घर पर पहुंचते ही कजरी बहुत जोरों से हांफ रही थी,,, लाला के बारे में उसने दूसरे औरतों से इतना तो सुन रखी थी कि लाला का चाल चलन ठीक नहीं है लेकिन उसे कभी विश्वास नहीं हुआ कि जो औरतें उसे कहती है वह सच है क्योंकि लाला उसे शुरू से ही बहुत ही सीधा साधा इंसान लगता था बस जमीन के मामले में थोड़ा सा अड़ा हुआ था जो कि प्रताप सिंह के कहने पर वह भी अपनी 10 बीघा जमीन छोड़ने के लिए मान गया था लेकिन आज जो उसने लाला का रूप देखी थी उसे देख कर उसे यकीन हो गया कि गांव की औरतें जो लाला के बारे में कहती है वह बिल्कुल सच है,,, वह मन ही मन सोच रही थी कि कैसे वह उसके ब्लाउज में झांक रहा था इतना सोचते हुए उसकी नजर खुद अपने ब्लाउज पर चली गई जो कि वास्तव में उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को संभाल पाने में बिल्कुल तरह से असमर्थ थी से पहली बार ऐसा हुआ कि उसकी चुचियों के मुकाबले उसके ब्लाउज का कद छोटा है,, जिसमें से उसकी आधे से ज्यादा चुचीया नजर आती थी,,,, अपनी इस गलती का एहसास उसे हो रहा था उसे यही लग रहा था कि लाला को उसके ब्लाउज में झांकने का मौका उसी ने दी थी और ना अगर सही ढंग का ब्लाउज में नहीं होती तो ऐसा कभी नहीं होता,,, लेकिन फिर भी मन में वह सोचने लगी कि मर्दों की फितरत यही है भले ही कुछ दिखता हो या ना दीखता हो मर्दों की तो आदत ही होती है इधर उधर झांकना,,, लेकिन फिर भी जो हुआ वह सब गलत था तभी उसे और गुस्सा आने लगा उसकी सांसे तेज चलने लगी जब से वह पल याद आया जब वह उसके पेटीकोट के अंदर देख रहा था जो की पूरी तरह से उसकी घुटनों पर चढ़ी हुई थी और दोनों घुटने फेले हुए थे । जिसमें से बहुत कुछ नजर आ रहा था वह मन ही मन सोच रही थी कि लाला जरूर उसकी साड़ी के अंदर जागते हुए उसकी बुर को देख लिया होगा तभी तो पागल हुआ जा रहा था तभी तो वह ऊसके पीछे पड़ा हुआ था,,, कजरी मन ही मन में यह सोच कर खबर आने लगी उसके अंदर डर के भाव पैदा होने लगे क्योंकि आज तक ऐसा कभी भी नहीं हुआ था कि किसी ने उसकी साड़ी के अंदर युं नजर गाड़ कर देखा हो,,, जैसा कि लाला देख रहा था उसकी आंखों में वासना साफ नज़र आ रही थी,,, फिर भी उसके मन में शंका हो रही थी कि क्या सच में लाला ने साड़ी के अंदर नजर डालकर उसकी रसीली बुर को देख लिया होगा,,, अगर ऐसा हुआ होगा तो यह तो सच में शर्म वाली बात है अगर लाला ने यह बात सबको बता दिया अब तो वह पूरी तरह से बदनाम हो जाएगी लोग उसके बारे में क्या सोचेंगे लाला का क्या भरोसा लाला तो सबसे झूठ ही बोल देगा कि वह जानबूझकर उसे अपनी बुर दिखा कर उसे बहका रही थी यह ख्याल मन में आते ही उसके माथे से पसीना छूटने लगा बदनाम होने के डर से उसके बदन में कपकपी सी उठने लगी,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, मान मर्यादा इज्जत संस्कार यही तो उसका कहना था और वह कैसे अपने इस दौलत को लुटा दे मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था बार-बार लाला का ख्याल है उसके मन में आ रहा था जिससे वह काफी घबराई हुई सी हो गई थी,,, उसे यही डर बार-बार सताए जा रहा था कि अगर लाला ने उसकी साड़ी में नजर गाड़ कर उस की बुर को देख लिया होगा तो गजब हो जाएगा क्योंकि आज तक उसके पति के सिवा उसकी बुर के दर्शन किसी ने भी नहीं किए थे,,, और ना ही उसने आज तक किसी को भी ऐसा मौका दि थी कि ऐसी नौबत आ जाएगी कोई भी उसके नंगे बदन का दर्शन कर सके उसके अंग अंग को अपनी आंखों से नजर भर कर देख सके आज तक दुनिया की नजरों से उसने अपनी खूबसूरत अंगों को छुपाते चली आई थी और लाला पागलों की तरह उसकी खूबसूरत रंगों को घेरने की कोशिश कर रहा था यह बात उसे बहुत ही खराब लग रही थी इसी वजह से वह शर्मिंदा हुए जा रही थी कि तभी पीछे से शालू की आवाज आई और वह पूरी तरह से चौक ,गई,,,,,
क्या हुआ मां तुम इतनी जल्दी आ गई,,,,
ओ,,,हां,,, थोड़ा सा सर में दर्द हो रहा था इसलिए मैं वापस आ गई,,,,( कजरी थोड़ा सोचने के बाद बोली,)
लाओ में तुम्हारे सिर में तेल लगा कर थोड़ी मालिश कर देती हूं आराम हो जाएगा,,,,
नहीं नहीं तो रहने दे थोड़ा आराम कर लूंगी तो ठीक हो जाएगा कड़ी धूप है ना इसकी वजह से सर में दर्द हो रहा है,,, और तू तैयार होकर कहां जा रही है,,,,
मममम,,,, में,,,, कहीं तो नहीं ,,,,कहीं तो नहीं जा रही हूं,,,
( शालू अपनी मां से घबराते हुए बोली,,,।)
अच्छा ठीक है मैं थोड़ा आराम करने जा रही हूं ,,,(इतना कहकर कजरी अपने घर में गई हो नीचे चटाई बिछा कर लेट गई,,, थोड़ी ही देर में उसे नींद लग गई और सालों अपनी मां के सोने का इंतजार कर रही थी जैसे वह सो गई वैसे ही वह दबे पांव घर से बाहर निकल गई,,,।)
खड़ी दुपहरी का समय हो रहा था सूरज एकदम आसमान मैं सर के ऊपर तप रहा था,,, ऐसे में रघुवर रामू दोनों दिन भर गांव मेरा करते हुए गांव की दूसरी तरफ जा रहे थे जहां पर घनी झाड़ियों और वह जगह पहाड़ियों से घिरी हुई थी,,,
पर वहां पर बेहद हरियाली छाई हुई थी जहां पर अक्सर रघु और रामू दोनों जाया करते थे और झरने में से नीचे गिर रहे पानी में नहा कर कुछ देर वही बिताया करते थे,,,
यार रामू कसम से आज तो बहुत मजा आ गया मैंने आज तक तेरी दोनों बहनों को कपड़ों में ही देखा था लेकिन आज मैं बिना कपड़ों के देख कर उनको नंगी देखकर मेरा मन डोलने लगा है यार,,,,( रघु उसे हरियाली वाले जगह पर जाते हुए रामू के साथ मस्ती भरी बातें करता हुआ जा रहा था लेकिन रातों को अपनी बहनों के बारे में इस तरह की गंदी बातें सुनकर गुस्सा तो आ रहा था लेकिन उसे मज़ा भी आ रहा था यह बात रघु भी अच्छी तरह से जानता था कि जब भी वह रामू की मां बहन के बारे में गंदी बातें करता है तो रामू थोड़ा बहुत गुस्सा जरूर करता है लेकिन उसे भी मजा आता है इसलिए तो रघु की हिम्मत बढ़ती जाती थी राम इस तरह की बात सुनकर झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोला।
देख रामु इस तरह की बातें करेगा तो मैं यहां कभी नहीं आऊंगा तेरे साथ और हम दोनों की दोस्ती टूट जाएगी,,,
अरे नाराज क्यों होता है मेरे दोस्त जब तू भी अच्छी तरह से जानता है की तेरी दोनों बहने एकदम खूबसूरत है और साले क्या तुझे मजा नहीं आ रहा था अपनी बहन को नंगी देखने में,,,,
नहीं मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आ रहा था भला किसी भाई को अपनी ही बहनों को नंगी देखने मजा आएगा क्या,,,
वाह बच्चु मुझसे झूठ अगर तुझे मजा नहीं आ रहा था तो तेरे लंड से पानी क्यों निकल गया,,,,बता,,,,,
ओ ,,,ओ,,,, मैं नहीं जानता,,,
लेकिन मैं जानता हूं क्योंकि तो अपनी प्यासी नजरों से अपनी बहनों की गोल गोल गांड देख रहा था,,, और तेरी दोनों बहनों की गोल-गोल गांड देखकर तेरा लंड खड़ा हो गया था वह सच कहूं तो तो अपनी बहनों को चोदना चाहता था इसलिए तेरा पानी निकल गया,,,
नहीं यह सच नहीं है यह झूठ है,,,
यही सच है बेटा मेरी आंखों के सामने सब कुछ हुआ है,,,
अब ज्यादा मत बन मैं अच्छी तरह से जानता हूं की तू भी अपनी बहनों को चोदना चाहता है जैसा कि मैं तेरी बहनों को चोदना चाहता हूं,,,
तेरे से बातें अच्छी नहीं लगती मैं देखना अपनी मां से बता दूंगा,,,,
बता देना मैं तेरी मां को भी चोद दूंगा,,,,
रघु थोड़ा तो शर्म कर वो मेरी मां है,,,, और वह दोनों मेरी बहन है फिर भी तु ईतनी गंदी गंदी बातें करता है,,,,
देख रहा हूं मैं जानबूझकर यह सब बातें नहीं करता और करना भी नहीं चाहता लेकिन सच बताऊं तो मैं जानता हूं कि वह तेरी मां है और दोनों तेरी बहने है,,, कि साला जिले में नहीं जानता ना कि वह तेरी मां बहन है मेरे दोस्त की मां बहन है इसे तो कोई भी रिश्तेदारी से किसी भी प्रकार का मतलब नहीं है यह तो बस चूत और गांड देखता है जहां गांड और बुर की खुशबू ईसे लगती है तो तुरंत खड़ा होने लगता है,,,,
तब तो तू अपनी मां और अपनी बड़ी बहन शालू के बारे में भी यही सोचता होगा क्योंकि उस दोनों के पास भी तो खूबसूरत बुर और गांड है,,,( रामू की बात सुनकर रघु को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन फिर भी वह पूरी तरह से माहौल को संभालते हुए बोला,,,।)
नहीं मैं उन दोनों के बारे में ऐसा कुछ भी नहीं सोचता सच कहूं तो उन दोनों को देखने पर मेरे मन में सिर्फ ख्याल आता ही नहीं क्योंकि वह दोनों ही खूबसूरत नहीं है जितना कि तेरी मां और तेरी बहने है,,,,( रामू की यह बात एकदम सौ प्रतिशत सच है कि वह अपनी मां और बहन को देखकर कभी भी अपने मन में इस तरह के गंदे ख्याल नहीं लाया था और ना ही उसे इस तरह के ख्याल आते थे लेकिन यह बात सरासर झूठ थी कि वह दोनों खूबसूरत नहीं थी रघु की मां और बहन दोनों बला की खूबसूरत थी,,, रघु जिस तरह का ख्याल गांव की दूसरी औरतों और बहनों के प्रति रखता था उसी तरह से गांव के दूसरे मर्द भी रघु की मां और बहन के बारे में उसी की तरह ही गंदे विचार रखते थे।)
