फिर मैं जहां लेटी थी वहां मैंने दीदी को सोने को कहा और बाद में उन्हें नंगा कर दिया। दीदी का बदन मुझसे थोड़ा भारी था। शादी से पहले भी उनकी ब्रा की साइज मुझसे एकाध साइज बड़ी ही रहती थी। पर अभी तो। उनकी ब्रा मुझसे काफी बड़ी हो गई थी। उनकी कमर का घेरा और जांघ का फैलाव भी ज्यादा ही था। फिर भी दीदी बहुत ही सेक्सी दिख रही थी। क्योंकि उनका पेट सपाट था, बच्चा होने के बाद ज्यादातर औरतों के पेट थोड़े तो बढ़ ही जाते हैं। पर दीदी ने उनकी बाडी अच्छी तरह से मेंटन करके पेट को समतल रखा हुवा था।
जीजू ने दीदी के होंठों को चूमा और फिर झुक के दाहिने उरोज को मुँह में लेकर चूसा, बाद में थोड़ा झुक के नाभि को चूमा, मेरी तरह दीदी भी मुझसे ही शर्मा रही थी, वो शायद अपने मुँह से निकलने वाली सिसकारियां रोक रही थी।
जीजू ने हाथ नीचे करके दीदी की जांघ को सहलाया, दीदी की भारी मांसल जांघे उनके बदन का सबसे सेक्सी हिस्सा था। जीजू ने अपना हाथ जब दीदी की चूत पे रखा तब दीदी के साथ मेरी भी धड़कनें तेज हो गईं, और जब जीजू ने हाथ हटाकर दीदी की चूत का चूमा तब तो मुझे ऐसा लगा की जीजू दीदी की नहीं मेरी चूत चूम रहे हैं।
दीदी- “प्लीज़… नहीं…” दीदी इतना ही बोल पाई और उन्होंने जीजू के बाल पकड़कर ऊपर उठने को कहा।
जीजू ने मेरी तरफ देखकर दीदी की तरफ इशारा किया।
दीदी- “नहीं प्लीज़, मुझे नहीं पसंद..” दीदी फिर से बोली।
जीजू ने फिर से इशारा करके मुझे पूछने को कहा।
मैं- “क्या हुवा दीदी…” मैंने झिझकते हुये पूछा।
जीजू- “तेरी दीदी ये कभी नहीं करने देती…” दीदी के बदले जीजू ने जवाब दिया और मुझे बात जारी रखने का इशारा किया।
मैं- “क्यों दीदी, आपको ये अच्छा नहीं लगता?” मैंने पूछा।
दीदी- “अच्छा तो लगता है, पर मुझे तेरे जीजू का चूसना नहीं पसंद। अब जो मैं नहीं कर सकती वो अनिल से करवाना मुझे अच्छा नहीं लगता…” दीदी ने कहा।
मैं- “मतलब की दीदी आपको लण्ड चूसना पसंद नहीं, इसलिए आप जीजू से चूत नहीं चटवाती?”
मेरी खुली बातें सुनकर दीदी को थोड़ा अचरज तो जरूर हुवा होगा, पर उन्होंने कुछ बोला नहीं।
जीजू- “मुझे तो दोनों तरफ से नुकसान है निशा, एक तो मेरा लण्ड चूसती नहीं, ऊपर से मुझे उसकी चूत चाटने देती नहीं..” जीजू ने दीदी को उसकाते हुये कहा।
मैं- “क्यों दीदी, आपको लण्ड नहीं पसंद?” मेरा सवाल सुनकर दीदी हँसने लगी।
दीदी- “वो तो पसंद है, पर उसकी गंध नहीं पसंद..”
