Adultery Chudasi (चुदासी ) – Part 2

रामू ने झुक के मेरी नाभि पे पप्पी ले ली और झुक के मेरी चूत पे एक और पप्पी ली।

मैं सिहर उठी, मेरी चूत में से पानी बहने लगा तभी मुझे समय का खयाल आया। मैंने कहा- “ये मत करो रामू, समय नहीं है हमारे पास…”

रामू कुछ बोले बगैर खड़ा हो गया पर उसका चेहरा ऐसे हो गया था, मानो मैंने उसके पास से कुछ खींच लिया हो। रामू मेरी चूत पर लण्ड रगड़ने लगा। उसने फिर से मुझे किस करना शुरू कर दिया इस बार मैं भी उसके होंठों को चूसने लगी थी।

रामू- “एक मिनट मेमसाब…” कहते हुये रामू मुझसे अलग हुवा और खटिया खींचकर मेरी दाईं तरफ रख दी, रामू ने मेरी एक टांग उठाई और खटिया के ऊपर रखवा दी, जिससे मुझे अहसास हुवा की मेरी चूत ज्यादा फैल गई होगी। अब रामू ने अपना लण्ड मेरी चूत पे टिकाया और एक ही झटके में पूरा अंदर घुसेड़ दिया।

मैं चीखते-चीखते रह गई और फिर थोड़ा संभल के उसे चिकोटी काट ली- “इतनी जोर से कोई डालता है क्या?”

रामू- “जन्नत में जाने को मिल रहा हो तब धीरे-धीरे जाने वाला चूतिया होता है…” और रामू ने लण्ड को आगेपीछे करना शुरू कर दिया था।

अब रामू ने फिर से मुझे किस करना शुरू कर दिया था और साथ में मैंने भी। उसकी छाती से मेरी चूचियां दब रही थीं। उसके हर फटके के साथ मेरी गाण्ड दीवार से सट जाती थी और मैं फिर से आगे लेती थी, तो वो फिर फटका मारता था और मेरी गाण्ड फिर से दीवार से सट जाती थी। रामू ने अपनी जबान बाहर निकाली और मैंने वो होंठों के बीच ले ली और चूसने लगी। रामू के लण्ड की सख्ती बढ़ गई। रामू के मुँह से थूक मेरे मुँह में आ रहा था।

मैंने भी अपनी जबान बाहर निकाली और उसकी जबान से लड़ाने लगी। खटिया पे जो मेरा पैर था वो अब दर्द करने लगा था। रामू ने अपने हाथ से मेरी कमर पकड़ी ना होती तो शायद में बैठ जाती, रामू के हर फटके के साथ मैं अब सिसकने लगी थी। रामू भी जोर से आहें भर रहा था, उसके शरीर से पशीना पानी की तरह बह रहा था, जिससे वो मेरे बदन पे चिपक जाता था और साथ में मेरा बदन उसके पसीने से गीला हो रहा था, फर्श भी उसके पसीने से गीली हो गई थी।

रामू मेरी जबान को जैसे ही अपनी जबान से लड़ाने लगा तो मैंने मेरी जबान को अंदर खींच लिया। तब उसने भी मेरे मुँह में उसकी जबान डाल दी और हम एक दूसरे की जबान से जबान घिसने लगे। फिर रामू ने वही किया जो मैंने किया था। इस बार मैंने अपनी जबान उसके मुँह में डाल दी, फिर तो हमें इस खेल में मजा आने लगा। बारी-बारी हम दोनों एक दूसरे के मुँह में जबान डालकर जबान लड़ाते रहे। रामू ने उसकी स्पीड बढ़ा दी थी, वो तेजी से मेरी चुदाई कर रहा था। हमारी सांसें फूल रही थी, मुझे लग रहा था की पतंग की जगह, मैं आसमान में उड़ रही हूँ।तभी मोबाइल में रिंग बाजी, मोबाइल जीन्स के पाकेट में थी और वो दिख रहा था। रामू ने झुक के मोबाइल लिया और मेरे हाथ में दे दिया, और फिर से चुदाई में जुट गया। मैंने स्क्रीन पे नजर डाली तो नीरव की काल
थी। मैं डर गई, पूरी रिंग खतम हो गई पर मैंने काल नहीं लिया। चंद सेकेंड में तुरंत रिंग बजने लगी। इस बार मुझे अलग डर लगने लगा की ये रिंग की आवाज रूम के बाहर भी जाती होगी तो कोई सुन भी सकता है और किसी का ध्यान रूम की तरफ जा सकता है।

