Adultery Chudasi (चुदासी ) – Part 1

रामू ने उसकी जीभ फिर से निकाली और फिर मेरी चूत की झांटों से भरे बाहरी भाग को चाटने लगा। बाल ज्यादा ही होने की वजह से मुझे कोई खास अहसास नहीं हो रहा था और थोड़ी-थोड़ी देर में वहां से बाल टूटकर उसके मुँह में जाते थे, तब वो चाटना बंद करके मुँह में से बाल निकाल देता था और फिर से चाटने लगता था। मेरी चूत के अंदर इतना ज्यादा पानी हो गया था की वो कभी भी छलक के बाहर आ सकता था। अचानक ही उसने अपनी उंगलियों से चूत को फैलाया और अंदर जीभ डाल दी।

रामू जब से नीचे बैठा था तब से मैं इस पल का इंतेजार कर रही थी। मैंने जितना सोचा था उससे कहीं ज्यादा उत्तेजना मेरी नशों में दौड़ने लगी।

2-3 बार धीरे-धीरे चूत को चाटने के बाद रामू जल्दी-जल्दी मेरी चूत को चाटने लगा। मुझे सनसनी होने लगी, मेरी नशों में खून के दौड़ने की गति बढ़ने लगी। मुझे ऐसा लगने लगा की मैं जीते जी स्वर्ग में पहुँच गई हूँ। चूत चाटते हुये रामू ने अपना हाथ मेरे पेट को सहलाते हुये ऊपर किया। उसका हाथ मेरी नाभि के ऊपर आया तो उसने अपनी उंगली मेरी नाभि के अंदर घुमाई और फिर हाथ को और ऊपर किया।

मैं समझ गई कि वो मेरी चूचियों को पकड़ना चाहता है। मैंने गाउन को निकाल दिया और मादरजात नंगी हो गई। रामू ने अपने एक हाथ में मेरे बायें मम्मे को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगा। उसकी इस हरकत ने मेरा मजा दूना कर दिया। Adultery

तभी रामू ने अपना मुँह ऊपर की तरफ किया और मुझसे पूछा- “मजा आ रहा है ना मेडम?”

मैंने हाँ में सिर हिलाया।

राम्- “मेडमजी आपका बदन तो मक्खन की तरह चिकना और गोरा है, आप हमारी बहू होती ना तो रात दिन आपकी सेवा करते रहते…” कहकर रामू फिर से चूत चाटने लगा।

और किसी वक़्त रामू ऐसी बात करता तो शायद मैं उसका मुँह तोड़ देती। लेकिन इस वक़्त मैं उसकी कोई भी बात सुनने को तैयार थी। वो फिर चूत चाटने में मसगूल हो गया, चूत के अंदर जीभ को वो कभी ऊपर करता था, तो कभी नीचे करता था। कभी दाईं तरफ, तो कभी बाईं तरफ घुमाता था, कभी अंदर तक डालकर बाहर निकालता था। उसकी जीभ लंबी होने की वजह से ज्यादा ही अंदर तक जाती थी और वो जब अंदर डालता था तब कड़क कर देता था, जिसकी वजह से मुझे तब वो गीले लण्ड जैसा अहसास दिलाता था। वो मेरी चूत को ऐसे चाट रहा था जैसे चोदने से पहले उसकी सफाई करना चाहता हो।

मैंने मेरे हाथ से उसका सिर पकड़ लिया था, और उसके बालों को सहलाने लगी थी।
रामू- “मजा आ रहा है ना मेडम?” रामू ने फिर से पूछा।

मैंने फिर से पहली बार की तरह सिर हिलाकर हाँ कहा।

रामू- “बोलकर कहो ना मेडम…” रामू ने कहा।

मैं- “हाँ..” मैंने इतना ही कहा।

फिर रामू भी झूम उठा, और पूछा- “और ज्यादा मजा चाहिए मेडम?”

मैं सोच में पड़ गई कि कैसे? फिर भी मैं धीरे से बोली- “हाँ…”

उसने अपनी जीभ से फिर से मेरी चूत चाटनी चालू कर दी, पर इस बार वो अंदर डालने की बजाय चूत को दो उंगली से चौड़ी करके आगे के भाग पर जो जी-स्पाट होता है उसे चाटने लगा। उसकी ये हरकत मुझ पर भारी पड़ने लगी। आज तक सेक्स करते वक़्त एकाध दो बार मैं छोटी-छोटी सिसकारियां ले लेती थी, पर आज तो मेरे मुँह से सिसकारियां बंदूक की गोली की तरह फूटने लगीं- “आहह… उहह… उह्ह… अयाया… ओहह… अयाया…” और मुझे मजा बहुत आया। Adultery

रामू जोरों से जी-स्पाट चाट रहा था। मैं पागलों की तरह कराह रही थी। मुझे लगने लगा था कि अब मैं कभी भी झड़ सकती हूँ। मैंने सख्ती से रामू की सिर पकड़ लिया।

रामू- “मेडमजी इसे चूत का दाना कहते हैं…” रामू ने इतना कहकर फिर से चूत चुसाई चालू कर दी।


रामू- “मेडमजी इसे चूत का दाना कहते हैं…” रामू ने इतना कहकर फिर से चूत चुसाई चालू कर दी।

मेरा खड़े रहना भी मुश्किल हो रहा था। मैं बेड पर सोकर चुसवाना चाहती थी, पर इतनी देर रामू चूसना बंद कर दे वो भी मेरे लिए असह्य था।

रामू ने उंगली चूत में डाल दी और उससे चूत की चुदाई करने लगा, साथ में उसका चूसना जारी था। मेरी सांसें तो कब की भारी हो चुकी थीं, मैं जोरों से सांसें ले रही थी। तभी रामू ने मेरे ‘जी-स्पाट’ को मुँह में लेकर जीभ से दबाया, और मेरी सहनशीलता खतम हो गई। मैं झड़ गई पर ये ओगैस्म मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा और सबसे शानदार था।

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रामू ने उंगली चूत में डाल दी और उससे चूत की चुदाई करने लगा, साथ में उसका चूसना जारी था। मेरी सांसें तो कब की भारी हो चुकी थीं, मैं जोरों से सांसें ले रही थी। तभी रामू ने मेरे ‘जी-स्पाट’ को मुँह में लेकर जीभ से दबाया, और मेरी सहनशीलता खतम हो गई। मैं झड़ गई पर ये ओगैस्म मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा और सबसे शानदार था।

मेरे झड़ते ही राम जमीन पर बैठे-बैठे ही खिसक गया और बेड पे पीठ के सहारे बैठ गया।

मेरे छोटे-छोटे ओगैस्म अभी भी चालू थे। मैं धीरे-धीरे सांसें लेती हुई जमीन पर बैठ गई। झड़ने के बाद मुझे अपने आप पर गुस्सा आने लगा था। हर इंसान के साथ ऐसा ही होता है। शुरू-शुरू में गलत काम करते वक़्त कुछ नहीं सोचते, पर काम खतम होते ही पश्चाताप होता है, 2-4 बार गलत काम करने के बाद इंसान गुनहगार जैसा हो जाता है, फिर उसको अफसोस नहीं होता।

रामू- “अब तो मैडमजी आप हमसे हर रोज चुदवाएंगी ना?” रामू ने अपने गंदे दांत दिखाते हुये हँसते हुये मुझसे पूछा।

मैंने उसके सामने देखा, मेरी आँखों में आँसू थे। मैंने उससे कहा- “अब तुम जाओ रामू…”

रामू- “वाह री मेडम, आपने मजा ले लिया और हमारी बारी आई तब आप जाने को कह रही हैं…”

मैं- “प्लीज़… रामू, समझने की कोशिश करो, मैं अपनी मर्जी से नहीं करती, बहक जाती हैं…” मैंने उसे समझाने की कोशिश की।

रामू- “मैं तो मेडम आपको जितनी बार देखता हूँ उतनी बार बहक जाता हूँ। आप जानती नहीं कि आपके घर काम करते वक़्त आप रूम में हों या बाहर मेरा लण्ड हमेशा आपको सलामी देता रहता है…” रामू ने कहा।

मैं- “प्लीज़… रामू, कल कर लेना..” मैंने बिनती की।

रामू- “मेडमजी आज भी करेंगे और कल भी करेंगे, पर कल आप कहेंगी तब करेंगे। एक काम करो मेडम, आप अपनी टाँगें चौड़ी करके सो जाओ मैं चोद लूंगा…” रामू ने बड़ी निर्लज्जता से कहा।

मैं जान चुकी थी कि रामू ऐसे मानने वाला नहीं। मैं खड़ी हुई और बेड पर दोनों टांगों को चौड़ी करके लेट गई। बेड पर मेरे लेटने के बाद रामू रूम से बाहर निकल गया। मैं सोच में पड़ गई कि कहां गया होगा? तभी बाथरूम में से उसके पेशाब के गिरने की आवाज आई।

पेशाब करके वो अंदर आया तो मैंने उससे कहा- “पानी डालकर आना चाहिए था ना…”

रामू- “आप डाल देना मेडम…” कहते हुये उसने बीड़ी और माचिस निकाली।

मुझे उसकी बात पर बहुत गुस्सा आया की मैं तेरा पेशाब साफ करूं, पर मैं कुछ बोली नहीं। वो शांति से बीड़ी पी रहा था, तभी घड़ी में डंके बजे। मैंने इंके गिने और मन ही मन बोली- “ओह, 3:00 बज गये, 5:00 बजे तो नीरव आ जाएगा, और उसके पहले मुझे बहुत काम है…”

मैंने रामू की तरफ देखा वो तो बड़ी अदा से बीड़ी पी रहा था। मैंने कहा- “जल्दी कारो ना रामू…”
रामू- “क्या मेडम? कभी ना बोलती हो, कभी जल्दी करने को कहती हो। लगता है आपकी चूत इस इंडे की मार माँग रही है…” रामू ने बीड़ी के धुर्वे को मेरी तरफ छोड़ते हुये कहा।

मैं- “बाहर जाकर पियो ये बीड़ी, इसका धुंवां मुझे पसंद नहीं..” मैंने कहा।

रामू- “कहा जाऊँ मेडम? बालकनी में जाऊँगा तो सब देखेंगे तो क्या सोचेंगे?” रामू ने हँसते हुये कहा।

मैं- “तो फिर जल्दी करो प्लीज़..” मैंने फिर कहा।

रामू- “लगता है आपको उस दिन की याद आ रही है, जब मैंने आपको पहली बार चोदा था..” रामू गंदी तरह हँसते हुये बोला।

मैं- “ऐसी कोई बात नहीं है। मुझे देरी हो रही है, जो करना है वो जल्दी करो, नहीं तो चले जाओ..” मैंने गुस्से से कहा।

मेरी बात सुनकर रामू अपने कपड़े निकालने लगा।

मैंने मेरा मुँह दूसरी तरफ फेर लिया, क्योंकि मैंने जितना भी रामू को नंगा देखा था उससे इतना जरूर मालूम हो गया था की अब उसे ज्यादा देगी तो शायद मैं मेरी नजरों से ही गिर जाऊँगी।

रामू नंगा होकर बेड पर आ गया फिर उसने मेरे स्तनों को बारी-बारी चूसा और दबाया, और पूछा- “साहब नहीं दबाते क्या मेमसाब?”

मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया, तो वो फिर चाटने लगा। थोड़ी देर वो यही करता रहा। फिर उसने । मेरी एक टांग उठाई और उसे जांघ तक चूमकर अपने कंधे पर रख ली, फिर दूसरी टांग उठाकर भी वही किया। उसके कंधों पर मेरी टांग होने की वजह से मेरी गाण्ड ऊपर हो गई। उसने तकिया लिया और मेरी गाण्ड के नीचे रख दिया। फिर वो दोनों हाथ मेरी गर्दन से थोड़ी दूर रखकर झुक गया, उसने अपनी टांग पीछे की तरफ मोड़ दी
थी।

मुझे उसकी और मेरी पोजीशन बहुत अच्छी लगी, क्योंकि इस पोजीशन में हमारे चेहरे बहुत दूर रहते थे, जिससे मुझे उसके मुँह की बदबू का टेन्शन नहीं था।

रामू ने अपना लण्ड मेरी चूत पर रखा और थोड़ी देर झांटों में रगड़ा। उसकी इस हरकत से मेरी चूत थोड़ी-थोड़ी गीली होने लगी। फिर उसने चूत पर लण्ड टिकाया और मैं कुछ भी सोचूं समझें उसके पहले एक जोर का झटका मारा, और पूरा लण्ड मेरी चूत के अंदर घुसेड़ दिया।

मैंने उस दिन उसके लण्ड पर एक नजर डाली थी, मैं जानती थी की उसका लण्ड दूसरे के मुकाबले में काफी बड़ा है। पर इस बार मैं पूरी तरह से तैयार थी, उसके बड़े लण्ड को लेने के लिए। फिर भी मुझसे एक छोटी सी चीख निकल गई- “ऊओ मरी…”

रामू- “लगता है साहब चूत भी नहीं मारते होंगे, जो इतनी टाइट है…” रामू ने कहा और फिर उसने लण्ड थोड़ा बाहर निकाला और फिर अंदर डाला। ऐसा उसने थोड़ी देर किया।
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मैंने उस दिन उसके लण्ड पर एक नजर डाली थी, मैं जानती थी की उसका लण्ड दूसरे के मुकाबले में काफी बड़ा है। पर इस बार मैं पूरी तरह से तैयार थी, उसके बड़े लण्ड को लेने के लिए। फिर भी मुझसे एक छोटी सी चीख निकल गई- “ऊओ मरी…”

रामू- “लगता है साहब चूत भी नहीं मारते होंगे, जो इतनी टाइट है…” रामू ने कहा और फिर उसने लण्ड थोड़ा बाहर निकाला और फिर अंदर डाला। ऐसा उसने थोड़ी देर किया।

मेरा डर भी गायब हो गया था, साथ में मैं मजा भी लेने लगी थी। चोदने की इस स्टाइल में एक बहुत बड़ा फायदा ये भी था की इसमें पूरा लण्ड चूत में जाता था। लण्ड की गोटियां तक आसानी से अंदर जाकर बाहर आती थीं। धीरे-धीरे मैं और रामू दोनों सिसकियां लेने लगे थे। हमारा दोनों का शरीर पसीने से तरबतर हो रहा था। रामू पूरे जोश से मेरी चुदाई कर रहा था। मैं भी पूरी मस्ती से उसकी पीठ को सहलाकर उसे उकसा रही थी। हम दोनों धीरे-धीरे हमारी मंजिल के करीब जा रहे थे। रामू कभी कभार झुक के चूचियो को चूस रहा था। Adultery

मुझे अब मेरी मंजिल बहुत करीब दिखने लगी थी। मैंने मेरी गाण्ड को आगे-पीछे करना चालू कर दिया। रामू ने थोड़े और धक्के दिए और मैंने उसके कंधों को जोरों से पकड़ लिया और मैं एक घंटे में दूसरी बार झड़ गई। मेरे झड़ते ही रामू जोरों से करने लगा और थोड़ी देर बाद वो भी झड़ गया। झड़ते वक़्त उसका सारा वीर्य मेरी चूत में गया। मैं खड़े होकर बाथरूम में जाकर मेरी चूत धोना चाहती थी पर रामू ने मुझे खड़े ही नहीं होने दिया, वो 5 । मिनट तक मेरे ऊपर सोता रहा और फिर किस करने गया तो मैंने उसे मना किया- “प्लीज़… रामू नहीं…”

रामू कुछ बोले बगैर खड़ा हो गया और अपने कपड़े पहनने लगा। मैंने भी उठकर गाउन पहन लिया।

कपड़े पहनकर रामू निकलते हुये बोला- “जा रहा हूँ मेडम…”

रामू के जाने के बाद मैं बेड पर लेट गई। मैं बहुत ज्यादा ही थकान महसूस कर रही थी। मेरा सारा शरीर दुखने लगा था, खासकर मेरी चूत की हालत बहुत बुरी थी। उसके दोनों होंठ सूज गये थे। मैंने मेरा हाथ चूत पर रखा और फिर चूत के अंदर उंगली डालकर ‘जी-स्पाट’ को छू। उसे छूते ही मैं मुश्कुरा उठी। आज रामू ने मुझे सेक्स का एक नया आयाम सिखाया था।

तभी मोबाइल की रिंग बजी। मैंने मोबाइल हाथ में लेकर देखा तो नीरव का काल था।

मैं- “हाँ, बोलो…” मैंने कहा।

नीरव- “निशु, देर लगेगी। फिल्म देखने नहीं जा पाएंगे…” नीरव ने धीरे से कहा। वो डर रहा होगा की उसकी बात सुनकर मैं भड़क जाऊँगी।

मैं- “कोई बात नहीं नीरव, वैसे भी मैं आज आराम करना चाहती हूँ…” मैंने कहा।

नीरव- “बैंक्स डार्लिंग, खाना तो हम बाहर ही खाएंगे। 8:00 बजे तैयार रहना..” नीरव ने कहा।

मैं- “ओके…” कहा और फिर उसकी काल काट दी।

मैं सोना चाहती थी पर मुझे नींद नहीं आ रही थी। मेरा दिमाग आज के दिन के बारे में सोच रहा था। आज जो भी हुवा वो सब मेरे ससुर की वजह से हुवा। वो कहते हैं की मैंने नीरव से पैसे माँगे, इसलिए नीरव ने चोरी की, नीरव मेरे खातिर चोर बना।

आज उन्होंने मुझे बड़े घर आने को ना बोला तो मैं यहां थी, इसलिए रामू ने मेरी चुदाई की। मैं वहां होती तो कहां ये सब होने वाला था। मैं आज मेरे ससुर की वजह से छिनाल बनी। मेरे सामने आज के दिन में जो-जो। हुवा था वो सब मुझे दिखने लगा। सुबह उठकर मंदिर जाना, वहां से आने के बाद दीदी का काल आना। दीदी की बातें याद आते ही आँखें छलक उठी। फिर शंकर का मेरा हाथ पकड़ना। और फिर रामू के साथ किया हुवा सेक्स। ऐसा नहीं था की रामू ने मेरी चूत चाटी थी, उसके बारे में मैं जानती नहीं थी। मैंने ब्लू-फिल्म में देखा था, पर
आज तक किसी ने मेरी चूत चाटी नहीं थी।
एक बार मैं और नीरव ब्लू-फिल्म देख रहे थे तब उसमें चूत की चुसाई का दृश्य आया था। वो देखते हुये मैंने नीरव को कहा था- “मुझे भी वो लोग जैसा कर रहे हैं वैसा कर दो ना…”

मेरी बात सुनकर नीरव हँसने लगा और बोला- “पगली, ये सब ऐसे ही दिखाते हैं। इसमें डाला जाता है, चाटा नहीं जाता…” तब नीरव की बात सुनकर मैं खामोश हो गई थी। पर धीरे-धीरे नीरव डालना भी भूल गया था।

ये सब सोचते-सोचते मुझे कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला, और कितनी देर सोती रही वो भी पता नहीं।

करण ने आकर मुझे जगाया तब मैं जागी।

करण- “कैसी हो निशा डार्लिंग?” करण ने आते ही मेरी तबीयत का हाल पूछा।

मैं- “मैं तो ठीक हूँ, पर तुम कहां थे? बहुत दिनों बाद मेरी याद आई..” मैंने बनावटी गुस्से से कहा।

करण- “अब हमारी जरूरत कहां है आपको? दो दिन पहले अंकल और आज रामू… तुम्हारे तो आजकल मजे ही मजे हैं…” करण ने शरारत से कहा।

मैं- “नहीं करण ऐसी बात नहीं… वो अंकल तो बेचारे न जाने कितने सालों से सेक्स के बिना तड़प रहे थे। इसलिए…” मैंने करण का हाथ खींचा और उसे बेड पर बिठाते हुये कहा।

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मैं- “मैं तो ठीक हूँ, पर तुम कहां थे? बहुत दिनों बाद मेरी याद आई..” मैंने बनावटी गुस्से से कहा।

करण- “अब हमारी जरूरत कहां है आपको? दो दिन पहले अंकल और आज रामू… तुम्हारे तो आजकल मजे ही मजे हैं…” करण ने शरारत से कहा।

मैं- “नहीं करण ऐसी बात नहीं… वो अंकल तो बेचारे न जाने कितने सालों से सेक्स के बिना तड़प रहे थे। इसलिए…” मैंने करण का हाथ खींचा और उसे बेड पर बिठाते हुये कहा।

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करण- “वाह निशा वाह… पूरी दुनियां में तुम जैसी समाज-सेविका नहीं मिलेगी। तुम्हें तो अवार्ड मिलना चाहिए कि तुम कभी अपने लिए करती ही नहीं हो। कभी दीदी के लिए, तो कभी जोर जबरदस्ती होता है, और आज तो तूने एक नया बहाना निकाला की वो बेचारे को सेक्स किए कितने साल हो गये थे इसलिए? ऐसे लोग तो बहुत हैं दुनियां में सबसे चुदवाएगी क्या? सारी दुनियां प्यासी है। तुमने उन लोगों के लिए चूत की प्याऊ खोल रखी है। क्या?” करण व्यंग में बोले ही जा रहा था।

मैं- “मैं झूठ नहीं बोल रही करण, जो सच है वोही कह रही हूँ…” मैं करण के सीने पर मेरा सिर रखते हुये बोली।

करण- “चलो मैं मान लेता हूँ की तुम सच कह रही हो। पर अब जब भी करो अपने लिए करो, दूसरों के लिए नहीं…” कहकर करण ने एक हाथ से मुझे बाहों में ले लिया था और दूसरे हाथ से मेरी पीठ को सहलाने लगा। करण ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मेरे दोनों होंठों को बारी-बारी चूसने लगा।

मैं भी पूरी तल्लीनता से उसके होंठ चूस रही थी। थोड़ी देर हम दोनों इसी मुद्रा में रहे।

फिर करण ने मुझे उससे अलग करते हुये कहा- “निशा जिससे भी सेक्स करो, दिल से करो दिमाग से नहीं। जिससे प्यार करो उसी से सेक्स करो..”

मैं- “प्यार… प्यार तो मैं सिर्फ नीरव से ही करती हूँ, करण…” मैंने कहा।

करण- “और किसी से भी नहीं करती?” करण ने एक पेचीदा सवाल पूछ डाला।

मैं- “और… और जीजू और तुम, तुम दोनों भी मुझे पसंद हो। पर करण तुम कहां हो? बताओ मुझे कहां हो तुम

और जीजू, तुमने आज सुबह देखा था ना दीदी ने मुझे क्या-क्या बोला?” ये सब बोलते हुये मैं रो पड़ी।

करण- “तो निशा उल्टा करो, जिससे सेक्स करो उससे प्यार करो। तुम सेक्स करते वक़्त सिर्फ अपने बारे में ही सोचती हो, अब सामने वाले के बारे में भी सोचा करो। सामने वाला तुम्हें जो मजा देता है तुम भी उसे दो…” करण ने कहा।

मैं- “अब छोड़िए इन बातों को मेरे सेक्स टीचर, तुम कुछ भूल रहे हो करण…” मैंने चंचलता से करण को कहा।

करण- “मुझे सब कुछ याद है निशा रानी… आज तुम्हारी बर्थ-डे है, मेनी मेनी हैपी रिटर्न्स आफ द ई, आप जियो हजारों साल और साल के दिन हों पचास हजार..” करण ने मेरे सिर को अपने सीने से लगाया और कहा।

मैं- “बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब का..” मैंने मुश्कुराकर कहा।

करण- “तुम्हारी उमर तो बताओ निशा?” करण ने पूछा।Adultery

मैं- “लड़कियों की उमर नहीं पूछी जाती जनाब, फिर भी तुम ही बताओ…” मैंने कहा।


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करण- “साड़ी में 21 साल, जीन्स में 19 साल और स्कूल ड्रेस पहन लोगी ना तो 15 साल…” करण ने अपने गाल पर उंगली रखकर सोचने की मुद्रा बनाते हुये कहा।

मैं- “साड़ी में 21 साल? इतनी बड़ी नहीं हूँ मैं, कह देती हूँ मैं..” मैंने बनावटी गुस्से से कहा।

करण- “ये तो बताओ कि नीरव ने आज तुम्हें क्या दिया?” करण ने पूछा।

मैं- “वो तो शाम को आते वक़्त लेकर आएगा, फिर हम होटेल में भी जाने वाले हैं…” मैंने कहा।

करण- “तो फिर आज का सबसे पहला गिफ्ट तुम्हें रामू ने दिया ना?” करण ने मुश्कुराते हुये पूछा।

मैं- “ये क्या करण? हमेशा तुम ऐसी बातें करके मुझे चिढ़ाते रहते हो, उसे कोई गिफ्ट कहता है भला?”

