अब तक आपने पढ़ा की नीरू ने जीजाजी की नीयत जानने के लिए एक एक्सपेरिमेंट किया उनको चोदने का इन्विटेशन दिया. जीजा जी ने नीरू को टॉपलेस देख कर उसके मम्मे दबाए और चूस लिए. फिर नीरू ने जीजाजी को अपने से दूर किया.
अब आगे…
जीजाजी ने बिना समय गवाए नीरू को अपने सीने से फिर चिपका लिया. नीरू के मम्मे जीजाजी के सीने से चिपक कर दब गये थे और जीजाजी ने नीरू की नंगी पीठ और कमर को कस कर पकड़ा हुआ था.
नीरू एक ज़िंदा लाश की तरह चिपकी हुई थी और कोई विरोध नही किया. उसका भरोसा उस आदमी पर से आज टूट गया था जिस पर सबसे ज़्यादा यकीन था.
जीजाजी के हाथ तेज़ी से नीरू की पीठ और कमर के मखमली स्किन पर उत्तेजना के साथ घूम रहे थे और जीजाजी के होंठ नीरू के गर्दन और कंधे पर चूम रहे थे.
कुच्छ सेकेंड्स के बाद जीजाजी ने नीरू को छोड़ा और अपना टी शर्ट निकाल कर टॉपलेस हो गये, नीरू देखती ही रह गयी. जीजाजी जल्दी ही पूरे नंगे नीरू के सामने थे और उनका लंड अब तक कड़क होकर स्टील के पाइप की तरह खड़ा था.
नीरू का ध्यान जीजाजी के लंड पर नही गया था. वो तो अभी भी उनके आँखों मे झाँक रही थी की कोई शर्म बाकी हैं भी या नही.
जीजाजी ने झुक कर नीरू का पाजामा नीचे खिच कर निकाला और फिर पैंटी को भी निकाल दिया. अब नीरू पूरी नंगी खड़ी थी और शून्य मे निहार रही थी.
जीजाजी ने नीरू की कमर मे हाथ डाला और उसको बिस्तर के पास ले आए. मैं वॉशरूम में छूपा हुआ अभी भी मन मे रिक्वेस्ट कर रहा था की नीरू अब तो जीजाजी को रोक ले.
जीजाजी ने नीरू को डॉगी स्टाइल मे बैठा दिया और खुद ने पोज़िशन ले ली नीरू के पिच्छवाड़े. जीजाजी ने नीरू की गोरी गान्ड के उभार पर थोड़ी देर हाथ फिराया और फिर अपना लंड पकड़ कर नीरू की गान्ड की दरार और चूत के बाहर रगड़ा.
मैं अब अपने आप को तैयार करने लगा की मुझे अब अंदर जाकर जीजाजी को रोकना ही होगा. नीरू ने सिर घुमा कर साइड मे देखा जहा वॉशरूम का दरवाजा था.
मेरी नीरू से नज़रे मिली और मैं इशारा किया की मैं बाहर आना चाहता हूँ. नीरू ने अपना सिर हल्का सा घुमाया और आँखो के इशारे से मुझे मना किया. मुझे बहुत गुस्सा आया.
मैं और नीरू आँखो ही आँखो मे बात कर रहे थे की तभी नीरू की एक तेज आह निकली और उसका मूह खुला का खुला रह गया और साथ मे जीजाजी की भी एक राहत भरी आह आई.
जीजाजी का लंड नीरू की चूत मे उतर चुका था और उनका शरीर नीरू की गाअंड से चिपक गया था. एक सेकेंड के लिए मैने आँखें बंद कर ली और एक कड़वा घुट पीकर फिर आँखें खोल ली.
जीजाजी को शायद यकीन नही हो रहा था की उन्होने अपना लंड आख़िरकार नीरू की चूत मे उतार ही दिया हैं. जीजाजी लंबी लंबी साँसें ले रहे थे. नीरू की गान्ड पर पड़े उनके हाथ चुदाई की उत्तेज्नना मे काँप रहे थे.
10 सेकेंड्स के बाद जब उनको यह अहसास हुआ तो उन्होने अपना लंड फिर थोड़ा बाहर खींचा और पूरा बाहर निकालने से पहले ही फिर अंदर धक्का मारते हुए अपना लंड नीरू की चूत मे उतार दिया.
इस बार बड़ी तेज़ी से लंड चूत मे उतरा और नीरू के खुले मूह से एक तेज सिसकी निकल गयी और आँख कुच्छ सेकेंड्स के लिए बंद हो गयी. जीजाजी भी “अया” करते रह गये. यह तो बस एक शुरुआत थी.
जीजाजी फिर नही रुके, उन्होने लगातार धक्के मारते हुए नीरू को चोदना शुरू कर दिया. घोड़ी बनी नीरू का बदन उन धक्को से आगे पीछे हिल रहा था.
