Adultery Chudasi (चुदासी ) – Part 2

रात को दस बजे थे। मैं, दीदी और जीजू बातें कर रहे थे। जीजू अपनी कालेज लाइफ में किए हुये अफेयरों के बारे में बताकर दीदी को चिढ़ा रहे थे। पर मेरा ध्यान उन लोगों की बातों में नहीं था, मैं पूरी तरह से बेखबर थी। सुबह जीजू से बात हुई उसके बाद पूरा दिन मुझे डर और आनंद की मिली-जुली अनुभूति हुई। दीदी को किसी का भी फोन आता था तो मुझे हर वक़्त यही लगता था की जीजू का फोन आया होगा, और वो दीदी को हमारी । चुदाई देखने की बात कर रहे होंगे, और मैं दीदी का चेहरा देखकर उनके मनोभाव पढ़ने की कोशिश करती। दीदी ने आज भी कल की तरह बाहर दो बिस्तर लगाए, तब मेरा मन खट्टा हो गया और मैंने आज जल्दी सोने का मन बना लिया। नींद तो आने वाली नहीं थी, पर मेरा मूड खराब हो गया था। Adultery

पवन के सोते ही जीजू अंदर गये और मैं चादर लेकर सिर से पाँव तक ओढ़कर सो गई।

दीदी- “निशा…” दीदी की आवाज आई।

मैंने जल्दी से चादर में से अपना मुँह निकाला और उम्मीद भरी नजरों से दीदी की तरफ देखा।

दीदी- “कुछ काम है? कुछ चाहिए?” दीदी ने पूछा।

तब मैंने मेरा सिर ‘ना’ में हिलाकर शुतुरमुर्ग की तरह फिर से अंदर ले लिया।

दीदी- “निशा..” फिर से दीदी की आवाज आई।

मैंने जरा सा भी हीले बगैर झल्लाकर पूछा- “क्या है?”

दीदी- “पहले देखो तो सही?” दीदी ने कहा।

तब मैंने चादर को हटाकर उनके सामने देखा।

दीदी- “तुम अंदर जाओ, ये बिस्तर मैंने अपने लिए लगाया है…”

दीदी की बात सुनकर मेरे बदन में करेंट सा दौड़ गया- “नहीं दीदी..” न चाहते हुये भी मेरे मुँह से ये निकल गया।

दीदी- “शर्माना छोड़कर उठ और अंदर जा…”

बिस्तर से रूम दस कदम ही दूर था। पर दीदी के सामने रूम के अंदर जाने में वो दस कदम मुझे दस मील जैसे लगे। जीजू दरवाजे के पीछे ही खड़े थे, मेरे अंदर जाते ही वो मुझे बाहों में लेकर मेरी गर्दन को चूमने लगे। मेरे भी सबर का बाँध टूट गया, मैं भी जीजू के नंगे सीने को चूमने लगी। थोड़ी देर बाद जीजू ने मेरा चेहरा ऊपर उठाया, और हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगे।

मैं- “दीदी ने ना बोला ना?” मैंने जीजू के नीचे के होंठ को काटते हुये पूछा।

जीजू- “आहह… हाँ, कह रही थी की मैं तुम दोनों की चुदाई देखना नहीं चाहती…” जीजू ने मुझे अलग करके दरवाजे पर स्टापर लगाई।

मैं- “दीदी आपसे बहुत प्यार करती हैं…” मैंने खिड़की चेक की कि कहीं खुली तो नहीं?

जीजू- “सिर्फ प्यार ही करती है…” जीजू ने मुझे बाहों में उठाकर बेड पे लेटा दिया और वो भी ऊपर आ गयेआज तो तुम गजब की खूबसूरत लग रही हो…”

जीजू ने अपना हाथ मेरी कमीज के अंदर डालते हुये कहा।

मैं- “झूठी तारीफ करना तो कोई आपसे सीखे। कल आप यही बात दीदी से कह रहे थे..” मैंने जीजू के कान को खींचते हुये कहा।जीजू फिर से मेरे होंठ को चूमने लगे और मेरी सलवार का नाड़ा ढूंढ़ने लगे। मैं भी जीजू के होंठों का मस्ती से रसपान करने लगी और उनकी पीठ को सहलाने लगी। जीजू के हाथ में नाड़ा आते ही उन्होंने खींचा और गांठ
खोल दी। वो सलवार पकड़कर नीचे सरकाने लगे, तो मैंने मेरी गाण्ड ऊपर करके उन्हें निकालने में आसानी कर दी। सलवार निकालने के बाद जीजू ने मेरी कमीज भी निकाल दी और मैं ब्रा पैंटी में हो गई। जीजू से अब शायद सबर नहीं हो रहा था तो उन्होंने जल्दी से मेरी ब्रा और पैंटी भी निकाल दी।