करण- “ये तुम्हारी तृप्ति गिफ्ट नहीं है तो क्या है? ये इतने सारे ओगैस्म क्या हैं? कभी सोचा था की एक घंटे के अंदर तुम दो-दो बार झड़ जाओगी? ये गिफ्ट ही तो है..” करण बोले ही जा रहा था।

तभी मोबाइल की रिंग बज उठी, मैं मेरी सपनों की दुनियां से वापस लौट आई, और मैंने मोबाइल उठाकर देखा तो नीरव की काल थी।

मैं- “हाँ, बोलो नीरव..” मैंने कहा।

नीरव- “अभी 5:00 बजे हैं, जल्दी-जल्दी तैयार हो जाओ फिल्म देखने जाते हैं..” नीरव ने कहा।

मैं- “नहीं… फिल्म में नहीं जाना, तुम जल्दी घर आ जाओ..” मैंने कहा।

नीरव- “ओके बेबी… मैं जल्दी से आ रहा हूँ.” कहकर नीरव ने काल काट दी।

थोड़ी देर बाद नीरव आया तब तक मैं तैयार हो चुकी थी।

नीरव मेरे लिए गिफ्ट लेकर आया था, जो मुझे बहुत पसंद आई। फिर हम दोनों ने बाहर खाना खाया और रात को बेड पर नीरव आज भी उंगली से ही सेक्स करना चाहता था, पर मैंने उससे जिद करके मेरी चुदाई करवाई। हर रोज सेक्स न करने की वजह से आज भी वो जल्दी से झड़ गया और उसने मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया। पर आज मैं इतनी संतुष्ट थी की मैंने नीरव से कोई फरियाद नहीं की। और वैसे भी मैं तो उसका वीर्य मेरी चूत में लेना चाहती थी। क्योंकि कल मैं किसी और से प्रेगनेंट हो जाऊँ तो उसे मुझ पर कोई शक न हो।

दूसरे दिन सुबह जब मैं उठी तब मुझे हर रोज से ज्यादा ताजगी महसूस हो रही थी। नीरव के जाने के बाद रसोई करते हुये मैं कल करण के साथ हुई बातें याद कर रही थी- “निशा, जिसे तुम प्यार करती हो वो तुम्हारी बदन की भूख न मिटा सकता हो तो, उससे प्यार करो जो तुम्हारी वासना की आग को ठंडा कर रहा हो…” Adultery

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दूसरे दिन सुबह जब मैं उठी तब मुझे हर रोज से ज्यादा ताजगी महसूस हो रही थी। नीरव के जाने के बाद रसोई करते हुये मैं कल करण के साथ हुई बातें याद कर रही थी- “निशा, जिसे तुम प्यार करती हो वो तुम्हारी बदन की भूख न मिटा सकता हो तो, उससे प्यार करो जो तुम्हारी वासना की आग को ठंडा कर रहा हो…”

करण की आवाज़ मेरे मस्तिष्क में गूंज रही थी। करण मर्द है और उसके लिए सेक्स से ज्यादा कुछ नहीं। पर। हम औरतें तो प्यार पाने के लिए सेक्स करती हैं, और मर्द सेक्स के लिए प्यार जताते हैं। यही तो फर्क है हम औरतों और मर्दो में। पर मुझे तो दोनों चाहिए… सेक्स भी चाहिए और प्यार भी चाहिए। पर मेरी विडंबना तो । देखो कि मुझे दोनों को लिए दो अलग-अलग इंसानों की जरूरत पड़ती है। मैं न जाने क्या-क्या सोचती रही और कितनी देर तक सोचती रही, बीच-बीच में मेरा रूटीन काम करती रही।

शंकर आया तो उसे टिफिन दे दिया और मैंने खाना भी खा लिया। तभी मेरा ध्यान घड़ी पर गया तो एक बज चुका था, रामू अभी तक नहीं आया था। हर रोज तो 12:30 बजे के आसपास आ जाता था तो आज कहां गया होगा? कभी कभार देरी करता होगा तो मेरा ध्यान भी नहीं जाता होगा। पर आज मुझे उसका इंतेजार था, और 15 मिनट हो गई पर रामू नहीं आया। मुझे हर एक सेकेंड घंटे के समान लग रहा था।

तभी लिफ्ट आई और रामू दिखाई दिया। मैं मन ही मन खुश हो गई, पर मैं अपनी खुशी उसके सामने जाहिर करना नहीं चाहती थी। मैं उठकर हर रोज की तरह रूम में चली गई और उस पल का इंतेजार करने लगी की रामू काम खतम होते ही दरवाजा खटखटाएगा और अंदर आ जाएगा।

थोड़ी देर बाद रामू ने दरवाजा खटखटाया- “जा रहा हूँ मेडम…”

मैंने एकाध मिनट के बाद दरवाजा खोला। मैंने सोचा था की रामू बाहर होगा पर वहां कोई नहीं था। मैं दरवाजे पर गई, वहां रामू नहीं था। मैं समझ गई की वो अंदर होगा। दरवाजा बंद करके जल्दी-जल्दी अंदर गई पर वहां कोई नहीं था। फिर मैंने सारा घर छान मारा पर रामू कहीं नहीं था। मैं निराश होकर बेड पर लेट गई।

मैं सोचने लगी- “रामू ने ऐसा क्यों किया होगा? क्यों चला गया होगा? क्या उसे मुझसे ज्यादा कान्ता अच्छी। लगती होगी?” ढेरों सवालों ने मुझे घेर लिया था, पर मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मेरे बदन में आग सी लगी हुई थी। मुझे दोनों टांगों के बीच इंडे की जरूरत महसूस हो रही थी।

मैंने मेरा गाउन ऊपर उठाया, अंदर कुछ नहीं पहना था। मैंने मेरी उंगलियों से मेरी चूत के बाहरी भाग को सहलाया। ज्यादा बालों की वजह से कम मजा आया। मैंने मेरी उंगली चूत के अंदर डालकर आगे-पीछे करनी शुरू कर दी। मैं बहुत कम मास्टरबेट करती हूँ, पर जब भी करती हूँ तब किसी की कल्पना करते हुये करती हूँ।

पर आज मेरी आँख बंद करते ही कितने सारे लण्ड मुझे दिखाई दिए। उंगली चूत के अंदर-बाहर करते हुये वो सारे लण्ड देखते हुये मैं जल्दी से झड़ गई।
थोड़ी देर बाद अंकल की काल आई, मैं चहक उठी। क्योंकि मुझे अंकल के साथ चुदाई करने से ज्यादा मजा फोन सेक्स में आया था। शायद उसकी वजह ये भी हो सकती है की वो मेरे लिए एक नया खेल था, और आजकल मैं हर रोज नये-नये खेल सीख रही थी।

मैं- “हाँ कहिए अंकल, आंटी कैसी हैं?” मैंने पूछा।

अंकल- “फिर से तेरी आंटी कोमा में चली गई है बिटिया। कहीं मुझे अकेला छोड़कर चली तो नहीं जाएगी ना? ये डर सारा दिन मुझे सताता रहता है। मैंने बहुत ही पाप किए हैं, भगवान उसकी सजा मुझे इस तरह न दे दे…” अंकल की आवाज में दर्द था।

मैं- “नहीं-नहीं अंकल, ये कैसी बातें कर रहे है आप? आंटी बहुत जल्दी ही ठीक हो जाएंगी…” मैंने अंकल को सांत्वना देते हुये कहा।

अंकल- “भगवान करे और तेरी बात सही हो जाय, तुम लोग नहीं आए दो दिन से…” अंकल ने कहा।

मैं- “नीरव को कहीं जाना नहीं होगा तो, रात को जरूर आएंगे अंकल। कुछ लाना हो तो बताना, हम लेकर आएंगे…” मैंने कहा।

अंकल- “नहीं बिटिया, कुछ नहीं लाना। थोड़ी देर आप लोग आओगे तो मन लगा रहेगा…” अंकल ने कहा।

मैं- “फिर भी अंकल, जरूरत हो तो कहना। आते वक़्त लेकर आएंगे, रखती हूँ.” मैंने कहा।

अंकल- “हाँ, बिटिया…” कहकर अंकल ने काल काट दी।

मैं सोच में पड़ गई की बूढ़ा कुछ उल्टा सीधा नहीं बोला। सच में सुधर गया क्या? मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था। पर आज उनकी बातों में बहुत ही दर्द नजर आ रहा था। फिर मैंने सोचा कि जो भी होगा रात को जाएंगे। तब सब पता चल जाएगा।

9:00 बजे नीरव आया, खाना खाकर हम हास्पिटल गये। अंकल आंटी का हाथ पकड़कर स्टूल पर बैठे हुये थे। हमें देखकर उनके चेहरे पे थोड़ी सी मुश्कान आई। आंटी की हालत तो वैसी की वैसी थी। उनको देखकर ऐसा लग रहा था की न जाने कितने सालों से थककर वो आराम कर रही हैं।
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9:00 बजे नीरव आया, खाना खाकर हम हास्पिटल गये। अंकल आंटी का हाथ पकड़कर स्टूल पर बैठे हुये थे। हमें देखकर उनके चेहरे पे थोड़ी सी मुश्कान आई। आंटी की हालत तो वैसी की वैसी थी। उनको देखकर ऐसा लग रहा था की न जाने कितने सालों से थककर वो आराम कर रही हैं।

केयूर (अंकल का बेटा) का भेजा हुवा आदमी बैठा हुवा था। हमारे जाते ही अंकल ने उससे कहा- “तुम तुम्हारी बहन को मिल आओ, एकाध घंटा हैं ये लोग, तब तक वापस आ जाना..” और फिर हमारी तरफ होते हुये बोले

ये आदमी आया तब से यहां से बाहर नहीं निकाला था, उसकी बहन यहीं पर रहती है पर मिलने नहीं गया। बहुत अच्छा इंसान है…”

अंकल की बात पूरी होते ही वो खड़ा हुवा और बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर बाहर निकल गया। Adultery

नीरव- “डाक्टर क्या कह रहे हैं?” नीरव ने पूछा।

अंकल- “वही पुराने आलाप बजा रहे हैं की उमर की वजह से ठीक होने में समय लगेगा ही…” अंकल ने कहा।

नीरव- “अंकल दूसरे डाक्टरों को दिखाना चाहिए मेरे खयाल से…” नीरव ने कहा।

अंकल- “इस उमर में मैं कितना दौडू बेटा? परसों तक केयूर आ जाएगा, फिर वो जहां-जहां दिखाना है वहां-वहां दिखाएगा…” अंकल ने कहा और फिर पलंग पर से खड़े हुये जैसे की अचानक उन्हें कुछ याद आया हो। फिर कहा- “तुम दोनों बैठो बेटा, मैं दवाई लेकर आता हूँ..”