मैं- “दीदी आपकी सोच कुंवारी लड़कियों जैसी है, मुझे भी शादी के शुरुआती दिनों में लण्ड की गंध से घिन आती थी। मैं झूठ बोल रही थी, सिर्फ शुरुआती दिनों में नहीं थोड़े दिन पहले तक मुझे भी ये सब कुछ नहीं अच्छा । लगता था। लेकिन दीदी उसकी गंध गंदी नहीं, मादक होती है…”
दीदी ने मेरी बात का कोई जवाब तो नहीं दिया, पर उन्होंने हाथ अपनी चूत पर से हटा लिया था।
जीजू तो कब से इसी पल का इंतेजार कर रहे थे। उन्होंने तुरंत दीदी की चूत को बाहर से चाटना चालू कर दिया। थोड़ी देर बाहर से गीला करने के बाद जीजू ने उनकी जबान को दीदी की चूत में दाखिल किया।
इतने नजदीक से ऐसा उत्तेजक नजारा देखकर मैं फिर से मस्त होने लगी थी। जीजू पूरे जोश से दीदी की चूत चाट रहे थे। दीदी कामातुर होकर सिसकारियां भर रही थी और साथ में जीजू के बाल सहला रही थी। जीजू ने उनका हाथ ऊपर करके दीदी के उरोजों को सहलाते हुये मुझे इशारा किया की चूसो इसे।मैं हिचकिचाते हुये झुकी और दीदी के दाहिने निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगी, बारी-बारी दोनों निप्पल चूसकर ये जानने की कोशिश करने लगी की मर्यों का सबसे पसंदीदा खिलोना ये क्यों है?
दीदी- “अनिल्ल्ल
क्या कर रहे हो? निशा मैं मर जाऊँगी छोड़ो मुझे…” दीदी पागलों की तरह कराह रही थी।
मैं और जीजू उनकी बात पर ध्यान दिए बगैर हमारा काम कर रहे थे। थोड़ी देर बाद दीदी झड़ गई। झड़ते वक़्त दीदी ने मेरे बाल पकड़कर इतनी जोर से खींचे की उनके साथ मैं भी कराहने लगी। इस वक़्त रूम के अंदर का जो नजारा था वो देखकर कामदेव भी शर्मा जाएं, और उन्हें जीजू की तकदीर से ईर्षा आए ऐसा हसीन नजारा था। मैं और दीदी घुटनों के बल बैठी थी और जीजू लण्ड पकड़कर हमारे सामने खड़े थे।
ब्लू-मूवी जैसा दृश्य था, मैंने लण्ड पकड़कर सहलाया और मैंने उनके और नजदीक जाकर दीदी से पूछा- “दीदी आपको इसमें से किस चीज की गंध आ रही है?”
दीदी भी मेरी तरह थोड़ा नजदीक आई- “पेशाब और पसीने की..”
दीदी की बात सुनने के बाद मैंने जीजू के लण्ड को मुँह में ले लिया और तीन-चार बार कुल्फी की तरह चूसा, चारों तरफ से अच्छी तरह चूसकर मेरे थूक से लण्ड को गीला कर दिया- “अब बताओ किस चीज की गंध आ रही है?”
मेरे कहने पर दीदी फिर से नजदीक आई और बोली- “समझ में नहीं आ रहा…”
मैं- “कैसी आ रही है?”
दीदी- “अब पहले जितनी बुरी नहीं लग रही, अच्छी लग रही है…” दीदी ने कहा।
मैंने मेरी जबान निकाली और दीदी की तरफ देखते हुये लण्ड के सुपाड़े को चाटा और फिर आगे के छेद को सहलाया।
अब दीदी की आँखों में अलग सी तरस दिखने लगी थी।
मैं- “दीदी आप भी लो ना…” कहकर मैंने लण्ड को दीदी के हाथ में दे दिया।
दीदी ने लण्ड पकड़कर मेरी ही तरह उसके सुपाड़े को चूसा, थोड़ी देर ऐसे ही चूसने के बाद दीदी लण्ड को ज्यादा अंदर लेने लगी, और मैं खड़ी होकर जीजू को किस करने लगी। जीजू ने अपने दोनों हाथों से दीदी का सिर पकड़ लिया था और बड़े ही चाव से दीदी से अपना लण्ड चुसवा रहे थे। जीजू ने मुझे फिर से बैठने को कहा।
मैंने नीचे बैठकर देखा तो दीदी जीजू का पूरा लण्ड मुँह में लेकर फिर बाहर निकालती थी।
जीजू- “दोनों एक साथ चूसो…” कहकर जीजू ने दीदी के मुँह से लण्ड निकालकर अपने हाथ में पकड़ लिया और खड़े हो गये।
फिर एक तरफ से मैं और दूसरे तरफ से दीदी, हम दोनों एक साथ जीजू के लण्ड को चाटने लगीं। जीजू का स्टेमिना गजब का था, उनके मुँह से सिसकारियां निकलने लगी थीं, पर वो आउट हो जायें ऐसा लग नहीं रहा था।
मैं- “दीदी आप लण्ड के इस छेद को चाटो, जिससे जीजू की मस्ती बढ़ जाएगी…”
मेरी बात सुनकर दीदी जीजू के लण्ड के छेद को सहलाने लगी।
मैंने पूछा- “मजा आ रहा है ना दीदी?”
