ये सब बातें मेरे लिए तो क्या किसी कुंवारी लड़की के लिए भी नई नहीं थीं। पर सुनने में मजा आ रहा था। मैं भी अब शरारत के मूड में आ गई थी। मैंने उसके लिंग के छेद में नाखून मारा।
करण के मुँह से आऽs निकल गई, और उसके लिंग ने एक जोर का झटका मारा।
करण ने मेरे होंठों पे किस करके बोला- “किसी का लण्ड चूसो ना तो ये छेद पे जीभ से चाटना, सामने वाला तेरा गुलाम बन जाएगा…”
मैंने कोई प्रतिकिया नहीं दी और उसके लिंग को हिलाने लगी।
करण- “यार ऐसे मेरा पानी नहीं निकलेगा, या तो चूसो या चुदवाओ तो कुछ हो सकता है…” करण ने कहा।
करण की बात सुनकर मैं ठंडी पड़ गई, मेरा जोश हवा हो गया। मैंने डरते हुये कहा- “करण बात तो सिर्फ छूने की हुई थी ना… और तुम हो की…”
मेरी बात बीच में ही काटते हुये करण बोला- “तो एक काम कर ना, पैसे ज्यादा ले लेना…”
मैंने गुस्से में कहा- “तुम मुझे क्या समझते हो?”
करण ने बहुत ही शांति से जवाब दिया- “मैं तो तुझे मेरी फर्स्ट डेट मानता हूँ। तुम चाहो तो मैं तुझे हर रोज मिलना चाहूँगा। मेरा पहला प्यार हो तुम। पर तेरी बातें एक कालगर्ल जैसी ही हैं, ये बात हुई थी, ये बात नहीं हुई थी, ये क्या? जब हम किसी से सेक्स करें तो सिर्फ हमारी पसंद नहीं देखनी चाहिए, थोड़ा सामने वाले का भी खयाल करना चाहिए…”
मैं फिर उसकी बातों के जाल में फंस गई। मुझे समझ में नहीं आ रहा था की मैं करण को कैसे समझाऊँ? फिर भी मैंने अपना प्रयास जारी रखा- “तुम भी तो मेरी पसंद का खयाल करो, मुझे वो चूसना पसंद नहीं…”
करण- “कोई बात नहीं, चल एक काम करते हैं। मैं तुम्हारी ब्लाउज और ब्रा खोल देता हूँ.” करण ने कहा।
मैं- “नहीं करण..”
करण- “क्या नहीं नहीं यार, तुम शादी मत करना किसी से..” कहकर करण मेरे ब्लाउज के बटन खोलने लगा।
मैंने पूछा- “क्यों ऐसा कह रहे हो?”
करण- “तुम बस ना ना ही करती रहोगी, पति बेचारे को कुछ करने ही नहीं दोगी..” कहते हुये करण ने मेरी ब्रा के हुक भी खोल दिए थे, और- “तेरी चूचियां बहुत मस्त हैं..” कहते हुये करण मेरे उरोजों को मसलने लगा। करण ने मेरे उरोजों को सहलाते-सहलाते निप्पल पकड़ा और दबाया।।
तब मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई।
करण- “तू गरम तो बहुत जल्दी हो गई है.” कहते हुये करण ने झुक के निप्पल को मुँह में ले लिया। फिर करण ने पूछा- “तुझे कभी-कभी तो चुदवाने का मन होता होगा ना?”
मैं बोली- “हाँ…”
करण- “तब क्या करती है?” करण ने फिर पूछा।
मैं… मैं…” मेरी समझ में ये नहीं आया की उसको क्या कहूँ?
करण- “मैं मैं क्या करती है बोल ना… चूत को उंगली से चोदती हूँ..” कहते हुये करण ने निप्पल को काट लिया।
“आहह..” मेरे मुँह से सिसकारी फूट पड़ी।
करण ने अपना हाथ नीचे किया और साड़ी पकड़कर ऊपर की। मेरी विरोध करने की शक्ती अब खत्म हो गई। थी। उसने मेरी जांघ को सहलाकर मुझे थोड़ा उधर होने को कहा। मैं थोड़ा उठी, तो उसने साड़ी को ऊपर करके मेरी पैंटी निकाल दी। पैंटी निकलते ही उसने मेरी योनि को छू, और करण ने पूछा- “कितने महीने पहले सेव किया था?”
मैं- “क्या?” मैंने सामने सवाल किया।
करण- “ये चूत के बाल कब निकाले थे?”