अच्छा चल अब जल्दी कर मुझे बहुत धुप लग रही है,,,,
( रघु की गंदी बातें सुनकर धीरे-धीरे रामू का लंड खड़ा होने लगा था और वह रघु की नजरों से अपनी पजामे में बने तंबू को छुपाता हुआ आगे बढ़ रहा था जो कि प्रभु से यह बात छुपी नहीं रह पाई थी वह तिरछी नजरों से रामू के पजामे में बने तंबू को देख ले रहा था,,, और उसे जैसा पता चल रहा था कि रामू को भी अपनी मां बहन की गंदी बातें सुनने में मजा आ रहा था इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाता हुआ और आगे बढ़ता चला गया,,।)
हां चल तो रहा हूं लेकिन एक बात तुझे बता दूं कि देखना एक दिन तेरी आंखों के सामने में तेरी दोनों बहनों के साथ-साथ तेरी मां की भी चुदाई करूंगा,,,
तू पागल हो गया है रघु जल्दी आ मैं तो जा रहा हूं ,,,(इतना कहकर रामू जल्दी-जल्दी आगे बढ़ने लगा और रघु उसे पीछे से आवाज देता हुआ उसके पीछे पीछे जाने लगा)दूसरी तरफ झरना बह रहा था वो थोड़ी ऊंचाई से नीचे गिर रहा था और गिरने के बाद छोटा सा तालाब की शक्ल में आगे बढ़ता हुआ चला जा रहा था बेहद सुहावना दृश्य था चारों तरफ ऊंची नीची पहाड़ियां उस पर गिरता हुआ झरना का पानी और हरियाली से घिरा हुआ यह जगह पूरी तरह से कुदरत की बनाई हुई किसी चित्रकारी की तरह ही लग रही थी,,,, ऐसे में झरने के गिरने से इकट्ठा हुआ पानी तालाब की शक्ल में कुछ दुरी तक फैला हुआ था,,, वही बड़े-बड़े पत्थर और साथ ही घनी झाड़ियों से खिले हुए उस जगह पर शालू प्रताप सिंह के छोटे लड़के बिरजू के साथ गांव वालों की नजर बचाकर यहां आकर चोरी चोरी मिला करती थी और ऐसे ही आज भी वह घनी झाड़ियों के बीच बड़े पत्थर के पीछे उसे से प्यार भरी बातें कर रही थी और प्रताप सिंह का छोटा लड़का बिरजू उसी पत्थर के ओट में उस का सहारा लेकर बैठा हुआ था,,, और शालू उसकी चौड़ी छाती से अपनी पीठ सटाए आराम से बैठी हुई थी,,,, दोनों प्यार भरी बातें कर रहे थे बिरजू अपने हाथ शालू के बदन पर इधर-उधर फेर रहा था,,,,, तभी शालू के मुंह से हल्की कराहने की आवाज निकल गई,,,।
ससससहहहह,,,,आहहहहह,,,,, क्या कर रहे हो दर्द हो रहा है,,,,
क्या करूं जानू मेरी रानी तुम इतने करीब रहते हो तो मुझसे रहा नहीं जाता,,,,( बिरजू अपने दोनों हाथों से सालों कि दोनों चुचियों को कुर्ती के ऊपर से जोर जोर से दबा रहा था और कुर्ती के ऊपर से ही सालों की चूचियों को दबा कर उसे इस बात का अहसास हो गया था कि शालू की दोनों चूचियां नारंगी के आकार की थी जिनमें बेहद आनंद ही आनंद भरा हुआ था,,, बिरजू जोर-जोर से चालू की दोनों चूचियों को दबा रहा था लेकिन शालू उसे अपना हाथ हटाने के लिए बिल्कुल भी नहीं बोल रही थी,,,)
अच्छा शालू जब मैं तुम्हारी दोनों चूचियों को दबाता हूं तो तुम्हें मजा आता है या दर्द होता है,,,
दोनों होता है,,, दर्द भी होता है और मजा भी आता है,,,
मुझे भी शालू बहुत मजा आता है लेकिन इतने से मेरा मन नहीं भरता,,,,
तो इसमें मैं क्या कर सकती हु,?( शालू अपनी दुपट्टे को दोनों उंगलियों में फंसाकर गोल-गोल घुमाते हुए बोली,,,)
शालू तुम तो बहुत कुछ कर सकती हो लेकिन करने नहीं देती,,,,( इतना कहते हुए बिरजू अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसकी सलवार की डोरी खोलने के लिए उसकी सलवार की डोरी को पकड़ा ही था कि शालू उसका हाथ पकड़कर झटकते हुए बोली,,,)
इसके बारे में सोचना भी नहीं एक बार शादी हो जाएगी तो जो तुम्हारे मन में आए वह कर लेना लेकिन अभी कुछ भी नहीं,,,,
क्या शालू इतना नखरा करती हो पिछले 6 महीने से तुम मुझे इस तरह से परेशान करके रखी हो,,,
बिरजू हम दोनों धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं ना और ऐसा कैसे कह रहे हो कि मैं कुछ करने नहीं देती,,,,,
क्रमशः
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पिछले 6 महीने से मैं तुम्हें बेवकूफ नहीं बना रही हूं बल्कि तुम्हारे प्यार में और पागल होते जा रही हूं,,,, धीरे-धीरे तुम्हें इतनी तो छूट दी हूं कि देख लो कि तुम क्या कर रहे हो,,,,।
क्या कर रहा हूं मैं,,,,,( बिरजू कुर्ती के ऊपर से ही सालों की मदमस्त नारंगी जैसी चुचियों को दबाते हुए बोला,,,।)