अंकल दरवाजा खोलकर बाहर निकल ही रहे थे की नीरव ने कहा- “लाइए अंकल मैं ला देता हूँ…”

अंकल ने तुरंत अपने पाकेट में से दवाई का कागज निकाला और नीरव को थमाकर फिर से पलंग पर बैठ गये।

कागज लेकर नीरव खड़ा हुवा और दरवाजे पर जाकर दरवाजा खोलकर बाहर निकल ही रहा था कि अंकल फिर से बोले- “बेटा सिविल हास्पिटल जाकर लाना, वो लोग 10% लेस देते हैं। बहुत ही महँगी दवाइयां हैं, कम से कम 1500 का फायदा होगा…”

अंकल की बात सुनकर मेरे चेहरे पर मुश्कुराहट आ गई और मैं मन ही मन बोली- “हरामी बूढ़ा…”

नीरव- “ओके अंकल…” इतना कहकर नीरव निकल गया।

नीरव के जाने के बाद अंकल पलंग पर से उठे और किसी फिल्मी हीरो की अदा से दोनों हाथों को चौड़ा करके खड़े हो गये। मैं उनकी इस अदा पर मर मिटी और उनको सामने देखकर जोरों से हँसने लगी और फिर खड़ी होकर उनसे लिपट गई।

थोड़ी देर तक हम दोनों लिपटकर ऐसे ही खड़े रहे फिर मैंने अंकल को कहा- “दरवाजे का लाक खुला है अंकल…”

अंकल मुझसे अलग होकर दरवाजे पर लाक लगाकर आए और मेरे पास जमीन पर बैठ गये और मेरा हाथ पकड़कर मुझे खींचा तो मैं भी बैठ गई।

अंकल- “सो जाओ बिटिया..” अंकल ने कहा तो मैं जमीन पर लेट गई।

अंकल ने झुक के मेरे पेट पर चुंबन लिया और फिर थोड़ा और झुक के नाभि पर भी चुंबन लिया और बोलेएक तुम और दूसरी तुम्हारी आंटी, नाभि के नीचे से साड़ी पहनती हो, बाकी ज्यादातर गुज्जू लड़कियां तो नाभि को साड़ी में ही छुपा देती हैं, जैसे नाभि नहीं चूत हो…”

अंकल की बातें हमेशा मजेदार ही होती हैं। अंकल ने मेरी साड़ी जांघ तक ऊपर उठाई और फिर उसे सहलाने लगे और फिर वो भी मेरे बाजू में लेट गये और मेरे होंठों पर होंठ रखकर किस करने लगे।

मैंने भी अंकल को बाहों में भींच लिया। अंकल मेरे उरोजों को दबाते हुये मेरे ब्लाउज के बटन खोलने लगे, तो मैंने उन्हें रोका- “अंकल, नीरव कभी भी आ सकता है…”
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मैंने भी अंकल को बाहों में भींच लिया। अंकल मेरे उरोजों को दबाते हुये मेरे ब्लाउज के बटन खोलने लगे, तो मैंने उन्हें रोका- “अंकल, नीरव कभी भी आ सकता है…”
अंकल ने बटन खोलना छोड़कर मेरी साड़ी को कमर तक ऊपर कर दी और मेरी पैंटी को निकालकर साइड में रख दी और मेरी चूत को उनकी हथेली से मसलने लगे।

मैंने सिसकते हुये पूछा- “नाटक करने की क्या जरूरत थी अंकल, सीधा कहते तो मैं दोपहर को आ जाती ना… अभी तो नीरव का टेन्शन रहेगा…”

अंकल ने उनके पैंट की जिप खोली और उनका लण्ड निकाला और मेरे ऊपर आकर मेरी चूत पर लण्ड को रगड़ते हुये बोले- “थोड़ा थ्रिल के लिए, और साथ में तेरे पति को बेवफूक बनाने का मजा लेने के लिए…”

अंकल का लण्ड मैंने नीचे हाथ डालकर पकड़ा और मेरी चूत के द्वार पर लगाया। अंकल ने अपने चूतड़ों को। थोड़ा उठाकर धक्का दिया और उनका लण्ड मेरी चूत में दाखिल हो गया। वो थोड़ी देर ऐसे ही रुक गये और फिर उन्होंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। मैंने अंकल को मेरी बाहों के घेरे में ले लिया था, और हम दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों से चिपके हुये थे। अंकल एक हाथ से मेरे उरोजों को कपड़ों के ऊपर से सहलाते हुये धक्के पर धक्के लगा रहे थे।

तभी दरवाजे को खटखटाने की आवाज आई और मैं इर गई की कौन आया होगा, नीरव या वो आदमी जो अपनी बहन को मिलने गया था या फिर कोई और? अंकल भी फटाफट मेरे ऊपर से खड़े होकर अपने कपड़े ठीक करने लगे। Adultery

मैं भी खड़ी होकर उनका अनुकरण करने लगी। मैंने कपड़ों को ठीक करके बालों में से हेयर पिन निकालकर बालों को उंगलियों से सवांरा और फिर से पिन को बालों में डाल दिया और अंकल को इशारे से धीरे ना मैं?”

अंकल भी पलंग पर बैठ गये थे और मेरी तरफ देखकर उन्होंने अपनी मुंडी हिलाकर ‘हाँ’ का इशारा किया। तब तक दरवाजे पर दूसरी बार खटखटाने की आवाज आई। मैं दरवाजे पर जाकर लाक खोल ही रही थी की तभी मेरी नजर मेरी पैंटी पर पड़ी। मैंने अंकल को उसे दिखाकर हाथ के इशारे से उसे लेने को कहा।

अंकल दौड़े और जल्दी से पैंटी लेकर फिर से पलंग पर बैठ गये।

मैंने दरवाजा खोला तो सामने नीरव था, उसे देखकर मेरा डर बढ़ गया की कहीं वो पूछ ना बैठे की इतनी देर क्यों लगाई दरवाजा खोलने में?

पर नीरव ने अंदर आकर थोड़ा अलग बोला- “अंकल यहां पास में ही एक शाप है, उससे बिनती की तो उसने भी लेस दे दिया अब वहीं से लाना..” नीरव ने अंकल को दवाई का बिल दिया तो अंकल ने अपने पाकेट में से पैसे निकाले और नीरव को देने लगे।

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नीरव ने पैसों को लेते हुये कहा- “बाद में दे देना अभी जरूरत हो तो रखिए..”

अंकल ने निराशा से कहा- “नहीं बेटा, पैसों की कोई प्राब्लम नहीं, पूरा इंतजाम है…”

नीरव शायद उनकी ये निराशा आंटी की बीमारी की वजह से समझ रहा होगा, पर सच तो मैं जानती थी की अंकल क्यों इतने निराश हो गये हैं। मैं अंकल के पैंट के ऊपर से दिख रहे उभरे भाग को देखकर मंद-मंद मुश्कुरा रही थी।

मेरी मुश्कान देखकर अंकल अकड़ रहे थे। तभी नीरव बाथरूम में गया तो अंकल धीरे से फुसफुसाए- इतना क्यों हँस रही हो?

मैंने शरारत से कहा- “आज अंकल का प्लान फेल हो गया इसलिए…”

अंकल ने कहा- “तुम अंकल को नहीं जानती… मैं अभी भी तुझसे मेरी मूठ मरवा सकता हूँ…”

मैंने पूछा- “नीरव के सामने…”

अंकल- “हाँ, उसके सामने…”

मैं- “हो ही नहीं सकता…”

अंकल- “तुम मुझे चैलेंज करती हो?” अंकल इतना बोले थे कि नीरव बाहर आ गया तो अंकल ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी।

नीरव आकर मेरे बाजू में बैठ गया और बोला- “वो भाई नहीं आए अब तक?”

अंकल ने कहा- “थोड़ी देर में आ जाएंगे फिर आप दोनों निकलो…” कहकर अंकल नीरव से हमारे बिजनेस के बारे में पूछने लगे और साथ में वो केयूर के बारे में भी बात करते रहे।

थोड़ी देर बाद अंकल खड़े हुये और बोले- “बिटिया तुम आई हो तो आंटी के कपड़े चेंज कर देते है…” आंटी को हास्पिटल से दिया हुवा गाउन पहनाया हुवा था।

वो देखकर मैं बोली- “अंकल इसे चेंज करने की क्या जरूरत है? और इसको तो नर्स ही चेंज कर देती होगी ना?” मैंने मन ही मन अंकल को चैलेंज दे दी थी और मुझे इसमें भी उनकी कोई साजिश नजर आ रही थी और मुझे इस नये खेल को ज्यादा रोचक बनाना था। Adultery


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थोड़ी देर बाद अंकल खड़े हुये और बोले- “बिटिया तुम आई हो तो आंटी के कपड़े चेंज कर देते है…” आंटी को हास्पिटल से दिया हुवा गाउन पहनाया हुवा था।

वो देखकर मैं बोली- “अंकल इसे चेंज करने की क्या जरूरत है? और इसको तो नर्स ही चेंज कर देती होगी ना?” मैंने मन ही मन अंकल को चैलेंज दे दी थी और मुझे इसमें भी उनकी कोई साजिश नजर आ रही थी और मुझे इस नये खेल को ज्यादा रोचक बनाना था।

अंकल- “तुम्हारी बात सही है बिटिया, पर इस बूढ़े का पागलपन कहो या जो समझो आप लोग। मैं तुम्हारी आंटी को हमारी शादी का जोड़ा पहनाना चाहता हूँ, और उसके लिए मैंने डाक्टर से भी बात कर ली है…” अंकल ने बड़े भावुक लब्जों में कहा।

नीरव- “जाओ निशा आंटी के कपड़े चेंज करो। सच में अंकल प्यार करना तो आपसे सीखना चाहिए, इस उमर में भी आप बहुत प्यार करते हैं आंटी से…” नीरव ने कहा।

मैं खड़ी होकर आंटी के पास गई, अंकल भी खड़े हो गये ओर पास में पड़ी प्लास्टिक की बैग ले आए, उसमें रेड कलर के कपड़े थे। अंकल ने बैग में से वो कपड़े निकाले, वो कपड़े पेटीकोट, ब्लाउज और साड़ी थी।

अंकल- “बिटिया तेरी आंटी के कपड़े चेंज करने में मैं भी तुझे मदद करूंगा…” अंकल ने आंटी के गाउन को पैरों से ऊपर करते हुये कहा।

ये देखकर नीरव खड़ा हो गया और बाहर जाने लगा।

ये देखकर मैं अंकल का दांव समझ गई की वो नीरव को बाहर निकलकर मुझे… पर उन्होंने तो नीरव के सामने मूठ मारने की चैलेंज मारी थी ना, इसमें तो मैं जीत जाऊँगी। पर ये क्या?

अंकल ने नीरव को रोका- “बैठो बेटा, बाहर जाने की कोई जरूरत नहीं..”

नीरव- “पर अंकल…” नीरव ने इतना कहा की अंकल ने उसकी तरफ हाथ करके आगे बोलने से रोक लिया और फिर वो रूम के बाहर चले गये।

मुझे अंकल की एक भी बात समझ में नहीं आ रही थी।

एकाध मिनट बाद अंकल अंदर आए तो उनके हाथ में ग्रीन कलर का बड़ा कपड़ा था, उन्होंने नीरव को वो कपड़ा पकड़ने को कहा। रूम के एक कोने की तरफ पलंग था और दूसरे कोने पे इंडियन साइटिंग था। जहां नीरव बैठा था वहां से वो आया। अंकल ने उसे एक हाथ में कपड़ा थमाया और आमने सामने दीवार की खिड़की पर बाँधने को कहा। कपड़ा बाँधते ही रूम के दो भाग हो गये, एक भाग में आंटी का पलंग और दूसरे भाग में गेस्ट की बैठने की जगह। लेकिन पर्दा इतना नीचा बाँधा था की हम एक भाग में खड़े होकर दूसरे भाग में खड़े लोगों का चेहरा देख सकते थे।

कपड़ा बाँधकर नीरव अपनी जगह पे जाकर बैठ गया और अंकल ने मेरी तरफ आँख मारते हुये कहा- “चल आ जा बिटिया कपड़े निकालते हैं…”

मैं मुश्कुराई, और मन में- “हरामी बूढा दो अर्थी भाषा में बोलता है…”

उस तरफ जाते ही मैंने आंटी का गाउन ऊपर किया तो अंकल ने उन्हें पकड़कर बिठाया और हम दोनों ने मिलकर आंटी का गाउन निकाल दिया। आंटी का बदन इस अवस्था में भी आकर्षक लग रहा था, सच में उन्होंने अपने फिगर को इस उमर में भी अच्छा मेंन किया हुवा था। मैंने हाथ में ब्लाउज लिया और मैं वो आंटी को पहनाने गई।

तब अंकल ने उसे खींच लिया और कहा- “ये मैं कर लूंगा, तुम नीचे देखो…”
मैंने नीचे देखा तो अंकल का लण्ड बाहर था, मैंने भी वैसे ही धीमी आवाज में उन्हें कहा- “क्या करूं मैं? हमारी शर्त तो नीरव के देखते करने की थी वो कहां हमें देख रहा है?”

अंकल- “वो सामने बैठा देख तो रहा है। कितना दिख रहा है और क्या देख रहा है उसमें मैं क्या करूं?”

