अंकल- “अरे है ना… सुनयना ये निशा नींबू लेने आई है, वह छोटा-छोटा नींबू दे दो। बेटे तूने ऐश्वर्या का गाना तो देखा है ना?”
मैं- “देखा है ना अंकल, बहुत अच्छा डान्स किया है…”
अंकल- “तुझे आता है डान्स? तू भी तो दिखने में ऐश्वर्या से कहां कम है। तुझे तो आना ही चाहिए…”
तभी आंटी बाहर आई और अंकल को बोली- “आप भी क्या? क्यों परेशान कर रहे हैं बच्ची को?”
फिर मुझसे कहा- “बैठो बेटा, मैं देती हूँ। और हाँ दाल ढोकला बनाया है, नीरव को बहुत पसंद है। मैं देती हूँ, वो भी ले जाना…” कहकर आंटी अंदर चली गई।
मैं अंकल के सामने वाले सोफे पर जा बैठी, अंकल ने मेरे सामने मुश्कुराते हुये हथेली को गोल किया और फिर दूसरे हाथ की उंगली अंदर-बाहर करने लगे। मेरी समझ में कुछ नहीं आया तो मैं ध्यान से देखने लगी, और ये मेरी गलती थी। अंकल एकदम से खड़े हुये, चैन खोली और लिंग बाहर निकालकर मेरे सामने हिलाने लगे।
मैं खड़ी होकर किचन में आंटी के पास चली गई, आंटी ने दाल ढोकला डिश में ले लिए थे। मैं वहां से लेकर निकली।
तब अंकल ने पीछे से आवाज दी- “अच्छा नहीं लगा क्या?”
मैं धीरे से बोली- “हरामी बूढ़े…” कहकर मैं घर में घुस गई। Adultery
रात को नीरव मेरी योनि में उंगली अंदर-बाहर करते-करते मेरे उरोजों को चूस रहा था, पर मेरा ध्यान आज के दिन पर ही था। आज का पूरा दिन हर रोज से अलग गया। लगता था पूरा दिन कुछ उल्टा सीधा ही हुवा था। मैं नीरव को अंकल के बारे में बताना चाहती थी, पर बता नहीं सकी। और मम्मी ने भी, मैं कई बार मम्मी से दीदी के बारे में पूछती हूँ तो वो कभी भी जीजू को याद नहीं करती थी। मैं सोचने लगी क्या दीदी जानती होंगी की जीजू मुझसे संभोग करना चाहते हैं? क्या दीदी ये करने देंगी?
“अयाया…” मेरे मुँह से सिसकारी फूटते ही में झड़ गई।
नीरव मेरे बालों को सहलाते हुये मेरे गालों को चुंबन करके बोला- “मुझे कर दो निशु..”
मैंने नीरव का पायजामा नीचे किया, और लिंग हाथ में लिया। नीरव का लिंग हाथ में लेते ही मेरी आँखों के सामने अंकल का लिंग लहरा उठा। मुझे अपने आप पे शर्म आ गई। थोड़ी ही देर में नीरव भी झड़ गया।
दूसरे दिन दोपहर को अंकल की आवाज सुनाई दी- “मुझे दो घंटे लगेंगे और खाना खाकर आऊँगा…”
मैं समझ गई की अंकल कहीं जा रहे हैं, तो मैं थोड़ी देर बाद आंटी के पास गई। सुबह ही मैंने मन ही मन सोच लिया था की नीरव को बताऊँ या ना बताऊँ, पर आंटी को तो बताऊँगी ही। आंटी कहेंगी तो दूसरी बार अंकल ऐसी गलती नहीं करेंगे। आंटी सोफे पर ही बैठी थी, मैंने धीरे से सारी बातें बता दीं। मेरी बात सुनकर आंटी गहरी सोच में पड़ गई। मुझे लगा की अभी आंटी अंकल को बहुत बुरा भला सुनाएंगी। पर मेरी सोच से विपरीत हुवा।
आंटी ने कहा- “बेटा उसमें अंकल की नहीं मेरी गलती है…”
आंटी क्या बोली मेरी समझ में कुछ नहीं आया। मैंने उत्तेजित होकर पूछा- “आपकी कैसे?”
आंटी- “बेटा, तुझे याद है मैंने तुझे बताया था की 10 साल पहले केयूर (उनका बेटा) का आक्सीडेंट हुवा था..”
मैं- “हाँ आंटी याद है, केयूर भाई बाइक लेकर ट्रक के साथ टकरा गये थे…” मैंने जवाब तो दिया पर सोच में पड़ गई की ये दोनों बातों के बीच क्या संबध हो सकता है?
आंटी- “उस वक़्त केयूर 20 दिन तक कोमा में रहा था। डाक्टरों ने भी ना बोल दिया था की ये लड़का नहीं बचेगा। तभी मैंने मन में सोच लिया की केयूर बच जाएगा तो मैं ब्रह्मचर्य का पालन आजीवन करूंगी। केयूर तो। बच गया पर… …” आंटी ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी।
पर मैं समझ गई की वो कहना क्या चाहती हैं- “ओह्ह…” मैं क्या बोलँ वो मुझे समझ में नहीं आया तो मैं इतना बोलकर रुक गई।
आंटी- “तेरे अंकल तब से सेक्स के लिए तड़प रहे हैं। 6 साल पहले एक कामवाली आती थी, उसको बाहों में ले लिया था तो बहुत बड़ा हंगामा हुवा था। उसके बाद मैंने सोचा कि अब सुधर गये हैं, पर तेरे साथ अच्छा नहीं किया। आज आने दो घर पे उन्हें खूब बोलती हैं.”
न जाने मुझे अंकल पे कहां से दया आ गई- “छोड़िए आंटी। अंकल को कुछ मत कहना। आइन्दा मैं मेरा ख्याल रसुँगी…”
शाम को पापा का फोन आया- “चाचा का देहांत हो गया है, दीदी तो यहीं हैं पर तेरे जीजू उसे आने नहीं देंगे तो तुम समय निकालकर आ जाओ..”
पापा, चाचा और दीदी तीनों अहमदाबाद में रहते हैं और मैं राजकोट। रात को नीरव मुझे बस में बिठाकर गया। बस स्लीपर कोच थी, दीवाली की वजह से भीड़ थी। मैं कंबल ओढ़कर सो गई, पर मुझे बस में कभी नींद नहीं आती। नीरव की याद आ रही थी। नीरव साथ होता तो इबल की सीट ले लेते और नींद की गोली का मजा लेते। सुबह चाचा का लड़का सुधीर, मुझे स्टेशन पे लेने आया था, मुझे उसके घर जाना था। मम्मी पापा भी वहीं थे।
दोपहर को मम्मी ने कहा- “हमारे अपार्टमेंट के ज्यादातर फ्लैट मुस्लिमों ने ले लिए हैं, सिर्फ 3 फ्लैट में हिंदू रहते हैं। लोग तो अच्छे हैं पर दिल नहीं मानता उन लोगों के साथ रहने को और हम बेच भी नहीं सकते क्योंकी वो लोग पानी के भाव माँग रहे हैं और वहां से जितने पैसे आणंगे उससे कहीं और नहीं ले सकेंगे…”
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