लड़की- “मैं मानूंगी, बताओ..” लड़की ऐसे ही अपनी बात छोड़ने वाली नहीं थी।
लड़का- “कल पापा शाप से जल्दी से निकल गये थे तो मैं आ नहीं सका…” प्रेम ने अपनी बात कही और फिर से चुप्पी छा गई। प्रेम ने फिर पूछा- “क्या हुवा खुशबू?” तो मालूम पड़ा की लड़की का नाम खुशबू था।
खुशबू- “तुम एकाध घंटे के लिए भी मेरे लिए शाप नहीं छोड़ सकते?” खुशबू ने पूछा।
प्रेम- “शाप तो क्या, मैं तेरे लिए जान भी दे सकता हूँ…” प्रेम की आवाज में बहुत ही प्यार झलक रहा था।
खुशबू- “जान दे सकते हो पर शाप नहीं छोड़ सकते। मेरा बस चले ना तो तेरी शाप जलवा दें, मेरे प्यार की दुश्मन है वो..” खुशबू ने शरारत से कहा।
प्रेम- “शादी कर ले मुझसे, फिर जो जलाना है वो जला देना…”
खुशबू- “हाइ… ये क्या कर रहे हो?” खुशबू ने सिसकारी लेते हुये कहा।
प्रेम- “तेरी ये चूचियां देखकर मैं पागल हो जाता हूँ..” प्रेम ने कहा,
उसकी बातों से लग रहा था की वो खुशबू के उरोजों से खेल रहा होगा।
खुशबू- “मार डालूंगी अब छूआ तो…” खुशबू ने कहा। उसकी आवाज से ये समझना मुश्किल था की वो प्यार से कह रही है या गुस्से से?
प्रेम- “पहले शादी कर ले, फिर मार डालना…” प्रेम ने कहा।
इतनी थकान के बावजूद मुझे वहां से निकलने का मन नहीं था। मुझे उन दोनों की बात सुनने में बड़ा मजा आ रहा था। मालूम नहीं था की दोनों कौन हैं पर एक दूसरे से बहुत प्यार करते होंगे, ऐसा लग रहा था।
खुशबू- “तुम जैसे दब्बू से मैं शादी नहीं करने वाली…” खुशबू कहते हुये इतनी जोर से हँसने लगी की उसकी आधी बात हँसी में दब गई।
प्रेम- “हाँ कर लेना, किसी जलाने और मारने वाले से…” प्रेम बोलते हुये जज्बाती हो गया था।
खुशबू- “पागल हो गया है क्या? फिर कभी ऐसा बोला ना तो काट डालूंगी…” खुशबू ने प्यार से कहा।
प्रेम- “बातें ही करती रहेगी या कुछ करने देगी?” प्रेम ने नार्मल होकर कहा।खुशबू- “तुम एकाध घंटे के लिए भी मेरे लिए शाप नहीं छोड़ सकते?” खुशबू ने पूछा।
प्रेम- “शाप तो क्या, मैं तेरे लिए जान भी दे सकता हूँ…” प्रेम की आवाज में बहुत ही प्यार झलक रहा था।
खुशबू- “जान दे सकते हो पर शाप नहीं छोड़ सकते। मेरा बस चले ना तो तेरी शाप जलवा दें, मेरे प्यार की दुश्मन है वो..” खुशबू ने शरारत से कहा।
प्रेम- “शादी कर ले मुझसे, फिर जो जलाना है वो जला देना…”
खुशबू- “हाइ… ये क्या कर रहे हो?” खुशबू ने सिसकारी लेते हुये कहा।
प्रेम- “तेरी ये चूचियां देखकर मैं पागल हो जाता हूँ..” प्रेम ने कहा,
उसकी बातों से लग रहा था की वो खुशबू के उरोजों से खेल रहा होगा।
खुशबू- “मार डालूंगी अब छूआ तो…” खुशबू ने कहा। उसकी आवाज से ये समझना मुश्किल था की वो प्यार से कह रही है या गुस्से से?