दीदी- “हाँ निशा। तेरे जीजू के लण्ड को खा जाने का मन हो रहा है…” दीदी ने लण्ड को काटते हुये कहा।
मैंने ऊपर जीजू की तरफ देखा तो उन्होंने मुझे होंठ फड़फड़ाकर बैंक्स कहा।
मैं और दीदी फिर से पहले की तरह जीजू के लण्ड के अलग-अलग साइड को चाटने लगीं। मुझे अब डर लग रहा था की जीजू कहीं झड़ न जायें, नहीं तो हमारा खेल सिमट जाएगा। तभी अचानक जीजू पीछे हो गये और हम दोनों के बाल पकड़कर हमारे चेहरे एक दूसरे से चिपका दिए। मेरी और दीदी की जबान जीजू के लण्ड पे थी जो ऐसा करते ही एक दूसरे की जबान से मिल गई।
जीजू- “किस करो…” जीजू ने कहा।
मैं और दीदी एक दूसरे की जीभ से जीभ सहलाने लगीं। मैंने थोड़ा आगे होकर दीदी के सिर को पकड़ लिया और उनके मुँह में मैंने मेरी जीभ डालकर पूरे मुँह का जायजा ले लिया और फिर बाहर निकालकर उनके होंठों को मेरे होंठों की गिरफ्त में लेकर चूसने लगी। थोड़ी देर चूसने के बाद मैंने इरते हुये दीदी को छोड़ा। डर था की दीदी को बुरा लगा होगा, लेकिन दीदी के मुँह पे मुश्कुराहट देखकर वो डर गायब हो गया। दीदी ने टांगों को चौड़ी । करके जीजू की कमर को पकड़ लिया था, और जीजू अपने चूतड़ों को आगे-पीछे करके दीदी की चुदाई कर रहे थे। वो बीच-बीच में झुक के दीदी का चुंबन कर रहे थे।
मैं उन दोनों के करीब बैठकर ध्यान से जीजू का लण्ड किस तरह से अंदर और बाहर हो रहा है, वो देख रही थी। जीजू जब लण्ड को अंदर पेलते थे, तब दीदी सरक के थोड़ा ऊपर होती थी और जब जीजू लण्ड पीछे लेते थे तब दीदी उनके साथ नीचे सरक रही थी। चुदवाना तो औरतों की तकदीर है, लेकिन इतने करीब से चुदाई देखना हर किसी के तकदीर में नहीं होता।
जीजू पहले मेरी चुदाई करना चाहते थे, और दीदी भी मेरी चुदाई पहले देखना चाहती थी। लेकिन मैंने जीजू को पहले दीदी की चुदाई करने को कहा। क्योंकि मेरे बदन की तपिस और बेकरारी के आगे जीजू ज्यादा टिकते नहीं
और दीदी की चुदाई रह जाती।
जीजू- “निशा, मीना की चूचियों को चूस…” जीजू ने कहा।
मैं तो कब से यही सोच रही थी। मुझे दीदी के उरोजों का कोई आकर्षण नहीं था, लेकिन मेरे चूसने से वो जल्दी से झड़ जाएगी ऐसा मेरा मानना था। मैंने झुक कर दीदी का दाहिना उरोज मुँह में भर लिया और बायें उरोज को सहलाने लगी। दीदी के मुँह से एक करारी सिसकी निकल गई, और उनके हाथ जो अब तक कोई काम नहीं कर रहे थे, वो मेरे बालों को सहलाने लगे। Adultery
जीजू- “मीना हर रोज से ज्यादा मजा आ रहा है ना?” जीजू ने धक्का मारने की स्पीड तेज करते हुये कहा।
दीदी- “हाँ, अनिल आया… ऐसे ही करते रहो..” दीदी ने मेरे बालों को खींचते हुये कहा।
मैंने मेरा हाथ नीचे किया और जब जीजू का लण्ड बाहर निकलता था, तब मैं दीदी की चूत के बाहरी भाग को सहलाने लगती और लण्ड अंदर आता था तब हाथ खींच लेती थी।
जीजू अब जोर-जोर से दीदी की चुदाई करने लगे और मैंने उनके मम्मों की चुसाई तेज कर दी थी। और जिस स्पीड से अब दीदी कराहने लगी थी, उससे ये लग रहा था की वो उनकी मंजिल के बहत करीब हैं।
दीदी- “आअह्ह्ह.. मैं मर गई..” कहते हुये दीदी झड़ने लगी।
मैं दीदी की निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगी।
जीजू- “अब तेरी बरी है मेरी रानी…” जीजू ने चहकते हुये मेरी तरफ देखकर कहा।
मैं जीजू से खड़े रहकर चुदवाना चाहती थी, लेकिन जीजू ने मुझे दीदी की तरह ही लेटने को कहा- “तुम खड़ी रहोगी तो मीना तुम्हारी चूचियां चूस नहीं पाएगी, और ऐसा डबल मजा फिर तो न जाने तुम्हें कब मिलेगा…”
जीजू की बात सही भी थी। मैं दीदी की तरह लेट गई। जीजू मेरी टांगों के बीच आकर मेरी चूत पर लण्ड रगड़ने लगे, और फिर उन्होंने लण्ड को चूत के मुँह पर रखकर धीरे से धक्का मारा। उनका लण्ड एक-दो इंच जितना अंदर गया। Adultery
मैं- “लगता है जीजू आप थक गये हैं…” मैंने मजाक करते हुये कहा।
जीजू- “नहीं रे… मैं मीना की चूत में ऐसे ही धक्का लगाता हूँ, फिर भी पूरा अंदर तक घुस जाता है। मेरे दिमाग में वही रह गया था..” जीजू ने ये कहते हुये पूरा लण्ड अंदर तक घुसेड़ दिया था।मैं- “जीजू, दीदी तो कम चुदवाती हैं फिर भी उनकी चूत ज्यादा चौड़ी क्यों है?” मैंने दीदी की तरफ देखकर कहा।
दीदी हमारी बात सुनकर मंद-मंद हँस रही थी।
जीजू- “बच्चा आने के बाद कोई भी औरत की चूत भोसड़ा बन जाती है। तुझे भी बच्चा होगा ना तब तेरी चूत भी भोसड़ा बन जाएगी…” जीजू बोलते हुये झुके और मुझे किस किया।
मैं- “तो मैं बच्चा पैदा नहीं करूंगी जीजू। मैं मेरी चूत का भोसड़ा नहीं बनाना चाहती…” मुझे मजा आ रहा था चुदवाते हुये ऐसी बातें करने में।
दीदी- “क्यों तुझे बच्चे नहीं पसंद?” दीदी मेरी बात सच मान बैठी।
मैं- “मैं तो मजाक कर रही हैं दीदी, बच्चे के बिना तो हमारा औरत होने का अहसास ही पूरा नहीं होगा…” मैं बहुत कुछ कहना चाहती थी, लेकिन उससे कहीं जीजू का जोश कम न हो जाय इसलिए मैं ज्यादा न बोली।
उसके बाद जीजू ने खूब जोरों से और मस्ती से मेरी चुदाई शुरू की। दीदी ने मेरे मम्मे चूसे साथ में कई बार होंठ भी चूसे, दस मिनट की चुदाई के बाद मैं और जीजू एक साथ झड़े।
सुबह उठते ही मम्मी का फोन आ गया- “कितने बजे आ रही हो?”
मैं- “दस बजे तक आ जाऊँगी…” मैंने कहा जो दीदी सुन रही थी।
तब दीदी ने पूछा- “किसका फोन है?”
मैं- “मम्मी का…” मैंने जवाब दिया।
दीदी- “मुझे दो..” कहते हुये दीदी ने मोबाइल मेरे हाथ से ले लिया और मम्मी को कहने लगी- “मम्मी, निशा और दो दिन यहीं रुकेगी…”
लगता था मम्मी ना बोल रही थी, क्योंकि दीदी उन्हें समझा रही थी। दीदी के गोरे चेहरे पे कल से ज्यादा कोमलता और चमक आज दिख रही थी। कोई अलग सा आनंद और पूर्ण संतोष झलक रहा था उनके चेहरे पर। कुल मिलकर वो मुझे आज जितना खूबसूरत कभी नहीं दिखी थी।
दीदी- “तुम्हें जाना होगा निशा, मम्मी को बुखार है…” दीदी ने मोबाइल मेरे हाथ में देते हुये कहा।
दीदी और जीजू में से किसी की भी इच्छा नहीं थी मुझे जाने देने की। लेकिन मैं जाना चाहती थी, क्योंकि मैं दूसरे दिन सुबह उनसे ये जानना चाहती थी की उन्होंने मेरे बिना भी सेक्स किया है की नहीं?
