Adultery Chudasi (चुदासी ) – Part 2

मैं- “मैं तो ठीक हूँ, पर तुम कहां थे? बहुत दिनों बाद मेरी याद आई..” मैंने बनावटी गुस्से से कहा।

करण- “अब हमारी जरूरत कहां है आपको? दो दिन पहले अंकल और आज रामू… तुम्हारे तो आजकल मजे ही मजे हैं…” करण ने शरारत से कहा।

मैं- “नहीं करण ऐसी बात नहीं… वो अंकल तो बेचारे न जाने कितने सालों से सेक्स के बिना तड़प रहे थे। इसलिए…” मैंने करण का हाथ खींचा और उसे बेड पर बिठाते हुये कहा। Adultery

करण- “वाह निशा वाह… पूरी दुनियां में तुम जैसी समाज-सेविका नहीं मिलेगी। तुम्हें तो अवार्ड मिलना चाहिए कि तुम कभी अपने लिए करती ही नहीं हो। कभी दीदी के लिए, तो कभी जोर जबरदस्ती होता है, और आज तो तूने एक नया बहाना निकाला की वो बेचारे को सेक्स किए कितने साल हो गये थे इसलिए? ऐसे लोग तो बहुत हैं दुनियां में सबसे चुदवाएगी क्या? सारी दुनियां प्यासी है। तुमने उन लोगों के लिए चूत की प्याऊ खोल रखी है। क्या?” करण व्यंग में बोले ही जा रहा था।

मैं- “मैं झूठ नहीं बोल रही करण, जो सच है वोही कह रही हूँ…” मैं करण के सीने पर मेरा सिर रखते हुये बोली।

करण- “चलो मैं मान लेता हूँ की तुम सच कह रही हो। पर अब जब भी करो अपने लिए करो, दूसरों के लिए नहीं…” कहकर करण ने एक हाथ से मुझे बाहों में ले लिया था और दूसरे हाथ से मेरी पीठ को सहलाने लगा। करण ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मेरे दोनों होंठों को बारी-बारी चूसने लगा।

मैं भी पूरी तल्लीनता से उसके होंठ चूस रही थी। थोड़ी देर हम दोनों इसी मुद्रा में रहे।

फिर करण ने मुझे उससे अलग करते हुये कहा- “निशा जिससे भी सेक्स करो, दिल से करो दिमाग से नहीं। जिससे प्यार करो उसी से सेक्स करो..”

मैं- “प्यार… प्यार तो मैं सिर्फ नीरव से ही करती हूँ, करण…” मैंने कहा।

करण- “और किसी से भी नहीं करती?” करण ने एक पेचीदा सवाल पूछ डाला।

मैं- “और… और जीजू और तुम, तुम दोनों भी मुझे पसंद हो। पर करण तुम कहां हो? बताओ मुझे कहां हो तुम

और जीजू, तुमने आज सुबह देखा था ना दीदी ने मुझे क्या-क्या बोला?” ये सब बोलते हुये मैं रो पड़ी।

करण- “तो निशा उल्टा करो, जिससे सेक्स करो उससे प्यार करो। तुम सेक्स करते वक़्त सिर्फ अपने बारे में ही सोचती हो, अब सामने वाले के बारे में भी सोचा करो। सामने वाला तुम्हें जो मजा देता है तुम भी उसे दो…” करण ने कहा।

मैं- “अब छोड़िए इन बातों को मेरे सेक्स टीचर, तुम कुछ भूल रहे हो करण…” मैंने चंचलता से करण को कहा।

करण- “मुझे सब कुछ याद है निशा रानी… आज तुम्हारी बर्थ-डे है, मेनी मेनी हैपी रिटर्न्स आफ द ई, आप जियो हजारों साल और साल के दिन हों पचास हजार..” करण ने मेरे सिर को अपने सीने से लगाया और कहा।

मैं- “बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब का..” मैंने मुश्कुराकर कहा।

करण- “तुम्हारी उमर तो बताओ निशा?” करण ने पूछा।

मैं- “लड़कियों की उमर नहीं पूछी जाती जनाब, फिर भी तुम ही बताओ…” मैंने कहा।

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