Chudai मेरा परिवार और मेरी वासना – Part 2

अपडेट 52 – Chudai

फिर हम सभी थक कर सो गये हमारी खुली चुदाई अब ख़तम हो चुकी थी क्योंकि कल का दिन निकलते ही

मुझे पापा मम्मी और डॉली को लेने शहर जाना

था………

अब आगे

सुबह मेरी नींद सबसे पहले खुली आज मैं बहुत जल्दी उठ गया था लेकिन फिर भी मैं बहुत ज़्यादा फ्रेश महसूस कर रहा था ज़रा सी भी आलसी नही आ रही थी अब ये कैसे हुआ मेरी समझ मे नही आरहा था वरना तो हर रोज जागने के बाद मुझे बहुत टाइम लगता था बेड छोड़ने मे लेकिन आज बेड पर रहने की इच्छा ही नही होरही थी मैने टाइम देखा तो अभी सुबह के 6 बाज रहे थे और पापा मम्मी की ट्रेन सुबह 9.30 पर शहर आती है इसलिए मुझे बहुत टाइम था अभी तो मैं डॉली के बारे मे सोचने लगा जो अभी वापस आने वाली थी और अभी तक एक वही बची हुई थी मेरे नीचे आने से वरना जब से मैं गाओं आया था मैने अपनी पहचान वाली किसी भी लड़की को नही छोड़ा था दीदी, मोना, टीना, निशा और रूपा सभी को मैं चोद चुका था और सिर्फ़ रूपा को छोड़ कर बाकी सभी की गान्ड भी मार चुका था सिर्फ़ डॉली ही ऐसी थी की अभी तक जिसके मैने बदन तक को ना ढंग से देखा था और ना ही छुआ था Chudai

फिर मुझे लगा की आज जो मैं इतना तरो-ताज़ा फील कर रहा हूँ वो कहीं डॉली की वजह से ही तो नही है तो क्या वो आज वापस आने के बाद मुझे आगे बढ़ने का मौका देगी या फिर बस उपर उपर से ही तरका देगी अभी तक जितना भी मैं उसे समझ पाया था उस हिसाब

से वो बहुत मूडी लड़की थी उसके मन की बाते जान पाना बहुत मुश्किल था वो पल मे तोला तो पल मे माशा हो जाती थी ताकि उसे कुछ करना है तो करना है वरना दुनिया की कोई ताक़त उससे ज़बरदस्ती नही करवा सकती थी

फिर मुझे डॉली के साथ बिताए वो हसीन लम्हे याद आने लगे की किस तरह मैने उसे अपना लंड दिखा कर उसके बूब्स देखे थे किस तरह उसके साथ नंगे वर्ड मे बाते की थी और किस तरह उसकी चूत पर पैंटी के उपर से लंड रगड़ कर अपना पानी निकाला था ये सब बाते सोचते हुए पता नही कब मेरा लंड खड़ा होकर झटके मारने लगा था और पता नही कब मेरा हाथ मेरे लंड को सहलाने लगा था

तभी मुझे जैसे होश आया और एहसास हुआ की बेड पर मैं अकेला नही हूँ और मैने देखा तो मोना और दीदी दोनो अभी भी नंगी ही बेड पर मेरे दोनो साइड सोई हुई थी दीदी की एक टाँग मेरी टाँग के उपर थी और उसकी चूत को गर्मी मुझे अपनी जाँघ पर महसूस हो रही थी जबकि मोना मेरे दूसरे साइड मे पीठ के बल सोई हुई थी मैने अब गौर से दोनो को देखा और दोनो के बदन की तुलना करने लगा और जब मैं ऐसा कर रहा था तो एक बार फिर मेरी आँखो के सामने डॉली का चेहरा आ गया और जितना भी मैने डॉली को नंगा देखा था उस हिसाब से इन दोनो का ही बदन मुझे फीका लगने लगा और सच भी यही था की चाहे दीदी और मोना कितनी भी सुंदर और सेक्सी थी लेकिन डॉली के आगे फैल थी और डॉली के नंगे शरीर को इमॅजिन करके मेरा लंड एक बार फिर झटके मारने लगा और मुझे बड़ी शिद्दत से चुदाई की तलब महसूस होने लगी

