Adultery Chudasi (चुदासी ) – Part 2

मैंने ब्लैक कलर की नाइटी पहनी हुई थी, जो मेरी मखमली जांघ के दीदार करा रही थी। साथ में नाइटी स्लीवलेश थी, जो मेरे कोमल हाथों को उजागर कर रही थी, और ऊपर के कट से मेरी आधी चूची बाहर दिख रही थी। मैंने हल्का सा मेकप किया था जो मेरी सुंदरता पे चार चाँद लगा रहा था। रूम में मैंने एसी ओन करके रूम स्प्रे कर दिया था, जिसकी मादक-मादक खुशबू तो शायद रामू ने आज तक ली नहीं होगी।

रामू- “मैं कहा हूँ मेमसाब? मरकर स्वर्ग में तो नहीं पहुँच गया ना?” रामू मदहोशी की हालत में इतना बोलकर चुप हो गया।

मैं धीरे-धीरे पीछे जाने लगी और बेड पर जाकर लेट गई। रामू मदहोशी के आलम में घिरा हुवा धीमे कदमों से बेड के पास आया, और मुझे निहारने लगा। शायद अब भी उसे अपनी किश्मत पे भरोसा नहीं हो रहा था।

उसने मेरी टांगों को पकड़ा और मुझे खींचकर बेड की किनारे पे ले लिया और मेरी नाइटी को ऊपर किया। नाइटी ऊपर होते ही रामू के मुँह से लार टपक पड़ी। वो मेरी सफाचट चूत को देखकर पागल हो गया। उसने उसके एक हाथ से 3-4 बार मेरी चूत को सहलाया और फिर मुझे बिठाकर मेरी नाइटी निकाल दी।

रामू के सामने पूरी नंगी मैं पहली बार हुई थी। वो फिर से एकटक मुझे निहारने लगा। मानो इस पल को वो हमेशा के लिये अपने दिलो-दिमाग में कैद कर लेना चाहता हो। फिर उसने झुक के मेरी चूत में उंगली डाली। मेरी चूत गीली तो हो ही गई थी, जिससे उसकी उंगली गीली हो गई। गीली उंगली मुँह में डालकर उसने चाटी और फिर मेरी चूत के नीचे के हिस्से पर उसने अपनी जबान लगाई।
मैं सिहर उठी।

रामू ने उसकी जबान से चूत नीचे के हिस्से को चाटना चालू किया और फिर वो जबान को ऊपर तक ले गया, और इस तरह उसने पूरी चूत के बाहरी हिस्से को चाटा तो मेरे न चाहते हुये भी दो मिनट के लिए मेरी आँखें बंद हो गई और मैं सिसकियां लेने लगी। रामू ने अब एक हाथ की दो उंगली से चूत को खींचा और चूत में दूसरे हाथ की उंगली डाल दी और वो उसे अंदर-बाहर करते हुये चूत के अंदर के हिस्से को चाटने लगा।

मैं मचलने लगी, रामू के बालों को सहलाने लगी।

थोड़ी देर बाद रामू ने उंगली से चोदना बंद कर दिया और सिर्फ अंदर तक जबान डालकर मेरी चूत की चुसाई। करने लगा। रूम के अंदर मेरी मादक सिसकारी गूंजने लगी। मैं अब मेरा धैर्य खो बैठी थी, और नागिन की तरह रेंगने लगी थी। मेरी सांसें भारी होती जा रही थी, मैं जोरों से लंबी-लंबी सिसकारियां लेते हुये मदहोश होती जा । रही थी। मेरे हाथों ने रामू के बालों को खींचना चालू कर दिया था, मुझे अब मालूम हो चुका था की मैं अब कभी झड़ सकती हूँ।

रामू ने अपने हाथ को ऊपर किया और मेरी चूचियां सहलाना शुरू कर दिया और कुछ पल के बाद मैं झड़ गई। झड़ते वक़्त मैंने रामू के बाल खींचकर उसे चूसना बंद करने को कहा पर उसने चूसना चालू रखा, और पूरी चूत चाटने के बाद वो उठा और बोला- “मेमसाब आपकी चूत का पानी तो अमृत जैसा है…”

