Chudai मेरा परिवार और मेरी वासना – Part 2

मेरी बात सुनकर डॉली कुछ सोचने लगी और मैं अपने मोबाइल मे बिज़ी रहा कोई 5 मिनिट बाद डॉली बोली “देख सोनू चुदाई के मज़े तो मैं भी लेना चाहती हूँ लेकिन डरती हूँ की कुछ उल्टा सीधा हो गया तो क्या होगा और दूसरी बात ये है की मैं अपनी वर्जिनिटी अपने पति के लिए बचा कर रखना चाहती हूँ इसलिए मैं तेरे साथ ये सब नही कर पा रही हूँ”

“अरे पागल आज कल इतने साधन है की उल्टा सीधा कुछ भी होने का सवाल ही नही है और जहाँ तक बात रही अपने पति को वर्जिनिटी देने का तो पहले ये तो सोच ले की क्या वो भी तेरे लिए शादी तक कुँवारा ही रहेगा और दूसरी बात ये सोच की क्या तुझे पक्का पता है की तू शादी होने के बाद ही मरेगी उससे पहले नही” डॉली की बात सुनकर मेरे मन मे जो आया मैं बोल उठा

“कह तो तू सही रहा है आजकल कौन सा लड़का शादी तक बगैर चुदाई के रहता है और ये बात भी सही है की कल किसने देखा है हो सकता है की शादी के पहले ही मेरा राम नाम सत्य हो जाए” मेरी बात सुनकर वो कुछ देर सोचने के बाद बोली

“तो फिर क्यू तडपा रही है अपने आपको और अपनी चूत को करले अपने मन की” मैं गरम लोहे पर हथौड़ा मारते हुए बोला

मेरी बात सुनकर वो कुछ देर तक कुछ सोचती रही फिर बोली “देख तेरे सेक्स से दूर भागने की पहली वजह दीदी और मोना है तो उन्हे तो मैं वापस ला नही सकती और दूसरी वजह मंजू है तो चल उसी पर ट्राइ करते है अगर वो तुझसे बात करने लगी तो एक प्राब्लम तो दूर हो ही जाएगी और वो ना मानी तो फिर तीसरी वजह जो मुझसे है उसके बारे मे सोचेंगे ओके”

“बस सोचेंगे ही कुछ करेंगे नही” मैं बोला

“करेंगे भी लेकिन पहले मंजू से तो निपट लेते है” वो बोली

“क्या बकवास कर रही है यार तू भी दो महीनो से इतनी कोशिश करने के बाद भी जिसके कानो पर जू तक नही रेंगी अब वो क्या मानने वाली है अपन जहाँ से शुरू हुए थे आज भी वहीं खड़े है और अब तो मुझे लगने लगा है की मैं ही ग़लत हूँ जो उस पत्थर की मूरत को हसने की कोशिश करने लगा हूँ शायद वो उसी काबिल है” मैं बोला

“लेकिन आख़िरी बार कोशिश करने मे क्या जाता है” वो ज़िद करते हुए बोली

“ठीक है कर ले अपनी आख़िरी कोशिश लेकिन पहले ये बता दे की इस कोशिश के लिए तुझे कितना टाइम चाहिए” मैं बोला

“क्या मतलब” उसकी कुछ समझ मे नही आया

“मेरा मतलब ये है की मंजू के मना करने के बाद तू तीसरी वजह यानी के अपने बारे मे कितने दिनों बाद कुछ करेगी” मैं बोला

“देख यार जो काम दो महीनो मे नही हो पाया उसके लिए दो हप्ते तो चाहिए ही होंगे ना” वो सोच कर बोली

“ओके दिए तुझे 15 दिन लेकिन उसके बाद तू नाटक मत करना वरना फिर समझ जाना” मैं बोला

“ओके उसके बाद मैं आर या पार ही करूँगी” डॉली बोली

“क्या मतलब” अब पूछने की बारी मेरी थी

“मतलब ये की या तो मैं तुझसे चुदवा लूँगी या फिर कभी भी तुझसे ऐसी बाते नही करूँगी” डॉली ने अपना फ़ैसाला सुनाया और ये सुनकर मुझे अपने आप पर गुस्सा आने लगा की क्यों मैने उसके साथ इतनी जल्दी की लेकिन अब क्या हो सकता था तीर कमान से निकल चुका था और आप तो ये जानते ही है की डॉली कितने गुस्से वाली और मूडी लड़की है तो अब मेरा कुछ भी कहना नही बनता था