मेरे दोनो ही साइड एक से बढ़ कर एक सेक्सी लड़किया सोई हुई थी और यही मुश्किल मेरे सामने थी की मैं दोनो मे से चोदु किसको फिर मुझे याद आया की मेरे लंड को ये हालत मेरी बहन के बारे मे सोच कर हुई है तो अब बहन की चूत ही मारना है अब वो डॉली हो या निशा फरक नही पड़ता है तो मैने दीदी का पैर अपने उपर से अलग किया और उसे दूसरी साइड करवट पर कर दिया और खुद उसकी पीठ से चिपक कर उसकी गर्दन ओर किस करते हुए उसके बूब्स दबाने लगा और इधर मेरा लंड दीदी की गान्ड की दरार पर रगड़ खाने लगा

मेरे ऐसा करने से दीदी नींद मे ही कुन्मू नाने लगी और आहे भरने लगी थोड़ी ही देर बाद मैने अपना एक हाथ आगे लेजा कर दीदी की चूत को सहलाना शुरू कर दिया और जल्दी ही अपनी एक उंगली उसकी चूत मे अंदर बाहर करने लगा और उसकी गान्ड पर जोरो से लंड रगड़ने लगाअब दीदी भी धीरे धीरे अपनी कमर आगे पीछे करने लगी थी लेकिन अभी तक उसकी नींद खुली नही थी और जैसे ही मुझे अपनी उंगली पर दीदी की चूत मे रिस्ता पानी महसूस हुआ मैं समझ गया की अब इसकी चुदाई की जासकती है और मैने पीछे से ही थोड़ा नीचे होकर अपना लंड उसकी चूत पर सेट किया और एक ज़ोर का धक्का लगा दिया जिससे एक बार मे ही मेरा आधे से ज़्यादा लंड दीदी की चूत मे था और दीदी की एक जोरदार चीख से सारा कमरा गूँज उठा

“ऊऊऊऊमाआआ.. ……..” दीदी ज़ोर से चीखी अब उसकी नींद पूरी तरह से खुल चुकी थी और जैसे ही उसे महसूस हुआ की उसके साथ अभी क्या हुआ है वो बोली “ये कॉन्सा तरीका है सोनू क्या ऐसे भी कोई करता है”

“ऐसे ही तो करते है दीदी” मैं एक धक्का और लगाते हुए बोला अब मेरा पूरा लंड उसकी चूत मे था इस बीच दीदी की चीख सुनकर मोना भी जाग गई थी और बेड पर बैठ कर समझने की कोशिश कर रही थी की दीदी क्यों चीखी थी

“आहह.. ..पागल कहीं के मैं सोई हुई थी और तूने मुझे जगाए ही इतनी ज़ोर से अपना लंड अंदर कर दिया पता है कितना दर्द हुआ मुझे” दीदी एक बार फिर चिल्ला कर बोली अब तक मोना भी समझ गई थी की दीदी क्यों चीखी थी

“तो क्या हुआ जितना दर्द होना था हो चुका अब मज़ा लेलो” कहते हुए मैं दीदी के बूब्स ज़ोर ज़ोर से दबाते हुए धक्के मारने लगा

“देख निशा मैने सही कहा था ना, यही फ़ायदा है अपने भाई से चुदवाने का जब भी मन करे शुरू हो जाओ और आज तो तेरी मॉर्निंग सही मे गुड हो गयी है जो जागने से पहले ही तेरी चूत मे इतना बड़ा मूसल घुसा हुआ था” मोना दीदी की छेड़ते हुए बोली

“आहह. ..मुझे नही करनी ऐसी गुड मॉर्निंग आ मेरी जगह तू ही लेले ये लंड अपनी चूत मे” दीदी मेरे धक्को से हिलते हुए बोली

“लेकिन अभी ये नही होसकता क्योंकि अभी मुझे सिर्फ़ अपनी बहन को ही चोदना है” मैं ज़ोर के धक्के लगाते हुए बोला

“क्यों, अभी रात मे ही तो तूने इसे चोदा था ना फिर भी कोई कसर रह गयी थी क्या” मोना ने पूछा

“तू नही समझेगी मोना की अभी मेरे दिल और दिमाग़ मे क्या चल रहा है अभी तो मुझे बस दीदी की चोदने दे बस” कहते हुए मैं ज़ोर के धक्के लगाने लगा लेकिन शायद इस पोज़िशन मे दीदी की तकलीफ़ हो रही थी तो उसने मुझे रुकने को कहा और मेरे रुकते ही वो घोड़ी बन गयी और मैं उसके पीछे आकर उसकी कमर पकड़ कर एक बार फिर उसे जानवरों की तरह चोदने लगा और उधर मोना मेरे पीछे आ गई और अपनी उंगली मेरी गान्ड की दरार मे घुमाने लगी जिससे मेरी उत्तेजना बहुत बढ़ गयी और मेरे धक्को की स्पीड बहुत ज़्यादा बढ़ गयी मेरा लंड दीदी की चूत को पूरी गहराई तक उतरने लगा और दीदी मज़े से हाय हाय करने लगी उसकी चूत बेतहाशा पानी छोड़ने लगी थी और इधर मोना की उंगली मुझे उकसाए जा रही थी

फिर अचानक ही मोना ने अपनी वो उंगली मेरी गान्ड मे घुसेड दी जिससे मुझे थोड़े दर्द के साथ बहुत मज़ा आया और मैं उस मज़े मे बह कर ज़ोर के धक्के लगाते हुए दीदी की चूत मे झड़ने लगा और मेरे लंड को बारिश को दीदी सहन नही कर पाई और वो भी मेरे साथ झड़ने लगी और बेड पर ढेर हो गई मैं भी उसी हालत मे उसके उपर गिर गया जिस वजह से मोना की उंगली मेरी गान्ड से निकल गयी और हम दोनो तेज तेज साँसे लेकर नॉर्मल होने की कोशिश करने लगे

कोई 5 मिनिट बाद दीदी की नज़र घड़ी पर गई तो वो झट से उठी और बोली “चल सोनू अब तू जल्दी से तैयार होज़ा तुझे सबको लेने शहर जाना है, और मोना तू मेरा साथ दे हम इस रूम को सॉफ करते है वरना अगर डॉली को यहाँ हुई मस्ती का पता चल गया ना तो फिर हमारी खैर नही” Chudai

दीदी की बात सुनकर मैं उपर अपने रूम मे चला गया और दीदी और मोना अपने कपड़े पहन कर डॉली का रूम सॉफ करने मे लग गयी

कोई आधा घंटे बाद मैं तैयार होकर नीचे आया तो दीदी चाय बना चुकी थी

“ले सोनू आज चाय से ही काम चला ले नाश्ता बाहर किसी होटेल मे कर लेना” दीदी मुझे चाय देकर बोली और जल्दी से अंदर चली गई मैं समझ सकता था की वो इतनी जल्दी मे क्यों है उसे अपनी पहली चुदाई के सारे सबूत जो मिटाने थे जो डॉली के रूम मे चप्पे चप्पे मे फेले हुए थे

खैर मैने चाय ख़तम की और पापा की बोलरो गाड़ी निकाल के शहर की तरफ निकल गया मैने टाइम देखा तो 8.30 बज गये थे यानी के अभी मेरे पास एक घंटा था शहर पहुचने के लिए जोकि काफ़ी था लेकिन बीच मे मुझे नाश्ता भी करना था

फिर मैने शहर के बाहर पहुच कर ही एक होटेल मे नाश्ता किया और स्टेशन की तरफ रवाना हुआ लेकिन

रास्ते मे पड़ने वाली रेलवे क्रॉसिंग ने मेरे 15 मिनिट खराब कर दिए और मैं 9.45 बजे प्लॅटफॉर्म पर पहुचा जहाँ मुझे पता चला की पापा मम्मी वाली ट्रेन 20 मिनिट पहले ही आचुकी है और मैं उन्हे ढूँढने लगा की वो लोग कहाँ बैठे है.

अपडेट 53 – Chudai sex story

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ट्रेन को आए 15 मिनिट हो गये थे और सभी लोग अभी कहाँ बैठे होंगे यही सोच कर मैं उन्हे ढूँढने लगा तभी मुझे ख़याल आया की मैं पापा को फोन करके पूछ लेता हूँ की वो कहाँ है लेकिन जैसे ही मैने मोबाइल निकालने को जेब मे हाथ डाला तो जेब मे मोबाइल था ही नही शायद जल्दी मे मैं मोबाइल घर मे ही भूल गया था फिर मैं सिर पर हाथ मारते हुए आगे बढ़ गया सबको ढूँढने के लिए

अभी मैं कुछ ही कदम आगे बढ़ा था की मेरे कदम जहाँ के तहाँ रुक गये और जैसे मैं इस दुनिया मे ही नही रहा और एकटूक मेरे सामने जो नज़ारा था उसे देखने लगा मुझसे कुछ कदमो की दूरी पर एक बेंच पर एक निहायत ही खूबसूरत लड़की अपना बाग पकड़ कर बैठी हुई थी जोकि इतनी मासूम लग रही थी जैसे कोई बच्चा होता है लेकिन इन सब से हॅट कर जो सबसे खास बात थी वो ये थी की उसके चाँद से चेहरे के उपर गम और उदासी के काले बदल छाए हुए थे

मेरी नज़रे उसके चेहरे से हटने का नाम ही नही ले रही थी मैं ये भी भूल गया था की मैं यहाँ किसलिए आया हूँ और बस उसे ही देखे जा रहा था

“ओइईईई.. …कहाँ खोया हुआ है कब से तुझे आवाज़ लगा रही हूँ लेकिन तू है की सुन ही नही रहा” तभी कंधो पर एक थपकी पड़ी और डॉली की आवाज़ मेरे कानो से टकराई और जैसे मैं नींद से जगा

“आन्न्‍णणन्……हूंम्म्मममम..कहीं नही” मेरे मुँह से निकला

“अरे ऐसे क्या दीवानो की तरह बिहेव कर रहा है कब से तुझे ढूँढ रहे है हम और तेरा मोबाइल भी ऑफ जा रहा है बंद करके रखा है क्या” डॉली फिर बोली

“अरे नही यार वो क्या है ना मोबाइल मैं घर पर ही भूल गया था, वैसे पापा और मम्मी कहाँ है” मैने पूछा लेकिन मेरी नज़र बार बार उस सुंदरी की तरफ जा रही थी और अब वो भी मुझे और डॉली को बाते करते हुए देख रही थी

“क्यों बेटा सोनू कहाँ रह गये थे हम कब से तुम्हारा वेट कर रहे थे” पास आते ही पापा बोले

“पापा वो रेलवे क्रॉसिंग पर फँस गया था इसलिए लेट हो गया, चलिए अब चलते है” मैं बोला

“अरे रूको भाई पहले तुम्हारी मम्मी भी तो आजाए” पापा बोले

और कुछ ही देर मे मम्मी भी आ गई और आते ही मुझे किस करके गले लगाया जबकि मेरी नज़र बार बार उस सुंदरता की मूरत पर ही जा रही थी और उसे देख कर बार बार मेरे दिल मे एक टीस सी उठ रही थी की अब इसके भोले भले मुखड़े से दूर जाना पड़ेगा पता नही क्या आकर्षण था उसके चेहरे मे जो वो मुझे उसकी ओर खींचे जा रहा था

“चलो भाई सोनू अब लगेज उठाओ और चलो” पापा बोले

और पापा को बात सुनकर मैं भारी मन से लगेज उठाने लगा मेरा मन अभी वहाँ से जाने को नही कर रहा था दिल कह रहा था की कम से कम उसका नाम पता ही पूछ लू लेकिन सब के सामने मेरी हिम्मत नही हो रही थी और आख़िर मे बाग उठा कर हम सभी आगे बढ़ने लगे मैं बड़ी हसरत भरी उदास नज़रो से उस लड़की को देखे जा रहा था की अब शायद ही कभी ये हसीन चेहरा देखने को मिले की तभी डॉली की आवाज़ सुनाई दी “ऊओ….मेडम अब तुझे क्या अलग से कहना पड़ेगा क्या चलने के लिए”

और डॉली की आवाज़ सुनकर जैसे मैने पीछे पलट कर देखा तो मेरी खुशी का ठिकाना ही नही रहा वो उसी लड़की से कह रही थी और डॉली की बात सुनकर वो लड़की हल्का सा मुस्कुराते हुए अपना बाग उठा कर डॉली के साथ चलने लगी और इधर मेरा दिल जो अभी थोड़ी देर पहले ज़ीरो वॉट के पुराने बल्ब की तरह हो गया था अब 100 वॉट के एल सी डी की तरह चमकने लगा था क्योंकि अब ये पक्का हो गया था की वो लड़की अब हमारे साथ हमारे घर ही जा रही थी

और थोड़ी देर बाद ही हम सब गाड़ी मे बैठ कर गाओं की तरफ रवाना हो गये थे पापा गाड़ी चला रहे थे और मैं सामने की सीट पर बैठा था जबकि मम्मी डॉली और वो लड़की बीच की सीट पर बैठी थी मेरा दिल कर रहा था की इस लड़की के बारे मे पुछु की ये कौन है इसका नाम क्या है लेकिन पापा के सामने होने की वजह से मैं पूछने मे झिझक रहा था की तभी मम्मी ने मेरी सारी परेशानी दूर कर दी

“बेटा सोनू इन दो दिनों मे कोई परेशानी तो नही हुई ना तुम दोनो भाई बहन को” मम्मी ने पूछा

“नही मम्मी कोई परेशानी नही हुई” मैं पीछे मूड कर देखते हुए बोला डॉली अभी खिड़की से बाहर देख रही थी जबकि उस लड़की की आँखे बंद थी तो मैने मम्मी से इशारे मे पूछा की ये कौन है

“अरे मैने तुम दोनो का परिचय तो करवाया ही नही” कहते हुए मम्मी ने उस लड़की को हिलाया जिससे उसने आँखे खोल ली और मेरी तरफ देखने लगी तो मम्मी बोली “बेटा मंजू ये मेरा बेटा सोनू है और सोनू ये मेरे चचेरे भाई यानी के तुम्हारे मामा की बेटी है मंजू”

मम्मी की बात सुनकर मंजू ने हल्की मुस्कान के साथ अपनी गर्दन हिला दी और मैने भी उसी तरह जवाब दिया

फिर मम्मी ने कोई बात नही की तो मैं भी सीधा होकर बैठ गया अब मेरे दिमाग़ मे एक ही नाम घूम रहा था “मंजू” और ये पहली बार हुआ था की गाओं वापस आने के बाद किसी लड़की की बारे मे मेरे मन मे गंदे ख़याल नही आए थे बल्कि उस लड़की के लिए मेरे मन मे इज़्ज़त थी

सारे रास्ते मेरा मन कर रहा था की मैं उसके सुंदर चेहरे को देखु लेकिन ऐसा करना ग़लत था क्योंकि पापा मम्मी भी गाड़ी मे ही थे तो मैं मन मार कर चुपचाप बैठा रहा और थोड़ी ही देर मे हम घर पहुच गये जहाँ निशा दीदी एक ऐसी खबर सुनाने को तैयार बैठी थी जो बाकी सब लोगो के लिए खुशख़बरी थी लेकिन मेरे लिए किसी सदमे से कम नही थी…………….


अपडेट 54Chudai

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थोड़ी ही देर मे हम घर पहुच गये जहाँ निशा दीदी एक ऐसी खबर सुनाने को तैयार बैठी थी जो बाकी सब लोगो के लिए खुशख़बरी थी लेकिन मेरे लिए किसी सदमे से कम नही थी……………. .

अब आगे…

घर पहुच कर जैसे ही हम अंदर दाखिल हुए तो मोना और दीदी के दमकते हुए चेहरे दिखाई पड़े दोनो खुशी से ऐसे चाहक रही थी जैसे उन दोनो को कोई खजाना मिल गया हो और उनकी खुशी छुपाए नही छुप रही थी मैं बहुत सोच पड़ गया की ऐसा क्या हुआ है जो दोनो खुशी से फूले नही समा रही है लेकिन मेरे समझ मे कुछ नही आया इस दौरान दीदी और मोना दोनो ही बहुत प्यार और अपनेपन से मंजू से मिली दोनो की ही आँखो मे मंजू के लिए सहानुभूति भी थी जिसका मतलब मैं समझ नही पाया था

हालाँकि मंजू मेरे चचेरे मामा की बेटी थी तो शायद बचपन मे मैं उससे मिला भी हूँ लेकिन मुझे उसकी कोई याद नही थी लेकिन लगता था की वो मेरे घर मे सबसे ही बहुत घुली मिली हुई थी तभी तो सभी लोग उसकी बहुत केर कर रहे थे अब दीदी और मोना की आँखो मे उसके लिए सहानुभूति और उसका उदास और दुखी चेहरा देख कर मैं समझ गया था की मंजू के साथ कुछ ग़लत ही हुआ है वरना इतने प्यारे चेहरे पर उदासी और गम कभी भी सोभा नही देती थी

खैर जब सबका मिलना मिलना हो गया तो मैने दीदी से पूछ ही लिया की वो क्यों खुशी से इतना उछल रही है आख़िर बात क्या है

“अभी बताती हूँ” कहते हुए दीदी ने एक लेटर निकाला और पापा को तरफ देख कर बोली “पापा मैने और मोना ने जिस कोर्स के लिए अप्लिकेशन दिया था ना वहाँ हमारा सेलेक्षन हो गया है ये लेटर वहीं से आया है और हमे परसो ही वहाँ जाय्न करना है”

“कौन सा कोर्स” मैने पूछा तो दीदी ने सब बताया और ये भी की उन्हे कल सुबह ही निकलना होगा क्योंकि जिस शहर मे वो इन्स्टिट्यूट है वो हमारे शहर से कोई 500 किमी दूर था जहाँ जाने मे सारा दिन ही लग जाना था और वो कोर्स 18 मंत का था

“श.. …तो ये बात है” मैं बोला

“मैने तो बहुत मना किया इसे बेटा लेकिन ये और तेरे पापा नही माने और इस कोर्स के लिए हामी भर दी” मम्मी बोली

“तो क्या हुआ मम्मी इतना अच्छा कोर्स तो है” मैं बोला

“कोर्स तो अच्छा है बेटा लेकिन इन 18 महीनो मे ये एक बार भी घर नही आपाएगी क्योंकि वहाँ छुट्टियाँ नही मिलती है” मम्मी ने बताया

” व्हाट.. ….क्या ये सच है दीदी की तुम इतने दिन घर नही आपाओगी” मैं मुँह फाडे दीदी से बोला

“हाँ यार सोनू ये बात तो है, लेकिन डोन्‍ट वरी दिन बीत-ते टाइम नही लगेगा और फिर मैं आ जाउन्गी” दीदी मेरे तरफ देखते हुए बोली

“लेकिन.. …” मैने कहना चाहा

“अरे छोड़ो भी सोनू अब वो जाना चाहती है तो जाने दो और वैसे भी कुछ दिनों मे उसकी शादी हो जाएगी तो फिर वो बेचारी ससुराल मे तो ये सब नही कर पाएगी ना, लेकिन निशा तू सुन ले बेटा कोर्स कंप्लीट करते ही तेरी शादी की तैयारी शुरू हो जाएगी अपना वादा तो याद है ना” पापा बोले

“जी पापा” अपनी शादी की बात सुनकर दीदी शरम से सिर झुकाते हुए बोली

“कैसा वादा” मैने पूछा
Chudai Ki Kahani , sex story Chudai मेरा परिवार और मेरी वासना – Part 1

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