कान्ता की बात पूरी होते ही मैंने उसे खाने को पूछा तो एकाध बार उसने ना बोला फिर वो बैठ गई। खाना खाते ये उसे लगा की खाना कम था तो वो बोली- “मैंने तो आपके हिस्से का खाना ले लिया…”
तुम तो आज पहली बार मेरे हिस्से का ले रही हो, जबकी मैं तो कई दिनों से… मैं आगे सोच नहीं पाई और बोली- “मैं रामू से बात करूंगी, पर तुम उसे मत बताना की तुमने मुझसे ये सब कहा है…”
शाम के छ बजे आस-पास बेल बजी, मैंने दरवाजा खोला तो सामने पप्पू था। उसे देखकर मैं खुश हो गई पर जिस तरह से उसने मुझे कल नजर-अंदाज किया था वो याद आते ही मैंने उसके सामने अपनी खुशी जाहिर होने
नहीं दी।
पप्पू- “अंकल आ गये क्या?” पप्पू ने पूछा।
मैं- “अभी तो छे ही बजे हैं, नीरव तो 9:00 बजे आता है हमेशा, क्यों कुछ काम था?” मैंने पूछा।
पप्पू- “नहीं, काम तो कुछ नहीं है, पर कल मैंने उन्हें आफिस से जल्दी आने को कहा था, और उन्होंने हाँ भी बोला था…”
मैं पप्पू को ध्यान से देखने लगी, बच्चू बहाना तो अच्छा बनाकर आया है घर में घुसने का, सफेद झूठ बोलकर अंकल-अंकल करते घर में आ जाएगा। मैंने पप्पू का झूठ ही आगे बढ़ते हुये कहा- “हाँ, याद आया नीरव कह तो रहा था की जल्दी आ जाऊँगा, बस आता ही होगा तुम टीवी देखो और मैं तेरे लिए नाश्ता लाती हूँ तब तक नीरव आ जाएगा…” पप्पू के अंदर आते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिया और स्टापर लगाकर किचन में गई।
मैं नाश्ता निकाल रही थी तभी पप्पू की आवाज आई- “आंटी रिमोट कहां है?”
मैं- “वो तिपाई के नीचे होगा..” मैंने जोर से कहा, और धीरे से बड़बड़ाई- “रिमोट ना मिले तो भी कोई बात नहीं मैं बाहर ही आ रही हैं, फिर तो तू मुझे ही देखने वाला है…” मैं नाश्ता की प्लेट लेकर बाहर गई तब तक पप्पू ने रिमोट ढूँढ़कर टीवी देखना भी शुरू कर दिया था। मैंने तिपाई पे नाश्ता रखा और उसे लेने को कहा तो वो टीवी । देखते-देखते नाश्ता करने लगा।
थोड़ी देर हुई और पप्पू ने कहा- “अंकल को मोबाइल करो ना आंटी..”
मैं- “बस आते ही होगे…” किस किश्म का है ये लड़का, टीवी में से नजर ही नहीं हटा रहा, उसका ध्यान मेरी तरफ खींचने के लिए मैंने उससे बातें शुरू की- “कहां रहते हो तुम?”
पप्पू- “बरोडा…” पप्पू ने जवाब दिया।
मैं- “क्या करते हो?” मेरा दूसरा सवाल।
पप्पू- “कालेज का दूसरा साल है…”
मैं- “कालेज में गर्ल्स भी है की…”
पप्पू- “नहीं केवल लड़कों का कालेज है…”
मैं- “तेरी कोई गर्लफ्रेंड है…”
पप्पू- “नहीं हैं…” पप्पू हर सवाल का जवाब दे तो रहा था पर उसका ध्यान टीवी पर ही था।मैं- “क्यों तुम्हें कोई पसंद नहीं आती की, लड़कियां तुम्हें पसंद नहीं करती?” मैंने पप्पू को पूछा।
पप्पू- “वो ऐसे ही, अंकल कब आएगे?” पप्पू के चेहरे पे परेशानी के भाव साफ दिख रहे थे।
अब तो मुझे भी उसपर गुस्सा आने लगा था। कब से अंकल-अंकल कर रहा था और सामने इतनी खूबसूरत आंटी उसे नहीं दिख रही थी। गुस्सा तो इतना आया की शंकर की तरह इसे भी एक थप्पड़ मार दें, पर अब पप्पू को पटाना मुझे चैलेंज जैसा लग रहा था। मैंने पप्पू के साथ बात करना बंद कर दिया था और अब मेरी आँखें टीवी
की तरफ थीं। पर मेरा दिमाग किसी भी तरह पप्पू को पटाने के बारे में सोच रहा था।
तभी मुझे देखी हुई एक इंग्लिश मूवी का दृश्य याद आया की हीरो बाहर बैठा हुवा था और हेरोइन रूम के अंदर थी। हीरो को पटाने के लिए हेरोइन रूम के अंदर अपने ऊपर के कपड़े निकालकर किसी बहाने से हीरो को अंदर बुलाती है, और हीरो के अंदर आते ही वो उससे लिपट जाती है और फिर हीरो गरम होकर हेरोइन की चुदाई करता है।
मुझे ऐसे पप्पू को अंदर बुलाना और सामने से नंगे होकर उससे लिपटना घटिया लग रहा था। पर और कुछआइडिया दिमाग में नहीं आ रहा था तो मैं सोफे से उठी और बेडरूम में जाते हुये बोली- “दो मिनट में आती हूँ, तुम बैठना नीरव आता होगा…”
