वसीम बैंड पे लेटते ही अपने लण्ड को फ्री किया और सहलाने लगा। उसकी हथेली में शीतल की नंगी चूचियों की एअन अब भी थी। उसकी आँखों के सामने शीतल की नंगी चूचियां चमक रही थीं। उफफ्फ.. आग भर गई है रांड की चूत में। अब ये पूरी तरह तैयार है और अब इसे छोड़ना होगा, नहीं तो कहीं ऐसा ना हो की देर हो जाए। बस एक-दो दिन और फिर उसके बाद तो त मेंरी पालत कृतिया बनकर मेरे इशारों में नाचेंगी। वसीम अपने लण्ड को सहलाता हवा सो गया।
शीतल रोज की तरह सवेरे जाग कर घर में झाइ की और फ्रेश होकर नहाने चली गई। विकास भी रोज की तरह सो रहा था लेकिन शीतल की आहट सुनकर वसीम की आँखों से नींद उड़ चुकी थी। वसीम सोने की आक्टिंग करता हुआ शीतल पे ही नजर रखे हुए था।
थोड़ी देर में वसीम उठा ता उसे लग गया की शीतल बाथरूम में है और विकास सो रहा है। उसके लिए मौका अच्छा था। वसीम एप कर शीतल के बाथरूम में झोंक कर देखने लगा। अंदर उसकी होने वाली रांड़ पूरी नंगी थी। उसका गोरा जिश्म पानी में भीग कर चमक रहा था। सुडौल चूचियां जवानी के नशे में टाइट थी, जिसे कल वसीम ने मसला था, भले एक ही बार मसला हो। मौका ता भरपूर था उसके पास लेकिन तब सही चाल नहीं होती बो। चूची के नीचें चिकना सपाट पेंट चूत तक जिस रात में वसीम अच्छे से सहला चुका था, लेकिन मजा तब आता जब वो अपने हिसाब से पेट को सहलाते हुए चमता भी और चूची चूत भी मसलता। चूत पूरी चिकनी थी, एक भी बाल नहीं। वसीम के लण्ड के लिए सीधा चिकना रास्ता, चिकनी जांचें। शीतल शाका के नीचे थी और पानी उसके जिश्म को भिगाता हुआ नीचे उतर रहा था।
वसीम ने एक नजर विकास पे डाला, तो वो सो रहा था। वसीम ने अपने लण्ड को बाहर निकाला और सहलाने लगा। आज पहली बार उसने शीतल के नंगे जिएम को देखा था। वसीम कई बार शीतल के नाम की वीर्य गिरा चुका था। लेकिन आज वो जंगी उसके सामने थी। वसीम मूठ मारने लगा। अंदर शीतल का नहाना हो चुका था और वसीम का वीर्य गिरने वाला था। वसीम ने बाथरूम के दरवाजा में ही डार मैट्रेस के बाद नीचे टाइल्स में अपना वीर्य गिरा दिया। वीर्य बर्बाद नहीं होना चाहिए। शीतल को पता चलना चाहिए की यहाँ पे वसीम खान ने उसे नहाता देखकर फिर से अपना वीर्य गिराया है। वसीम अपने रूम में चला गया जिसमें वो रात में सोया था
और कुपकर देखने लगा।
थोड़ी देर में बाथरगम का दरवाजा खुला और शीतल नजर आई। शीतल किसी अप्सरा की तरह नजर आ रही थी। कमर के नीचे बैंधी कीम कलर की साड़ी, स्लीवलेश ब्लाउज़ और उसके बीच में सिंगल लाइन में आँचल, जिससे शीतल का एक उभर झाँक रहा था। गीले बाल इस हश्न को और बढ़ा रहे थे।
