मम्मी की बात सुनकर बहुत दुख हुवा। कितनी प्राब्लम है मम्मी और पापा की जिंदगी में, पैसे की, रहने की, दीदी की और मेरे ससुराल वालों की, सब तरफ से प्राब्लम। मेरे सास ससुर उन्हें कभी बुलाते भी नहीं है, एक बार घर पे आए थे तो अपमान करके निकाल दिया था। मेरी आँखें नम हो गईं। शाम को सुधीर मुझे बस में छोड़ने आया, स्लीपर में टिकेट न मिलने की वजह से उसने 2बाइ2 में टिकेट ले ली थी। बस में मेरी सीट खिड़की साइड की थी। मेरी बगल की सीट में एक 20-22 साल का स्मार्ट लड़का था। बस चलते ही मैंने बैग में से कंबल निकालकर लपेट लिया।
थकान की वजह से आँखें भारी हो रही थीं, फिर भी नींद नहीं आ रही थी। बस शहर में से बाहर निकली तो लाइट बंद हो गई। थोड़ी देर बाद मुझे लगा की वो लड़का मेरे कंबल में हाथ डालने की कोशिश कर रहा है। मैं सोच में पड़ गई की उसे ठंड लग रही होगी या? पहले तो सोचा की उसके हाथ को काट लँ, फिर सोचा की देखते हैं कि क्या करता है? ज्यादा कुछ करेगा तो थप्पड़ दे देंगी। कंबल के अंदर हाथ डालकर उसने पहले तो मेरे उरोजों को सहलाया, फिर पेट सहलाया। उसके हाथ बहुत ही कोमल थे, जैसे किसी लड़की के हों। वो नीचे झुका, और मेरी साड़ी को उठाकर ऊपर करने लगा।
मैंने सोचा इतना बहुत हो गया मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।
लड़का- “तुम जाग रही हो?” वो पूछा।
मैंने कोई जवाब नहीं दिया।
लड़का- “मेरा नाम करण है, तुम्हारा क्या है?” उसने फिर पूछा।
मैं- “निशा…” मैंने मेरा नाम उसे क्यों बताया वो मेरी समझ में नहीं आया। मैंने अभी तक उसके हाथ को छोड़ा नहीं था।
करण- “तुम बहुत खूबसूरत हो…” इतना बोलकर करण मुझसे जितना हो सकता था उतना नजदीक आ गया, और कहा- “मैंने आज तक चूत को नहीं छू, तुमने लण्ड को छू है?”
मैंने साड़ी पहनी थी उसके बावजूद वो मुझे कुँवारी लड़की समझ रहा था। मुझे वो कुँवारी समझता है ये बात मुझे अच्छी लगी। मैंने सोचा चलो उसे थोड़ा बेवफूक बनाते हैं, थोड़ा खेल खेलते हैं, कुछ करने जाएगा तो बता देंगी की मैं शादीशुदा हूँ।
करण- “तू शर्माती बहुत है। बता ना तूने लण्ड को छू है की नहीं?” करण अधीरता से बोला।
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मैं उसके मुँह के बहुत करीब मेरा मुँह करके बोली- “नहीं छू..” मैं उसके चेहरे के भाव देखना चाहती थी।
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करण- “वाह… तू भी मेरी तरह कोरी है..” करण बोला उसके मुँह से बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी। करण ने पूछा- “तेरी फिगर क्या है?”
मैं- “क्या?” मैं सोच में पड़ गई की ये लड़के की हिम्मत तो देखो, आज तक नीरव ने कभी मेरी फिगर नहीं पूछी, और लण्ड, चूत ऐसे गंदे शब्दों का इश्तेमाल तो कभी नहीं किया।
करण फिर बोला- “समझती नहीं क्या? चूची की साइज पूछ रहा हूँ?”
