐसे जुदा जुदा तो मत रह तू नही जानता हमे कितना बुरा लगता है” अब मम्मी बोली और मैं समझ नही पा रहा था की क्या कहूँ

“देखो मम्मी ऐसी कोई बात नही है असल मे अभी मुझे करने को कोई काम नही है और कॉलेज शुरू होने मे भी थोड़ा टाइम है तो बोर होने से अच्छा मैं अपने रूम मे ही पड़ा रहता हूँ और बुक्स पढ़ते रहता हूँ लेकिन कोशिश करूँगा की आगे से मैं ऐसा नही करू” मैं बोला

“थॅंक्स बेटा लेकिन याद रखना की कम से कम नाश्ता और दोनो टाइम का खाना सबके साथ ही हो” पापा बोले

“जी पापा” मेरे मुँह से इतना ही निकला और तभी मेरी नज़र मंजू पर पड़ी जो मुझे बड़े ध्यान से देख रही थी शायद आज पहली बार उसने मुझे इतने गौर से देखा होगा और मुझसे नज़र मिलते ही उसने निगाहे झुका ली लेकिन उसके होंठो पर एक हल्की सी मुस्कान थी जो मुझे आज पहली बार नज़र आई थी.
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अब आगे……..

नाश्ते के बाद मैं वापस अपने रूम मे आ गया था मेरे मन मे अभी पापा और मम्मी की ही बाते चल रही थी मेरे इस तरह अकेले रहने से उन्हे काफ़ी दुख हो रहा था लेकिन इस तरह रहना भी मेरी मजबूरी थी क्योंकि शायद अब तक मेरे दिल मे मंजू के लिए प्यार पनप चुका था और मैं उसे अपना चेहरा जो उसे उस दरिंदे की याद दिलाता था दिखा कर दुखी भी नही कर सकता था अब मेरे सामने बहुत बड़ी समस्या थी की एक तरफ मेरे मा बाप थे और दूसरी तरफ मेरा प्यार अब मैं किसे खुश रखू यही मेरी समझ मे नही आरहा था और मैं लगातार इसी बारे मे सोचे जा रहा था तभी मुझे मंजू की वो हल्की सी मुस्कान याद आई तो मेरे मन मे जैसे खुशी के लड्डू फुट पड़े कितनी मासूम और मधुर मुस्कान थी उसकी और मेरी आँखो के सामने बार बार मंजू का मुस्कुराता हुआ चेहरा नज़र आने लगा लेकिन फिर मेरी सोच डॉली की तरफ चली गई जिसने आज मुझे चुदाई के लिए सॉफ सॉफ मना कर दिया था अब मेरे सामने एक प्राब्लम और हो गई थी की अब मैं अपने लंड को ठंडा कैसे करू क्योंकि अभी तक डॉली की तरफ से उम्मीद थी तो मैं कैसे भी अपने मन को शांत कर लेता था लेकिन अब वो उम्मीद भी ख़तम हो गई थी तो अब जल्द ही कोई ना कोई जुगाड़ तो करना ज़रूरी ही था और बहुत देर तक मैं इन्ही सब बातों के बारे मे सोचता रहा

अभी भी मैं अपने विचारो मे ही खोया हुआ अपने बेड पर लेटा हुआ था की मेरे रूम का गेट नॉक हुआ मेरी समझ मे नही आया की कौन हो सकता है क्योंकि पापा कभी उपर आते नही थे और मम्मी और डॉली को नॉक करने की कोई ज़रूरत नही थी शायद काम वाली बाई होगी ये सोच कर मैं बोला “कौन है, अंदर आ जाओ गेट खुला है”

और जैसे ही गैट खुला और अंदर जिसकी एंट्री हुई उसे देख कर मैं हैरत से उछल पड़ा और बेड से नीचे उतर कर खड़ा हो गया मुझे अपनी आँखो पर यकीन नही हो रहा था और मेरा मुँह खुला का खुला रह गया था मेरे सामने मेरे रूम मे मंजू खड़ी थी Chudai

वो इस वक्त साड़ी पहने हुए थी और हमेशा की ही तरह बहुत खूबसूरत लग रही थी”तू….तू….तुम” हकलाते हुए मेरे मुँह से बस इतना ही निकला और मेरी ऐसी हालत देख कर उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान आ गई थी