प्रेम- “पहले शादी कर ले, फिर मार डालना…” प्रेम ने कहा।
इतनी थकान के बावजूद मुझे वहां से निकलने का मन नहीं था। मुझे उन दोनों की बात सुनने में बड़ा मजा आ रहा था। मालूम नहीं था की दोनों कौन हैं पर एक दूसरे से बहुत प्यार करते होंगे, ऐसा लग रहा था।
खुशबू- “तुम जैसे दब्बू से मैं शादी नहीं करने वाली…” खुशबू कहते हुये इतनी जोर से हँसने लगी की उसकी आधी बात हँसी में दब गई।
प्रेम- “हाँ कर लेना, किसी जलाने और मारने वाले से…” प्रेम बोलते हुये जज्बाती हो गया था।
खुशबू- “पागल हो गया है क्या? फिर कभी ऐसा बोला ना तो काट डालूंगी…” खुशबू ने प्यार से कहा।
प्रेम- “बातें ही करती रहेगी या कुछ करने देगी?” प्रेम ने नार्मल होकर कहा।
खुशबू- “देख, कहे देती हूँ कुछ किया ना तो जान ले लूंगी…”
सच में ये लड़की हर वक़्त मारने काटने की ही बात करती थी, पर साथ में उसकी बातों में मासूमियत और प्रेम के लिए बहुत सारा प्यार दिख रहा था।
प्रेम- “मेरी जान तो तू है खुशबू..” इतना ही कह पाया प्रेम।
तभी पापा की पीछे से आवाज आई- “आ गई बेटा?”
मैंने पीछे देखकर कहा- “हाँ, अभी आई पापा…” मैं और पापा लिफ्ट के अंदर दाखिल हये। फिर मैंने पांचवें माले का बटन दबाया, शायद हमारी आवाज सुनकर प्रेम और खुशबू भी वहां से खिसक गये होंगे।
घर में दाखिल होते ही मम्मी ने मुझे बाहों में ले लिया, जो देखकर पापा बोले- “पहले आराम तो करने दे, थक कर आई होगी बेचारी…”
पापा की बात सुनकर मम्मी कुछ नहीं बोली, पर मैंने जवाब दे दिया- “पापा चाहे कितनी भी थकान हो पर घर आते ही थकान दूर हो जाती है…”
थोड़ी देर बाद मम्मी हमारे लिए चाय-नाश्ता बनाकर लाई, हमने साथ मिलकर खाया। 9:00 बजे पापा काम के लिए निकले तो मैंने दीदी को काल किया। दीदी ने रात को मिलने को आऊँगी ऐसा कहा। थोड़ी देर मैंने पेपर। पढ़ा और बाद में नहाने गई, हर रोज तो काम रहता है तो जल्दी-जल्दी नहा लेती हूँ।
पर आज तो बहुत मल-मलकर नहाई, आधा घंटा तक नहाकर मैं निकली और शादी के पहले के कुछ इस कपबोर्ड में थे उसे निकालकर पहना और बाहर आकर टीवी देखने लगी। थोड़ी देर बाद मुझे रीता की याद आई तो मैंने । उसे भी काल किया, बहुत कोशिश करने के बाद भी उसकी काल नहीं लगी तो मैं मोबाइल को साइड में रखकर फिर से टीवी देखने लगी।खाना खाते हुये मम्मी ने मुझसे कहा- “तुम्हें आज भी ये ड्रेस कितनी जंच रही है, कोई नहीं कह सकता की ये ड्रेस 8 साल पहले की है…”
मम्मी की बात सही भी थी। इस ड्रेस में मैं भी अपने आपको पूरी तरह से कंफर्टेबल महसूस कर रही थी। शाम को पाँच बजे मम्मी सब्जी लेने जा रही थी तो मैंने कहा- “मैं ले आती हूँ मम्मी…”
मम्मी ने थोड़ी हाँ ना करने के बाद मुझे जाने दिया। सब्जी लेकर मैं घर आई तो देखा की मम्मी के साथ बैठकर एक 19-20 साल की लड़की टीवी देख रही थी। मैंने सब्जी की थैली किचेन में रखी और मम्मी के सामने बैठकर इशारे से पूछा- “कौन है?”
पर मम्मी का पूरा ध्यान टीवी में था।
तभी वो लड़की ने मेरी तरफ देखा और कहा- “कैसी हो दीदी?”