शीतल बाथरूम से निकलकर मट्रेस में पैर पॉछी और जैसे ही कदम बढ़ाई की उसका पैर वसीम के वीर्य में पड़ा। चिपचिप करते ही वो नीचे देखी तो उसे कोई चमकदार सफेद लिक्विड जमीन पे गिरा हुआ दिखा। उसकी धड़कन तेज हो गई। वो अच्छे से देखने लगी और फिर कन्फर्म होने के लिए बा बैठकर देखने लगी। उफफ्फ… तो क्या वसीम चाचा मुझे नहाता देख रहे थे? ये सोचकर शीतल शर्मा गई की वसीम ने उसे नंगी नहाता हुआ देख लिया हैं। उसे लगा की कल रात उन्होंने खुद को तो रोक लिया, इसलिए उनकी प्यास अब और बढ़ गई होगी। वो मेरे पेट को सहला तो रहे थे लेकिन मजा नहीं लिया, क्योंकी उन्होंने अपनी फीलिंग्स को दबा रखा है। कोई बात नहीं वसीम चाचा, मैं भी देखती है की आप और कितना दबाते हैं खुद को।
कल रात तो आपने मेरी चूचियों में हाथ हटा लिया था, देखती हैं की क्या-क्या हटाएंगे और खुद को कितना तड़पाएंगे? मुझसे दूर रहेंगे और छिपकर बीर्य गिराएंगे, ये कौन सी बात हई? अगर अभी भी आपका डर शर्म मुझसे खतम नहीं हुआ है तो अब होगा। अब मेरा रण्डीपना और बढ़ेगा और तब देखेंगी की आप खुद को कितना रोकते हैं, और कैसे रोकते हैं? लेकिन एक बात तो तय है की आप बहुत महान इंसान हैं। इतने में तो कोई भी मर्द अब तक बिक गया होता मेरे ऊपर। इसलिए अब मुझे भी जिद होती जा रही है आपको खोलने की।
शीतल उंगली से वीर्य को उठाई और उठाते हुए मुँह में चाटने लगी। वो फिर से ऐसा की और जब उसका मन नहीं भरा तो बो जमीन को चाटकर बीर्य चाटने लगी। उसकी चूत गीली होती जा रही थी। वो जब झुक कर बीर्य चाट रही थी तो उसके मंगलसूत्र पे भी वसीम का वीर्य लग गया था। जब सारा वीर्य चाटने के बाद बा खड़ी हुई तो उसका ध्यान मंगलसूत्र में लगे वीर्य में गया, जो ब्लाउज़ के ऊपर भी थोड़ा सा लग गया था। उसके सुहाग की निशानी में किसी और का वीर्य लगा है, ये सोच में उसे अंदर से पूरी तरह गोला कर दिया। वो मंगलसूत्र को साफ नहीं की। उसने सोचा की पटी ब्रा तो बहुत बार वीर्य में भरी थी, आज मंगलसूत्र को भी वीर्य लगा ही रहने देती हैं।Adultery
वसीम शीतल को अपने रूम में देख रहा था और शीतल की हालत देखकर उसे खुद में गर्व हआ की अब शीतल मन से उसकी रांड़ बन चुकी है, और अब बस उसके तन पे कब्जा करना बाकी है। वसीम ने अपने लण्ड का अइजस्ट किया और बेड में लेट गया।
शीतल रूम में आकर चेहरे में क्रीम लगाई और फिर आँखों में काजल और होठों में लिप-उलास। ये उसका रोज का नियम था। उसने सिर की डिब्बी को हाथ में लिया और अपनी माँग में भरने जा रही थी की उसे कुछ ख्याल आया। वो अपने मंगलसूत्र पे लगी वीर्य को उंगली में लगाई और अपनी मौंग में भर ली। आह्ह… पता नहीं क्या हुआ लेकिन उसे बहुत मजा आ रहा था। उसने पूरे मंगलसूत्र के वीर्य को अपनी माँग में भर लिया और फिर सिंदूर लगा ली। सिदर शीतल की मांग में लगे वीर्य से चिपक गया। शीतल माथे में लाल कुमकुम लगा ली।
वो आईने में खुद को निहार रही थी। उसकी पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी।