मैंने काल उठाई और कहा- “मैं आ रही हूँ 5 मिनट में..” इतना कहकर नीरव कुछ समझे सोचे उसके पहले काल काट दी, और रामू को कहा- “जल्दी कर…”

मेरी बात सुनकर रामू ने एक हाथ कमर से हटाकर मेरी चूचियां पकड़ ली और उसे दबाने लगा और दूसरा हाथ कमर से चूतड़ों तक नीचे किया और मेरे चूतड़ों को पकड़कर एक उंगली गाण्ड में डाल दी और गाण्ड को चोदने लगा। रामू अब मुझे दोनों तरफ से चोदने लगा। चूत को लण्ड से, गाण्ड को उंगली से, साथ में दूसरे हाथ से । चूचियां दबा रहा था और ऊपर हम एक दूसरे को किस करते हुये जबान लड़ा रहे थे। मेरी उत्तेजना अब चरम सीमा पे पहुँच गई थी, और शायद रामू भी ये सब एक साथ इसलिए कर रहा था की वो भी जल्दी झड़ना चाहता था और थोड़ी ही देर बाद वही हुवा जो हर रोज होता था।

आज फर्क इतना पड़ा की मैं और रामू एक साथ झड़े। झड़ते हुये रामू का वीर्य छूटा जो मेरी चूत में गया और रामू के लण्ड बाहर निकालने के बाद नीचे टपकने लगा, जिससे मेरी जीन्स खराब हो गई।

रामू के हटते ही मैं खटिया में लेट गई, मेरे पाँव में जो दर्द हो रहा था उसे तब थोड़ा आराम मिला, रामू भी फर्श पे बैठ गया था। थोड़ी देर बाद मैं उठी और डोरी पर से एक कपड़ा लिया और उससे जीन्स पर पड़ा वीर्य पुंछा ।

और बाद में जीन्स के पाकेट में से रुमाल निकालकर शरीर को पोंछना चालू किया। पर उससे इतना पशीना कहां पोंछने वाला था। रामू खड़ा हवा और डोरी पर से तौलिया लेकर मेरा बदन पोंछने लगा। बाद में मैंने जल्दी सेकपड़े पहने और फिर रूम में से बाहर निकल गई।

रामू के हटते ही मैं खटिया में लेट गई, मेरे पाँव में जो दर्द हो रहा था उसे तब थोड़ा आराम मिला, रामू भी फर्श पे बैठ गया था। थोड़ी देर बाद मैं उठी और डोरी पर से एक कपड़ा लिया और उससे जीन्स पर पड़ा वीर्य पुंछा ।
और बाद में जीन्स के पाकेट में से रुमाल निकालकर शरीर को पोंछना चालू किया। पर उससे इतना पशीना कहां पोंछने वाला था। रामू खड़ा हवा और डोरी पर से तौलिया लेकर मेरा बदन पोंछने लगा। बाद में मैंने जल्दी सेकपड़े पहने और फिर रूम में से बाहर निकल गई।

पहले मैं घर गई, मुँह धोया और टाप बदली, हल्का सा मेकप किया, बाल बनाकर छत पे जाने के लिए तैयार हो गई।