मैं- “मैं ठीक हूँ..” कहकर उसे ध्यान से देखने लगी। बहुत ही खूबसूरत और मासूमियत से भरा हुआ था उसका चेहरा। उसकी नाक छोटी थी और आँखें बड़ी-बड़ी, उसके बाल उसकी कमर तक आते होंगे, शरीर के कुछ खास । भाग ज्यादा विकसित नहीं थे, तो कम भी नहीं थे। कुल मिलकर कहा जाय तो वो अमृता राव जोशी दिखती थी।
खुशबू- “आंटी हमेशा आपकी ही बात करती हैं…” उस लड़की ने कहा।
मैं- “बुरा मत मानना, मैं तो तुम्हें नहीं जानती…” मैंने कहा।
खुशबू- “इसमें क्या बुरा मानना, आप मुझे पहली बार देख ही रही हो, मैं सामने के फ्लैट में रहती हूँ..” उस लड़की ने कहा।
मैं- “ओह… तो ये अब्दुल की बेटी है…” मैं मन ही मन बोली।
खुशबू- “आपने कुछ कहा दीदी?” उसने पूछा।
मैं- “नहीं तो..” कहकर मैं भी टीवी देखने लगी।
टीवी पर कोयला चल रही थी, जिसमें मधुरी की शादी अमरीश पुरी से होती है और सुहागरात को मधुरी को मालूम पड़ता है की अमरीश पुरी बूढ़ा है, तो वो अमरीश पुरी से बचने पीछे-पीछे चलती जाती है, और आखीर में दीवार आ जाती है तो वो रुक जाती है।
अमरीश पुरी उसके करीब जाकर उसे छूने जाता है।
तभी वो लड़की एकदम से बोल उठी- “उसे मत छूना नहीं तो मार डालूंगी…”
उसकी बात सुनकर मैं फटी आँखों से उसे देखते हुये बोली- “तुम? इसके पहले मैं आई तब तो तुम यहां नहीं थी…” मैंने खुशबू से पूछा।
खुशबू- “मैं मेरे मामूजान के यहां गई थी, आने के बाद चाची से आपकी बात हुई थी…” वो मेरी मम्मी की तरफ इशारा करते हुये कहा।
मैं- “क्या करती हो तुम?” मैंने उससे पूछा।
खुशबू- “कुछ नहीं करती दीदी, दसवीं तक ही पढ़ाई की है…” खुशबू ने कहा।
मैं- “क्यों दसवीं तक ही?” मैंने पूछा।
खुशबू- “अब्बू कहते हैं की लड़कियों को ज्यादा पढ़ाई नहीं करनी चाहिए…” खुशबू ने मासूमियत से कहा।
मैं- “कुछ तो करती होगी ना, पूरा दिन घर में तो नहीं रहती होगी ना?” मैंने पूछा।
खुशबू- “मैं… मैं तो कुछ नहीं करती..” उसने कहा।
मैं- “चलो अंदर बैठते हैं, टीवी की आवाज में मजा नहीं आता बात करने में…” मैं खड़े होकर अंदर गई और मेरे पीछे खुशबू भी आई। मैं पलंग पर बैठ गई और उसे भी बैठने को कहा। फिर मैं सीधा पाइंट पे आ गई- “वो लड़का कौन था?”
खुशबू- “कौन?” उसने भोलेपन से पूछा।
मैं- “सुबह जिस लड़के के साथ बैठकर तुम प्रेम का पाठ पढ़ रही थी ना उसके बारे में पूछ रही हूँ?” मैंने किसी पोलिसवाले की अदा से कहा।
मेरी बात सुनकर खुशबू का गोरा चेहरा फीका पड़ गया पर वो कुछ बोली नहीं।
मैं- “टेन्शन मत कर, मैं किसी को नहीं बताऊँगी…” मैंने कहा।
खुशबू- “आपको कोई गलतफहमी हुई है दीदी… मैं नहीं थी..” खुशबू ने कहा।
मैं- “मुझे मालूम है तुम ही थी, तुम नहीं बताओगी तो मैं तुम्हारे पापा को बता देंगी.” मैंने दम मारते हुये कहा।
मेरी बात सुनकर खुशबू रोने लगी।
मैंने थोड़ी देर उसे रोने दिया और फिर कहा- “मैंने तुम्हें ऐसे ही दम मारा था, तुम नहीं बताना चाहती तो मत बताओ… मैं किसी को कुछ नहीं कहूंगी, चलो अब बाहर बैठते हैं..” इतना कहकर मैं उसके जवाब की राह देखे बिना बाहर निकल गई।
खुशबू भी बाहर आई पर वो नजरें झुकाए सीधी ही बाहर निकल गई।
थोड़ी देर बाद मेरा मोबाइल बज उठा तो मैंने उठाकर देखा तो जीजू का काल था। मैं खड़ी होकर रूम में गई
और ग्रीन बटन दबाया- “हेलो जीजू, कैसे हो?”