मैंने गाउन पहना हुवा था। मैं तो उसे निकालते ही पूरी नंगी हो गई। मैंने कपबोर्ड से थोड़े दिन पहले ही लाया हुवा जालीदार ब्रा, पैंटी का सेट निकाला और पहन लिया। मैंने हल्का सा मेकप किया और फिर अपने आपको
आदमकद मिरर में देखने लगी। कयामत लग रही थी मैं।
मैंने पप्पू को आवाज लगाई- “पप्पू, पप्पू जल्दी आओ…” और मैं दरवाजे की तरफ वाली दीवार से सटकर खड़ी हो गई।
मैंने गाउन पहना हुवा था। मैं तो उसे निकालते ही पूरी नंगी हो गई। मैंने कपबोर्ड से थोड़े दिन पहले ही लाया हुवा जालीदार ब्रा, पैंटी का सेट निकाला और पहन लिया। मैंने हल्का सा मेकप किया और फिर अपने आपको
आदमकद मिरर में देखने लगी। कयामत लग रही थी मैं। Adultery
मैंने पप्पू को आवाज लगाई- “पप्पू, पप्पू जल्दी आओ…” और मैं दरवाजे की तरफ वाली दीवार से सटकर खड़ी हो गई।
पप्पू के अंदर आते ही मैं उसके पीछे लिपट पड़ी और हाथ आगे करके उसका सीना शर्ट के साथ सहलाने लगी, पप्पू आहें भरते हुये अपनी गाण्ड को पीछे से मेरी चूत पर दबाने लगा। मैंने धीरे-धीरे उसकी शर्ट के बटन खोल डाले और उसके नंगे सीने को सहलाने लगी। उसके सीने पर कोई बाल नहीं था, जिसकी वजह से मुझे सहलाने
में मजा आ रहा था।
पर मालूम नहीं क्यों इतनी देर हो गई फिर भी पप्पू ऐसे ही खड़ा था, वो मेरी तरफ अपना मुँह नहीं कर रहा। था। वो अब तक मेरे से क्यों भाग रहा था, वो मुझे समझ में आने लगा था। मैं उसे बहुत शातिर समझ रही थी पर ये तो शर्मीला था, इसलिए अब तक ऐसा व्यवहार मुझसे कर रहा था। मैंने अपना हाथ थोड़ा नीचे किया और उसकी पैंट की बक्कल और चैन खोल दी। मैं बहुत खुश थी, अब उसका इंडा और मेरे हाथ के बीच सिर्फ पाँच इंच की ही दूरी थी। मैंने उसके अंडरवेर के अंदर हाथ डाला और एक ही सेकेंड में बाहर खींच लिया, क्योंकि उसका लण्ड अभी भी सुस्त अवस्था में ही था। मैंने उसे मेरी तरफ पलटने को कहा तो वो नजर झुकाए मेरी तरफ हुवा।
मैंने पूछा- “ये क्या है पप्पू?”
पप्पू- “वो… वो आंटी…” पप्पू कांप रहा था बोलते हुये, उसके मुँह से आवाज नहीं निकल रही थी।
मैं- “क्या?” मैं चिल्लाई।
पप्पू- “मुझे लड़कियां नहीं पसंद आंटी, मैं लड़कों के साथ ही कंफर्टेबल महसूस करता हूँ.” पप्पू ने डरते हुये । कहा।
उसकी बात पहले तो मेरी समझ में नहीं आई, पर जब आई तब मेरा गुस्सा और बढ़ गया- “इसीलिए तू कब से अंकल-अंकल कर रहा है, और तुझे लड़कियां नहीं पसंद तो कल मेरे सामने क्यों देख रहा था?”
पप्पू- “वो… आंटी मैं आपके सामने नहीं, अंकल के सामने देख रहा था…” पप्पू ने कहा।
मैं- “अब निकल यहां से और नीरव के सामने तो दिखना ही नहीं…” मन किया साले को दो-चार थप्पड़ मार दें।
मेरी बात सुनकर पप्पू ने जल्दी से अपनी शर्ट के बटन बंद किये और तुरन्त बाहर निकल गया।
रात को खाना खाने के बाद मैं नहाने जा रही थी तब नीरव ने बताया- “अंकल और केयूर आंटी को मुंबई ले जा रहे हैं…”
मैं- “क्यों?” मैंने पूछा।
नीरव- “यहां के डाक्टर कह रहे हैं की केस फेल है, जितने दिन जिएं, उतने दिन घर पे ले जाकर सेवा करो। ज्यादा दिन नहीं जिएंगे, पर अंकल का दिल नहीं मान रहा.”
नीरव की बात पूरी होते ही मैं बाथरूम में गई और नहाकर बाहर आई, नीरव मोबाइल में गेम खेल रहा था, मैंने कपबोर्ड से गाउन निकाला और पहनकर उसके बाजू में लेट गई, और नीरव के सीने को सहलाते हुये कहा“नीरव, अब हमें डाक्टर को दिखाना चाहिए…”
नीरव- “क्यों?” नीरव ने पूछा।
मैं- “बच्चे के लिए, सात साल हुये नीरव हमारी शादी को, मैंने तुम्हें एक साल पहले भी कहा था तब भी तुमने बात टाल दी थी…” मैंने कहा।
नीरव- “बात करें गे एक-दो दिन में हम दोनों…” नीरव ने कहा।
नीरव की बात सुनकर मैं थोड़ी देर बाद में फिर से बोली- “तुम्हें नहीं लगता उसके सिवा भी तुम्हें सेक्स स्पेसलिस्ट को भी बात करना चाहिए..” मैं थोड़ा हिचकिचाते हुये बोली।