छत पर नीरव के पास पहुँचते ही नीरव ने मुझसे कहा- “12 मिनट लेट हो गई निशु तुम…”

मैं- “वो तुम्हारे कारण…” मैंने अंकल के हाथ से फिरकी लेते हुये कहा।

नीरव- “मेरे कारण, मैंने क्या किया?” नीरव ने चौंकते हुये पूछा।

मैं जब छत पे आ रही थी तब मुझे खयाल आया की मुझे जीन्स बदलना था और जल्दी-जल्दी में मैंने टाप बदल लिया। पहले तो मैंने सोचा की वापस जाकर बदल लेती हूँ, पर तभी मेरे दिमाग में ये खयाल आया की मैं नीरव पे ही सारा दोष थोप देती हूँ तो वो और किसी भी बात पे सवाल नहीं करेगा।

मैं- “तुम्हारा मोबाइल आया तब मैं वापस ही आ रही थी, मैंने अक्टिवा चलाते हुये मोबाइल निकाला और तुमसे बात करके जैसे ही काटा तभी बीच में कुत्ता आ गया, एक हाथ से चला रही थी तो बेलेंस नहीं रहा और स्लिप हो गई..” मैंने कहा।

नीरव- “कहीं लगा तो नहीं ना?” नीरव ने पूछा।

मैं- “लगा तो नहीं, पर कपड़े खराब हो गये, टाप ज्यादा बिगड़ गया था तो बदलकर भी आई..” मैंने कहा।

नीरव- “सारी, पर तुम्हें अक्टिवा रोक के मोबाइल निकालना चाहिए ना…” नीरव ने कहा।

मैं- “कैसे रोकती, तुमने जल्दी आने को कहा था ना…” मैंने प्यार जताते हुये कहा।

नीरव- “लगा नहीं इसलिए टेन्शन नहीं, तुम्हें पतंग चढ़ाना है?” नीरव ने पूछा।

मैं- “नहीं, मैं फिरकी पकड़ती हूँ..” मैंने कहा। मैंने नीरव से जो बहाना निकाला उससे ये हुवा की नीरव ने मुझे और कुछ पूछा ही नहीं, नहीं तो न जाने क्या-क्या पूछता, इतनी देर क्यों हुई? वो तुम्हारी फ्रेंड कौन थी? साड़ी पसंद आई की नहीं? कौन सी शाप से ली और भी कितने सवाल पूछता।।

तभी आवाज आई- “कयपो छे…” तो मैंने आसमान के तरफ नजर की।

हवा अच्छी थी जिसकी वजह से पतंग उड़ाने वालों को मजा आ रहा था। मुझे पप्पू का खयाल आया तो मैंने बाजू की छत की पानी की टंकी पे नजर डाली कि पप्पू कहीं दिख रहा है की नहीं? वो नहीं था, शायद वो चला गया होगा।

मैंने फिर से ऊपर हमारी पतंग की तरफ देखते हुये नीरव को पूछा- “मैं गई उसके बाद कितनी पतंग काटी नीरव..”

नीरव- “6 पतंग काटी, एक हमारी भी गई…” नीरव ने कहा।

तभी मेरा ध्यान पप्पू की तरफ गया, वो फिर से टंकी पे आकर बैठा हुवा था। उसका ध्यान मुझ पर ही था, मैं उसे देखकर मुश्कुराई तो वो भी मुश्कुराया। वो सच में बहुत ही क्यूट था, कोई सिर्फ उसका चेहरा देखकर उसे लड़की भी समझ सकता है, इतना क्यूट था वो।

मैंने नीरव से कहा- “वो पप्पू बेचारा उसके मामू की वजह से ऐसे ही बैठा है, तुम उसके मामा को कहो की उसे पतंग उड़ाने दे…”

नीरव- “सही बात है निशु तुम्हारी, कहता हूँ..” इतना कहकर नीरव ने पप्पू को कहा- “तेरे मामा को बुला…” Adultery

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