शीतल बोली- “देख लीजिए वसीम चाचा, ये सब मेरी सुहागन होने की निशानियां हैं और सब आपके वीर्य से सनी हुई हैं। मेरी माँग में आपका वीर्य है। मैंने आपका वीर्य लगा मंगलसूत्र पहना हआ है। तो अब आप भी मेरे पति हए। सुबह जब आपने बाथरूम के पास अपना वीर्य गिराया था, तब अंजाने में मेरा मंगलसूत्र उसमें भीग गया था। अभी में जानबूझ कर आपके वीर्य को हर जगह लगा ली। अब आप मुझे रंडी समझकर चादिए या बीवी समझकर या रखेल समझकर। लेकिन अब मैं आपको ऐसे नहीं छोड़ सकती। अब मैं आपको तड़पने नहीं दूँगी.”
शीतल खड़ी हो गई और अपने पैटी बा ब्लाउज़ पेटीकोट को हाथ में ले ली और साड़ी को बस एक बार लपेट कर तेजी से चलती हुई सीढ़ी से नीचे उतर गई और अपने गम में आ गई। उसने दरवाजा बंद कर लिया और साड़ी को उतारकर फेंक दी और सोफे पे निढाल होकर लेट गई।
शीतल सोच रही थी- “अब तो मैं आपसे चुदवाकर ही रहंगी वसीम चाचा। मैं किसी और की हैं, इसलिए आपको गुनाह लगा ना। अब आपकी तड़प और बढ़ जाएगी और अब आप खुद का और रोकगे और अंदर ही अंदर तड़पेंगे। लेकिन मेरी भी जिद है की मैं आपका और नहीं तड़पने दूँगी। जब मैं इतना कुछ की तो और भी बहुत कुछ करेंगी।
शीतल बहुत गुस्से में भी थी और चिड़चिड़ाहट में भी थी। उसे ये उम्मीद नहीं थी। उसने सपने में भी नहीं सोचा था की ऐसा होगा। कहीं तो वो सोची थी की धीरे-धीरे बात करके वसीम को हल्का करने की कोशिश करेंगी, जिष्म दिखाना और फिर खुद को पेश करना तो आखिरी हथियार होगा, और शीतल इसके लिए भी तैयार होकर गई थी। लेकिन उसका ये बम्हास्त्र भी बैंकार हो गया वसीम प? अजीब पागल इंसान हैं। अपनी ही घुटन में मार जाएगा ये। क्या-क्या नहीं की मैं? खुद अपने कपड़े खोली, खुद को पेश कर दी, खुद को रंडी भी बोली। फिर भी असर नहीं हुआ उनपे। यहाँ तो लोग मौका टूटते हैं बात करने का और ये इंसान महानता की मूर्ति बना बैठा है?
शीतल बहुत बुरा महसूस कर रही थी। उसे लग रहा था की जिसके लिए मैं इतना कुछ कर दी, वो मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा। में खुद को रंडी बना ली। वसीम चाचा का लग रहा होगा की में सच में रंडी टाइप की गिरी हुई औरत हैं जो उनपे डोरे डाल रही है। ये शीतल का अपमान था। उसके रूप का उसके हश्न का अपमान था। शीतल ऐसी औरत थी जो अगर किसी को देखकर अच्छे से मुश्का दे तो उसका लण्ड पानी छोड़ दें, और यहाँ नंगी होने के बाद भी किसी ने उसे ठुकरा दिया था। अब शीतल को जिंद हो गई थी वसीम की। अब उसे वसीम से चुदवाना ही था।