शीतल मन ही मन सोच रही थी- “लीजिए वसीम चाचा, अब तो मेरे मंगलसूत्र और माँग में भी आपका वीर्य लग गया। अब तो एक तरह से आप भी मेरे पति हुए। अब तो मेरे पूरे जिश्म में आपका भी हक है और मैं चाहकर भी आपको मजा नहीं कर सकती। अब तो मुझसे शर्माना छोड़ दीजिए और खुलकर जी लीजिये अपनी जिंदगी.” शीतल मुश्कुराते और शांत हुए रूम से बाहर आ गई।
आज वो पूजा नहीं की और किचन में जाकर चाय बनाने लगी। वो चाय लेकर पहले वसीम के कमरे में गई, जहाँ वसीम को सच में नींद आ गई थी। शीतल उसे सोता देखकर सोच रही थी- “अभी मझें नंगी नहाते देखें और वीर्य गिराए, तब तो बहुत मजा आ रहा होगा जनाब को। लेकिन अभी सोने की आक्टिंग कर रहे हैं…”
उसका मन हुआ की वसीम के साथ कुछ करें लेकिन फिर वो सोची की अभी सही वक़्त नहीं है। विकास घर में हैं, और में कुछ बोलें अगर तो मैं कुछ बोल नहीं पाऊँगी। दोपहर का वक़्त तो अपना है आज। उसने फार्मल आवाज में कहा- “क्तीम चाचा गुड मानिंग, उठिए चाय हाजिर है, उठिए उठिए…”
वसीम को बहुत मजा आया। बरसों से किसी ने उसे इस तरह नहीं जगाया था। वो आँखें खोलकर शीतल को देखा तो मेकप के बाद शीतल और हसीन लग रही थी। वो शीतल को देखता ही रह गया की शीतल शर्मा गई।
वसीम ने नजरें नीची कर ली और उठकर बैठ गया।
शीतल उस रूम से निकालकर अपने रूम में गई और विकास को भी जगाई। दोनों जाग कर बाहर आ गयें और सोफे में बैठ गये। शीतल दोनों को मानिंग ताय सर्व की।
वसीम के कप उठाते ही वसीम का हाथ थोड़ा हिला।
शीतल तुरंत ताना मारी- “सम्हल कर वसीम चाचा, जमीन पे मत गिराइए.”
वसीम समझ गया की रांड़ क्या बोल रही है। लेकिन वो सिर झकाए चाय पीने लगा।
नाश्ता करके विकास और वसीम अपने-अपने कम पे चले गये और शीतल सोचने लगी की क्या किया जाए? अब वो और देर नहीं करना चाह रही थी। उसने सोच लिया की आज दोपहर में उसे वसीम से बात कर ही लेनी हैं, क्याकी कल सनडे है। कल विकास घर में रहेंगे तो फिर बात नहीं हो पाएगी। अब उसकी हिम्मत बहुत बढ़ गई थी। शीतल दोपहर का इंतजार करने लगी। दोपहर में जब वसीम घर आया, तब तक शीतल मन बना चुकी थी।
वसीम घर आया तो उसने आज भी शीतल का दरवाजा अंदर से ही बंद देखा। उसे आज बुरा नहीं लगा क्योंकी उमें 100 फीसदी यकीन था की आज शीतल उसके पास जरर आएगी। वो अपने रूम में गया और लंगी गंजी पहनकर बाहर आ गया।
शीतल टाइम का अंदाजा लगाकर थोड़ी देर बाद छत पे चली आई। वसीम अभी शीतल की पैटी को हाथ में लिया ही था की शीतल वहाँ पहुँच गई।
शीतल- “वसीम चाचा ये क्या कर रहे हैं आप?”
वसीम ने ऐसी आक्टिंग की जैसे हड़बड़ा गया हो- “कुछ नहीं। ये तो बस नीचे गिर गया था तो उठा दे रहा था…”
शीतल वसीम की हड़बड़ाहट देखकर मुश्कुरा दी। वो नहीं चाहती थी की उसके देख लेने में वसीम अपराधी महसूस करें। मुश्कुराती हुई शीतल बोली- “मुझे सब पता है की रोज आप मेरी पैंटी के साथ क्या करते हैं? मुझे में भी पता है की आज सुबह आपने क्या किया है?”
वसीम चुपचाप नजरें झकाए खड़ा था। वो ये सब भाषण के लिए तैयार था। तभी तो वो अपनी चाल को और आगे बढ़ाता और शीतल उसमें वसीम की पालतू कुतिया बनने के लिए अपने आपको फंसाती।
शीतल वसीम के करीब आते हए बड़े प्यार से और समझाने के लहजे में बोली “मुझे पता है वसीम चाचा की आप बहुत अरसे से अकेले हैं और मैंने यहाँ आकर आपकी साई तमन्नाओं को जगा दिया है। मुझे आपके बारे में कुछ पता नहीं था इसलिए मैं जैसे बहती थी वैसे ही हमेशा रहती रही। मुझे पता है की हर मर्द के जिम की अपनी जरूरतें होती हैं, भला में क्या करती? मेरी क्या गलती की मैं खूबसूरत हैं? मैं बचपन में ऐसे ही कपड़े पहनती आई है। लेकिन जब से मुझे आपकी हालत पता चली है में खुद को आपके सामने लाने से बचती रही…”
वसीम फिर भी चुप रहा।
वसीम ने एक पल के लिए शीतल के होठों को छोड़ा और फिर से चूसने लगा। वो शीतल की जीभ को चूस रहा था। ये सब नया अनुभव था शीतल के लिए और उसका जिम पिघलता जा रहा था।Adultery
वसीम ने शीतल के होठों को छोड़ा और गाल गर्दन पे किस करता हुआ बोला- “हाँ शीतल… मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ, तुम्हें छूना चाहता हूँ, चूमना चाहता हूँ, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ, मसलना चाहता हूँ, चाहता हूँ की वैसे चोदूं जैसे एक बडी को चोदा जाता है लेकिन कोई गलत नहीं करना चाहता..”
शीतल भरपर साथ दे रही थी वसीम का। उसने अपनी साड़ी की गाँठ को खोल दिया तो साड़ी नीचे गिर पड़ी। शीतल ने पेंटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया और वा भी शीतल के कदमों में जा गिरी। 23 साल की शीतल अब पैटी और ब्लाउज़ में थी और 50 साल का वसीम सिर्फ गजी में।
शीतल- “तो देखिए ना, चूमिए, चूसिए, मसलिए, चोदिए मुझे। रंडी की तरह चोदना चाहते हैं तो रडी की तरह चोदिए। मैं आपके लिए रंडी बनने को भी तैयार हैं। आपसे बात करने के लिए और आपको दिखाने के लिए रंडी बनी ही तो घूमती हैं आजकल आपके आगे-पीछ… कहकर शीतल अपने ब्लाउज़ का हक खोलने लगी।
शीतल खुद से अपने कपड़े इसलिए उतार रही थी की वसीम को शमिंदगी का सामना ना करना पड़े। वसीम को ये ना लगे की उसने गलत किया है। शीतल बल्लाउज़ का हक खोल दी और अब उसकी बा चूचियों को कैद किए दिख रही थी। शीतल वसीम के लण्ड को हाथ में लेना चाहती थी लॉकन वो ऐसा कर नहीं पाई। उसे शर्म आ रही थी।
वसीम फिर से शीतल के होंठ चूम रहा था और शीतल के ब्लाउज़ और ब्रा को ऊपर उठा दिया और बाहर आ चुकी नंगी चूचियों को मसलने लगा। दोनों को करेंट जैसा लगा। वसीम कस के चूचियों को मसलने लगा।
शीतल आहह … करती हुई वसीम के लण्ड को पकड़ ली- “उफफ्फ.. देखने में जितना बड़ा लगता है ये तो उससे बहुत बड़ा है। ये चूत में जा पाएगा क्या?”
वसीम ने शीतल को खड़े-खड़े ही गोद में उठा लिया और बैंड में गिरा दिया। शीतल बैंड पै सीधी लेट गई और वसीम ने भी अपनी गंजी को उतार दिया और शीतल के ऊपर लेट गया। वो शीतल की चूची चूसता हआ उसके गारे चिकने बदन को सहला रहा था। उसने शीतल के ब्रा के हक को खोल दिया और बाउज़ ब्रा को उतार दिया। शीतल अब ऊपर से नंगी थी। वसीम शीतल के पेट जाँघ को सहला रहा था और चूचियों को चस और मसल रहा था। वसीम ने शीतल की पैंटी को भी नीचे खींच लिया तो शीतल ने कमर उठाकर वसीम की हेल्प कर दी। शीतल की पैटी भी उतर गई और उसे भी वसीम ने नीचे फेंक दिया। शीतल और वसीम पूरी तरह नंगे थे और वसीम पीतल के दोनों पैरों के बीच ने बैठकर उसकी चिकनी रसीली चूत को चाट रहा था। वसीम दोनों हाथों से शीतल की चूत को फैला रहा था और जीभ को ऐद के अंदर डालकर चूस रहा था।
वसीम- “आहह.. मेरी रानी, क्या रसीली चूत है तेरी, क्या खुश्बू है, आह्ह… मजा आ जाएगा इसे चादकर मेरी चंडी.”
शीतल को बहुत मजा आ रहा था। ये सब पहली बार हो रहा था उसके साथ। वो अपनी कमर उठाकर वसीम का चेहरा अपनी चूत में दबा रही थी। वसीम की उंगली चूत के अंदर थी और उसने अपनी उंगली में गरम पानी की धार को महसूस किया। रंडी शीतल झड़ चुकी थी। शीतल हौंफ रही थी।
अब शीतल की बारी थी। वो उठी और वसीम को बेड पे लिटा दी और उसकी छाती का चूमती हुई पेट और जाँघ को सहलाने लगी। फिर शीतल ने वसीम के लण्ड को फिर से हाथ में ले लिया। अब वो लण्ड को देख भी रही थी और महला भी रही थी। वसीम के लण्ड के आगे विकास का लण्ड सच में बच्चा था। शीतल लण्ड में हाथ आगे पीछे कर रही थी और कटें हुए स्किन को और चमकते हुए सुपाड़े को देख रही थी।
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वसीम शांत सा लेटा हुआ था। उसकी चाल का अगला कदम आ गया था। लेकिन वो लालच में रुका हुआ था की शीतल उसके लण्ड को मुँह में लेगी।
शीतल ने सुपाड़े पे किस की तो उसे वही खाब आई, जिसकी वो दीवानी थी। शीतल उस खुश्ब को असरे से सूंघते हुए सुपाड़े पे जीभ लगाई और चाटी। शीतल को अपना मुँह बड़ा सा खोलना पड़ा और वो वसीम के मसल लण्ड के सुपाई को मुँह में लेकर चूसने लगी।
जितना मजा शीतल का आ रहा था, उससे ज्यादा मजा वसीम का आ रहा था। लेकिन अब वक्त आ गया था
शीतल को रोकने का। वसीम ने शीतल को खुद से अलग किया और खड़ा हो गया।
शीतल चकित सी उसे देखती रही की उससे कुछ गलती हो गई क्या?
वसीम ने अपनी लुंगी को लपेट लिया और गंजी पहनता हुआ शीतल को बोला- “शीतल तुम जाओ यहाँ से। ये गलत है और में ये नहीं कर सकता। अपने कपड़े पहनो और चली जाओं यहाँ से, प्लीज…”
शीतल अभी भी चकित ही थी- “क्या हआ वसीम चाचा। मुझसे कुछ गलती हो गई बया? पहली बार लण्ड चूस रही हैं, इसलिए ठीक से चूसना नहीं आया होगा। अब मैं ठीक में करेंगी। आइए वसीम दूसरी तरफ मुँह करके खड़ा था जैसे वो शीतल के नंगे बदन को देखना नहीं चाहता हो। उसकी तरफ बिना देखें हर वसीम बोला- “नहीं शीतल, तुम अच्छे से चूस रही थी। कोई गलती नहीं की तुमनें। लेकिन मैं गलत कर सकता। जितना मैंने किया उसके लिए मुझे माफ कर देना। तुम किसी और की अमानत हो। बीवी हो किसी और की। मैं दूसरे की बीवी के साथ छिपकर ऐसा नहीं कर सकता। ये बहुत बड़ा गुनाह है। तुम जाओ यहाँ से…”
शीतल चिड़चिड़ा गई की उसके जैसी खूबसूरत औरत उसके सामने खुद को पेश कर रही है और ये पागल इंसान मना कर रहा है। शीतल का नंगा जिस्म पूरी तरह गरम था और वो अपनी चूत में वसीम का लण्ड लेने का इंतेजार कर रही थी और ये पागल वसीम फिर से पुराने राग को गाने लगा था।
शीतल बैंड से उठकर वसीम की तरफ आगे बढ़ने लगी। लेकिन क्सीम ने हाथ के इशारे से उसे रोक दिया। वो शीतल की तरफ देख भी नहीं रहा था।
शीतल खड़ी हो गई और उसे समझने के अंदाज में बोली- “आप कुछ गलत नहीं कर रहे वसीम चाचा। मैं खुद आपके पास आई, आपके बदन में सटी, खुद अपने कपड़े उतारी। आपने कोई गलत काम नहीं किया। मैं किसी और की बीवी हैं तो क्या हआ, आपके लिए बस एक रंडी हैं। आप किसी और के बीबी को नहीं, एक रंडी के जिश्म को चूम रहे थे, आप बिकास की बीवी शीतल शर्मा को नहीं, अपनी शीतल रंडी को चाँदिए। इसमें कुछ गलत नहीं है। आपकी कोई गलती नहीं है.”
शीतल का जवाब तो लाजवाब था लेकिन अभी वसीम शीतल को चोदने वाला नहीं था। अगर उसने अभी शीतल को चोद लिया तो इसका मतलब उसे छुप-छुपकर शीतल के जिश्म के मजे लेने होंगे। लेकिन वो तो शीतल को अपनी पालतू कुतिया बनाना चाहता था। और इसके लिए शीतल का प्यासी रहना ज़रूरी था।
वसीम बिना शीतल की तरफ देखें ही बोला- “तुम कुछ भी बोलो, लेकिन हम दोनों जानते हैं की ये गुनाह है। तुम अपने पति से छिपकर मेरे से चुदवाओगी तो वो भी गुनाह है। मैं तुम्हारे पति से छिपकर तुम्हें चोद्गा ये गुनाह है। इसलिए मुझे मेरे हाल में छोड़ दो और जाओ। अपने कपड़े पहन लो और मुझे माफ कर दो जो मैंने किया तुम्हारे साथ। ये मेरी गलती थी की मैंने तुम्हारी पटी बा को हाथ में लिया और तुम्हें सोच करके उसमे बीर्य गिराया। ये सच है की इस तरह मैं खुद को हल्का महसूस करता था, लेकिन ये मेरी गलती थी जो आगे से नहीं होगी। प्लीज तुम जाओ…”
शीतल फिर बोली- “एक जवान औरत को नंगी करके प्यासी छोड़ देना भी गुनाह है। अब आपको मुझे चोदना ही होगा…”
वसीम ने कहा- “मुझसे गलती हुई, मुझे माफ कर दो, लेकिन अब मुझसे और गुनाह मत करवाओ..”
शीतल समझ रही थी की वसीम की नजर में ये गलत है, पाप है। उसने खुद पे काबू पा लिया है। अब वो और तड़पेगा। इतना कुछ कर लेने के बाद वो बिना चोदे मुझे यहाँ से भेज तो देगा, लेकिन फिर पागल हो जाएगा। शीतल फिर कुछ बोलने जा रही थी लेकिन वसीम ने उसे मना कर दिया। शीतल जैसी सुंदरी पा समर्पण के
साथ नंगी खड़ी थी, लेकिन वसीम उसे मना कर रहा था। ये बीम की महानता थी शीतल की नजरों में। लेकिन वसीम के लिए ये एक चाल थी। बड़े फायदे के लिए छोटे नुकसान टाइप का।
शीतल बोली- “ठीक है, मैं चली जा रही हूँ । अगर आपकी नजर में ये पाप है तो फिर अब मेरा यहाँ कोई काम नहीं। हम लोग ये घर खाली करके आज ही चले जाएंगे। हमें चाहे रोड में रहना पड़े लेकिन हम यहाँ से चले जाएंगे। ना मैं रहूंगी और ना ही आपको परेशानी होगी। लेकिन मेरी बस आखिरी बात मान लीजिए। आपने मेरे साथ इतना कुछ किया तो अपना बीर्य मेरे सामने निकाल लीजिए। नहीं तो मुझं लगेगा की मेरा कुछ आपके सामने बाकी रह गया…’
वसीम कुछ नहीं बोला। शीतल उसकी तरफ आगे बढ़ी तो वसीम ने उसे मना कर दिया।
शीतल फिर बोली- “जब तक आप अपना वीर्य नहीं निकल लेतं, तब तक ना तो मैं अपने कपड़े पहनूँगी और ना हो यहाँ से जाऊंगी…” बोलती हईशीतल बेड पे बैठ गई।
वसीम समझ गया की ये ऐसे नहीं जाएगी और इसमें उसके प्लान को काई नुकसान तो नहीं हो होना था। वसीम ने लंगी को नीचे गिरा दिया और लण्ड सहलाने लगा। लण्ड में अभी कोई जान नहीं थी और वो बैंजान मुर्दे की तरह लटक रहा था।
शीतल खड़ी हो गई और बोली- “प्लीज मुझे करने दीजिए। आपने इतने दिनों तक मेरे नाम से मेरी पैटी में अपना वीर्य गिराया है तो क्या मेरा हक नहीं की एक बार में उस वीर्य को गिराऊं?”
वसीम कुछ बोलता इससे पहले ही शीतल फिर से बोल पड़ी- “प्लीज इसे मेरी आखिरी इच्छा समझ लीजिए..”
वसीम कुछ नहीं बोला और शीतल उसके नजदीक जाकर लण्ड को हाथ में ले ली। शीतल का हाथ लगते ही मुर्दे में जान आ गई और लण्ड तरत ही फुल टाइट हो गया। ये शीतल का आखिरी हथियार था की इस तरह शायद फिर से वसीम जज्बाती हो जाए और उसे चोद दें। शीतल वसीम के नंगे जिस्म के साथ सटकर जंगी खड़ी थी। उसके बदन से रगड़ती हुई नीचे बैठी और लण्ड को चूसने लगी। शीतल अपनी चूची वसीम की जाँघ में गड़ रही थी और उसका लण्ड चूस रही थी।
वसीम को बहुत मजा आ रहा था। इतनी हसीज, कम उम्र की और अमीर लड़की वो भी नई-नवेली शादीशुदा औरत उसके लण्ड को चूस रही थी। लेकिन अभी तो क्सीम को शीतल का बहुत मजा लेना था। वसीम का लण्ड वीर्य गिराने वाला था। वसीम ने शीतल को खुद से अलग किया और थोड़ा किनारे होकर जमीन पे अपना वीर्य गिरा दिया।
शीतल वीर्य को अपने हाथ में लेना चाहती थी लेकिन वसीम ने उसे अपने जिस्म से दूर कर के रोक दिया और वीर्य को जमीन में गिरा दिया। वो तेज सांस ले रहा था।
शीतल वसीम को साइड की और घुटने के बल चलती हुई बीर्य के पास पहुंची और झुककर अपने मंगलसूत्र को दी। फिर शीतल अपनी 4 उंगलियों से वीर्य का उठाई और अपनी माँग में भर ली। वा वसीम को देखी जो उसे ही देख रहा था। शीतल फिर एक उंगली में वसीम का वीर्य लगाई और बिंदी पे लगा ली।
शीतल बोली- “देख लीजिए वसीम चाचा, ये सब मेरी सुहागन होने की निशानियां हैं और सब आपके वीर्य से सनी हुई हैं। मेरी माँग में आपका वीर्य है। मैंने आपका वीर्य लगा मंगलसूत्र पहना हआ है। तो अब आप भी मेरे पति हए। सुबह जब आपने बाथरूम के पास अपना वीर्य गिराया था, तब अंजाने में मेरा मंगलसूत्र उसमें भीग गया था। अभी में जानबूझ कर आपके वीर्य को हर जगह लगा ली। अब आप मुझे रंडी समझकर चादिए या बीवी समझकर या रखेल समझकर। लेकिन अब मैं आपको ऐसे नहीं छोड़ सकती। अब मैं आपको तड़पने नहीं दूँगी.”