* *
घर पहुँचते ही मैंने मम्मी को आराम करने को कहा और मैं काम में लग गई। थोड़ी देर बाद खुशबू आई पर मुझे किचन में देखकर वापस चली गई। दोपहर को फ्री होते ही मैंने नीरव को मोबाइल किया, कोई खास बात नहीं हुई। फिर मैं सब्जी लेने गई और जब वापस आ रही थी तब मेरे पास एक चमचमाती गाड़ी आकर रुकी। मैंने गाड़ी की तरफ देखा तो अंदर अब्दुल बैठा हुवा था। Adultery
मैंने उस पर से नजर हटाई और आगे निकलने लगी।
अब्दुल- “अइ लड़की..” उसने आवाज लगाई।
मैंने ध्यान नहीं दिया।
अब्दुल- “सुन लड़की, ये बात तेरी अम्मी की है..”
मैं ठहर गई उसकी बात सुनकर।
अब्दुल- “दो दिन में मेरे नीचे लेटने के लिए आ जा, नहीं तो ऐसा खेल खेलूंगा की तुम्हारी अम्मी और अब्बू मर जाएंगे…”
मैं- “क्या करोगे तुम?” मुझे गुस्सा आ गया उसकी बात सुनकर।
अब्दुल- “तुम्हारी अम्मी को बदनाम कर दूंगा, सबको बता दूंगा की वो मेरी रखैल है। अगर दो दिन के अंदर तुम मेरे नीचे सोने नहीं आई तो यही करूंगा…” कहकर अब्दुल निकल गया और मुझे गहरी दुविधा में डाल गया।
शाम को मम्मी को लेकर मैं डाक्टर के पास गई, मम्मी ना ना कह रही थी की ज्यादा बुखार नहीं है। लेकिन मैं जिद करके मम्मी को डाक्टर के पास ले गई। वापस आकर हम लिफ्ट के अंदर घुसे और जाली बंद करके मैं।
तीसरे माले का बटन दबा ही रही थी की तभी आवाज आई- “लिफ्ट लिफ्ट…”
मैंने फिर से जाली खोल दी। मैंने उस तरफ देखा जहां से आवाज आई थी, मुझे मेरी आँखों पर विस्वास नहीं हो रहा था, सामने से पप्पू आ रहा था। उसने लिफ्ट के पास आकर मुझे देखा, तो मैंने नफरत से उस पर से नजर हटा दी।
मम्मी- “अंदर आ जाओ बेटे…” मम्मी शायद उसे पहचानती थी।
पप्पू- “मुझे काम है आंटी, मैं बाद में आता हूँ.” कहकर पप्पू वापस मुड़ गया।
मैंने जाली बंद करके बटन दबाया, पूछा- “ये यहां रहता है?”
मम्मी- “हाँ, यहीं रहता है…” मम्मी ने कहा।
मैं- “कौन से माले पे?” मैंने पूछा।
मम्मी- “सातवें माले पे। अरे याद आया तुम्हें कल मिला तो था ये, तुम भूल गई?” मम्मी ने कहा।
मैं- “मुझे कब मिला?”
