Chudai मेरा परिवार और मेरी वासना – Part 1

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दीदी का पेपर 12 बजे ख़तम होना था इसलिए पूरे 3 घंटे मैं यहाँ से वहाँ सहर मे भटकता रहा इस बीच मेरे दिमाग़ मे ये भी चल रहा था कि क्या दीदी मेरे साथ कुछ आगे बढ़ेगी या फिर बस यूँ ही मेरे मज़े लेती रहेगी वैसे घर से आते वक्त उसका मेरी पीठ पर जानबूझ कर बूब्स दबाना और फिर कॉलेज मे अपनी सहेली से ये कहना कि जो तूने सोचा है तेरे बदले मैं कर दूँगी मुझे एक उम्मीद दिखाए जा रहा था कि
निशा के साथ भी मेरा कोई गेम हो सकता है वैसे अगर अभी कुछ टाइम नही होता तो मुझे फरक भी नही पड़ना था क्योंकि मेरे पास मोना थी ही अपने लंड की प्यास बुझाने को लेकिन दीदी के सामने मोना कुछ भी नही थी इतना तो मैं पूरे यकीन से कह सकता हूँ कि अगर दीदी
मेरे सामने अगर पूरे कपड़े ही उतार देती तो शायद मैं उसे देखते हुए ही झड जाता

खैर जैसे तैसे मैने टाइम पास किया और 11.45 बजे मैं वापस दीदी के कॉलेज पहुचा तब तक मुझे भूख भी लग चुकी थी मैने सोच लिया था कि कॉलेज से निकलते ही किसी अच्छे से रेस्टोरेंट मे जाकर खाना खाना है और जैसे ही मैने गाड़ी पार्किंग मे लगाई मुझे दीदी और उसकी सुबह वाली सभी सहेलिया मेरी तरफ आती दिखाई दी

“इतनी देर लगा दी कहाँ था अभी तक मैं कब से वेट कर रही थी” दीदी ने मेरे पास पहुचते ही मेरी बोली

“वो दी………..” दीदी की डाँट सुनते ही मेरे मुँह से सच्चाई निकल ही गयी

“दी…….

अरे यार देखो तो निशा का बाय्फ्रेंड उसे दी कहता है” वही लड़की बोली जो सुबह मेरी बाहों से चिपकी थी

“अरे हां यार…..निशा क्या ये तेरा भाई है” दूसरी बोली

“क्या यार सोनू मैने तुम्हे समझाया था ना कि यहाँ मुझे ऐसे नही बुलाना” दीदी बोली लेकिन मेरी समझ कुछ नही आया

“तो क्या ये सच मे तेरा भाई है?” एक ने पूछा

“अरे नही यार ये मेरे गाओं का ही रहने वाला है और मेरा पड़ोसी है जो बचपन से ही मुझे ‘दी’ कहता है लेकिन अब हम गर्लफ्रेंड बाय्फ्रेंड है तब भी ये गाओं मे मुझे दी ही कहता है मैने इसे आज सख़्त मना किया था की ये मुझे दी ना कहे लेकिन फिर भी इसकी ज़ुबान फिसल ही गई” दीदी ने अपनी पूरी कोशिश कर के आख़िर बात को संभाल ही लिया

“ओह्ह्ह……लेकिन यार ये तुझे दी क्यों बोलता है, क्या ये तुझसे छोटा है” तभी उनमे से एक लड़की ने पूछा

“पता नही, लेकिन हमारे गाओं मे सभी लड़के अपनी बहनो चाहे वो बड़ी हो या छोटी हो या पड़ोस की या जान पहचान की हो सभी लड़कियो को दीदी ही कहते है” दीदी ने अब बात को पूरी तरह संभाल लिया था

“ओह्ह्ह……” उनमे से एक ने हुंकारी भरी

“तो अब परसो का प्रोग्राम पक्का है ना” उस लड़की के हुंकारी भरते ही दीदी झट से बोली

“अब उसमे क्या शक है, जब हम सभी लोग साथ बैठ कर डिस्कस कर चुके है तो परसो पक्का ही है” दूसरी लड़की बोली

“ठीक है तो परसो वहीं मिलते है, वैसे कल मैं तुझसे और बात कर लूँगी” दीदी बोली

“लेकिन याद रखना कि वहाँ तेरे साथ तेरा बाय्फ्रेंड भी होना चाहिए वरना तुझे वापस भगा दिया जाएगा” उनमे से एक बोली

“ये तो है ना मेरे साथ मे मेरा बाय्फ्रेंड” दीदी मेरी तरफ इशारा करते हुए बोली

“मुझे इस पर भरोसा नही है कि ये तेरा बाय्फ्रेंड है ये तुझे दी भी बुलाता है” वोही फिर बोली

“अरे यार बताया ना कि हमारे गाओं मे….” दीदी ने कहना चाहा

“हमे तेरे गाओं मे क्या होता है उससे कोई मतलब नही अगर ये भी तेरे साथ होगा तो चलेगा लेकिन अगर ये होगा तो पहले तुम दोनो को अपने गर्लफ्रेंड बाय्फ्रेंड होने का टेस्ट देना होगा पास हुए तो ठीक नही तो वहीं से वापस कर दिया जाएगा, समझी” वो फिर बोली

“कैसा टेस्ट?” दीदी ने पूछा

“कैसा भी, हम तुम्हे वही करने को कहेंगे जो गर्लफ्रेंड बाय्फ्रेंड आपस मे करते ही रहते है उन्ही सब कामो मे से तुम्हे कोई एक काम करना होगा अगर ना कर पाए तो नमस्ते” वोही लड़की बोली

“लेकिन सिर्फ़ मेरे ही लिए टेस्ट क्यों” दीदी ने पूछा

“क्योंकि मुझे नही लगता कि तुम दोनो गर्लफ्रेंड बाय्फ्रेंड हो बल्कि भाई बहन ज़्यादा लगते हो अपने चेहरे से” वो लड़की बोली Chudai

और उसकी बात सच भी थी हम तीनो भाई बहन का ही चेहरा आपस मे बहुत ज़्यादा मिलता था

“ये तेरी ग़लतफहमी है हम सच मे गर्लफ्रेंड बाय्फ्रेंड ही है” दीदी आख़िरी कोशिश करते हुए बोली

“सफाई मत दे परसो जब वहाँ आएगी तो सब क्लियर हो जाएगा, ओके बाइ” वो लड़की बोली और वापस जाने को पलट गई और उसके पलटते ही बाकी की लड़किया जो सुबह मेरे साथ चिपकने को मरे जा राही थी बिना मेरे चेहरे को देखे ही वैसे ही पलट गई मैं समझ गया कि पहले वाली लड़की इनकी लीडर है

और इधर दीदी की हालत खराब हो चुकी थी वो आँखे बड़ी बड़ी करके मुझे देख रही थी

“आख़िर पूरे करे कराए पर पानी फेर दिया तूने, कितना समझाया था तुझे कि यहाँ किसी को पता नही चलना चाहिए कि तू मेरा भाई है” दीदी मुझ पर चिल्लाई”लेकिन दी वो बात तो आपने संभाल ली थी उन्हे तो अपन दोनो का चेहरा मिलते देख ये लगा कि हम भाई बहन है” मैने सफाई दी

“हूंम्म,…… ये बात भी सही है लेकिन मेरी ये पिक्निक तो गई ना” दीदी उदास स्वर मे बोली

“ऐसे कैसे गयी, अभी वो सिर्फ़ अंदाज़ा लगा रहे है कि हम भाई बहन है उन्हे पक्का पता तो नही है ना” मैं बोला

“लेकिन बेटा तू टेस्ट की बात भूल गया, वो वहाँ हमे कुछ भी करने को कह सकते है फिर क्या करेंगे हम” दीदी ने पूछा

“क्या करने को कहेंगे?, हां….एक दम सेक्स करने को तो नही कहेंगे ना और बाकी तो हम जैसे तैसे कर ही लेंगे है ना” मैं उसे दिलासा देते हुए बोला

“बाकी भी कैसे कर लेंगे?” दीदी के चेहरे पर एक सवालिया निशान था

“देखो दी वो हद से हद किस करने को ही कहेंगे ना तो वो तो हम दोनो कर ही सकते है ना” मैं बोला

“जैसे आज तक हम ने बहुत बार किस किया है जो उनके सामने कर लेंगे…., बात करता है, हुनह”दीदी गुस्से से बोली, और उसकी बात भी सहीं थी हमने आज तक ऐसा कुछ भी नही किया था

“तो क्या हुआ थोड़ी प्रॅक्टीस कर लेंगे घर चल कर फिर तो हो जाएगा ना” मैं दीदी के मज़े लेते हुए बोला

“क्याअ……मैं तुझे किस लेने की प्रेक्टिस करवाउन्गी…..नो नेवेर” दीदी बोली

“तो ठीक है पिक्निक को भूल जाओ फिर” मैं बोला

मेरी बात सुनकर दीदी ने कुछ देर सोचा फिर बोली “लेकिन यार उन्हे हम पर शक हो गया है वो हमसे किस से भी कुछ ज़्यादा करवाएँगे”

“और क्या करवा सकते है वो” मैने पूछा

मेरी बात सुनकर अब दीदी चुप हो गई उसके चेहरे को देख कर सॉफ नज़र आ रहा था कि वो कहना तो बहुत कुछ चाह रही है लेकिन कह नही पा रही है मैने उसकी हालत समझी और बोला “देखो दी ऐसे कुछ नही होने वाला जो कहना है खुल कर कहो वरना अपनी पिक्निक को भूल जाओ और वैसे भी तुम मुझे अपना बाय्फ्रेंड मान चुकी हो भले ही नाम का सही इसलिए कुछ करो मत लेकिन बता तो सकती हो”

अब शायद दीदी ने भी हार मान ली थी क्योंकि वो ये पिक्निक मिस नही करना चाहती थी

“यार मैं तुझे बताना तो नही चाहती थी लेकिन जब मैने सबके सामने कबुल कर लिया है कि तू मेरा बाय्फ्रेंड है तो मुझे अब वहाँ तुझे ही लेकर जाना होगा अब मैं किसी और को वहाँ ले भी नही जासकती इसलिए सुन अब वो वहाँ मुझे तुझ से अपने बूब्स दबवाने को कहेंगे और इतने से
भी उनका मन नही भरा तो वो मुझे तेरा वो पकड़ने को कहेंगे” दीदी ने बताया Chudai Ki Kahani

दीदी की बात सुन कर मेरी इक्षा तो हुई कि उनसे पुच्छू कि वो का मतलब क्या है लेकिन उसकी हालत जो कि बहुत नर्व्स थी को देख कर मैने ज़्यादा मज़ाक करना ठीक नही समझा

“ये तो मुसीबत हो गई, किस तक तो ठीक था लेकिन अब इन सब का क्या करे, मेरी बात मानो दी तुम उस पिक्निक को भूल ही जाओ अब” मैं बोला

“नही यार मेरी बहुत इच्छा है उस पिक्निक पर जाने की मैं भी अपनी लाइफ एंजाय करना चाहती हूँ” दीदी बोली

“लेकिन अब ये कैसे हो सकता है” मैं मिट्टी का माधव बने हुए बोला जबकि मुझे मेरी मंज़िल अपनी आँखो के सामने नज़र आरहि थी कि अब बस वक्त का ही तक़ाज़ा है वरना दीदी तो गई

“अभी चल, मैं कुछ सोचती हूँ बाद मे” दीदी बोली और चुप हो गई

फिर मैने बाइक स्टार्ट की और हम उसके कॉलेज से बाहर निकल गये और एक रेस्टौरेंट मे खाना खाया और वापस घर की तरफ चल दिए इस बीच हमारी कोई बात नही हुई और फिर गाओं का रोड शुरू हो गया जहाँ बड़े बड़े गड्ढे एक बार फिर हमारा इंतेज़ार कर रहे थे लेकिन इस बार दीदी ने मुझसे कोई दूरी नही बनाई बल्कि अब वो हर बार बाइक के उछल्ने या मेरे ब्रेक मारने पर मुझे अपने बूब्स का इंप्रेशन अच्छे से महसूस करवा रही थी जिससे जाने अंजाने ही मेरा लंड उसकी इस हरकत से खड़ा हो गया था और तभी बाइक एक गड्ढे की वजह से उच्छली और इस बार दीदी के बूब्स तो मेरी पीठ पर गढ़े ही लेकिन साथ ही उसका एक हाथ मेरे लंड के उपर आकर ठहर गया और ठहरने
के साथ ही उसके हाथ ने मेरे लंड को अपनी गिरफ़्त मे भी लेलिया मैं समझा कि ये अंजाने मे हुआ है जैसा सुबह हुआ था लेकिन बहुत टाइम हो जाने के बाद भी उसके हाथ से उसके हाथ से मेरा लंड नही छूटा बल्कि अब तो वो उसे दबा भी रही थी मैं जैसे मज़े से सातवे आसमान
पर था लेकिन मेरे मन मे कौंधते हुए सवाल ने कि दीदी ऐसे कर सकती है ने मुझे बोलने पर मजबूर कर दिया “दी एक बार फिर तुम्हारा हाथ ग़लत जगह पर पहुच गया है”

“मैं जानती हूँ” दीदी बोली और उसने मेरा लंड ज़ोर से अपनी मुट्ठी मे भींच लिया

“क्या….फिर तुम अपना हाथ अलग क्यों नही कर रही” मैने पूछा

“क्योंकि मुझे पिक्निक के लिए प्रॅक्टीस करनी है जो मैने अभी से ही स्टार्ट कर दी है” दी बोली और उसका हाथ अपना काम करता रहा

‘वाउ…..मेरी तो चल पड़ी’ मैने मन मे सोचा और बोला “ऐसे मे तुम्हारी प्रॅक्टीस तो हो जाएगी लेकिन मेरा क्या होगा, मैं कैसे कर पाउन्गा वहाँ वो सब”

“अभी तू ज़्यादा मत सोच बाइक चलाता रह और मुझे अपना काम करने दे, तेरी प्रेक्टिस के बारे मे घर चल कर बात करेंगे समझा” दीदी बोली और फिर चुप होकर अपने काम मे लग गई जिससे मैं बहुत मज़े मे था

“दी अगर तुम कहो तो मैं इसे बाहर निकाल देता हूँ, और अच्छे से कर लेना” मैने उसे छेड़ा

“अब ज़्यादा मत बन, जैसे चल रहा है वैसे चलने दे वरना भाड़ मे गई वो पिक्निक” दीदी ने मुझे धमकाया

अब मैने भी चुपचाप रहने मे ही अपनी भलाई समझी और धीरे धीरे बाइक चलाते हुए दीदी के बूब्स और उसके हाथ का मज़ा लेते हुए अपने घर की तरफ बढ़ने लगा जहाँ आज रात शायद मुझे दीदी के बूब्स अपने हाथो से दबाने को मिलने वाले थे

Indian hindi sex story – Incest परिवार बिना कुछ नहीं – Part 2 -antarvasna sex story

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