इसे दबा तो रहे हो अब क्या चाहिए तुम्हें,,,,,
मुझे कम से कम एक बार यह (उंगली के इशारे से शालू की टांगों के बीच उसकी बुर की तरफ इशारा करते हुए।) खोल कर दिखा तो दो कि कैसी है,,,,
धत्,,,,, यह सब शादी के बाद और हां मेरे पास भी वैसी ही जैसा कि सबके पास है तुम्हारी बड़ी भाभी के पास भी ऐसी ही है,,,,
बड़ी भाभी से मुझे क्या लेना देना और थोड़ी ना मुझे अपना खोल कर दिखा देंगी,,,,
अगर दिखाएंगे तो क्या तुम देख लोगे,,,
हां इसमें हर्ज ही क्या है देखने वाली चीज है तो जरूर देख लूंगा,,,,
अरे तुम्हारी बड़ी भाभी है तुम्हारी मां के समान ,,,,तो भी,,,,
शालू तुम बात को गोल-गोल घुमा रही है सच कहूं तो सोने नहीं देती कम से कम सलवार उतार कर अपनी बुर ही दिखा दो,,,,
( बिरजू के मुंह से बुर शब्द सुनकर शालू के बदन में झुनझुनी सी फैल गई पहली बार वह किसी पराए मर्द के मुंह से अपने लिए यह शब्द सुन रही थी जिससे उसके बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी साथ ही बिरजू जिस तरह,, से उसकी दोनों नारंगीयो से खेल रहा था,,, धीरे-धीरे उसके तन बदन में मदहोशी छाने लगी थी,,,, फिर भी बहुत बिरजू के आगे किसी भी तरह से कमजोर होना नहीं चाहती थी वह कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहती जिससे उसकी बदनामी हो इसलिए वह अपने आप को संभालते हुए बोली,,,।)
नहीं बिरजू मैं तुमसे पहले ही कह चुकी हूं कि यह सब शादी के बाद में अभी कुछ भी नहीं दिखाऊंगी,,,, और हां अब मुझे छोड़ो मुझे नहाना है,,,।( इतना कहने के साथ है यह शालू बिरजू की बाहों से अलग होते हुए उठ खड़ी हुई है,,,।)
अच्छा चलो कोई बात नहीं जैसा तुम कहो कि सबको शादी के बाद ही लेकिन आज इतनी तो कृपा कर दो कि अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर तालाब में उतर कर नहाओ मैं मां कसम खाकर कहता हूं कि तुम्हें हाथ तक नहीं लगाऊंगा,,,
( बिरजू की यह बात सुनकर एक बार फिर से शालू के बदन में झनझनाहट फैल गई वह उसे नजरें तेरा ते हुए देखने लगी और कुछ सोचने के बाद बोली।)
अच्छा ठीक है तो मां कसम खा रहे हो इसलिए मैं तुम्हारी बात मानने के लिए तैयार हूं लेकिन इसके बाद अगर तुम अपनी कसम तोड़े तो याद रखना मुझे फिर तुम अपने सामने कभी नहीं देख पाओगे मुझे भूल जाना,,,,
नहीं नहीं सालों में कसम खाता हूं मैं अपना वादा निभाऊंगा आखिरकार में मां कसम खा रहा हूं,,,
ठीक है,,,, लेकिन तुम अपना मुंह दूसरी तरफ करके खड़े हो जाओ मुझे शर्म आती है,,,।
ठीक है मेरी शालू रानी जैसा तुम कहो ,,,,(इतना कहने के साथ ही बिरजू दूसरी तरफ मुंह करके खड़ा हो गया। शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था उसके तन बदन में भी उत्तेजना का असर हो रहा था यह मदहोशी का ही आलम था कि वह बिरजू की बात मानते हुए अपने सारे कपड़े उतार कर तालाब में उतरने के लिए तैयार हो गई थी,,,, वह सोच विचार कर यह कदम उठाने जा रही थी,,,, क्योंकि वह जानती थी कि अगर वह अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो भी जाएगी तो बिरजू के सिवा वहां कोई तीसरा शख्स नहीं है जो उसे इस हालत में देख सकें वैसे भी यह जगह हमेशा सुनसान रहती यहां कोई नहीं आता क्योंकि पिछले 6 महीने से वह इधर लगातार आ रही है लेकिन आज तक ऐसा कभी भी नहीं हुआ कि कोई भी वहां नजर आया हो और तो और वह धीरे-धीरे बिरजू पर विश्वास करने लगी थी इसलिए वह यह कदम उठाने जा रही थी,,,,
यह जानते हुए भी कि इधर कोई नहीं आता फिर भी वह चारों तरफ नजर घुमाकर देख लेना चाहती थी कि कोई है कि नहीं आखिरकार वह एक लड़की थी और एक लड़की के लिए उसकी इज्जत ही सब कुछ होती है इसलिए ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहती थी जिसे उसकी इज्जत पर बात बन आए,,, दूसरी तरफ नजर घुमा कर खड़ा था शालू धीरे-धीरे अपने सलवार की डोरी खोल कर अपनी सलवार को नीचे गिरा दी सलवार के अंदर वह किसी भी प्रकार का वस्त्र नहीं पहनी हुई थी इसलिए सलवार के नीचे आते ही वह पूरी तरह से नंगी हो गई और वह कुर्ती को भी निकाल कर उस बड़े से पत्थर के करीब रख दी,,, पैरों में फंसी हुई सलवार को अपने हाथों के सहारे बाहर निकाल कर वह पूरी तरह से नंगी हो गई,,,,
हुआ कि नहीं हुआ,,,,( बिरजू अपने वादे के मुताबिक दूसरी तरफ मुंह फेर कर खड़े हुए ही बोला।)
