iनीरु: “तुम आवाज़े निकालो, जैसे यहाँ हम दोनों के बीच कुछ हो रहा हैं”
प्रशांत: “आप भी न जीजाजी। ऐसे कैसे आवजे निकाल दूं। मुझे शर्म आती है। मेरी तो हंसी छूट जाएगी, ऐसे आवाज नहीं नीलकेगी”
नीरु: “एक काम करते है। पहले माहौल बनाती है। तुम लेट जाओ”
मै अब निरु बने हुए लेट गया और जीजाजी बनी निरु मेरे पास आकर लेट गयी और मेरे ऊपर हाथ रख दिया।
नीरु: “अभी मूड बना क्या?”
प्रशांत: “नहीं”
नीरु ने फिर अपन पाँव मेरी टाँगो पर रगडना शुरू किया। फिर मुझसे वोहि सवाल दोहराय पर मैंने फिर आवाज निकालने से मना कर दिया।
नीरु: “क्या कर रही हो निरु। ऐसे कैसे चलेगा। एक काम करो तुम आँख बंद करो और मुझे प्रशांत समझ लो”
नीरु बने हुए मैंने अपनी आँख बंद कर ली और तभी निरु का हाथ आकर मेरे लण्ड को लगा और वो मेरा लण्ड रगडने लगी। मैं सोचने लगा की क्या सचमुच जीजाजी ने निरु की आहें निकालने के लिए उसकी चूत को रगड़ा होगा?
नीरु: “क्या हुआ निरु, अब तो आवाज निकालो”
मैने अब हलकी हलकी सिसकिया निकालनी शुरू कर दि। वैसे भी काफी दिनों बाद निरु मेरा लण्ड रगड़ रही थी तो मुझे मजा आ रहा था। कुछ सेकण्ड्स के बाद मेरे पजामा खोल कर निरु ने मेरा नँगा लण्ड रगडना शुरू कर मेरी आहें बढा दी थी। मै उस लण्ड रगड़ाई का मजा ले ही रहा था की निरु ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर लगा दिया और मेरा हाथ अपनी चूत पर रगडने लगी।
नीरु: “चलो निरु, तुम भी मेरे रगडो, दोंनो की सिसकिया निकलेगी तो प्रशांत को शक़ ज्यादा होगा”
मै अब निरु की चूत को कपड़ो के ऊपर से ही रगडने लगा। पर फिर निरु ने अपनी नाइटी ऊपर कर दी और मेरा हाथ अपनी पैंटी में डाल दिया। मैं अब आराम से निरु की बालो भरी चूत को रगडने लगा। थोड़ी देर में निरु की भी सिसकिया निकलने लगी। एक दूसरे के नाजुक अंगो को रगड़ते हुए हम एक दूसरे को मजा दिला रहे थे और एक नशे में खो रहे थे।
प्रशांत: “जीजाजी, अगर प्रशांत ने दरवाजा खोलने की कोशिश की तो?”
नीरु: “हम कौन सा कुछ गलत कर रहे हैं? आने दो, वो शक़ करते पकड़ा जाएगा”
प्रशांत: “जीजाजी मुझे डर लग रहा है। यह गलत हैं न!”
नीरु: “हम तो सिर्फ प्रशांत का टेस्ट लेने के लिए कर रहे है। चलो कुछ और करते हैं!”
प्रशांत: “क्या करू जीजाजी!”
नीरु: “तुम्हारे कपडे खोल दू? ज्यादा अच्छे से आवाज निकलेगी तो प्रशांत को ज्यादा शक़ होगा”
प्रशांत: “खोल दो, हमें तो वैसे भी प्रशांत का शक़ बढ़ाना है। पर कपडे खोल कर क्या करेंगे?”
नीरु: “वोही जो एक मर्द और औरत करते हैं”
प्रशांत: “क्या जीजाजी?”
नीरु: “नहाते है। तुम्हे क्या लगा निरु?”
प्रशांत: “मुझे लगा …।”
नीरु: “तुम्हे लगा चु. . .ई तुम मुझसे चुदवाओगी?”
प्रशांत: “क्या बोल रहे हो जीजाजी? बाहर प्रशांत हैं, उसको पता चला तो?”
नीरु: “वो नहीं आएगा निरु, कुण्डी लगा रखी हैं, दरवाजा नहीं खुलेगा”
प्रशांत: “चुदाई की आवाज तो बाहर जाएगी न?”