मम्मी- “ये प्रेम था, तुम कल पूछ तो रही थी इसके बारे में…” मम्मी ने याद दिलाया।
मम्मी की बात सुनकर मैं सन्न हो गई की ये प्रेम था और मेरे हिसाब से ये पप्पू था। मुझे अब जल्दी से खुशबू को मिलना था और उसे बताना था की उसका प्रेम क्या है? मैं रसोई कर रही थी लेकिन मेरा ध्यान पप्पू पे था, मुझे लग रहा था की पप्पू उस दिन मुझसे झूठ बोलकर निकल गया था, या फिर वो खुशबू से प्यार का नाटक । कर रहा है। दोनों में से एक बात ही सच्ची हो सकती है, वो भी फाइनल था। कुछ बता सकती थी तो खुशबू बता सकती थी। लेकिन वो मुझे देखकर भड़कती थी। कुछ समझ में नहीं आ रहा था। Adultery
तभी मेरा मोबाइल बजा, देखा तो रीता का फोन था।
हेलो..” मैंने कहा।
रीता- “क्यों मुझे याद किया था निगोड़ी…” रीता की आवाज आई।
मैं- “मैं यहां आई हूँ, तुम कहां थी दो दिन?” मैंने कहा।
रीता- “तुम यहां हो और मैं तेरे घर से करीब हूँ, दो मिनट में आई…” कहकर रीता ने काल काट दी। दस मिनट में ही रीता घर पे आ गई।
हम दोनों ने एक दूसरे को बाहों में भर लिया और फिर अकेले में अंदर जाकर बैठे।
रीता- “बता निगोड़ी, तेरे मिट्ठू मियां कैसे हैं?” रीता ने पलंग पर बैठते हुये पूछा।
मैं- “नीरव मुंबई में है…” मैंने बाजू में बैठते हुये कहा।
रीता- “मुझे मालूम है कि तू ही आएगी, जीजू को तू ऐसे तो छोड़ती ही नहीं…”
मैं- “मैंने तुम्हें फोन किया था, बंद आ रहा था..” मैंने उसे फोन किया था वो जताने के लिए कहा।
रीता- “मुझे मालूम है, मिस काल के मेसेज आते हैं मेरे मोबाइल में, मैं भी मुंबई गई थी, मोबाइल भूल गई थी। यहां…” रीता ने कहा।मैं- “तू कब हूँढ़ रही है मिट्ठू मियां?”
रीता- “वोही देखने मुंबई गई थी यार..”
मैं- “देखा, पसंद आया?”
रीता- “निगोड़ी, वो लड़के ने मेरा दिल चुरा लिया है, पहली ही नजर में मैं उसके प्यार में पड़ गई..” रीता के चेहरे पे प्यार का खुमार था।
मैं- “तो फिर कर लो शादी…”
रीता- “उसने अभी हाँ नहीं कहा…” रीता ने निराशा से कहा।
मैं- “ना भी तो नहीं कहा ना… वो हाँ ही कहेगा मेरी इस कुँवारी चुलबुली दोस्त को…” मैंने मुश्कुराते हुये कहा।
रीता- “कुँवारी तो तू है..” रीता ने कहा।
मैं- “मैं… वो कैसे?”
रीता- “इस तरफ देखो..” रीता ने मिरर की तरफ हाथ करके कहा- “आज भी तुम कोई प्यारी सी गुड़िया जैसी दिखती हो, मैं लड़का होती ना तो तुझे भगा ले जाती…”
मैं- “मैं नहीं आती तो?”
रीता- “तो मैं तुझे उठा ले जाती…” कहकर रीता जोर-जोर से हँसने लगी।
मैं- “कैसे हैं अमित भैया और भाभी?”
रीता- “अच्छे हैं, मैं चलती हूँ, कब घर आ रही हो?”
मैं- “खाना खाए बगैर जाने नहीं देंगी…” मैंने कहा।
रीता- “नहीं यार मुझे देरी हो रही है.”
मैं- “चल, फटाफट बना देती हूँ, खाना खाकर ही जाना…”
रीता- “ओके बाबा, मिलकर बनाते हैं, जल्दी बन जाएगा…”
उसके बाद मैंने और रीता ने जल्दी से खाना बनाया और फिर खाया। खाना खाते हुये मैंने उससे विजय के बारे में पूछा- “विजय तुम्हें परेशान तो नहीं करता ना?”
रीता- “वो तो फिर से कहीं भाग गया है, दिखता नहीं आजकल…”
मैं- “फिर भी ध्यान रखना…” मैंने उसे चेतावनी देते हुये कहा।
रीता- “आए तो सही, फिर मालूम पड़े कि मुझे नहीं उसे ध्यान रखना पड़ेगा..” रीता ने अपनी धुन में कहा। खाना खतम होते ही रीता निकल गई। उसे देरी हो रही थी।
*
Agla part jald hi post karunga dosto ..Thanks
Dosto kaise lagi story mail karke jarur bataye aur Abu aise indian sex story ke liye indisexstories.com padhte rahiye