Chudai मेरा परिवार और मेरी वासना – Part 2

अपडेट 56 – Chudai

अभी हम कुछ और बात कर पाते शहर आचुका था और सामने ही पोलीस चेक चली थी तो हमारी बाते वहीं ख़तम हो गई और हम चेकिंग मे हमारा नंबर आने का वेट करने लगे……… .
अब आगे………..
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पोलीस चेकिंग से निकल कर हम मार्केट मे पहुच गये और मम्मी का बताया हुआ समान लेने लगे इन सब मे कोई एक घंटा लग गया फिर हम थोड़ा हल्का फूलका नाश्ता कर के घर के लिए वापस निकल पड़े अब हमारे पास बहुत ज़्यादा समान होने के कारण कुछ समान तो हमने बाइक पर पीछे साइड बाँध लिया था और कुछ को डॉली ने उसके और मेरे बीच रख लिया था यानी के अब मुझे डॉली के बूब्स फील करने का कोई मौका नही मिलने वाला था क्योंकि समान रखा होने से हम दोनो के बीच बहुत गॅप हो गया था और अगर मैं जानबूझ कर भी ऐसी कोई कोशिश करता तो भी कुछ नही होने वाला था तो मैने ऐसी कोई कोशिश भी नही की अब तक मेरे और डॉली के बीच मंजू को लेकर कोई बात नही हुई थी
आख़िर हम जब शहर से बाहर आ गये तब डॉली बोली “तूने मेरी बात का जवाब नही दिया”
“कौन सी बात का” मैं बोला और मेरी समझ मे नही आया की वो कौन सी बात का जवाब जानना चाहती है Chudai
“वो ही मंजू वाली की तू उसपर मर मिटा है” डॉली बोली
” ओह्ह्ह वो बात………..अरे नही पगली ऐसा कुछ नही है” मैं बोला


“अगर ऐसा नही है तो फिर कैसा है, स्टेशन पर भी तू मुँह फाडे उसे देख रहा था और घर पर भी अब मैं इससे क्या अंदाज़ा लगौ बता” वो बोली
“देख डॉली मुझे ये बात मानने मे कोई मुश्किल नही है की मंजू एक बहुत ही खूबसूरत लड़की है और पता नही मेरी ऐसी आदत क्यों है की मैं हर खूबसूरत लड़की को देखने लगता हूँ लेकिन खूबसूरती के साथ साथ मुझे उसके चेहरे पर दुख और उदासी भी सॉफ नज़र आ रही है इसीलिए मेरी नज़र उसपर बार बार जाती है की क्या कारण होगा उसकी इस उदासी और अकेलेपन के पीछे और इसीलिए मैने खाना खाने के बाद जब हम हॉल मे बैठे थे तब उससे बात करने की बहुत कोशिश की लेकिन उसने मुझे कोई भाव नही दिया और मेरी बात का इग्नोर ही करती रही, वैसे उसने तुझसे और दीदी से भी ज़्यादा बाते कहाँ की वो तो लगभग हर बात का जवाब हाँ हूँ मे ही दे रही थी वैसे क्या वजह है जो वो ऐसा बिहेव कर रही है” मैने पूछा


