Adultery Chudasi (चुदासी ) – Part 2

मैंने टिफिन जमीन पे रखा तो वो टिफिन लेकर लिफ्ट की राह देखे बगैर सीढ़ियों से ही उतर गया। घड़ी में 1:30 बज चुके थे पर रामू अभी तक नहीं आया था। कल मैंने कान्ता की बात सुनकर निश्चय कर लिया था की मैं किसी भी तरह रामू को समझाकर उसके साथ भेज देंगी। पर उसके पहले मैं अंतिम बार रामू से सेक्स करना। चाहती थी। 10-15 मिनट और हो गई, रामू नहीं आया। तभी मुझे खयाल आया की घर का सारा काम तो बाकी है, रामू के आने बाद काम में ही और आधा घंटा लेट हो जाएगा। तब मैं किचन में गई और बर्तन धोने लगी, सारे बर्तन धोकर बाहर आई पर रामू अभी तक नहीं आया था। मैं झाडू लगाकर पोंछा करके पानी बाथरूम में डाल ही रही थी तभी रामू आ गया।

मैं- “कहां थे इतनी देर?” मैंने पूछा।

रामू- “महेश साहब आज भी आने को बोल रहे थे, मैंने ना बोल दिया…” रामू ने कहा।

मैं- “अच्छा किया, वो दरवाजा बंद करके अंदर आ जाओ…” कहकर मैं बेडरूम में चली गई और एसी ओन कर दिया तब तक रामू आ गया।

रामू- “मेमसाब आज की पगार काट लेना…” रामू ने हँसते हुये कहा।

मैं- “काटूगी नहीं, अभी वसूल कर लूंगी..” कहते हुये मैं मुश्कुराई।

रामू ने मुझे दीवार से सटाकर खड़ा कर दिया और मेरी गर्दन पे चुंबन करने लगा। बीच-बीच में मेरे होंठों को। उसके होंठों से छू लेता था।

थोड़ी देर बाद मैंने रामू के होंठों पे मेरे होंठ रगड़ते हुये कहा- “मेरी जगह तुम आ जाओ…”

अब रामू दीवार से सटकर खड़ा था और उसकी जगह मैं। मैंने उसकी बनियान को पकड़ा और अलग-अलग दिशा में खींचकर बनियान को फाड़ दिया। अब मेरी निगाहों के सामने रामू का काला सीना था। मैंने उसके दोनों काले
निप्पलों का बारी-बारी चुंबन किया, और फिर झुकती हुई जमीन पर बैठ गई।

मैंने उसकी चड्डी में उंगलियां हँसाई और एक ही झटके में रामू को जनमजात नंगा कर दिया। मैं पहली बार इतनी नजदीक से रामू के लण्ड को देख रही थी।

सच कहूँ तो अब तक जितनी बार भी देखा है उतनी बार अलाप-जलाप ही देखा है। पर आज मैं इतनी नजदीक थी की उसका रंग, गंध और साइज महसूस भी कर सकती थी और ध्यान से देख भी सकती थी। रामू जितना काला था उससे भी उसके लण्ड का रंग ज्यादा काला था, और गंध तो हर मर्द के लण्ड से आती ही है, पेशाब और पसीने की बदबू, किसी में कम तो किसी में ज्यादा। रामू के लण्ड की साइज देखकर मेरे मुँह से निकल गया- “महाराजा…” जो रामू ने सुन लिया।

रामू- “मेमसाब, अपुन के लण्ड को महाराजा क्यों बोली आप?” रामू ने पूछा।

मैं- “पहले के जमाने में सबसे बड़े राजा को महाराजा बोलते थे इसलिए..” मैंने कहा।

रामू- “मतलब की मेमसाब, अपुन का लण्ड सबसे बड़ा है, आपने कितने लण्ड देखे हैं आज तक?” रामू ने पूछा।

मैं- “चुप…” इतना कहकर मैंने अपनी जीभ निकाली। जीभ निकालकर फिर मुँह के अंदर ले ली और ऊपर रामू की तरफ देखा।

रामू- “क्यों तड़पा रही हो मेमसाब?” रामू ने बेसब्री से कहा।

रामू- “मतलब की मेमसाब, अपुन का लण्ड सबसे बड़ा है, आपने कितने लण्ड देखे हैं आज तक?” रामू ने पूछा।

मैं- “चुप…” इतना कहकर मैंने अपनी जीभ निकाली। जीभ निकालकर फिर मुँह के अंदर ले ली और ऊपर रामू की तरफ देखा।

रामू- “क्यों तड़पा रही हो मेमसाब?” रामू ने बेसब्री से कहा।

मैंने मुँह खोला और रामू के लण्ड को सुपाड़े तक मुँह में लिया और थोड़ी देर कुल्फी की तरह सुपाड़े को चूसती रही, और फिर मुंह से निकालकर मैंने उसके लण्ड के पीछे के भाग को मुठ्ठी में जकड़कर जोर से दबाया, जिससे रामू के मुँह से आऽs निकल गई।

मैं- “कभी बाल निकालते हो की नहीं?” मेरे हाथ में उसके बाल चुभ रहे थे।

रामू- “कल निकालकर आऊँगा…” रामू ने कहा। वो जानता नहीं था की अब हमारा कल कभी आने वाला नहीं था।

मैंने उसके लण्ड को पीछे से मुठ्ठी में जकड़ा हुवा था, इसलिए उसका लण्ड आधा ही दिख रहा था। मैंने मेरी जीभ निकालकर उसके आधे लण्ड को चाटना चालू किया। मैंने ऊपर, नीचे, आजू, बाजू चौतरफा से लण्ड को चाट-चाट के गीला कर दिया। हर बार रामू के मुँह से सिसकारी निकलती थी और लण्ड झटके मारता था। फिर मैंने मेरी मुठ्ठी की गिरफ्त से रामू के लण्ड को आजाद किया और फिर आगे से दो उंगली से पकड़कर ऊपर किया। इस बार मैंने उसे पीछे की तरफ चाटना चालू किया। पीछे की तरफ से चाटने से उसके लण्ड के बाल मेरे मुँह पर चुभ रहे थे। फिर से मैंने लण्ड को चौतरफा से चाटकार गीला कर दिया, अब रामू का लण्ड पूरी तरह से गीला हो गया था।

मैंने अब रामू के लण्ड को छोड़ दिया और मुँह में लेकर चूसने लगी। उसका लण्ड इतना बड़ा था की मैं उसे कभी भी पूरा मुँह में नहीं ले सकती थी। जितना ले सकती थी उतना अंदर लेकर बाहर निकालती थी।

धीरे-धीरे रामू के सिर पे उत्तेजना उस कदर चढ़ने लगी की वो मेरा मुँह पकड़कर अपना लण्ड ज्यादा से ज्यादा अंदर तक डालने की कोशिश करने लगा। वो जिस तरह से मेरा मुँह चोदने लगा था, उससे मेरे मुँह में दर्द होने लगा था, मेरी आँखों में पानी आने लगा था, और मुँह में से ‘गों-गों की आवाज आने लगी थी।

रामू के मुँह से सिसकारियां फूटनी शुरू हो गई थीं। धीरे-धीरे रामू का लण्ड ज्यादा से ज्यादा सख़्त होता जा रहा था। वो बीच-बीच में कभी कभार मेरे बाल भी खींच लेता था। अब मुझे लगने लगा था की रामू किसी भी वक़्त झड़ सकता है और थोड़ी ही देर में मेरा अंदाजा सही निकला।

रामू- “मेमसाब, मेरा निकलने वाला है…” कहते हुये रामू ने अपना पानी छोड़ दिया, जो कुछ मेरे मुँह में तो कुछ मेरे चेहरे पर गिरा।

मैंने उसके लण्ड को मुँह से निकालकर हाथ से पकड़ लिया और मैं हाथ को आगे-पीछे करने लगी। उसके लण्ड से पानी निकलना बंद हुवा तब मैं खड़ी हुई और बाथरूम में जाकर मुँह अंदर और बाहर से साफ किया। मैं बाहर आई तब रामू जमीन पर अपने मुरझाये लण्ड को पकड़कर बैठा था।

वो देखते हुये मैंने कहा- “रामू अब मैं तुम्हारी पगार वसूल करूंगी, पाँच मिनट के अंदर-अंदर किसी भी तरह तुम्हारे महाराजा को खड़ा करके मुझसे सेक्स करो…”

रामू- “पाँच ही मिनट मेमसाब… इतना जल्दी तो किसी का भी खड़ा नहीं हो सकता…” रामू ने कहा।

मैं- “वो तुम जानो रामू.. पर तुम्हारे पास अब पाँच मिनट ही हैं…” मैंने कहा।

रामू- “ओके मेमसाब, मेरी भी एक शर्त है जो आपको जाने बिना माननी पड़ेगी…” रामू ने कहा।

मैं- “मंजूर है…” मैंने कहा, फिर बाथरूम में जाकर मुँह अंदर और बाहर से धोया और बाहर आई।

रामू उसका मुरझाया लण्ड पकड़कर जमीन पर बैठा था। उसने अभी तक अपनी शर्त नहीं बताई थी। वो शायद ज्यादा से ज्यादा समय देना चाहता था।

मैं- “जल्दी से शर्त बताओ रामू..” मैंने कहा। Adultery

Dosto kahani kaise lagu air bhi aise hi indian sex stories ke liye indisexstories.com padhte rahiye

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