मैं- “कल दीदी की ब्रा तो आपने नहीं निकाली थी..” मैंने जीजू के ट्रैक पैंट को पाँव से नीचे करते हुये कहा।

जीजू- “तेरी दीदी पूरी नंगी कभी नहीं होती, बदन पे एक कपड़ा न हो तो लाज से मर जाएगी…” जीजू ने अपना ट्रैक पैंट अंडरवेर के साथ निकालकर कहा।

फिर जीजू ने झुक के मेरी बाईं निप्पल को मुँह में भर ली और चूसने लगे और साथ में मेरी चूत को सहलाने लगे। उनका लण्ड मेरी कमर को छू रहा था, जो मुझे उत्तेजित कर रहा था। मैं जीजू के बालों को सहला रही थी। तभी दरवाजे को ठोंकने की आवाज आई और हमारे रंग में भंग हुवा।।

जीजू- “तेरी दीदी होगी जा खोल..” जीजू ने कहा।

दीदी होगी ये सुनकर ही मेरा दिल डर और संकोच के मारे जोरों से धड़कने लगा- “आप जाकर खोलो…”

जीजू- “तुम्हें क्या प्राब्लम है?” जीजू ने कहा।।

मैं- “क्या कहूँ मैं जीजू को? कैसे जा सकती हूँ मैं दीदी के सामने इस अवस्था में? मुझे दीदी के सामने नंगी। जाने में शर्म आती है…”

जीजू- “मैं भी तो नंगा हूँ…” जीजू ने कहा।

मैं- “पर आपको तो दीदी हर रोज नंगा देखती ही होगी ना?” मैंने कहा।

जीजू- “तो क्या तुम्हें कभी नंगी नहीं देखा है मीना ने?” जीजू के पास हर बात का जवाब था।

मैं- “आपसे तो बात करना ही बेकार है…” मैंने मुँह फुलाकर कहा।

जीजू- “अरे, अभी नंगी जाने में ही शर्माएगी तो मीना की नजर के सामने चुदवाएगी कैसे? जा शर्म छोड़कर दरवाजा खोल मेरी रानी..” जीजू की बात कुछ हद तक तो सही भी थी।

जीजू- “तो क्या तुम्हें कभी नंगी नहीं देखा है मीना ने?” जीजू के पास हर बात का जवाब था।

मैं- “आपसे तो बात करना ही बेकार है…” मैंने मुँह फुलाकर कहा।

जीजू- “अरे, अभी नंगी जाने में ही शर्माएगी तो मीना की नजर के सामने चुदवाएगी कैसे? जा शर्म छोड़कर दरवाजा खोल मेरी रानी..” जीजू की बात कुछ हद तक तो सही भी थी।

दरवाजा खोलते ही सामने का नजारा देखकर मेरी आँखें फट गई। दीदी अपने अंदरूनी कपड़े छोड़कर सारे कपड़े निकाल चुकी थी। दीदी ने जालीदार, पारदर्शक रेड कलर की ब्रा और पैंटी पहनी थी, जो दीदी की खूबसूरती में चार चाँद लगा रहे थे। मैं संकोच के मारे हिचकिचा रही थी जो दीदी की मुश्कुराहट देखकर कम हो गई। Adultery

दीदी- “मैं आज देखना चाहती हूँ की अनिल तुम्हारा दीवाना क्यों है?” दीदी ने शोख आवाज में कहा।

मैं कोई जवाब दिए बगैर बेड पर बैठ गई। पर दीदी दो कदम आगे होकर खड़ी रह गई और वो अपने लिए जगह ढूँढ़ने लगी। उनकी असमंजस देखकर जीजू बाहर गये और चेयर लेकर आए और बेड से चार कदम दूर रखकर दीदी को बैठने का इशारा किया।

जीजू मेरे पास आकर मेरे होंठ को उनके होंठ के बीच लेकर चूसने लगे, साथ में मेरे उरोजों को बारी-बारी सहलाने लगे, बीच में वो मेरी जांघ के साथ मेरी चूत को भी सहला देते थे।

दीदी आई उसके पहले मैं पूरी तरह से गरम तो हो ही चुकी थी पर दीदी को देखते ही ठंडी हो गई थी। पर जीजू की इन हरकतों के करण मैं फिर से गरम हो चुकी थी और मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी। लेकिन दीदी को । सामने देखकर ना तो मेरे मुँह से सिसकारी निकल रही थी, ना मैं कोई हरकत कर रही थी। कल चुदाई के वक़्त दीदी जिस तरह से लाश हो गई थी वैसे मैं आज हो गई थी।