जीजू- “मैं तो मस्त हूँ, हमारी साली कैसी है?” जीजू बहुत खुश थे।
मैं- “मैं भी अच्छी हूँ, इतने दिनों बाद याद आई मेरी…” मैंने कहा।
जीजू- “याद तो आई ना, तुम तो हमें कहां याद ही करती हो?” जीजू ने कहा।
मैं- “हाँ, शहर में आई, तब याद आई बाकी आप कहां कभी याद करते हैं?” मैंने ताना मारते हुये कहा।
जीजू- “फोन करूं या ना करूं, मैं तो तुम्हें हर पल याद करता हूँ, तुम्हें याद है ना अपना वादा?” जीजू ने पूछा।
मैं- “हाँ जीजू याद है… मैं दीदी को समझाऊँगी…” मैंने कहा।
जीजू- “क्या समझाओगी? और अगर ना समझी तो?” जीजू ने मस्ती से पूछा।
मैं- “आपको किस तरह खुश करना है वो समझाऊँगी, और वो समझ जाएगी…” मैंने कहा।
जीजू- “उसको समझाना की हर दिन चुदवाए मुझसे…” जीजू ने बेशर्मी से कहा।
मैं- “हाँ भाई हाँ..” मैं हँसने लगी।
जीजू- “भाई मत कहो, मैं बहनचोद नहीं हूँ…” जीजू आज कुछ ज्यादा ही मूड में थे।
मैं- “भाई नहीं जीजू बस… मैं समझा देंगी दीदी को..” मैंने कहा।
जीजू- “कोशिश कर ले, बाकी तो तू है ही, बाइ..” कहते जीजू ने काल काट दी।
काल काटते ही में सोच में पड़ गई की मैं दीदी को कैसे समझाऊँगी?
मम्मी- “बेटा तुम लोगों को अब बच्चे के बारे में सोचना चाहिए…” मम्मी ने पहली बार ये बात निकाली।
मैं- “मम्मी हम लोग कोशिश कर ही रहे हैं..” मैंने कहा।
मम्मी- “तो डाक्टर को दिखाओ बेटा, 8 साल हो गये…”
मैं- “दो दिन पहले ही डाक्टर को भी दिखाया, पर रिपोर्ट लेकर फिर से डाक्टर के पास जाना था वो नहीं गये…” मैंने कहा।
उसके बाद थोड़ी देर के लिए हम दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला।
मैं- “मम्मी तुम किसी प्रेम को जानती हो?” मुझे लग रहा था की प्रेम यहीं कहीं नजदीक में ही रहता होगा क्योंकि सुबह सात बजे कोई दूर से तो नहीं आएगा।
मम्मी- “प्रेम.. वो तो ऊपर सातवें माले पर ही रहता है, पर तुम उसे कैसे जानती हो?”