अभी रुक जाओ बस होने वाला है,,,( शालू नहीं चाहती थी कि बिरजू उसे तालाब के बाहर एकदम नग्न अवस्था में देखे इसलिए वह धीरे धीरे तालाब में अपने पैर डालते हुए बोली पानी की आवाज सुनते ही बिरजू को समझ में आ गया के शालू तालाब के अंदर जा रही है और वह जैसे ही अपनी नजर फिर कर शालू की तरफ देखा तब तक शालू तालाब में उतर चुकी थी और तालाब का पानी उसके नितंबों के निचले हिस्से तक आ चुका था,,,, शालू की गोरी गोरी नंगी गांड देखकर बिरजू की आंखें फटी की फटी रह गई ऐसा लग रहा था कि मानो जिंदगी में पहली बार बिरजू किसी खूबसूरत चीज को देख रहा था उसी से कुछ भी बोला नहीं जा रहा था बस वह एकटक शालू की मदमस्त मस्त उभरी हुई गांड को ही देख रहा था,,,, शालू अच्छी तरह से जानती थी कि बिरजू पीछे से उसके नंगे बदन को देखकर अपनी आंख सेंक रहा होगा,,, इसलिए वह जल्द से जल्द तालाब की गहराई में उतरकर अपने नितंबों को छुपा लेना चाहती थी इसलिए देखते ही देखते वह आगे बढ़ने लगी और अगले ही पल उसकी गोलाकार गांड पानी की परत के नीचे गायब हो गई,,,, बिरजू के लिए इतना काफी था उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,, और वह उसी स्थिति में तालाब में उतर गया,,, लेकिन जैसे ही बता लाभ में उतरना शुरू किया वैसे ही शालू ने उसे अपने करीब आने से बिल्कुल भी मना कर दिया,,,,
बस बिरजू दूर दूर से ही मेरे करीब बिल्कुल भी मत आना,,,
चलो ठीक है लेकिन मेरी तरफ घूम तो जाओ पिछवाड़ा तो दिखा दी आगे का दिखा दो,,,
नहीं अब कुछ भी नहीं इतना काफी है मैं तुम्हारी इतनी बात मानी वही बहुत है,,,,( शालू बिरजू की तरफ घूमे बिना ही बोली,,,, वह बिरजू की तरफ घूम कर अपनी मस्त कर देने वाली दोनों नारंगी ओके दर्शन उसे कराना नहीं चाहती थी बिरजू अपना मन मसोसकर रह गया,,,, दोनों नहाने का आनंद लेने लगे तालाब के अंदर बिरजू का लंड उसके पजामे में पूरी तरह से खड़ा हो गया था और शालू पराए मर्द के इतने करीब और वह भी नग्न अवस्था में नहाते हुए एकदम मदहोश होने लगी थी उत्तेजित होने लगी थी उसकी टांगों के बीच की हलचल उसे साफ महसूस हो रही थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो रहा है देखते ही देखते दोनों नहाने का मजा ले रहे थे शुभम पीछे से उसके ऊपर तालाब का पानी अपने दोनों हथेली में लेकर उसके ऊपर फेंक रहा था तो शालू उसकी तरफ देखे बिना ही अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ करके उसके ऊपर पानी फेंक रही थी दोनों इस समय एकदम जल क्रीड़ा में मग्न हो गए थे दोनों इस बात से अनजान की रघु और रामू दोनों ऊसी तरफ आ रहे थे,,,,तभी अचानक जल क्रीड़ा करते करते शालू एकदम से शांत हो गए क्योंकि दूर से किसी के आने की पदचाप उसे सुनाई दे रही थी और साथ में हंसने की एकदम से घबरा गई उसे समझते देर नहीं लगी कि वहां पर कोई और भी आ रहा है,,,,
बिरजू जल्दी निकलो यहां से कोई जा रहा है,,,,
कोई नहीं आ रहा है शालू तुम्हारा भ्रम है,,,
नहीं बिरजू कोई आ रहा है मुझे हंसने की और उनके पैरों की आवाज सुनाई दी है,,,
लेकिन मुझे तो ऐसा कुछ भी सुनाई नहीं दिया,,,,
तुम रुको यही मैं तो जा रही हूं,,,, अगर मुझे कोई इस हाल में देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,( शालू तालाब से बाहर निकलने लगे जैसे जैसे वह बाहर निकलने के लिए अपने कदम आगे बढ़ा रही थी वैसे वैसे दूर से आ रही आवाज एकदम करीब होती जा रही थी,,,, शालू एकदम घबरा गई थी,,, बिरजू की भी हालत खराब होने लगी थी उसे भी सब समझ में आ गया था कि सालु जो कुछ भी कह रही थी एक दम सच कह रही थी,,,, वह भी जल्दी जल्दी तालाब से बाहर निकलने लगा क्योंकि वह भी नहीं चाहता था कि शालू जिस हालात में थी उस हालात में कोई उन दोनों को देख ले,,,,
शालू तालाब से बाहर निकल चुकी थी वह एकदम हडबड़ाई हुई थी,,, वह एकदम नंगी थी,,,, वह जल्द से जल्द अपने कपड़े पहनकर नंगे बदन को छुपा लेना चाहती थी,,, रघु और रामू दोनों एकदम करीब पहुंच चुके थे रघु की तो नजर बिरजू पर पड़ चुकी थी और शालू बड़े पत्थर के करीब रखे हुए अपने कपड़े को उठा रही थी तभी रघु की नजर शालू पर पड़ी जोकी झुकी होने की वजह से केवल उसकी बड़ी-बड़ी गोल-गोल गांड ही नजर आ रही थी,,,, उसके चेहरे को देखने की कोशिश करी रहा था कि तब तक शालू कोई एहसास हो गया कि जो कोई भी था वह बेहद करीब पहुंच गया है और वह नहीं चाहती थी कि वह उसका चेहरा देखें,,, इसलिए अपने कपड़े उठाकर घनी झाड़ियों में भागकर अपने नंगे बदन को छुपाने की कोशिश करने लगी तब तक रघु फिर से बिरजू को आवाज देता हुआ बोला,,,