जीजू ने मेरी चूत में दो उंगली डाली और उंगलियों को अलग-अलग तरफ खींचा और मेरे मुँह से दर्द के मारे हल्की चीख निकल गई।

जीजू- “मुझसे नहीं शर्माती और अपनी दीदी से शर्मा रही है?” कहकर जीजू झुके और मेरी चूत के नजदीक अपना चेहरा ले गये और हथेली से चूत को सहलाने लगे।

तब एक बहुत ही छोटी सी सिसकारी मेरे मुँह से निकली। जीजू ने उनकी जबान निकाली और चूत के बाहर के हिस्से को चाटना चालू किया। मेरे हाथ खुद-ब-खुद उनके बालों पे पहुँच गये और सहलाने लगे। तभी मुझे चूत में कुछ गीला-गीला जाता महसूस हुवा और मैंने नीचे नजर की तो जीजू की जबान उसके अंदर दाखिल हो चुकी । थी।

जीजू- “यहां आओ मीना, निशा के पास बैठो…” जीजू ने कहा।जीजू की बात सुनकर दीदी आए उसके पहले मैंने आँखें बंद कर ली। जीजू ने उनकी जबान से मेरी चूत को धीरेधीरे चाटना शुरू किया। मैं आँखें बंद करके एक हाथ से जीजू के बाल सहला रही थी और दूसरे हाथ से चादर को मजबूती से पकड़कर सिसकारी लेने लगी। मैं अब अपना नियंत्रण खो चुकी थी। बेड पर दीदी आ गई है और वो मुझे अच्छी तरह से देख रही हैं, वो मुझे बंद आँख से भी आभास हो रहा था। थोड़ी ही देर में जीजू की जबान की स्पीड और मेरी सिसकारियों की आवाज बढ़ने लगी, साथ में जीजू मेरी चूचियां भी सहला रहे थे।

थोड़ी देर के बाद मेरी सांसें भारी होने लगीं, मैंने मेरे दोनों हाथ जीजू के सिर पर रख दिए थे। मैं अब सहला नहीं रही थी, जीजू को ऊपर खींच रही थी।

जीजू भी मेरी हरकत समझकर ज्यादा से ज्यादा जबान को अंदर डालने की कोशिश कर रहे थे। मैं मेरी चूत नीचे की तरफ दबाने लगी और कुछ पल के बाद मैं असीम आनंद पाकर झड़ने लगी। कुछ पल बाद मैंने मेरी
आँखें खोली, तो मुझ पर झुका हुवा दीदी का चेहरा देखकर मैं मुश्कुराई। क्योंकि मुझे दीदी की आँखों में वासना का तूफान साफ दिखाई दे रहा था।

थोड़ी देर पहले जहां मैं लेटी हुई थी, वहां इस वक़्त दीदी पूर्ण नग्न अवस्था में लेटी हुई थीं। दीदी की ब्रा और। पैंटी मैंने ही थोड़ी देर पहले हटाए थे। एक बार दीदी ने मेरा हाथ पकड़कर रोका भी था, पर मैंने उनकी बात को ध्यान दिए बगैर मेरा काम जारी रखा और उन्हें नंगा कर दिया। दीदी की आँखों में सेक्स का खुमार देखकर मैंने सोच लिया की आज मैं दीदी को साथ लेकर बिंदास होकर जीजू के साथ चुदाई का खेल खेलूगी और तभी जीजू का मकसद पूरा होगा।

फिर मैं जहां लेटी थी वहां मैंने दीदी को सोने को कहा और बाद में उन्हें नंगा कर दिया। दीदी का बदन मुझसे थोड़ा भारी था। शादी से पहले भी उनकी ब्रा की साइज मुझसे एकाध साइज बड़ी ही रहती थी। पर अभी तो। उनकी ब्रा मुझसे काफी बड़ी हो गई थी। उनकी कमर का घेरा और जांघ का फैलाव भी ज्यादा ही था। फिर भी दीदी बहुत ही सेक्सी दिख रही थी। क्योंकि उनका पेट सपाट था, बच्चा होने के बाद ज्यादातर औरतों के पेट थोड़े तो बढ़ ही जाते हैं। पर दीदी ने उनकी बाडी अच्छी तरह से मेंटन करके पेट को समतल रखा हुवा था। Adultery

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply