ऋतू दीदी के चूत के जूस की चिकनाई मैं अपने लण्ड पर महसूस कर सकता था। मेरे आनंद की आज कोई सीमा नहीं थी। मैंने जो नहीं माँगा था वो भी मिल रहा था। नीरु ने वादा किया था की वो मुझे आज रात चोदेगी पर उसके पहले ही उसकी बहन ने मुझे चोद दिया था। यह दोनों पति पत्नी चुदाई के मामले में बहुत ओपन है।
बिना कपड़ो के मुझे चोदते हुए ऋतू दीदी लगभग निरु जैसी ही लग रही थी। निरु भी मुझे इसी तरह ऊपर आकार चोदती है। क्यों की यह मेरा फेवरेट पोजीशन है। शायद निरु ने कभी ऋतू दीदी से जिक्र किया होगा इसलिए ऋतू दीदी मुझे मेरी फेवरेट पोजीशन में चोद रही थी।
निरु मुझे इस पोजीशन में मेरे कहने पर ही चोदती हैं वार्ना निरु का फेवरेट पोजीशन तो डॉगी स्टाइल में चढ़ने का है। फिलहाल चुदते हुए मेरा जूस मेरी गोटियो से निकल कर मेरे लण्ड की नलि में चढ़ने लगा था और बाहर आने को उतारू था। ऋतू दीदी की भी हालत अब ख़राब हो चुकी थी और अब वो मेरे सीने पर अपनी छाती रख लेट कर चोदने लगी। ऋतू दीदी के नर्म मुलायम मम्मे मेरी छाती पर चिपके हुए रगड़ रहे थे।
अब ऋतू दीदी अचानक बोलना शुरू हो गयी “प्रशांत, चोद दो मुझे। प्लीज, मुझे चोद डालो जितना जोर से चोदना हैं।”
मैने नीचे लेटे लेटे एक दो धक्के लण्ड के उनकी चूत में मारे और तब दो बार उनकी सिसकिया एकदम तेज हुयी। मैने उनको उनकी कमर और पीठ से कस कर पकड़ लिया और फिर अपना हाथ उनके नंगे बदन पर घुमाने लगा।
वो लगातार मुझे धक्के मार कर अभी भी चोद रही थी। मैने अब अपने दोनों हाथ ऋतू दीदी की नंगी गांड पर रख दिए। उनकी गांड बड़ी तेजी से आगे पीछे हील रही थी, जिस से मेरे हाथ भी आगे पीछे हो हील रहे थे। नीरु जब मुझे चोदती हैं तो मुझे उसकी गांड पर कभी हाथ नहीं रखने देती पर ऋतू दीदी ने मुझे रखने दिया।
मैं अपनी उंगलिया उनकी गांड की दरार से होते हुए नीचे ले जाने लगा। मेरी ऊँगली मेरे लंड के नीचे छु गयी, जो की चिकना हो चुका था। मेरा लण्ड चूत के अन्दर बाहर हो रहा था और मेरी ऊँगली वो सब महसूस कर रही थी। मैने अपने शरीर को टाइट करते हुए अपने लण्ड के पानी को बाहर आने से रोके रखा। मगर जिस गति से ऋतू दीदी मुझे चोद कर खुद आहें भर रही थी और मेरा नाम लिए मुझे चोदने को बोल रही थी, मुझसे रुका नहीं गया। मै अब रिलीज़ होना चाहता था। मैंने ऋतू दीदी की चूत में झटका मारा और ऋतू दीदी ने एक तेज आह भरते हुए कहा
“ओह प्रशांत, और मारो”
मैने फिर एक के बाद एक झटके मारते हुए मेरे लण्ड का जूस तेजी से छोडना शुरू कर दिया। मेरे लण्ड का जूस आज कुछ ज्यादा ही स्पीड से बाहर छूट रहा था और मेरी चीखे निकल रही थी। ऋतू दीदी भी लगभग चीख रही थी “आईए प्रासाहनत्तत्त …हहह …चूऊद दो मुझे … प्रासाहंत … मेरी चूत … चोद दो प्लीज”
मैने अपने लण्ड का सारा पानी ऋतू दीदी की चूत में खाली कर दिया। यह ज़िन्दगी में पहली बार था जब मैंने अपने लण्ड का सारा माल चूत में उतारा था।
मेरे जीवन की यह अब तक की बेस्ट चुदाई थी। ऋतू दीदी इसके कुछ सेकण्ड्स तक और मुझे चोदने को बोलति रही इसलिए मैं अपने झटके उनकी चूत में मारता रहा। ऐसा मेरे साथ पहले भी हुआ था की मैं झड़ गया पर निरु नहीं झड़ी थी, वो भी मुझे इसी तरह चोदते रहने को बोलति हैं, पर एक बार झड़ने के बाद मैं ज्यादा देर उसको चोद नहीं पाता और वो मुझसे नाराज हो खुद ही मुझे चोद कर अपना पूरा करती है।
पर आज मेरे साथ ऋतू दीदी थी, जिनकी मैंने आज तक कोई बात नहीं ताली थी तो मैं झड़ने के बाद भी उनको चोदे जा रहा था। वो खुद भी आगे पीछे हो मुझे चोद रही थी और मैं तभी रुका जब उन्होंने भी धक्के मारना बंद कर दिया था।
ऋतू दीदी भी झड़ चुकी थी और उहोने मेरे होठो को अपने नाराम होंठो में भर कर चूमना शुरू किया। उनके होंठ निरु की तरह बहुत सॉफ्ट थे और मुझे अच्छा लगा। चुदाई के मजे तो ले लिए पर अब वो ख़ुमार उतरने के बाद मैं सोचने लगा की यह मैंने क्या कर दिया। मैंने निरु को धोखा देकर ठीक नहीं किया हैं। मै अब तक जीजाजी को निरु के साथ सम्बन्ध पर शक़ कर रहा था और अब मैंने खुद अपनी बीवी की बड़ी बहन यानी बड़ी साली को चोद दिया था।