ऋतू दीदी जैसी सुलझी हुयी औरत जब अपने पति को धोखा देकर मुझे चोद सकती हैं तो फिर निरु तो अपनी बहन से भी चंचल हैं, वो तो और भी बड़ी गलती कर ही सकती हैं। नीरु सो चुकी थी और मुझे उसकी कहानी की सच्चाई टेस्ट करनी थी। मैं उठा और उसके मोच वाले पाँव पर हाथ रख हलके से दबाया। नीरु एकदम से चीखते हुए उठ बैठि और रोते हुए मुझ पर एक हाथ घुमाया जो मेरी बाजू पर लगा। मैंने लाइट लगायी तो देखा उसकी आँखें दर्द से भर आयी। मै बुरी तरह डर गया और सॉरी सॉरी बोलते रह गया और वो रोते रोते ही फिर लेट गयी और थोड़ी देर तडपती रही।
मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आया। मै उसके नंगे बदन पर हाथ फेर सहलाना चाहा ताकी उसको दर्द कम हो पर उसने मेरा हाथ झटक दिया। थोड़ी देर कराहने के बाद उसका दर्द कम हुआ तो वो नार्मल हुयी और उसने मुझे अपने बदन पर हाथ सहलाने दिया। वो सिर्फ पैंटी में सो रही थी तो मैं कभी उसके नंगे पेट तो कभी सीने तो कभी उसके मम्मे पर हाथ रख फिराता रहा।
मै सुबह उठा पर निरु अभी भी सो रही थी। मेरे शक़ का कीड़ा मरने का नाम ही नहीं ले रहा था। हो सकता हैं की उसकी मोच असली हो पर कमरे में आने के बाद तो जीजाजी निरु को डॉगी स्टाइल मे चोद ही सकते हैं। मै उठ कर बैठा और निरु को देखने लगा। वो मासुमियत से सो रही थी। उसकी छाती पर नंगे मम्मे खिल रहे थे और सिर्फ पैंटी में सोये हुए वो मुझे बिना कहे जैसे चोदने का इनविटेशन दे रही थी।
अचानक से मेरे दिमाग में एक योजना आयी। अगर मेरा ईमान डोल सकता हैं तो जीजाजी जैसा इंसान तो क्या कर जाएगा। अगर निरु को इस हालत में देख जीजाजी ने कुछ करने की कोशिश की तो क्या निरु भी उनका साथ देगी? अगर निरु ने साथ दिया तो उसकी सच्चाई बाहर आ जाएगी और मैं उन्हें रंगे हाथों पकड़ लुंगा। अगर निरु सच्ची निकली तो कम से कम जीजाजी की पोल तो निरु के सामने खुल ही जाएगी।
फिर तो निरु को मेरी बात पर विश्वास करना ही पडेगा की जीजाजी की नीयत ख़राब हैं। मै उस वक़्त भूल ही गया की मैं क्या करने जा रहा हूँ। अगर निरु बेवफायी नहीं कर रही तो बेवजह वो अपने जीजाजी के सामने नंगी हो शर्मिंदा होगी। मगर उस वक़्त मेरे दिमाग पर शक़ चढा हुआ था। मै रूम के बाहर गया और मैंने जीजाजी को फ़ोन लगा कर कहा की निरु को आपकी जरुरत हैं और रूम पर आने को कहा।
अन्दर आकर मैंने रूम का दरवाज २-३ इंच खुला छोड़ दिया, फिर मैं वॉशरूम में आ गया। मैं फिर वॉशरूम में ही छुपा रहा और इन्तेजार करने लगा। १० मिनट्स हो गए पर बाहर से कोई चीखने की आवाज नहीं आयी। मैं एक्सपेक्ट कर रहा था की निरु जीजाजी की जबरदस्ती देख चिल्लायेगि, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। या तो जीजाजी ने कुछ किया ही नहीं होगा या फिर निरु चुदवाने को मान गयी होगी।
निरु को इस नंगी हालत में देख जिजाजी जैसे करप्ट इंसान का मन ना डोले यह हो ही नहीं सकता। इसका मतलब निरु जीजाजी से चुदवाने को तैयार हो गयी होगी। मैने अब बाहर जाकर दोनों को रंगे हाथों पकडने को तैयार था। मैंने एक झटके में वॉशरूम का दरवाजा खोला और बाहर आकर सामने बिस्तर पर देखा तो निरु पाँव से लेकर गले तक चादर ओढ़े लेटी थी। बेड के सामने जीजाजी खड़े उस से बात कर रहे थे।
मुझे वॉशरूम से निकलता देख निरु मेरी तरफ देखने लगी।
नीरु: “प्रशांत, मैंने तुम्हे जीजाजी को बुलाने को कब बोला था?”
अब मैं फ़ांस चुका था। जो सोचा था वो तो हुआ नहीं। मैं जीजाजी की आँखें पढने लगा। उन्होंने निरु को नँगा देख कैसा महसूस किया होगा? मगर उनकी नजरे भी मेरी तरफ देख सवाल पुछ रही थी। मै अब क्या जवाब देता, मैं तो इस सिचुएशन के लिए रेडी ही नहीं था। फिर भी कोई तो जवाब देना था।
प्रशांत: “वो तुम्हे चोट लगी थी तो मैंने सोचा जीजाजी को बुला कर तुम्हे हॉस्पिटल दिखा देते, इसलिए बुला लिया”
नीरु: “फ़ोन करने से पहले मुझसे एक बार पुछ तो लिया होता। मेरा पैर अब ठीक हैं, डॉक्टर की जरुरत नहीं हैं”
जीजजी: “कोई बात नहीं निरु, मुझे कोई तकलीफ नहीं हुयी। प्रशांत तुम्हारे लिए फिक्रमंद होगा। मैं अभी जाता हूँ, तुम लोग तैयार हो कर ब्रेकफास्ट के लिए पैंट्री में आ जाना”