शीतल के जाने के बाद वसीम ने दरवाजा बंद कर लिया और बैंड पर लेटकर आराम करने लगा। अभी बहुत तकलीफ में था वो। शीतल जैसी अप्सरा को बिना चोदे वापस भेजना बहुत दिलेरी का कम था। उसे अफसोस भी हो रहा था की चोदता नहीं मैं, लेकिन कुछ देर और तो मजे लेता उसके हश्न का। फिर उसके दिमाग में उसे समझाया की फिर खुद को रोक नहीं पता मैं। और मजा तो मुझे उसकी पूरी जवानी का लेना है। दो दिन भी नहीं रह पाएगी और फिर आएगी अपना नशीला बदन लेकर। अब वो मन से मेरी रांड हैं। मेरे लिए वो कुछ भी कर सकती है। सिर्फ मझें पं ध्यान रखना है की वो लोग घर खाली ना करें। हालौकी जाते वक़्त जो शीतल बोलकर गई तो अब तो नहीं हो जाएगी। आह्ह…. क्या रसीली चूत है साली की। कितना मजा आएगा उसे चोदने में? उम्म्म्म ।
शीतल अपने ख्यालों में खोई थी की उसका फोन बजा। उसकी बहन संजना का काल था की वो कल आ रही है एक हफ्ते के लिए। शीतल चिड़चिड़ाई हई थी तो वो ठीक से बात भी नहीं की और उसे आने से मना भी कर दी। वो नहीं चाहती थी की अभी कोई भी उसे वसीम से चुदवाने में डिस्टर्ब करे।
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थोड़ी देर बाद वसीम के जाने की आहट हुई। शीतल भी अपने ख्यालों से बाहर निकली और रूम में जाकर खुद को आईने में देखने लगी। उसके बाल बिखरे हुए थे और माँग में लगे वीर्य की वजह से सिंदूर पूरा फैला हुआ था। शीतल बाथरूम में जाकर नहा ली और फ्रेश हो ली। उसे अब आगे की तैयारी करनी थी। नहाने के बाद शीतल टाप और शार्टस में थी। वो कोई पैंटी बा नहीं पहनी थी।
विकास आया तो पूछा भी, तो वो बोली “गर्मी की वजह से नहीं पहनी हैं..”
शीतल की हिलती चूची को टाप के ऊपर से देखकर विकास का लण्ड टाइट हो गया था। उसे लगा था की शीतल वसीम के लिए ही बिना ब्रा के होगी और आज दोपहर में शीतल वसीम से चुदवा चुकी है, और तभी इस तरह रंडी बनी घूम रही है। शीतल की वसीम के साथ चुदाई की बात सोचकर ही विकास टाइट हो जाता था।
रात में सोते वक़्त विकास शीतल को सहलाने लगा और पहले टाप के ऊपर से उसकी चूचियों को मसला और फिर टाप को उठाकर चचियों को मसलने चूसने लगा। शीतल उसे बिल्कुल मना नहीं की। विकास ने शीतल के टाप को उतार दिया और फिर शार्टस को भी उतारकर शीतल के चमकते जिश्म को चमने सहलाने लगा। विकास ने अपने कपड़े भी उतार दिए और नंगा होकर शीतल के बदन से चिपक गया।
शीतल विकास का साथ नहीं दे रही थी लेकिन उसे मना भी नहीं कर रही थी। विकास परा मह में था। उसने शीतल की चुदाई स्टार्ट कर दी और दो-तीन मिनट में अपने वीर्य को शीतल की चूत में डालकर हॉफने लगा। वो शीतल के ऊपर ही लेटा हुआ था। अब विकास बगल में लेट गया। दोनों नंगे ही थे।
शीतल अब विकास की तरफ घूम गई। उसे विकास से बड़ी बात करनी थी तो उसके पहले उसे खुश करना जरूरी था। विकास जब चोद रहा था तो शीतल को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वो बस ऐसे लेटी थी की विकास अपना काम कर ले फिर वो अपना काम करेंगी।
शीतल बड़े प्यार से विकास के गाल पे हाथ रखकर बोली- “एक बात पुछु विकास?”
विकास- “पूछो…”
शीतल- “जो जो पलंगी उसका जवाब देना। सवाल मत करना प्लीज…”Adultery
विकास- “पूछो…”
शीतल- “कितना प्यार करते हो मुझसै?”
विकास- “ये कैसा सवाल हुआ जान? बहुत, बेतहा..”