रामू की बात सुनकर मेरे मन में खयाल आया की अगर मेरी चूत का पानी सच में अमृत है तो, आज वो देव की जगह दानव को मिला है। झड़ने के बाद, थोड़ी देर तक मैं मेरे दोनों हाथ ऊपर की तरफ करके आँखें बंद । करके पड़ी रही। दिन का उजाला, पूरी नंगी, मेरी कमर तक का बदन बेड पर और टाँगें जमीन पर लटकी हुई, हाथ ऊपर की तरफ किए हुये थी, जिससे मेरे उरोज भी ऊपर खिंच गये थे। इस पोज में तो आज तक नीरव ने भी कभी मुझे नहीं देखा था।

तभी मेरे उरोजों पर स्पर्श होते ही मैंने आँखें खोल दीं। रामू मेरे उरोजों को सहला रहा था उसकी रूखी और सख्त हथेलियां मेरे उरोजों को कहीं खरोंच न दें ऐसा डर मुझे लगने लगा।Adultery

तभी मेरे उरोजों पर स्पर्श होते ही मैंने आँखें खोल दीं। रामू मेरे उरोजों को सहला रहा था उसकी रूखी और सख्त हथेलियां मेरे उरोजों को कहीं खरोंच न दें ऐसा डर मुझे लगने लगा।

रामू- “मेमसाब आप घूम जाओ..” रामू ने मेरे बायें उरोज के निप्पल को दो उंगली से दबाते हुये कहा।

रामू की बात सुनकर मैं डर गई की कहीं ये मेरी गाण्ड का इस्तेमाल तो नहीं करना चाहता ना? थोड़ी ही देर पहले मैंने उसकी दी हुई सी.डी. में देखा भी था- “नहीं रामू, प्लीज़…” मेरे मुँह से इतने ही शब्द निकले।

रामू- “अरे मेमसाब अपुन आपके साथ कुछ उल्टा सीधा नहीं करने वाला, मैं जो करूंगा उससे आपका चुदवाने का मूड फिर से आ जाएगा…”

रामू की बात सुनकर मैं डरती हुई पीछे की तरफ हुई।
राम्- “अब मेमसाब कुतिया बन जाओ..” रामू ने कहा।

मैं- “क्या?” मैंने पूछा।

रामू- “दो हाथ और दो पैरों पे हो जाओ…” रामू ने कहा।

मैं उसके कहे मुताबिक हो गई और मेरे स्तन नीचे की तरफ झूलने लगे। रामू ने मेरी गाण्ड को थोड़ी देर सहलाया और फिर पीछे की तरफ चला गया।

अब क्या होगा वो सोचकर मुझे डर लग रहा था। तभी मुझे मेरी गाण्ड के छेद पे कुछ गीला लगने का अहसास हुवा। मैंने पूछा- “क्या कर रहे हो?”

रामू- “आपकी ये मस्त मलाई जैसी गाण्ड चाटने जा रहा हूँ मेमसाब, जिससे आप फिर से गरम हो जाओगी…” रामू ने कहा और फिर से उसने उसी जगह पर चाटा।

मैं देख तो नहीं सकती थी, पर स्पर्श से इतना पता तो चल ही रहा था की वो कहां-कहां और किस चीज से चाट रहा है। रामू ने उसकी जबान से मेरी गाण्ड के छेद के ऊपर के हिस्से को थोड़ी देर चाटा। रामू ने चाटना शुरू किया था तब से मेरी सिसकारियां चालू हो गई थी। रामू ने मेरे दो कूल्हों को अलग दिशा में खींचा और वो अब अंदर तक जबान डालकर चाटने लगा।

उसके बाद तो मैं बिल्कुल ही पागल हो गई और सिसकारियों की बजाय चीखने लगी और रामू को रुकने को कहने लगी- “अब बस करो रामू, मुझसे सहन नहीं हो रहा, कहीं मैं फिर से न छूट जाऊँ, छोड़ो रामू…”
Adultery

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply