Chudai मेरा परिवार और मेरी वासना – Part 1

अपडेट 2

अचानक एक ज़ोर की खड-खड की आवाज़ से मेरी नींद टूट गई बस रुकी हुई थी और उसका स्टाफ बस के नीचे घुस कर कुच्छ देख रहा था मैने टाइम देखा तो 5.40 हो गया था यानी अभी भी मेरा गाओं कोई 5-6 किमी दूर होना चाहिए था. मैं नीचे उतरा और आस पास
नज़रे घूमने लगा मार्च का महीना था और गर्मिया स्टार्ट हो गई थी अभी 6 बजने वाले थे लेकिन लग रहा था जैसे 4 ही बजे हो

“भाई लोगो बस खराब हो गई है और अभी इसका सुधारना मुमकिन नही है इसलिए अब आगे आपको पैदल ही जाना पड़ेगा” बस का ड्राइवर बोला जो अभी अभी बस के नीचे से निकला था

“लेकिन इतनी दूर हम पैदल कैसे जाएँगे” एक यात्री बोला

“मजबूरी है भाई, और वैसे भी 5 किमी ही तो चलना है और अगर किस्मत से कोई गाड़ी आ गई तो उस से लिफ्ट ले

लेना” ड्राइवर कंधे उचकाते हुए बोला

अब सभी सवारियाँ उस बस को कोसते हुए अपना समान निकालने लगी मैने भी अपना बॅग निकाला जो कि बहुत भारी था और बस से
नीचे उतर कर रोड की तरफ देखने लगा कि शायद कोई और गाड़ी आरहि हो लेकिन मुझे कोई गाड़ी आते दिखाई नही दी

“लगता है यहाँ नये नये आए हो बेटा तभी किसी गाड़ी का इंतजार कर रहे हो लेकिन बहुत किस्मत वाले हुए तो ही कोई गाड़ी मिलेगी वरना ये लास्ट बस थी” एक बुजुर्ग मुझसे बोला

“लेकिन बाबा कोई मोटर बाइक भी तो आ सकती है ना” मैं बोला

“हां वो तो आ सकती है लेकिन ज़्यादातर पर 2 सवारी ही होती है और अगर कोई अकेला भी हो तो शायद ही लिफ्ट दे क्योंकि रोड की हालत तो तुम देख ही रहे हो ऐसे मे कोई क्यों रिस्क लेगा इसलिए पैदल चलने मे ही समझदारी है” बुजुर्ग बोला और गाओं की तरफ बढ़ गया

अब तक लगभग सभी सवारियाँ जा चुकी थी मैने भी अपना बॅग उठाया और चलने लगा मेरा बॅग भारी था इसलिए मैं बहुत धीरे चल रहा था बाकी के लोग मुझसे बहुत आगे निकल गये थे थोड़ी देर बाद कुच्छ बाइक भी आई और मैने उनसे लिफ्ट माँगी लेकिन किसी ने भी गाड़ी
नही रोकी मैं समझ गया कि बुजुर्ग सही कह रहा था यहाँ लिफ्ट मिलना मुश्किल ही नही नामुमकिन दिख रहा था मैं मन मार कर पैदल
ही चलने लगा अभी मैं कोई आधा किमी ही चला था कि मुझे पिछे से किसी गाड़ी का हॉर्न सुनाई दिया मैने पिछे पलट कर देखा तो एक लड़की स्कूटी पर अकेली चली आरहि थी मेरी उम्मीद जागी कि मुझे लिफ्ट मिल सकती है लेकिन मैं कोई रिस्क नही लेना चाहता था तब तक स्कूटी बहुत पास आ गई थी मैं झट से कूद कर रोड के बीचो-बीच आ खड़ा हुआ और दोनो हाथ फैला कर उस लड़की को रुकने का इशारा करने लगा लेकिन शायद लड़की मेरे इस तरह अचानक रोड के बीच कूदने से घबरा गई और उसने पूरी ताक़त से ब्रेक दबा दिए जिससे स्कूटी अनबॅलेन्स्ड हो गई और रोड पर तिरछी हो गई ये तो अच्छा हुआ कि वो लड़की गिरी नही उसने जैसे तैसे स्कूटी खड़ी की और
तमक कर मुझसे बोली “मरने का इरादा है क्या या मुझे मारने का”

उसका मूह गुस्से से लाल हो चुका था

“वो…वो…सॉरी मिस लेकिन मेरा ऐसा कोई इरादा नही था वो मेरी बस खराब हो गई थी और मुझे गाओं तक जाना था उस पर यहाँ कोई लिफ्ट भी नही दे रहा था इस लिए मैने ऐसा किया” मैं शर्मिंदा होते हुए बोला

“तो क्या हुआ बस मे और भी तो लोग होंगे वो कैसे गये” लड़की अभी भी भड़क रही थी

“वो तो पैदल ही चले गये” मैने जवाब दिया

“जब बाकी लोग पैदल चल सकते है तो तुम क्यों नही चल सकते क्या कहीं के राजकुमार हो तुम” वो गुस्से से फन्फनाते हुए बोली

“नही ऐसी बात नही है दरअसल मेरा बॅग बहुत भारी है और मुझे आज तक कभी भी इतना पैदल नही चलना पड़ा इसीलिए परेशान हूँ,
प्ल्ज़ मुझे आगे गाओं तक लिफ्ट देदो” मैं खुशमदी लहजे मे बोला

“तुमने ये जो रोड पर कूदने वाली हरकत की है ना अगर ये ना करते तो शायद मैं तुम्हे लिफ्ट दे भी देती लेकिन अभी अभी मैं तुम्हारी वजह से मरते मरते बची हूँ इसलिए लिफ्ट को तो अब तुम भूल ही जाओ, चलो हटो रास्ते से मुझे जाने दो” वो अभी भी तमतमाई हुई थी

“लेकिन मैने उसके लिए सॉरी तो बोल दिया ना अब प्ल्ज़ मुझे लिफ्ट देदो” मैं गिडगिडाते हुए बोला

“नो वे” कहते हुए उसने स्कूटी स्टार्ट की और फुर्र से मेरे साइड से आगे निकल ली

‘तेरी माँ की चूत, साली मादरचोद इतना भाव खाती है जैसे स्कूटी नही प्लेन चला रही हो’ मैं मन ही मन बड़बड़ाया और मन मार कर आगे बढ़ने लगा

मुझे चलते हुए कोई 15 मिनिट हो गये शाम के 7 भी बजने वेल थे और अंधेरा धीरे धीरे अपने पैर पसारने लगा था और मेरा गाओं अभी कोई 2 किमी और दूर था तभी मुझे आगे वही स्कूटी और वो लड़की रोड पर खड़ी दिखाई दिए मेरी चाल थोड़ी बढ़ गयी की शायद कहीं मेडम का मूड चेंज हो गया हो

और वो मुझे लिफ्ट दे दे लेकिन जैसे ही मैं उसके पास पहुचा मेरी नज़र स्कूटी के पिच्छले पहिए पर पड़ी जोकि पंचर हुआ पड़ा था

मैं समझ गया कि साली मुसीबत में है बहुत बज रही थी कमिनि पड़ी सड़ने दे हराम्खोर को मैने सोचा और आगे बढ़ गया वो लगातार
उम्मीद भरी नज़रो से मेरी तरफ देख रही थी लेकिन कुच्छ बोली नही मैं चार कदम और आगे बढ़ गया कि तभी उसकी आवाज़ आई

“आए मिस्टर, तुम्हे लिफ्ट चाहिए थी ना” वो बोली

“लेकिन आप मुझे लिफ्ट कहाँ दे रही हो” मैं चलते हुए ही बोला

“लेकिन अब अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हे लिफ्ट दे सकती हूँ बस मेरी गाड़ी का टायर चेंज करना होगा” वो बोली

“सॉरी मैं ये नही कर सकता और वैसे भी अब गाओं आने ही वाला है” मैं बोला

“अभी कहाँ अभी तो गाओं 2 केयेम दूर है” वो बोली

“तो क्या हुआ जब मैं इतना चल चुका हूँ तो थोड़ा और सही” मैने जवाब दिया और आगे बढ़ गया

“सुनो – सुनो प्ल्ज़ मैं अपने किए पर सॉरी बोलती हूँ लेकिन प्ल्ज़ मेरी मदद कर दो अंधेरा होने वाला है और मुझे टायर चेंज करना नही आता प्ल्ज़ रुक जाओ”

अब वो मेरी मिन्नतें करते हुए बोली

अब तक मैं भी अपना भारी बॅग लादे चलते चलते थक गया था और उस पर उसने मुझसे माफी भी माँग ली थी इसलिए मैं रुका और पिछे मूड कर बोला “ये मत समझना कि मैं पैदल चलने की वजह से तुम्हारी हेल्प कर रहा हूँ असल मे बात सिर्फ़ तुम्हारी एक लड़की होने की है और उस पर अंधेरा इस लिए मैं तुम्हारी मदद कर रहा हू लेकिन उसके लिए भी मेरी एक शर्त है”

Adultery शीतल की हवस

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