शीतल- “अगर मैं तुमसे दूर हो जाऊँ तो..”
विकास- “ये कैसी बात कर रही है पागल। मैं तुम्हें दूर होने ही नहीं दूंगा..”
शीतल- “अगर मुझे कुछ हो गया तो तुम क्या करोगे?”
विकास- “क्या पागलों जैसी बातें कर रही हो, हुआ क्या है तुम्हें?”
शीतल- “जो पूछी वो बताओ ना, पलीज…”
विकास- “मैं पागल हो जाऊँगा, मर जाऊँगा। मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता जान.”
शीतल- “अगर तुम्हें मुझसे दूर होकर रहना पड़े तो कैसे रहोगे?”
विकास- “ये क्या हुआ है तुम्हें?”
शीतल विकास से चिपक गई- “प्लीज जवाब दो ना…”
औरत का नंगा जिस्म मर्द पै असर करता है। भले ही शीतल विकास की बीवी थी। लेकिन उसके विकास से चिपकते ही विकास इमोशनल हो गया था शीतल के लिए। सिर्फ वसीम पे असर नहीं पड़ा था शीतल के नंगे जिस्म का।
विकास- “पागलों की तरह रहूँगा। दुनिया से बेखबर।
शीतल- “और ऐसे में बहुत साल बीत जाने के बाद किसी तरह तुम खुद को सम्हाल चुके होते हो, और काई मेरे में भी खूबसूरत लड़की अपने पति के साथ तुम्हारे आस-पास आती है, उसे देखकर तुम्हें मेरी याद दिलाती है, तो क्या करोगे?”
विकास को कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
शीतल फिर से पूछी- “बोलो ना क्या करोगे?”
विकास- “कुछ नहीं करेगा। करेगा क्या, उनसे दूर रहने की कोशिश करूँगा…”
शीतल- “अगर दूर नहीं रह पाए। वो आस-पास ही रही तो। क्या उस लड़की से मेल मिलाप बढ़ाओगे?”
विकास- “कभी नहीं। मैं उनकी दुनियां क्यों बर्बाद करूगा? अपनी तरफ से भरपूर कोशिश करूगा की उनसे दूर रह, और अगर नहीं रह पाया तो खुद को मिटा लेंगा…”
शीतल की आँखों में संतोष के भाव आ गये। वो फिर से विकास के गाल पे हाथ रखी और बोली- “यही चीज वसीम चाचा कर रहे हैं। वो पहले से ही अकेलेपन की वजह से अंदर ही अंदर घुट रहे थे, हमारे आने के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। वो खुद को रोकने की कोशिश में खुद को मिटा रहे हैं…
विकास अच्छे से बैठ गया- “मतलब?”
शीतल भी बैठती हुई बोली- “वो बहुत समय में अकेले हैं। अब इतनं सालों के बाद में इस घर में आती हैं। इस शांत घर में रौनक छा जाती है। मेरी हँसी मेरी आवाज सब उन्हें पुराने दिनों में ले जाते हैं। मुझे में सब कुछ पता नहीं, मैं हमेशा जैसे रही वैसे ही रही। इन सब बातों से अंजान की मेरे माइर्न कपड़े, मेरी खिलखिलाहट किसी की जान ले सकते हैं। दिन-ब-दिन उनके लिए खुद को सम्हालना मुश्किल होता जाता है.’
विकास बड़े ध्यान से शीतल की बात सुन रहा था। वो सोचने लगा की “ता तुम चुदवा ली उससे। ये तो मैं जानता ही था। तेरी चूत की खुजली दिख रही थी मुझे। अरें डी, मर्द तो लण्ड हाथ में लेकर तैपार ही रहते हैं, जहाँ मस्त चूत मिले चोदने के लिए तैयार। अब मुझे क्यों बता रही है?” और विकास का लण्ड टाइट हो रहा था ये सब सोचकर। वो ऐसे बैठा की उसका लण्ड शीतल को ना दिखें।
विकास ने पूछा- “फिर? आगे बता अब की तू कैसे उसके लण्ड को अपनी चूत में ली?”
शीतल बोलना स्टार्ट को- “उन्होंने भी हमसे तो कुछ नहीं कहा, लेकिन उनके लिए बहुत मुश्किल हो रहा था अब। मुझे देखकर उनके मन के अरमान जाग गये थे, लेकिन वो नहीं चाहते की उनकी वजह से हमें कोई परेशानी हो। फिर ये बात मुझे पता चली तो मैंने कोशिश की की उनसे बातें करी, शायद उन्हें ठीक लगे, थोड़ी राहत मिले। लेकिन वो इंसान इतना महान है की मेरी लाख कोशिशों के बावजद मेरी और देखता तक नहीं। तुमने शायद नोटिस भी किया होगा की मैं हाट कपड़े पहनी तो भी, अकेले में उनके सामने गई तो भी, वो देखते भी नहीं मेरी और तो बातें क्या करेंगे? मुझे लगा भी की मैं ऐसे कपड़े पहन रही हैं या उनसे जबरदस्ती बात करने की कोशिश कर रही हैं तो कहीं वही या तुम ही मुझे गलत ना समझ लो। फिर भी मैं ऐसा की की जो भी होगा देखा जाएगा, लेकिन उनकी मदद तो हो जाएगी। लेकिन उन्हें लगता है की वो मेरे जितने करीब आएंगें उनके लिए खुद को रोकना बहुत मुश्किल होगा। इसलिए वो मुझसे और दूर रहते हैं। लेकिन मैं उनकी तड़प को देख सकती हैं, महसूस कर सकती हैं…”
विकास को शीतल की बात सुनकर बद पे बुरा लगा की वो अपनी बीवी के बारे में क्या-क्या सोचने लगा था।
शीतल फिर बोलना स्टार्ट की- “वसीम चाचा सच में बहुत महान हैं। कहीं तुम भी मुझे गलत मत समझ लो, लेकिन जब में उनसे पूछी की आप मुझसे बात क्यों नहीं करते, करते तो शायद आपको राहत मिलती.”
वसीम चाचा बोले- “तुमसे दूर रहता हूँ तब तो इतना मुश्किल है जीना, अगर बातें करी या देखू तो शायद खुद को रोक ना पाऊँ और तुम्हें पकड़ ही लें…
मैं बोली भी की. “ता पकड़ लेते…”
वसीम चाचा बोले- “मैं किसी के साथ गलत नहीं कर सकता..”
विकास सोचने लगा की शीतल सही कह रही है। ये तो मैंने खुद देखा है की शीतल की कोशिशों के बाद भी वसीम चाचा उसकी तरफ देखते भी नहीं थे। मेरी बीवी होने के बावजद मेरी आँखें फटी रह जाती थी, लेकिन वो नहीं देखते थे। मैं भी कितना पागल हैं जो क्या-क्या सोचने लगा था। ओहह… शीतल तुम कितनी अच्छी हो।
आई लोव यू। खामखा मैं तुमपे शक कर रहा था और बुरा सोच रहा था। तुम तो किसी की मदद कर रही थी?Adultery
फिर विकास ने शीतल से पूछा- “तो अब… अब क्या चाहती हो तुम?”
शीतल- “मैं उनकी मदद करना चाहती हैं। ये सब मेरी वजह से हुआ है। या ता कहीं और घर ले लो, जिससे हम उनसे दूर हो जाएं तो फिर उन्हें ठीक लगेगा या जैसा भी लगेगा मेरे सामने तो नहीं होगा। और नहीं तो फिर कुछ ऐसा करो की हम उनकी मदद कर पाएं। मैं किसी भी तरह उनकी मदद करना चाहती हैं। मैं नहीं चाहती
की कोई मेरी वजह से तड़पता रहे..” कहकर शीतल विकास की गोद में जा गिरी और उसके कंधे पे सिर रख दी।
विकास शीतल को सहलाता हुआ बोला- “इतनी जल्दी घर टूटना आसान नहीं है। और वैसे भी अगर तुमनें उनकी साई तमन्नाओं को जगाया है तो तुम्हारे दूर जाने से भी वा कम नहीं होगा। हाँ ये अलग बात है की तुम्हारी नजरों के सामने नहीं होगा। अब ये बताओं की किस तरह उनकी मदद करना चाहती हो?”
शीतल- “किसी भी तरह। मैं नहीं चाहती की मेरी वजह से कोई इंसान तड़प…”
क्या लगता है की तमसे बात कर लेने से उनकी घटन कम हो जाएगी? जान तमने उनकी बीवी की यादों को जगाया है। सही कहा है उन्होंने, बात करने के बाद उनके अरमान और जागेंगे। उनके लिए खुद को गोकना और मुश्किल हो जाएगा..”
शीतल- “तो में कुछ भी करूंगी लेकिन उन्हें घुट-घुटकर जीने नहीं दूँगी..”
विकास ने शीतल के सिर को कंधे से उठाया और उसकी आँखों में झाँकता हुआ बोला- “तो फिर एक ही उपाय है। तुम्हें अपना जिश्म उसे सौपना होगा। वसीम चाचा के साथ सेक्स करना होगा..” और बोलते-बोलते विकास का लण्ड टाइट हो गया।
शीतल कुछ नहीं बोली। मन ही मन वो सोची- “बाकी सारे उपाय करके मैं देख चुकी हैं और यही आखिरी उपाय है की मैं वसीम चाचा से चुदवाऊँ। वो मेरे जिस्म को चंडी की तरह रौंद डाले, मसल डालें, मैं तैयार हैं इसके लिए। लेकिन उस देवता समान महान इंसान को तुम्हारी मंजूरी चाहिए। अगर हर इंसान उनकी तरह खुद पे काबू पाना सिख जाए तो ये नियां स्वर्ग बन जाए?”
विकास फिर बोला “बोलो, यही एकलौता उपाय है की तुम उससे उसकी मर्जी के हिसाब से चुदवा लो। तभी वो राहत महसूस कर पाएगा…”
शीतल थोड़ी देर चुप रही फिर बोली- “मैं क्या करेंग। मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा। अगर उन्हें कुछ हो गया या कुछ कर लिया तो ये पूरी तरह से मेरा गुनाह होगा..”
विकास भी थोड़ी देर चुप रहा। उसका लण्ड टाइट होने लगा। वो एक लम्बी सांस लिया और बोला- “अगर तुम उसे अपना जिस्म सौंपने के लिए तैयार हो तो मैं तुम्हारे साथ हैं। मुझे अपनी बीबी पे भरोसा है। अगर तुम्हारे चुदवा लेने से वसीम चाचा जैसा महान इंसान अपनी जिंदगी फिर से जी सकता है, तो मुझे कोई एतराज नहीं। मुझे खुशी है की तुम अपना तन देकर भी किसी की मदद करना चाह रही हो। तुम मेरी पमिशन से ये कर रही हो ता में हर कदम पें तुम्हारे साथ हूँ..”
शीतल खुश होती हई विकास के माथे को चूम ली- “क्या सच? मुझे पता था आप मेरा यकीन करेंगे। आप समझेंगे मुझे। ये बहुत बड़ी बात है विकास। आप भी बहुत महान हैं…”
विकास ने भी शीतल के माथे पे किस किया, और बोला- “महान मैं नहीं तुम हो। तुम अगर मुझे बिना बताए वसीम चाचा से चुदवा लेती तो मुझे तो पता भी नहीं चलता कुछ। लेकिन तुमने मुझसे सलाह ली, में पमिशन ली ये बड़ी बात है…”
शीतल बोली- “मैं तो ये सोच रही थी की अगर मैं किसी इंसान को एक बार खुद को दे दं, और इससे उसकी जिंदगी बदल जाए तो मुझे में करना चाहिए। अगर मैं अपना जिशम देकर उनकी खोई खुशियां वापस ला पाऊँ तो मुझे खुशी होगी..”
विकास साचने लगा की- “अगर ये बिना मुझे बताए वसीम से चुदवा लेती ता में क्या करता? मैं तो सोच भी
चुका था की दोनों खूब चुद रहे होंगे। तो अब मेरी 23 साल की जवान खूबसूरत हिंदू बीवी 50 साल के बूढ़े मोटे काले से चुदगी..”
शीतल बेड से उत्तरकर बाथरूम जा चुकी थी और विकास अपने टाइट लण्ड को सहलाने लगा था। अब भला विकास को कौन समझाए की शीतल गई तो भी बिना उसके पमिशन के ही चुदबाने। और चुद भी गई होती अगर वसीम ने बड़े शिकार के लिए छोटी कुर्बानी ना दी होती तो।
शीतल बाथरूम में सोचने लगी की- “अब कहाँ बचकर जाओगे वसीम चाचा। अब तो आपको मुझे चोदना ही होगा। बहुत वीर्य बहाया है आपने मेरी पैंटी ब्रा पे, अब तो मेरी चूत में बहाना ही होगा?”
शीतल बाथरूम से आई और नंगी ही सोने लगी। उसकी चूत में चीटियां चल रही थी। विकास ने उसे चोदकर उसकी प्यास को और बढ़ा दिया था। लेकिन विकास में चुदवाना उसकी मजबूरी थी, नहीं तो विकास से वो वसीम से चुदवाने की पर्मिशन नहीं ले पाती। अपने पति को इस बात के लिए मनाना की में किसी और मर्द से चुदवाना चाहती हैं, मामूली काम नहीं था। लेकिन में वसीम के वीर्य का जादू ही था जो शीतल इस काम को भी कर ली। अब शीतल अपने पति की पमिशन लेकर वसीम से चुदवाने बाली थी।
शीतल सोच रही थी- अब तो वसीम चाचा मना नहीं कर पाएंगे। हाय मेरा तो मन कर रहा है की मैं अभी ही इसी तरह उनके रूम में चली जाऊँ। वो तो मुझे नंगी देखते ही बिफर पड़ेंगे और जाने को कहेंगे। फिर मैं हँसती हुई विकास को आवाज दूँगी और विकास कहेगा की वसीम चाचा आप मेरी बीवी को चोदिए। अब ये मेरी बीवी नहीं आपकी रंडी है। फिर मैं वसीम चाचा से लिपट जाऊँगी और तब तो वो मुझे चोदेंगे ही। उफफ्फ… अब उनका बड़ा सा लण्ड मेरी चूत में जाएगा। आह्ह… वसीम चाचा, फाड़ डालना मेरी चूत को अपने मसल लण्ड में। रौद्ध डालना मुझे, कोई रहम मत करना आपनी रंडी पे। जो जो करना हो सब करना। कोई अरमान बाकी मत रखना… शीतल सोचती जा रही थी और उसकी चूत गीली हो गई थी।
शीतल फिर से बाथरूम गई और अच्छे से बैठकर चूत में उंगली अंदर-बाहर करने लगी। उसका जिश्म जल रहा था। शीतल अपनी चूत से पानी निकाल ली। वो थोड़ी देर वहीं बैठी रही। फिर साम नार्मल हाने पे बेड पे आई।
लेटे-लेटे वो सोचने लगी की. “यं क्या हो गया है मुझे? क्या मैं वसीम चाचा से चुदवाने के लिए परेशान हैं। मैं तो उनकी पोशानी देखकर उनकी मदद करना चाहती थी। लेकिन ये क्या हो गया है मुझे जो में चुदबाने के लिए परेशान हो रही हैं। क्या सच में मैं रंडी बन गई हैं। हो, तभी तो में ऐसे कर रही हैं। किसी की मदद के लिए कोई रूपया पैसा देता है, या और कुछ करता है, लेकिन रंडी बनकर चुदवाने नहीं लगता।
मैं वसीम चाचा का वीर्य सूंघकर और उनका मोटा लण्ड देखकर पागल हो गई हैं। जब से उनका लण्ड देखी हैं तो या तो बिकास से चुदी ही नहीं और अगर चुदी तो मजा बिल्कुल नहीं आया। अगर मुझे चुदवाना नहीं था तो फिर मैं क्यों पागल थी वसीम चाचा को अपना जिश्म दिखाने के लिए? क्यों मैं उनसे चिपट गई और खुद अपने कपड़े उतारी। उसके बाद भी जब उस महान इंसान में नहीं चोदा, तो उनसे चुदवाने के लिये उन्हें कैसे-कैसे समझा रही थी। खुद को रंडी तक साबित कर ली? शीतल का सच उसके सामने आ गया था। इतने दिनों से वो खुद से झूठ कहे जा रही थी।
लेकिन अब जब वसीम से चुदवाने के रास्ता पूरा क्लियर है तो उसके अच्छे मन ने आखिरी आवाज लगाई है उसे “छीः मैं कितनी गंदी जो गई हैं। मैं अपने पति से धोखा करने चली गई थी। निग्लज्ज की तरह खुद को रंडी बनाकर वसीम चाचा के आस-पास मंडरा रही थी की किसी तरह वा मुझे चोद दे। भला हो उस इंसान का की उसने मुझे नहीं चोदा, नहीं तो मैं कहीं की नहीं रहती। उफफ्फ… मैं अपने पति तक को मना ली अपनी ही चदाई किसी और से करवाने के लिए। और विकास को भी तो मना करना चाहिए था। औह विकास सच में आप कितने महान हैं जो अपनी घटिया बीवी में इतना भरोसा करते हैं की उसे किसी और से चुदवाने की भी पमिशन दे दिए। नहीं विकास आपसे पमिशन लेना मेंरी मजबूरी थी, नहीं तो अगर वसीम चाचा ऐसा नहीं करते तो मैं तो उनसे चुद भी चुकी होती। मुझं तो खुद पे घिन्न आ रही है की मैं किसी और से चुदवाने के लिए क्या-क्या कर रही
हैं?”
शीतल पूरी तरह से बैचैन हो गई- “नहीं, मैं ये नहीं कर सकती। शुक है भगवान की मैं अभी तक चुदी नहीं हैं। मेरे लिए गैर-मर्द के बारे में सोचना भी पाप है और मैं यहाँ गैर-मर्द से चुदवाने के लिए इतने जतन कर रही थी। लेकिन अब मुझं खुद को सम्हालना होगा। मैं चुदवा नहीं सकती किसी और से। वसीम चाचा का जो होना है वो हो। मदद करने का मतलब जिस्म सौपना नहीं होता। मैं उनसे बात कर सकती हैं, उन्हें समझा सकती हैं, लेकिन और कुछ नहीं कर सकती। शुक्रिया भगवान जी की आपने मुझे सम्हाल लिया। बचा लिया मुझे अपवित्र होने से…” और शीतल साचते-सोचते सो गईं।
आज विकास की नींद सकें खुल गईं। दरअसल वो रात में चैन से सो ही नहीं पाया था। वो शीतल और वसीम के बारे में अक्सर बहुत कुछ सोचता रहता था और जब भी सोचता था उसे बहुत मजा आता था। और अब तो उसकी उत्तेजना का ठिकाना नहीं था की उसकी 23 साल की बीवी 50 साल के मर्द से चुदेगी।
शीतल अभी तक जंगी ही सो रही थी। विकास उसके चिकने जिश्म को गौर से देखने लगा और सोचने लगा की वसीम कैसे-कैसे क्या करेगा? उफफ्फ… वसीम चाचा तो पागल जो जाएंगे मेरी बीवी को पाकर। कितना रोमांचक होगा जब गौरी शीतल और काला वसीम एक दूसरे में लिपटै चिपतें चुदाई कर रहे होंगे। उफफ्फ.. मुझे कुछ करना होगा ताकी में इस चुदाई का लाइव देख सकूँ। मुझे पता होना चाहिए की ये लोग कहाँ चुदाई करेंगे और कब? उफफ्फ… जिस चीज के बारे में सोचकर मेरा लण्ड टाइट हो जाता था वो अब सच में होने वाला है। मैं इसे मिस नहीं कर सकता।
विकास बाथरूम से फ्रेश होकर आया। तब तक शीतल भी जाग चुकी थी। वो खुद का ऐसे नंगी पाकर शर्मा गई।
वो जब जागती थी तब विकास सोया रहता था, तो कोई बात नहीं थी, लेकिन विकास को जगा हआ पाकर वो शर्मा गई और जल्दी से उठकर अपनी नाइटी पहन ली।
शीतल अपने डेली रुटीन में लग गई। बिकास को जगा देखकर वो परेशान हो रही थी की कहीं विकास इसलिए तो नहीं जाग गयें की मैं आज वसीम चाचा के साथ चुदवाने वाली हैं? और ये बात उन्हें परेशान कर रही होगी। विकास मुझसे बहुत प्यार करते हैं इसलिए मेरे कहने पे पमिशन तो दे दी, लेकिन इस बात को बर्दस्त नहीं कर पा रहे होंगे और परेशान होंगे। अपनी बीवी को किसी और के पास चुदवाने के लिए भेजना मामूली बात है क्या? ये अलग बात है की उन्होंने मुझे आज तक कभी किसी चीज के लिए मना नहीं किया, कभी कोई बंदिश नहीं लगाई मरे पे, फिर भी किसी और में चुदवाने की पमिशन देना तो बहुत बड़ी बात है। नहीं विकास, आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। आपकी बीवी आप ही की रहेगी, किसी और की रंडी नहीं बनेंगी। मैं उनसे चुदवाने नहीं जा रही। और चुदवाने तो क्या मैं उनके आस-पास भी नहीं जाने वाली। आप जल्दी से कोई दूसरा घर देख लीजिए और हम यहाँ से दूर होकर सुकून से अपनी दुनियां में जियेंगे।
शीतल नहाने के बाद पजा करने लगी और वहाँ भी उसने भगवान का शुक्रिया अदा किया की “आपने मुझे बचा लिया प्रभु, मुझे सच्ची राह दिखाना, मुझे और मेरे पति को एक साथ रखना और हमेशा खुश रखना…”
विकास शीतल के लिए चाय लिए तैयार था।
शीतल विकास के हाथ से चाय लेते ही बोल दी की. “मैं वसीम चाचा से नहीं चुदवाऊँगी..”
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विकास के तो सारे सपने टूटकर बिखर गये, और कहा- “क्यों, अचानक क्या हो गया?” विकास खुद को नार्मल दिखाते हुए ही बोला।
शीतल. “कुछ नहीं, लेकिन मैं उनके पास नहीं जाने वाली… शीतल ने मजबूती से अपना जवाब सुना दिया।
विकास. “रात में खुद इतना कुछ बोली, मुझे इतना समझाई और फिर सोकर जागी तो मूड चेंज। अब वसीम चाचा की हेल्प नहीं करनी क्या?”
शीतल- “मैं अभी भी उनकी हेल्प करना चाहती है, क्योंकी वो मेरी वजह से परेशान हैं, लेकिन इस तरह से नहीं। में किसी गैर-मर्द के साथ सेक्स नहीं कर सकती…’ बोलती हई शीतल किचन में चली गई। उसका फैसला मजबूत था। रात में चूत से पानी निकालने के बाद उसके संस्कार पूरी तरह से जाग गये थे।
विकास बेचारा क्या करता? कहा- “जैसी तुम्हारी मर्जी। मैं उस फैसले में भी तुम्हारे साथ था और अभी भी है.” कहकर बिकास उदास हो गया था। आज सनडे था तो उसे आफिस नहीं जाना था। विकास सोने चला गया और सो गया।
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