अरे वो बिरजू बाबू कौन लड़की है रे तुम्हारे साथ,,,,( शालू के कानों में यह आवाज पड़ते ही वह एकदम से सन हो गई क्योंकि वह इस आवाज से पूरी तरह से वाकिफ थी यह आवाज उसके भाई की थी,,, शालू का दिल जोरो से धड़कने लगा और वहां घनी झाड़ियों के बीच कपड़े पहने बिना ही अपने कपड़े लेकर भागने लगी और थोड़ी दूर जाकर जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहन कर गांव की तरफ भाग गई,,,,, तब तक रख और रामू दोनों धीरे-धीरे उतर कर नीचे की तरफ पहुंच गए जहां पर बिरजू खड़ा था,,,
क्या बात है बिरजू बाबू गांव से दूर आकर इस वीराने में गुलछर्रे उड़ाया जा रहा है,,, कौन थी यह लौंडिया जोकि लाज शर्म सब छोड़ कर तुम्हारे साथ एकदम नंगी होकर तालाब में नहाने का मजा लूट रही थी,,,,
ककककक,, कोई भी तो नहीं था रघु,,,,
देखो छोटे बाबू हमारी आंख में धूल ना झोंका करो रामू ने भी वही देखा जो मैंने देखा हूं बता रे रामू तूने क्या देखा,,,
मैंने भी सब कुछ अपनी आंखों से देखा हूं छोटे बाबू तुम और ओ लड़की जो कि अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी तुम्हारे साथ तालाब में नहाने का मजा लूट रही थी,,,
अब तो तुम्हें यकीन हुआ छोटे बाबू कि हम लोगों ने क्या देखा है तुम इससे घने जंगल के बीच झरने के नीचे तालाब में एक गांव की भोली भाली लड़की के साथ एकदम नग्न अवस्था में गुलछर्रे उड़ा रहे हो,,,, अगर यह बात मालिक को पता चल जाए तो क्या होगा,,,
नहीं नहीं रामू ऐसा बिल्कुल भी मत करना नहीं तो गजब हो जाएगा पहले से ही बाबू जी मुझसे नाराज रहते हैं अगर यह बात नहीं पता चल गई तो मुझे तो हवेली से ही निकाल देंगे,,,,( कुछ देर सोचने के बाद वह अपने पहचाने में इधर-उधर जेब में हाथ डालकर कुछ टटोलने लगा और उसे तभी ₹1 का सिक्का हाथ में पकड़ाया और वह सिक्के को बाहर निकाल कर,,, रामू की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
देखो रामू यह ले लो लेकिन यह बात किसी को कानों कान खबर नहीं होनी चाहिए,,,,
रघु तो काफी दिन हो गए थे ₹1 का सिक्का नहीं देखा था इसलिए झट से हाथ आगे बढ़ा कर बिरजू के हाथ से एक का सिक्का लेकर उसे गोल गोल घुमा कर इधर-उधर करके देखने लगा वह काफी खुश नजर आ रहा था और सिक्के को देखते हुए बोला,,,
छोटे बाबू तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो अगर तुम उस लड़की की गांड मार लेते तो भी मैं यह बात किसी को नहीं कहता,,,, आखिरकार तुमने कीमत जो चुकाई है।
( रघु की बात सुनकर फिर जो मन ही मन खुश होने लगा क्योंकि रघु की बात से साफ पता चल रहा था कि रघु ने उस लड़की को देखकर उसे पहचान नहीं पाया था कि वह उसी की बहन है इसीलिए अनजाने में ही अपनी बहन के बारे में गंदी गंदी बातें बोल रहा है,,,,।)
अच्छा रघु मैं चलता हूं,,,
जाते जाते यह तो बताते जाइए छोटे बाबू की वह लड़की थी कोन,,,
दूसरे गांव की थी अपने गांव की नहीं (इतना कहकर बिरजू वहां से चलता बना।)
यार रामू आज तो मजा आ गया पैसा भी मिल गया और खूबसूरत लड़की की गांड देखने को मिल गई देख नहीं रहा उसकी गांड देख कर मेरा यह हाल है कि अभी तक यह लगा नाराज खड़े के खड़े हैं बैठ नहीं रहे हैं,,,
हां यार रघु सच कह रहा है तू बहुत खूबसूरत लड़की थी,,,
साले बिरजू की किस्मत बहुत अच्छी है इतनी खूबसूरत लड़की को रोज चोद रहा है और एक हम हैं की,,, रोज हिला हिला कर काम चला रहे हैं लेकिन यार रामू आज तो हिलाने में भी बहुत मजा आएगा उसी लड़की के खूबसूरत गांड के ख्यालों में आज हिला हिला कर पानी निकालूंगा,,,,
( इसके बाद दोनों वहां से गांव की तरफ चल दिए दोनों को एक रुपैया जो मिल गया था आज उसी रुपए से समोसा कचोरी जलेबी का लुफ्त उठाना था और सीधे जाकर हलवाई की दुकान पर ही रुके,,,।)