“अब तुझे क्या बताऊ यार की इस बेचारी पर क्या बीती है उसकी तो जैसे सारी दुनिया ही लूट चुकी है” डॉली बोली और मुझे उसकी आवाज़ मे दुख और मंजू के लिए सहानुभूति के भाव अलग ही समझ आए
“क्यों ऐसा क्या हुआ है उसके साथ” मैने पूछा
और मेरी बात सुनकर मुझे डॉली ने जो बताया वो इस तरह था की मंजू के पापा उसके दादा के इकलौते बेटे थे उनके कोई भाई बहन नही थे उनके शहर मे उनकी बहुत सी ज़मीने थी जो की बहुत मौके की जगह पर थी जिसे उस शहर का एक नेता जोकि दबा छुपा गुंडा भी था हथियाना चाहता था लेकिन मंजू के पापा भी कुछ कम नही थे इसलिए उस नेता की चाल नही पा रही थी लेकिन कोई 4 महीने पहले मंजू के पापा मम्मी की एक रोड आक्सिडेंट मे डेत हो गई थी लेकिन कुछ लोगो के तो ये कहना था की वो आक्सिडेंट नही था बल्कि उस नेता ने जानबूझ कर ये सब करवाया था लेकिन मंजू के परिवार मे उसके कोई चाचा या बुआ नही थे जो इस बारे मे कुछ करते सिर्फ़ उसके एक मामा है जोकि उनके शहर से बहुत दूर रहते है और बेचारे बहुत ग़रीब भी है तो वो कुछ कर नही पाए अब मंजू और उसका एक बड़ा भाई दो ही लोग थे उनके घर मे लेकिन मंजू का भाई भी अभी सिर्फ़ 22 साल का ही था वो अभी पढ़ ही रहा था और उनके पापा मम्मी की डेत के 15 दिन बाद से ही इस नेता ने उन्हे फिर परेशान करना शुरू कर दिया की वो ज़मीन वो उसे बेच दे और कीमत भी बहुत कम बोल रहा था तो मंजू के भाई ने मना कर दिया तो वो नेता उन्हे धमकिया देने लगा की वो उन्हे भी मार देगाइन सब धमकियो से परेशान होकर मंजू के भाई ने पोलीस मे रिपोर्ट कर दी और पोलीस की कार्यवाही से तिलमिला कर उस नेता का एक बेटा अपने कुछ गुन्डो को लेकर एक रात मंजू के घर आ गया वो सभी लोग शराब भी पिए हुए थे पहले तो उन लोगो ने मंजू के भाई को थोड़ा मारा पीटा और फिर उससे ज़मीन बेचने को कहा लेकिन जब मंजू का भाई नही माना तो उन्होने उसे बाँध दिया और उसके सामने ही मंजू से छेड़छाड़ करने लगे और कहने लगे की अगर वो नही माना तो मंजू का ** कर देंगे अब बेचारा मंजू का भाई क्या करता वो ज़मीन बेचने के लिए तैयार हो गया तो उस वक्त तो उन लोगो ने उन्हे छोड़ दिया और दो दिन बाद सारे कागज बना कर लाने का कह कर चल दिए लेकिन नेता के उस बेटे की गंदी नज़र मंजू पर पड़ चुकी थी और वो किसी भी कीमत पर मंजू को चोदने की ठान चुका था


और फिर दो दिन बाद नेता का बेटा फिर रात मे कागज लेकर अपने दोस्तो के साथ मंजू के घर आ धमका वो लोग आज भी शराब पिए हुए थे जब मंजू के भाई मे उन कागज़ो पर साइन कर दिए तो फिर उस नेता के बेटे ने अपना रंग दिखाना शुरू किया और मंजू के साथ ज़बरदस्ती करने लगा जिसका विरोध मंजू के भाई ने किया तो नेता के गुंडे उसके साथ मार पीट करने लगे और इधर नेता का बेटा मंजू को लगभग नंगी कर चुका था इस दौरान ना जाने कैसे मंजू का भाई उन गुन्डो से छूट कर नेता के बेटे के पास पहुच गया जोकि मंजू के कपड़े फाड़ने मे लगा हुआ था और उसे मारने लगा और इसी बीच नेता के बेटे ने गन निकाल ली और मंजू के भाई पर गोलिया चलाने लगा कोई 3-4 गोलिया मंजू के भाई के सीने पर लगी और वो वहीं गिर पड़ा गोलियो की आवाज़ सुनकर अब तक आस पड़ोस मे सभी लोग जाग चुके थे तो वो सभी गुंडे और नेता का बेटा वहाँ से भाग खड़े हुए और वो लोग साथ लाए कागज जिन पर मंजू का भाई सिग्नेचर कर चुका था की भी वहीं छोड़ चुके थे