मैंने कहा- “3-4 महीने पहले…”
करण- “मैं ऊपर के बाल हर रोज निकालूं या ना निकालूं, पर नीचे के तो हर रोज निकालता ही हूँ, हर रोज बाल निकालना चालू कर दे…”
मैंने उसको कोई जवाब नहीं दिया।
करण ने मेरी योनि में उंगली डाली, और कहा- “तेरी चूत तो गीली हो गई है…” कहकर उसने उंगली निकाली और नाक के पास ले गया- “बहुत मस्त खुशबू है…” कहकर फिर से उंगली को योनि में डाल दिया।
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, मेरा तन सुलग रहा था। मैं चाहती थी की वो जल्दी से मुझे मेरी मंजिल तक पहुँचा दे।
करण- “लण्ड को नहीं तो उंगली को तो चोदने को मिला…” कहते हुये करण मेरी योनि में उंगली अंदर-बाहर करने लगा। वो साथ में मेरे निपल को भी चूस रहा था।
धीरे-धीरे मेरी सांसें तेज होने लगी, मेरे मुँह से सिसकारियां फूटने लगी, और मैं झड़ गई। इतना मजा मुझे आज तक कभी नहीं आया था। मैंने करण को मेरी बाहों के घेरे में ले लिया।
करण- “तुम गरम भी बहुत जल्दी हो जाती हो और ठंडी भी जल्दी पड़ जाती हो…” करण ने मेरे होंठों को उंगली से छेड़ते हुये कहा।
मैंने उसकी बात का कोई जवाब दिए बगैर उसकी उंगली को मुँह में ले लिया।
करण- “अब क्या इरादा है?” उसने पूछा।
मैं- “जो तुम कहो…” मैंने कहा।
करण- “मेरा इरादा तो तुम्हें लण्ड चुसवाने का है…” उसने शरारत से कहा।
मैं- “करण प्लीज़..” मैं शर्माते हुये बोली।
करण- “क्या निशा तुम भी, कोशिश तो करो। मैं नियमित लण्ड की सफाई करके आक्स बाडी स्प्रे लगाता हूँ, फिर भी तुझे बदबू आए तो मत करना…”
मैं- “ओके। मैं कोशिश करती हूँ, पर तेरा पानी निकलने वाला हो तब मुझे बता देना। क्योंकी वो मेरे मुँह में गया ना तो मुझे उल्टी हो जाएगी…” मैंने करण की बात मानते हुये कहा।
करण- “ठीक है निशा, मैं बता दूंगा…”
मैंने झुक के उसका लिंग मुँह में ले लिया।
करण- “वाह… निशा, पूरा मुँह में ले लो और चूसो…”
मैंने करण का लिंग पूरा मुँह में ले लिया।
करण- “अब 3-4 बार सुपाड़े तक लण्ड को बाहर निकालो और फिर पूरा मुँह में लो.”
मैंने उसके कहे अनुसार किया।
करण- “आहह… निशा मेरी जान, उह्ह… अब लण्ड को मुँह में से निकालकर छेद को चूसो आह्ह..” करण धीमीधीमी सिसकारियां लेते हुये बोला।
मुझे भी अब उसका लिंग चूसने में मजा आने लगा था। मैंने उसके लिंग को मुँह से निकाला, हाथ में पकड़कर सुपाड़े को चाटने लगी। उसके बाद मैं छेद को जीभ से सहलाने लगी। करण बहुत ही उतेजित हो रहा था, उसका लिंग झटके मारने लगा था।
करण- “अया निशा करती रहो..” करण ने कहा। Adultery
मैंने और थोड़ी देर उसके लिंग को उसी तरह चाटा। फिर सुपाड़े तक मुँह में लेकर उसके छेद को फिर से सहलाने लगी।
करण- “निशा उह्ह.. पूरा लण्ड मुँह में लेकर चूसो आहह…”
मैंने करण का लिंग मुँह में ले लिया और मुँह को आगे-पीछे करके बहुत ही मस्ती से चूसने लगी। अब करण कुछ बोल नहीं पा रहा था, मेरे बालों को सहलाते हुये सिसकारियां ले रहा था। मैं लिंग चूसते हुये सोच रही थी कि पूरी रात करण का पानी ना निकले तो कितना अच्छा होगा और पूरी रात चूसने को मिलेगा।
करण- “निशा लण्ड मुँह में से निकाल, मेरा पानी छूटने वाला है…” करण ने कहा।
पर मैंने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। मेरा दिल नहीं मानता था की मैं उसके लण्ड को छोडू।।
करण ने दोनों हाथों के बीच मेरा सिर पकड़ा और खींचकर कहा- “निशा छोड़ यार…”
मैंने उसका लण्ड मुँह से निकालकर ऊपर देखा। करण ने मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिए, और चूसने लगा। उसके लिंग में से वीर्य की पिचकारियां छूटने लगी और उसने मुझे बाहों में भींच लिया। मैंने करण की बाहों से अलग होते हुये कहा- “बैंक्स करण, तुमने मेरे मुँह में पानी नहीं छोड़ा…”
करण- “कैसे छोड़ता? तू उल्टी करती तो मैं कहां बैठता?” करण ने हँसते हुये कहा।
मैं मेरे कपड़े ठीक करने लगी और करण को कहा- “अपने कपड़े ठीक कर लो करण..”
करण ने भी अपने कपड़े ठीक कर लिए।
मैंने घड़ी में देखा तो 2:00 बज रहे थे, मैंने करण के कंधे पर सिर रखते हुये कहा- “मुझे नींद आ रही है करण तुम भी सो जाओ…” मैं कब सो गई मालूम नहीं।।
पर जब जागी तो देखा की मैं सीट में अकेली सो रही थी। मैंने उठकर देखा की बस शहर के अंदर दाखिल हो। गई थी। मैंने चारों तरफ देखा की करण कोई और सीट पे तो नहीं बैठा? मैंने पूरी बस में देख लिया, करण कहीं नहीं था। करण कहां उतर गया होगा? मुझे बताए बगैर कहां चला गया? मुझे कुछ समझ में नहीं आया। तभी मुझे याद आया की मुझे नीरव को फोन करके बुलाना है, वो मुझे लेने आने वाला है।
मैंने नीरव को फोन करके बुला लिया। घर पहुँचते ही मैं बाथरूम में घुस गई, नहाकर बाहर आई तो देखा की नीरव फिर से सो गया था। नीरव को सोते हुये देखकर मुझे थोड़ी शांति हुई। स्टेशन से आते हुये मैंने नीरव से कोई बात नहीं की थी, अभी नीरव यदि जाग रहा होता तो मैं शायद उससे नजरें नहीं मिला पाती।
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