Adultery Chudasi (चुदासी ) – Part 2

दस मिनट की चुदाई के बाद मुझे मेरी मंजिल नजदीक दिखने लगी थी। पर रामू अभी और कितनी देर करेगा वो समझ में नहीं आ रहा था। और आज के दिन तो झड़ने के बाद अंदर लण्ड तो क्या उंगली भी एक पल के लिए मैं सहन नहीं कर पाऊँगी, वो मैं जानती थी। मैंने मेरी टांगों से रामू की कमर को पकड़ लिया और गाण्ड उचका-उचकाकर सामने वार करने लगी। मैंने रामू का मुँह खींचा और उसके होंठों को चूसने लगी। मैं अब किसी भी तरह रामू को भी मेरे साथ मंजिल तक पहुँचाना चाहती थी।

मैंने रामू के नीचे के होंठ को काटते हुये उससे पूछा- “मुझे तुम इस वक़्त दिल में क्या कह रहे हो?”

रामू- “कुछ नहीं, मेमसाब, मेमसाब कह रहा हूँ…” रामू ने कहा।

मैं- “झूठ बोल रहे हो तुम, वो तो तुम मुँह पर भी कह सकते हो, सच बताओ..” मैंने फिर से पूछा।

रामू इस वक़्त उसका लण्ड पूरा अंदर डालता था और फिर सुपाड़े तक बाहर निकाल रहा था- “पहले आप बताओ, साहब रुक जाते हैं तो आप क्या कहती हो?” इतना कहकर उसने अपनी जबान बाहर निकली।

मैं- “चोदो, जल्दी से चोदो ऐसा कहती हूँ.” इतना कहकर मैंने उसकी जबान को मेरे होंठों की बीच ले ली और फिर चूसकर छोड़ दी।

रामू- “रंडी… मैं आपको रंडी कह रहा हूँ इस वक्त दिल में…” इतना बोलते-बोलते रामू की सांसें भारी हो गई।

मैं- “तो फिर इतना शर्माते क्यों हो? मैं तुम्हारी रंडी ही तो हूँ..” इतना कहकर मैंने रामू की गर्दन पे काट लिया।

मेरी बात सुनकर रामू का जोश बढ़ गया और हर धक्के के साथ उसकी सांसें भारी होने लगी।

मैं- “जल्दी से चोदो रामू अपनी रंडी को…” इतना ही बोलना पड़ा मुझे और वो झड़ने लगा।

उसके लण्ड से वीर्य की धार मेरी चूत के अंदर तेजी से निकलने लगी। मैं तो मानो इस वक़्त की ही राह देख रही थी, मैं भी झड़ गई और झड़ते ही मैंने फिर से रामू के हाथ मजबूती से पकड़ लिए और एकाध मिनट तक लंबी-लंबी सांसें लेते हुये झड़ती रही।

रामू को गये आधा घंटा हो गया था। मैं बेड पर लेटी हुई उसके और कान्ता के बारे में सोच रही थी। मैंने रामू के आने से पहले तो ऐसा सोच लिया था की आज मैं चुदाई के बाद रामू को कहूंगी की वो कान्ता के लेकर कहीं चला जाय। इसीलिए तो मैंने आज खुले मन से रामू के सामने समर्पण किया था। पर चुदाई के बाद रामू ने जो कहा वो सुनकर मैं कुछ भी बोल ना पाई।।

रामू- “मेमसाब, आज के बाद अपुन ये कांप्लेक्स छोड़कर कहीं नहीं जाएगा, खुद भगवान भी लेने आएगा तो बोल देगा की मेमसाब के बिना अपुन नहीं आएगा…”

उसकी बात सुनकर मैंने कान्ता के बारे में जो बात करनी थी वो नहीं की, पर मजाक जरूर किया- “वहां तो उर्वशी, मेनका जैसी अप्सराएं हैं, मुझे छोड़कर नहीं जाओगे तो घाटे में रहोगे…” Adultery

रामू- “वो भी आपसे ज्यादा चिकनी और मलाईदर नहीं हो सकती मेमसाब, चाहे कुछ भी हो जाय अपुन आपको छोड़कर कभी नहीं जाएगा…” रामू ने फिर उसकी बात दोहराई।

मैं- “मैं कहूँ तो भी नहीं जाओगे?” ये कहकर मैं उसका मन जानना चाहती थी कि वो बोले कि- “हाँ, आप बोलो तो जाऊँगा…” ऐसा बोल दें तो मेरा काम आसान हो जाय और कान्ता की जिंदगी सवंर जाय।

लेकिन रामू ने कहा- “उसके सिवा जो भी कहेंगी वो करूंगा पर जाने को मत बोलना…”

मैं- “मैं तुम्हें क्यों कहूँगी जाने को?” मैंने कहा और उसके बाद रामू निकल गया पर मुझे दुविधा में डालता गया। मैंने बहुत सोचा, कई तरीके सोचे रामू को कान्ता के साथ भेजने के, पर कोई तरीका परफेक्ट नहीं लग रहा था। सोचते-सोचते कब आँख लग गई वोही मालूम नहीं पड़ा।

फिर जब मैं उठी तो देखा की 7:30 बज चुके थे, मैंने नीरव को मोबाइल किया और कहा- “बाहर से खाना लेकर आना…” नीरव आया तब तक मैं टीवी देखती रही, पर मेरा दिमाग तो रामू और कान्ता की तरफ ही था, मैं कुछ तय नहीं कर पा रही थी की क्या करूं?

नीरव टोस्ट सैंडविच और पावभाजी लेकर आया था। हमने मिलकर खा लिया और फिर मैं बर्तन मांजकर रूम में गई तो नीरव जाग रहा था और मोबाइल पे गेम खेल रहा था। पर मैं आज इतनी थकी थी की नहाए बगैर दो मिनट में नीरव के पहले सो गई।

दूसरे दिन सुबह नीरव ने चाय पीते हुये कहा- “जल्दी से खाना बना लो, डाक्टर के पास जाना है शायद हम दोनों
का चेकप करना पड़ेगा…”

मैं- “कौन से डाक्टर को दिखाना है?” मैंने पूछा।

नीरव- “डा. मित्तल शाह को..” नीरव ने कहा।

मैं- “वो मी आंड मम्मी हास्पिटल वाली को?” मैंने कहा।

नीरव- “हाँ वही, राजकोट की सबसे अच्छी डाक्टर वही तो है…” नीरव ने चाय खतम करते हुये कहा।

उसके बाद मैंने जल्दी-जल्दी खाना बनाया, खाना खाकर मैंने बर्तन साफ किए बिना ही छोड़ दिए। 11:00 बजे मैं और नीरव हास्पिटल पहुँच गये। 3:00 बजे हमारी बारी आई। डाक्टर ने पहले मेरी सोनोग्राफी कराई और कुछ रिपोर्ट निकलवाए ये कहकर की अगर आपकी रिपोर्ट नार्मल आए तो ही हम आपके पति का चेकप करेंगे, ज्यादातर प्राब्लम फिमेल में ही होती है।

नीरव- “हाँ वही, राजकोट की सबसे अच्छी डाक्टर वही तो है…” नीरव ने चाय खतम करते हुये कहा।

उसके बाद मैंने जल्दी-जल्दी खाना बनाया, खाना खाकर मैंने बर्तन साफ किए बिना ही छोड़ दिए। 11:00 बजे मैं और नीरव हास्पिटल पहुँच गये। 3:00 बजे हमारी बारी आई। डाक्टर ने पहले मेरी सोनोग्राफी कराई और कुछ रिपोर्ट निकलवाए ये कहकर की अगर आपकी रिपोर्ट नार्मल आए तो ही हम आपके पति का चेकप करेंगे, ज्यादातर प्राब्लम फिमेल में ही होती है।

रिपोर्ट और सोनोग्राफी में ही 5:00 बज गये। दोनों के रिपोर्ट दूसरे दिन आने वाले थे, नीरव और मैं घर के लिए निकल ही रहे थे कि नीरव को आफिस से काल आ गया तो नीरव ने मुझसे कहा- “निशु तुम रिक्शा में चली जाओ, मुझे जल्दी से आफिस जाना पड़ेगा…”