मैंने नीरव की तरफ नजर डाली तो वो मोबाइल में गेम खेल रहा था।

अंकल- “नीरव बेटा, तुम शर्माते बहुत हो। हम लोग दिख रहे हैं उसमें तो तुझे कोई प्राब्लम नहीं है ना?” अंकल ने आवाज को ऊंची करके पूछा।

नीरव- “अरे अंकल, सिर्फ आप लोग दिख रहे हैं, आंटी नहीं दिख रही…” नीरव ने कहा।

अंकल- “बस अब खुश, उसने कहा ना की हम दिख रहे हैं, चल अब मुझे मूठ मार दे…” अंकल ने कहा।

मैं- “ओके बाबा…” कहकर मैंने अंकल का लण्ड पकड़ा और हाथ को गोल बनाकर मैं लण्ड को हिलाने लगी। सामने नीरव बैठा था और मेरे हाथ में अंकल का लण्ड था, जो मैं हिला रही थी। ये सब मुझे इतना ज्यादा रोमांचित (साथ में थोड़ा डर भी था) कर रहा था की मेरी चूत गीली हो गई थी।

अंकल का लण्ड ढीला था, शायद उनके लण्ड के अंदर की नशों में नरमाई आ गई थी। अंकल ने आंटी को ब्लाउज पहना दिया था और वो अब ब्लाउज के हुक बंद कर रहे थे।

तभी एकदम से नीरव खड़ा हुवा तो मैं डर गई, और मैंने अंकल के लण्ड को मेरे हाथों की गिरफ्त से छोड़ दिया। नीरव पर्दे के नजदीक आया। मैंने मेरी नजरें झुका दी, अंकल का लण्ड अभी भी बाहर ही लटक रहा था वो देखकर मेरा डर बढ़ गया।

नीरव- “अंकल, आप लोग अपना काम शांति से कीजिए, मैं बाहर बैठा हूँ…” कहकर नीरव दरवाजे की तरफ मुड़ गया।

अंकल- “अरे बैठो ना बेटा, ये पर्दा है ना… हमें तुमसे कोई परेशानी नहीं…” इतना कहकर अंकल ने मेरी तरफ देखा और बोले- “बोलो ना बिटिया नीरव को बैठने को, हम तो हमारा काम कर ही रहे हैं ना?” Adultery

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तभी एकदम से नीरव खड़ा हुवा तो मैं डर गई, और मैंने अंकल के लण्ड को मेरे हाथों की गिरफ्त से छोड़ दिया। नीरव पर्दे के नजदीक आया। मैंने मेरी नजरें झुका दी, अंकल का लण्ड अभी भी बाहर ही लटक रहा था वो देखकर मेरा डर बढ़ गया।

नीरव- “अंकल, आप लोग अपना काम शांति से कीजिए, मैं बाहर बैठा हूँ…” कहकर नीरव दरवाजे की तरफ मुड़ गया।

अंकल- “अरे बैठो ना बेटा, ये पर्दा है ना… हमें तुमसे कोई परेशानी नहीं…” इतना कहकर अंकल ने मेरी तरफ देखा और बोले- “बोलो ना बिटिया नीरव को बैठने को, हम तो हमारा काम कर ही रहे हैं ना?”

अंकल की बात सुनकर नीरव ने मेरी तरफ देखा। मैंने मेरी नजरें तो ऊपर उठा ली थी पर मेरा इर इतना ज्यादा बढ़ गया था की, एसी रूम था फिर भी मैं पसीने से तर-बतर हो गई थी। मैंने मेरे गले से थूक नीचे उतारा और सिर्फ सिर हिलाकर हाँ कहा।

नीरव- “अंकल, निशा की हालत तो देखिए? कितनी गर्मी हो रही है उसे, इस पर्दे की वजह से हवा उस तरफ नहीं आ रही, एसी गेस्ट की बैठक की तरफ है…” इतना कहकर नीरव रूम से बाहर निकल गया।

नीरव के बाहर निकलते ही अंकल पर्दे के उस तरफ गये और दरवाजे को अंदर से बंद करके मेरी तरफ मुड़कर बोले- “आ जा बाहर, नीरव बोलकर गया है अपना काम शांति से करो…”

मैंने पर्दा उठाकर बाहर देखा तो अंकल का लण्ड पैंट के बाहर ही था, किसी घड़ी के डंके की तरह नीचे की तरफ झुका हुवा था। मैंने अंकल के लण्ड की तरफ इशारा करके पूछा- “ऐसे ही चले गये थे दरवाजा बंद करने, कोई सामने से आकर खोल देता तो?”

अंकल- “ऐसा हो ही नहीं सकता बेटा, तेरा पति बाहर जो खड़ा है हमारी चौकीदारी करने। मैं तो ये दरवाजा भी बंद ना करूं, पर तेरे डर की वजह से बंद किया है, बाकी जब तक नीरव बाहर खड़ा है, हमें कोई टेंशन करने की जरूरत नहीं..”

अंकल की बात तो सही थी, फिर भी मुझे पसंद नहीं आई। और मन ही मन बोल उठी- “हरामी बूढे..” और मैं पर्दे के इस तरफ आ गई। पर्दे के उस तरफ आते ही अंकल ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा, तो मैंने उनपर बनावटी गुस्सा करते हुये कहा- “थोड़ा धीरज रखिए अंकल, जल्दी क्या है?”

अंकल- “जल्दी तो होगी ही ना… तेरी जैसी हसीना के तो जवानी में सपने भी नहीं देखे थे…” कहते हुये अंकल मेरी गर्दन को चूमने लगे।

मैंने मेरे दोनों हाथों से उनके सिर के दबाया और धीरे-धीरे पीछे होने लगी।
जैसे-जैसे मैं अपने कदमों को पीछे लेती गई वैसे-वैसे अंकल भी मेरे साथ-साथ अपने कदम मिलाते गये। चलते-चलते भी अंकल मेरी गर्दन से लेकर मेरे खुले सीने को चूम और चाट रहे थे। दसेक कदम पीछे चलने के बाद मैं वहां आ गई जहां थोड़ी देर पहले नीरव बैठा हुवा था। मैं बैठ गई तो अंकल थोड़ा झुक गये पर उन्होंने अपना चूमना रोका नहीं। मैंने अंकल के सिर को छोड़ा और उनका चेहरा ऊपर उठाया। मेरी गर्दन उनके थूक से भीग चुकी थी और वहां से अजीब गंध आ रही थी। जिससे मुझे खुशबू भी नहीं आ रही थी तो वहां से मुझे बदबू भी नहीं आ रही थी।
अंकल ने मुझे खड़ा किया और फिर झुक के नीचे से मेरी साड़ी और पेटीकोट ऊपर उठाकर मेरी चूत पर उनके बायें हाथ का अंगूठा दबाया और फिर मुझे किस करते हुये कहा- “बैठ जाओ निशा रानी, आज तो तुझे बिठाकर तेरी चुदाई करूँगा…”

अंकल की बात सुनकर मैं बैठ गई, अंकल मेरे दोनों पैरों के बीच आ गये। उन्होंने मुझे मेरे पैर उठाकर उनकी कमर के चौतरफा लगाने को कहा। मैंने वही किया। अब अंकल अपने लण्ड को मेरी चूत के ऊपर घिसने लगे।

मैं मेरा हाथ वहां ले गई और उनके लण्ड को पकड़कर सहलाने लगी जिससे उनके लण्ड में ज्यादा कसाव आया और थोड़ा ज्यादा बड़ा होकर ठुमके मारने लगा, मैंने लण्ड को मेरी चूत के द्वार पर रखा और अंकल को कहाधक्का लगाइए अंकल…”

अंकल- “क्या? कहां धक्का मारूं?” अंकल ने अपने खास अंदाज में पूछा।

मैं- “मेरी चूत में..” मैंने भी शर्म और संकोच छोड़ दिया और मेरे बोलते ही अंकल ने फिर से झटका मारा।

अंकल- “किससे धक्का मारूं?” अंकल ने फिर पूछा।

मैं- “आपके लण्ड से…”

और मेरे इस जवाब ने तो अंकल के लण्ड पे झाडू कर दिया। उसने जोर से झटका लगाकर मेरी चूत को सलामी दी और फिर अंदर दाखिल हो गया। अंकल का लण्ड अंदर आते ही मेरे बदन में मीठी सी लहर आ गई। मेरी चूत ने भी उनके लण्ड को जकड़ लिया। थोड़ी देर रुक के अंकल ने अपनी गाण्ड आगे-पीछे करके मेरी चुदाई चालू की।

मेरी टाँगें उनकी कमर पे थी और अंकल जब भी लण्ड को चूत के अंदर डालते थे तब मैं टांगों को कमर पे सख्ती से भींच देती थी और वो अंदर से बाहर खींचते थे तब मैं मेरी गिरफ्त को खोल देती थी। अंकल ने दोनों हाथों से बैठक को पकड़ा हुवा था, मेरी गाण्ड को मैंने सरका के बैठक के आगे की हुई थी। अंकल चोदते हुये। झुक के मेरी गर्दन को फिर से चूमने, चाटने लगे थे।

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मेरी टाँगें उनकी कमर पे थी और अंकल जब भी लण्ड को चूत के अंदर डालते थे तब मैं टांगों को कमर पे सख्ती से भींच देती थी और वो अंदर से बाहर खींचते थे तब मैं मेरी गिरफ्त को खोल देती थी। अंकल ने दोनों हाथों से बैठक को पकड़ा हुवा था, मेरी गाण्ड को मैंने सरका के बैठक के आगे की हुई थी। अंकल चोदते हुये। झुक के मेरी गर्दन को फिर से चूमने, चाटने लगे थे।

मेरे और अंकल के मुँह से सिसकारियां गूंजने लगी थीं। तभी मुझे शरारत सूझी और मैंने मेरा हाथ नीचे किया और जैसे ही अंकल का लण्ड बाहर आया तो मैंने उसे पकड़ लिया तो अंकल रुक गये।

तब मैंने मादक आवाज में कहा- “चोदो ना अंकल…”

मेरे बोलते ही अंकल के लण्ड ने झटका मारा और ज्यादा सख्त हो गया। मैंने लण्ड छोड़ दिया और अंकल ने फिर से चुदाई चालू कर दी।

मुझे ज्यादा मजा आने लगा, मैंने अंकल का शर्ट ऊपर किया और उनकी पीठ सहलाने लगी और बोलने लगी

चोदो अंकल, जोर से चोदो…” बोलते हुये मेरी सांसें भारी होने लगी थी।

अंकल- “वाह बिटिया वाह… तुम तो बहुत काबिल बन गई चुदवाने में…” कहते हुये अंकल ने और स्पीड बढ़ाई।

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अंकल की भी आवाज मेरी तरह ही हो गई थी और मैं अंकल को उकसा रही थी अलग-अलग तरीकों से। धीरेधीरे मुझे मेरी मंजिल करीब दिखने लगी थी। अंकल की भारी सांसों की आवाज से लग रहा था शायद वो भी मेरी तरह मंजिल के करीब हैं। अंकल ने गर्दन चूमना बंद किया और अपना सिर ऊपर करके मेरे होंठों को उनके होंठों से चूसना चालू किया। अंकल मेरे ऊपर के होंठ चूस रहे थे और मैं उनके नीचे के होंठ चूस रही थी। आज अंकल जवान हो गये थे, और वो अपनी रफ़्तार बढ़ाते ही जा रहे थे।

थोड़ी देर ऐसे ही हम दोनों चुदाई करते-करते एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे, 3-4 मिनट निकल गये और मुझे लगा की मैं सातवें आसमान पर उड़ रही हूँ। मैं झड़ गई और मेरे साथ-साथ अंकल भी झड़ गये। झड़ते वक़्त अंकल ने अपनी जीभ बाहर निकाली, जो मैंने मेरे दोनों होंठों के बीच ले ली और उसे चूसने लगी। आज भी अंकल ने बहुत कम वीर्य मेरी चूत में छोड़ा।

झड़ने के आधे मिनट बाद अंकल तुरंत खड़े हो गये और बोले- “जल्दी करो निशा रानी, हमारे कपड़े पहनने के बाद हमें आंटी को भी तैयार करना पड़ेगा…”

अंकल की बात सुनकर मैं भी फटाफट खड़ी हो गई, और मेरे कपड़े और बालों को ठीक करने लगी।

फिर मैंने और अंकल ने आंटी के कपड़े बदले और रूम का दरवाजा खोल दिया। बाहर नीरव नहीं था। थोड़ी देर बाद नीरव और वो भाई दोनों एक साथ रूम में आए।

नीरव ने आकर अंकल को कहा- “हम निकलते हैं अंकल..” इतना कहकर नीरव ने मेरी तरफ देखकर कहा- “चलो निशा, निकलते हैं…”

मैंने सिर हिलाते हुये निकलने का इशारा किया और रूम के बाहर निकल गई, और मेरे पीछे नीरव भी बाहर निकल आया।

पीछे से अंकल की आवाज आई- “बिटिया हर रोज आया कर, हम आंटी के कपड़े बदलते रहेंगे…” Adultery


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अंकल की बात सुनकर मेरा दिल धड़क उठा की नीरव कहीं समझ न जाय अंकल की बात। मुझे अंकल पे बहुत गुस्सा आया और मैं मन ही मन बड़बड़ा उठी- “हरामी बूढ़ा…”

रास्ते में मैंने नीरव से पूछा- कहां चले गये थे तुम?