मैंने कहा- “34 इंच”
करण- “कप?” उसने फिर सवाल किया।
कितना जानता है ये लड़का औरतों के बारे में? मैंने जवाब दिया- “सी”
वो सवाल पे सवाल किये जा रहा था और मुझे भी मजा आ रहा था।
करण- “कमर और गाण्ड की भी साइज बता दे…”
मैंने भी बिंदास होकर जवाब दिया- “26″ इंच और 34 इंच” मैंने भी सोच लिया था की ऐसे नींद नहीं आने वाली तो थोड़ी बात ही कर लेते हैं। कुछ भी करने की कोशिश करेगा तो मार देंगी।
करण- “तेरा कोई बायफ्रेंड है?” करण का एक और नया सवाल।
मैं- “नहीं है…” मैं भी उसे अच्छा लगे ऐसे जवाब दे रही थी।
करण- “लण्ड देखा तो होगा ना?”
मुझे उसका ये सवाल अजीब लगा। मैंने कहा- “छू नहीं तो देखा कहां से होगा? नहीं देखा…”
करण- “चोदना समझती है क्या?” वो पूछा।
मैंने पूछा- “क्यों ऐसे क्यों बात कर रहे हो?”
करण- “ब्लू-फिल्म में या नेट पर भी नहीं देखा क्या?” वो पूछा।
मैं- “हाँ, वहां तो देखा है। मैं रियल में समझी थी..” मैंने सफाई दी।
शादी के एक साल बाद 3-4 बार नीरव ब्लूफिल्म की डी.वी.डी. लाया था पर मुझे बहुत गंदा लगता था, इसलिए लाना बंद कर दिया।
करण- “मुझे ठंड लग रही है अंदर आ जाऊँ?” इतना बोलकर करण ने कंबल खींचा और उसने भी लपेट लिया। फिर उसने कहा- “मेरा लण्ड भी ब्लू-फिल्मों जितना बड़ा है…”
मैंने सोचा ये लड़का फेंकता है। नीरव का लण्ड तो जो फिल्मों में है उससे आधा है, और वो अंकल का भी छोटा ही था। फिल्मों में तो कोई ट्रिक से बड़ा दिखाते हैं ऐसा मैंने सुना है।
मुझे सोच में देखकर करण बोला- “छूना है तुझे, बहुत गरम है?”
मुझे अब उससे डर लगने लगा था, मैंने “ना” कहा।
करण- “क्यों शर्माती है? तुम लड़कियां नाटक बहुत करती हो। चल कोई बात नहीं मुझे तो तेरी चूत को छूना
उसकी बात सुनकर मैं और टेंशन में आ गई- “नहीं प्लीज़..” मैंने कहा।
करण- “क्या नहीं? छूना नहीं या छूने देना नहीं? क्या है ये चल एक काम करते हैं, कोई एक ही चीज करते हैं। बोल क्या करना है? छूना है या छूने देना है?”
मैं- “कुछ नहीं करना..” मैं डरते हुये बोली।
करण- “अरे यार, इतना हशीन मोका मिला है मजा ले ले। तू भी हशीन और मैं नौजवान और मैं कहां तुझे चुदवाने को कह रहा हूँ..” वो मस्ती में बोला।
मेरा दिमाग सन्न हो गया था। उसे कैसे समझाऊँ, कुछ समझ में नहीं आ रहा था- “मैं तुझे पहचानती भी नहीं हूँ…” मैंने सोचे बिना बहाना निकाला।
करण- “वो अच्छा है ना, पहचान वाला हो तो किसी को बता देगा ऐसा डर रहता है, जबकी हम तो बस से उतरते ही कभी मिलेंगे भी नहीं…” कहकर वो मुझे समझाने लगा, फिर पूछा- “निशा मेरी जान बोल ना क्या इरादा है?”
मुझे मेरी गलती का अहसास हो चुका था। अब किसी भी तरीके से उससे पीछा छुड़ाना था। आगे-पीछे की सीट वालों को हमारी बातें सुनाई नहीं दे रही थीं। और हम कब से कुछ बातें कर रहे हैं ये अहसास उनको हो गया था। अब अगर मैं करण को कुछ करने जाऊँगी तो लोग मुझे ही गलत समझेंगे।
करण- “बोल ना जान…” करण ने फिर से पूछा।
मैं- “मैं छूना चाहती हूँ..” मैं बोली। मैंने सोचा एक सेकेंड के लिए उसके लिंग को छूकर मैं हाथ हटा लूंगी।
करण- “ओके…” कहकर करण ने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे हाथ में अपना लिंग पकड़ा दिया।
मैं- “तू नंगा था?” मेरे मुँह से निकल गया।
करण- “हाँ, कंबल में आते ही मैंने पैंट घुटने तक निकाल दी थी..” उसने मेरे उरोजों को छेड़ते हुये कहा।
मैं- “तुम बिल्कुल पागल हो, मरवा दोगे मुझे और यहां क्यों हाथ लगा रहे हो?” मैंने उरोजों पे इशारा करके पूछा। उसका लिंग अभी भी मेरे हाथ में ही था।
करण- “वो यार, मैं तेरी साइज चेक कर रहा था की कहीं तुम झूठ तो नहीं बोल रही?” उसने हँसते हुये कहा।
उसकी बात से मुझे हँसी आ गई। मैंने पूछा- “तो क्या लगा?”
करण- “तुमने बताया वही है। पर अब कमर और गाण्ड चेक करनी है…” उसने कहा। उसकी हर बात निराली थी।
मैं- “छीः छीः गंदे…” मैंने भी मजाक में कहा।
करण- “तुम मेरा लण्ड चूसना चाहोगी?” उसने पूछा। Adultery
तब मैंने उसका लिंग छोड़ दिया। जब हम ब्लू-फिल्में देखते थे। मुझे तो बहुत गंदा लगता था पर नीरव ने ज्यादा दबाव दिया इसलिए नीरव के बहुत कहने पर एक बार मैंने नीरव का लिंग मुँह में लिया था, पर मुँह में लेते ही वो मेरे मुँह में झड़ गया और मुझे उल्टी हो गई थी। तब से उसने मुझे कभी ब्लो-जोब के लिए नहीं कहा।
करण- “नहीं चूसना तो मत चूस ना… पर अभी इसको क्यों छोड़ दिया? चल हिलाकर पानी निकाल दे..” वो थोड़ा चिढ़ते हुये बोला।
मैं- “पर हमारी बात तो सिर्फ छूने की ही हुई थी ना?” मैंने डरते हुये कहा।
करण- “तो मैं भी कहां तुझे चूत में या मुँह में लेने को कह रहा हूँ?” वो थोड़ा जोर से बोला।
मैं डर गई कि कोई सुन ना ले। मैंने उसका लिंग पकड़ा और सहलाने लगी। मैं अब थोड़ा नार्मल होकर उसका लिंग हिलाने लगी थी।
तब करण पूछा- “निशा मेरा लण्ड कैसा लगा?”
मैंने अभी तक डर और शर्म की वजह से उसके लिंग पर ध्यान ही नहीं दिया था, और मुझे इंटरेस्ट भी तो नहीं था। उसके कहने पर मेरा ध्यान वहां गया। एक बात तो थी की उसने जो कहा था वो सच था, उसका लिंग सच में बहुत बड़ा था।
करण- “तू बहुत डर रही है…” करण बोला।
मैं- “नहीं, नहीं, मैं कहां डर रही हूँ…” मैं बोल पड़ी।
करण शरारत से बोला- “तू डरती नहीं है तो फिर लगता है की तुझे कुछ आता ही नहीं, मुझे सिखाना पड़ेगा…”
मैंने कोई जवाब नहीं दिया।
करण- “चल एक काम कर, तू हाथ को लण्ड के आगे के भाग में ले जा…” उसने कहा।
मैंने वही करा जो उसने कहा।
करण- “उसको सुपाड़ा बोलते हैं। आगे उंगली से छूकर देख वहां छेद होगा, वहां से पेशाब और वीर्य निकलता है…” वो जैसे कोई बड़ा सेक्स-गुरू हो, उस अदा से बोला।
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