नीरव के कहने पर मैं रिक्शा में बैठ गई। घर थोड़ा ही दूर था, तभी मेरा ध्यान जोपड़पट्टी के पास लड़ रहे दो आदमियों पर गई। मैंने रिक्शा में से बाहर झांक के देखा तो दोनों में से एक रामू था और दूसरा कान्ता का । पति। वो दोनों जहा लड़ रहे थे, उसके सामने की तरफ जाकर मैं उतर गई और देखने लगी की क्या हो रहा है? उन लोगों की आवाज मुझे सुनाई नहीं दे रही थी, पर एक दूसरे की तरफ हाथ कर-करके गालियां दे रहे होंगे ऐसा लग रहा था। Adultery

कान्ता के पति के हाथ में लोहे की राड थी जिसकी एक तरफ धार निकली हुई थी। रामू ने उससे कुछ कहा तो गुस्सा होकर वो रामू को वो राड से मारने को दौड़ा। वो रामू के नजदीक गया और जैसे ही राड उठाकर रामू को मारने गया, तभी रामू ने उसका वो राड वाला हाथ पकड़ लिया और फिर उसे जोर-जोर से मारने लगा, थोड़ी मार खाते ही कान्ता का पति चिल्लाने लगा।

कान्ता के पति के पास बचने का एक ही उपाय था, वो राड छोड़ देना और उसने राड छोड़ भी दी और सड़क पे पड़ा एक पत्थर उठाया और रामू को दे मारा। पत्थर रामू के सिर पे लगा और खून बहने लगा। रामू ने अपना हाथ सिर पे रखा जिससे उसका हाथ खून से भर गया। रामू ने हाथ नीचे किया और देखा की उसका हाथ खून
से रंगा हुवा था। Adultery

रामू का गुस्सा सातवें आसमान पे चढ़ गया, उसने लंबी-लंबी छलाँग भरी और कान्ता के पति को पकड़ लिया

और फिर कालर से पकड़कर ऊपर करके नीचे पटका। कान्ता के पति ने नीचे गिरते ही रामू को फिर से गालियां देनी शुरू कर दी। रामू उसके पैरों को कान्ता के पति के दोनों तरफ करके खड़ा हो गया और उसने राइ को दोनों हाथ से मजबूती से पकड़ा और कान्ता के पति को मारने के लिए हाथ ऊपर किया।

वहां पर जो लोग इसे अभी तक तमाशा समझकर देख रहे थे, सबकी आँखें चौंधिया गई, पर अब बहुत देरी हो चुकी थी, किसी में भी हिम्मत नहीं थी बीच में पड़ने की।

जैसे ही रामू ने पूरे जोश से राड को थोड़ी ही नीचे किया तो मेरे मुँह से चीख निकल गई- “रामू..” मेरी चीख सुनते ही रामू का हाथ रुक गया, और उसने मेरी तरफ देखा। शायद आवाज की दिशा से उसने अंदाजा लगाया होगा की मैं किस तरफ खड़ी हूँ। मैंने जरा सी भी देरी की होती तो कान्ता का पति जिंदा नहीं होता।

रामू का सारा बदन जनून के मारे थरथरा रहा था, उसकी आँखों में रोशनी की जगह चिंगारी दिख रही थी। मैंने उस चिंगारी को सामने देखकर मेरा सिर दो बार ‘ना’ में हिलाया, जिसे देखकर रामू ने अपने हाथ से राड को फेंक दिया और कान्ता के पति के बाजू में जमीन पे बैठ गया। ये देखकर वहां खड़े लोगों में से ज्यादातर लोगों का ध्यान मेरी तरफ गया।

जिसे देखकर मुझे बहुत ही शर्मिंदगी महसूस हुई। मैं नजर नीचे करके वहां से जल्दी से सरक गई। वहां जितने भी लोग थे, उसमें से कोई मुझे जानता होगा ऐसा तो मुझे नहीं लगता था। ये सोचकर मुझे थोड़ी राहत हुई। घर आकर रह-रहकर मुझे रामू की आँखें दिखाई दे रही थीं, उसका जनून देखकर मैं आज बहुत डर गई थी।

Family Sex Stories एक और घरेलू चुदाई -antarvasna stories

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