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जब तक मुँहल्ले वाले मंजू के घर पहुचते मंजू का भाई दम तोड़ चुका था और मंजू उसी अधनंगी हालत मे खड़ी रो रही थी ये सब देख कर मुँहल्ले के लोगो ने पोलीस को फोन करके दिया और पोलीस के आते ही हुंगमा मचाना शुरू कर दिया था अब तक पड़ोस की कुछ महिलाओ ने मंजू को कपड़े पहना दिए थे लेकिन मंजू तो जैसे बेसूध हो गई थी वो बहुत सदमे मे थी और कुछ बोल भी नही रही थी बस टकटकी लगाए शून्य मे देख रही थी इधर मुँहल्ले वालो के साथ सारे शहर वालो का गुस्सा ये सब जान कर उबल पड़ा था और मीडीया ने भी ये सारा मामला उछाल दिया था तो उस नेता और उसके बेटे सहित उसके सारे गुन्डो को पोलीस ने पकड़ लिया और उन्हे जैल मे डाल दिया और उनपर कोर्ट मे केस चलने लगा लेकिन इधर बेचारी मंजू को तो दुनिया ही उजड़ चुकी थी फिर कुछ दिनों बाद उस शहर के माने हुए लोगो ने मंजू से पूछ कर उसकी सारी प्रॉपर्टी अच्छी कीमत मे बिकवा कर पैसे मंजू के अकाउंट मे डाल दिए और मंजू को समझाया की इस शहर मे रहना अब उसके लिए ठीक नही था क्योंकि अभी भी इस नेता का एक बेटा जैल से बाहर था और वो अपने भाई बाप का बदला लेने के लिए मंजू के साथ कुछ भी ग़लत कर सकता था इसलिए मंजू ने वो शहर छोड़ दिया था और अब अपने रहने के लिए कोई नयी जगह तलाश रही थी और उसे हमारे गाओं के पास वाला शहर पसंद आया था इसीलिए वो शादी के बाद मम्मी पापा के साथ हमारे गाओं आई थी और अब पापा उसे उस शहर मे सेट्ल करवाने वाले थे लेकिन अभी कुछ टाइम मंजू हमारे घर ही रहने वाली थी


डॉली के मुँह से मंजू को दर्द भरी कहानी सुनकर मेरा भी दिल भर आया और मेरी आँखो के भी आँसू निकल पड़े और मेरे मन मे भी मंजू के लिए सहानुभूति जाग गई थी और मैं उसका अपने को इग्नोर करना भी भूल गया था अब तो दिल मे केवल एक ही अरमान था की किसी भी तरह बस मंजू के चेहरे पर मुस्कान लाना था और उसके सारे गम भुला देने थे
खैर इन सब बातों के दौरान हम घर पहुच गये और मैं सारा समान मम्मी को थमा कर उपर अपने रूम मे पहुच गये अब जब कल सुबह दीदी इतने दिनों के लिए बाहर जाने वाली थी तो एक बार तो चुदाई बनती ही थी लेकिन मंजू को दर्दनाक कहानी सुनने के बाद मेरे मन मे ऐसा कुछ नही आया और मैं खाना खाने के बाद अपने रूम मे आकर सो गया और उधर मम्मी सभी लड़कियो के साथ देर रात तक दीदी के लिए तैयारी करती रही और फिर सुबह हम सभी दीदी और मोना को स्टेशन पर ट्रेन मे बैठा कर वापस आ गये Chudai
अब मेरे सामने सिर्फ़ एक ही काम था की किसी भी तरह मंजू को उस दर्दनाक हादसे की यादो से बाहर निकाल कर नॉर्मल करना और उसके हसीन चेहरे से गम और उदासी के बादल हटा कर मुस्कान खिलाना था
और इस काम मे साथ देने के लिए मेरे साथ डॉली तो थी ही अरे हाँ अभी डॉली को भी तो लाइन मे लाना था जो उपर से करने को तो राज़ी थी लेकिन चुदाई से दूर भाग रही थी..
Chudai

अपडेट 57Chudai

दीदी और मोना को छोड़ कर हम सुबह 8 बजे वापस आ गये थे मैं अपने रूम मे गया और थोड़ी देर सोने की कोशिश की क्योंकि सुबह जल्दी उठना पड़ा था लेकिन नींद नही आई तो मैं नहा धोकर नीचे आ गया अभी सुबह के 10 बज चुके थे पापा कहीं दिखाई नही दे रहे थे जबकि मम्मी और डॉली की आवाज़ किचन से आ रही थी लेकिन मंजू मुझे कहीं दिखाई नही दे रही थी