“चल उठ, चलते है” वो खड़े होते हुए बोली

“कहाँ” मैं भी खड़े होते हुए बोला

“अपनी आख़िरी कोशिश करने के लिए मंजू के पास” वो बोली

“लेकिन वो तो नीचे थी” मैं बोला

“जी नही वो मेरे साथ ही उपर आई थी और अभी अपने रूम मे ही है” डॉली बोली और दरवाजा खोल कर बाहर निकल गई तो मैं भी उसके पीछे ही लिया

डॉली के बुलाने पर मंजू ने दरवाजा खोला तो डॉली अंदर दाखिल हो गई और मैं भी उसके पीछे पीछे अंदर चला गया..
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अब आगे.. …

रूम मे घुसते ही मेरी नज़र मंजू पर पड़ी और उसका चेहरा देखते ही मेरे दिल मे एक टीस सी उठी और मुझे लगने लगा की मैं शायद ग़लत कोशिश कर रहा हूँ क्योंकि मंजू की सूरत देख कर नही लगता था की उसके चेहरे पर कभी भी मुस्कान आ सकती है

अभी अकेले होने पर भी उसके चेहरे पर बहुत ज़्यादा उदासी थी और ऐसा लग रहा था जैसे वो रोई भी है

” हाई मंजू, नींद नही आ रही है क्या” डॉली मंजू के पास बेड पर बैठते हुए बोली जबकि मैं खड़ा ही रहा

“हाँ यार अभी से नींद कैसे आएगी” मंजू ने जवाब दिया

“तो फिर बाते करे” डॉली बोली

डॉली की बात सुनकर मंजू ने बड़ी उलझन से मुझे देखा और चुप रही मुझे लगा की शायद उसे यहाँ मेरी मौजूदगी पसंद नही आ रही थी और डॉली भी शायद समझ गई थी तो डॉली झट से मुझसे बोली “अरे सोनू तू खड़ा क्यों है वहाँ कुर्सी पर बैठ जाना”

“नही सोनू तुम यहाँ मत बैठो, तुम जाओ अपने रूम मे” डॉली की बात सुनकर मंजू तुरंत बोली

“ले…..लेकिन क्यों” मैने पूछा

“वो बताना ज़रूरी नही है बस इतना समझ लो की मैं तुमसे बात नही कर सकती और तुम्हारी मौजूदगी भी मुझे पसंद नही है” मंजू रूखे लहजे मे बोली और मुझे ऐसे लगा जैसे उसने मुझे सरे आम नंगा कर दिया हो उसके इस रवैये से मुझे बहुत इन्सल्ट फील हुई और मैं वापस जाने के लिए मूड गया Chudai

“रुक सोनू” तभी डॉली ने मुझे रोका और मंजू से बोली “यार मंजू तेरी प्राब्लम क्या है, जब से सोनू ने तेरी आपबीती सुनी है ये बेचारा बस इसी कोशिश मे है की तुझे सारे गम भूलने मे मदद कर सके और तेरी खुशिया वापस लाकर तेरे चेहरे पर मुस्कान खिला सके लेकिन तू हमेशा ही इसे अवाय्ड कर देती है और आज तो तूने हद कर दी जो उसे यहाँ से जाने को कह दिया और वो भी ये कह कर की तुम्हे उसकी मौजूदगी पसंद नही है”डॉली की बात सुनकर मंजू चुप बैठी रही लेकिन डॉली जैसे मानने वाली नही थी वो फिर बोली “बोलो मंजू चुप क्यों हो, वो बेचारा तुम्हे खुश देखना चाहता है उसके मन मे तुम्हारे लिए सहानुभूति है दया है और कुछ हद तक शायद प्यार भी है जो किसी अपने के लिए होता है लेकिन तुम ये सब जानते हुए भी हर बार उसकी इन्सल्ट क्यों कर देती हो”

अब मंजू भी अपने आप को चुप नही रख पाई और तेज लहजे मे बोली “तो मैं क्या करू क्या मैने उससे कहा है की वो मुझ पर दया करे मुझसे सिंपती दिखाए और वो मुझे अच्छा नही लगता है बस उसका चेहरा मुझे फूटी आँख भी नही सुहाता है उससे ज़्यादा मुझे कुछ नही कहना है अब तुम दोनो ही यहाँ से जासकते हो” इतना कह कर मंजू बेड से खड़ी हो गई

“अरे तेवर तो देखा मेडम जी के, किस बात का घमंड है तुझे जो ऐसा कह रही है, तुझे सोनू जैसे लड़के का जो तेरी इतनी केर करता है का चेहरा फूटी आँख नही सुहाता है ये कहने से पहले ज़रा सी शरम तो कर लेती मुझे तो लगता है की तुझे उस नेता के गुंडे बेटे का ही चेहरा पसंद आ गया है जो तेरा ** करने वाला था इसीलिए तुझे सोनू का चेहरा पसंद नही आरहा है” डॉली बहुत ज़्यादा गुस्से मे थी इसलिए वो बिना सोचे समझे ये सब बोल गई

“डॉली क्या अनाप शनाप बक रही हो प्लीज़ चुप हो जाओ और चलो यहाँ से” मैं बोला

“नही नही डॉली रूको नही और भी जो कहना है कहो लेकिन पहले ये सुन लो की पूरा नही तो 90% तो मिलता ही है सोनू का चेहरा उस गुंडे से इसीलिए ये मुझे अच्छा नही लगता है जब भी मेरी नज़र इस पर पड़ती है मुझे इस दरिंदे की याद आजाती है” मंजू इतना बोली और फुट फुट कर रोने लगी

और इधर उसकी बात सुनकर हम दोनो भाई बहन फटी आँखो से एक दूसरे को देख रहे थे शायद हम दोनो की ही उम्मीद नही थी की मंजू के मुझे अवाय्ड करने के पीछे ये बात भी हो सकती है बहुत देर तक कोई कुछ नही बोला और जिस हालत मे था वैसे ही रहा बस मंजू ही थी जो लगातार रोती रही थी

“सॉरी मंजू मुझे नही पता था यार की ऐसा भी कुछ है वो तो मैं सोनू की इन्सल्ट से भड़क गई थी मुझे माफ़ कर दे यार” आख़िर डॉली मंजू के पास जाकर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोली लेकिन मंजू सुबक्ते ही रही

“प्लीज़ यार सॉरी तो बोल दिया ना और माफी भी माँग ली है अब तो चुप हो जा” डॉली फिर बोली लेकिन मंजू चुप हो रही और धीरे धीरे सिसकती रही

“प्लीज़ मंजू डॉली को माफ़ करदो और चुप ही जाओ आज से मैं कोशिश करूँगा की जितना कम हो सके मैं अपना ये मनहूँस चेहरा तुम्हारे सामने ना लाउ यदि हो पता तो मैं कभी तुम्हारे सामने ही नही आता लेकिन ये इंपॉसिबल है प्लीज़ अब तो मान जाओ” मैं बोला

“इट’स ओके अब मैं ठीक हूँ” थोड़ी देर बाद मंजू बोली

और फिर मैं उसके रूम से बाहर निकल गया और थोड़ी ही देर बाद डॉली भी वहाँ से आ गई लेकिन वो मेरे रूम मे ना आकर सीधे नीचे अपने रूम मे चली गई और इधर मैं सोच रहा था की जिस चेहरे के साथ मैं मंजू को खुश करने की कोशिश कर रहा था वही बार बार उसे दुख पहुचा रहा था लेकिन अब मैं कर भी क्या सकता था अपना चेहरा तो बदलने से रहा लेकिन अब मैने सोच लिया था की जितना भी बन पड़ेगा उतना ही कम मंजू के सामने जाउन्गा ताकि उसे ज़्यादा तकलीफ़ ना हो और फिर यही सब सोचते हुए मुझे नींद लग गई..

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