जीजाजी ने दोनो हाथो से नीरू की कमर पकड़ी हुई थी और डॉगी स्टाइल मे नीरू को चोदते रहे. नीरू की सिसकिया चालू हो चुकी थी. वो सिसकिया ना तो दर्द भरी थी और ना ही मज़े से भरी.
नीरू की सिसकिया एक टूटे दिल के दर्द की सिसकिया थी. नीरू का चेहरा मेरी तरफ ही था और मैं उसके सिर से लटकी ज़ुल्फो के बीच में से उसकी आँखों से आँसू निकलते देख पा रहा था.
नीरू सिसकियो के बीच मे सूबक भी रही थी पर जीजाजी पर कोई असर नही हुआ और वो मज़े लेते नीरू को चोदते ही रहे. मैं गुस्से में अपनी मुट्ठी भींचे वहाँ खड़ा था और इंतेजार कर रहा था की नीरू एक बार मदद के लिए मुझे बुलाए..
वॉशरूम मे मैं हेल्पलेस सा खड़ा था. इक्षा तो थी की बाहर जाकर जीजाजी को रोक लू, पर किस अधिकार से बाहर जाता. नीरू खुद यह सब करवा रही थी.
अगर मुझे पहले पता होता की मेरे और ऋतु दीदी के प्लान का यह अंजाम होने वाला हैं तो मैं कभी नीरू को वो सब नही सुनाता की जीजाजी “नीरू” नाम लेकर ऋतु दीदी को चोदते हैं.
मगर अब काफ़ी देर हो चुकी थी. नीरू के रोने की आवाज़े अब और भी ज़ोर से आने लगी थी. उसको शायद मदद की ज़रूरत थी. मुझसे फिर रहा नही गया, उसकी रुलाई को मैने मदद की गुहार मान लिया.
मैने तेज़ी से वॉशरूम का दरवाजा गुस्से मे खोला और आवाज़ होते ही जीजाजी का ध्यान मेरी तरफ गया. मगर उनको कोई फ़र्क नही पड़ा और नीरू को चोदते रहे.
नीरू को चोदने का मौका वो भला अपने हाथ से कैसे जाने देते. मुझे देखते ही उनको तो और पंख लग गये. जीजाजी ने झटके मार कर नीरू को चोदना शुरू किया.
उन झटको के दर्द से नीरू की चीख निकल गयी. मैं जीजाजी पर चिल्लाया और आगे आकर उनको धक्का देकर नीरू से दूर किया. जीजाजी मेरे धक्के से अनबॅलेन्स होकर बिस्तर से नीचे चीखते हुए गिर पड़े.
नीरू जो अब तक डॉगी स्टाइल मे बैठी थी, वो अब पेट के बल बिस्तर पर लेट गयी. मैने उसकी नंगी पीठ और सिर पर हाथ फेरा और उसको शान्त्वना दी.
फिर मैं जीजाजी के पास पहुचा जो अब तक खड़े हो चुके थे. मुझे नही पता मैने कितने पुंछ और लाते मारी परंतु उनके मूह से जितनी चीखें निकली उन्होने मुझे विचलित कर दिया.
जीजाजी मुझसे उम्र में बड़े थे और हमेशा आदर दिया था तो उनकी चीख सुनकर आगे और हाथ उतहाने की हिम्मत नही हुई. मैं उन पर बस चिल्लाने लगा.मैने जीजाजी को धक्का दिया और फिर पूरा झकज़ोर दिया था. तभी दरवाजे पर नॉक हुआ और ऋतु दीदी की आवाज़ आई. शायद चिल्लाहट सुनकर वो आ गयी थी. मैने जीजाजी को छोड़ा और दरवाजा खोलकर ऋतु दीदी को अंदर लिया.
ऋतु दीदी ने अपने पति की नंगी हालत देखी. कड़क लंड चिकना था. दूसरी तरफ नीरू बिस्तर पर औंधे मूह नंगी दहाड़ें मारते हुए सूबक रही थी. ऋतु दीदी को पूरा मामला समझ में आ चुका था.
ऋतु दीदी नीरू के पास गये और उसकी पीठ को सहलाते हुए उसको चुप किया. नीरू फिर उठ कर बैठ गयी और ऋतु दीदी के गले लग कर रोने लगी.
उसको कुच्छ सेकेंड लगे अपने आप को शांत करने में. मैं जीजाजी को बीच बीच मे नफ़रत भरी नज़रो से देख रहा था. जो इतना सब कुच्छ होने के बाद अभी भी नंगे खड़े थे.
नीरू अभी भी नंगी थी और साइड से उसके बड़े बूब्स और गठीली जांघे और गान्ड दिख रही थी. शायद इसी का प्रभाव था की जीजाजी का लंड अभी भी कड़क होकर फुदक रहा था.
प्रशांत: “अब तो शर्म कर लो, और अपने कपड़े पहनो. क्या घूर रहे हो नीरू को. ग़लत काम करते शर्म नही आई!”
जीजाजी कभी तरसती निगाहो से नीरू के नंगे बदन को देखते की उनकी चुदाई अधूरी छूट गयी और काश नीरू फिर से चुदवाने को हा बोल दे. फिर जीजाजी मेरे गुस्से भरे चेहरे को देखते और सहम जाते.
नीरू अब तक थोड़ा शांत हो चुकी थी और अपने आँसू पोंछते हुए ऋतु दीदी के सीने से अलग हुई और जीजाजी की तरफ देख कर बोली.
नीरू: “आपने मेरा भरोसा तोड़ दिया जीजाजी. मुझे आपसे यह उम्मीद नही थी”
जीजाजी: “हमको तो यह बहुत पहले ही कर लेना चाहिए था नीरू, हमको तो देर हो गयी हैं”
प्रशांत: “देखो इस बेशर्म इंसान को! अभी भी अपनी ग़लती मानने को तैयार नही हैं”
ऋतु दीदी: “नीरज, यह क्या कह रहे हो. थोड़ी तो शर्म करो. मेरी छोटी बहन के साथ ऐसी हरकत करते शर्म आनी चाहिए”
जीजाजी: “अच्छा, मुझे शर्म आनी चाहिए. और तुम्हे और इस प्रशांत को शर्म नही आनी चाहिए जब तुम दोनो ने आपस में मूह काला किया था!”
मैं और ऋतु दीदी अब सहम से गये थे. कही जीजाजी नीरू को वो राज ना बता दे की कैसे मैने और ऋतु दीदी ने चुदाई की थी. नीरू आश्चर्य से कभी जीजाजी को तो कभी मुझे और ऋतु दीदी को देख रही थी.
नीरू: “कैसी हरकत?”
जीजाजी: “मैं बताता हूँ, यह दोनो क्या बताएँगे. पिच्छली बार जब हम घूमने आए थे और तुम्हारे पैर मे मोच आई थी. तब दूसरे कमरे मे यह ऋतु और प्रशांत आपस मे चुदाई कर रहे थे”
नीरू अब शक भरी नज़रो से मुझे और फिर ऋतु दीदी को देखने लगी. ऋतु दीदी ने अपनी नज़रे झुका ली थी.
नीरू: “ऋतु दीदी! क्या यह सच हैं?”
ऋतु दीदी ने नज़रे झुकाए रखी और फिर अचानक से फफक फफक कर रोने लगी.
जीजाजी: “अब किस मूह से बोलेगी यह, जब इन दोनो ने आपस मे मूह काला किया था तब इनको शर्म नही आई! आज मुझे लेक्चर दे रहे हैं. क्या ग़लत किया मैने जो नीरू को चोदा. यह दोनो भी तो वोही ग़लती कर चुके हैं”
नीरू उसी नंगी हालत मे उठ कर मेरे पास आई. वो थोड़े आश्चर्य तो थोड़े गुस्से मे भरी थी. चलते वक़्त उसके मम्मे मदमस्त तरीके से उच्छल कर हिल रहे थे.
नीरू: “प्रशांत, तुमने ऋतु दीदी को चोदा था! ग़लती तुमने की और आज तक सिर्फ़ मुझ पर शक करते हुए गंदे इल्ज़ाम लगाते रहे”
प्रशांत: “मैं बताता हूँ की क्या हुआ था, मेरी इसमे कोई ग़लती नही हैं नीरू…”
नीरू: “तुम्हारे और ऋतु दीदी के बीच चुदाई हुई थी या नही?”
प्रशांत: “हा हुई थी मगर …”
नीरू: “बस, और बोलने की ज़रूरत नही हैं. तुम ग़लत नही होते तो तुम खुद मुझे आकर बताते, इस तरह छूपाते नही”
नीरू पलटी और जीजाजी के पास पहुचि.
नीरू: “अब तो मेरा पति और बहन भी मेरे नही रहे, किसके साथ वफ़ा करू! जीजाजी क्या करना हैं आपको मेरे साथ, कर लो अब जो भी करना हैं. वफ़ादारी की कोई कीमत नही रही अब मेरे लिए”
जीजाजी ने नीरू के कंधे पर हाथ रख कर उसको नीचे बैठा दिया और उसके मूह में अपना चिकना लंड डाल दिया और धक्का मारते हुए मूह चोदने लगे.
नीरू चुपचाप बैठी रही. जीजाजी खुश होकर मूह खोले आहें भरने लगे. मैं और ऋतु दीदी आश्चर्य मे उन दोनो को देख रहे थे.
नेक्स्ट एपिसोड मे पढ़िए क्या ऋतु और प्रशांत मिलकर जीजाजी और नीरू को ग़लत काम करने से रोक पाएँगे.