मैं पक्का कर चुका था की अब चाहे वो मुझे कितना भी इग्नोर करे मैं उसका पिच्छा नही छोड़ने वाला था कुछ भी करके मैं उसे वापस नॉर्मल लाइफ मे लाना चाहता था मैने सोचा की शायद मंजू भी किचन मे हो क्योंकि वो ज़्यादा बोलती नही है शायद इसी लिए मुझे उसकी आवाज़ नही आ रही है इसलिए मैं किचन मे आ गया लेकिन वो वहाँ भी नही थी और वहाँ डॉली के सामने उसके बारे मे पूछने की मेरी हिम्मत नही हुई तो मैं चुपचाप ही वापस आ गया और हॉल मे बैठ कर टीवी देखने लगा

अभी हॉल मे बैठे मुझे कुछ ही देर हुई थी की मम्मी वहाँ आई और बोली “बेटा ज़रा मंजू को तो बुला ला बेचारी अकेली बोर हो रही होगी”

“बुला लाउ लेकिन कहाँ से” मैने पूछा

“अरे वो उपर निशा वाले रूम मे है, अब निशा तो है नही इसलिए मैने उसे वो रूम देदिया है अब जब तक वो यहाँ रहेगी वो रूम उसका ही होगा” मम्मी ने बताया

‘इसकी मा की, साला कांख मे बच्चा और गाओं मे ढिंढोरा’ मैने सोचा और उपर जाने लगा अगर मुझे मालूम होता की दीदी का रूम उसे देदिया गया है तो क्यों मैं इतना परेशान होता

मैं दीदी के रूम मे बाहर पहुचा और गेट को थोड़ा सा ढकाया तो वो खुलने लगा तो मैने वापस खींच लिया और उसे नॉक किया पल भर मे ही मंजू की सुरीली आवाज़ आई “कौन”

“मैं हूँ सोनू” मैं बोला

“क्या बात है” वो फिर सूखे लहजे मे बोली लेकिन उसकी आवाज़ की मिठास कम नही हुई थी

“अरे अब क्या दरवाजे पर ही सब कुछ पूछ लोगी या फिर इसे खॉलोगी भी” मैं बोला

“ओके….तुम दरवाजा खुद ही खोल लो मैने लॉक नही किया है” कुछ देर सोचने के बाद वो बोली

अब मैने भी दरवाजे को धक्का देकर खोल लिया लेकिन अंदर नही गया लेकिन सामने का सीन देख कर मेरे तोते उड़ गये अंदर मंजू एक पिंक सारी मे बैठी हुई बला की खूबसूरत लग रही थी और उसके चेहरे की मासूमियत उसके इस रूप मे चार चाँद लगाए दे रही थी

उसके इस रूप को देख कर मैं जैसे अपनी सुध बुध खो बैठा और उसके इस रूप माधुर्य को निहारने लगा लेकिन तभी उसने पहलू बदला और फिर मुझे जो दिखा उसने मेरे होश उड़ा दिए क्या दिलकश नज़ारा मेरी आँखो के सामने था मंजू का पल्लू थोड़ा नीचे हटते ही उसके ब्लाउस मे कसे उसके बूब्स को एक झलक मुझे दिखाई दे गई जिससे मैने ये अंदाज लगाया की उसके बूब्स भले ही मोना, दीदी या डॉली जीतने बड़े नही थे लेकिन इतने बड़े तो ज़रूर थे की कम से कम एक हाथ मे ना समा पाए और मैं उल्लुओ की तरह उसे देखने लगा Chudai

“क्या हुआ क्या बात है” वो एक बार फिर अपना पल्लू ठीक करते हुए बोली

“वो…..वो…..मम्मी तुम्हे बुला रही है” मेरे मुँह से इतना ही निकला जबकि अभी मैं बड़ी बड़ी बाते सोच कर आया था की उससे ऐसे बात करूँगा या ऐसे बात करूँगा लेकिन मेरी सारी सोचे सारी अकड़ उसकी इस एक बात ने ही मिटा दी थी

“ओके तुम चलो मैं आती हूँ” वो ऐसे बोली जैसे कोई कोर्ट अपना फ़ैसाला सुना रहा हो कोई और कंडीशन होती तो मैं अब तक उसकी मा बहन एक कर चुका होता लेकिन पता नही अभी मेरे मुँह से एक आवाज़ तक नही निकली और मैं पालतू कुत्ते की तरह दुम हिलाते हुए दरवाजे से ही वापस लौट गया

मेरे खुद की समझ मे नही आरहा था की ये सब क्या होरहा है लेकिन जो भी हो रहा था उसमे मुझे मज़ा बहुत आरहा था.

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