नीरव- “भूख लगी थी, नाश्ता करने गया था..” नीरव ने कहा।

नीरव की बात सुनकर मैं सोच में पड़ गई की बात तो सही है नीरव की। भूख तो मिटानी ही पड़ती है इंसान को फिर चाहे वो कोई भी भूख हो… पेट की हो या जिम की? इंसान को अपनी भूख तो मिटानी ही पड़ती है। पर। इंसान को सिर्फ अपनी ही भूख के बारे में नहीं सोचना चाहिए। सामने वाले की भूख को भी पहचानना पड़ता है। मैं नीरव की पेट की भूख जानती हूँ, उसकी पसंद, नापसंद के बारे में जानती हूँ। उसे क्या भाता है वो मैं अच्छी तरह जानती हैं, लेकिन मेरे जिश्म की भूख उसकी समझ में कब आएगी?

नीरव- “निशा गाड़ी से उतरो, घर आ गया। क्या सोच रही हो तुम?” नीरव की आवाज सुनकर मैं मेरी सोच में से बाहर आई और हड़बड़ा गई।

मैं- “नहीं नहीं कुछ भी तो नहीं, मैं क्या सोचूं?” मैंने पूछा।

नीरव- “कब से कह रहा हूँ, पर तुम तो सुन ही नहीं रही थी..” नीरव ने कहा।

मैं कोई जवाब दिए बगैर गाड़ी से उतर गई और नीरव गाड़ी पार्क करने गया। मैं लिफ्ट के पास गई और नीरव के आने की राह देखने लगी।

तभी सीढ़ियों से रामू आया और मेरे हाथ में फिल्म की सीडी देकर बोला- “मेमसाब अकेली हो तब देखना..” और वो फिर से सीढ़ियां चढ़ गया।

सीडी तो ले ली मैंने, पर मेरा पूरा मस्तिष्क हिल गया। मेरे दिमाग में ढेरों सवाल खड़े हो गये थे की सी.डी. में क्या होगा? तभी नीरव को आते देखकर मैंने जल्दी से सी.डी. पर्स में डाल दी। Adultery

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मैं कोई जवाब दिए बगैर गाड़ी से उतर गई और नीरव गाड़ी पार्क करने गया। मैं लिफ्ट के पास गई और नीरव के आने की राह देखने लगी।

तभी सीढ़ियों से रामू आया और मेरे हाथ में फिल्म की सीडी देकर बोला- “मेमसाब अकेली हो तब देखना..” और वो फिर से सीढ़ियां चढ़ गया।

सीडी तो ले ली मैंने, पर मेरा पूरा मस्तिष्क हिल गया। मेरे दिमाग में ढेरों सवाल खड़े हो गये थे की सी.डी. में क्या होगा? तभी नीरव को आते देखकर मैंने जल्दी से सी.डी. पर्स में डाल दी।

घर के अंदर दाखिल होते ही मैं नहाने चली गई और सोचने लगी की रामू मुझे ये सी.डी. क्यों दे गया होगा? और उसके अंदर क्या होगा? तभी मेरे दिमाग में एक बात आई की आजकल एम.एम.एस. बहूत बन रहे हैं। लड़के लड़कियों की चुदाई करते वक़्त मोबाइल से वीडियो उतार लेते हैं और फिर बाद में उसे ब्लैकमेल करते हैं। कहीं रामू ने तो हमारी वीडियो नहीं बनाई होगी ना? पहले उसने मोबाइल में ले लिया होगा और फिर उसकी । सी.डी. तो नहीं बनाई होगी ना? रामू इतना कर सकता है क्या? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरा बदन डर के करण थरथराने लगा, मुझे रोना आ गया।

मैं आवाज निकाले बिना धीरे-धीरे रोती हुई नहाने लगी। थोड़ी देर ऐसे ही नहाने के बाद मेरा दिल थोड़ा हल्का । हुवा तो मैं खड़ी होकर मेरा बदन पोंछकर गाउन पहनकर बाहर निकली। बाहर आकर देखा तो नीरव सो गया था। नीरव को सोते देखकर मेरे दिल को थोड़ा सकून मिला। मैंने पर्स में से सी.डी. निकाली और धीमे कदमों से रूम के बाहर निकली और टीवी के पास आई। टीवी ओन करके आवाज मूट किया और फिर डी.वी.डी. प्लेयर चालू । किया और कंपकंपाते हाथों से सी.डी. को अंदर डाला। स्क्रीन पे अंधेरा दिख रहा था और मेरे दिमाग में भी। मेरा कदम डगमगा रहा था, मैं डरते हुये टीवी की स्क्रीन पे आँख गड़ाए खड़ी थी और सोच रही थी की अब क्या होगा?

मेरे बदन में आग लगी हुई थी, मैं मेरी चूत को उंगली से चोद रही थी, दूसरे हाथ से मैं मेरी चूचियों को दबा रही थी। मेरी आँखों के सामने थोड़ी देर पहले देखी हुई ब्लू-फिल्म के दृश्य चल रहे थे। मूवी इंग्लिश थी पर। उसका टाइटल हिन्दी में था, शायद उसके डायलोग भी हिन्दी में होगे। पर रात के 2:00 बजे तो टीवी की आवाज रखकर मैं नीरव को जगा नहीं सकती थी। टाइटल कितना अजीब था- ‘छोटा छेद, बड़ा इंडा’

सीडी चालू होते ही मेरा डर खतम हो गया था, क्योंकि रामू ने मुझे ब्लू-फिल्म की सी.डी. देखने को दी हुई थी। मैंने पहले भी ब्लू-फिल्में देखी थी पर आज देखने में मुझे ज्यादा इंटरेस्ट हुवा। शायद उसका करण ये भी था की आजकल सेक्स में मेरी दिलचस्पी बढ़ चुकी थी।

मैंने पहले जो फिल्में देखी थी उससे ये थोड़ी अलग किश्म की फिल्म थी। मैंने अब तक देखी हुई फिल्मों में । लड़के-लड़कियां सफेद ही देखे थे। पर इस फिल्म में सारे लड़के ब्लैक और लड़कियां सफेद थीं, साथ में लड़कियां कम उमर की और जीरो साइज के फिगर की थीं। लड़कों की उमर तो वोही थी, पर सब सुपरमैन जैसे थे। सारे लड़कों की बाडी किसी भारी भरकम मुक्केबाज जैसी थी। फिल्म के अंदर 5 कपल के अलग-अलग सेक्स दृश्य थे। अच्छे तो सभी थे पर एक सेक्स दृश्य मुझे बहुत ज्यादा पसंद आया था, क्योंकि उस दृश्य के माडल सबसे ज्यादा अच्छे थे।

उसके अंदर लड़की की चूत धनुष के आकर की थी, जिसे चाट-चटकार लड़का लड़की को चीख पड़ने पर मजबूर कर देता है (आवाज तो बंद थी पर देखने से भी मालूम पड़ रहा था) और बाद में लड़की भी लड़के का लण्ड चाटकर उससे चुदाई करवाती है। सारा नजारा याद करते हुये मैं न जाने कितनी देर तक उंगली को चूत के अंदर-बाहर करती रही और थोड़ी देर बाद झड़ गई। झड़ने के बाद मैं तुरन्त सो गई।

सुबह गोपाल चाचा के दूध देकर जाने के बाद मैं हर रोज की तरह फिर से सोई नहीं। मैं नहाने बैठ गई पर साथ में नीरव के शेविंग का सामान ले गई। आज से पहले तो मैं वैक्स करते वक़्त ही कांख भी करा देती थी जिसमें वो नीचे के बाल भी साफ कर देते थे।

नहाने से पहले मैंने ध्यान से मेरी चूत के बाल की सफाई कर दी। सफाई करने के बाद मैंने वहां हाथ लगाकर चेक करके देखा की कहीं कोई बाल तो नहीं रह गया ना… मेरी चूत इतनी चिकनी हो गई थी की हाथ सर्र से सरक जाता था।
हर रोज से थोड़ी ज्यादा देर नहाकर मैं बाहर आई तब तक 8:00 बज गये थे। मैंने गैस पे चाय बनाने को रखी और नीरव को जगाया। नीरव के जाने के बाद मैंने जल्दी-जल्दी खाना बनाया और टिफिन भर के मैंने बाहर रख दिया और मैं खाना खाने बैठ गई। खाना खाते हुये मैंने फिर से वो सी.डी. लगाई। मैंने फिर से हर दृश्य देखा और मेरे पसंदीदा दृश्य तो मैंने 3 बार देखे। डायलोग हिन्दी में ही थे पर कोई दमदार नहीं थे। उससे तो अच्छा इंग्लिश में होता तो ज्यादा मजा आता। देखते-देखते मैं फिर से गरम हो चुकी थी, तभी बेल बाजी और मैंने टीवी और डी.वी.डी. प्लेयर को आफ करके दरवाजा खोला तो सामने रामू था।
मैं दरवाजा खुला छोड़कर बेडरूम में चली गई।

आधे घंटे बाद रामू की आवाज आई- “जा रहा हूँ मेमसाब…”

मैं- “रामू 10 मिनट रुकना…” मैंने रामू को कहा।

थोड़ी देर बाद मैंने बेडरूम का दरवाजा खोला और रामू के सामने मैं मेरी कमर पे एक हाथ लगाकर खड़ी हो । गई। रामू फटी आँखों से मुझे देखने लगा। शायद उसे अपनी आँखों पर विस्वास नहीं हो रहा था, होता भी कैसे उसके सामने मैं आज हुश्न की परी बनकर खड़ी थी।

मैंने ब्लैक कलर की नाइटी पहनी हुई थी, जो मेरी मखमली जांघ के दीदार करा रही थी। साथ में नाइटी स्लीवलेश थी, जो मेरे कोमल हाथों को उजागर कर रही थी, और ऊपर के कट से मेरी आधी चूची बाहर दिख रही थी। मैंने हल्का सा मेकप किया था जो मेरी सुंदरता पे चार चाँद लगा रहा था। रूम में मैंने एसी ओन करके रूम स्प्रे कर दिया था, जिसकी मादक-मादक खुशबू तो शायद रामू ने आज तक ली नहीं होगी।

रामू- “मैं कहा हूँ मेमसाब? मरकर स्वर्ग में तो नहीं पहुँच गया ना?” रामू मदहोशी की हालत में इतना बोलकर चुप हो गया। Adultery

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मैंने ब्लैक कलर की नाइटी पहनी हुई थी, जो मेरी मखमली जांघ के दीदार करा रही थी। साथ में नाइटी स्लीवलेश थी, जो मेरे कोमल हाथों को उजागर कर रही थी, और ऊपर के कट से मेरी आधी चूची बाहर दिख रही थी। मैंने हल्का सा मेकप किया था जो मेरी सुंदरता पे चार चाँद लगा रहा था। रूम में मैंने एसी ओन करके रूम स्प्रे कर दिया था, जिसकी मादक-मादक खुशबू तो शायद रामू ने आज तक ली नहीं होगी।

रामू- “मैं कहा हूँ मेमसाब? मरकर स्वर्ग में तो नहीं पहुँच गया ना?” रामू मदहोशी की हालत में इतना बोलकर चुप हो गया।

मैं धीरे-धीरे पीछे जाने लगी और बेड पर जाकर लेट गई। रामू मदहोशी के आलम में घिरा हुवा धीमे कदमों से बेड के पास आया, और मुझे निहारने लगा। शायद अब भी उसे अपनी किश्मत पे भरोसा नहीं हो रहा था।

उसने मेरी टांगों को पकड़ा और मुझे खींचकर बेड की किनारे पे ले लिया और मेरी नाइटी को ऊपर किया। नाइटी ऊपर होते ही रामू के मुँह से लार टपक पड़ी। वो मेरी सफाचट चूत को देखकर पागल हो गया। उसने उसके एक हाथ से 3-4 बार मेरी चूत को सहलाया और फिर मुझे बिठाकर मेरी नाइटी निकाल दी।

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रामू के सामने पूरी नंगी मैं पहली बार हुई थी। वो फिर से एकटक मुझे निहारने लगा। मानो इस पल को वो हमेशा के लिये अपने दिलो-दिमाग में कैद कर लेना चाहता हो। फिर उसने झुक के मेरी चूत में उंगली डाली। मेरी चूत गीली तो हो ही गई थी, जिससे उसकी उंगली गीली हो गई। गीली उंगली मुँह में डालकर उसने चाटी और फिर मेरी चूत के नीचे के हिस्से पर उसने अपनी जबान लगाई।
मैं सिहर उठी।

रामू ने उसकी जबान से चूत नीचे के हिस्से को चाटना चालू किया और फिर वो जबान को ऊपर तक ले गया, और इस तरह उसने पूरी चूत के बाहरी हिस्से को चाटा तो मेरे न चाहते हुये भी दो मिनट के लिए मेरी आँखें बंद हो गई और मैं सिसकियां लेने लगी। रामू ने अब एक हाथ की दो उंगली से चूत को खींचा और चूत में दूसरे हाथ की उंगली डाल दी और वो उसे अंदर-बाहर करते हुये चूत के अंदर के हिस्से को चाटने लगा।

मैं मचलने लगी, रामू के बालों को सहलाने लगी।

थोड़ी देर बाद रामू ने उंगली से चोदना बंद कर दिया और सिर्फ अंदर तक जबान डालकर मेरी चूत की चुसाई। करने लगा। रूम के अंदर मेरी मादक सिसकारी गूंजने लगी। मैं अब मेरा धैर्य खो बैठी थी, और नागिन की तरह रेंगने लगी थी। मेरी सांसें भारी होती जा रही थी, मैं जोरों से लंबी-लंबी सिसकारियां लेते हुये मदहोश होती जा । रही थी। मेरे हाथों ने रामू के बालों को खींचना चालू कर दिया था, मुझे अब मालूम हो चुका था की मैं अब कभी झड़ सकती हूँ।

रामू ने अपने हाथ को ऊपर किया और मेरी चूचियां सहलाना शुरू कर दिया और कुछ पल के बाद मैं झड़ गई। झड़ते वक़्त मैंने रामू के बाल खींचकर उसे चूसना बंद करने को कहा पर उसने चूसना चालू रखा, और पूरी चूत चाटने के बाद वो उठा और बोला- “मेमसाब आपकी चूत का पानी तो अमृत जैसा है…”

रामू की बात सुनकर मेरे मन में खयाल आया की अगर मेरी चूत का पानी सच में अमृत है तो, आज वो देव की जगह दानव को मिला है। झड़ने के बाद, थोड़ी देर तक मैं मेरे दोनों हाथ ऊपर की तरफ करके आँखें बंद । करके पड़ी रही। दिन का उजाला, पूरी नंगी, मेरी कमर तक का बदन बेड पर और टाँगें जमीन पर लटकी हुई, हाथ ऊपर की तरफ किए हुये थी, जिससे मेरे उरोज भी ऊपर खिंच गये थे। इस पोज में तो आज तक नीरव ने भी कभी मुझे नहीं देखा था।

तभी मेरे उरोजों पर स्पर्श होते ही मैंने आँखें खोल दीं। रामू मेरे उरोजों को सहला रहा था उसकी रूखी और सख्त हथेलियां मेरे उरोजों को कहीं खरोंच न दें ऐसा डर मुझे लगने लगा।

तभी मेरे उरोजों पर स्पर्श होते ही मैंने आँखें खोल दीं। रामू मेरे उरोजों को सहला रहा था उसकी रूखी और सख्त हथेलियां मेरे उरोजों को कहीं खरोंच न दें ऐसा डर मुझे लगने लगा।

रामू- “मेमसाब आप घूम जाओ..” रामू ने मेरे बायें उरोज के निप्पल को दो उंगली से दबाते हुये कहा।

रामू की बात सुनकर मैं डर गई की कहीं ये मेरी गाण्ड का इस्तेमाल तो नहीं करना चाहता ना? थोड़ी ही देर पहले मैंने उसकी दी हुई सी.डी. में देखा भी था- “नहीं रामू, प्लीज़…” मेरे मुँह से इतने ही शब्द निकले।

रामू- “अरे मेमसाब अपुन आपके साथ कुछ उल्टा सीधा नहीं करने वाला, मैं जो करूंगा उससे आपका चुदवाने का मूड फिर से आ जाएगा…”

रामू की बात सुनकर मैं डरती हुई पीछे की तरफ हुई।
राम्- “अब मेमसाब कुतिया बन जाओ..” रामू ने कहा।

मैं- “क्या?” मैंने पूछा।

रामू- “दो हाथ और दो पैरों पे हो जाओ…” रामू ने कहा।

मैं उसके कहे मुताबिक हो गई और मेरे स्तन नीचे की तरफ झूलने लगे। रामू ने मेरी गाण्ड को थोड़ी देर सहलाया और फिर पीछे की तरफ चला गया।

अब क्या होगा वो सोचकर मुझे डर लग रहा था। तभी मुझे मेरी गाण्ड के छेद पे कुछ गीला लगने का अहसास हुवा। मैंने पूछा- “क्या कर रहे हो?”

रामू- “आपकी ये मस्त मलाई जैसी गाण्ड चाटने जा रहा हूँ मेमसाब, जिससे आप फिर से गरम हो जाओगी…” रामू ने कहा और फिर से उसने उसी जगह पर चाटा।

मैं देख तो नहीं सकती थी, पर स्पर्श से इतना पता तो चल ही रहा था की वो कहां-कहां और किस चीज से चाट रहा है। रामू ने उसकी जबान से मेरी गाण्ड के छेद के ऊपर के हिस्से को थोड़ी देर चाटा। रामू ने चाटना शुरू किया था तब से मेरी सिसकारियां चालू हो गई थी। रामू ने मेरे दो कूल्हों को अलग दिशा में खींचा और वो अब अंदर तक जबान डालकर चाटने लगा।

उसके बाद तो मैं बिल्कुल ही पागल हो गई और सिसकारियों की बजाय चीखने लगी और रामू को रुकने को कहने लगी- “अब बस करो रामू, मुझसे सहन नहीं हो रहा, कहीं मैं फिर से न छूट जाऊँ, छोड़ो रामू…” Adultery Gharelu Chudai अनाड़ी पति और ससुर रामलाल


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उसके बाद तो मैं बिल्कुल ही पागल हो गई और सिसकारियों की बजाय चीखने लगी और रामू को रुकने को कहने लगी- “अब बस करो रामू, मुझसे सहन नहीं हो रहा, कहीं मैं फिर से न छूट जाऊँ, छोड़ो रामू…”

रामू मेरी बात सुने बगैर अपना काम किए ही जा रहा था और मैं अपना संतुलन खो बैठी, मैं एक तरफ ढल के झुक गई और लेट गई। रामू ने चाटना बंद किया और कहा- “मजा आया ना मेमसाब?”

मैंने मेरा सिर ‘हाँ, में हिलाया।

रामू बेड से नीचे उतारकर अपने कपड़े निकालने लगा। मैं सीधी हो गई और उसे देखने लगी। रामू हमेशा खाकी चड्डी और टी-शर्ट में ही होता है, शायद उसके पास 2-3 खाकी चड्डी होगी। रामू ने अपनी टी-शर्ट निकाल दी और अपना सीना तानकर मुझे दिखाने लगा, कहा- “देखिए मेमसाब, मेरी बाडी सलमान खान जैसी ही है ना?”

मैं क्या बोलँ उसकी बाडी सलमान खान तो क्या पृनीत इस्सर से भी ज्यादा थी, उसका बदन बहत भारी था और साथ में आगे से निकली हुई तोंद देखकर उसका शरीर और तगड़ा लगता था। उसकी बाहें मेरी जांघों जितनी भरावदर थी। उसने जैसे ही चड्डी निकाली तो सबसे पहले मैंने उसके लण्ड की तरफ नजर डाली। बहुत ही बड़ा लण्ड था उसका, सुबह देखी हुई ब्लू-फिल्मों के माडेल के जितना। लण्ड के आजू-बाजू में बाल भी खूब थे। उसका लण्ड इतना बड़ा न होता तो शायद बालों के पीछे से दिखता भी नहीं। रामू काला तो था ही पर उसका लण्ड उससे भी ज्यादा काला था, मतलब की रामू में देखने जैसा कुछ भी नहीं था। फिर भी मैं उसे निहारती रही। कपड़े निकालकर रामू मेरे ऊपर आ गया और मेरे मम्मों को चूसने लगा।

मैं गरम तो पहले से हो ही गई थी और गरम होकर उसके बालों को सहलाने लगी।

रामू ने अपना लण्ड मेरी चूत के आजू-बाजू रगड़ना चालू किया और कहा- “सच में मेमसाब आप आज भी कोरा माल लगती हो…”

मैं आने वाले दर्द को सहने के लिए दिल को तैयार करने लगी। रामू ने अपना लण्ड मेरी चूत के द्वार पर रखा। मेरी सांसें रुक गई और मैं आने वाले हर एक पल का इंतेजार करने लगी। रामू ने अपने चूतड़ों को ऊपर उठाया और एक ही झटके में पूरे लण्ड को अंदर घुसेड़ दिया। मेरे मुँह से छोटी सी चीख निकल गई।

रामू- “मेमसाब बहुत ही नाझुक हो आप, दो बार की चुदाई के बाद भी सह नहीं पा रही हो…” रामू ने लण्ड को थोड़ा बाहर निकाला और फिर धीरे से अंदर डाला, 2-3 बार ऐसा करने के बाद वो स्पीड से करने लगा। धीरे-धीरे गति बढ़ने के साथ-साथ वो लण्ड भी ज्यादा अंदर तक और बाहर तक ले जाने लगा।
मैं मस्ती के महासागर में खोने लगी। मैंने रामू को मेरी बाहों की गिरफ्त में कैद कर लिया।

चोदते-चोदते रामू ने उसके होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। उसके मुँह से बीड़ी और शराब की मिली-जुली बदबू आ रही थी। मैंने सोचा रामू को हर रोज ना बोलूंगी, तो शायद उसे अच्छा नहीं लगेगा, थोड़ी देर कर लेने दो। रामू ने मेरे ऊपर के होंठ को उसके दोनों होंठों के बीच लेकर चूसना चालू किया। रामू बड़े इतनिनम और लज़्ज़त से मेरे होंठ चूसते हुये तेजी से मेरी चुदाई कर रहा था। वो अब ऊपर का होंठ छोड़कर नीचे का होंठ चूस रहा था।

मैंने मेरे पैरों को उसकी कमर के चौतरफा लपेट दिए थे, और साथ में वो जब लण्ड पीछे लेता था तब मैं गाण्ड उठाकर ऊपर कर रही थी। मेरे हाथ उसकी नंगी पीठ को सहला रहे थे, मतलब की आज मैं उसे पूरा सहयोग दे रही थी। मैं सिर्फ उसे होंठ चूसने में सहयोग नहीं दे रही थी, बल्की मेरे मुँह को ज्यादा खुला रखकर उसके होंठों से मेरा दूसरा होंठ दूर रख रही थी।

रामू ने मेरा सिर ऊपर करके उसका हाथ मेरे सिर के नीचे डाल दिया, जिससे मेरा सिर थोड़ा और ऊपर हो गया और एक साइड के बालों को वो अपनी उंगलियों से सहलाने लगा। उसने दूसरे हाथ से मेरे स्तनों को सहलाना। चालू किया तो मैं और मदहोश होने लगी।

रामू ने अब मेरे होंठ छोड़कर गर्दन को चूमना चालू कर दिया। ये सब करने के साथ-साथ वो अपनी चुदाई की। स्पीड धीरे-धीरे बढ़ाते ही जा रहा था। मुझे उसका लण्ड नाभि तक जाता हुवा महसूस हो रहा था। वो लण्ड को सुपाड़े तक बाहर निकालकर फिर से पूरा अंदर डालता था। वो जब भी लण्ड को पूरा अंदर डालता था तब उसके लण्ड के आजू-बाजू के बालों से मुझे गुदगुदी हो रही थी। Adultery

मेरे मुँह से सिसकारियां रामू की स्पीड के साथ बढ़ती जा रही थीं, मैं अपने आप पर का काबू खो चुकी थी।

रामू- “सच में मेमसाब आप मस्त चुदवाती हो..” रामू ने मेरी गरदन पर अपनी जबान से चाटते हुये कहा।

मैं- “उम्म्म्म हूँ.” मेरे मुँह से इतना ही निकला और मैं फिर से सिसकारियां लेने लगी। Jija sali ka pyaar जीजा साली का प्यार – Jija Sali Sex

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रामू- “सच में मेमसाब आप मस्त चुदवाती हो..” रामू ने मेरी गरदन पर अपनी जबान से चाटते हुये कहा।

मैं- “उम्म्म्म हूँ.” मेरे मुँह से इतना ही निकला और मैं फिर से सिसकारियां लेने लगी।

रामू ने फिर से उसके होंठों के बीच मेरा ऊपर का होंठ ले लिया।

रामू के लण्ड की सख्ती और ताकत मुझसे सहन नहीं हो पा रही थी। मुझे हर फटके के साथ मीठा दर्द दे जाती थी। मैंने अपने होंठ भींचे और मैं भी रामू के होंठ को चूसने लगी। मुझे मेरा दर्द कम होता महसूस हुवा और मजा बढ़ गया। अब मेरे हाथ की उंगलियां रामू के बालों में थी। हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। रामू की और मेरी सांसें भारी होने लगी थीं, और रूम हमारी दोनों की सांसें और सिसकरियों से गूंज रहा था। एसी चालू था फिर भी रामू का शरीर पसीने से तरबतर हो गया था, और उसके बदन से चूकर मुझे भिगा रहा था। रामू ने स्तन पे से हाथ उठाकर मेरी गाण्ड पे रख दिया और उसे सहलाते हुये ऊपर की तरफ करने लगा। Adultery

मुझे अब लगने लगा था की मैं अब कभी भी झड़ सकती हैं, क्योंकि मेरे मुँह से अब सिसकारियों की जगह सीटियां निकलने लगी थीं। पर रामू अभी भी पूरे जोश में था। मुझे लगा की शायद मैं झड़ने के बाद रामू को झेल नहीं पाऊँगी, इसलिये वो मुझसे पहले झड़ जाए तो अच्छा होगा।

तभी रामू ने अचानक ही मेरी गाण्ड के अंदर उंगली घुसेड़ दी, जिससे मेरे मुँह से हल्की सी चीख निकल गई। मेरे मुँह खोलते ही रामू ने अपनी जबान मेरे मुँह के अंदर डाल दी, जो मेरे लिए सहन करना ज्यादा मुश्किल हो गया। मेरा चुदाई का मजा थोड़ा किरकिरा हो गया। मेरा सारा ध्यान मेरे मुँह के अंदर उसकी दाखिल की हुई। जबान पर चला गया। वो अपनी जबान से मेरे मुँह का जायजा लेने लगा। उसने उसकी जबान मेरे पूरे मुँह के अंदर घुमाई और फिर वो मेरी जीभ के साथ उसे घिसने लगा।

धीरे-धीरे फिर से मेरा मस्तिष्क चुदाई की तरफ हो गया। साथ में जबान से जबान लड़ाने में मुझे भी मजा आने लगा। रामू के मुँह में से थूक मेरे मुँह में आकर मेरे गले में उतर रहा था। Adultery

रामू- “आज से आप अपुन की रंडी बन चुकी हैं मेमसाब…” रामू ने मेरे मुँह में मुँह रखकर ही कहा।

मुझे उसकी बात ज्यादा समझ में नहीं आई।

अब हम दोनों की सांसें भारी होने लगी थीं। रामू झड़ने से पहले अपनी स्पीड बढ़ाता ही जा रहा था। मैं भी अपनी गाण्ड को ऊपर कर-करके चुदवाकर जल्दी झड़ना चाहती थी। रामू ने मेरी जीभ से उसकी जबान को भी घिसना तेज कर दिया था। हम दोनों एक दूसरे के बदन में ज्यादा से ज्यादा समाने की कोशिश करने लगे थे।

और फिर थोड़ी ही देर में मैं झड़ने लगी और मेरे झड़ने के चंद सेकंड के बाद ही रामू ने भी अपना वीर्य मेरी चूत में छोड़ दिया। रामू के लण्ड से जब तक वीर्य निकलता रहा तब तक वो मेरे ऊपर रहा और फिर मुँह पर से हटकर वो मेरे बाजू में लेट गया।
रामू- “मजा आया ना मेमसाब?” थोड़ी देर बाद रामू ने पूछा।

मैंने कोई जवाब नहीं दिया।

तब उसने फिर से पूछा- “बोलो ना मेमसाब?”

मैं- “हाँ..”

मेरे इतना कहते ही रामू खुश हो गया और उसने अपना एक हाथ मेरे नीचे डाला और दूसरे हाथ से मेरा हाथ पकड़कर मुझे उसके ऊपर खींच लिया। मैं उसके पसीने से लथपथ शरीर पर हो गई।

रामू- “किस करो ना मेमसाब…” रामू ने कहा।

मैंने झुक के उसके होंठों को चूमना चालू कर दिया। थोड़ी देर में ऐसे ही उसके होंठों को चूसती रही तो रामू ने। अपना मुँह खोल दिया। मैंने अपनी जबान उसके मुँह के अंदर डाल दी और उसी की तरह मैंने भी उसके मुँह का पूरा जायजा लिया। फिर मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली।

मैं- “अब तुम जाओ…” कहते हुये मैं रामू के ऊपर से हट गई।

रामू- “आपको छोड़कर जाने का दिल नहीं करता मेमसाब, पर जाना पड़ेगा…” कहते हुये रामू खड़ा हुवा और अपने कपड़े पहनने लगा।

मैंने भी खड़े होकर कपबोर्ड से गाउन निकालकर पहन लिया।

कपड़े पहनकर बाहर निकलते हुये रामू बोला- “मेमसाब, एक बार आपकी चुदाई मैं झंडू बाम लगाकर करूँगा…”

रामू के जाने के बाद मैं गहरी सोच में पड़ गई। मैंने आज जो रामू के साथ पूरे समर्पण से मेरी चुदाई करवाई थी, वो मैंने सही किया या गलत? वो मैं समझ नहीं पा रही थी। मैं अब मेरे जिश्म की भूख सह नहीं पा रही थी। रामू मुझे पसंद नहीं था, फिर भी मैंने जिस तरह से उसके सामने मेरा बदन परोस दिया था, वो मेरे लिए भी एक आश्चर्य था। फिर भी एक बात तो तय ही थी की रामू मुझे पसंद नहीं है, फिर भी उसके साथ संभोग के बाद मेरे दिल को जो शांती और बदन को जो सकून मिलता है वो उसके पहले मुझे किसी के साथ नहीं मिला था। बहुत सोचने के बाद भी मैं कोई नतीजे पे न पहुँच सकी तो मैंने सोचना छोड़ दिया। Adultery दो दो चाचिया compleet

दूसरे दिन जैसे ही रामू काम करने आया तो मैं बेडरूम में चली गई और वो कब काम खतम करके अंदर आए उसकी राह देखने लगी।

तभी मेरे मोबाइल की रिंग बजी। मैंने उसकी स्क्रीन पे नजर डाली। मीना दीदी का काल था। मैं सोच में पड़ गई की दीदी ने क्यों मुझे काल किया होगा? फिर से तो कोई झगड़ा नहीं करेगी ना? और मैंने काल काट दिया।
दूसरे दिन जैसे ही रामू काम करने आया तो मैं बेडरूम में चली गई और वो कब काम खतम करके अंदर आए उसकी राह देखने लगी।

तभी मेरे मोबाइल की रिंग बजी। मैंने उसकी स्क्रीन पे नजर डाली। मीना दीदी का काल था। मैं सोच में पड़ गई की दीदी ने क्यों मुझे काल किया होगा? फिर से तो कोई झगड़ा नहीं करेगी ना? और मैंने काल काट दिया।

चंद सेकंड में फिर से दीदी का काल आ गया। दीदी के साथ झगड़े के बाद मम्मी का भी फोन नहीं आया था। मैं जीजू के साथ मम्मी के कहने पर तो सोई थी, उसका शायद उन्हें अफसोस होगा। शायद मम्मी ने मेरी और दीदी की सुलह के लिए भी दीदी के पास फोन किया हो?
डरते हुये मैंने मोबाइल उठाया तो सामने दीदी थी- “निशा…”

मैं- “हाँ बोलो…” मैं ज्यादा बोल ना पाई।

दीदी- “निशा, अपने जीजू को काल कर…” दीदी के स्वर में घबराहट थी।

मैं- “क्यों? कभी आप मुझसे जीजू से बात करने को ना बोलें, और कभी बोलने को कहें, ये क्या है?” मैंने रूखेपन से कहा।

दीदी- “प्लीज़्ज़… निशा अभी ज्यादा बात करने का समय नहीं है, तेरे जीजू आत्महत्या करने गये हैं..” बोलते हुये दीदी रोने लगी।

मैं- “क्या?” मैं चौंक पड़ी।

दीदी- “हाँ निशा…” दीदी ने कहा।

मैं- “पर क्यों दीदी?” मैंने आज की बातों में पहली बार दीदी को दीदी कहकर पुकारा।

दीदी- “तेरे जीजू को शेयर मार्केट में बहुत ज्यादा घाटा हो गया है। सब बेच के भी नुकसान की भरपाई होना नामुमकिन है। और पैसे लेने वालों ने भी उन्हें जान से मारने की धमकी दी हुई है। वो घर पे आज चिट्ठी लिखकर चले गये हैं की मैं मरने जा रहा हूँ..” दीदी ने उनकी बात फटाफट कह दी।

मैं- “पर उसमें मैं क्या कर सकती हूँ?” मैंने कहा।

दीदी- “मैं कब से उनका मोबाइल लगा रही हूँ, रिंग बज रही है, पर वो उठा नहीं रहे। शायद तुम्हारा काल उठा लें…” दीदी ने कहा।

मैं- “आप रखो दीदी, मैं जीजू को काल लगाती हूँ..” कहकर मैंने दीदी की काल काट दी।

दीदी का काल काटते ही रामू रूम के अंदर आया, बेड पर बैठ गया, और मेरे पैरों को सहलाने लगा। मेरा बदन भी वासना की आग में सुलग रहा था। मैं भी तो कब से उसका इंतेजार कर रही थी, पर दीदी से बात करने बाद मुझे पहले जीजू से बात करनी थी।

मैंने रामू को कहा- “अभी तुम जाओ रामू, मैं कुछ प्राब्लम में हूँ…” मैं सोचती थी की शायद रामू मेरी बात जल्दी मानेगा नहीं, उसे मुझे समझाना पड़ेगा।

रामू मेरी सोच से विपरीत खड़ा हुवा और बाहर निकलने लगा। बाहर निकलते हुये ठहरा और मुझसे पूछा- “मेरे । लायक कोई काम हो तो बताना मेमसाब…”

मेरा खड़े रहना भी मुश्किल हो रहा था। मैं बेड पर सोकर चुसवाना चाहती थी, पर इतनी देर रामू चूसना बंद कर दे वो भी मेरे लिए असह्य था।

रामू ने उंगली चूत में डाल दी और उससे चूत की चुदाई करने लगा, साथ में उसका चूसना जारी था। मेरी सांसें तो कब की भारी हो चुकी थीं, मैं जोरों से सांसें ले रही थी। तभी रामू ने मेरे ‘जी-स्पाट’ को मुँह में लेकर जीभ से दबाया, और मेरी सहनशीलता खतम हो गई। मैं झड़ गई पर ये ओगैस्म मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा और सबसे शानदार था।

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