“क्यों मैं तुम्हारे रूम मे नही आ सकती क्या” वो बोली

“ना….नही वो बात नही है लेकिन……” मैने कहना चाहा

“क्या लेकिन…” उसने पूछा

“वो क्या है ना की मेरा ये मनहूँस चेहरा तुम्हे उस गंदे आदमी की याद दिलाता है जिसने तुम्हारी ज़िंदगी खराब कर दी और इसीलिए आजकल मैं अकेला ही रहने लगा हूँ ताकि तुमसे बहुत कम सामना हो और ऐसे मे तुम ही मेरे सामने आ गई तो थोड़ा अजीब लग रहा है” मैं बोला

मेरी बात सुनकर वो थोड़ी देर सोचती रही फिर बोली “देखो सोनू उस दिन मैं शायद कुछ ज़्यादा ही बोल गई थी उसके लिए मुझे माफ़ करना अब तुम्हारा चेहरा ही तो मिलता है उससे सिर्फ़ इतनी ही बात थी और मैने बात का बतंग ड बना दिया था जिसकी वजह से तुम्हे बहुत परेशानी उठानी पड़ी और तुम अपने ही घर मे पराए से हो गये और मुँह छुपा के रहने लगे और इस वजह से अंकल और आंटी यानी तुम्हारे पापा मम्मी को भी बहुत दुख हुआ और इस सब की वजह मैं ही हूँ तो प्लीज़ अब ये सब बंद करो और फिर से अपनी नॉर्मल लाइफ गुजारो”

“लेकिन तुम्हारा क्या, मेरे फिर से तुम्हारे सामने पड़ने पर तुम्हारी यादे ताज़ा हो जाएगी तो तुम्हे फिर दुख होगा” मैं बोला

“तुम उसकी चिंता मत करो क्योंकि अब मैने अपने आपको समझा लिया है और वैसे भी सिक्के के दो पहलू होते ही है दो मिलते जुलते चेहरे मे से अगर एक दरिन्दा निकला था तो एक मददगार दोस्त भी तो हो सकता है ना” वो बोली

“हूंम्म्मम.. …….वैसे तुम क्या इतना कहने ही यहाँ आई थी क्या” मैं उसकी बात समझते हुए बोला

“जी नही असली बात तो दूसरी है जिसके बहाने यहाँ आकर मैं ये सब बाते कर पाई” वो मुस्कुराते हुए बोली

“कौन सी बात” मैने पूछा

“यही की खाने का टाइम हो गया है सुबह ही अंकल ने तुमसे कहा है की खाना सब साथ ही खाएँगे और तुमने उनसे प्रॉमिस भी किया था मैं वही याद दिलाने आई थी” वो बोली

“ऊ तेरी……..इतना टाइम हो गया” मैं घड़ी की तरफ देखते हुए बोला जो अभी 12 बजा रही थी

“जी हाँ, अब चले” वो बोली

“हाँ, तुम चलो मैं बस आता ही हूँ” मैं बोला

“जल्दी आना” वो बोली और एक सुंदर सी स्माइल देते हुए मेरे रूम से निकल गई

और मैं बाथरूम मे घुस गया और हाथ मुँह धोते हुए सोचने लगा की ज़िंदगी भी क्या चीज़ है आज सुबह तक मैं जिसे चेहरा भी दिखाने से डरता था अभी वो खुद मुझसे मिलने आई थी और अभी तक जिसके चेहरे पर मैने हल्की सी मुस्कान थी नही देखी थी अभी वो लगभग हँसते हुए वापस गई थी ‘वाह री किस्मत तेरे खेल निराले’ मैने सोचा और तभी मुझे याद आया की डॉली ने भी 15 दिनों का टाइम माँगा था मंजू को मनाने के लिए और आज टाइम पूरा होते ही मंजू मानी भी है थी और उसके चेहरे से गम के Chudai

बदल छँटने लगे थे और मुस्कान रूपी धूप खिलने लगी थी लेकिन इसका मतलब ये नही था की मुझे उससे चिपके रहना था क्योंकि कभी भी मेरा चेहरा उसे वापस डिप्रेस कर सकता था लेकिन जो भी हो शुरुआत तो हो चुकी थी और बहुत जल्द मंजू वापस अपनी नॉर्मल लाइफ मे आ जाने वाली थी यही सब सोचते हुए मैं खाने के लिए नीचे आ गया. Chudai
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