नीरु: “अच्छा है। आवाज सुनकर अगर प्रशांत ने दरवाजा खोलने की कोशिश की तो इसका मतलब उसको हम पर शक़ हैं”
प्रशांत: “हां! तो फिर चोद दो मुझे जीजाजी”
नीरु: “तो कपडे खोलो अपने”
प्रशांत: “ठीक हैं”
नीरु: “अपने खुद के कपडे खोलने में क्या मज़ा आएगा। निरु मैं तुम्हारे कपडे खोलूँगा और तुम मेरे”मैने निरु की नाइटी निकालने के बाद उसके ब्रा और पैंटी निकाल कर उसको पूरा नँगा कर दिया। निरु ने फिर मेरे कपडे निकाल कर मुझे नँगा कर दिया। नंगा करते ही उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया और हिलाते हुए कड़क करने लगी। लण्ड थोड़ा बड़ा हुआ तो निरु उसको अपने मुँह में लेकर चुसने लगी। इतने दिनों बाद कोई लड़की मेरे लण्ड को चुस रही थी और मैं जैसे हवा में तैरने लगा था और आहें भारत हुआ मजे लेता रहा। जब मेरा पानी निकलने लगा तब जाकर निरु रुकी।
नीरु: “निरु अब तुम्हारी बारी हैं, मेरे लण्ड को चुसने की”
यह कहते हुए निरु बिस्तर पर कोहनी के बल आधा लेट गयी और अपने पाँव चौड़े कर दिए। चुत खुली देखते ही इतने दिन की मेरी तड़प जाग गयी और मैं टूट पद। मैं अब बेतहाशा निरु की चूत को अपनी जुबान से रगड़ रगड़ कर चाट रहा था। उस से भी मन नहीं भरा तो उसकी चूत के होंठों को थोड़ा खोला और फिर अपने मुँह में भर कर किश किया और चुसा। ऐसा करते ही निरु को मजा आया और वो मुझे उत्तेजित करना चालू हो गयी।
नीरु: “वाह निरु, तुम तो बहुत अच्छा लण्ड चाटती और चुसती हो”
प्रशांत: “आपने भी मेरी चूत अच्छे से अपनी जुबान से चोदा हैं”
नीरु अब और नशे में जाने लगी। मैं अपनी जुबान और होंठों से तो कभी ऊँगली का भी सहारा लेकर निरु की चूत में खुजली करते हुए उसको उत्तेजित करता रहा।
प्रशांत: “अब हम रोले रिवर्स करले। मैं जीजाजी और तुम निरु!”
नीरु ने नशे में अपनी गर्दन हिलायी और हां कहा।
प्रशांत: “तो निरु अगर तुम्हे मजा आ रहा हैं तो आवाज नहीं निकालोगी क्या?”
नीरु: “ओह्ह! जीजाजी, क्या मस्त चुसते हो आप. आआह मजा आ रहा हैं … उह्ह्ह्ह . . उम्मम्मम्म आआह जीजाजी … चूत में जुबान डाल कर चोदो मुझे … हम्म्म्म … हां ऐसे … जल्दी जल्दी …आ आ . . ऊवाहः जीजाजी . . मजा आ रहा हैं . . और चोदो”
नीरु के मुँह से जीजाजी का नाम सुनकर बुरा लग रहा था पर निरु को इस तरह काफी दिन बाद मजे लेते देख बहुत खुसी भी मिल रही थी। इसलिए मैं पुरे जोश के साथ अपनी जुबान का खुरदुरा भाग निरु की चूत में रगड़ कर उसको मजे दिलता रहा। इन सब के बीच निरु लगातार मजे के मारे अपना पाँव बिस्तर पर ऊपर नीचे रगड़ कर तड़प रही थी। वो बहुत बुरी तरह आहें भरती रही और लास्ट में वो थोड़ा शांत हुयी।
नीरु: “बस जीजाजी रुक जाओ … मेरा पूरा पानी निकाल दिया आपने . . आ जाओ . . मेरे मम्मे चुस लो अब . . आपके लिए ही बड़े किये हैं मैंने . . चुस लो सारा दूध इसका”
नीरु खुद मुझे आगे बढ़कर अपने मम्मे चुसने को बोल रही थी। जब की कुछ समय पहले जब हम साथ थे तब उसने मुझे मम्मे चुसने से मना कर दिया था।
शायद इतने दिन की जुदाई का असर था या अगर शक़ की नजर से देखु तो निरु मुझे अपन जीजा समझ कर अपने मम्मे चुसवाने की परमिशन दे रही थी। मैने निरु के बूब्स चूसे पर अब उनमें दूध नहीं था। या तो नैचुरली दूध ख़त्म हो गया था या फिर जीजाजी ने पहले ही पिछली दो रातो में निरु के मम्मो का सारा दूध चुस कर ख़त्म कर दिया था!
नीरु के मम्मे चुसते चुसते मेरे दिमाग में एक आईडिया आया, शायद मैं निरु से कुछ और सच निकलवा सकता था। मुझे पता था की निरु जब चुदाई के नशे में डूबती हैं तो फिर उसको होश नहीं रहता और बहुत कुछ बोल जाती है। मैं उस वक़्त उसके मुँह से सच्चाई निकलवा सकता हूँ।
मैने निरु को लेटाया और उसकी दोनों टांगो को चौड़ा कर थोड़ा उठाया और अपना लण्ड निरु की चूत में डाल दिया। मेरे लण्ड को चूत की गर्मी में भी थोड़ी ठंडक मिली। एक बार लण्ड अन्दर गया तो मैं बिना धक्के मारे रुक नहीं पाया। मेरे लण्ड के धक्के अपनी चूत में सहते सहते निरु अब सिसकिया भर रही थी।