मेरा अंदाजा सही निकला- “सुबह मुझे मिला था…” कहकर मैंने बात को टाल दिया।
रात को दस बजे दीदी, जीजू और पवन आए। हम लोग बारह बजे तक बातें करते रहे। बातें करते वक़्त जीजू का ध्यान मुझ पर ही रहता था जो दीदी भी देख रही थी। पर उसे उस बात से अब कोई प्राब्लम हो ऐसा नहीं लग रहा था।
दीदी ने निकलते हुये मुझसे कहा- “कल वहां आ जाना और दो दिन वहां रहना…”
मैं ना, ना कर रही थी तभी माँ ने ‘हाँ’ बोल दिया।
सुबह मैं नींद में थी और मोबाइल बज उठा- “हेलो…” मैंने ऊंघते स्वर में कहा।
नीरव- “कैसी हो निशु डार्लिंग?” सामने नीरव था, नींद में मैंने नंबर नहीं देखा था।
मैं- “पूरा दिन निकल गया और अब याद आई?” मैंने बनावटी गुस्से से कहा।
नीरव- “सारी निशु, होटेल में जाकर सो गया और देर से उठा। फिर तो काम ही इतना ज्यादा था की…” नीरव मेरा गुस्सा सच मान बैठा।
मैं- “अरे बाबा मैं तो मजाक कर रही हैं, उस दिन शाम को तुम रिपोर्ट ले आए थे की नहीं?” मैंने पूछा।
नीरव- “हाँ लाया था ना…” नीरव ने कहा।
मैं- “मुझे बताया क्यों नहीं और डाक्टर को दिखाया था क्या?” मैं जानती थी की उस वक़्त टेन्शन ही इतना था की वो बताना भूल गया होगा।
नीरव- “डाक्टर को, क्यों तुम कौन से रिपोर्ट की बात कर रही हो?” नीरव ने पूछा।
मैं- “उस दिन हमने ‘मैं और मम्मी में मेरी रिपोर्ट निकलवाए थे ना… उसकी बात कर रही हैं, और कौन सी रिपोर्ट तुम समझे थे?” मुझे बहुत बुरा लगा था उसकी बात सुनकर। वो हमारी जिंदगी की इतनी अहम बात भीभूल सकता है, वो बात मेरे दिमाग में बैठ नहीं रही थी।
नीरव- “अरी वो… मैं तो आफिस की रिपोर्ट की बारे में तुमसे बात करने लगा था, वो रिपोर्ट तो मैं नहीं लाया…”
इस वक़्त नीरव सामने होता ना तो मैं उससे लड़ पड़ती। मैंने व्यंग से कहा- “हमारे बीच में आफिस की रिपोर्ट की बात कहां से आ गई? लगता है की तुम्हें मेरी आवाज पापा (मेरे ससुर) जैसी लगने लगी है…”
नीरव- “सारी यार, इसमें इतना मूड खराब करने जैसी तो कोई बात नहीं है…” नीरव ने कहा।
तभी पापा की आवाज आई- “बेटा, जल्दी करो, मैं तुम्हें मीना के घर छोड़ दूंगा.”
मैं- “तुम्हारे लिए नहीं होगी। पर मेरे लिए तो ये बात मूड खराब करने वाली ही है, मुझे दीदी के घर जाना है मैं फोन रखती हूँ..” मैंने कहा।
नीरव- “एक मिनट, ये तो बता जीजू अब क्या करते हैं?”
मैं- “मालूम नहीं…” मैंने कहा।
नीरव- “हमारे आफिस में जगह है, उनको पूछना, वो हाँ कहेंगे तो मैं पापा से बात करूंगा…” नीरव ने कहा।
मैं- “पूछ बूंगी, मैं रखती हूँ। बाइ…” इतना कहकर मैंने मोबाइल को पलंग पे फेंका और बाथरूम में नहाने दौड़ी, क्योंकि पापा को देरी हो रही थी।
दीदी पहले जहां रहती थी उसके पास में ही उसने घर रेंट पे ले रखा था। मेरे घर में कदम रखते ही पवन ‘मासी, मासी’ करता हवा आया और मेरे पैर पकड़ लिए। मैं उसके लिए चाकलेट लेकर गई थी, वो मैंने उसे दी। पवन
की आवाज सुनकर दीदी भी बाहर आई और मुश्कुराकर मेरा स्वागत किया।
मैं- “जीजू कहां हैं?” मैंने घर को ध्यान से देखते हुये कहा।
दीदी- “नहाने गये हैं…” दीदी किचन में जाते हुये बोली।
तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और जीजू तौलिया पहने बाहर निकले। मैं उनके आधे नंगे शरीर को देखकर मंत्रमुग्ध हो गई और उसे एकटक देखने लगी।
जीजू- “क्या सोच रही हो साली साहेबा…”
जीजू की बात सुनकर मैं मुश्कुराई और मुझे मुश्कुराते देखकर जीजू ने मुझे आँख मारी। उसी वक़्त दीदी किचन से बाहर आई तो जीजू अंदर चले गये।
जीजू और पवन के जाने के बाद मैंने दीदी से पूछा- “जीजू क्या करते हैं? दीदी…”
दीदी- “शेयर मार्केट का ही करते हैं पर अब वो खुद नहीं खेलते, टिप (सलाह) देते हैं कि कौन से शेयर लेने चाहिए, कौन से नहीं? एक कस्टमर से हर महीने के 1500 लेते हैं। अनिल कहता था की 10 कस्टमर हो गये
दीदी की बात मुझे खास समझ में नहीं आई। मैंने कहा- “नीरव कहता था की हमारे आफिस में जगह है, जीजू को रहना हो तो नीरव मेरे ससुर से बात करे…”
दीदी- “नहीं निशा, एक तो तेरे जीजू नौकरी करेंगे नहीं, और अब तो 15000 जैसी आमदनी तो आने लगी है.”