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रघु और रामू दोनों सीधा पहुंचे हलवाई के पास जहां पर गरमा गरम जलेबीया छन रही थी,,,, गरमा गरम जलेबी को जानते देख रामू और रघु दोनों के मुंह में पानी आ गया लेकिन रघु के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया था क्योंकि,,,, जलेबियां छानने वाली हलवाई की बीवी थी,,, दोपहर का समय था और दुकान पर कोई भी ग्राहक नहीं था,,, चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था शाम की ग्राहकी की तैयारी के लिए जलेबियां छानी जा रही थी,,,, बड़ा सा चूल्हा जल रहा था उसके ऊपर बड़ी सी कड़ाही रखी हुई थी जिसमें गरमा गरम तेल में जलेबी छन रही थी,,, गर्मी का महीना था ऊपर से गरम चूल्हा और आग फूंक रही थी,,, ऐसे में हलवाई की बीवी पूरी तरह से पसीने से लथपथ हो चुकी थी और वह अपनी दोनों टांगे फैलाकर जलेबी छान रही थी उसकी साड़ी घुटनों तक उठी हुई थी जिससे उसकी गोरी गोरी पिंडलिया,,, साफ नजर आ रही थी,,,, जिसे देख कर रघु के मुंह में पानी आ रहा था और साथ ही उसके ब्लाउज के खुले हुए दो बटन और उसमें से झांकते हुए उसके दोनों बड़े-बड़े कबूतर को देखकर उसके लंड में पानी आ रहा था,,,,। रघु तो हलवाई की बीवी को देखता ही रह गया,,, तुम गोरी चिट्टी माथे पर बड़ी सी बिंदी गोल मटोल मो शरीर से थोड़ी मोटी थोड़ी मोटी नहीं थोड़ा सा ज्यादा मोटी थी लेकिन एक नंबर की करारा माल लगती थी,,,, हलवाई की बीवी हर जगह से लेने लायक थी कोई भी मर्द दुकान पर मिठाई लेने आता तो सबसे पहले मिठाई नहीं बल्कि उसे देखकर ही उसके मुंह में पानी आ जाता,,,,रामू तो उतावला हुआ जा रहा था गरम गरम जलेबी को मुंह में डालकर लकने के लिए,,, रघु हलवाई की बीवी को निहार रहा था कि तभी वह कढ़ाई में बड़े चमचे को हिलाते हुए बोली,,,,
क्या लोगे बबुआ,,,,( रघु की तरफ देखे बिना ही वह बोली,,,)
चाची आज तो घर में गरम जलेबी और समोसे दे दो आज की जलेबी कुछ ज्यादा ही गोल गोल और रस से भरी हुई दिखाई दे रही,,, है,,,
ये हमारी जलेबी है बबुआ इसका रस कम नहीं होने वाला और गोल तो हम ऐसा बनाते हैं जैसे खेत में उगा हुआ खरबूजा,,,
सच कह रही हो चाची वह तो दिखाई दे रहा है,,,,( रघु ऐसा कहते हुए मन ही मन में सोच रहा था कि काश ये अपना तीसरा बटन भी खोल देती तो मजा आ जाता,,, पर बनाता हुआ कबूतर कैद से आजाद हो जाता,,,, यही सब सोचते हुए रघु के तन बदन में आग लग रही थी,,,)
दूर-दूर से आते हैं यहां पर जलेबी लेने,,,,( वह बड़े से जानने वाले चमचे में ढेर सारी जलेबी छानते हुए बोली,,,)
लेने जैसी है तभी तो लोग दूर-दूर से आते हैं,,,( रघु उसकी बड़ी बड़ी चूचियों की गहरी दरार में से चु रहे पसीने की बूंद को ललचाए आंखों से देखता हुआ बोला,,, उसका बस चलता है तो उस पसीने की बूंद को अपनी चीज से चाट डालता,,,)
तुम भी लोगे बबुआ,,,,,,
ककककक, क्या चाची,,,?( रघु एकदम से सकपकाते हुए बोला,,,,)
जलेबी और क्या,,,,
हां हां दे दो,,,,,, दे दो चाची,,,,,
( हलवाई की बीवी गरम गरम जलेबी को तराजू में तौल कर देने लगी और साथ में दो दो समोसे भी रघु आगे हाथ बढ़ाकर जलेबी और समोसे को थामते हुए बोला,,,।)
चाचा जी नजर नहीं आ रहे हैं,,,,
अरे वह बाजार गए हैं सामान लेने,,,,( वह उसी तरह से जलेबी को कड़ाही में छानते हुए बोली,, उसे अभी भी इस बात का आभास तक नहीं था कि रघु जलेबी के साथ-साथ उसके खरबूजा पर भी आंख गड़ाए हुए था,,,, वह पागलों की तरह ब्लाउज में से झांकते उसके दोनों गोलाईयों को ललचाए आंखों से देखे जा रहा था,,,, हाथों से भले ही वह उसकी चुचियों को स्पर्श नहीं कर पा रहा था लेकिन अपनी आंखों से बराबर उसे छु भी रहा था वह पी भी रहा था,,,। आंखों के जरिए अपने तन की प्यास बुझाने की कोशिश करते हुए रघु पागल की तरह हलवाई की बीवी की बड़ी बड़ी चूचीयओ को ब्लाउज के ऊपर से ही देख देख कर अपनी प्यास बुझाता रहा,,,, रघु रामू दोनों जलेबी और समोसे का स्वाद बराबर ले चुके थे,,,,।)
चाची कुछ पीने को मिलेगा,,,,( रघु उसकी चुचियों को भरते हुए बोला,,,)
हां हां क्यों नहीं,,,, पीछे चला जा वही हैंड पंप से चला कर पानी पी लेना,,,,( वह उसी तरह से अपना काम करते हुए बोली,,,)
ठीक है चाची,,,,( इतना कहकर वह पीछे की तरफ जाने लगा,,, तो रामू से भी पूछा,,) तू भी पानी पीने चलेगा,,,
नहीं नहीं तू ही जा,,,,
ठीक है मैं ही चला जाता हूं तु यहीं बैठ,,,, ( इतना क्या कर रहा है हलवाई के घर के पीछे चला गया खड़ी दुपहरी होने की वजह से इस समय कोई भी नजर नहीं आ रहा था,,, चारों तरफ खेत ही खेत नजर आ रहे थे,,,, चार पांच कदम की दूरी पर ही हैंडपंप था,,, जैसे ही रघु हैंडपंप की तरफ कदम आगे बढ़ाया उसके पैर वहीं के वहीं ठिठक गए,,, हेड पंप के लग का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए वहां पर एक लड़की नहा रही थी जो कि पूरी तरह से पानी में भीगी हुई थी,,, उसके बदन पर मात्र टॉवल ही था जिसे वह अपने नितंबों और गोलाकार संतरो को छुपाते हुए अपने बदन पर बांधी हुई थी,,,,, बेहद उत्तेजना से भरपूर नजारा था वैसे तो यह दृश्य बेहद सहज था लेकिन रघु जैसे नौजवान होते लड़के के लिए तो यह नजारा बेहद कामुकता से भरा हुआ था,,,, वह अपने आप को छुपा कर उससे दृश्य का भरपूर रसपान कर पाता इससे पहले ही सूखे हुए पत्तों पर उसके पैर पड़ने की वजह से उसकी आवाज से हुई हलचल की वजह से उस लड़की का ध्यान पीछे की तरफ चला गया,,, पर जैसे ही बार रघु को अपने पीछे खड़ा पाई वो एकदम से हड़बड़ा गई,,,, और हेड पंप के करीब रखे हुए अपने कुर्ती को एक झटके से उठाकर अपने बाकी के नंगे बदन को ढकने की कोशिश करने लगी,,, वह काफी गुस्से में थी और गुस्से में बोली,,,।
पागल हो गए हो क्या तुम्हें इतना भी समझ में नहीं आता कि यहां पर कोई नहा रहा है और चले आए मुंह उठा के,,,
देखो हमसे इस तरह की बातें ना किया करो हम कोई अपने मन से नहीं आए हैं,,,, तुम्हारी अम्मा हमको पीछे भेजी पानी पीने के लिए समझी,,,,
हां तो पानी पीने के लिए आए थे तो पानी पीकर चले जाना चाहिए था जो पीछे से खड़े होकर चोरी छुपे हमको देख रहे हो,,,,
तुम पगला गई हो क्या हमें यहां कितना देर हुआ दो-चार सेकंड ही तो हुआ है,,,,।
तो क्या हमें घंटे ताकते रहोगे क्या,,,,?
हम तुम्हें कहा कि नहीं रहे बस हमारी नजर पड़ गई,,, और वैसे भी हम कुछ देखे ही नहीं है तुम्हारे बदन पर तो यह टावल पड़ा हुआ है,,,,
तो तुम्हें क्या लगता है क्या तुम्हारे सामने नंगी होकर नहाए,,,
( एक लड़की के मुंह से नंगी शब्द सुनकर रघु के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई,,,।)
हम एेसा थोड़ी कह रहे हैं तुम जो कह रही हो इसके लिए कह रहे हैं,,,,,, पानी पीने दोगी या ऐसे ही चले जाएं,,,,।
आ जाओ पी लो आइंदा से देख कर आना,,,,,
( उसकी आवाज में जादू था वह मंत्रमुग्ध सा आगे बढ़ा और हेडपंप एक हाथ से चला कर पीने की कोशिश करने लगा तो वह खुद ही अपना एक हाथ ऊपर की तरफ करके हैंडपंप पकड़ ली और उसे चलाने लगी,,, रघु तिरछी नजर से उस लड़की को देखते हुए पानी पीने लगा वह लड़की भी बार-बार तिरछी नजर से रघु को देख ले रही थी जो कि उसे बेहद शर्मिंदगी महसूस हो रही थी,,, रघु पानी पीकर चला गया और उसके जाते हैं वह लड़की मुस्कुरा दी और वापस नहाने लगी,,,। रघु अपने घर के लिए भी जलेबी और समोसे बंधवा लिया,,,,, और जाते जाते हलवाई की बीवी से बोला,,,।)
चाची आज तो मजा आ गया तुम्हारी गोल गोल चु्ं,,,,,, मेरा मतलब है कि जलेबी खाकर,,,,, बहुत अच्छा बनाती हो चाची मैं रोज आता रहूंगा,,,,,( इतना कह कर रखो और रामू दोनों गांव की तरफ जाने लगी,,,, हलवाई की बीवी को उसके कहने का मतलब समझ में आते ही वह अपनी नजर को अपनी चूचियों की तरफ की तो उसके गाल शर्म से लाल हो गए,,, उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि उसके ब्लाउज के दो बटन खुले हुए हैं और उनमें से उसकी आधी से ज्यादा चूचियां बाहर नजर आ रही थी,,, रघु के बात का मतलब समझते हैं उसे रघु के ऊपर गुस्सा तो बहुत आया,,, लेकिन ना जाने क्यों उसके होंठों पर मुस्कान भी आ गई,,,, वह जल्दी से अपने ब्लाउज के खुले दो बटनो को बंद करके वापस अपने काम में लग गई,,,,।)
रामू आज तो बहुत मजा आ गया आज का दिन बहुत अच्छा है सुबह-सुबह तेरी दोनों बहनों को नंगी देखने के बाद आज सब कुछ मस्त मस्त नजर आ रहा है,,,, सुबह सुबह में तेरी बहनों जो अपनी सलवार का नाड़ा खुल कर अपनी गोल गोल गांड को दिखा कर मेरा दिन बनाई है तो अब तक सब कुछ वैसा ही नजर आ रहा है,,,, झरने के नीचे तालाब में बिरजू बाबू के साथ उस नंगी लड़की की बड़ी बड़ी गांड का नजारा और हलवाई की बीवी की मस्त मस्त चूचियां,,,आहहहहहहा,,,,, साली की चूचियां इतनी बड़ी बड़ी है कि लगता है कि जैसे ब्लाउज के बटन तोड़कर बाहर आ जाएंगी,,,, तू देखा था ना रामू,,,,
नहीं यार मैं कहां देखा था मेरा ध्यान तो समोसे और जलेबी पर ही था,,,,
Mastt halkat kahani hei re babaa…
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