15000 हमारे लिए ठीक थे पर दीदी और जीजू की जो लाइफ स्टाइल थी, उसमें कम ही पड़ने वाले थे।
मैं- “दीदी आप महीने में कितनी बार सेक्स करती हैं?” दीदी की शादी के बाद हम सेक्स की बातें करते थे, पर मेरी शादी के बाद मैं पहली बार दीदी से ऐसी बात करने जा रही थी।
मेरी बात सुनकर दीदी हँसी और फिर बोली- “दो-तीन बार…”
मैं- “सिर्फ दो-तीन बार, कुछ ज्यादा ही कम नहीं है दीदी?”
दीदी- “तो तू बता कितनी बार करना चाहिए?” दीदी अब भी हँस ही रही थी।
मैं- “हर रोज कम से कम एक बार तो करना ही चाहिए…” मैंने गंभीरता से कहा।
दीदी- “पागल तो नहीं हो गई ना तुम, उसके सिवा भी बहुत काम होते हैं…”
मैं- “वो काम की थकान उतारने के लिए ही तो दीदी हमें ये काम (सेक्स) करना चाहिए…” मैंने कहा।
दीदी- “सब अपनी-अपनी पसंद है। मुझे तो सेक्स से थकान महसूस होती है…” दीदी ने कहा।
मैं- “आप दिल से नहीं करती ना इसलिए आपको थकान महसूस होती है, प्यार के साथ-साथ सेक्स भी दिल से करना चाहिए…”
दीदी- “मुझे तो अब उसकी कोई जरूरत नहीं लगती। अब तो हमारी एक संतान भी है और दूसरे की हमें जरूरत नहीं…”
दीदी की ये बात सुनकर मुझे आश्चर्य हुवा। मैंने कहा- “कौन से जमाने की बात कर रही हो दीदी? संतान के लिए ही सेक्स होता है ऐसा किसने कहा? दीदी इंटरेस्ट जगाओगी तो इंटरेस्ट होगा और साथ में जीजू आपसे प्यार तो बहुत करते ही हैं वो और भी बढ़ जाएगा…” मैंने दीदी को समझाते हुये कहा।
दीदी- “ओके, सोचूंगी तुम्हारी बात को। आज पवन की टीचर ने बुलाया है तो मैं मिलकर आती हैं, तब तक तुम आराम कर लो…” दीदी कहते हुये उठी।
दीदी के जाते ही मैं बेड पे लेट गई। दीदी से बात करने के बाद मुझे ऐसा लग रहा था की दीदी का सेक्स के प्रति इंटरेस्ट जगाना थोड़ा मुश्किल है।
जीजू- “समझा दिया अपनी दीदी को?” दीदी के जाते ही जीजू का काल आया। दीदी इस वक़्त स्कूल जाने वाली हैं, वो जानते होंगे।
मैं- “हाँ समझा दिया, जीजू..” मैंने झूठ बोला।
जीजू- “झूठ तो नहीं बोल रही ना?” जीजू को विस्वास नहीं हो रहा था।
मैं- “मैं झूठ क्यों बोलूं जीजू, रात को तो पकड़ी ही जाऊँगी ना मैं..” मैंने कहा।
जीजू- “चलो देखते हैं कि तुम मेरी रात को कितना रंगीन करती हो?”
मैं- “मैं नहीं दीदी रंगीन करेंगी आपकी रात…” मैंने मस्ती से कहा।
जीजू- “मेरे कस्टमर का काल आ रहा है, बाइ…” इतना कहकर जीजू ने काल काट दिया।
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